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सेक्सुअल ओरिएंटेशन बाइनरी नहीं होता है – वह एक स्पेक्ट्रम के रूप में एक्ज़िस्ट करता है। इसके परिणामस्वरूप, अपनी सेक्सुअल पसंद को पहचानना और अपने सेक्सुअल ओरिएंटेशन को स्वीकार करना अक्सर एक लंबी, जटिल तथा भावनात्मक यात्रा होती है। इस प्रोसेस पर चल पड़ना बहुत ओवरव्हेलमिंग लग सकता है। स्वयं को एम्पावर करिए ताकि आप अपने वास्तविक सेल्फ़ को अनकवर कर सकें। अपने साथ ईमानदार और खुली रहिए – अपनी इन्स्टिंक्ट्स पर विश्वास करिए। अपने शरीर की बात सुनिए। अपनी वास्तविक भावनाओं तथा टेंडेंसीज़ को मान लीजिये। इस पूरे प्रोसेस में आप अपने बारे में जो भी खोज पाती हैं, उसे स्वीकार करिए।

विधि 1
विधि 1 का 3:

अपने सेक्सुअल प्रेफ़रेन्सेज को पहचानिए

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  1. यह एवैल्यूएट करिए कि आप किस कारण से अपने सेक्सुअल ओरिएंटेशन पर प्रश्न कर रही हैं: अपने सेक्सुअल ओरिएंटेशन को एक्सप्लोर करने का निर्णय आपकी अपनी निजी चॉइस है। अपनी सेक्सुअलिटी पर इसलिए सवाल उठाइए क्योंकि यह एक ऐसा प्रोसेस है जिसे आप पूरा करना चाहती हैं, न कि इसलिए क्योंकि समाज के सदस्य आपसे कह रहे हैं कि आप लेस्बियन हैं। सेल्फ़-रिफ्लेक्शन के लिए कुछ समय दीजिये। एक जर्नल रखने, प्राइवेट ब्लॉग बनाने, या निजी वीडियो डायरी रखने से आपको सेल्फ़-एक्स्प्लोरेशन तथा डिस्कवरी के लिए आउटलेट मिल जाते हैं। [१]
  2. रोमांटिक आकर्षण का मतलब होता है किसी लड़की को देखना और उसे डेट करने की इच्छा करना। इन चीज़ों पर विचार करिए:
    • क्या आप किसी लड़की को चेक-आउट करती हैं? क्या आप किसी लड़की की स्माइल, विशेषताओं और फीचर्स पर ध्यान देती हैं?
    • जब आप किसी आकर्षक लड़की को देखती हैं, तब क्या आपके दिल की धड़कनें तेज़ हो जाती हैं और आपके अंदर कंपकंपी होने लगती है?
    • क्या आप लगातार किसी ख़ास लड़की के बारे में डे-ड्रीम करती रहती हैं?
    • क्या किसी लड़की के हाथ को पकड़ने, उसके साथ बाहर जाने का, या उसे किस करने का विचार आपको एक्साईट कर देता है?
    एक्सपर्ट टिप

    Eric A. Samuels, PsyD

    क्लीनिकल सायकोलॉजिस्ट
    एरिक ए सैम्युल्स, Psy.D. सैनफ़्रांसिस्को और ओकलैंड, कैलिफोर्निया में एक लाइसेंस्ड क्लीनिकल सायकोलॉजिस्ट हैं। उसे 2016 में राइट इंस्टीट्यूट से क्लीनिकल साइकोलॉजी में Psy.D. की डिग्री प्राप्त की और वह अमेरिकन साइकोलॉजिकल असोसिएशन, साइको थेरपिस्ट असोसिएशन फॉर जेंडर तथा सेक्सुयल डाइवर्सिटी, गेलेस्टा, के मेंबर हैं। एरिक को पुरुषों, युवा वयस्कों, तथा डाइवर्स सेक्सुयल ओरिएंटेशन तथा जेंडर आइडेंटिटीज़ के लिए काम करने में विशेषज्ञता प्राप्त है।
    Eric A. Samuels, PsyD
    क्लीनिकल सायकोलॉजिस्ट

