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अज़ान एक विशेष इस्लामी संदेश है, जो नमाज़ से पहले नमाज़ के बुलावे के लिए बोला जाता है। मुअज़्ज़िन यानी अज़ान देने वाला नमाज़ से पहले मस्जिद के मीनार या माइक से अज़ान की सदा लगाता है। इस्लामी रिवाज के मुताबिक अज़ान वह पहले शब्द हैं, जो नवजात शिशु के कानों में बोले जाना चाहिएं। नवजात शिशु के कानों में इन शब्दों को इंग्लिश, अरबी या दूसरी भाषा में भी कहा जा सकता है, जो कि आप पर निर्भर करता है।

भाग 1
भाग 1 का 3:

खुद को अज़ान देने के लिए तैयार करें

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  1. वुज़ू करके खुद को नमाज़ के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करें: खुद को सिर्फ अल्लाह के लिए पाक करने की नियत करके सबसे पहले हाथ धोएं। खामोशी से बैठकर यह सोचें कि आप यह किस मक़सद के तहत कर रहे हैं। खुद को पाक और साफ करने के लिए वुज़ू करा जाता है।
    • तीन बार ग़रारे और कुल्ला करें, ताकि आपके मुंह में मौजूद खाने के अवशेष निकल जाएं। नाक में पानी डालकर नाक को साफ करें।
    • अपने चेहरे को तीन बार धोएं। अपने हाथों की मदद से चेहरे को सीधे कान से लेकर उल्टे कान एवं पेशानी से लेकर ठोड़ी तक धोएं। फिर अपने हाथों को और पैरों को तीन बार धोएं। उसके बाद अपने सर और कानों को पानी से साफ करें।
    • इस बात का भी ध्यान रखें कि मल, पेशाब, गैस या खून के निकलने पर एवं नींद लग जाने पर वुज़ू टूट जाता है।
  2. क़िबले की तरफ मुंह करके खड़े हों: क़िबला मक्का शहर में मौजूद काबे की दिशा के ओर होता है। सारे मुसलमान नमाज़ पढ़ते समय इसी की तरफ मुंह करते हैं। बहुत सारे मैप एप्स मौजूद हैं जिनकी मदद से आप किबले की दिशा निर्धारित कर सकते हैं। [१] अगर मुमकिन हो, तो अज़ान के लिए किसी ऊंची जगह, जैसे टावर, छत पर खड़े हो जाएं।
  3. कुछ क्षण खामोशी से सोचें कि आप क्या और क्यों करने जा रहे हैं। इस बारे में सोचें कि आप अज़ान क्यों दे रहे हैं और इसका क्या मकसद होता है और अज़ान देने से क्या होगा।
  4. शहादत वाली उंगली अपने कानो में रखें। यह करना वैकल्पिक है, पर लोग शुरू से ही ऐसा करते चले आ रहे हैं। ऐसा करने से अज़ान की ओर ध्यान केंद्रित करने में भी बहुत मदद मिलती है।
भाग 2
भाग 2 का 3:

अज़ान देना

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  1. अज़ान के शब्दों को धीरे-धीरे तेज और साफ आवाज में कहें। अगर आपको अज़ान देने का तरीका आता है और उस तरह अज़ान देने में आपको कोई झिझक और हिचकिचाहट महसूस नहीं हो रही है, तो आप अज़ान के शब्दों को उसी तरह बोलें। अगर आपको पता नहीं है कि अज़ान किस तरह दी जाए, तो अज़ान देने से पहले किसी को अज़ान देते हुए देख लें। आप अज़ान की वीडियो या रिकॉर्डिंग इंटरनेट पर भी सर्च कर सकते हैं। [२]
    • जब आप अज़ान की एक पंक्ति कह चुकेंगे, तो वहां पर मौजूद जमात के लोग आपके द्वारा कहे गए शब्दों को धीरे-धीरे दोहराएंगे। मुअज़्ज़िन के द्वारा कहे गए शब्दों को धीरे-धीरे दोहराया जाता है। लेकिन जब मुअज़्ज़िन (हय्यालस्सलाह) और (हय्यालल्फलाह) कहता है, तो इसकी जगह पर (ला हउला वला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाह) कहा जाता है, जिसका मतलब - "अल्लाह के सिवा कोई ताक़त नहीं" होता है।
  2. इसके बाद अल्लाहु-अकबर ( الله أكبر ) चार बार कहकर अज़ान देने की शुरुआत करें: इन शब्दों का मतलब - "अल्लाह सबसे बड़ा है" होता है। एक साथ दो-दो बार कहकर, इसे इस तरह दोहराएं: " अल्लाहु-अकबर अल्लाहु-अकबर, अल्लाहु-अकबर अल्लाहु-अकबर! " [३] इस बात का ध्यान रखें कि मालिकी मज़हब में इन शब्दों को चार बार की जगह केवल दो बार ही कहा जाता है।
  3. इसके बाद दो बार अशहदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाह ( أشهد أن لا إله إلا الله ) कहें: इसका मतलब है कि " मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के सिवा कोई भी इबादत के लायक नहीं हैI" इन शब्दों को कुछ इस तरह "अश हदु अल्ला इलाहा इल्ला अल्लाह" कहां जाएगा।
  4. इसके बाद दो बार अश हदु अन्ना मुहम्मदर्र रसूल उल्लाह ( أشهد أن محمد رسول الله ) कहें: इन शब्दों का मतलब है कि "मैं गवाही देता हूं कि मोहम्मद अल्लाह के रसूल हैं।" इन शब्दों को कुछ इस तरह "अश हदु अन्ना मुहम्मदर्र रसूल अल्लाह" कहा जाएगा। [४]
  5. इन शब्दों का मतलब "आओ नमाज़़ की तरफ" होता है।
  6. इन शब्दों का मतलब "आओ कामयाबी की तरफ" होता है।
  7. "हय्या अलल फ़लाह" के बाद और "अल्लाहु अकबर" से पहले क्या शब्द बोले जाएं, इस बात पर उलेमाओं में थोड़ा मतभेद है। शब्दों का बोला जाना आपके मज़हब पर भी निर्भर करता है। इसलिए इसका खास ख्याल रखें ताकि किसी की भी भावनाएं आहत न हों। अगर आप इन शब्दों को लेकर निश्चिंत नहीं है, तो इन शब्दों को छोड़ दें और अगले स्टेप में बताए गए तरीके से अज़ान पूरी करें।
    • अगर आप सुन्री हैं, तो आपको यहां पर "अस्सलातु ख़यरुम मिनन नौम" बोलना होगा। जिसका मतलब "नमाज़़ नींद से बहतर है" होता है। इस बात का भी ध्यान रखें कि यह शब्द केवल फ़जिर, यानी सुबह की नमाज़़ में ही बोले जाते हैं। [५]
    • अगर आप शिया हैं, तो आपको यहां पर "हय्या अल ख़ैर अल अमल" बोलना होगा। जिसका मतलब "लपको अच्छे काम की तरफ" होता है।
  8. इसके बाद "ला इलाहा इल्लल्लाह" ( لا إله إلا الله ) कहकर अज़ान पूरी करें: इसका मतलब "अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं" होता है। चारों मज़ाहिब के मुअज़्ज़िन इन शब्दों को केवल एक बार ही कहते हैं, जबकि इमामी मज़हब के मानने वाले इन शब्दों को दोहराते हैं। मालिकी और शाफ़ी मज़हब के मुताबिक इन शब्दों को दोहराना सुन्नत है, लेकिन मालिकी और शाफ़ी मज़हब में इमामियों की तरह इन शब्दों को न दोहराने पर अज़ान फ़ासिद नहीं होती।
भाग 3
भाग 3 का 3:

इक़ामत और दुआ

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  1. अज़ान के बाद दुआ पढ़ना फर्ज़ नहीं होता। लेकिन यह मुसतहब यानी ऐच्छिक है। [६] यह दुआ व्यक्तिगत तौर पर की जाने वाली एक इबादत है। दुआ के शब्द: " अल्लाहुम्मा रब्बा हाज़ेहिद दआवतित तआम्मा वससलातिल क़ाईमा आती मुहम्मदा निल वसीलता वल फ़ज़ीलता वद दराजतर्र रफ़ीआह, वबअसहु मक़ामम महमूदा निल्लज़ि वअत्ताह, इन्नका लातुख़लिफ़ुल मीआद " यह हैं। [७]
  2. यह नमाज़़ से पहले खड़े होकर कहे जाने वाले आखरी शब्द होते हैं। इक़ामत के शब्द हर मज़ाहिब में अलग-अलग होते हैं। इन शब्दों की जानकारी आप आपके यहां किसी बड़े से ले सकते हैं। इन शब्दों के बाद नमाज़़ शुरू हो जाती है। [८]
    • इक़ामत के शब्द अज़ान के मुकाबले धीमी आवाज में बोले जाते हैं। आपकी आवाज़ इतनी होना चाहिए कि आसपास मौजूद लोग इन शब्दों को सुन सकें। इन शब्दों को जल्दी-जल्दी कहना चाहिए क्योंकि इसके फौरन बाद नमाज़़ शुरू हो जाती है। [९]
    • इक़ामत और अज़ान के शब्दों में बस थोड़ा बहुत ही फर्क है। इक़ामत में हय्या अलल फ़लाह के बाद क़दक़ा मतिस सलाह कहा जाता है, जिसका मतलब (नमाज़़ शुरू हो गई है) होता है। कुछ लोग इन शब्दों को एक बार जबकि कुछ इन्हें दो बार बोलते हैं और यह उनके मज़ाहीब पर निर्भर करता है। सहीह हदीस के मुताबिक इन शब्दों को दो बार बोलना सुन्नत है। [१०]

सलाह

  • अज़ान देने से पहले,अज़ान देने के अलग-अलग तरीकों को सुनना या जानना बहुत उचित रहेगा।
  • इन शब्दों के उच्चारण से पहले इनकी प्रैक्टिस करें।
  • आमतौर पर अज़ान नमाज़ से 15 मिनट पहले, जबकि इक़ामत नमाज़ से बिल्कुल पहले कही जाती है।

चेतावनी

  • फ़जिर की अज़ान के कुछ शब्द अलग होते हैं।

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