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C एक बहुत ही पुरानी प्रोग्रामिंग लेंग्वेज है। इस का निर्माण 70 के दशक में हुआ था, लेकिन यह अभी भी बहुत ही शक्तिशाली है, और इस का सारा श्रेय इस के सामान्य स्तर का होने को जाता है। C सीख कर आप और भी जटिल लेंग्वेज सीखने के लिए खुद को तैयार कर सकते हैं और इस से जो भी ज्ञान आप को मिलेगा वो आगे की सारी लेंग्वेज में काम आएगा और एप डेवलपमेंट की ओर आप की मदद भी करेगा। C प्रोग्रामिंग सीखने के लिए, नीचे दिए गये प्रथम चरण से शुरुआत करें। (How to Learn to Program in C)

विधि 1
विधि 1 का 6:

शुरुआती तैयारी

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  1. C प्रोग्राम को एक ऐसे कंपाइलर की ज़रूरत होती है, जो कोड को ऐसे सिग्नल्स में परिवर्तित कर पाए जिसे आप की मशीन समझ सके। कंपाइलर्स मुफ़्त में मौजूद होते हैं और अलग-अलग ऑपरेटिंग सिस्टम के अनुसार भी उपलब्ध होते हैं।
    • विंडोज़ के लिए, Microsoft Visual Studio Express या MinGW का चयन करें।
    • मैक (Mac) के लिए XCode एक अच्छा C कंपाइलर होगा।
    • लिनक्स (Linux) के लिए gcc एक बहुत ही प्रसिद्ध विकल्प है।
  2. C कुछ पुरानी लेंग्वेज में से एक है, और शक्तिशाली भी। इसे वैसे तो यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए डिज़ाइन किया गया था, लेकिन फिर यह लगभग सभी ऑपरेटिंग सिस्टम पर उपयोग की जाने लगी। C++, C का आधुनिक संस्करण है।
    • C में फंक्शंस (functions) शामिल होते हैं और इन फंक्शंस में आप वेरिएबल्स (variables), कंडीशनल स्टेट्मेंट्स और लूप का उपयोग डेटा को सहेजने में और बदलने में कर सकते हैं।
  3. नीचे दिए गए बेसिक कोड का उपयोग C के द्वारा उपयोग किए जा रहे पहलू एक साथ किस प्रकार कार्य करते हैं, जानने के लिए करें, और इस से आप को यह भी पता चलेगा कि प्रोग्राम किस प्रकार से कार्य करता है।
     #include 
     <stdio.h> 
      
     int 
     main 
     () 
     { 
     printf 
     ( 
     "Hello, World! 
     \n 
     " 
     ); 
     getchar 
     (); 
     return 
     0 
     ; 
     } 
    
