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संभव है कि बहुत से लोगों का अपने हमसफ़र से अलगाव तो हो चुका हो, मगर अपने दोस्त से संबंध टूटना उनके लिए उससे कहीं कठिन हो सकता है। जब आप में कोई झगड़ा हुआ हो, और आपको पता हो कि आप उसे सुलझा नहीं सकते हैं, या आप दोनों में अब उतना कुछ कॉमन न रह गया हो, तब समय आ गया है कि उस संबंध का अंत कर दिया जाये। आप मित्रता को प्राकृतिक रूप से धुंधलाने दे सकते हैं, दोस्त के साथ आमना सामना कर सकते हैं, या संबंध तोड़ सकते हैं। चाहे जो भी हो, पहले से की गई तैयारी से, आपको, सब कुछ समाप्त होने के बाद उठने वाली भावनाओं से निबटने में सहायता मिलेगी।

विधि 1
विधि 1 का 3:

व्यक्ति का सामना करना

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  1. जब आप चाहते हों कि व्यक्ति केवल अंदाज़ा न लगाता रहेआ कि आप अब दोस्ती क्यों नहीं रखना चाहते हैं, तब आमने सामने बैठ कर बातचीत करना उचित होता है। पार्क तथा कॉफी शॉप ऐसी अच्छी जगहें हो सकती हैं, जहां पर संबंध तोड़े जा सकते हैं, क्योंकि वे सार्वजनिक तथा निष्पक्ष स्थान होते हैं। हालांकि, बात चीत के दौरान चीज़ें भावनात्मक हो सकती हैं, परंतु आप दोनों ही सार्वजनिक स्थान पर उनको नियंत्रण में रखना चाहेंगे।
    • लंबे चौड़े भोज के लिए मिलने की व्यवस्था मत करिए, क्योंकि आप तो शायद खाना आने से पहले ही, जा भी चुके होंगे।
    • यदि आप व्यक्तिगत रूप से नहीं मिलना चाहते, तो फ़ोन पर सबंध तोड़ना भी ठीक ही है। टेक्स्ट पर ऐसा करने से बचिए, क्योंकि तब, आपके लिए, अपनी बात पूरी तरह समझा पाना तथा सचमुच की बातचीत करना भी कठिन होगा।
    • ऐसे लोगों के सामने अपने मित्र से संबंध मत तोड़िए जिन्हें आप दोनों जानते हों। यह बहुत ही लज्जाजनक और आहत करने वाला होगा।
  2. अपने मित्र को बताइये कि आप क्यों यह समाप्त कर रहे हैं: यह बताने में स्पष्टता रखिए कि आप क्यों अब मित्र नहीं रहना चाहते हैं। क्या आपकी मित्र ने आपके बॉयफ्रेंड के साथ आपको धोखा दिया है? क्या वह लगातार आपको नीचा दिखाता या दिखाती है? जो भी कारण हो, अब समय आ गया है कि बात साफ़ कर ली जाये। मित्र को यह बता देना कि क्या हो रहा है, बहादुरी है, और अंत में वह व्यक्ति शायद जो भी हुआ है, उसे जानकर प्रसन्न ही होगा।
    • ऐसी परिस्थिति भी होती है, जिसमें स्पष्टवादिता मित्रता समाप्त करने की सबसे दयालुतापूर्ण विधि नहीं होती है। यदि आप अब उस व्यक्ति को बिना उसकी किसी भी भूल के नापसंद करने लगे हैं, तब इस कारण को तो ज़ोर से नहीं कहा जा सकता। यदि मामला यह है, तब प्रथम विधि पर जाइए और मित्रता को प्राकृतिक रूप से धुंधलाने दीजिये।
  3. आमना सामना होने के बाद आपका मित्र या तो प्रतिरक्षात्मक हो सकता है, क्षमा मांग सकता या दोनों को मिला जुला कर कुछ कर सकता है। आप शायद उसकी बात सुनना चाहेंगी, क्योंकि शायद कोई छोटा सा ही सही, मगर ऐसा कोई कारण हो जिसके कारण शायद आप अभी भी मित्र बनी रहना चाहती हों। यदि यह जान पाना संभव हो कि किसी प्रकार की गलतफ़हमी थी, तब शायद आप उसे जानना चाहेंगी। यदि ऐसा संभव न हो पाये, तब संबंध विच्छेद की प्रक्रिया चलने दीजिये।
  4. हो तो यह भी सकता है कि आप सम्बन्धों को अभी और यहीं पर समाप्त कर देना चाहते हों, या यह भी हो सकता है कि आप कभी कभार अन्य लोगों के साथ उससे मिलने में कोई बुराई नहीं समझते हों। चाहे जो भी परिस्थिति हो, यह बात स्पष्ट समझ लीजिये कि यह अलगाव का बिन्दु है और इसके बाद चीज़ें भिन्न होंगी। अपनी सीमाओं को पहले ही स्पष्ट कर दीजिये ताकि बाद में आपको वापस जाने का प्रलोभन ही न रहे।
    • यदि आप उससे फिर कभी बातें नहीं करना चाहते हैं, तब उसे बता दीजिये कि इसके बाद आप उससे संपर्क नहीं रखेंगे और यह भी कि अब आप नहीं चाहते हैं कि वह भी आपसे संपर्क करने का प्रयास करे।
    • यदि आपको अभी भी उसका साथ समूह में तो स्वीकार्य है, परंतु आप उससे एकांत में नहीं मिलना चाहते हैं, तो उसको ऐसा भी बता दीजिये। उसको यह बताना भी उचित होगा कि शायद आप बाद में कभी मित्रता का नवीनीकरण करने को तैयार हों, मगर केवल अपनी शर्तों पर, अन्यथा शायद वह व्यक्ति आपसे संपर्क बनाए रखने की कोशिश तब भी करता रहेगा, जब कि आप सिर्फ़ यही चाहते हों कि आपको अकेला छोड़ दिया जाये। अपनी बातों में बिलकुल स्पष्ट रहिए, ताकि आपका भूतपूर्व मित्र किसी प्रकार की उलझन में न रहे।
  5. यदि व्यक्ति फिर से आपसे संपर्क करने का, या आपका दिल जीतने का प्रयास करता है तो उत्तर मत दीजिये। आप अपनी बात कह चुके हैं, उसकी बात सुन चुके हैं और अब, आपके मित्रता के कर्तव्य पूरे हो गए हैं। जिस प्रकार किसी हमसफ़र से अलग होने के बाद होता है, वैसे ही, मित्र से अलगाव होने के बाद आपको उस व्यक्ति के लिए उत्तरदायी होने की आवश्यकता नहीं रहती है।
    • यह कहना, कर पाने से कहीं अधिक आसान है। यदि आपका भूतपूर्व मित्र वास्तव में परेशान है, तब उसके फ़ोन या टेक्स्ट की उपेक्षा करना अत्यंत कठिन हो सकता है। यदि आप इस व्यक्ति से संबंध तोड़ने के मामले में दृढ़प्रतिज्ञ हैं, तब उसको वापस अपनी सीमा में आने ही मत दीजिये। अन्यथा, आप उसे गलत संकेत देंगे और भविष्य के लिए और कठिनाइयों का निर्माण कर लेंगे।
विधि 2
विधि 2 का 3:

