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ड्रॉइंग एक ऐसा हुनर है जिसके बारे में अधिकतर लोगों का मानना है कि ये एक नेचुरल टैलेंट होता है | लेकिन यह बात सच्चाई से बहुत दूर है | चौकन्नी आँखें और खूब सारी प्रैक्टिस से कोई भी बेहतर चित्रकार बन सकता है |

विधि 1
विधि 1 का 3:

अपनी ड्रॉइंग को इम्प्रूव करें

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  1. प्रैक्टिस, प्रैक्टिस और बस प्रैक्टिस ही करनी है | दुनिया के सभी फेमस आर्टिस्ट्स का यही एक मंत्र है और अपनी ड्रॉइंग को सुधारने के लिए प्रैक्टिस ही सबसे असरदार उपाय है | बल्कि दिन में कुछ देर स्केच करने से आपका दिमाग आर्ट में संलग्न होने लगता है और नयी तकनीकें सीखने में आपकी मदद करता है |
  2. अगर आपके पास हमेशा एक छोटी नोटबुक रहेंगी तो कुछ भी ड्रॉइंग करने की संभावना खुली रहेंगी और आप चाहे बस में बैठे हों या बाहर हों, सभी जगह नेचुरल सीन्स से लाकर शहर की स्काईलाइन्स तक सब कुछ ड्रॉइंग कर सकते हैं | बेहतर ड्रॉइंग करने के लिए आपको प्रैक्टिस करनी पड़ेगी इसलिए खुद को हर समय प्रैक्टिस के लिए तैयार रखें |
  3. पेन्सिल कई तरह की रेटिंग में आती हैं, जो उनकी कठोरता और मार्क की मोटाई को दर्शाती हैं | “H” लेबल वाली पेन्सिल काफी हार्ड होती है और इससे पतली, हलकी लाइन्स बनाती है जबकि “B” लेबल वाली पेन्सिल मोटी और डार्क लाइन्स के लिए बेहतर होती हैं |
    • आप किसी भी आर्ट स्टोर से स्टार्टर पेन्सिल्स का एक अच्छा सा सेट खरीद सकते हैं जिसमे 4H, 3H, 2H, H, HB, B, 2B, 3B और 4B पेन्सिल्स शामिल हों | [1]
    • सभी पेन्सिल चला कर देखें कि वे कैसा काम कर रही हैं | लाइन्स के अंतर को नोट करते जाएँ और अलग-अलग ड्रॉइंग के हिसाब से अलग-अलग पेन्सिल्स इस्तेमाल करते जाएँ |
  4. टेक्सचर, कलर और ब्लेंडिंग (blending) के साथ एक्सपेरिमेंट करें: अपनी स्केचबुक में कुछ पेजेज का इस्तेमाल यह देखने के लिए करें कि पेज पर पेन्सिल के कलर कैसे दिखाई दे रहे हैं, कैसे अँगुलियों या टिश्यू से कलर को एकसाथ ब्लेंड किया जा सकता है और साधारण से स्पॉट पर शेड कैसे करना है | अपनी ड्रॉइंग को सुधारने के लिए आपको समझना होगा कि मटेरियल किस तरह से काम करते हैं और सही लाइन्स के लिए सही पेन्सिल्स का इस्तेमाल करना होगा |
    • 3 से 4 टाइमलाइन्स बनायें और प्रैक्टिस करें | आप प्रत्येक पेन से पूरी तरह काली या पूरी तरह सफ़ेद शेडिंग लाइन्स कैसे बना सकते हैं ?
  5. लोकल आर्ट क्लास ज्वाइन करें या आर्ट थ्योरी पढ़ें: हालाँकि कई युवा आर्टिस्ट्स को लगता है कि वे खुद को ड्रॉइंग सिखा सकते हैं लेकिन ऐसी कई तरह की तकनीकें होती हैं जो कोई अनुभवी टीचर ही सिखा सकता है | दृष्टिकोण (perspective), सममिति (proportion) की प्रैक्टिस करने में समय बिताएं और लाइव मॉडल्स की ड्रॉइंग बनायें | किसी आर्ट टीचर के साथ आर्ट स्टूडियो में बिताये गए समय से आपको गलतियाँ खोजने और खुद सीखने की बजाय ज्यादा जल्दी उन गलतियों को सुधारने में मदद मिल सकती है | हालाँकि, आपको किसी क्लास में जाने की जरूरत नहीं पड़ती बल्कि आप ऑनलाइन भी ड्रॉइंग सीख सकते हैं | इसीलिए, अगर अगर आप अपने घर पर ही आराम से ड्रॉइंग सीखना चाहते हैं तो ऑनलाइन सीखने का ऑप्शन सस्ता, महंगा या फ्री भी मिल सकता है |
