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यदि आप दिन में 8 घंटों तक वज़न उठाये रखते हैं या अपने कंप्यूटर के सामने बैठे रहते हैं तो आपकी पीठ पर इस प्रकार की कष्टप्रद गांठें बनने की सम्भावना बढ़ जाती है | ये गांठें “ट्रिगर पॉइंट्स (trigger points)” कहलाती हैं जो अधिकतर तब होती हैं जब मांसपेशी तंतु विश्राम नहीं कर पाते | ये सामान्यतः ट्रेपेजियस (treapezius) मांसपेशियों में पाई जाती हैं जो बड़ी मांसपेशियां हैं जो कि स्कल (skull) या खोपड़ी के आधार भाग से आपकी पीठ में नीचे तक और कंधे से बाहर तक फैली हुई होती है | [१] [२] आप खुद कुछ तकनीकों का उपयोग करके गांठों से छुटकारा पाने की कोशिश कर सकते हैं या चाहे तो प्रोफेशनल ट्रीटमेंट लें |

विधि 1
विधि 1 का 3:

गांठों को दूर करने के लिए मालिश करें

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  1. अधिकतर गांठें पीठ के ऊपरी हिस्से और कंधों के हिस्सों में होती हैं | [३] ये आस-पास की मांसपेशियों की तुलना में एक रस्सी में लगी गांठों के समान (इसलिए ये नाम है) कठोर और सघन अनुभव होती हैं | [४]
    • अगर आप गांठ पर दबाव डालते हैं तो इसके कारण दर्द बाहर की ओर प्रसारित हो सकता है | इसीलिए यह सुझाव दिया गया है कि ये एक ट्रिगर पॉइंट हैं | “टेंडर स्पॉट्स (tender spots)” के कारण सामान्यतः आपके शरीर के अन्य हिस्सों में भी दर्द हो सकता है | [५]
  2. अपनी अँगुलियों के पोरों का उपयोग करते हुए गोलाकार गति में गांठ को धीरे-धीरे मलें | हल्का दबाव डालें लेकिन, इतना नहीं कि दर्द होने लगे | इससे मांसपेशी तंतुओं के तनाव को कम करने में मदद मिल सकती है | [६]
    • आप यह भी देख सकते हैं कि गांठ पर साधारण दबाव डालने से दर्द से राहत पाने में मदद मिलती है | गांठ पर हल्का दबाव डाले और लगभग एक मिनट तक इस दबाव को बनाये रखें | [७]
    • अगर आपको खुद गांठ की मालिश करने में परेशानी हो या असंभव लगे तो अपने किसी दोस्त से मदद लें |
  3. आप इसका उपयोग या तो दीवार से सटकर खड़े होकर या फिर लेटकर कर सकते हैं | इनमे से किसी एक तरीके के द्वारा टेनिस बॉल को अपने और सतह केबीच में रखें | जहाँ आपको सबसे ज्यादा दबाव अनुभव हो उस बिंदु पर इसे रखें | पहले आपको तकलीफ़ अनुभव हो सकती है, लेकिन आपके द्वारा लगातार दबाव बनाये रखने पर यह कम हो जाएगी | [८]
    • दर्द बंद होने तक टेनिस बॉल को गांठ पर लगाये रखें | ज़रूरत पड़ने पर ब्रेक (break) लें | शुरुआत में आपको लगेगा कि आप इसे कुछ सेकंड के लिए भी नहीं रख सकते, लेकिन इसका अभ्यास लगातार करने पर इसका समय भी बढ़ता जायेगा |
  4. चौड़े हिस्से पर फोम रोलर भी टेनिस बॉल के समान सिद्धांत पर काम करता है | ये तनावयुक्त और कठोर मांसपेशियों को आराम देने में मदद कर सकते हैं | ये सामान्यतः कुछ फीट लम्बे होते हैं और दिखने में मोटे नूडल्स के समान लगते हैं | [९]
    • शुरुअत में धीरे-धीरे करें | पीड़ायुक्त हिस्सों पर बहुत अधिक समय तक दबाव डालने के कारण वास्तव में मांसपेशियों को नुकसान पहुँच सकता है, विशेषरूप से जब आप फोम रोलर की तकनीकों से वाकिफ़ न हों | इसका उपयोग गांठ पर 15-30 सेकंड्स तक करें और फिर इसे हटा लें | [१०]
    • फोम रोलर को जमीन पर क्षैतिज रूप में रखें: रोलर पर इसकी सीध में लंबबत दिशा में लेटें | अपने दर्द युक्त हिस्से को खोजें और उसके पास खुद को रोल करें | एक बार में 3 मिनट से ज्यादा फोम रोलर का उपयोग न करें | [११]
    • अपनी कमर के निछले हिस्से में फोम रोलर का उपयोग न करें अन्यथा इसके कारण नर्व डैमेज हो सकता है | [१२]
  5. एक मुड़ी हुई डंडी वाले छाते का उपयोग कारें या विशेषरूप से मालिश के लिए बनाये गये साधन जैसे “बॉडी बैक बडी (body back buddy)” का उपयोग करें जो मुश्किल जगहों में भी पहुँच कर मालिश करने में मदद कर सकते हैं |
    • अगर आपको कंधे में ऊपर की तरफ गाँठें महसूस हो रही हैं तो हैंडल के आखिरी छोर को गाँठ के ऊपर रखें। इसे नीचे से पकड़ कर नीचे की ओर खींचें।
विधि 2
विधि 2 का 3:

