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अपने घर की किसी भी चीज़ को, अपने भोजन को, या अपने द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले जेश्चर्स को देखें, तब आप यह जान सकेंगे संस्कृति भी कुछ होती है। सांस्कृतिक परम्पराओं तथा चीज़ों को देखने के नज़रिये ने आपको वह बनाया है, जो आप अभी हैं। उनके बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करिए और यह भी, कि आप किस तरह से उनकी मज़बूती बनाए रख सकते हैं।

विधि 1
विधि 1 का 2:

परम्पराओं में भाग लेना

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  1. अपनी संस्कृति की कला और टेक्नोलॉजी को शेयर करिए: प्रत्येक संस्कृति के अपने कपड़े, संगीत, विज़ुयल आर्ट, कहानी सुनाने की परम्पराएँ, और अनेक विशिष्ट परम्पराएँ होती हैं। आपकी संस्कृति के दूसरे सदस्य अपनी हॉबीज़, अपने काम, अपने क्राफ़्ट्स, और आनंद के लिए जो कुछ भी करते हैं, उसकी शिक्षा दे कर या उनके संबंध में बातें कर बहुत ख़ुश होते हैं। इसमें वह पारंपरिक कलाकृतियाँ शामिल होती हैं जो आपको म्यूज़ियम में मिलती हैं, मगर मैटीरियल संस्कृति इससे कहीं आगे तक जाती है। यहाँ तक कि रसोई का एक चम्मच या सॉफ्टवेयर भी सांस्कृतिक आर्टिफ़ेक्ट होता है।
    • जिन लोगों के पास कम सॉफ़ेस्टिकेटेड टेक्नॉलॉजी होती है उन्हें अक्सर अज्ञानी या कम इंटेलिजेंट माना जाता है। यह बिलकुल ग़लत है। संस्कृति द्वारा किसी खास एनवायरनमेंट के लिए अडाप्ट किए गए टूल्स अगली पीढ़ी तक बढ़ाए जाते हैं, और प्रत्येक टूल के पीछे, पीढ़ियों की सोच होती है। [१] पत्थर के किसी टूल को बनाना एक प्राचीनतम सांस्कृतिक प्रैक्टिस है, और उसमें भी बहुत कौशल और ज्ञान की ज़रूरत होती है।
  2. महत्वपूर्ण ईवेंट्स में शामिल होइए या उनको ऑर्गनाइज़ करिए: यह तो लगभग निश्चित ही है कि आपके देश, कबीले, धार्मिक संप्रदाय, या आप्रवासी एथनिक समूह में प्रमुख त्योहार या सांस्कृतिक फ़ैस्टिवल मनाए ही जाते होंगे। अपनी संस्कृति के संबंध में अधिक विस्तृत जानकारी के लिए जाइए और इनमें शामिल होइए। अगर आपको अपने एरिया में ऐसे कोई ग्रुप नहीं मालूम हों, तब अपना ही कोई ईवेंट ऑर्गनाइज़ करिए।
  3. दादी माँ की कुकबुक से उनकी कुछ रेसिपीज़ के इस्तेमाल से कुछ बनाने के लिए कभी भी देर नहीं होती है। महक और स्वाद का यादों से बहुत पावरफ़ुल कनेक्शन होता है। [२] जब आप आटा सान रहे होंगे या मसालों के सही अंदाज़े को याद करने की कोशिश कर रहे होंगे, तब शायद आपको बचपन या त्योहारों पर बने हुये व्यंजनों की याद आएगी। केवल एक रेसिपी को पढ़ कर आप यह जान सकते हैं कि सामग्रियाँ और रसोई के टूल्स कितने बदल गए हैं। और चाहे उनमें से कुछ आपको अपरिचित से लगें, कुछ दूसरे तो अब तक आपके लिए कमफ़र्ट फ़ूड या परिवार का गौरव बन चुके होंगे।

    सलाह: अगर आपके पास कोई पारिवारिक रेसिपी नहीं हो, तब ऑनलाइन या फ़्लीमार्केट्स में से ढूंढ कर पुरानी कुकबुक्स खोज निकालिए। [३] रिशतेदारों द्वारा शेयर की गई मौखिक रेसिपीज़ को किसी एक जगह लिख कर आप अपनी कुकबुक भी तैयार कर सकते हैं।

