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षट्भुज (regular hexagon) एक ऐसी आकृति होती है जिसकी छः समान भुजायें और छः कोण होते हैं। आपको एक उत्तम षट्भुज बनाने के लिए स्केल (ruler) और चांदा (protractor) की आवश्यकता होगी। आप एक रफ षट्भुज किसी गोलाकार आकृति और स्केल की सहायता से तथा अंदाज से केवल पेंसिल द्वारा (बिना स्केल के) भी बना सकते हैं। यदि आप अलग-अलग तरीकों से षट्भुज बनाना सीखना चाहते हैं तो इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ें।
चरण
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परकार की सहायता से एक वृत्त बनायें: अपनी परकार में पेंसिल लगाइए। वृत्त की त्रिज्या की लंबाई के अनुसार परकार खोलें जो कि कुछ इंच या सेंटीमीटर हो सकती है। अब एक केंद्र बिंदु मानें और उस पर परकार रखकर गोल घुमाते हुए एक वृत्त बनायें।
- वृत्त बनाने का एक आसान तरीका यह भी है कि पहले आप एक अर्धवृत्त बनायें। इसके बाद दूसरी दिशा में अर्थात् कागज को घुमाकर एक और अर्धवृत्त बनायें। इस तरह आपका वृत्त तैयार है।
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परकार को बिंदु पर रखकर वृत्त के किनारे बनायें: परकार की जो भी स्थिति या कोण हो उसे न बदलें अर्थात् परकार को बिंदु से हिलायें नहीं।
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पेंसिल से वृत्त के किनारे पर एक छोटा निशान बनायें: ध्यान रखें कि यह निशान ज्यादा गहरा न हो क्योेंकि बाद में उसे मिटाना होगा। याद रहे कि वृत्त का कोण वही होना चाहिये जो कि आपने परकार में निर्धारित किया था।
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परकार को उस बिंदु पर वापिस लायें जहाँ आपने निशान बनाया था: निशान के ठीक ऊपर एक बिंदु लगायें।
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पेंसिल की मदद से वृत्त के किनारे पर एक और निशान लगायें: दूसरा निशान पहले निशान से दूर होना चाहिये। यदि आप परकार को घड़ी की दिशा में (clockwise) या घड़ी की विपरीत दिशा में (counterclockwise) घुमा रहे हैं तो इसे उसी दिशा में घुमायें। दिशा बदलें नहीं।
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इसी तरह से बाकी के चार निशान भी लगायें: इस तरह निशान बनाते हुए आप पहले निशान पर फिर से पहुँच जायेंगे। यदि आप पहले बिंदु पर न पहुँचें तो इसका अर्थ है कि आपने या तो परकार हिला दिया है या फिर आपने परकार का कोण बदल दिया है। ऐसा तभी संभव है जब आप परकार को बहुत कस कर पकड़ रहे हैं या फिर आपका परकार ढीला है।
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अब इन सभी बिंदुओं को स्केल की सहायता से मिलायें: आपने वृत्त के किनारे पर जो छः निशान लगायें हैं ये आपके षट्भुज के छः बिंदु हैं। अब आप स्केल तथा पेंसिल की सहायता से इन बिंदुओं को एक के बाद एक सीधी रेखाओं से मिलाते जाइये।
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अपनी मार्गदर्शक रेखाओं (guiding lines) अर्थात् वृत्त की रेखा को मिटा दें: आपके द्वारा बनाया हुआ वृत्त तथा सभी निशान इस षट्भुज में समाहित हैं। मार्गदर्शक रेखाओं को सफाई से मिटाने पर आपका षट्भुज तैयार है।
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पेंसिल से गिलास के किनारे (गोल रिम) की सहायता से एक गोला बनायें: आप देखेंगें कि यह एक वृत्त है। यहाँ पर यह ध्यान देना जरुरी है कि आप पेंसिल का प्रयोग ही करें क्योंकि इसे बाद में मिटाना है। आप यह वृत्त किसी भी मग, जार या गोल डिब्बे की सहायता से अथवा किसी भी गोल आधार वाली वस्तु से बना सकते हैं।
