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अपने पेरेंट्स से अपने डिप्रेशन के बारे में बात करना काफी मुश्किल काम हो सकता है | आपको डर होता है कि वे आपको सीरियसली नहीं लेंगे या आपको निन्दित होने का डर सता रहा होता है | लेकिन, कुछ आसान तरीकों से आप अपने पेरेंट्स को सब कुछ बता सकते हैं | सबसे पहले, डिप्रेशन और अपने लक्षणों के बारे में जानकारी इकट्ठी करके बात करने की अच्छी तरह से तैयारी करें | इसके बाद, अपनी माँ और/या पापा के साथ आमने-सामने बैठकर बात करें | अंत में, अपने पेरेंट्स से जानें कि कि अगर आप अपने डिप्रेशन के लिए ट्रीटमेंट कराना चाहते हों तो वे आपकी किस तरह से मदद कर सकते हैं |

विधि 1
विधि 1 का 3:

सोचें कि क्या और कैसे कहना है

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    डिप्रेशन के लक्षणों को पहचानें: अपने पेरेंट्स को अपने डिप्रेशन के बारे में बताने से पहले आपको सुनिश्चित करें कि क्या सच में आपको डिप्रेशन ही है | डिप्रेशन के बारे में और अधिक जानकारी के लिए नेशनल इंस्टिट्यूट ऑन मेंटल हेल्थ जैसे विश्वसनीय स्त्रोतों पर थोड़ी रिसर्च करें | [१]
    • किशोरों और युवा लोगों में डिप्रेशन अलग-अलग तरह का हो सकता है | आप खुद को दुविधा में पड़ा हुआ, थका हुआ, क्रोधित या बहुत ज्यादा दुखी अनुभव कर सकते हैं | आपको स्कूल में भी काफी संघर्ष करना पड़ सकता है और हलकी सी प्रेरणा से भी आपका ध्यान भंग हो जाता है, एकाग्रचित्त होने और चीजें याद रखने में परेशानी होती है |
    • हो सकता है कि हाल ही में, आपको अपने दोस्तों और फैमिली से बाहर किया गया हो और ज्यादा से ज्यादा समय अकेले बिताने के लिए छोड़ा गया हो | आपको सोने में परेशानी हो सकती है या फिर बहुत ज्यादा नींद आने लगती है | आप अपनी फीलिंग्स को सुन्न करने के लिए ड्रग्स और अल्कोहल का सहारा लेने लगते हैं या दूसरी रिस्की एक्टिविटी करने लगते हैं | [2]
    • अगर आप नहीं जानते कि आप जो भी एक्सपीरियंस कर रहे हैं, वो डिप्रेशन है या नहीं तो बेहतर होगा कि अपने लक्षणों के बारे में खुलकर बताएं जिससे आपको मदद मिल सके |
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    इस बात को समझें कि यह काफी मुश्किल कन्वर्सेशन होगा: अपने पेरेंट्स को डिप्रेशन के बारे में बताते समय आप काफी इमोशनल हो सकते हैं | आप रो सकते हैं या आपके पेरेंट्स रोने लगते हैं | लेकिन यह पूरी तरह से सामान्य होता है | डिप्रेशन एक मुश्किल विषय है और इसे और बिगड़ने से पहले ही इसका पता लगाकर आपको सही चीज़ें करनी होती हैं |
    • संभावना है कि आपके पेरेंट्स पहले ही नोटिस कर लेते हैं कि कुछ न कुछ गलत हो रहा है | उन्हें सिर्फ यह नहीं पता होता कि वो या चीज़ है या वे कैसे मदद कर सकते हैं | परेशानी का नाम पता चलते ही आप उन्हें बेहतर फील कराने और आगे के एक्शन के बारे में बताने में मदद कर सकते हैं |
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    गाइडेंस के लिए किसी ऐसे व्यक्ति से सलाह लें जिस पर आपको भरोसा हो: आपको अपनी मानसिक परेशानी के बारे में बताने पर पेरेंट्स से मिलने वाले रिएक्शन के बारे में चिंता हो सकती है | अगर ऐसा है तो आप स्कूल गाइडेंस काउंसलर, टीचर या कोच से उनकी सलाह ले सकते हैं | इससे आपको अपने पेरेंट्स से अपने डिप्रेशन के बारे में बात करने का हौसला मिल सकता है | [3]
