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यदि आपको लगता है, कि आप हर किसी को बहुत ज़्यादा नियंत्रित करते हैं, तो फिर संभावना है कि आप हर एक बात को अपनी सोच के अनुसार होने की उम्मीद करते हैं। जब आप का कोई अपना, फ्रेंड या फिर आप के सहकर्मी, आप के चाहे अनुसार बर्ताव ना करते हो, तो आप बहुत ज़्यादा निराश महसूस करने लगते हैं। हो सकता है, कि इस संडे के लिए आप ने जैसा सोचा हो, वह वैसा ना हुआ हो। यदि आप के अंदर भी हर चीज़ को अपने हिसाब से बनाने और इसे परफ़ेक्ट बनाने की इच्छा होती है, तो फिर अब आप को थोड़ा पीछे जा कर, रुक कर यह सोचना होगा, कि आप हर एक चीज़ को नियंत्रित नहीं कर सकते। एक बार आप ऐसा सोच सकें, तो आप को खुद ही यह महसूस होने लगेगा, कि कभी-कभी किसी चीज़ को नियंत्रित करने से बेहतर, जो जैसा चल रहा है, उसे ही स्वीकार कर लेना है। खुद को कम नियंत्रित करने वाला व्यक्ति बनाने के लिए, नीचे दिए गए पहले चरण से शुरुआत करें।

विधि 1
विधि 1 का 3:

अपनी मानसिकता बदलना

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  1. लोगों को नियंत्रण में रखने का एक कारण आप का हर एक चीज़ को परफ़ेक्ट बनाना है। हो सकता है, कि आप अपने स्थान पर किसी को बैठने देना नहीं चाहते हों, या फिर किसी फाइल में कुछ कमी पाने के लिए इस को घंटों तक देखते रहते हों। इस तरह का व्यवहार ना तो आपके लिए मददगार होगा और ना ही अन्य किसी के लिए। बल्कि यह आपके लिए हानिकारक होगा और आपको अपनी ज़िंदगी जीने से दूर ले जा रहा होगा। याद रखें परफेक्शनिस्ट होना भी एक तरह की इमपरफेक्शन ही है, आप परफ़ेक्ट बनने की अपनी इस लालसा को जितना जल्दी ख़त्म करने का प्रयास करेंगे, उतना ही जल्दी आप अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ना शुरू कर देंगे।
    • ज़रा इस बारे में सोचें: यदि आप के मन में आप के स्थान को लेकर चिंता है, कि लोग आप पर हावी हो जाएँगे।
    • परफ़ेक्ट बनने का विचार लोगों को आगे बढ़ने से रोक देता है। हालाँकि ऐसा करना आप के लिए एक गंभीर परिणाम देने वाला होगा। अब जैसे कोई ग़लती तलाशने के लिए किसी रिपोर्ट को बार-बार पढ़ना; लगभग दो से तीन बार इसे पढ़ना आप के लिए समय की बर्बादी होगा।