गांठ बाहर खींचें

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  1. मांशपेशियों को लम्बा करने के लिए स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज (stretching exercise) करें: हालाँकि स्ट्रेचिंग से गांठें हटती नहीं हैं लेकिन यह दर्द को कम कर सकती है और निश्चित रूप से भविष्य में बनाने वाली गांठों से आपको दूर रखती है | [१३] आप निम्नलिखित एक्सरसाइज कर सकते हैं:
  2. ये एक्सरसाइज कंधे उचकाने की क्रियाएं भी कहलाती हैं और ये आपकी गर्दन और कंधे के हिस्सों (जो पीठ में गांठों के बनने के लिए सबसे सामान्य स्थान होते हैं) के तनाव के निवारण में मदद कर सकती हैं | [१४]
    • एक कुर्सी पर सीधे बैठें और अपनी पीठ सीढ़ी रखें | आप जमीन पर भी बैठ सकते हैं या खड़े रहें लेकिन ध्यान रखें कि आपका पोस्चर (posture) सही बना रहे |
    • अपने कन्धों को अपने कानों के पास लायें | आगे की ओर घुमाएँ और फिर घडी की गति में नीचे लायें |
    • इस एक्सरसाइज को विपरीत दिशा में दोहराएँ: ऊपर,पीछे, नीचे (घडी की उलटी गति में) |
    • दिन में कई बार 2-4 दोहराते हुए करें |
  3. अपनी कोहनियों को हिलाते हुए अपने कन्धों को खींचें: इस एक्सरसाइज से आपके कन्धों के फलक वाले हिस्सों में रक्त संचार में मदद मिलेगी जो गांठों के लिए सामान्य स्थान होते है | [१५]
    • शुरुआत करने के लिए, अपने हाथों की हथेलियों को अपने कन्धों पर रखें | दाहिने हाथ को दाहिने कंधे पर और बाएं हाथ को बाएं कंधे पर रखें |
    • अपनी कोहनियों को एक साथ लायें, अपने हाथ कन्धों पर ही रखें रहें | आप अपने कंधे और पीठ के ऊपरी हिस्से पर एक अच्छा खिंचाव अनुभव करेंगे |
    • इस स्थिति में 3-5 सेकंड्स तक बने रहें और गहरी सांस लें और जितनी देर रोक सकें रोकें | अब रिलेक्स हो जाएँ | पूरे दिन में इस एक्सरसाइज को कई बार दोहराएँ |
  4. यह एक्सरसाइज आपकी पीठ के ऊपरी हिस्से और कन्धों की कठोर मांसपेशियों के तनाव के निवारण में मदद कर सकती है | [१६]
    • अपनी भुजाओं को अपने पार्श्व में रखकर बैठें या खड़े हों | अपने कन्धों की फलकों को एकसाथ जकड़ें और इस तनाव को कुछ सेकंड्स तक बनाये रखें और फिर छोड़ दें | पूरे दिन में इसे कई बार दोहराएँ |
    • सोचें कि एक रस्सी आपके कंधे की फलकों को पीछे और नीचे की ओर खींच रही है | अपनी छाती को आगे की ओर न फैलाएं |
  5. यह एक्सरसाइज आपके कन्धों के तनाव का निवारण करने में और स्ट्रेच करने में मदद करेगी | [१७]
    • अपनी बायीं भुजा को छाती की ओर लायें | अपनी छाती की ओर जितनी दूर तक ला सकें लायें | [१८]
    • अपने बाएं हाथ की कोहनी को अपने दाहिने हाथ से पकड़ें |
    • इस खिंचाव को 30 सेकंड तक बनाये रखें और फिर छोड़ दें |
    • इस स्ट्रेच को अपनी दूसरी भुजा के साथ दोहराएँ |
  6. ये एक्सरसाइज आपकी पीठ के निचले हिस्से में मांसपेशियों को स्ट्रेच करने में मदद कर सकती हैं | परन्तु, ये पीठ के ऊपरी भाग और कन्धों के लिए अधिक प्रभावी नहीं होतीं |