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वृत्त के बीच में एक क्षैतिज (horizontal) रेखा बनायें: इसके लिए आप एक स्केल, किताब या किसी भी सीधे किनारे वाली वस्तु का उपयोग कर सकते हैं। यदि आपके पास एक स्केल है तो वृत्त की खड़ी (vertical) लंबाई नाप कर आप उसका मध्यस्थ बिंदु (halfway mark) पता कर सकते हैं और वृत्त को आधे भाग में बाँट सकते हैं।
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दो भागों मे विभाजित इस वृत्त पर एक क्रॉस बनायें जो इसे छः बराबर भागों में बाँट देगा: वृत्त के बीच में पहले से एक रेखा चली आ रही है इसलिए क्रॉस की लंबाई इसकी चौड़ाई की अपेक्षा ज्यादा होनी चाहिये जिससे सभी छः भाग समान हों। इसे आप पिज्जा को छः बराबर भागों में बाँटने की तरह समझें।
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छः भागों को त्रिभुज में बदलें: प्रत्येक भाग के घुमावदार (curved) हिस्से पर स्केल की मदद से सीधी रेखा खीचें और इसे त्रिभुज का आकार दें। यह प्रक्रिया आपको छः बार दोहरानी होगी। आप यह सोचें कि पिज्जा के टुकड़ों की परत का निर्माण हो रहा है।
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सभी मार्गदर्शक रेखाओं को मिटा दें: इन मार्गदर्शक रेखाओं में तीन रेखायें और अन्य सभी निशान समाहित हैं।
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एक क्षैतिज रेखा बनायें: बिना स्केल के एक सीधी रेखा बनाने के लिए एक शुरु का और आखिरी का बिंदु लें। अब आप पेंसिल को शुरु के बिंदु पर रखें और अपनी आँख को आखिरी बिंदु पर रखते हुए सीधी रेखा खींचें। यह रेखा कुछ इंच या कुछ सेंटीमीटर की हो सकती है।
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क्षैतिज रेखा के दोनों छोर से दो विकर्ण रेखायें बनायें: बाईं ओर के विकर्ण को बायें तथा दाईं ओर के विकर्ण को दाहिनी ओर खोलना है। आपको यह ध्यान रखना है कि क्षैतिज रेखा से इन रेखाओं पर 120° का कोण बने।
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क्षैतिज रेखा पर बनाये हुए दोनों विकर्ण रेखाओं के निचले सिरे से अंदर की ओर जाते हुए दो और विकर्ण बनायें: ये दोनों विकर्ण पहले से बनाये हुए विकर्णों की दपर्ण छवि (mirror-image) होनी चाहिये। ये विकर्ण ऐसे दिखने चाहिये कि बाईं ओर के ऊपर का विकर्ण नीचे के विकर्ण का प्रतिबिंब हो और दाहिनी ओर के ऊपर का विकर्ण नीचे के विकर्ण का प्रतिबिंब हो। ऊपर की रेखायें क्षैतिज रेखा से बाहर की तरफ तथा नीचे की रेखायें आधार की तरफ अंदर की ओर आनीं चाहिये।
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नीचे की दोनों रेखाओं को मिलाते हुए एक और क्षैतिज रेखा खीचें: यह षट्भुज का आधार होगा। यह रेखा ऊपरी क्षैतिज रेखा के समानातंर होनी चाहिये। आपका षट्भुज तैयार है।
सलाह
- जब आप परकार की विधि का उपयोग कर रहे हों तो आपको सभी छः निशानों को एक के बाद एक मिलाने की जगह निशानों को एक दूसरे से मिलाना चाहिये। अंत में आपको एक समबाहु त्रिभुज प्राप्त होगा।
- परकार में लगी पेंसिल की नोक तेज होनी चाहिये जिससे गलतियाँ कम हों और निशान भी चौड़े या मोटे न हों।
चेतावनी
- परकार एक तेज एंव नुकीला साधन है। चोट से बचने के लिए इसका सावधानीपूर्वक उपयोग करें।
यह क्यों काम करता है
- किसी भी विधि से बनाये गये षट्भुज में छः समबाहु त्रिभुज बनते हैं जिसकी त्रिज्या सभी भुजाओं की लंबाई के समान होती है। यदि परकार की चौड़ाई में परिवर्तन नहीं किया गया है तो सभी छः त्रिज्या तथा षट्भुज बनाने के लिए बनाई गई सभी कॉर्ड (chord) समान लंबाई की होंगी। क्योंकि सभी छः त्रिभुज समबाहु त्रिभुज होंगे इसलिए इनके शीर्ष का प्रत्येक कोण 60° का होगा।
चीजें जिनकी आपको आवश्यकता होगी
- कागज
- पेंसिल
- स्केल
- परकार अथवा एक गिलास/मग
- पेपर के नीचे रखने के लिए कोई भी वस्तु जिससे परकार का प्वाइंट फिसले नहीं
- रबड़
- चांदा