  2. ऐसे बहुत सारे लोग, जो अपनी इस समस्या का सामना कर रहे होते हैं, उन्हें अपने आत्म-सम्मान को बनाए रखने के लिए प्रयास करने की ज़रूरत होती है। आप अपने दोस्तों को या रिश्तेदारो को नियंत्रित करने का प्रयास करते हैं, क्योंकि आप को लगता है, कि जब तक आप उन्हें हर एक वो छोटी बात ना बताएँगे, कि क्या करना है, क्या नहीं, तो लोग आप के करीब आना और आप के साथ समय बिताना नहीं चाहेंगे। आप को ऐसा लग सकता है, कि यदि आप उन्हें अपनी हर एक छोटी-बड़ी सलाह नहीं दे देते, तो उन्हें आपके बारे में अपनी सोच बनाने का समय मिल जाएगा और इस तरह से वे आप की किन बातों को नापसंद करते हैं, इसे सोच पाएँगे। आप को इस तरह के विचारों को रोकने का प्रयास करना होगा।
    • अपने आत्म-सम्मान, चिंता या अपने इस व्यवहार से जुड़ी हुई अन्य किसी बातों के बारे में समझने के लिए आपको किसी एक थेरेपिस्ट या करीबी दोस्त से सलाह ले लेनी चाहिए, यह आप के लिए काफ़ी मददगार साबित होगी। यह आप को लोगों को नियंत्रित करने की इस समस्या की जड़ तक लेकर जाएगा।
  3. आप के अंदर किसी बात की चिंता, किसी भी परिस्थिति में हर समय कुछ बदतर होने की कल्पना करना, का होना भी आप की इस समस्या का कारण हो सकता है। यदि यही आप की समस्या का कारण है, तो आपको खुद को शांत करने और आराम पहुँचाने की ज़रूरत है। उस परिस्थिति में होने वाली हर एक बात पर ध्यान दें, ना कि सिर्फ किसी बुरे की कल्पना को सोचने लगें, इस तरह से आप खुद को और भी ज्यादा बेहतर महसूस करने लगेंगे।
    • बेशक, अपनी चिंता को मैनेज करने में बहुत समय लग सकता है, यद्यपि योग करना, मेडिटेशन करना, कैफ़ीन की मात्रा को कम करना या फिर समस्या की जड़ का पता लगाना आपकी काफ़ी मदद कर सकता है।
  4. ऐसे लोग जो दूसरों को नियंत्रित करते हैं, वे हर समय अपने विचारों को अन्य लोगों के विचारों से बेहतर बताने का प्रयास करते पाए जाते हैं। यदि आप ज़रा कम नियंत्रित करने वाला इंसान बनना चाहते हैं, तो आप को अन्य लोगों को भी सही समझने की कोशिश करना होगा या फिर इस बात को समझना होगा, कि यदि आपको किसी बात का जवाब नहीं आता, तो यहाँ पर आप की दुनिया ख़त्म नहीं हो जाती।
    • ज़रा इस बारे में सोचे: यदि आप को किसी चीज़ का जवाब नहीं पता, तो इसमें आपके साथ क्या बुरा हो सकता है? लोगों के साथ अक्सर ऐसा होता रहता है और यह बहुत आम बात है। आप सोचेंगे, कि लोग आप को बेवकूफ़ समझने लगेंगे, लेकिन ऐसा नहीं है। ये लोग भी आप ही की तरह एक सामान्य इंसान होते हैं, और इनमें भी कुछ कमियाँ हो सकती हैं, तो आप सिर्फ़ अकेले ही ऐसे व्यक्ति नहीं हैं।
    • हर समय खुद को सच साबित ना कर पाने और आप को आलोचनाओं के लिए खुद को खुला रखना होगा। ऐसा कर पाना किसी के लिए भी अच्छा तो नहीं लगेगा, लेकिन इस तरह से आप लोगों के ऊपर भरोसा कर सकेंगे और उन्हें भी अपने एक साधारण इंसान होने का सबूत देंगे। आप भी अन्य लोगों के साथ खुद को जोड़कर रखना चाहेंगे, है ना?