    • अपने पैरों को अपनी छाती की ओर मोड़कर जमीन पर बैठें |
    • अपने पैरों को पकड़ें और रोल बेक (roll back) करें और पीठ के निचले हिस्से को स्ट्रेच करने के लिए आगे आयें |
  7. इस स्ट्रेच से आपकी पीठ के निचले हिस्से में तनाव के निवारण में मदद मिलेगी | अगर इसके कारण अतिरिक्त पीठदर्द हो तो इस एक्सरसाइज को न करें | [१९]
    • जमीन पर पीठ के बल लेट जाएँ | गद्दी के लिए आप योगा वाली चटाई का उपयोग कर सकते हैं |
    • अपने घुटने मोड़ें, अपने पैरों के पंजों को जमीन पर समतल या सपाट रखें |
    • दोनों हाथों को एक घुटने के पीछे रखें और इसे अपनी छाती की ओर ऊपर लायें | इस स्ट्रेच के समय अपनी पीठ के निचले हिस्से को जमीन पर दबाएँ | इस स्थिति में 15-30 सेकंड तक रहें और फिर विश्राम करें |
    • दूसरे पैर के साथ भी यही क्रिया दोहराएँ | प्रत्येक पैर के लिए 2 से 4 बार दोहराएँ |
  8. पिलेट्स क्रियाएं गांठ बनाने वाली आपकी पीठ की तनावयुक्त मांसपेशियों को स्ट्रेच करने में मदद कर सकती हैं | मांसपेशियों के तनाव के निवारण के लिए इस क्रियाओं का एक विशेष संयोजन प्रेयर टू कैट टू कैमल (prayer to cat to camel) एक बहुर अच्छी क्रिया है | [२०]
    • चारों से शुरू करें | सांस भरें और सांस छोड़ते हुए अपनी एडियों पर वापस झुक जाएँ | आपने हाथ अपने सामने फैलाएं और सिर को जमीन की ओर झुकाएं | यह एक प्रेयर या प्रार्थना की स्थिति है | इससे आप अपनी पीठ के निचले हिस्से में खिंचाव अनुभव करेंगे |
    • प्रेयर पोजीशन से वापस सभी चार स्थितियों में आ जाएँ | सांस लें | छत की ओर अपनी पीठ को ऊपर की ओर मोड़ें | सिर को खींचें और पेट की मांसपेशियों को अंदर करें | यह कैट या बिल्ली की स्थिति है | इससे आप अपनी पीठ की मांसपेशियों में खिंचाव अनुभव करेंगे |
    • सांस छोड़ें और जमीन की ओर अपनी पीठ को मोड़ें, अपने नितम्ब ऊपर उठायें और ठोड़ी को छत की ओर करें | यह कैमल या ऊंट की स्थिति है और इससे आप अपनी पीठ के ऊपरी हिस्से में खिंचाव अनुभव करेंगे |
    • प्रेयर पोजीशन में वापस आ जाएँ | इन सभी क्रियाओं को 5 बार दोहराएँ |
  9. अपने हाथों को गूथें और अपने सामने की ओर इन्हें खींचें: अपनी कोहनियों को सीधा रखें और पीठ को मोड़ें | अपनी हथेलियों को बाहर की ओर रखें और फिर इन्हे अंदर की ओर अपने सामने मोड़ें | इस स्थिति में 20 से 30 सेकंड तक बने रहें |
  10. अपने कान को कंधे के पास लायें | धीरे से अपने सिर को उसी तरफ के हाथ से नीचे झुकाएं | इससे आप हल्का स्ट्रेच अनुभव करेंगे, दर्द नहीं | इस स्थिति में 30 सेकंड तक रहें और फिर विश्राम करें | दूसरी ओर भी दोहराएँ | [२१]
    • अपनी ठोड़ी को अपनी छाती के पास लायें | इस स्थिति में स्ट्रेच अनुभव होने तक 20 से 30 सेकंड के लिए बने रहें |
विधि 3
विधि 3 का 3:

अच्छी आदतें अपनाएं

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  1. अगर आपकी गांठ किसी चोट के कारण बनी है तो सबसे पहले ठंडा सेक लगाना चाहिए | कोल्ड पैक (cold pack) को गांठ पर 20 मिनट तक रखें और दिन में कम से कम तीन बार प्रयोग करें | इसे चोट लगने के बाद पहले दो या तीन दिन तक करें | [२२]
    • कोल्ड पैक बनाने के लिए 3 कप पानी और 1 कप रबिंग अल्कोहल को मिलकर एक उचित बैग में डालें और ध्यान दें कि इसे फ्रीज़ करने से पहले इसकी सारी हवा निकाल ली गयी हो |
    • आप फ्रोजेन सब्जियों के बैग का भी इस्तमाल कर सकते हैं |
  2. मांसपेशियों को ढीला करने के लिए गांठयुक्त स्थान पर हीट (heat) लगायें: बार-बार होने वाले चिरकारी दर्द के लिए, हीट, बर्फ की अपेक्षा अधिक बेहतर काम करती है | [२३] इसके लिए, एक हीटिंग पैड (heating pad), एक गर्म स्नान या गर्म शावर का उपयोग करें |
    • हीट को एक समय में 15 से 20 मिनट से ज्यादा देर तक और दिन में तीन बार से ज्यादा इस्तमाल न करें |
    • अगर आप नम हीट लगाना चाहते हैं तो आप एक गीली टॉवल को माइक्रोवेव में 30 सेकंड के लिए रखकर गर्म कर सकते हैं | तोवेल को बहुत ज्यादा गर्म न करें अन्यथा आप इससे जल सकते हैं |
  3. ख़राब मुद्रा या पोस्चर के कारण, विशेषरूप से जब आप लम्बे समय से बैठे हों, पीठ दर्द और गांठें हो सकती हैं | [२४] टेड़े होने या झुकने के प्रति जागरूक रहने की कोशिश करें क्योंकि इससे लगातार रूप से एक ही ओर की मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है |
    • अगर आप डेस्क पर काम करते हों तो थोड़े-थोड़े समय में उठें और प्रत्येक घंटे आस-पास थोडा घूमें |
    • जब आप बैठें या खड़े हों तो अपने सिर को आगे की ओर रखें | [२५]
  4. जब बात आपकी पीठ को मजबूती देने की हो, तो योगा ज़रूर करें | यह आपकी पीठदर्द में तो आराम देता ही है, साथ ही मांसपेशियों को मजबूती देता है और उनके लचीलेपन को बढ़ता है | यहाँ कुछ स्थितियां दी गयी हैं जिन्हें आप कर सकते हैं: [२६]
    • ”डाउन फेसिंग डॉग (downward-facing dog)” आपकी पीठ के निचले हिस्से की मदद करेगा | यह आपकी पीठ को फ़ैलाने वाली मांसपेशियों को लक्ष्य करता है जो आपके कूल्हों के नीचे होती हैं और इसमें आपके हाथ आपके कन्धों के थोड़े सामने होते हैं | सांस छोड़ते हुए अपने घुटनों को छत की ओर ऊपर दबाएँ और अपने पैरों को खींचें | एडियों को जमीन की ओर खींचें लेकिन अपने घुटनों को लॉक (lock) न करें | इसमें आपका शरीर एक आर्च (arch) की तरह बन जायेगा | [२७]
