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साइकिल चलाना सीखना सिर्फ बच्चों के लिए ही नहीं बल्कि उनके माता पिता और अभिभावकों के लिए भी आज़ाद महसूस करने का तरीका है | हो सकता है की आपने ट्रेनिंग व्हील्स (Training wheels) लगा कर साइकिल चलाना सिखा दी होगी, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है की पेडल हटा कर बैलेंस कर के साइकिल चलाना सीखना ज्यादा बेहतर रहता है | आप चाहे किसी भी ट्रेनिंग तकनीक का इस्तेमाल करें, ये याद रखें की आपका काम उन्हें पकड़ना या धक्का देना और डराना नहीं बल्कि उनका मार्गदर्शन करना और प्रोत्साहित करना है | इसे मज़ेदार रखें और बाद में उन्हें (और खुद को भी) आइसक्रीम के रूप में पुरुस्कार दें!

विधि 1
विधि 1 का 4:

अपने बच्चे और साइकिल के लिए ज़रूरी सामान खरीदना

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  1. ट्रेनिंग तब शुरू करें जब आपको लगे की आपका बच्चा शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार है: कुछ बच्चों में साइकिल चलाने के लिए संयम और शारीरिक क़ाबलियत 4 साल पर विकसित हो जाती है और कुछ में 6 साल पर | पर ये भी सही है की हर बच्चा अलग होता है, तो जब तब आपका बच्चा शारीरिक तौर से फुर्तीला और साइकिल को बैलेंस करने लायक नहीं हो जाता तब तक इंतजार करें | [१]
    • कुछ बच्चे साइकिल चलाना सीखने के लिए मानसिक रूप से तैयार होने में वक़्त लेते हैं, और इसमें भी कोई परेशानी नहीं है | उनके साथ जल्दबाजी और ज़बरदस्ती नहीं करें; इसके बजाय जब सही समय लगे तब ट्रेनिंग शुरू करें |
  2. ऐसी साइकिल का प्रयोग करें जिसमें उसका पैर धरती तक पहुँच रहा हो: 5 साल के उम्र के बच्चों के लिए अक्सर, 14 से 16 इंच (36 से 41 सेंटीमीटर) के पहिये वाली साइकिल सही रहती हैं | जब वो सीट पर बैठते हैं, तो उनके पैर बिलकुल सीधे और तलवे धरती पर सीधे पड़ने चाहिए | [२]
    • ऐसी साइकिल पर ट्रेनिंग करना जो ज्यादा बढ़ी या छोटी है सिर्फ ट्रेनिंग की प्रक्रिया को धीमा कर देगा |
  3. ये आपको शुरू में अजीब लगेगा, पर पहले से ही पेडल निकाल देने से बच्चे शुरू से ही आगे बढ़ते हुए बैलेंस करने की कोशिश करते हैं | वो सीधा धक्का लगायेंगे और अपने पैरों को धरती पर रख कर साइकिल को रोक लेंगे | [३]
    • आपको पेडल निकालने के लिए समान्य तौर पर रिंच (Wrench) की ज़रुरत रहेगी, पर साइकिल के साथ जो निर्देश आये हैं उनका पालन करें |
    • आप पेडल के बिना मिलने वाली “कॉस्टिंग (coasting)” या “बैलेंस (balance)” बाइक्स भी खरीद सकते हैं, पर ये बिना वजह का खर्चा हो जायेगा |
  4. अगर ज़रुरत लगे तो थोड़ा सा ट्रेनिंग व्हील्स इस्तेमाल कर लें: जब आप ट्रेनिंग व्हील जोड़ते हैं, बच्चे आसान वाली चीज़ें पहले सीखते हैं- जैसे— पेडल्लिंग (pedalling), स्टीयरिंग (steering), और ब्रैकिंग (braking) | पर इससे सबसे मुश्किल काम- यानि बैलेंसिंग- अंत में सीखने के लिए रह जाता है | [४]
    • अगर आप पहले बैलेंसिंग सीखेंगे को बाकि सारी चीज़ें बाद में बहुत आसान लगेंगी |
    • अगर आप फिर भी ट्रेनिंग व्हील के प्रयोग को प्राथमिकता देते हैं, तो, कोशिश करें की उनका प्रयोग एक या दो हफ्ते से ज्यादा नहीं करें | नहीं तो, बच्चा ऐसी आदतें सीखेगा जो उसे ट्रेनिंग व्हील्स निकालने के बाद फिर से भूलनी पड़ेंगी |
  5. साईडवॉक और सडकें ट्रेनिंग के लिए सही साबित नहीं होती क्योंकि वहां ध्यान भटकने के लिए बहुत वस्तुएं होती है और खतरा भी रहता है | इसके बजाय फ्लैट सतह का कोई खाली पार्किंग लॉट ढूँढें | [५]
    • एक घास का फील्ड भी आपको अच्छा लगेगा क्योंकि उधर गिरने से बच्चे को चोट नहीं आएगी, लेकिन घास अक्सर छोटे बच्चों के लिए चलने के लिए मुश्किल होती है- फिर चाहे वह पैरों पर चल रहे हों या साइकिल पर | ग्राउंड वैसे भी एक सामान्य पार्किंग लॉट से ज्यादा उबड़ खाबड़ होता है |
  6. एक सही फिटिंग वाला हेलमेट और अन्य सेफ्टी गीयर का प्रयोग करें: ऐसा हेलमेट चुनें जो साइकिलिंग और बच्चे के सर के लिए उपयुक्त हो | उसे ढंग से फिट हो जाना चाहिए, और बच्चे की ऑयब्रो से हेलमेट के उपरी हिस्से तक सिर्फ दो उँगलियों भर की चौड़ाई होनी चाहिए | [६]
    • इसके इलावा बच्चों के लिए उपयुक्त नी पैड्स (knee pads) और एल्बो पैड्स (elbow pads) का इस्तेमाल करें | साइकिलिंग ग्लव्स पहनने से गिरने से लगी चोट से सुरक्षा मिलती है |
विधि 2
विधि 2 का 4:

बैलेंस ट्रेनिंग की शुरुआत करना

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  1. सीट को थोड़ा नीचा करें ताकि बच्चा ज़मीन को धक्का दे कर आगे बढ़ सके: सामान्य तौर पर राइडिंग करने के लिए आपकी सीट इतनी ऊँची होनी चाहिए की जब उसके तलवे ज़मीन पर सीधे रखे हों तो भी उसके पैर सीधे हों | पेडल के बिना ट्रेनिंग के लिए, लेकिन, जब तलवे सीधे हों तो घुटने थोड़े से मुड़े होने चाहिए | [७]
    • आपको सीट को एडजस्ट करने के लिए रिंच की मदद से उसे ढीला करना होगा, पर ये भी हो सकता है की आपकी बाइक में पहले से ही क्विक- रिलीज़ सीट लैच (quick-release seat latch) दिया गया हो |
  2. बाइक के बजाय उन्हें सहारा दें, लेकिन ज्यादा कसकर नहीं पकड़ें: उनके कन्धों, पीठ या गर्दन पर अपने एक या दोनों हाथ रखें लेकिन ज्यादा जोर से नहीं पकड़ें | अगर उन्हें और सहारे की ज़रुरत है, तो उनके कांख (armpits) के नीचे अपने दोनों हाथ रखें | [८]
    • आपका मकसद उन्हें सहारा देना है, नाकि उन्हें सीधा रखकर आगे को धक्का देना |
    • साइकिल के हैंडलबार या सीट को पकड़ने के बजाय उनको सहारा दें |
  3. उन्हें अपनी हलकी सी मदद से आगे बढ़के साइकिल को धक्का देकर चलाने दें: उन्हें उनके दोनों पैरों की सहायता से आगे बढ़ने का निर्देश दें | शुरुआत में उनका संतुलन अस्त व्यस्त होगा, तो उनके शरीर को संयमित करने की कोशिश करें | हैंडलबार्ज़ उन्हें ही संभालने दें ताकि वो साइकिल चलाते समय उन पर नियंत्रण करना सीख सकें | [९]
    • जब भी वो गिरने को हों तो उन्हें पकड़ कर उनका मार्गदर्शन करें | नहीं तो, आप वही कर रहे होंगे जो ट्रेनिंग व्हील कर रहे थे |
    • एक बार उन्हें कॉस्टिंग की समझ आ गयी, तो जब वो धीरे होने लगें उनसे कहें की वह अपने पैरों के इस्तेमाल से साइकिल को रोक लें |
  4. उन्हें ये निर्देश दें की उन्हें नीचे के बजाय आगे देखकर साइकिल चलानी है: उनका मन कहेगा की उन्हें हैंडल बार या आगे के व्हील की ओर देखना है, और शायद बाद में पेडल की ओर | उनसे कहें की जैसे वो आगे बढ़ें वह आगे देख कर चलने का अभ्यास करें | [१०]
    • अगर आपके पास कोई दूसरा साथी भी है, तो उसे साइकिल के आगे कुछ फीट/ मीटर की दूरी पर खड़े करें और बच्चे को आगे बढ़ते समय उसे सहारा देने को कहें | बच्चे से कहें की उसे उस व्यक्ति पर अपनी नज़र बनाये रखनी है |
  5. पेडलज़ और सीट को उनके सही स्थान पर वापस पहुंचाएं: एक बार बच्चा जैसे उसका पैर-धरती-पर-रखकर अपने को धक्का देकर संतुलित तरीके से आगे बढ़ना सीख जाता है, समझ लें की वह पेडलिंग के लिए तैयार है | साइकिल के साथ आये निर्देशों के मुताबिक पेडल फिर लगायें, और सीट को इतना उठाएं ताकि जब वह उस पर पैर फैला के बैठें उसके पैर सीधे हों और तलवे धरती पर चपटे पड़ रहे हों | [११]
विधि 3
विधि 3 का 4:

जैसे वो पेडल करके आगे बढ़ें उनका मार्गदर्शन करें

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  1. उन्हें शुरुआत करने के लिए “रेडी पोजीशन (ready position)” सिखाएं: पेडल को ऐसे घुमाएं ताकि एक दूसरे से थोड़ा ऊपर और आगे की ओर हो | आगे का पहिया जब लेफ्ट में हो उस दिशा से देखने से, पेडल करीबन 4 ओ’क्लॉक और 10 ओ क्लॉक पोजीशन पर होने चाहिए | [१२]
    • अगर वो सीधे हाथ का इस्तेमाल करते हैं, तो सीधा पेडल आगे होना चाहिए और उसका विपरीत भी |
  2. उन्हें सहारा देते हुए लेकिन बहुत जोर से नहीं पकड़ते हुए उन्हें अपना मज़बूत पैर आगे वाले पेडल पर रखने दें | जैसे वो अपना दूसरा पैर उसके पेडल पर रखें उन्हें आगे धक्का देने को कहें | जब वो ऐसा कर रहे हैं उनसे कहें की वह हैंडल बार का नियंत्रण करें और आगे देखें | [१३]
    • उन्हें “शुरू करवाने के लिए” ना तो उन्हें और ना ही साइकिल को धक्का दें | उनके साथ तब तक अभ्यास करें कब तक वो अपनी खुद की ताकत लगाना नहीं सीख लें |
  3. आपके बच्चे के आगे को पेडल करने की पहली कुछ कोशिशें नाकाम हो सकती हैं | लेकिन बाद में, वह आगे को बढ़ते हुए खुद को संभालना सीख जायेंगे | जैसे जैसे वो सुधरते जायेंगे, उन पर से धीरे धीरे करके अपनी पकड़ कम करते जाएँ और या तो उनके साथ या थोड़ा पीछे चलें या जोग्ग करें | [१४]
    • पहले के जैसे, जोर से पकड़ने के बजाय गिरते समय उन्हें पकड़ें और सही संतुलन बनाना सिखाएं |
  4. ये ध्यान दें की उन्हें कैसे आगे बढ़ना और कब रुकना है ये पता हो: चलने से पहले और उसके दौरान उन्हें हलके संतुलन बिगड़ने को संभालना और हैंडलबार्ज़ को थोड़ा घुमाने का अभ्यास कराएं | अगर वो ज्यादा तेज़ मोड़ लें और गिरने लगें, तो उनका मार्गदर्शन करें और फिर से शुरुआत करें | [१५]
    • इसके इलावा, चलने से पहले और उसके दौरान ब्रेक का इस्तेमाल-फिर चाहे वो पेडल या हैण्ड ब्रेक हों- कैसे करना है उसका भी अभ्यास करें |
  5. उनके पास तब तक रहे जब तक उनमें खुद से चलाने का आत्मविश्वास नहीं आ जाएँ: कुछ बच्चे एक दम से चलाने का प्रयत्न करेंगे और आपको अकेले छोड़ जायेंगे, जबकि कुछ पेडलिंग सभी प्रकार से सीखने के बावजूद भी आपके पास होने से अच्छा महसूस करेंगे | उनको आत्मविश्वास प्रदान करने का जरिया बनें, नाकि वो सहारा जो उन्हें बार बार बचा कर सीधा कर देता है | [१६]
  6. चाहे आप उनके साथ ही चल रहे हों, फिर भी वह निश्चित तौर पर इधर उधर “गिरेंगे” | अगर वो सीधी सतह पर हैं, धीमी गति से चल रहे हैं, और- सबसे ज़रूरी- सही सुरक्षा उपकरण पहने हैं तो गंभीर चोट लगने की सम्भावना कम ही है | [१७]
    • ये देख लें की वो ठीक हैं, पर उन पर ज्यादा लाड़ प्यार दिखा कर सांत्वना देना नहीं शुरू करें |
    • ऐसा कुछ कहें “अरे! क्या तुम ठीक हो? सब कुछ ठीक ही लग रहा है, तो चलो वापस साइकिल पर चलें और एक और कोशिश करें- तुम बहुत अच्छा कर रहे हो!”
    • ये समझ पाना की आप गिर कर दोबारा उठ सकते हैं साइकिलिंग और जिंदगी का एक बहुत अहम् सबक है!
विधि 4
विधि 4 का 4:

मज़ेदार बनाएं

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  1. जब ट्रेनिंग सेशन में मस्ती ख़त्म हो जाए तो उसे बंद कर दें: कुछ बच्चे एक घंटे में साइकिल चलाना सीख जाते हैं, बल्कि कुछ को कई सेशन लग जाते हैं | अगर वो ट्रेनिंग सेशन के दौरान आत्मविश्वास या रूचि खो रहे हैं, तो तब के लिए बंद कर दें और फिर दिन में बाद में या अगले दिन शुरुआत करें | [१८]
    • कुछ बच्चो को जब तक वो सीख नहीं जाते तब तक अभ्यास करने में कोई परेशानी नहीं होती फिर चाहे उस में कितने भी घंटे क्यूँ नहीं लग जाएँ, लेकिन फिर भी आपको 30 मिनट से 1 घंटे तक का एक सेशन लेने का विचार करना चाहिए |
  2. बेकार की डेडलाइन नहीं तय करें और ना ही उन पर गलत दबाव डालें: अपने बच्चे को उस गति से साइकिल चलाना सिखाएं जो उसके लिए सही है | उन्हें जल्दी सीखने के लिए ज़बरदस्ती या शर्मिंदा करना उन्हें साइकिल चलाने के पूरे विचार के खिलाफ कर सकता है | ऐसी चीज़ें कभी नहीं कहें: [१९]
    • “आपके सभी दोस्त साइकिल चलाते हैं, तो अब तुम्हें भी सीखना चाहिए”
    • “तुम्हारी बहन से एक घंटे में सीख ली थी, तो तुम भी सीख लोगे |”
    • “जब तक तुम ये सीख नहीं लेते हम बाहर ही रहंगे | फिर चाहे हमें पूरा दिन क्यूँ नहीं लग जाए |”
    • “तुम्हें बढ़ा होना है, ना? पता है, बढे बच्चे साइकिल चलाते हैं |”
  3. साइकिल चलाना सीखना एक कार्य के बजाय, मज़ेदार अनुभव होना चाहिये | साइकिल चलाते समय उनकी हर उपलब्धि पर उनकी तारीफ करें, और जब भी वो गिरें या उन्हें तकलीफ हो तो उन्हें सहारा दे कर उठने में मदद करें | आप ऐसी बातें कह सकते हैं: [२०]
    • “ये साइकिल को सीधा रखने का सही तरीका है— बहुत बढ़िया!”
    • “वाओ, इस बार तो तुमने बहुत लम्बा रास्ता पार कर लिया –और वो भी सीधा!”
    • “इस बार तुमने खुद को बहुत अच्छी तरीके से गिरने से बचा लिया | अगली बार कोशिश करना की हैंडलबार्ज़ को इतनी जोर से नहीं घुमाया जाये |”
    • “जल्दी ही हम साथ में आइसक्रीम की दुकान तक साइकिल से जा सकेंगे!”
  4. कुछ बच्चे अपने माता पिता के बजाय किसी और से बेहतर सीख पाते हैं | अगर वो किसी रिश्तेदार या पारिवारिक दोस्त के नज़दीक हैं और वो मदद करने को तैयार है, तो उन्हें कोशिश करने दें | [२१]
    • आपको बुरा नहीं मानना चाहिए- ये याद रखें की उद्देश्य उन्हें साइकिल सिखाना है | एक बार ऐसा हो जाता है, आप साथ में कई सारी साइकिल राइड्स पर जा सकते हैं!

सलाह

  • अगर आपका बच्चा साइकिल नहीं चलाना चाहता है तो उसके साथ ज़बरदस्ती नहीं करें | अगर उन्हीं रूचि नहीं है, तो आप चाहे कितनी भी ज़बरदस्ती कर लें वह सीख नहीं पाएंगे |
  • पेडल हटाने के बजाय, एक प्री बाइक (pre-bike ) खरीदने के बारे में सोचें | ये एक हल्का टू व्हीलर होती है जिसमें पेडल इत्यादि नहीं होते हैं | बच्चा बहुत कम उम्र से ही बैलेंस कर के आगे बढ़ना सीख जाता है | जब आपका बच्चा तैयार हो आप पेडल वाली बाइक पेश कर सकते हैं |

चेतावनी

  • ये पहले से सुनिश्चित कर लें की ब्रेक सही से काम कर रही है और टायर में घिसाव नहीं है |
  • साइकिल चलाते समय आपके बच्चे को हमेशा हेलमेट पहनना चाहिए |

चीजें जिनकी आपको आवश्यकता होगी

  • सही अनुपात की साइकिल
  • सुरक्षा हेलमेट
  • नी और एल्बो पैड्स
  • बाइकिंग ग्लव्स
  • सब्र और अच्छा रवैय्या !

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