    • आप कह सकते हैं, “श्रीमती बजाज, मुझे लगता है कि मैं डिप्रेस्ड हूँ | लेकिन मैं यह नहीं जानता की यह बात में अपने पेरेंट्स से कैसे कहूँ |”
    • ये विश्वसनीय व्यक्ति आपके पेरेंट्स को मीटिंग में लिए बुला सकते हैं जिससे आप सुरक्षित और कम्फ़र्टेबल वातावरण में यह जानकारी उन्हें दे पायें |
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    तय करें कि आप यह न्यूज़ पहले किसे देना चाहते हैं: तय करें कि आप सबसे पहले अपने किसी एक पेरेंट से बात करना चाहते हैं या एक ही समय पर दोनों पेरेंट्स को बताना चाहते हैं | संभावना है कि आप अपने किसी एक पेरेंट के ज्यादा नज़दीक हो सकते हैं इसलिए आप उनसे बात कर सकते हैं क्योंकि वे बेहतर रियेक्ट कर सकते हैं बल्कि आपको यह भी लग सकता है कि इनमे से एक पैरेंट आपकी परेशानी का एक हिस्सा हैं | [4]
    • अगर आपका यही केस है तो सबसे पहले अपने उस पैरेंट से बात करें जिसके साथ आप सबसे ज्यादा कम्फ़र्टेबल फील करते हैं | ये पेरेंट दूसरे पैरेंट को बताकर आपकी मदद कर सकते हैं |
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    अगर आपको शब्द चुनने में मुश्किल हो रही हो तो एक लैटर लिखें: कई बार, अपनी फीलिंग्स को बताना सच में काफी मुश्किल होता है | आप एक टेक्स्ट मेसेज भेजकर या एक नोट लिखकर अप्रत्यक्ष तरीके से अपने पेरेंट्स के साथ यह खबर साझा करके बेहतर फील कर सकते हैं | [5]
    • एक सीरियस टोन में इस बात का इज़हार करें जिससे आपके पेरेंट्स जान सकें कि यह सच में एक परेशानी है | अपने कुछ लक्षणों को खुलकर बताएं, उन्हें बताएं कि डिप्रेशन कैसे आपकी लाइफ को प्रभावित कर रहा है और डॉक्टर के पास ले जाने के लिए कहें |
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    आप जो कहने वाले हैं, उसकी प्रेक्टिस करें: डिप्रेशन जैसे मुश्किल विषय पर बात करना बहुत कठिन होता है | मिरर के सामने तेज़-तेज़ बोलकर या अपने किसी क्लोज फ्रेंड के साथ रोल-प्ले के जरिये इस न्यूज़ को जोरदार तरीके से बताने की प्रैक्टिस करें | इससे बात करते समय आप ज्यादा कम्फ़र्टेबल फील करेंगे |
    • कुछ मुख्य पॉइंट्स लिखें जिन्हें आप बताना जरुरी समझते हैं और फिर इन्हें बातचीत के दौरान बताएं | इस तरह से, आप इमोशनल होने पर भी सारे पॉइंट्स कवर कर लेंगे |
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    उनके सवालों का अनुमान लगायें: डिप्रेशन को विस्तार से बताने के लिए और अपनी फीलिंग्स और लक्षणों को समझाने के लिए तैयार रहें | अपनी रिसर्च के जरिये अप आप अपने पेरेंट्स के द्वारा की जाने वाली मदद के बारे में भी अपना सहज ज्ञान बता सकते हैं | आपके पेरेंट्स आपसे कई तरह के सवाल पूछ सकते हैं | आपको अपने जबाव पहले से ही सोच लेना चाहिए या आप उनसे कह सकते हैं कि आप मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से बात करने में ज्यादा सहज अनुभव करेंगे | यहाँ कुछ ऐसे उदाहरण दिए जा रहे है जिस तरह के सवाल आपके पेरेंट्स आपसे कर सकते हैं: [6]
    • क्या तुम खुद को नुकसान पहुंचाने वाले हो या खुदखुशी करने वाले हो?
    • तुम्हे कब से ये सब फील हो रहा है?
    • क्या तुम्हारे साथ कुछ हुआ है जिससे तुम्हे इस तरह फील होता है?
    • तुम्हे बेहतर फील कराने के लिए हम तुम्हारी मदद कैसे कर सकते हैं?