    [१]
    • #include कमांड प्रोग्राम के शुरुआत में होती है, और इस में ज़रूरत के बहुत सारी लाइब्रेरीज और फंक्शंस होते हैं। इस उदाहरण में , stdio.h के माध्यम से हम printf() और getchar() फंक्शंस का उपयोग कर सकते हैं।
    • int main() आप के कंपाइलर को बताती है कि "main" कॉल किया हुआ प्रोग्राम रन हो रहा है और ख़त्म होने के बाद में यह एक इंटिजर रिटर्न करेगा। सारे C प्रोग्राम में एक "main" फंक्शन रन होता है।
    • { } यह दर्शाते हैं कि इन के अंदर मौजूद हर चीज़ फंक्शंस का ही एक हिस्सा है। इस उदाहरण में यह दर्शाते हैं कि अंदर मौजूद हर चीज़ "main" फंक्शन का ही एक हिस्सा है।
    • printf() फंक्शन, कोष्टक (parentheses) के अंदर मौजूद सामग्री को यूज़र स्क्रीन पर प्रिंट करता है। अंदर मौजूद उद्धरण चिन्ह (quotes) के माध्यम से इस के अंदर मौजूद स्ट्रिंग सही तरह से प्रिंट होती है। \n से कर्सर अगली लाइन पर पहुँच जाता है।
    • ; लाइन का अंत दर्शाता है। C कोड में ज़्यादातर लाइन्स का अंत सेमीकोलन (;) से होता है।
    • getchar() कमांड कंपाइलर के आगे बढ़ने से पहले एक कीस्ट्रोक इनपुट का इंतेज़ार करने को कहती है। यह बहुत ही उपयोगी भी है क्योंकि बहुत से कंपाइलर प्रोग्राम को रन कर के जल्द से विंडो को क्लोज़ कर देते हैं। इस से प्रोग्राम बंद होने के लिए तब तक इंतेज़ार करता है जब तक कि कोई की (key) या बटन दब नहीं जाती।
    • return 0 यह कमांड फंक्शन के अंत को दर्शाती है। ध्यान रखें कि "main" फंक्शन एक int फंक्शन है। इस का मतलब है कि इस को प्रोग्राम के ख़त्म होने के बाद एक इंटिजर रिटर्न करना होता है। "0" यह दर्शाता है कि प्रोग्राम सही तरीके से पूरा हुआ है; इस के अलावा कोई और नंबर प्रोग्राम में हुई ग़लतियों को दर्शाता है।
  4. कोड को कोड एडिटर में एंटर करें और इसे एक "*.c" रूप में सेव कर दें। कंपाइलर पर Build या Run button पर क्लिक कर के इसे कंपाइल करें।
  5. कमेंट, कोड का ही एक हिस्सा होता है, जो कंपाइल नहीं होता, पर आप को यह जानने में मदद करता है, कि प्रोग्राम में क्या चल रहा है। यह आप को हर बार इस बारे में याद दिलाता रहता है कि आप का प्रोग्राम किस लिए बन रहा है, और इस के साथ ही उन डेवेलपर्स की भी मदद करता है, जो आप के कोड को देखने और समझने की कोशिश करते हैं।
    • C में कमेंट करने के लिए /* को शुरुआत में लिखें और */ को अंत में लिखें।
    • कोड के कुछ बेसिक हिस्सों पर ही कमेंट करें।
    • कमेंट के ज़रिए आप अपने कोड के किसी भी हिस्से को बिना इसे डिलीट किए आसानी से हटा सकते हैं। कोड के जिस भी हिस्से को कंपाइल नहीं करना चाहते उसे कमेंट टैग के अंदर कर दें और फिर कंपाइल करें। यदि आप दोबारा से उस हिस्से को कोड में जोड़ना चाहते हैं तो कमेंट टैग हटा दें।
विधि 2
विधि 2 का 6:

वेरिएबल्स का उपयोग कर

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  1. वेरिएबल्स आप को प्रोग्राम के आधार पर हो या फिर यूज़र इनपुट के आधार पर डेटा स्टोर करने की सुविधा देते हैं। वेरिएबल्स को उपयोग करने से पहले ही डिफाइन करना होता है, और यहाँ पर चयन करने के लिए बहुत सारे वेरिएबल्स मौजूद हैं।
    • कुछ बहुत ही आम वेरिएबल्स में int , char और float शामिल हैं। ये सारे ही अलग-अलग डेटा के प्रकार में स्टोर होते हैं।
  2. वेरिएबल्स को प्रोग्राम में उपयोग होने से पूर्व प्रमाणित या डिक्लेअर करना होता है। आप डेटा टाइप के बाद वेरिएबल्स का नाम लिख कर वेरिएबल्स को डिक्लेअर कर सकते हैं। उदाहरण के लिए निम्नलिखित वेरिएबल डिक्लेअर करने के मान्य प्रकार हैं:
     float 
     x 
     ; 
     char 
     name 
     ; 
     int 
     a 
     , 
     b 
     , 
     c 
     , 
     d 
     ; 
    