उसको प्राकृतिक रूप से धुंधलाने देना

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  1. धुंधलाने की विधि उस परिस्थिति में सर्वश्रेष्ठ होती है जब आपमें और आपके मित्र में सीधे सीधे दूरियाँ बढ़ रही हों। शायद उस व्यक्ति को अब पसंद नहीं करने का कोई ठोस कारण न हो; आप केवल अन्य चीजों और अन्य व्यक्तियों में दिलचस्पी रखने लगे हों। आप जैसे चाहें वैसे अपना समय व्यतीत करना, लोगों के साथ मिलना जुलना और वे काम जिन्हें करना आपको अच्छा लगता है, शुरू कर दीजिये। संभावना यह है कि आपका मित्र भी यही करना शुरू करेगा और बात को बढ़ाए बिना, आप दोनों की दूरी बढ्ने लगेगी।
  2. अपने मित्र को फ़ोन करना और टेक्स्ट करना बंद करिए: किसी भी मित्रता को तोड़ने के लिए आपको संपर्क को धीमा करने की आवश्यकता होगी। केवल बातें करने के लिए, या योजनाएँ बनाने के लिए अपने मित्र के संपर्क में आना बंद करिए। ऑनलाइन चैट, टेक्स्ट के द्वारा बातचीत, या किसी भी अन्य प्रकार का संपर्क शुरू करना बंद करिए। आप अभी भी मिल जाने पर उससे बातें कर सकते हैं, जैसे कि यदि आप एक मित्रों के उभयनिष्ठ समूह में जाएँ तो, परंतु अनावश्यक संपर्क से बचिए।
    • जब दो मित्र प्राकृतिक रूप से अलग होने लगते हैं, तो संपर्क में नहीं रहना कठिन नहीं रह जाता है। शायद आप दोनों ही कुछ और करने में व्यस्त हो जाते हैं, इसलिए आवश्यकता से अधिक बातें नहीं कर पाना कोई बहुत बड़ा त्याग नहीं होता है।
    • वहीं दूसरी ओर यदि आपका मित्र मित्रता के बारे में उसी तरह से नहीं सोच रहा है, जैसे कि आप सोच रहे हैं, तब शायद संपर्क में कमी, उसकी भावनाओं को आहत करेगी। दुर्भाग्यवश जब आप किसी मित्रता का समापन कर रहे होते हैं तब आहत भावनाओं से बच पाना वास्तव में कठिन होता है। आपको यह निश्चय करना होगा कि क्या आप किसी भी हालत में उसको समाप्त करना चाहेंगे।
  3. मित्र गहरे और अपने बारे में सब कुछ कहने संबंधी बातचीत से निकट आते हैं, जिसके दौरान, वे एक दूसरे को भली भांति जान पाते हैं। किसी मित्र से दूर जाने के लिए, गंभीर, दिल की बातें करना छोड़ दीजिये। जब आप बातें करें भी, तो ऐसे उथले और सतही विषयों पर बातें करिए जैसी कि आप महज़ किसी परिचित से करते हों। यदि आप मित्रों की तरह ही बात करते रहेंगे, तब मैत्री का धुँधलाना कठिन हो जाएगा।
    • यदि आपके मित्र की प्रवृत्ति है कि वह अपने निजी मामलों के बारे में बातें करना चाहती है, जैसे कि अपने बॉयफ्रेंड के साथ अपने सम्बन्धों की, तब बातचीत की दिशा को बदल कर सुरक्षित दिशा की ओर ले जाइए। विषय को बदल दीजिये ताकि उसे आपको अपनी गहन भावनाएँ बताने का अवसर न मिले।
    • अंततः आपका मित्र यह ध्यान देने लगेगा कि आप उस प्रकार बातें नहीं कर रहे हैं, जैसे करते थे। हो सकता है, कि वह आपसे इस संबंध में बातें करे या वह भी अलग हो जाने का निश्चय कर ले। किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया के लिए तैयार रहिए।
