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बात चाहे कामकाजी लाइफ की हो या फिर पर्सनल लाइफ की, अगर आप सफल होना चाहते हैं और खुशी चाहते हैं तो अच्छे फ़ैसले लेना आपके लिए बहुत अहम होता है। ज़िंदगी में एक व्यक्ति को इतने फ़ैसले लेने पड़ते हैं कि कुछ लोग उनके बारे में सोच कर ही दबाव में आ जाते हैं, लेकिन अपने फ़ैसलों को बेहतर बनाने की कुछ रणनीतियों (strategies) को सीखने से चीज़ें काफी हद तक आसान हो जातीं हैं। तो आइये जानते हैं कुछ तरीके अपनी लाइफ में अच्छे फैसले लेने के।

विधि 1
विधि 1 का 4:

अपने विकल्पों को समझना

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  1. अगर आपको पता है कि आप किसी परिस्थिति से क्या परिणाम चाहते हैं तो आप आसानी से उसे लक्ष्य बनाकर उसकी ओर बढ़ सकते है। [१]
    • लक्ष्यों को दिशा उस पर तय होनी चाहिए जिसे आप भविष्य में पाने की इच्छा रखते हैं। इस से पहले की आप अपने लक्ष्यों की और बढ़े; यह समझना ज़रूरी है कि आपको “क्या” चाहिए। ऐसा करने से आप उन लक्ष्यों को पाने के लिए सबसे बेहतर योजना बना पाएंगे।
    • अपने उद्देश्यों और लक्ष्यों को अपनी बड़ी योजनाओं से जोड़कर देखें। उदाहरण के लिये, अगर आप अपनी मौजूद नौकरी को एक नए कैरियर के अवसर के लिए छोड़ रहे हैं, तो अपने आप से पूछिए की आपके दीर्घकालिक उद्देश्य क्या हैं। देखिए कि एक नई नौकरी किस प्रकार आपको उन उद्देश्यों को पाने में मदद करेगी, और कहीं ऐसा तो नहीं है एक नए नौकरी आपको उन उद्देश्यों तक पहुंचने से दूर कर देगी। आपको अपने जीवन के हर पहलू को ध्यान में रखना चाहिए--जैसे, इस बार में सोचिये कि किस प्रकार आपके व्यावसायिक उद्देश्य आपके निजी उद्देश्यों पर प्रभाव डालते हैं।
    एक्सपर्ट टिप

    Chad Herst, CPCC

    माइंडफुलनेस कोच
    चाड हेर्स्ट Herst Wellner के एग्जीक्यूटिव कोच हैं, जो एक सैन फ्रांसिस्को स्थित वेलनेस सेंटर है और माइंड/बॉडी कोचिंग पर केंद्रित है। वह योग शिक्षक, एक्यूपंचरिस्ट और हर्बलिस्ट के रूप में अनुभव के साथ, 25 वर्षों से वेलनेस स्पेस में काम कर रहे हैं।
    Chad Herst, CPCC
    माइंडफुलनेस कोच

    अपने निजी मूल्यों के बारे में सोचें चैड हर्स्ट, एक कैरियर और लाइफ कोच के अनुसार: "यह जानना ज़रूरी है कि आप क्या चाहते हैं। जब आप जानते हैं कि आपके लिए क्या ज़रूरी है, तब आप ऐसे फ़ैसले ले सकते हैं जो आपके मूल्यों से जुड़े हों।"