    • ”बालासन (child pose)” आपकी पीठ की मांसपेशियों को सीधा रखता है | इन सभी चारों पर शुरू करें | पीछे झुकें जब तक कि आपके नितम्ब आपकी एड़ियों को न छू लें | अपने हाथों को आगे की ओर खींचें और अपने सिर नीचे लाकर को जमीन पर लगायें | [२८]
    • ”कपोतासन (pigeon pose)” आपके कूल्हे को घुमाने और मोड़ने वाली मांसपेशियों को स्ट्रेच करती है | कभी-कभी हम भूल जाते हैं कि हमारा पूरा शरीर जुड़ा हुआ है और कूल्हे के गलत एलाइनमेंट (alignment) के कारण एक स्वस्थ पीठ को पूरी तरह से ख़राब हो सकती है | पीठ के बल घुटने मोड़कर लेट जाएँ और अपने बाये टखने को अपनी दाहिनी जांघ पर लायें | अपने हाथों को अपनी दाहिनी जांघ के पिछले हिस्से के पास रखें और अपने दाहिने घुटने को अपनी अपनी छाती की ओर खींचें | अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को इस स्थिति में रखते हुए शांत रखें | इसे दूसरी ओर भी दोहराएँ | [२९]
    • ”त्रिकोणासन (ट्रायंगल पोज़)” आपकी पीठ और पैरों को मजबूती देता है और आपकी टोर्सो (torso) और कूल्हे की मांसपेशियों को स्ट्रेच (stretch) करता है | एक योगा करने की चटाई पर अपने पैरों के बीच लगभग 4 फीट की दूरी बनाकर खड़े हो जाएँ | अपने दाहिने पैर को बाहर की ओर मोड़ें जिससे यह चटाई के लम्बे किनारे के समानांतर हो जाये | अपने एड़ियों को सीधा रखें जिससे ये एक सीधी लाइन बनायें |अपनी भुजाओं को अपने पार्श्वों से बाहर लाये जिससे आपका शरीर “टी (t)” शेप में आ जाये | नीचे की ओर मुड़ें और दाहिनी ओर झुकें, अपने दाहिने हाथ को खींचकर अपने दाहिने पैर पर ले जाएँ | आराम से किये जाने तक इस स्थिति में बने रहें | दूसरी ओर भी यही दोहराएँ | [३०]
  5. नियमित और मध्यम गति से एरोबिक एक्सरसाइज करने से गांठों को दूर करने मे मदद मिलेगी | एक्सरसाइज जैसे तैरना, एलिप्टिकल (elliptical) मशीन का उपयोग या जंपिंग जैक का उपयोग करें जो आपके हाथों के साथ ही आपके पैरों की भी एक्सरसाइज करते हैं | [३१]
    • दिन में लगभग 30 मिनट तक मध्यम गति से एरोबिक एक्सरसाइज करने का लक्ष्य बनायें |
  6. एसेटामिनोफेन (tylenol) लेने से शुरुअत करना बहुत अच्छा होता है क्योंकि इसके कारण अन्य दर्द निवारकों की अपेक्षा बहुत कम साइड इफेक्ट्स होते हैं | अगर इससे लाभ न मिले तो एनएसएआईडी (नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स) लें | सामान्य एनएसएआईडी में इबुप्रोफेन (ibuprofen) जैसे एडविल (advil), नाप्रोक्सेन (naproxen) जैसे एलेव (aleve) या एस्पिरिन (aspirin) शामिल हैं | [३२]
    • कभी भी इन्हें पैकेट पर सिफारिश किये गये डोज़ से अधिक मात्रा में न लें | एनएसआईडी और एसेटामिनोफेन दोनों को गलत तरीके से उपयोग करने पर गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं |
  7. चिरकारी या लम्बे समय से हो रहे पीठदर्द के बारे में डॉक्टर से सलाह लें: अगर आपका पीठदर्द कुछ सप्ताह से ज्यादा समय से है या अगर पीठदर्द जब से आपको याद है तब से आपको प्रतिदिन होता आया हो तो डॉक्टर से बात करें | आपको तेज़ दवाओं या उपचार की ज़रूरत हो सकती है |
    • भौतिक चिकित्सा या फिजिकल थेरेपी लेने की सिफारिश संभवतः सबसे पहले की जाती है | फिजिकल थेरेपिस्ट दर्द में आराम देने के लिए और पीठ के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए व्यायाम और तकनीकों की सिफारिश कर सकते हैं | कुछ तकनीके वास्तव में लाभ पहुँचती हैं जैसे, सूखी सुइयों का प्रयोग जिससे ट्रिगर पॉइंट को उत्तेजित करके पीठ दर्द में आराम दिया जा सकता है | [३३] [३४]
    • अगर आपका पीठ दर्द लगातार बना रहता है या उसमे कोई सुधार न आ रहा हो तो डॉक्टर आपके लिए मसल्स रेलेक्सेंट्स (muscles relaxants) लिख सकते हैं | इनकी लत लग सकती है इसलिए सिर्फ डॉक्टर के द्वारा लिखने पर ही इनका उपयोग करें | [३५]
    • इंजेक्शन और सर्जरी सबसे आखिरी विकल्प के रूप में उपयोग किये जाते हैं जब दर्द शरीर के विभिन्न भागों में प्रसारित होने लगता है | डॉक्टर आपके एपिड्युरल स्पेस (epidural space) में जो स्पाइनल कार्ड के चारों ओर होता है, में कॉर्टिसोन (cortisone) इंजेक्ट कर सकते हैं | इस इंजेक्शन से सामान्यतः केवल कुछ महीनों तक ही आराम मिलता है | जब तक अधिक गंभीर चिकित्सीय स्थिति न हो जैसे हर्नियेटेड डिस्क (herniated disk) या स्पाइनल स्टेनोसिस (spinal stenosis), तब तक पीठदर्द के लिए सर्जरी उचित नहीं होती | [३६]
  8. जब ज़रूरत हो तो आपातकालीन चिकित्सीय देखरेख में रहें: कभी-कभी पीठदर्द अन्य चिकित्सीय स्थिति का चिन्ह होता है जिसमे आपातकालीन देखभाल की ज़रूरत होती है | अगर आपको इनमे से कोई भी परेशानी हो तो तुरंत आपातकालीन देखभाल अपनाएं: [३७]
    • पीठ दर्द के साथ अन्य लक्षण हों जैसे, छाती में दर्द, सांस लेने में तकलीफ या पसीना आना | ये हार्ट अटैक के चिन्ह हो सकते हैं | [३८]
    • एक चोट के बाद पीठ दर्द हुआ हो जैसे कार क्रेश, गिरना या एथलेटिक चोट
    • पीठ दर्द के साथ आपकी आँतों या ब्लैडर में परेशानी हो
    • पीठ दर्द के साथ बुखार हो

सलाह

  • दिन में तीन से पांच मिनट तक खिंचाव या स्ट्रेचेस (streches) और मालिश करें| लाभ मिलने तक ऐसा करते रहें |

चेतावनी

  • ऐसी किसी दिशा में न हिलें जिसके कारण तेज़ दर्द हो | खींचना अच्छा है लेकिन दर्द होना एक बुरी बात है |
  • स्पाइन (spine) पर सीधा दबाव न डालें |

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