    • आप लोकल ड्रॉइंग क्लासेज के लिए लोकल आर्ट स्टोर, पार्क डिपार्टमेंट या कम्युनिटी कॉलेज में जा सकते हैं |
  6. हालाँकि आपको कभी भी किसी दूसरे आर्टिस्ट के काम की कॉपी करके उसे अपना नाम नहीं देना चाहिए लेकिन फोटोज कॉपी करने या हाथों से ड्रॉइंग बनाने की कई मूल्यवान तकनीकें सीख सकते हैं | चूँकि पिक्चर 2-डायमेंशनल होती है इसलिए आपको दृष्टिकोण (perspective) सीखने का स्ट्रेस नहीं लेना है बल्कि पूरा फोकस लाइन्स और एंगल पर ही रखना है | [2]
    • क्लासिक ड्रॉइंग्स को फिर से बनाने के लिए किंग ऑफ़ ह्यूमन एनाटोमी मास्टर-द विन्ची से सीखें क्योंकि उनकी ड्रॉइंग से बहुत कुछ सीखा जा सकता है |
    • कभी भी कॉपी या ट्रेस न करें क्योंकि ऐसा करने से आप वास्तव में ड्रॉइंग की प्रैक्टिस नहीं करते बल्कि सिर्फ लाइन्स बना रहे होते हैं |
  7. ऊपर से नीचे की ओर ड्रॉइंग करने से आप ड्रॉइंग को सही दिखाने की कोशिश करने के बारे में भूल जाते हैं और इसकी बजाय आप वही ड्रॉ करते हैं जो आप सच में देख रहे होते हैं | ऐसा ही एकसमान रिजल्ट आपको मिरर के जरिये या खराब या फोटोशॉप की गयी इमेज के साथ ड्रॉइंग करने पर भी मिलता है | [3]
  8. एकदम सटीक रूपरेखा बनाने के लिए किसी ऑनलाइन इमेज को सरल तरीके से देखने की बजाय थोड़े ज्यादा प्रयास की जरूरत होती है | बेस्ट आर्टिस्ट और आर्ट टीचर बुक्स, वास्तविक उदाहरणों और लाइन्स बनाने की समझ से परिपूर्ण होते हैं | लेकिन यह आपके द्वारा बनायीं जाने वाली ड्रॉइंग के टाइप पर निर्भर करता है | सभी आर्टिस्ट्स को समय गुजर जाने पर भी अपनी स्केचबुक से लाभ मिलता रहता है |
    • अगर आप लोगों की ड्रॉइंग बना रहे हैं तो ह्यूमन एनाटोमी की सचित्र पुस्तक खरीदें या लाइव मॉडल वाली ड्रॉइंग क्लासेज के लिए साइन-अप करें |
    • अगर आप जानवर का चित्र बना रहे हैं तो अपनी स्केचबुक के साथ एक दिन चिड़ियाघर में बिताएं या कोई एनिमल एनाटोमी की सचित्र पुस्तक खरीदें |
    • अगर आप लैंडस्केप्स या सिटी सीन बना रहे हैं तो आपको इनके दृष्टिकोण वाली किताब खरीदने होगी जिससे आप अपनी ड्रॉइंग में एकदम सटीक गहराई दे सकें |
  9. इन छोटी, कड़ी हुई कठपुतलियों में कई तरह के जॉइंट्स होते हैं जिन्हें अपनी जगह पर हिलाया जा सकता है और ये परफेक्ट मानव आकृति वाली होती हैं | इसके अलावा, कठिन पोज़ ड्रॉ करते समय ये काफी उपयोगी साबित होते हैं | डॉल को आसानी से सही पोजीशन में रखें और इस पर से ड्रॉइंग करने के लिए स्केच करें | बाद में करैक्टर उभारने के लिए सुधार कर लें |
    • अगर आपके पास कोई मॉडल न हो तो स्कूल की बायोलॉजी डिपार्टमेंट से स्केलेटन लेकर सममिति सीखें |
    • इनमे भी मॉडल के एनाटोमिकली हाथ, सिर और स्केलेटन सिस्टम को सही तरीके से बनाते हैं लेकिन ये काफी महंगे होते हैं |
    • ड्रॉइंग के लिए लकड़ी की डॉल्स काफी अच्छी होती हैं और बॉडी की ड्रॉइंग सीखें के लिए ये काफी सस्ता ऑप्शन होती हैं |
विधि 2
विधि 2 का 3:

परफेक्ट आकृति वाली ड्रॉइंग

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  1. जानें कि आकृति ड्रॉ करने के लिए केवल लाइन्स बनानी होती हैं: आकृति (कंटूर) किसी ड्रॉइंग की आउटलाइन होती हैं | इनमे कोई ब्लेंडिंग या शेडिंग नहीं होती, सिर्फ लाइन्स होती हैं | फाइनल ड्रॉइंग के लिए अच्छी कंटूर लाइन्स बहुत जरुरी होती हैं क्योंकि इनसे ही ड्रॉइंग को सही शेप और सममिति मिलती है |
    • आमतौर पर, किसी ड्रॉइंग में कंटूर लाइन्स ही सबसे पहले बनायीं जाती हैं |
  2. ऐसा करना आमतौर पर नौसीखिए आर्टिस्ट्स के लिए जरुरी होता है जो अपना काम सही दिशा में करने की कोशिश कर रहे हों लेकिन एकदम सटीक ड्रॉइंग बनाने के लिए यह सच में बहुत जरुरी होता है | उदाहरण के लिए, अगर आप किसी बड़े सीन को बना रहे हैं तो धुंधली लाइन्स के साथ शुरुआत करें जो आपको ड्रॉइंग में हॉरिजॉन्टली और वर्टीकली दोनों ही रूप में तीसरे हिस्से में ब्रेक हो जाए | इससे आपके पेज में छोटे-छोटे नौ बॉक्स बन जाने चाहिए | इससे आपको अपनी ड्रॉइंग को फ्रेम करने में मदद मिलेगी और काम करते समय जो चीज़ जहाँ होनी चाहिए, उसे आप आसानी से उस जगह पर ड्रॉ कर पाएंगे |
  3. दो चीज़ों के बीच साइज़ में अंतर ही सममिति हैं | उदाहरण के लिए, अगर आप अपने हाथ और पैर को सममिति से बाहर बनाते हैं तो आप की ड्रॉइंग अशिष्ट और एकतरफा दिखेगी | एक आँख बंद करके वस्तु के साथ पेन्सिल को लाइनअप करें | आपका हाथ पूरी तरह से फैला हुआ होना चाहिए | पेन्सिल को एक रुलर की तरह इस्तेमाल करें और अंगूठे से वस्तु की लम्बाई को मार्क करें | इसके बाद आप अपने पेज पर मौजूद दूसरी चीज़ से इस दूरी की तुलना कर सकते हैं | बल्कि आप चाहें तो अपनी ड्रॉइंग के लिए पेज पर किसी ख़ास दूरी पर पेन्सिल से मार्क कर सकते हैं | [4]
    • मदद के लिए आप पानी गाइडलाइन्स का भी इस्तेमाल कर सकते हैं | पता लगाएं कि गाइडलाइन्स के किस “बॉक्स” में वस्तु फिट हो सकती है ? क्या वे पूरा पेज घेर लेंगी या एक तिहाई हिस्सा घेर पाएंगी?
  4. काम शुरू करने से पहले प्रत्येक ड्रॉइंग की बेसिक स्केच बना लें: आधी ड्रॉइंग होने के बाद जब यह पता चले कि आपके करैक्टर के हाथ बहुत छोटे रह गये हैं, तो इससे बुरी फीलिंग और कुछ नहीं होगी | अच्छे आर्टिस्ट्स जानते हैं कि ड्रॉइंग शुरू करने से पहले ही इस रुकावट से कैसे बचा जाए | हर चीज़ की सममिति को मार्क करने के लिए सरल शेप बनायें | उदाहरण के लिए, व्यक्ति के सिर को बनाने के लिए अंडाकार बनायें, धड़ के लिए आयताकार और प्रत्येक हाथ और पैर के लिए लम्बी कोहनी बनायें | प्रत्येक आइटम की सममिति और पोज़ में कॉंफिडेंट फील होने तक इन ब्लॉक्स को एडजस्ट करें | [5]
    • ध्यान रखें की आपको ये मार्क्स बहुत लाइट बनाने हैं जिससे आप बाद में इन्हें आसानी से मिटा सकें |
    • “हिलती हुई” भुजा और पैर को एकदम सटीक पोज़ में बनाने के लिए छोटे सर्किल या डॉट बनायें |
  5. प्रत्येक ड्रॉफ्ट के साथ जटिलता की एक लेयर शामिल करें | सबसे पहले यह गाइडलाइन में हो और इसके बाद फिगर में दिखाई दे | इसके बाद आप बेसिक शेप और पोज़ बना सकते हैं | इसके बॉस, अपनी आउटलाइन्स, कनेक्टिंग जॉइंट, फेशियल फीचर आदि के ऊपर परमानेंट लाइन्स बना सकते हैं | जॉइंट्स को कनेक्ट करके बॉडी का फाइनल कंटूर बनाने के बारे में विचार करें जिससे आपको एक पहचानने योग्य शेप मिल सके |
    • जब आप अपनी नयी लाइन्स से संतुष्ट हों तो नयी ड्रॉइंग के नीचे के लाइट कंटूर मार्क्स को मिटा दें |
    • अगर आप नयी लाइन्स से संतुष्ट न हों तो धीरे-धीरे काम करें और प्रत्येक लाइन को सावधानीपूर्वक मिटायें | फाइनल ड्रॉइंग को सुधारने के लिए आपको अपने कंटूर को सही तरीके से बनाना पड़ेगा |
  6. सबसे बड़ी चीज़ से नीचे आते हुए सबसे छोटी चीज़ को ड्रॉ करें: कभी भी डिटेल में ड्रॉइंग करना शुरू न करें | बेसिक कंटूर फिनिश होने के बाद ही डिटेल्स पर आयें | ऐसी गलती शुरुआत में ही कई आर्टिस्ट करते हैं और अपना सारा समय और एनर्जी छोटी डिटेल्स में ही खर्च कर देते हैं जबकि बड़ी सममिति अनदेखी रह जाती हैं |
  7. सीन को वास्तविक गहराई देने के लिए दृष्टिकोण (perspective) की प्रैक्टिस करें: दृष्टिकोण से ही पता चलता है कि क्यों दूर की वस्तु छोटी और पास की बड़ी दिखाई देती है | एकदम सटीक ड्रॉइंग करने के लिए, आपको एकदम सटीक पर्सपेक्टिव की जरूरत होती है | प्रैक्टिस करने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि पर्सपेक्टिव पॉइंट का इस्तेमाल किया जाए | इसे क्षितिज (horizon) के सबसे दूरस्थ पॉइंट के रूप में सोच सकते हैं, जैसे सूरज डूबने से पहले दिखाई देता है | अपनी ड्रॉइंग को मैच करने के लिए इस पॉइंट से बाहर की ओर स्ट्रैट लाइन्स बनायें, डॉट के नजदीक जो भी चीज़ हो, वह काफी दूर होती जाएँगी और इसीलिए छोटी दिखेगी जबकि जो चीज़ डॉट से दूर होगी, वो आपके नज़दीक आती जाएगी और बड़ी दिखाई देगी |
    • डॉट से दूर जाती हुई दो डायगोनल लाइन्स बनायें | इन ओनों लाइन्स के बीच जो भी चीज़ फिट होती हैं, रियल लाइफ में एकसमान साइज़ ही होती है लेकिन सममिति के कारण ये एकसमान दिखाई देती हैं जबकि ये अलग-अलग होती हैं | [6]
विधि 3
विधि 3 का 3:

परफेक्ट शेडिंग करें

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  1. शेडिंग से ड्रॉइंग उभरकर सामने आती है और समतल नही दिख पाती | किसी ड्रॉइंग में थ्री-डायमेंशन का भ्रम पैदा करने में सबसे बड़ी भूमिका शेडिंग की होती है | लेकिन शेडिंग में महारत हासिल करना काफी मुश्किल होता है, विशेषरूप से जब आप अपनी कल्पना या याददाश्त से किसी चीज़ को शेड करने की कोशिश कर रहे हों तो |
    • शेडिंग का मतलब लाइन्स ही है | अपनी नाक और ऊपरी होंठ के बीच दो छोटी-छोटी खांचों के बारे में सोचें | जब आप इनके लिए लाइन्स बनाते हैं तो ये वास्तविक नहीं लगेंगी | इसकी बजाय, इनमे थोड़ी शेडिंग करें, इनके आसपास के एरिया को थोडा ज्यादा डार्क करने से ये डार्क पैचेज के मिडिल में “दिखाई” देने लगेंगे |
  2. छाया (शैडो) तभी बनती है जब सीन के दूसरे हिस्सों की बजाय एक हिस्से पर लाइट कम पड़ती है | लाइट कहाँ से आ रही है, किस तरह की लाइट है, बल्कि दिन के समय का भी छाया पर प्रभाव पड़ता है | लाइट की विपरीत दिशा में छाया बनायीं जा सकती है | उदाहरण के लिए, अगर आप नीचे एक बॉल रखते हैं और इसके दाहिनी ओर लाइट डालते हैं तो बॉल की बायीं ओर अँधेरा दिखाई देगा | इसलिए बॉल ड्रॉइंग करते समय आपको इसी जगह पर शेडिंग करनी होगी |
  3. छाया के किनारे बहुत जल्दी गायब हो जाते हैं | किसी कठपुतली की छाया बनाने की कोशिश करें, जब आपका हाथ लाइट और दीवार के नज़दीक आता है तो छाया और लाइट के मिलने वाली जगह पर एक कठोर किनारा दिखाई देता है लेकिन जब जैसी ही आपका हाथ दूर जाता है, छाया धीरे-धीरे लाइट में विलीन हो जाती है | लेकिन याद रखें, सभी छाया में हल्का सा किनारा होता है | शेडिंग और कंटूर ड्रॉइंग में किनारे धुंधले होने का ही अंतर होता है | [7]
    • डायरेक्ट लाइट, जैसे स्पॉटलाइट और साफ़, चमकदार धूप वाले दिन कठोर किनारों वाली ड्रॉमेटिक शैडो बनती हैं |
    • इनडायरेक्ट, दूर स्थित लाइट, बहुत सारी लाइट्स या बादलों वाले दिन धुंधले किनारों के साथ सॉफ्ट, धुंधली शैडो बनती हैं |
  4. ड्रॉइंग शुरू करने से पहले शैडो के किनारों के चारो ओर सिफत, जेंटल लाइन्स बनायें जिससे आपको पता चल सके कि आगे कहाँ जाना है |
    • हाईलाइट्स का नक्शा बनायें: लाइट कहाँ सबसे ज्यादा तेज़ है? क्या वहां कोई तेज़ रौशनी है?
    • शेडिंग का स्केच बनायें: हर चीज़ किस शैडो कहाँ से शुरू और कहाँ ख़त्म होती है?
    • हार्ड शैडो को कंटूर करें | क्या लाइट से कोई ऐसा डार्क शेप बन रहा है जैसे धूप में किसी व्यक्ति की परछाई दिखती है ?