    • पेरेंट्स के दवात नए सवाल पूछे जाने की अपेक्षा रखें क्योंकि जब आप कुछ कहेंगे तो वे उसके बारे में सोचेंगे | उन्हें पूरी तरह से समझ आने तक आपको डिप्रेशन के बारे में कई बार बताना पड़ सकता है लेकिन बाद में किये जाने वाले ये डिस्कशन पहले के मुकाबले ज्यादा आसान होंगे |
विधि 2
विधि 2 का 3:

बातचीत करें

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    बात करने के लिए कोई अच्छा समय चुनें: आपको बात करने के लिए ऐसा समय चुनना होगा, जब आप या आपके पेरेंट्स का मुद्दे से ध्यान न हट सके | यह शांतिपूर्ण समय होना चाहिए, जब आप अपने पेरेंट्स से आमने-सामने बैठकर या दोनों के साथ अकेले में बात कर सकें | इस सब्जेक्ट पर बात करने के लिए लॉन्ग कार राइड, शांतिपूर्ण शाम का समय, एकसाथ काम करते हुए और लॉन्ग वॉक पर जाते समय बेहतरीन मौके होते हैं | [7]
    • अगर आपके पेरेंट्स बिजी हों तो उनसे पूछें कि उचित समय कब है | कुछ इस तरह कहें "मुझे आपसे कुछ बहुत जरुरी बात करनी है | हम दोनों के एक प्राइवेट कन्वर्सेशन के लिए बेहतर समय कौन सा होगा ?"
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    उन्हें बताएं कि यह सीरियस बात है: कई बार, पेरेंट्स गलती करते है और डिप्रेशन के बारे में अपने बच्चे को सीरियसली नहीं लेते | आप पहले ही उन्हें अपनी बात की गंभीरता का अंदाजा देकर उनका पूरा अटेंशन पा सकते हैं |
    • आप यह कहकर बात की गंभीरता का अंदाजा दे सकते हैं, “मैं सच में बहुत बड़ी परेशानी में हूँ और मुझे मदद की जरूरत है | मुझे आपको ये बताना बहुत जरुरी लगता है |"
    • कुछ केसेस में, बात करने का मौका और मुद्दे की गंभीरता नेचुरली स्वयं ही दिखाई दे सकती हाई | उदाहरण के लिए, आप रोना शुरू कर सकते हैं और अपनी फीलिंग्स का सैलाव बहा सकते हैं या आप स्कूल से बहुत ज्यादा हताश हो सकते हैं और वे आपसे पूछे सकते हैं कि आपको कोई परेशानी तो नहीं है | [8]
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    अपनी फीलिंग्स के बारे में "मैं" के साथ संबोधन करे: “मैं” स्टेटमेंट्स के साथ बात कहने से अपने पेरेंट्स को डिफेंसिव बनाये बगैर या उनका सुरक्षाकवच लिए बगैर आप अपनी फीलिंग्स बता सकते हैं | उदाहरण के लिए, कहें, “आपकी लड़ाई मुझे दुखी कर देती है” ऐसा कहने से आपके पेरेंट्स को लगेगा कि उन्हें अपनी सफाई देना पड़ेगी जिससे वे आपकी बात को कम सुनना पसंद करेंगे | इसलिए ऐसा कहने की बजाय सारी बातें केवल अपने और अपनी फीलिंग्स के बारे में ही कहें |
    • ”मैं” स्टेटमेंट्स ऐसे हो सकते हैं, जैसे, "मैं सच में थक चुका हूँ और उदास रहने लगा हूँ | अब तो सोना भी मुश्किल हो गया है I" या " मैं जनता हूँ कि मैंने हाल ही पागलों जैसा बर्ताव किया था | मैं सच में महुद को पागल समझने लगा हूँ और कई बार मुझे खुद से नफरत होती है | मुझे मरने की इच्छा होती है |"
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    आप जो भी फील करते हैं, उसे कोई नाम दें: जब आप अपनी परेशानी का नाम बताएँगे तो वे जान पाएंगे कि आप उससे कैसे प्रभावित होते हैं | आपने डिप्रेशन के बारे में जो भी रिसर्च की थी, उसके बारे में उन्हें बताएं या उन्हें इस विषय में मदद करने वाले आर्टिकल्स दिखाएँ | उन्हें विकिहाउ के अवसाद से निबटें जैसे आर्टिकल्स दिखाएँ |
    • "मैंने डिप्रेशन के बारे में कुछ आर्टिकल्स देखे हैं | इनमे बतायी गयी चीजें काफी कुछ वैसी ही हैं, जिस स्थिति से मैं गुजर रहा हूँ और मुझे लगता है कि ये मुझे हो सकता है |"