  2. प्रमाण (evidence) इकट्ठे करें और फायदे और नुकसान की तुलना करें: अपने प्रमाणों के सोर्स को इवैल्यूएट करें और हर विकल्प के फायदे और नुकसान समझ लें। जब आपको पता हो कि क्या अच्छा और क्या बुरा हो सकता है तो आप एक ज्यादा बेहतर फ़ैसला ले पाते हैं। [२]
    • फ़ायदे और नुकसानों को लिखने और उनकी एक दूसरे से तुलना करने पर आपको आसानी से पता चल जाएगा कि आप क्या पाएंगे और क्या खोना पड़ेगा।
  3. अगर आपको एक से ज्यादा फ़ैसले लेने हैं तो, इसका ध्यान रखना जरूरी है कि किन विकल्पों पर फ़ैसला पहले करना ज़रूरी है। कुछ फ़ैसले दूसरे फ़ैसलों के नतीजों पर आधारित होते हैं। [३]
    • परिस्थितियों को व्यवस्थित करने के अलावा, आपको अपने लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए अपनी प्राथमिकताएं भी तय करना जरूरी है। हर दिन परिस्थितियां बदलती हैं, और कुछ फ़ैसलों पर आपको अपने मूल्यों और लक्ष्यों के दोबारा आंकलन करना पड़ता है।
  4. एक आसान सूची में उन्हें देखने से नतीज़ों की तुलना करना और कौन से फैसले पहले लेने हैं यह चुनना आसान हो जाता है।
    • विकल्पों के फ़ायदे और नुकसान के अलावा उन पहलुओं का भी ध्यान रखें जो आपको पता नहीं हैं। हर फ़ैसले के कुछ ऐसे नतीजे होते हैं जिनका अनुमान नहीं लगाया जा सकता। लेकिन उन अनुमानों की समीक्षा करना आपको यह जानने में मदद कर सकता है कि एक संभव नतीजा जोखिम उठाने लायक है या नहीं। [४]
    • कभी कभी बिना पूरी जानकारी हासिल किए भी फ़ैसले लेने ज़रूरी होता है। यह समझना जरूरी है कि आपको उपलब्ध जानकारी के साथ ही जितना अच्छा हो सके उतना अच्छा फ़ैसला लेना है। आपको बाद में मिली जानकारी के अनुसार बदलाव करने की संभावना छोड़ना काफी मदद कर सकता है।
    • यह याद रखें कि कोई भी योजना अनदेखी अड़चनों से रहित नहीं होती। इसलिए कोई अल्टरनेट प्लान भी तैयार रखें या “अगर ऐसा हुआ तो” वाली परिस्थितियों के बारे में भी सोचें।
  5. इस बात पर भी ग़ौर करें कि कठिन परेशानियों में पेचीदा चीज़ें हो सकतीं हैं: कुछ परेशानियों का सीधा असर आपके जीवन के कई हिस्सों पर पड़ सकता है। अगर किसी परेशानी का समाधान सही समय पर न किया जाए तो इसका आपके अच्छे फ़ैसले लेने के क्षमता पर प्रभाव पड़ सकता है।
    • उदाहरण के लिए, डर और असुविधा आपको अच्छे फ़ैसले लेने से रोक सकती है। एक ऐसे फ़ैसले का बचाव करना आसान होता है जो आपको असुविधा से दूर ले जाता है बावजूद इसके की यह सबसे अच्छा फ़ैसला नहीं हैं। फ़ैसला लेते वक्त जागरूक रहें और पता करें कि कब आप अपने आप से झूठ बोल रहे हैं।
विधि 2
विधि 2 का 4:

मदद लेना

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  1. उन लोगों की लिस्ट बनायें जो आपके सपोर्ट सिस्टम हैं: उन लोगों के बारे में सोचें जिन्हें आप पर्सनली या प्रोफेशनली रूप से जानते हैं, और जिन्होंने पहले उसी तरह के फ़ैसले लिए हैं। एक विश्वसनीय व्यक्ति, जिसे आपके मुद्दे पर ज्ञान औऱ अनुभव हो, को ढूढें।
    • अपना सहारा बनाने के लिए लोगों के साथ मूल्य और रुचियाँ की समानता होना जरूरी है। आपको विभिन्न दृष्टि कोणों की सलाह लेनी चाहिए, लेकिन सलाह उन लोगों से लेनी चाहिए जो आपकी परिस्थिति में होने पर आपके मूल्यों के हिसाब से ही फ़ैसला लेते। उनसे उनके अनुभव के बारे में पूछने से भी आपको मदद मिलेगी।
    • इस बात का ध्यान रखें कि आप सलाह उन ही लोगों से लें जिन्हें अनुभव और ज्ञान है। कुछ लोग विषय के बारे में कुछ भी नहीं जानते लेकिन सलाह देने के लिए सबसे ज्यादा उत्सुक होते हैं।
    • जैसे, Ministry of Micro, Small & Medium Enterprises छोटे बिजनेस मालिकों के लिए एक बेहतरीन सलाह का मंच है। आप ज्यादा जानकारी के लिए उनकी वेबसाइट पर जा सकते हैं: https://msme.gov.in/
  2. अपने फ़ैसले के बारे में उन्हें बताएं जिन पर आप भरोसा करते हैं और उनसे उस पर सलाह मांगें। आपके करीबी लोगों के साथ होने से आपको दिलासा मिलता है और तनाव और रक्तचाप कम करने के रूप में शारीरिक मदद मिलती है।
    • सलाह मांगे न कि उनकी सहमती। आप ये नहीं चाहेंगे कि लोग आपको वही बताएं जो आप सुनना चाहते हैं; आप सिर्फ उनसे एक अच्छा फ़ैसला लेने के लिए सलाह मांगे। [५]
    • अलग-अलग कार्यक्षेत्र के लोगों से सलाह लें। विभिन्न तरह की प्रतिक्रिया लेने से आप इस बात का आंकलन कर सकते हैं कि ज्यादातर लोग फ़ैसले को किस तरह से देखते हैं। बस इतना ध्यान रखें कि सलाह देने वाले कि प्राथमिकता आपका हित है। [६]
    • ये ना भूलें कि आखिरी फ़ैसला आपको ही लेना है। आप लोगों से सलाह ले सकते हैं लेकिन अंत में फ़ैसला आपकी मर्ज़ी से होना चाहिए।
  3. इस तरह से आप विचार कर पाएंगे की सवाल को किस तरह से पूछा जाए और जवाब देने वाले भी सोचकर सबसे अच्छा जवाब दे पाएंगे। आपके पास पूरे संवाद का लिखित रूप भी होगा, अगर आप कुछ भूल जाएं तो यह आपके काम आएगा।
  4. लोगों से सलाह लेते हुए उन्हें यह बताएं कि आप किस संदर्भ में बात कर रहे हैं: उन्हें अपने फ़ैसले के बारे में जानकारी दें और यह भी बताएं कि उस फैसले को लेकर क्या-क्या दांव पर लगा है। [७]
  5. दूसरों से सलाह मांगने में कुछ भी गलत नहीं है। बल्कि, कुछ रिसर्च दिखाती हैं कि सलाह मांगना समझदारी की निशानी के तौर पर देखा जाता है। [८]
विधि 3
विधि 3 का 4:

अंजाम तक पहुंचनाF

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  1. एक समय सीमा और कार्य की व्यवस्थित योजना होने से आप परिस्थिति को अच्छे से समझ पाएंगे और आप जान पाएंगे कि आपने उसके हर पहलू को ध्यान में रखा है या नहीं। [९]
    • बहुत सारी छोटी समय सीमाएं रखना और भी मददगार होता। जैसे, एक समय सीमा पर एक फ़ैसला लें, फिर दूसरी समय सीमा के लिए अपने कार्य तय कर लें और ऐसा ही बाकी समय सीमाओं के लिए करते जाएं।
  2. अब जब आपने फ़ैसले के हर पहलू को बारीकी से अपने भरोसेमंद व्यक्तियों के साथ देख लिए है, तो अपने फ़ैसले को एक तय समय सीमा तक लागू करें।
  3. देखें कि आपका फ़ैसला आपके उसूलों से मेल खाता है या नहीं। स्पष्ट मूल्य, सच्चाई के साथ चलने की लगन और आगे बढ़ते रहने की विचारधारा बनाना आपकी फ़ैसला लेने की क्षमता को बनाते हैं। [१०]
    • अपने प्रदर्शन की समीक्षा करें। अपने आप से पूछें कि क्या आपने खुलेपन और ईमानदारी से फ़ैसले के बारे में बात की क्या आपने सबसे अच्छा, और सबसे शिक्षित जवाब दिया? ऐसे सवाल पूछने से आप अपने फ़ैसलों की समीक्षा कर पाएंगे और भविष्य में और अच्छे फ़ैसले ले पाएंगे।
    • इस बात के लिए तैयार रहें कि हर कोई आपके फ़ैसले से सहमत नहीं होगा। इसका मतलब यह नहीं है कि आपने गलत फ़ैसला लिया है। इस से शायद आपका फ़ैसला लेना थोड़ा सा मुश्किल हो जाए। ध्यान रहें कि जिनपर भी आपके फ़ैसले का असर पड़ेगा, उनसे आप सभी पहलुओं के बारे में चर्चा कर लें। [११]
    • कुछ लोग सिर्फ इसलिए आपके फ़ैसले से असहमत होंगे क्योंकि वे बदलाव होने से डर है। एक या दो नकारात्मक प्रतिक्रियाओं से ये ना सोचें कि आप गलत थे; बल्कि यह जानने की कोशिश करें कि “क्यों” लोगों को वह फ़ैसला पसंद नहीं आया।
विधि 4
विधि 4 का 4:

आगे बढ़ना

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  1. पुरानी बातों को भविष्य के फैसलों को प्रभावित न करने दें: क्योंकि आपने पिछली परिस्थिति में अच्छे फ़ैसले नहीं लिए, इसका मतलब यह नहीं कि आप बेहतर फ़ैसले नहीं ले सकते। साथ ही, सिर्फ क्योंकि पहले कुछ चीज़ काम कर गई थी, का मतलब यह नहीं कि यह हर बार काम करेगी। हर परिस्थिति को कुछ नया सीखने के मौके के रूप में देखें। [१२]
    • कोई बुरा फ़ैसला लेने के बाद दिल छोटा न करें। कुछ भी सही गलत नहीं होता सिर्फ यह मायने रखता है कि क्या काम करता है और क्या नहीं। जब भी बुरे अनुभव हों तो उन्हें सीख की तरह लें।
  2. ऐसा करने से आप खुद को बड़ा साबित करने की बजाय आकलन कर पाएंगे कि आपका फ़ैसला पूरी जानकारी के साथ लिए गया था या नहीं। [१३]
    • आलोचना या नामंजूरी को दिल पर न लें। एक फ़ैसले के सही या गलत होने के “सबूत” ढूंढने के बजाय सीखने की कोशिश करें और अपने फ़ैसला लेने की क्षमता को बेहतर करने की कोशिश करें। [१४]
  3. जानकार फ़ैसले लेने से आप अपने दिल पर भरोसा करना और सबसे बेहतर तरीके से सोचना सिखाते हैं। वक़्त के साथ, आप अपने लिए फ़ैसलों के बारे में अच्छा महसूस करने लगेंगे और फ़ैसले लेने में ज्यादा आत्मविश्वास पाएंगे। [१५]
    • डर में आकर फ़ैसले न लें। अपने दिल की आवाज़ पर भरोसा करने में सबसे बड़ी अड़चन है। [१६]
    • एक परिस्थिति को देखें जिसपर फ़ैसला लेना है और उस पर ध्यान लगाने की कोशिश करें। परेशानी के हालातों और संभावनाओं के बारे में खुलकर गहराई से सोचें और लिए गए फ़ैसले के परिणामों पर विचार करें। [१७]
    • अलग-अलग मुद्दों पर अपने दिल से लिये फ़ैसलों और उनके नतीजों की एक डायरी या अभिलेख रखें। इस से आप अपनेK फ़ैसलों में समानताएं देखेंगे और अपने दिल की आवाज़ पर बेहतर भरोसा करना सीखेंगे। [१८]

विकीहाउ के बारे में

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