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आपको यह डर सताता रहता होगा कि अगर आप अपनी फीलिंग जाहिर करेंगे तो दूसरो को अपसेट कर देंगे या उन्हें परेशानी में डाल देंगे | लेकिन, अपनी फीलिंग्स छिपाकर रखने से एंग्जायटी, डिप्रेशन, असंतोष और शारीरिक अस्वस्थता भी हो सकती है | इसके कारण आपके पर्सनल और प्रोफेशनल रिश्तो में भी परेशानी आ सकती है | अपनी फीलिंग को एक्सप्रेस करने के बारे में सीखने से, आप ज्यादा आत्म-जागरूक बनेंगे जिससे आपकी मेंटल और फिजिकल हेल्थ में भी सुधार आएगा |

विधि 1
विधि 1 का 3:

अपनी फीलिंग के प्रति सजग रहें

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  1. कुछ भी करने से पहले आपको पहचानना और स्वीकारना होगा कि आप अपनी भावनाओं को डील करने जा रहे हैं और इसमें कुछ भी गलत नहीं है | फीलिंग्स सही या गलत नहीं होतीं, बस वे बनी रहती हैं |
    • किसी चीज़ को फील करने पर खुद से नाराज न हों | बल्कि, खुद से कहें “मैं इसी तरह से फील कर रहा हूँ और यह स्वीकार्य है |”
    • अगर आप अपनी फीलिंग के बारे में तनावग्रस्त हों तो आपको थोडा समय देना चाहिए और खुद को अपनी भावनाओं से अवगत कराना चाहिए और उस समय उनके प्रति सजग रहना चाहिए |
  2. पहचाने कि फीलिंग्स के प्रति आपका शारीर किस तरह से रियेक्ट करता है: फीलिंग्स भावनाओं के द्वारा आगे बढती हैं जिन्हें हमारा ब्रेन कण्ट्रोल करता है | जब आप किसी चीज़ को फील करें तो अपने फिजियोलॉजिकल रिस्पोंस को लिख लें | उदाहरण के लिए, जब डर लगता है तो पसीना आता है, परेशान होने पर शरीर गर्म हो जाता है और गुस्सा आने पर हार्टबीट बढ़ जाती है | अपने शरीर की प्रतिक्रियाओं पर ख़ासतौर पर ध्यान देने से फीलिंग्स को पहचानने में मदद मिलेगी | [1]
    • अगर आपको अपनी बॉडी के साथ ट्यूनिंग करने में परेशानी हो तो किसी शांत जगह पर बैठकर और डीप ब्रीथिंग करके अपने शरीर को फिजिकली रिलैक्स करने की कोशिश करें | इस मन्त्र को रिपीट करते रहें, “यह फीलिंग क्या है?” जिससे प्रत्येक फीलिंग से सम्बंधित शारीरिक प्रतिक्रिया का आभास होता रहे |
  3. जब आप अपनी फीलिंग्स को कोई शब्द नहीं दे पाते तो उन्हें एक्सप्रेस करना बहुत मुश्किल बन जाता है | इन्टरनेट पर आसानी से मिलने वाले “फीलिंग चार्ट” को देखें जिससे आप इमोशन की रेंज को समझ सकें और उन फीलिंग्स की व्याख्या करने के लिए शब्द सीख पायें |
    • जितना हो सके, आपकी फीलिंग्स को विशेषरूप से व्यक्त कर सकें | उदाहरण के लिए, बहुत ही सामान्य से शब्द “अच्छा” कहने की बजाय, “आनंददायक, ” “भाग्यशाली,” “प्रशंसनीय,” या “प्रसन्न” जैसे शब्द कहें | इसी तरह से आप “बुरा” फील कर रहे हैं, यह कहने की बजाय कहें, आप “चिडचिडापन,” “अनिश्चित” “निराशा” या “अस्वीकृत” फील कर रहे हैं | [2] [3]
  4. अपनी फीलिंग्स की जड़ तक पहुँचने के लिए खुद से “क्यों” वाले सवालों को पूछें | उदाहरण के लिए, “मुझे ऐसा फील हो रहा है कि मैं रोने वाला हूँ | लेकिन क्यों? क्योंकि मैं अपने बॉस से परेशान हो गया हूँ | क्यों? क्योंकि उन्होंने मुझे अपमानित किया | क्यों? क्योंकि वे मेरी इज्ज़त नहीं करते |” इस तरह अपनी फीलिंग्स की तह तक पहुँचने तक “क्यों” वाले सवालों की झड़ी को जारी रखें |
  5. कई बार, आपको एक ही समय पर कई सारे इमोशन फील होते हैं | इन इमोशन्स को एक-दूसरे में उलझने से बचाना बहुत जरुरी होता है जिससे आप प्रत्येक इमोशन को खुद ही प्रोसेस होने दे सकते हैं | उदारहण के लिए, अगर आपका लम्बी बीमारी से पीडित कोई परिजन गुजर जाता है तो उन्हें खोने का दुःख हो सकता है लेकिन इस बात का सुकून भी होगा कि अब उन्हें और पीड़ा नहीं झेलनी पड़ेगी |
    • जटिल इमोशन प्राथमिक और द्वितीयक दोनों ही इमोशन्स के साथ उभरते हैं | प्राइमरी इमोशन उस सिचुएशन के लियी शुरूआती प्रतिक्रिया देते हैं और सेकेंडरी इमोशन प्राइमरी के साथ ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ जाते हैं | उदाहरण के लिए, अगर कोई आपसे ब्रेकअप कर लेता है तो आपको शुरुआत में दुःख होता है लेकिन फिर फील होता है की आप प्यार के काबिल ही नहीं थे | अपने प्राइमरी और सेकेंडरी इमोशन का अर्थ समझने से आपको खुद की मेंटल प्रोसेस की पूरी पिक्चर स्पष्ट रूप से समझ आ सकती है | [4]
विधि 2
विधि 2 का 3:

दूसरो के सामने अपनी फीलिंग्स का इज़हार करें

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  1. जब आप अपनी फीलिंग्स दूसरों के सामने एक्सप्रेस करें तो शक्तिशाली “मैं” कथन का इस्तेमाल करें क्योंकि इससे वे कनेक्शन बन पाते हैं और दूसरे खुद को गलत नहीं समझ पाते | आप कुछ इस तरह से कहते हैं, “आप मुझे _ फील कराते है” क्योंकि आप जिस व्यक्ति से बात कर रहे हैं, वो आपको दोषी ठहरता है लेकिन इसकी बजाय अपने कथन में सुधार करके कहें “मुझे फील होता है __”|
    • “मैं” कथन के तीन भाग होते हैं- इमोशन, व्यवहार और क्यों का भाव | जब “मैं” कथन का इस्तेमाल करें तो एक संतुलित वाक्य के रूप में इस तरह से कहें: “जब तुम मुझसे मेरे जॉब के बारे में बहस करते हो तो मुझे बहुत गुस्सा आता है क्योंकि यह मेरी काबिलियत को कमज़ोर करता है |”
  2. बातचीत की शुरुआत करके दूसरों को अपनी फीलिंग्स के बारे बताएं: तय करें कि आप दूसरों को किस तरह से अपनी फीलिंग्स के डिस्कशन तक लाकर आप काम शुरू कर सकते हैं | अगर आप किसी से अपनी फीलिंग्स किसी को बताने के बारे में तय करते हैं तो हमेशा उस व्यक्ति और अपने रिलेशनशिप के बारे में कुछ अच्छा कहते हुए सकारात्मक शुरुआत करें | इसके बाद, “मैं” कथन का इस्तेमाल करने हुए अपनी फीलिंग बताएं और जितना हो सके, ईमानदार रहें |
    • उदाहरण के लिए, कुछ इस तरह कहें, “मुझे तुम्हारे साथ समय बिताने में सच में बहुत मजा आता है | तुम मेरी लाइफ में बहुत महत्वपूर्ण हो और मैं तुम्हारे साथ एक गहराई से जुड़ना चाहता है | मुझे ये सब कहने में थोड़ी घबराहट हो रही है लेकिन मैं तुमसे खुलकर बात करना चाहता हूँ | मुझे फील होता है…”| [5]
    • प्रोफेशनल सेटिंग में, बातचीत की शुरुआत ईमानदार, डायरेक्ट और पॉजिटिव रहते हुए करें | उदाहरण के लिए, कुछ ऐसा कहें, "मैं आपकी कड़ी मेहनत की दिल से सराहना करता हूँ | मुझे बताएं कि हम किस तरह से आपकी मदद कर सकते हैं और कंपनी को सफलता दिला सकते हैं |" [6]
    • बातचीत की नेचुरल रहने दें और उस व्यक्ति की प्रतिक्रिया से खुद में हीन भावना न आने दें |
  3. फ़ीलिंग्स को एक्सप्रेस करने के लिए संवाद बहुत जरूरी होता है | अपनी फीलिंग्स शेयर करने के लिए कोई भरोसेमंद प्रियजनों के ग्रुप को चुनें | बात करते समय, फीलिंग्स की शब्दावली और “मैं” कथन का इस्तेमाल करते हुए यथासंभव स्पष्टता रखें | अगर आप शेयर कर रहे हैं कि आप किसी सिचुएशन में कैसा फील करते हैं तो उस सिचुएशन का और उसके कारण होने वाली फीलिंग्स का वर्णन स्पष्ट रूप से करें | आपके प्रियजन सुनेंगे और आपकी फीलिंग्स को समझेंगे भी |
    • आपके प्रियजन ऐसे अलग-अलग दृष्टिकोण भी दे सकते हैं जिनके बारे में आपने सोचा ही न हो | यह काफी मददगार साबित होता है जिससे आपको अपनी फीलिंग्स को सम्हालने में मदद मिल सकती है |