    हमारे विशेषज्ञ मानते हैं: जब आप अपनी सेक्सुअल पहचान या अपनी जेंडर पहचान पर प्रश्न उठाती हैं, तब बात यहीं पर आ कर टिक जाती है कि आप स्वयं को किसकी तरफ़ आकर्षित होता हुआ पाती हैं। अपनी सेक्सुअलिटी से परिचित होने के लिए, या रोमांटिक रिलेशनशिप के बारे में आपका क्या विचार होगा, इसे जानने के लिए कुछ समय लगाइए। सोचिए कि आप खुद को किसकी ओर ग्रैविटेट होता हुआ पाती हैं, या कौन आपको आकर्षक लगता है। वे आपकी कम्यूनिटी के लोग हो सकते हैं, या शायद वे लोग टीवी या फ़िल्म जैसे मीडिया के लोग भी हो सकते हैं।

  3. विचार करके देखिये कि क्या आप लड़कियों की तरफ़ सेक्सुअली आकर्षित होती हैं: क्या आपको लगता है कि कोई ख़ास लड़की बहुत हॉट है? क्या आप लड़कियों द्वारा सेक्सुअली अराउज़ होती हैं? क्या आप यह सोचना पसंद करती हैं कि कोई लड़की नंगी होने पर कैसी लगेगी? क्या आप लड़कियों को किस करना या उनके साथ सेक्स करना पसंद करती हैं? अगर ऐसा है, तब क्या आप लड़कियों की ओर सेक्सुअली आकर्षित होती हैं?
  4. अगर आप अपनी सेक्सुअल ओरिएंटेशन को पहचानने की कोशिश कर रही हैं, तब सेक्सुअल ओरिएंटेशन टेस्ट लेने से आपकी सेक्सुअल पसंद के बारे में नई वास्तविकताएँ खुल कर सामने आ सकती हैं। अगर आपको अपने सेक्सुअल प्रेफ़रेन्सेज़ को पहचानने के बारे में यकीन है, तब ये टेस्ट के परिणाम आपके सेल्फ़-असेस्मेंट को कनफर्म कर सकते हैं। यह बात ध्यान में रखिएगा: ऑनलाइन सेक्सुअल ओरिएंटेशन टेस्ट्स अक्सर आधिकारिक नहीं होते हैं बल्कि इनसे कुछ मदद भी नहीं मिलती है। उनमें से कुछ में आपको हाइपोथेटिकल सेक्सुअल परिस्थिति में आप ही के जेंडर के किसी दूसरे व्यक्ति के साथ सेट-अप कर देते हैं, और पूछते हैं कि क्या आपको 'यह पसंद है', मगर इससे कुछ साबित नहीं होता है। हो सकता है, कि आप लेस्बियन हों, मगर जिस सेक्सुअल एक्टिविटी का वर्णन उन्होंने किया है, वो आपको नापसंद हो। किंज़ी स्केल टेस्ट शायद सबसे विश्वसनीय टेस्ट है, क्योंकि उसे किसी वास्तविक साइकोलॉजिस्ट ने बनाया है।
    • किंज़ी स्केल टेस्ट लीजिये: किंज़ी स्केल, सेक्सुअल ओरिएंटेशन को असेस करता है। इस टेस्ट को इसलिए बनाया गया था ताकि यह पता चल सके कि आप इस स्केल पर – स्ट्रेट से गे के बीच कहाँ पर हैं। आपको स्ट्रेट, बाईसेक्सुअल या गे का लेबल नहीं दिया जाएगा। इस टेस्ट में 13 सत्य/असत्य सवाल होते हैं, और इसमें बहुत कम डेमोग्राफ़िक जानकारी पूछी जाती है। [२]
    • एपस्टाइन सेक्सुअल ओरिएंटेशन इनवेंटरी (ईएसओआई) टेस्ट लीजिये। अमरीका के सबसे प्रख्यात साइकोलॉजिस्ट्स में से एक, रॉबर्ट एपस्टाइन द्वारा बनाए गए इस टेस्ट में, व्यक्ति के सेक्सुअल ओरिएंटेशन को इवैल्यूएट किया जाता है। आपके सेक्सुअल ओरिएंटेशन को लेबल करने के स्थान पर, इस टेस्ट में यह खुलासा किया जाता है कि सेक्सुअल ओरिएंटेशन कंटिन्युअम में आप कहाँ पर हैं। इस 18 सवाल वाले टेस्ट में आपका केवल 5 मिनट का समय लगेगा। [३]
विधि 2
विधि 2 का 3:

अपनी सेल्फ़-डिस्कवरीज़ को मानना और स्वीकार करना

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  1. मान लीजिये कि आपके कुछ सेक्सुअल प्रेफ़रेन्सेज़ हैं: अपनी सेक्सुअल इच्छाओं को अवॉइड करना या उनको ओवरकंपेन्सेट स्वाभाविक है – भयभीत या ओवरव्हेल्म्ड महसूस करना भी स्वाभाविक है! मगर इससे आगे बढ़ जाने के लिए, आपको वलनरेबल और ईमानदार होना पड़ेगा। जब एक बार आप अपनी सेक्सुअल प्रेफरेंसेज़ को सप्रेस करना छोड़ देंगी और यह मानना शुरू कर देंगी कि वे हैं ही, तब अप सेल्फ़-एक्सेप्टेन्स की दिशा में काम कर सकेंगी।
    • सेक्सुअल प्रेफरेंसेज़ एक कंटिन्युअम में होते हैं। यह लगातार बदलता रहता है, स्टैटिक नहीं होता है। हो सकता है कि आपका सेक्सुअल प्रेफ़रेन्स किसी स्टैण्डर्ड परिभाषा से अलाइन न करे, और इसमें कोई ग़लत बात नहीं है। यह बहुत हे कॉमन और नॉर्मल है। [४]
      • हो सकता है कि बाईसेक्सुअल्स दोनों सेक्स के सदस्यों की ओर बराबरी से आकर्षित न होते हों। हो सकता है कि वे लड़कों की तुलना में लड़कियों को या लड़कियों की तुलना में लड़कों को अधिक पसंद करते हों।
      • जो लड़कियां लेस्बियन के रूप में पहचानी जाती हैं, उन्हें भी कभी-कभी लड़के आकर्षक लग सकते हैं।
  2. सेल्फ़-एक्सेप्टेन्स की ओर की जाने वाली यात्रा में, यह मान लेना कि आप लेस्बियन हैं, इस ग्रैजुअल प्रोसेस का पहला कदम है। अक्सर यह मान लेना वाली बात रातों-रात नहीं आती है। जैसे-जैसे आप अपने सेक्सुअल ओरिएंटेशन के साथ कम्फ़र्टेबल होती जाएंगी, आपको पता चलेगा कि एक व्यक्ति के रूप में यह आपको डिफ़ाइन नहीं करता है। कोशिश करिए कि आप अपना जीवन बिना किसी क्षमायाचना के बिता सकें – अपने आप को अपराधबोध और शर्मिंदगी से छुटकारा दिलाइये।
  3. अगर आपका लालन पालन किसी बहुत ही कंजरवेटिव घराने में हुआ है या आप किसी असहनशील कम्यूनिटी में बड़ी हुई हैं, तब हो सकता है कि आपकी सेक्सुअल पहचान आपके उन मॉरल्स तथा धार्मिक विश्वासों से कॉन्फ़्लिक्ट में हो, जिन्हें बचपन से आपके मन में बैठाया गया था। जानबूझ कर आपकी भाषा और विचारों को बदलना आपके सही और ग़लत के परसेपशन को शिफ़्ट करने का बहुत प्रभावी तरीका है। अपने आप को यह बताना बंद करिए कि आप प्यार और खुशी के लायक नहीं हैं, और एक मनुष्य के रूप में अपनी कीमत पर विश्वास करना शुरू करिए। अपने आप को यह बताने की जगह कि लेस्बियन होना पाप है, यह मान लीजिये कि आपका सेक्सुअल प्रेफ़रेन्स स्वाभाविक, स्वस्थ और स्वीकार्य है।
    • निगेटिव सेल्फ़-टॉक करने की आदतों को पहचानना शुरू करिए। आप खुद से कौन से हानिकारक झूठ बोल रही हैं? क्या ये विचार कुछ ख़ास परिस्थितियों के कारण पैदा होते हैं, जैसे कि परिवार के किसी सदस्य के साथ बातचीत के दौरान?