    • ध्यान रखें कि आप एक ही लाइन में एक ही प्रकार के बहुत सारे वेरिएबल डिक्लेअर कर सकते हैं। सिर्फ़ वेरिएबल नेम को कॉमा (,) से अलग करते जाएँ।
    • C में अन्य लाइन की तरह ही, वेरिएबल्स डिक्लेअर की हर लाइन का अंत एक सेमिकॉलन (;) से करते हैं।
  3. वेरिएबल्स को कोड ब्लॉक के शुरुआत में (कोड का वह हिस्सा जो {} से शुरू होता है) ही डिक्लेअर करना होता है। यदि आप ब्लॉक में बाद में वेरिएबल्स डिक्लेअर करते हैं, तो आप का प्रोग्राम सही काम नहीं करेगा।
  4. यूज़र इनपुट को स्टोर करने के लिए वेरिएबल का उपयोग करें: अब जबकि आप वेरिएबल के काम करने का तरीका समझ चुके हैं, तो आप एक साधारण सा यूज़र इनपुट को स्टोर करने वाला प्रोग्राम लिख सकते हैं। अब आप scanf नाम के एक और फंक्शन का प्रयोग करेंगे। यह फंक्शन कुछ विशेष मानों के लिए इनपुट को खोजेगा।
     #include 
     <stdio.h> 
      
     int 
     main 
     () 
     { 
     int 
     x 
     ; 
     printf 
     ( 
     "Enter a number: " 
     ); 
     scanf 
     ( 
     "%d" 
     , 
     & 
     x 
     ); 
     printf 
     ( 
     "You entered %d" 
     , 
     x 
     ); 
     getchar 
     (); 
     return 
     0 
     ; 
     } 
    
    • "%d" स्ट्रिंग scanf को यूज़र इनपुट से एक इंटिजर खोजने का बोलेगा।
    • & वेरिएबल के बदलने से पहले x इसे बदलने के लिए कहाँ पर पाना है और वेरिएबल में इसे कहाँ पर स्टोर करना है scanf को बताएगा।
    • printf यह आख़िरी कमांड यूज़र को इनपुट दिखाएगा।
  5. आप वेरिएबल में स्टोर डेटा को बदलने के लिए गणित के समीकरणों का उपयोग कर सकते हैं। सबसे ज़रूरी बात आप जान लें कि = वेरिएबल में मानों को सेट करता है जबकि == दोनों तरफ के मानों के बराबर होने की जाँच करता है।
     x 
     = 
     3 
     * 
     4 
     ; 
     /* "x" को 3*4 या 12 सेट कर देगा */ 
     x 
     = 
     x 
     + 
     3 
     ; 
     /* "x" के असल मान में 3 और जोड़ कर उस के नये मान को वेरिएबल में सेट कर देगा */ 
     x 
     == 
     15 
     ; 
     /* "x" का मान 15 के बराबर होने की जाँच करेगा */ 
     x 
     < 
     10 
     ; 
     /* "x" के मान के 10 से कम होने की जाँच करेगा */ 
    
विधि 3
विधि 3 का 6:

कंडीशनल स्टेट्मेंट्स का उपयोग करना

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  1. बहुत सारे प्रोग्राम को कंडीशनल स्टेट्मेंट्स ही चलाते हैं। इस तरह के स्टेट्मेंट्स या तो TRUE होते हैं या फिर FALSE और परिणाम के अनुसार ही कार्य करते हैं। if स्टेट्मेंट ज़्यादा उपयोग होने वाला स्टेट्मेंट है।
    • C में TRUE और FALSE जैसा आप सोचते हैं उस से भी अलग तरह से कार्य करते हैं। TRUE स्टेट्मेंट हमेशा ही एक अशून्य नंबर पर ख़त्म होता है। जब भी आप तुलना करते हैं, और यदि इस का परिणाम TRUE होता है, तो "1" रिटर्न होता है। यदि इस का परिणाम FALSE होगा तो "0" रिटर्न होगा। इस को समझ कर आप को IF स्टेट्मेंट के कार्य करने के तरीके को समझने में मदद मिलेगी।
  2. कंडीशनल स्टेट्मेंट्स कहीं ना कहीं उन गणितीय ऑपरेटर की तरह होते हैं, जो मानों की तुलना करते हैं। निम्नलिखित सूची में कुछ सामान्य से कंडीशनल ऑपरेटर्स दिए गये हैं।
     > 
     /* greater than */ 
     < 
     /* less than */ 
     >= 
     /* greater than or equal to */ 
     <= 
     /* less than or equal to */ 
     == 
     /* equal to */ 
     != 
     /* not equal to */ 
    