  4. दूसरों से बात करते समय उनकी बातों को ध्यान से सुनें: कम्युनिकेशन दोतरफा रास्ता होता है और असरदार कम्युनिकेशन के लिए आपको दूसरों की बातें भी ध्यान से सुनना चाहिए | जब कोई आपसे बात कर रहा हो तो उन्हें अपना पूरा अटेंशन दें (फ़ोन और दूसरी डिवाइसेस अलग रख दें), अपने सिर को हिलाते हुए अशाब्दिक प्रतिक्रिया दें और उनके कथन का फीडबैक भी दें | [7]
    • फीडबैक में स्पष्टीकरण के लिए भी पूछा जा सकता है, जैसे, “मैंने सुना कि आप कह रहे हैं, आपको फील होता है कि...” या कुछ इस तरह कहकर बोलने वाले के शब्दों को प्रतिबिम्बित करें, “ यह आपको महत्वपूर्ण लगता है क्योंकि…” | [8]
  5. किसी सिचुएशन पर इमोशनली रियेक्ट करने से पहले गहरी साँसे भरें | डीप ब्रीथिंग के बारे में वैज्ञानिक रूप से सिद्द हो चुका है कि ये आपको रिलैक्स करती हैं और ब्लड प्रेशर कम कर देती हैं | [9] अगर आप रियेक्ट करने से पहले गहरी साँसें ले लेते हैं तो अपने दिमाग को शांत कर सकते हैं और जिम्मेदारीपूर्ण प्रतिक्रिया दे सकते हैं | [10]
    • डीप ब्रीथिंग का असर देखने के लिए हर सप्ताह कम से कम तीन बार इसकी प्रैक्टिस करें |
  6. खुद को भरोसेमंद और पॉजिटिव लोगों के इर्द-गिर्द ही रखें: एक सामाजिक प्राणी होने के रूप में, हम स्थिति के अनुसार खुद को ढाल लेते हैं | अगर आप दूसरों की बुराई करने वाले लोगों के बीच रहेंगे तो आप नकारात्मकता की और अग्रसर रहेंगे | इसके विपरीत, अगर आप सकरात्मक माहौल में रखेंगे तो आप पनप सकेंगे और खुद को परिपोषित अनुभव करेंगे | आप जिन दोस्तों के साथ रहते हैं, वे ही आपको ऐसा वातावरण देंगे जिसमे आप तो सफल हो पाएंगे या नहीं | अगर आपके पास बहुत सारे दोस्तों का ग्रुप है तो आप उनके साथ अपनी सच्ची फीलिंग्स को ज्यादा आसानी से एक्सप्रेस कर पाएंगे | [11]
    • सही दोस्त चुनना, वास्तव में परखने और गलती करने की लम्बी प्रक्रिया हो सकती है | ऐसे दोस्त चुनें जो आपको प्रेरणा, सहारा दें, आपको सुधारें और ऊर्जा से भर दें |
  7. अगर आप अपने इमोशन को एक्सप्रेस न कर पाने की परेशानी से जूझ रहे हैं तो प्रोफेशनल हेल्प लें: अगर आपको अपने इमोशन एक्सप्रेस करने में परेशानी होती है तो इसमें आपकी कोई गलती नहीं हैं | आपको कोई ऐसा व्यक्ति खोजना होगा जो फीलिंग्स के बारे में बात करने में प्रशिक्षित हो और आपको खुद से एक्सप्रेस करने में मदद कर सके | आपको किसी ऐसे प्रोफेशनल व्यक्ति से मार्गदर्शन लेना होगा जो न केवल आपके इमोशन को एक्सप्रेस करा सके बल्कि इमोशन एक्सप्रेस न कर पाने की वजह की तह तक जा सके |
    • किसी प्रतिष्ठित ऑनलाइन वेबसाइट, कॉल लाइन्स पर थेरापिस्ट को खोजें और चाहें तो अपने धर्मगुरु से भी अपनी फीलिंग्स के बारे में बात कर सकते हैं |
विधि 3
विधि 3 का 3:

अपने इमोशन निजीतौर पर एक्सप्रेस करें

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  1. मैडिटेशन करें : मैडिटेशन एक ऐसी पावरफुल चीज है जिससे आपको तनाव या एंग्जायटी फील करने पर अपनी एनर्जी को फोकस करने और खुद को शांत रखने में मदद मिल सकती है | मैडिटेशन की शुरुआत करने के लिए, एक शांत और आरामदायक जगह खोजें जहाँ आप बैठ सकें | सामान्य सांस लेने के साथ शुरुआत करने और फिर नाक से धीरे-धीरे गहरी सांस भरें और फेफड़ों में हवा भरते हुए छाती ऊंची उठने दें | इसके बाद धीरे-धीरे मुंह से सांस छोड़ें | [12]
    • ब्रीथिंग करते समय प्रत्येक फीलिंग के बारे में सोचें, वो फीलिंग कहाँ से आई थी और आप उसके प्रति कैसे प्रतिक्रिया देना चाहते हैं |
  2. अपनी फीलिंग्स को पेपर में या अपने फ़ोन में लिखने की आदत बनायें | अपनी फीलिंग्स को मूर्तरूप देने से उन्हें व्यवस्थित और स्पष्ट करने में मदद मिल जाएगी | लिखने की आदत से देखा गया है कि बहुत हद तक स्ट्रेस कम हो सकता है, इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और ओवरऑल हेल्थ में सुधार आता है | [13]
    • हर दिन 20 मिनट लिखने की कोशिश करें | इसमें व्याकरण या विराम चिन्हों में होने वाली गडबडी की फ़िक्र न करें | अनावश्यक विचारों को रोकने के लिए जल्दी जल्दी लिखें | यह आपका अपना व्यक्तिगत लेखन है इसलिए अगर ये अस्पष्ट या असंगत हो तो भी घबराएँ नहीं | [14]
    • सबसे पहले, अपने विचारों पर बाँधने के लिए अच्छे एक्सपीरियंस के बारे में लिखें और उसके बाद उन एक्सपीरियंस से आपको कैसा फील हुआ, उसके बारे में लिखना शुरू करें |
    • अपनी फीलिंग्स का वर्णन कलर्स, मौसम या म्यूजिक के रूप में करें | उदाहरण के लिए, अगर आज आपने ख़ुशी अनुभव की थी तो उसे उसे उस रंग या उस तरह के मौसम के रूप में बताएं जिससे आपको ख़ुशी मिलती है | [15]
  3. असहनीय लगने वाले दिनों में और जब बहुत ज्यादा क्रोध, स्ट्रेस और एंग्जायटी हो तो आपको इन फीलिंग को रिलीज़ करना होगा | आपको इन्हें अपने अंदर बंद करके नहीं रखना है क्योंकि वहां वे नकारात्मक फीलिंग्स के नीचे दबकर रह जाएँगी और डिप्रेशन या शारीरक परेशानी आनुभव होने लगेंगी | [२१]
    • अपनी फीलिंग्स को रिलीज़ करने के दूसरे तरीके हैं- योग, खुद अपने चेहरे पर हलकी मसाज करना, और मनोरंजक एक्टिविटी में संलग्न रहना |
  4. जब हम उल्लास, ख़ुशी, संतोष और आनंद जैसी पॉजिटिव फीलिंग को अनुभव करते हैं तो उस पल को थामे रखें और शॉपिंग पर जाकर अपनी फेवरेट मिठाई खाएं या दोस्तों के साथ बाहर जाकर खुद को ट्रीट दें |
    • सकरात्मक रवैये का इस्तेमाल करते हुए इन अच्छी फीलिंग्स के लिए खुद को प्रोत्साहन देने से अंदर से ख़ुशी मिलने पर आपका ब्रेन भी उससे जुड़ जायेगा और ये चीज़ें बाहरी तौर पर भी खुशियाँ देने लगेंगी | [17] इस तरह से, आप अपनी सोच को सकरात्मक बना पाएंगे |
  5. किसी सिचुएशन में अपनी फीलिंग्स को एक्सप्रेस करने के अलग-अलग तरीको की कल्पना करें: इस तरह से आप अपनी फीलिंग्स को उसी तरह से एक्सप्रेस कर सकते हैं, जैसा आप चाहते हैं | आप उपस्थित प्रत्येक सिचुएशन में पॉजिटिव या नेगेटिव प्रतिक्रिया दे सकते हैं और सभी संभावित प्रतिक्रियाओं के बारे में कल्पना करने से उस सिचुएशन में दी जाने वाले सच्ची फीलिंग को एक्सप्रेस करने में मदद मिल सकती है | [18]
    • उदाहरण के लिए, आपका करीबी दोस्त शहर छोड़कर जा रहा है और आपको अहसास होता है कि आप उसके छोड़कर जाने के कारण उदास और दुखी हैं | आप उसे अनदेखा करना चुन सकते हैं या उससे लड़ाई कर सकते हैं जिससे खुद को ज्यादा दर्द न हो पाए या फिर उसके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिता सकते हैं |