  5. यदि आप अपने लोगों को नियंत्रित करने वाले इस व्यवहार को छोड़ना चाहते हैं, तो आप को चीज़ों को वे जैसी हैं, उसी तरह से अपनाने की ज़रूरत है। हाँ, यदि किसी चीज़ को बेहतर बनाने के लिए कुछ सलाह की ज़रूरत हो, तो आप दे सकते हैं, लेकिन उस चीज़ को अपनी पसंद के हिसाब से बनाने के लिए आप को हर एक छोटी-छोटी सलाह ना दें। अपने रिश्ते में, अपने घर में और अपने काम की जगह पर मौजूद हर एक चीज़ को वह जैसे भी चल रही है, चलने दें।
    • बेशक, बड़ी-बड़ी क्रांति की शुरुआत, किसी एक छोटे बदलाव के साथ ही हुई होती है। लेकिन हम आपको क्रांति लाने से रोकने के बारे में नहीं, बल्कि अपने आसपास मौजूद परिस्थितियों में सहज महसूस करने और हर चीज़ को अपने मनमुताबिक बनाने के प्रयासों से बचने के बारे में बात कर रहे हैं।
  6. ध्यान रखें, कि लोगों को नियंत्रित करना कभी-कभी आप के लिए मददगार भी साबित होगा: आप सोच सकते हैं, कि किसी प्रोजेक्ट को अपनी ओर से पूरा करना या फिर अकेले ही शादी की तैयारियाँ करना आपको शक्तिशाली महसूस करा सकता है। और बिल्कुल ऐसा हो भी क्यों ना, किसी भी परिस्थिति पर अपना नियंत्रण रख पाना आप को ताक़त ही देगा। पर आप जानते हैं, इस के अलावा भी आप क्या महसूस कर सकते हैं? थका हुआ सा। तनाव युक्त। इस के बजाय किसी की मदद लेना आपको बेहतर महसूस करा सकेगा।
    • इसकी जगह पर खुद के ऊपर अन्य लोगों के साथ में एक ही लक्ष्य को पाने के लिए, मज़े से काम करने का विचार करने का दबाव बनाएँ, और जहाँ तक हो सके उन पर काम का जरा सा ज्यादा भार दें, ताकि आप कुछ आराम भी कर सकें।
    • छोटी शुरुआत करें। आप को अपने किसी बड़े प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए, सिर्फ़ अकेले ही मेहनत करने की ज़रूरत नहीं है। इस की जगह पर इसे पूरा करने में अपने सहकर्मियों से भी मदद लें। और सोचें कि क्या यह इतना कठिन था? यदि नहीं, तो फिर इस से एक कदम आगे की कठिनाई मोल लेने का प्रयास करें और फिर देखें आप को क्या अहसास होता है।
विधि 2
विधि 2 का 3:

लोगों पर भरोसा करना

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  1. एक और बात जो आप को याद रखना चाहिए, वो यह है कि अन्य लोग भी आप के जितने ही ज्ञानी, प्रतियोगी और मेहनती हैं। हाँ लेकिन हर किसी के साथ ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। अब आप जो भी करते हैं, उस का कोई मतलब भी तो निकलना चाहिए, यदि आप अपनी छोटी सी बहन को अपने साथ किचेन साफ करने का कहतीं हैं; तो फिर इस में आप की कोई मदद नहीं होगी। यहाँ पर बहुत सारे अच्छे और मददगार लोग मौजूद हैं, और यदि आप खुश रहना चाहते हैं, तो आप को इन लोगों पर भरोसा करना सीखना होगा और इन्हें अपने निर्णय लेने देना होगा।
    • ज़रा इस बारे में सोचें: यदि अपने लैब पार्ट्नर को, बॉयफ्रेंड को या फिर अपने बेस्टफ़्रेंड को ठीक वैसा ही करने की सलाह देते हैं, जैसा आप चाहते हैं, तो एक बार सोचिए कि आप उन्हें कैसा महसूस करा रहे हैं? उन्हें लगेगा कि आप उन पर भरोसा नही करते, क्योंकि आप को ऐसा लगता है, कि ये लोग आप की तरह स्मार्ट, बुद्धिमान या परफ़ेक्ट नहीं हैं। क्या आप अपने सब से करीबी लोगों को कुछ ऐसा ही महसूस कराना चाहते हैं?