  5. धीरे-धीरे होने वाले बदलावों (ग्रेजुअल ट्रांजीशन) पर फोकस करें: शेडिंग किसी एक एरिया से दूसरे एरिया तक लाइट की मात्रा में होने वाले धीरे-धीरे बदलाव लाने की कला है | सबसे लाइट पेंसिल स्ट्रोक्स से पूरी वस्तु में हलकी शेडिंग से शुरुआत करें | धीरे-धीरे डार्क एरिया में फिलिंग करते हुए ड्रॉइंग करते जाएँ और एक बार में एक शेड करें |
  6. किसी भी ड्रॉइंग में रियल, ग्रेजुअल शैडो बनानें का यह सबसे बेहतर तरीका है | एक टिश्यू या अपनी अंगुली या पेन्सिल के साथ लाइट मार्क्स से डार्क एरिया को लाइट एरिया में ब्लेंड करने के लिए डार्क से लाइट की ओर मलें | कई पेन्सिल्स हलके से ही ब्लेंड करती हैं जबकि चारकोल आपकी अँगुलियों से ही शैडो को अच्छी तरह से ब्लेंड कर सकता है |
  7. शेडिंग की प्रैक्टिस करने के लिए एक बेसिक “स्टिल लाइफ” सेटअप करें | कई कॉमन और आसानी से ड्रॉ की जाने वाली चीज़ों (बॉल, छोटे बॉक्स, वॉटर बोतल आदि) को एक जगह पर तेज़ रौशनी के नीचे रखें और उन्हें घुमाएं | वस्तु के कंटूर को ड्रॉ करें और फिर वे जैसे दिखाई दे रहे हैं, बिलकुल वैसी ही शेडिंग करने की प्रैक्टिस करें |
    • जैसे-जैसे आप एडवांस होते जाएँ, क्लियर चीज़ें, जटिल शेप या दूसरी लाइट बढाते जाएँ जिससे ज्यादा कठिन शेडिंग तकनीक की प्रैक्टिस हो सके |
    • बड़े बच्चों की कलरिंग बुक में शेड करें जिसमे आमतौर पर एडवांस्ड प्रैक्टिस के लिए सिंपल कंटूर लाइन्स होते हैं |
  8. शेडिंग का सबसे रियल रूप है-एकसमान, ग्रेजुअल ब्लेंडिंग (“स्मूद” शेडिंग), लेकिन अलग-अलग आर्टिस्ट्स और काम की शैली के लिए कई तरह की शेडिंग स्टाइल्स होती हैं | उदाहरण के लिए, कई कार्टून्स में शेडिंग दर्शाने के लिए क्रॉस-हैचिंग या डॉट्स का इस्तेमाल किया जाता है | लेकिन, मुख्य बात यह है कि क्या एकसमान ज्यादा मार्क्स ज्यादा डार्क शैडो के समान होते हैं | अपने लिए बेहतर तरीके चुनने के लिए कई तरह की शेडिंग आजमायें |
    • हैचिंग: सिंगल, स्ट्रैट लाइन्स शैडो बनाती हैं | ज्यादा लाइन्स ज्यादा डार्क शैडो बनाती हैं |
    • क्रॉस-हैचिंग: क्रिस-क्रॉस डायगोनल लाइन्स शैडो बनाती हैं | इन लाइन्स को दूर करने पर लाइट शैडो बनती है | बाल या फर जैसी चीज़ों की शेडिंग करने के लिए जिनमे लाइन्स शेडिंग की ही जरूरत होती है, ये बेहतरीन काम करती हैं | [8]
    • स्टिपलिंग: इसमें बहुत सारी छोटी-छोटी ब्लैक डॉट्स से शैडो बनायीं जाती है | ज्यादा डॉट्स बनाने से यह ज्यादा डार्क दिखती है जिससे पता ही नहीं चल पाता कि यहाँ डार्क किनारों पर डॉट्स हैं |
    • सर्कुलर शेडिंग: चारो ओर अपनी पेन्सिल से छोटे, ओवरलेपिंग सर्कल्स बनाकर शैडो बनायीं जाती है | किसी एक एरिया पर ओवरलेपिंग सर्किल बनाने में आप जितना ज्यादा समय लगायेंगे, वो उतना ही ज्यादा डार्क बनेगा | इसके लिए कलर वाली पेन्सिल से शेड करना बेहतर होता है | [9]