  4. अपनी संस्कृति को बचाए रखने का सबसे अच्छा तरीका तो यही है कि उसे जीवित रखा जाये। केवल त्योहारों के लिए नहीं, बल्कि साधारण भोजन, ईवेंट्स, या गपशप के लिए ग्रुप की तरह इकट्ठे होइए। संस्कृति के अनेक पक्षों को, जिनमें एटीकेट, बॉडी लैंगवेज, और ह्यूमर शामिल होते हैं, किताबों और म्यूज़ियम्स से सीखना कठिन होता है।
    • सोचिए कि जहां आप रहते हैं वहाँ की संस्कृति में होने वाली बातचीत की तुलना में आपकी संस्कृति में किस प्रकार की बातचीत होती है। (या उन दो संस्कृतियों की तुलना करिए, जिनमें आप भाग लेते हैं।) देखिये कि क्या एक दूसरे की तुलना में, उनमें से कोई एक अधिक एनर्जेटिक या फ़्रेंडली लगती है? क्या किसी एक में कही गई कोई सामान्य बात दूसरी में रूड (Rude) समझी जाएगी? आपके विचार से ऐसा क्यों है? इस तरह का गहरा विश्लेषण करना कठिन हो सकता है, मगर यह सांस्कृतिक अनुभव की जड़ तक जाता है।
  5. चाहे आप अपने पेरेंट्स या ग्रांडपेरेंट्स के धर्म को मानते हों या नहीं, उसका अध्ययन करने से आपको उनकी संस्कृति को समझने में सहायता मिल सकती है। धर्म, भाषा, इतिहास और निजी व्यवहार को कनेक्ट करता है। अपने या अपने परिवार के धर्म से अधिक परिचित होने से, आपको इन सभी दूसरे पक्षों को समझने में आसानी हो सकती है। [४]

    सलाह: जब कोई गाइड करने के लिए नहीं हो, तब पवित्र टेक्स्ट्स तथा सेरेमनीज़ उलझन भरी लग सकती हैं। ऐसा कोई विशेषज्ञ खोज लीजिये जो उनका महत्व आपको समझाने के लिए तैयार हो। फ़ुटनोट डिस्कशंस के साथ टेक्स्ट की कॉपी को पढ़िये।

  6. अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हों जो आपकी संस्कृति तो शेयर करता हो, मगर उसकी मातृभाषा आपसे अलग हो, तब उससे कहिए कि आपको सिखाये। अनेक लिंगुइस्ट और एंथ्रोपोलॉजिस्ट यह तर्क देते हैं कि दुनिया के संबंध में हमारा पूरा नज़रिया ही भाषा के आधार पर बना हुआ होता है। इसके अलावा, अगर वह भाषा आपके यहाँ बहुत कम ही इस्तेमाल होती होगी, तब कोई चोरी छुपे आपकी बातें भी नहीं सुन सकेगा!
    • हजारों भाषाएँ समाप्ति की कगार पर हैं। [५] अगर आपको उनमें से कोई भी आती हो, तब उसे दूसरों को सिखाइए। उस ज्ञान और नज़रिये के उदाहरणों को शेयर करिए जो अन्यथा गुम हो जाएँगे। बोली और लिखी जाने वाली भाषा को (अगर संभव हो) रिकॉर्ड करिए, और कम लुप्तप्राय भाषाओं में उसके ट्रांसलेशन की कोशिश करिए।
विधि 2
विधि 2 का 2:

अपनी संस्कृति को रिकॉर्ड करना

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  1. आपने अपनी रिसर्च और जीवन से जो कुछ भी डिस्कवर किया हो, चाहे वह जितना भी छोटा क्यों न हो, उसको रिकॉर्ड किया जा सकता है। संस्कृति के संबंध में जानने लायक जो कुछ भी है, आप उस सबको लिख तो नहीं सकते। कहने को तो दरअसल बहुत कुछ होता है। अधिकांश व्यक्ति उसकी जगह दो रास्तों में से किसी एक को चुनते हैं:
    • अपने या अपने परिवार के अनुभवों का एक निजी इतिहास।
    • संस्कृति के किसी एक पक्ष पर विस्तृत विचार: कुकिंग, चुट्कुले, या कोई अन्य सबटॉपिक।
  2. आप अपने निजी सांस्कृतिक अनुभवों को रिकॉर्ड करने के लिए कैलीग्राफ़ी, मौखिक कहानी सुनाने, या किसी अन्य पारंपरिक मीडियम का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। या आप अपने काम को वेबसाइट, डीवीडी, या किसी भी अन्य डिजिटल फ़ॉर्म में रख सकते हैं। इससे अपनी सांस्कृतिक गाथा को दुनिया भर के लोगों के साथ शेयर कर सकते हैं।
  3. उन लोगों के इंटरव्यू लीजिये जिनके इतिहास को आप बता रहे हों, या आप जिस विषय में लिख रहे हैं, उस विषय के विशेषज्ञों के इंटरव्यू लीजिये। इंटरव्यू के लिए पहले से तैयार किए गए प्रश्नों की एक सूची ले कर आइये, मगर आप जिसका इंटरव्यू ले रहे हैं, उसको अन्य टॉपिक पर बोलने और कहानियों को सुनाने दीजिये। [६] संभव है कि आप ऐसा कुछ जान सकें, जिसे पूछने के संबंध में आपने सोचा भी न हो।
    • प्रत्येक इंटरव्यू एक से दो घंटो के अंदर ही रखिए: अगर इंटरव्यू देने वाला तैयार हो, तब अतिरिक्त इंटरव्यू लेने के लिए दोबारा वापस आइये। इससे आप और भी प्रश्न तैयार कर सकते हैं, और इंटरव्यू देने वाले को भी उन डॉक्युमेंट्स या चीज़ों को खोजने का समय मिल जाता है जिन्हें वो शेयर करना चाहते/चाहती होंगे/होंगी।
    • अगर इंटरव्यू देने वाला मान जाये तब वीडियो या ऑडियो रिकॉर्डर का इस्तेमाल करिए: सब कुछ लिखने या याद रखने की तुलना में ये कहीं अधिक एक्यूरेट होते हैं।
  4. परिवार के सदस्यों की मदद से अपनी फ़ैमिली ट्री को रिकॉर्ड करिए, और समय के साथ उसमें और भी जोड़ते जाइए। हो सकता है कि कुछ कज़िन्स या आपके ससुराल पक्ष की ऐसी सम्पूर्ण शाखाएँ हों जिनसे आप कभी मिले ही न हों। पारिवारिक कनेक्शन्स या ऑनलाइन खोज से इनको ट्रैक कर निकालिए, और संभव है कि आपकी संस्कृति के संबंध में, ये लोग आपको किसी बिलकुल ही अनछूए पक्ष को दिखा सकें। पिछली शताब्दियों के संबंध में सरकारी वेबसाइट्स तथा फ़िजिकल रिकॉर्ड कलेक्शन्स आपको अतिरिक्त जानकारी दे सकते हैं। [७]

    सलाह: शुरुआत में ही परिवार के सदस्यों से स्क्रैपबुक्स, जर्नल्स, और दूसरे रिकॉर्ड मांग लीजिये। हो सकता है कि तभी आपको पता चले कि किसी दूसरे ने, आपके लिए, पहले ही काम करना शुरू कर दिया है। [८]

  5. अपनी संस्कृति के लिए लड़ने के लिए अपने रिकॉर्ड का इस्तेमाल करिए: माइनॉरिटी संस्कृतियाँ अक्सर अपनी सांस्कृतिक परम्पराओं को आगे बढ़ाने के लिए संघर्ष करती हैं। अपनी कहानियों और रिकॉर्ड्स को अपनी संस्कृति के युवा वर्ग के साथ शेयर करिए, जिन्हें शायद अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के बारे में जानकारी न हो। राजनीतिक संघर्षों या सामाजिक चुनौतियों के सामने लोगों को डिस्कशन और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए ऑर्गनाइज़ करिए। आपकी रिसर्च से लोगों को अपनी संस्कृति के कोर (core) मूल्यों को समझने में सहायता मिल सकती है, और उन्हें उसको जीवित और मज़बूत बनाए रखने के लिए प्रेरणा भी मिल सकती है।
  6. संस्कृति को आगे बढ़ाने की बातें अक्सर निराशाजनक होती हैं। संस्कृतियाँ "लुप्तप्राय" होती हैं, या इसके पहले कि वे समाप्त हो जाएँ, उनको "बचाने" की ज़रूरत होती है। वास्तविक चुनौतियाँ और जोखिम तो होते ही हैं, मगर यह मत मान लीजिये कि सभी परिवर्तन बुरे होते हैं। संस्कृति, लोगों को अपने आसपास के परिवेश में अडाप्ट करने में सहायता करती है। दुनिया तो हमेशा ही बदलती रही है, और यह आपके ऊपर है कि आप ऐसी दिशा चुनें जिस पर आप स्वयं गर्व कर सकें। [९]

सलाह

  • लगभग सभी लोग एक से अधिक संस्कृति में भागीदार होते हैं। अपने विचारों के मिश्रण और व्यवहार पर गर्व करिए।
  • अगर आप कला के छात्र हैं या कलाकार हैं, तब कला के जरिये संस्कृति को बढ़ावा देने और बचाने में आपकी मुख्य भूमिका है। हम सब, सामाजिक विकास को किस तरह देखते और याद करते हैं, कला का उस पर प्रभाव होता है। आपका कार्य इतिहास और संस्कृति को बचा सकता है, और वह संस्कृति को रिप्रेजेंट करने या यहाँ तक कि समाज, साझी घटनाओं के संबंध में क्या दृष्टिकोण रखता है, उसको आकार देने में सहायता कर सकता है।

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