  2. यदि आप लोगों को नियंत्रित करना बंद करना चाहते हैं, तो अन्य लोगों को भी प्रतिनिधित्व करने लायक कोई काम सौपें। वे सारे दिन अब जा चुके हैं, जब आप अपना सारा काम अपने आप से कर के लोगों के सामने बॉस की तरह पेश आते थे। इस की बजाय, लोगों को भी कुछ काम करने दें, फिर भले ही आप अपने सहकर्मियों को इन्हें सौंपते हैं या अपने मित्रों को। एक बार आप दोनों एक-दूसरे पर विश्वास करना शुरू कर देते हैं, तो फिर आप उन से मदद माँगने के बारे में सोच सकते हैं।
    • बिल्कुल, आपको किसी से मदद माँगने के लिए विनम्रता की ज़रूरत होगी, लेकिन समय के साथ ही आप को इसकी आदत हो जाएगी।
  3. किसी भी इंसान को कोई काम सौंपने के लिए, आपको उस पर भरोसा करने के साथ-साथ उन से कुछ सीखने का प्रयास करने की ज़रूरत है। हाँ शायद आप को ऐसा लग सकता है, कि इस दुनिया में सिर्फ़ आप ही ऐसे व्यक्ति हैं, जिसके पास हर किसी को सिखाने के लायक कुछ ना कुछ है, लेकिन यदि आप सच में लोगों को सुनने का प्रयास करते हैं, तो आप को जल्द ही अपने इस विश्वास के गलत होने का अहसास हो जाएगा। एक बार आप लोगों को सुनना शुरू कर देते हैं, तो आप को समझ आ जाएगा कि लोगों के पास आप को सिखाने लायक बहुत कुछ मौजूद है।
    • लोगों को बीच में ना रोकें। वे जो कुछ भी बोलना चाहते हैं, तो उन्हें बोलने दें और उनके सामने अपने विचार पेश करने से पहले एक बार उन्हें सोचने का वक़्त जरुर दे दें।
  4. यद्यपि, लोगों को अपने अनुसार बनाने के लिए हर किसी में किसी ना किसी तरह की तरक्की की गुंजाइश तो बनी रहती है। इसके बजाय आपको उन्हें, वे जैसे हैं, वैसा ही रहने दें, बदलने का प्रयास बिल्कुल ना करें। बेशक यदि आप का बॉयफ़्रेंड कोई ऐसी चीज़ करता है, जो आप को पसंद नहीं है, तो आप उस से बात कर सकती हैं, लेकिन आपको उसे अपने अनुसार एक बिलकुल ही अलग इंसान में बदलने के बारे में नहीं सोचना चाहिए, बिल्कुल वैसे ही जैसे वह आपको बदलने का नहीं बोलता।
    • इस का तात्पर्य लोगों से उन को बेहतर बनाने के बारे में बात करने से है। लेकिन, आप का उन्हें पूरी तरह से बदलने के बारे में सोचना उचित नहीं है।
  5. आप के इस व्यवहार का एक और कारण, आप के मन में मौजूद ईर्ष्या है। आप को ईर्ष्या हो सकती है, क्योंकि आप का बॉयफ़्रेंड हर एक घंटे के अंदर आप को फ़ोन नहीं करता, और इसका मतलब वह किसी और लड़की के साथ है। आप को अपने ऊपर विश्वास करना सीखना होगा, और लोग भी आप की ही तरह सोचते हैं, इस पर भी विश्वास करें। यदि आप के पास ईर्ष्या करने का कोई उचित कारण मौजूद है, तो फिर यह एक अलग बात है, लेकिन यदि यह सिर्फ़ आप के मन का वहाँ है, तो फिर आपको इस पर कार्य करने की ज़रूरत है।
    • खुद से पूछें, कि आपको जलन क्यों महसूस होती है। क्या यह बीते समय में मिली कोई हार के कारण है, या फिर क्या यह आप के अंदर मौजूद असुरक्षा की भावना के कारण है?