    • अगर वे आपकी फीलिंग्स को “उदासी ” या “ खुश न होना” कहकर आंकलन करें तो उन्हें बताएं कि आप डिप्रेशन के क्लिनिकल क्राइटेरिया पर खरे उतरते हैं |
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    डॉक्टर के अपॉइंटमेंट के लिए कहें: डिप्रेशन के विषय को सामने लाकर सिर्फ पेरेंट्स से उसे हैंडल करने की उम्मीद न रखें | सुनिश्चित करें कि उन्हें पता हो कि आप अपनी परेशानी को लेकर कितने चिंतित है और इसीलिए आप उनकी मदद चाहते हैं | [9]
    • आप कह सकते हैं, “मुझे लगता है कि मुझे इवैल्यूएशन के लिए डॉ रॉजर से अपॉइंटमेंट लेना पड़ेगा I”
    • डॉक्टर बता सकते हैं कि आपको डिप्रेशन है या नहीं | पहले कदम के रूप में डॉक्टर के पास ट्रीटमेंट के लिए जाना या आपका इलाज़ करने वाले किसी मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल के पास रेफ़र होना भी बहुत मुश्किल लगता है |
    • अगर डिप्रेशन या किसी दूसरी मानसिक परेशानी की फैमिली हिस्ट्री हो तो अपने पेरेंट्स से पूछें | इससे उन्हें यह देखने में मदद मिल सकती है कि आप भी आनुवंशिक परेशानी से जूझ रहे हैं |
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    अगर आपके पेरेंट्स बहुत बुरी तरह से रियेक्ट करें तो घबराएं नहीं: हो सकता है कि आपके पेरेंट्स आपके डिप्रेशन की खबर पर उस तरह से रियेक्ट न करें जैसा आपने सोचा हो | वे अविश्वास, आत्मदोष, गुस्से या डर के साथ रियेक्ट कर सकते हैं | ध्यान रखें कि आप काफी समय से डिप्रेशन से जूझते रहे हैं लेकिन वे अभी इसके बारेमे सीख रहे हैं | उन्हें इस बात को हजम करने के लिए थोडा समय दें और उन्हें पता लगने दें की वे सच में कैसा महसूस करते हैं | [10]
    • अगर वे कन्फ्यूज हों तो कहें "मुझे भी अपने डिप्रेशन को समझने में बहुत लम्बा समय लगा था |" याद रखें, यह आपकी गलती नहीं है | आपने सही किया था और उन्हें समझाने का यही सही रास्ता है |
    • अगर आपके पेरेंट्स आपनी बात को सीरियसली नहीं लेते तो उनके कोई एक्शन न लेने तक उनसे (या किसी दूसरे वयस्क व्यक्ति से) कहते रहें | [11] भले ही आपके पेरेंट्स आप पर भरोसा करें या नहीं, डिप्रेशन काफी सीरियस होता है |
विधि 3
विधि 3 का 3:

ट्रीटमेंट के दौरान उनका सपोर्ट लें

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    उनके साथ अपनी फीलिंग्स शेयर करें: डिप्रेशन के बारे में खुलकर बोलना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है लेकिन अगर आप अपनी फीलिंग्स शेयर करेंगे तो बेहतर फील कर सकते हैं | डिप्रेशन जैसी चीज़ के बारे में अपने पेरेंट्स को बताने का हौसला इकट्ठा करें, विशेषरूप से अगर आप विशेषरूप से बहुत उदास फील कर रहे हों तो | [12]
    • डिप्रेस्ड रहने के लिए खुद को दोषी न मानें और अपने कदम पीछे खींचकर अपने पेरेंट्स को चिंता और स्ट्रेस से बचाने की कोशिश भी न करें |
    • उनसे बात करने का यह मतलब नहीं है कि आप उनसे अपनी परेशानी को “ठीक” करने की उम्मीद करने लगें | उनसे बात करने से सिर्फ आपके इमोशन को बाहर आने का एक जरिया मिलता है और आपको अकेलापन कम महसूस होता है |
    • आपके पेरेंट्स को पता होगा कि कुछ गलत है और कुछ गलत होण प्रवे आपके कम आने के लिए तैयार रहेंगे | अपनी फीलिंग्स ईमानदारी के साथ बताएं | इस तरह से, वे आपकी मदद करना शुरू कर पाएंगे |