     10 
     > 
     5 
     TRUE 
     6 
     < 
     15 
     TRUE 
     8 
     >= 
     8 
     TRUE 
     4 
     <= 
     8 
     TRUE 
     3 
     == 
     3 
     TRUE 
     4 
     != 
     5 
     TRUE 
    
  3. आप IF स्टेट्मेंट का उपयोग यह जानने में कर सकते हैं कि स्टेट्मेंट के लागू होने के बाद प्रोग्राम क्या करता है। बाद में आप इसे और भी विकल्पों के लिए अन्य कंडीशनल स्टेट्मेंट्स के साथ भी प्रयोग कर सकते हैं, पर अभी इसे समझने के लिए सिर्फ़ एक ही लिखें।
     #include 
     <stdio.h> 
      
     int 
     main 
     () 
     { 
     if 
     ( 
     3 
     < 
     5 
     ) 
     printf 
     ( 
     "3 is less than 5" 
     ); 
     getchar 
     (); 
     } 
    
  4. कंडीशन्स को और भी बढ़ने के लिए ELSE/ELSE IF का उपयोग करें: आप अलग-अलग परिणामों को संभालने के लिए IF स्टेट्मेंट के अंदर ही ELSE और ELSE IF स्टेट्मेंट का भी उपयोग कर सकते हैं। ELSE स्टेट्मेंट तभी चलेगा जब IF स्टेट्मेंट FALSE होगा। बहुत सारी स्थितियों को संभालने के लिए आप कोड ब्लॉक में ELSE IF स्टेट्मेंट में बहुत सारे IF स्टेट्मेंट का उपयोग भी कर सकते हैं। इन के कार्य करने के तरीके को जानने के लिए नीचे दिए हुए उदाहरण को देखें।
     #include 
     <stdio.h> 
      
     int 
     main 
     () 
     { 
     int 
     age 
     ; 
     printf 
     ( 
     "Please enter your current age: " 
     ); 
     scanf 
     ( 
     "%d" 
     , 
     & 
     age 
     ); 
     if 
     ( 
     age 
     <= 
     12 
     ) 
     { 
     printf 
     ( 
     "You're just a kid! 
     \n 
     " 
     ); 
     } 
     else 
     if 
     ( 
     age 
     < 
     20 
     ) 
     { 
     printf 
     ( 
     "Being a teenager is pretty great! 
     \n 
     " 
     ); 
     } 
     else 
     if 
     ( 
     age 
     < 
     40 
     ) 
     { 
     printf 
     ( 
     "You're still young at heart! 
     \n 
     " 
     ); 
     } 
     else 
     { 
     printf 
     ( 
     "With age comes wisdom. 
     \n 
     " 
     ); 
     } 
     return 
     0 
     ; 
     } 
    
    [२]
    • प्रोग्राम यूज़र से इनपुट लेकर इसे IF स्टेट्मेंट्स से लेकर जाता है। यदि वह नंबर पहले स्टेट्मेंट को पूरा करता है, तो पहला printf स्टेट्मेंट रिटर्न होगा। यदि यह पहले स्टेट्मेंट को पूरा नहीं करता तो यह तब तक ELSE IF स्टेट्मेंट में चलता रहेगा जब तक कि यह किसी एक स्टेट्मेंट को संतुष्ट ना कर दे। यदि इन में से किसी को भी संतुष्ट नही करता तो अंत में यह ELSE स्टेट्मेंट में जाएगा।
विधि 4
विधि 4 का 6:

लूप्स (Loops) सीख कर

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  1. प्रोग्रामिंग में लूप्स, कोड ब्लॉक को तब तक दोहराते हैं जब तक कि उन की विशेष कंडीशन की संतुष्ट नहीं होती इस लिए इन की बहुत अधिक महत्वता होती है। इस के ज़रिए बार-बार एक ही क्रिया का दोहराना आसान हो जाता है और आप को ज़रूरत के अनुसार जितने चाहें उतने कंडीशनल स्टेट्मेंट लिखने की सुविधा भी मिलती है।
    • लूप्स के तीन मुख्य प्रकार हैं: FOR, WHILE और DO...WHILE
  2. यह बहुत ही आम और उपयोगी लूप है। इस में मौजूद कोड तब तक चलता रहता है, जब तक कि FOR लूप के अंदर मौजूद कंडीशन संतुष्ट नहीं हो जाती। FOR लूप में तीन कंडीशन होती हैं: वेरिएबल की शुरुआत, कंडीशन, और आप जिस तरीके से वेरिएबल को अपडेट करना चाहते हैं। यदि आप को इन कंडीशन्स की ज़रूरत नहीं है, तो भी आप को लूप में खाली जगह सेमिकॉलन के साथ लिखना होगी, नहीं तो यह लूप निरंतर चलता रहेगा। [३]
     #include 
     <stdio.h> 
      