    • यदि आप इन सारी समस्याओं से दूर जाना चाहते हैं, तो आपको अपनी ईर्ष्या की भावना को निकाल बाहर करना होगा।
विधि 3
विधि 3 का 3:

पहल करना

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  1. यदि आप की क्रियाएँ, परिस्थिति में आप की मदद नही कर रहीं हैं, तो फिर इसे यहीं रोक दें: कुछ परिस्थितियों में लोगों को नियंत्रित करना आप के लिए मददगार भी साबित होगा। यदि आपका बच्चा कुछ ग़लत व्यवहार करता है, तो आपको उसे नैतिकता के नियम सिखाने होंगे। लेकिन यदि अप का यह व्यवहार किसी परिस्थिति में सुधार लाने के लायक नहीं है, तो यही समय है अपने इस व्यवहार से खुद को दूर करने का। यह आप पर निर्भर करता है, कि आप इस से क्या सीख रहे हैं।
    • उदाहरण के लिए, यदि आप अपने किसी कर्मचारी के काम करने के तरीके को नियमित तौर पर बदलने का प्रयास कर रहे हैं, और इस के परिणाम स्वरूप उस का काम में प्रदर्शन और भी बेकार होते जा रहा है, तो फिर आप को यहीं रुक जाना चाहिए। यदि आप की बेस्टफ़्रेंड अपनी नौकरी छूट जाने के कारण दुखी है, और आप हर एक दिन उसे फ़ोन कर के नई नौकरी मिलने का पूछते हैं, तो यह उसे और भी ज़्यादा दुखी कर सकती है, बस यहीं से आप को खुद को रोक लेना चाहिए।
  2. अपने इस व्यवहार के लिए कोई दूसरा दृष्टिकोण मिल जाना आप के लिए मददगार ही साबित होगा। अपनी बातें व्यक्त करने के लिए, किसी का होना ही आप की बहुत मदद कर सकता है। और आखिर दोस्त होते ही किस लिए हैं, यदि वे आपकी कठिन परिस्थिति में भी मदद ना कर पाएं, तो। यदि आप अकेले ही इस से लड़ रहे हैं, तो आप को प्रेरणा मिल पाना इतना आसान नहीं होगा। किसी मित्र का प्यार और सहयोग आप के अंदर बदलाव लाने में सहयोग प्रदान करेंगे।
    • आप चाहें तो हर हफ्ते अपने मित्र से मिलकर अपनी प्रगति पर चर्चा कर सकते हैं। यदि आप अपने उद्देश्यों की चर्चा किसी और के साथ करते हैं, तो आप इन्हें पूरा करने के लिए खुद को और भी प्रेरित कर सकते हैं।
  3. नियंत्रण रखने वाले लोग अक्सर हर किसी को हर एक छोटी बात पर सलाह देते रहते हैं, यह उन के व्यवहार में पाई जाने वाली एक सामान्य आदत होती है, जैसे उन्हें कैसे व्यवहार करना चाहिए, किस तरह से कपड़े पहनने चाहिए, आदि। आप की यह सलाह, एक सलाह से ज़्यादा एक कमांड की तरह लगने लगती है, तो यदि आप कम नियंत्रण रखने वाला व्यक्ति बनना चाहते हैं, तो अपने इस व्यवहार पर आप को काबू करना सीखना होगा।
    • यदि आप किसी को कहते हैं, कि मैं जो सलाह दे रहा हूँ, वही आप के लिए सही होगा, तो लोगों के सामने आप की छवि सर्वज्ञाता की तरह बन जाएंगे।
  4. ऐसे लोग जो दूसरों को नियन्त्रण में रखना चाहते हैं, उन को बस योजना बनाना बेहद पसंद होता है। उन्हें अपने हर समय या यूँ कहिए कि हर एक पल का हिसाब रहता है, कब उठना है से लेकर रात को कब सोना है तक, कॉफ़ी पीने से लेकर डिनर तक, आज से लेकर, हफ्ते भर के दिनों में क्या पहनना है तक। हालाँकि व्यवस्थित तरीके से रहना एक अच्छी बात है, लेकिन खुद को कुछ बदलाव लाने के लिए भी उपलब्ध रखना जरूरी है। यदि आप इस नियंत्रण वाले व्यवहार से दूर जाना चाहते हैं, तो आप को इन सब बातों को सोचना बंद करना होगा। आप को यह समझना होगा, कि आप अपने हर एक पल की योजना पहले से ही नहीं बना सकते।