सलाह

  • कई बार, फीलिंग्स को हंडल करना काफी मुश्किल हो जाता है और इस समय और सबसे ज्यदा जरूरत एक ब्रेक की होती है | इसका मतलब यह नहीं है कि आप उनके अस्तित्व को अनदेखा कर दें लेकिन आपको एक ब्रेक लेना पड़ेगा और जब आप तैयार हो जाएं तब इसका समाधान निकाल सकते हैं |
  • खुद पर दया करें और अगर आप फीलिंग्स को एक्सप्रेस न कर पाने की समस्या से जूझ रहेह अं तो बहुत ज्यादा दुखी न हों |
  • इमोशन को पहचानना और उन्हें एक्सप्रेस करना कोई आसान प्रोसेस नहीं होती | इसमें खुद को समझने और दूसरों पर पढने वाले इसके प्रभाव को भी परखने की प्रैक्टिस भी करनी पड़ती है |
  • अगर सब कुछ नकारात्मक हो तो किसी भी चीज़ से खुद को एक्सप्रेस करें | रोने की कोशिश करें | अगर बहुत सारी फीलिंग्स अंदर दबी हुई हैं तो आप अपने आंसू नहीं रोक सकते लेकिन फीलिंग को अंदर दबाकर रखें की बजाय यही बेहतर होता है |

चेतावनी

ख़राब बर्ताव, नशा करके, ड्रग्स की हैबिट से या खुद को चोट पहुंचाकर खुद पर अपना गुस्सा न निकालें | अगर आपको लगता है कि आप इस परेशानी को अनुभव कर रहे हैं तो किसी प्रोफेशनल की मदद लें |

  • अगर इमोशन को किसी ददूसरे व्यक्ति के साथ डिस्कस किया जा सकता है तो उन्हें दबाएँ नहीं | इन इमोशन को दबाने से लम्बे समय तक ये आपको दुःख ही देते रहेंगे |

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