    • इन निगेटिव फ़्रेज़ेज़ को अपने आप बनाए हुये पॉज़िटिव मंत्रों से रिप्लेस कर दीजिये। जब भी आप अपने आप को यह कहता हुआ पाएँ, "मैं इस लायक नहीं" या "मैं इस ख़ुशी की पात्र नहीं," तब एक गहरी सांस लीजिये, अपने चेहरे पर एक स्माइल लाइये और खुद को बताइये कि आप "कीमती हैं, आपसे लोग प्यार करते हैं, और आप एक ऐसे वास्तविक जीवन को जीने की एनटाइटल्ड हैं जिससे आपको ख़ुशी मिलती है!"
  4. खुल कर सामने आने के समय का निर्णय करना, अक्सर भावनात्मक रूप से बहुत ही पीड़ादायक निर्णय होता है जिसके संभावित परिणाम भी हो सकते हैं। अपने परिवार, मित्रों, तथा क्लासमेट्स के सामने खुल कर आने से पहले यह देख लीजिये कि क्या ऐसा करना सुरक्षित है। [५]
    • यह थ्योराइज़ करने के लिए कि आपके पेरेंट्स तथा पीयर्स का रिएक्शन कैसा होगा, किसी पीडियाट्रीशियन या काउंसेलर से बात कर लीजिये। सोच कर देखिये कि आपके पेरेंट्स और पीयर्स किस प्रकार से गे लड़कों और लड़कियों के बारे में बातें करते हैं। सोच कर देखिये कि इस कठिन समाचार के बारे में वे किस प्रकार से रिएक्ट करेंगे। [६]
  5. यह जान लीजिये कि आपकी यह सेल्फ़-एक्सेप्टेन्स की यात्रा दूसरों को भी प्रभावित करेगी: हालांकि अपने सेक्सुअल ओरिएंटेशन को खोजने और उसे स्वीकार करने की यात्रा बहुत ही निजी होती है, मगर यह स्वीकार कर लेना भी आवश्यक है, कि इसका प्रभाव दूसरों के साथ आपकी रिलेशनशिप्स पर भी पड़ेगा। मित्रों, परिवार के सदस्यों, तथा सहकर्मियों को खुल कर बताना बहुत तनाव पैदा करने वाला काम हो सकता है! आप जितने लोगों को भी जानती हैं या जिनसे मिलती हैं, उन सभी को खुल कर बताने की ज़रूरत नहीं है। जब आप कम्फ़र्टेबल हों और कॉन्फिडेंट महसूस कर रही हों, तब पहले उन्हीं के सामने इस विषय को उठाइए जिनके साथ आप कम्फ़र्टेबल हों। निगेटिव रिस्पोंसेज के लिए तैयार रहिए और पॉज़िटिव रिएक्शन्स के लिए आभारी। [८]
  6. अपनी सेक्सुअल पहचान को प्रोसेस करना और अपने आप को स्वीकार करना एक लंबा, जटिल प्रोसेस है। सोशल स्टिग्मा को सहन करना मानसिक और भावनात्मक रूप से ड्रेनिंग होता है। किसी क्वालिफ़ाइड थेरपिस्ट से मिलना – एक ऐसा प्रोफ़ेशनल जिसे एलजीबीटीक्यू कम्यूनिटी के लोगों को काउंसेल करने का अनुभव हो – आपको इस प्रोसेस से नेविगेट करने में सहायक हो सकता है। थेरपिस्ट, आपकी, अपने सेक्सुअल ओरिएंटेशन को स्वीकार करने में मदद कर सकता है, और अपने परिवार तथा पीयर्स के सामने खुल कर आने के प्रोसेस में भी सहायता कर सकता है।
विधि 3
विधि 3 का 3:

वास्तविक जीवन जीना

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  1. हालांकि समाज लेस्बियन की एक स्टीरियोटिपिकल छवि दिखाता है, मगर लेस्बियन कम्यूनिटी में विभिन्न तरह की महिलाएं है जो अलग-अलग बैकग्राउंड से होती हैं। जब आप लेस्बियन कम्यूनिटी को एक्सप्लोर और अनुभव करें, तब प्रयास करिए कि अपनी नई कम्यूनिटी के बारे में जो भी मिल सके और जो भी हो सके वो सब कुछ जान लीजिये। समय के साथ, आपको पता चलेगा कि आप कम्यूनिटी में किस जगह पर हैं। आप खुद डिफ़ाइन सकेंगी कि लेस्बियन होने का मतलब क्या है, और उसी के हिसाब से अपना जीवन जी सकेंगी।
  2. खुद को एलजीबीटीक्यू कम्यूनिटी के बारे में शिक्षित करिए: एलजीबीटीक्यू कम्यूनिटी के बारे में जानकारी की एक फ़ाउंडेशन बना लेने से – उसके अतीत, उसके वर्तमान, और उसके भविष्य को जान लेने से – आपको ज्ञान प्राप्त होगा। इससे आपको पता चलेगा कि संभावित अवरोध क्या हैं, और आपको यह इनसाइट भी मिलेगी कि किस तरह उन बैरियर्स को पार किया जा सकता है।
    • जानिए कि किस तरह सेक्स और जेंडर के बीच में अंतर किया जा सकता है; अपने आप को सेक्सुअल ओरिएंटेशन के स्पेक्ट्रम से परिचित कराइए।
    • अकादमिक साहित्य पढ़िये - एलजीबीटीक्यू विषयों के बारे में स्कॉलरशिप बढ़ती ही जा रही है!
    • एलजीबीटीक्यू इशूज़ के बारे में जो समाचार आयें उनके बारे में अप-टू-डेट रहिए।
  3. अकेलेपन से बड़ी, कोई पीड़ा नहीं होती। यह आवश्यक है कि आपकी पूरी सेल्फ़-एक्सेप्टेन्स यात्रा के दौरान, आपके साथ कोई विश्वसनीय मित्र या रिसेप्टिव सपोर्ट ग्रुप उपलब्ध रहे। जब यात्रा कठिन हो जाएगी, तब ये लड़के और लड़कियां आपको सलाह और कमफ़र्ट देंगे।
    • उन मित्रों तथा परिवार के सदस्यों में कनफ़ाइड करिए जिन पर आप विश्वास कर सकते हों।
    • किसी स्थानीय सपोर्ट ग्रुप में शामिल हो जाइए या किसी ऑनलाइन सपोर्ट कम्यूनिटी की सदस्य बन जाइए। [९]
    • किसी एलजीबीटीक्यू-एफ़र्म करने वाले चर्च, मंदिर, या पूजागृह में जाने से आप बहुत से ऐसे सपोर्टिव लड़कों और लड़कियों के संपर्क में आ सकती हैं जिनकी धार्मिक वैल्यूज आप जैसी ही होंगी।
      • gaychurch.org में आपको एलजीबीटीक्यूआई-एफ़र्म करने वाले चर्चेज़ की लिस्ट मिल जाएगी।
      • एक छोटी सी इन्टरनेट सर्च से आपको अपने इलाके में स्थित एलजीबीटीक्यूआई-एफ़र्म करने वाले चर्चेज़, मंदिर, या पूजा की दूसरी जगहों की लिस्ट भी मिल सकती है।
  4. गे-स्ट्रेट एलायंसेज़ (GSA) से हाई स्कूलों में पढ़ने वालों तथा मिडल स्कूल वालों को अपने सेक्सुअल ओरिएंटेशन की खोज करने और अपने आपको पहचानने के लिए, एक सुरक्षित जगह मिल जाती है। जीएसए से किशोरों को सपोर्ट ग्रुप तथा सोशल नेटवर्क उपलब्ध हो पाता है। अगर आपके स्कूल में कोई जीएसए नहीं है, तब स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन के साथ मिल कर एक क्लब की स्थापना करिए। [१०]
  5. एलजीबीटीक्यू रिसोर्स सेंटर लोकेट करिए और उसका इस्तेमाल करिए: एलजीबीटीक्यू रिसोर्स सेंटर, शहरों में और कॉलेज कैम्पसेज़ के अंदर होते हैं। रिसोर्स सेंटर्स छात्रों को उपयोगी टूल्स तथा विश्वसनीय सेवाओं से कनेक्ट करते हैं। वे एलजीबीटीक्यू छात्रों को अपने सेक्सुअल ओरिएंटेशन तथा पहचान को एक्सप्लोर करने के लिए एक सुरक्षित, इंक्लूसिव जगह उपलब्ध कराते हैं।

सलाह

  • अगर आपका सेक्सुअल और रोमांटिक आकर्षण अलाइन नहीं होता है, तब भी ठीक है। एसेक्सुअल लेसबियन्स तथा एरोमांटिक लेसबियन्स भी होती हैं।

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