     int 
     main 
     () 
     { 
     int 
     y 
     ; 
     for 
     ( 
     y 
     = 
     0 
     ; 
     y 
     < 
     15 
     ; 
     y 
     ++ 
     ;){ 
     printf 
     ( 
     "%d 
     \n 
     " 
     , 
     y 
     ); 
     } 
     getchar 
     (); 
     } 
    
    • ऊपर दिए हुए प्रोग्राम में y को 0 पर सेट किया गया है, और लूप तब तक चलता रहेगा जब कि y का मान 15 से कम नहीं हो जाता। हर बार ही y का मान प्रिंट होगा, हर बार y में 1 जुड़ जाएगा और लूप बार-बार चलेगा। एक बार y =15 होगा तो लूप रुक जाएगा।
  3. WHILE लूप FOR लूप से भी आसान होते हैं। इन में सिर्फ़ एक ही कंडीशन होती है, और यह लूप तब तक ही चलता है जब तक कंडीशन true होती है। आप को वेरिएबल को इनिशियलाइज़ या अपडेट करने की ज़रूरत नहीं होती, हालाँकि आप चाहें तो ऐसा लूप की मुख्य बॉडी में ज़रूर कर सकते हैं।
     #include 
     <stdio.h> 
      
     int 
     main 
     () 
     { 
     int 
     y 
     ; 
     while 
     ( 
     y 
     <= 
     15 
     ){ 
     printf 
     ( 
     "%d 
     \n 
     " 
     , 
     y 
     ); 
     y 
     ++ 
     ; 
     } 
     getchar 
     (); 
     } 
    
    • कमांड हर बार लूप के एग्जिक्यूट होने पर y में 1 जोड़ते जाती है। एक बार y का मान 16 हो जाता है (याद रखें, कि यह लूप तब तक ही चलेगा जब तक कि y का मान 15 या उस से कम नहीं होता), तो लूप बीच में ही ब्रेक हो जाएगा।
  4. .WHILE लूप का उपयोग: यह लूप तब के लिए उपयोगी होता है जब आप लूप को कम से कम एक बार ज़रूर चलाना चाहते हों। FOR और WHILE लूप्स में कंडीशन को लूप के शुरुआत में ही जाँचा जाता है, मतलब इस में कोई भी कंडीशन एकदम से पास या फेल नहीं होगी। DO...WHILE लूप में कंडीशन को लूप के अंत में जाँचा जाता है, और इस से लूप कम से कम एक बार तो चल ही जाता है।
     #include 
     <stdio.h> 
      
     int 
     main 
     () 
     { 
     int 
     y 
     ; 
     y 
     = 
     5 
     ; 
     do 
     { 
     printf 
     ( 
     "This loop is running! 
     \n 
     " 
     ); 
     } 
     while 
     ( 
     y 
     != 
     5 
     ); 
     getchar 
     (); 
     } 
    
    • भले ही कंडीशन FALSE भी हो जाए लेकिन यह लूप एक बार मेसेज ज़रूर दिखाएगा। वेरिएबल y 5 पर सेट है और WHILE लूप की कंडीशन में y 5 के बराबर नहीं है, तो लूप यहीं पर टर्मिनेट हो जाएगा। और क्योंकि शुरुआत में कंडीशन चेक नहीं होती है तो मेसेज पहले ही प्रिंट हो जाएगा।
    • DO...WHILE के सेट में WHILE लूप का अंत एक सेमिकॉलन के साथ में होना चाहिए। सिर्फ़ इसी वक़्त में एक लूप का अंत सेमिकॉलन से होता है।
विधि 5
विधि 5 का 6:

फंक्शंस का उपयोग कर के

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  1. फंक्शंस कोड के सेल्फ़-कंटेंड ब्लॉक्स होते हैं जिन्हें प्रोग्राम के अन्य भागों से भी कॉल किया जा सकता है। इन के उपयोग से कोड को दोहराने में आसानी होती है और ये प्रोग्राम को पढ़ने और बदलने में आसान भी बना देता है।
    • हर प्रोग्राम के शुरुआत में मौजूद main() लाइन, फंक्शन के उदाहरण है, और वैसे ही getchar() भी।
    • कुशल और आसानी से पढ़े जा सकने वाले कोड के लिए फंक्शंस बहुत ही ज़रूरी होते हैं। अपने कोड को एक दिशा प्रदान करने के लिए फंक्शंस का सही रूप से इस्तेमाल करें।
  2. फंक्शंस का निर्माण सही रूप से तभी होता है जब आप को पता हो कि आप इस से क्या करवाना चाहते हैं। "return_type name ( argument1, argument2, etc.);" फंक्शन का बेसिक सिंटेक्स है। जैसे कि दो नंबर को जोड़ने के लिए फंक्शन का निर्माण करना:
     int 
     add 
     ( 
     int 
     x 
     , 
     int 
     y 
     ); 
    
    • यह एक ऐसे फंक्शन का निर्माण करेगा जो दो इंटिजर्स ( x और y ) को जोड़ेगा और इन के परिणाम को रिटर्न करेगा।
  3. आप एक ऐसे फंक्शन की रूपरेखा तैयार कर सकते हैं, जिस में यूज़र के द्वारा दो नंबर एंटर होंगे और फिर उन को जोड़ेगा भी। इस प्रोग्राम के अंदर ये नंबर किस प्रकार से जुड़ते हैं और इस का उपयोग इनपुट नंबर्स को बदलने में किस प्रकार से होता है, दर्शाया जाएगा।
     #include 
     <stdio.h> 
      
     int 
     add 
     ( 
     int 
     x 
     , 
     int 
     y 
     ); 
     int 
     main 
     () 
     { 
     int 
     x 
     ; 
     int 
     y 
     ; 
     printf 
     ( 
     "Enter two numbers to add together: " 
     ); 
     scanf 
     ( 
     "%d" 
     , 
     & 
     x 
     ); 
     scanf 
     ( 
     "%d" 
     , 
     & 
     y 
     ); 
     printf 
     ( 
     "The sum of your numbers is %d 
     \n 
     " 
     , 
     add 
     ( 
     x 
     , 
     y 
     ) 
     ); 
     getchar 
     (); 
     } 
     int 
     add 
     ( 
     int 
     x 
     , 
     int 
     y 
     ) 
     { 
     return 
     x 
     + 
     y 
     ; 
     } 
    
    • ध्यान दें कि यह रूपरेखा अभी भी प्रोग्राम के सबसे ऊपर स्थित होती है। यह कंपाइलर को यह बताता है कि जब फंक्शंस को कॉल किया जाए तो क्या उम्मीद की गई है और क्या परिणाम मिल रहा है। इस की ज़रूरत तब ही होती है जब आप प्रोग्राम में बाद में फंक्शन का निर्माण करना चाह रहे हैं। आप main() फंक्शन के पहले add() फंक्शन डिफाइन कर सकते हैं।
    • फंक्शन की असली कार्यक्षमता को प्रोग्राम के अंत में डिफाइन किया जाता है main() फंक्शन यूज़र से इंटिजर लेता है और फिर इसे आगे की प्रक्रिया के लिए add() फंक्शन में भेज देता है। add() फंक्शन परिणामों को main() फंक्शन पर पहुँचा देता है।
    • अब add() डिफाइन हो चुका है, तो इसे प्रोग्राम में कहीं से भी कॉल किया जा सकता है।
विधि 6
विधि 6 का 6:

सीखना जारी रखें

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  1. इस लेख में सभी बेसिक बातें मौजूद हैं, लेकिन ये सिर्फ़ C प्रोग्रामिंग की आधारभूत बातें ही समझाते हैं। एक अच्छी किताब आप को बाकी सारी समस्याओं को सुलझाने में मदद करेगी।
  2. ऐसे बहुत सारे ऑनलाइन और वास्तविक समुदाय मौजूद हैं, जो सिर्फ़ प्रोग्रामिंग और बहुत सारी अन्य लेंग्वेज के लिए ही बनाए गये हैं। कुछ अपनी ही तरह के C प्रोग्रामर्स को ढूँढें जिन के साथ आप अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकें, और फिर आप खुद को प्रोग्रामिंग करने में सहज महसूस कर पाएँगे।
    • जहाँ तक हो सके हैक-ए-थॉंस में भाग लें। ये सारे ही कुछ ऐसे कार्यक्रम होते हैं जिन पर कुछ लोग और समूह प्रोग्राम और उस के समाधान के साथ आते हैं, और इन के लिए एक समय सीमा निर्धारित होती है। इस तरीके से आप बहुत सारे अच्छे और कुशल प्रोग्रामर से मिल पाते हैं, और ये सारे हैक-ए-थॉंस विश्व में बहुत बार नियमित रूप से होते रहते हैं।
  3. आप को कंप्यूटर साइन्स की डिग्री के लिए वापस से स्कूल जाने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन कुछ ही क्लास से आप के सीखने की प्रक्रिया में तेज़ी आ सकती है। लेंग्वेज में मजबूत पकड़ वाले लोगों की मदद के आगे कुछ और काम नहीं आता। आप इस तरह की क्लास को अपने घर के आसपास या कॉलेज में भी पा सकते हैं।
  4. एक बार C में पकड़ मजबूत होने के बाद आप C++ सीखने के बारे में भी सोच सकते हैं। यह C का सब से आधुनिक संस्करण है। C++ को ऑब्जेक्ट हैंडलिंग को ध्यान में रख कर डिज़ाइन किया गया है और C++ के द्वारा आप किसी भी ऑपरेटिंग सिस्टम पर प्रोग्राम बना सकते हैं।

सलाह

  • अपने प्रोग्राम में हमेशा कमेंट्स शामिल करें। यह ना सिर्फ़ इस के सोर्स कोड को देखने वालों को इस की जानकारी देता है बल्कि यह आप को भी यह याद रखने में मदद करता है, कि आप क्या लिख रहे हैं और क्यों। आप को कोड लिखते समय तो सब पता होगा कि आप इसे क्यों लिख रहे हैं लेकिन कुछ दिनों के बाद जब आप इसे दोबारा देखेंगे तो आप को इस बारे में बहुत कुछ याद नहीं रहेगा, उस समय कमेंट्स आप के काम आएँगे।
  • जैसे स्टेट्मेंट्स का अंत हमेशा ही सेमिकॉलन (;) से करें, लेकिन इसे कभी भी 'if', 'while' या 'for' लूप जैसे कंट्रोल स्टेट्मेंट्स के बाद में ना लिखें।
  • कंपाइल करने के दौरान आई सिंटॅक्स एरर में यदि आप अटक जाते हैं, तो इस के बारे में गूगल (या किसी और सर्च इंजन) पर खोजें। हो सकता है कि और किसी को भी इसी तरह की समस्या का सामना करना पड़ा हो और उसने इस के लिए कोई समाधान भी पोस्ट किया हो।
  • कंपाइलर को यह समझने के लिए कि यह एक C की सोर्स फाइल है, आप के सोर्स कोड पर * .c एक्सटेंशन होना चाहिए।
  • हमेशा याद रखें कि अभ्यास से ही कुशलता प्राप्त होती है। प्रोग्राम लिखने के लिए आप जितना भी अभ्यास करेंगे आप को उतनी ही कुशलता की प्राप्ति होगी। तो कुछ सामान्य से और छोटे प्रोग्राम के साथ अभ्यास शुरू करें और जब भी आप आत्मविश्वास महसूस करें तो कुछ जटिल प्रोग्राम लिखने का प्रयास करें।
  • लॉजिक बनाना सीखें इस से आप को कोड लिखने के दौरान आई कठिनाइयों का सामना करने में मदद मिलेगी।

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