सलाह

  • गलतियों से सीखें | शायद आपके द्वारा बनाये गये गलत स्ट्रोक से ही बाद में ड्रॉइंग बेहतर हो जाए ! नयी तकनीकें खोजने के लिए अपने आर्ट के साथ कॉम्प्रोमाइज करना बेहतर होता है जिससे भविष्य में आप अपने हुनर में काबिलियत हासिल कर सकते हैं |
  • किसी आर्ट गैलरी में जाएँ और प्रेरणा के लिए अपने पसंदीदा आर्टिस्ट को ऑनलाइन चेक करें |
  • जब जानवरों की ड्रॉइंग बनायें तो आपको जियोमेट्रिक शेप बनाने से शुरुआत करनी चाहिए जिससे जानवर सही बन सके | उदाहरण के लिए, जिराफ बनाने में, उसके पैर और गर्दन बनाने के लिए बहुत सारे आयताकार (रेक्टेंगल) बनाने पड़ते हैं जबकि चिड़ियाँ बनाने में अंडाकार (ovals) ज्यादा बनाने पड़ते हैं |
  • बहुत जल्दी ही किसी निष्कर्ष पर न पहुँचें | अपने आर्टवर्क की दूसरी झलक देखें और फिर सोचें कि यह कैसी दिख रही है |
  • जो भी बनायें, आत्मविश्वास से बनायें और दूसरों से खुद की तुलना बहुत ज्यादा न करें | वे आपसे अलग हैं और आप उनसे |
  • ड्रॉइंग करते समय आनन्द लें और गुस्सा या परेशानी छोड़ दें |

चीज़ें जिनकी जरूरत होगी

  • पेन्सिल्स
  • पेपर या स्केचबुक

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