    • कोशिश कर के देखें। एक बार बिना कोई योजना बनाए अपना सारा हफ़्ता बिना सोचे समझे कुछ भी करते हुए बिता कर देखें। यदि आप को अचानक किसी मजेदार पार्टी में जाने का मौका मिलता है, तो जाएँ।
    • हालाँकि, बहुत सारे लोगों को प्लानर बनाना अच्छा लगता है, तो यदि आप भी ऐसा करते हैं, तो इसमें कुछ ग़लत नहीं है, लेकिन एक बार इस बात की पुष्टि ज़रूर कर लें, कि हफ्ते भर में आप के कम से कम 10 ऐसे घंटे ज़रूर हैं, जिन के लिए आपने कुछ भी प्लान ना किया हो। इस के बाद इस संख्या को धीरे-धीरे 15 फिर 20 करते जाएँ। इस से आप को आराम मिलेगा और यह भी जानने को मिलेगा, कि आप की योजना के बिना भी सब कुछ सही रूप से गुजर रहा है।
  5. इस तरह के लोग अचानक आए किसी भी पल में जैसे किसी ट्रिप पर जाना पसंद नहीं करते हैं। इन की अपनी कुछ योजनाएँ होतीं हैं, और ये हर समय बस इन के अनुसार ही काम करना पसंद करे हैं। तो बस इस धारणा को यहीं ख़त्म करने काअब समय आ गया है और सिर्फ़ अपने हर एक पल का आनंद लेने शुरू कर दें।
    • तो अगली बार अब जब भी आप अपने दोस्तों के साथ में हों और ऐसी ही किसी तरह की योजना पर चर्चा की जा रही हो, तो अपना निर्णय बताने से पहले ज़रा सावधानी से एक बार विचार करें। या फिर उन्हें ही तय करने दें क्या करना है। और आप भी देखेंगे, कि उन का निर्णय इतना भी बुरा नहीं होगा, जितना आप ने सोचा होगा!
  6. यदि आप खुद के निर्णय लोगों पर थोपने से बचना चाहते हैं, तो फिर आपको अपनी कार्यप्रणाली में परिवर्तन कर सकने लायक खुद को नम्य बनाना होगा। आप को इस लायक बनना होगा कि आप हर एक रूटीन के लिए खुद को ढाल सकें। हो सकता है, कि एकदम अचानक से आप के परिवार में कोई योजना या कार्यक्रम सामने आ जाए, तो इस का मतलब यह तो नहीं है, कि बस क्योंकि यह आपकी योजना के मुताबिक नहीं हो रहा है, इसलिए आप इस कार्यक्रम में शामिल ही नहीं होंगे, नहीं ना? या फिर आप की बहन ने आप को अचानक से अपनी मदद करने के लिए बुला लिया है, तो क्या आप बस इसलिए नहीं जाएँगे, क्योंकि उस ने आपको एक हफ्ते पहले इस की जानकारी नहीं दी थी? तो बस अपनी योजनाओं को परिवर्तित कर सकने के लिए तैयार रहें।
    • इसे अपनाने के लिए, आप को इस बात को समझना होगा, कि यह ज़िंदगी है और ज़िंदगी में हर एक चीज़ पहले से योजनाबद्ध नहीं की जा सकती, कभी ना कभी ऐसा होगा, कि आप को कुछ चीज़ें अपनी उम्मीद से अलग भी करना होगी। एक बार आप इस बात को समझ लेते हैं, तो आप आने वाली हर एक बात के लिए खुद से ही तैयार हो जाएँगे।

सलाह

  • अपने जीवन के लिए हमेशा आभार व्यक्त करें। इस के बाद आप को किसी भी चीज़ को खोने या पाने का डर कभी नहीं सताएगा।
  • यदि आप अपने जीवन को आगे बढ़ने देंगे, तो यह आप को खुद-ब-खुद अच्छा लगने लगेगा। खुद से प्यार करें और जीवन स्वरूपी इस यात्रा का लुत्फ़ उठाएँ।
  • अपने लिए हमेशा खड़े रहें। कभी भी कोशिश करना न छोड़ें। यदि आप किसी के विचारों को बदलने का सोच रहे हैं, तो अभी भी आप लोगों को नियंत्रित कर रहे हैं। इस सच को स्वीकार करें, कि आप हर किसी को नियंत्रित नहीं कर सकते।
  • अपनी समस्याओं के बारे में लोगों से बात करें।

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