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    ऐसी गतिविधियों की एक लिस्ट बनायें जिससे पेरेंट्स आपकी मदद कर सकें: आप भी अपने पेरेंट्स की मदद को बढ़ावा देने के लिए अपने डिप्रेसिव लक्षणों को सुधारने के बारे में हासिल की गयी फायदेमंद जानकारी उनके साथ साझा कर सकते हैं | आप डॉक्टर के द्वारा बताई गयी मेडिसिन लेकर, रात में अच्छी तरह से रेस्ट करके, संतुलित आहार लेकर और फिजिकल एक्टिविटी के द्वारा डिप्रेशन में राहत पा सकते हैं | अपने पेरेंट्स को बताएं कि इन सब चीज़ों में वे किस तरह से आपकी मदद कर सकते हैं | [13]
    • अपने पेरेंट्स के लिए ऐसे उपायों को एक लिस्ट बनायें जिससे वे आपके ट्रीटमेंट को सपोर्ट कर सकें | उदाहरण के लिए, वे शाम को आपके साथ घर से बाहर टहल सकते हैं, आपका स्ट्रेस कम करने के लिए रात में कोई फैमिली गेम खेलना शुरू कर सकते हैं, दवाइयों का ध्यान रख सकते हैं या सुनिश्चित कर सकते हैं कि अच्छी तरह से रेस्ट करने के लिए आप सही समय पर सोने जाएँ |
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    अगर आप चाहें तो उनसे अपॉइंटमेंट पर अपने साथ चलने के लिए पूछें: अपने पेरेंट्स को अपने ट्रीटमेंट में शामिल करने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि उन्हें अपने साथ डॉक्टर के अपॉइंटमेंट पर ले जाएँ | इस तरह से, वे आपकी ट्रीटमेंट प्रोसेस के बारे में अपडेटेड रह सकते हैं और उनके मन में जो भी सवाल होंगे, वे पूछ सकते हैं | उनके साथ डॉक्टर के पास या थेरेपी अपॉइंटमेंट्स पर जाने से इस मुश्किल भरे दौर में आपको काफी सहारा मिल सकता है | [14]
    • आप कह सकते हैं, “अगर आप अलगे आईण्टंण्ट में मेरे साथ चलेंगे तो मुझे सच में बहुत अच्छा लगेगा |”
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    देखें कि क्या आपको किसी सपोर्ट ग्रुप में शामिल कराना चाहते हैं: आपके डॉक्टर या थेरापिस्ट सलाह दे सकते हैं कि आप किसी डिप्रेशन से पीड़ित दूसरे वयस्कों और किशोरों के किसी लोकल सपोर्ट ग्रुप को ज्वाइन करें | ऐसे ग्रुप आपके लिए बहुत अच्छे रहेंगें क्योंकि ये ग्रुप आपको उन लोगों से जोड़ते हैं जो आपकी ही जैसी सिचुएशन को झेल रहे हैं | बल्कि, अगर इस तरह के ग्रुप्स आपके पेरेंट्स ज्वाइन कर पायें तो उनके लिए भी बहुत अच्छा होगा |
    • इन ग्रुप्स में, आपके पेरेंट्स सीख सकते हैं कि आपके डिप्रेशन ट्रीटमेंट को किस तरह से सपोर्ट किया जा सकता है | इसके साथ ही, वो ऐसे दूसरे पेरेंट्स और फैमिली मेंबर्स से भी जुड़ सकते हैं जो अपने बच्चे के ट्रीटमेंट को सपोर्ट कर रहे हों |
    • नेशनल अलायन्स ऑन मेंटल इलनेस (NAMI) में साथियों का और फैमिली के सपोर्ट ग्रुप होते हैं | अपने एरिया में NAMI चैप्टर को सर्च करें जिससे आपको अपने और अपने पेरेंट्स के लिए सपोर्ट ग्रुप्स मिल सकें | [15]
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    थेरापिस्ट से सलाह लें: अगर आप थेरापिस्ट से संतुष्ट हों लेकिन पेरेंट्स के सपोर्ट से परेशानी हो तो आप अपने थेरापिस्ट से इसमें हस्तक्षेप करने के लिए कह सकते हैं | थेरापिस्ट उन्हें एक-एक करके या एकसाथ मिलने के लिए बुला सकते हैं और आपकी सिचुएशन की गंभीरता और दूसरी चीज़ों पर डिस्कस कर सकते हैं |
    • अगर कोई मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल या ऑफिसियल डायग्नोसिस के द्वारा आपकी परेशानी की पुष्टि हो तो अधिकतर तब पेरेंट्स के प्रतिक्रिया देने की संभावना ज्यादा रहती है |

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