  4. संभव है कि आपके मित्र को इस बात को पकड़ पाने में समय लगे कि अब आपकी मैत्री नहीं रही है। थोड़ी दूरी बनाने की एक निश्चित विधि तो यह है कि आमंत्रणों को विनम्रतापूर्वक, परंतु दृढ़ता से अस्वीकार कर दिया जाये। यदि आमंत्रण किसी सामूहिक गतिविधि के लिए हों तो शायद आप सम्मिलित होना भी चाहें, परंतु अकेले मिलने से बचिए। ऐसा न करने से तो आप केवल दूसरे व्यक्ति को आगे बढ्ने का संकेत देंगे।
    • एक बात और है कि यदि दूसरा व्यक्ति संबंध के समापन के लिए तैयार नहीं है तो, उसके आमंत्रणों के अस्वीकार किए जाने से उसे थोड़ी चोट तो पहुंचेगी। यह निर्णय आपको लेना है कि क्या उसे सीधे सीधे यह बताना उचित होगा कि जब भी वह आपको कुछ करने के लिए निमंत्रण देता/देती है, तो आप हर बार “नहीं” क्यों कह देते हैं।
  5. यदि आप वास्तव में व्यक्ति को सत्य नहीं बताना चाहते हैं तो बहानों से निमंत्रणों की दिशा बदल दीजिये। कहिए कि आप व्यस्त हैं, आज कल आपके परिजन आए हुये हैं, या आपको बहुत अधिक होम वर्क मिला हुआ है, आदि। यह एक आसान रास्ता लग सकता है, मगर यह एक बहुत ही ईमानदारी भरी राह नहीं है, वह भी ऐसे व्यक्ति के लिए, जो कि कभी मित्र था। हालांकि, यदि आपके पास मित्रता समाप्त करने के पर्याप्त कारण हैं, तथा आप वास्तव में आमना सामना करने से बचना चाहते हैं, तब बहाने बनाना काफ़ी प्रभावी हो सकता है।
  6. सबसे अच्छा तो यह होगा कि उस व्यक्ति को समझ में आ जाये कि आप मैत्री छोड़ कर आगे बढ़ चुके हैं और वह भी यह निर्णय लेता है कि उसे भी अपनी राह पर चले जाना चाहिए। हालांकि यदि भूतपूर्व मित्र पूछता है कि क्या चल रहा है, तब शायद आप उसको स्पष्टीकरण देना चाहें। इस प्रतिक्रिया के लिए तैयार रहिए, क्योंकि इसका अर्थ यह होगा कि आपका मूल्य उसकी दृष्टि में उससे कहीं अधिक है जितना आपकी दृष्टि में उसका है।
  7. अपमानजनक मैत्री के लिए क्रोध प्रदर्शित करने के लिए चुप रहने की विधि अपनाइए: यदि जिस व्यक्ति से आप संबंध तोड़ना चाहते हैं वह शारीरिक और भावनात्मक रूप से अपमानजनक या जोड़ तोड़ करने वाला रहा हो, तब आप पर उसका कोई अधिकार नहीं है, विनम्रता का भी नहीं। बस सभी संपर्क समाप्त कर दीजिये, उस व्यक्ति को अपने सोशल मीडिया अकाउंट में अनफ़्रेंड कर दीजिये और यदि आवश्यकता नहीं पड़े तो उससे मिलना जुलना बंद कर दीजिये।
    • यदि आप उस व्यक्ति से इस संबंध में बातें करने का प्रयास करेंगे, तब शायद वह अंततः आपको यह महसूस करवा देगा कि वह “आप” थे जिन्होंने कुछ गलत किया था। इस नाटक में मत उलझ जाइयेगा। यदि आपको पता हो कि वह व्यक्ति आपके लिए कठिनाई उपस्थित करने वाला है, तो बस संपर्क तोड़िए और चले जाइए।
विधि 3
विधि 3 का 3:

परिणामों का सामना करना

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  1. ठुकराया जाना सहज नहीं है, चाहे आप उसी के लायक हों या नहीं। अपने मित्र के रुदन के लिए, फिर से दोस्ती करने के आग्रह के लिए या बहुत अधिक नाराज़ हो जाने के लिए तैयार रहिए। आप अपने मित्र से संबंध तोड़ने की मजबूती रखते हैं और आप उसके परिणामों को भुगतने में भी सक्षम हैं। प्रयास करिए कि आप दूसरे व्यक्ति की भावनाओं में न उलझें। अपनी सीमाओं में रहने की याद रखिए और यदि आवश्यक हो तो सभी संपर्कों को तोड़ दीजिये।
  2. कभी कभी कोई भूतपूर्व मित्र आपके जीवन को निष्क्रिय आक्रामक विधियों से कठिन बनाने का प्रयास करेगा। यह विशेषकर तब और भी सत्य होगा जब आप साथ में स्कूल जाते हों या एक ही स्थान पर काम करते हों तथा आपको एक दूसरे से अक्सर ही मिलना होता हो। सशक्त बने रहिए और यह एहसास कर लीजिये कि यदि कोई इतनी बुरी तरह से व्यवहार कर सकता है तब आपका संबंध समाप्त करने का निर्णय सही ही था।
    • यदि व्यवहार निष्क्रिय आक्रामकता से आक्रामकता की ओर बढ़ता है तब आपको आगे कार्यवाही करने की आवश्यकता है। यदि यह स्कूल या कार्यस्थल पर हो रहा हो, तब अपने अध्यापकों या सुपरवाइज़र से बात करिए। देखिये कि क्या आप इसका कोई साक्ष्य प्रस्तुत कर सकते हैं कि आपको ही निशाना बनाया जा रहा है।
    • आपके पास कानूनी विकल्प भी हो सकते हैं। यदि वह व्यक्ति आपको अकेला नहीं छोड़ देता है और उसका व्यवहार परेशान करने वाला है तब शायद आप रेसट्रेनिंग आदेश (restraining order) के लिए आवेदन करना चाहें।
  3. समझ लीजिये कि इससे अन्य मित्रताएँ भी प्रभावित होंगी: किसी एक दोस्त से दोस्ती तोड़ने से उन लोगों से मित्रता पर भी असर पड़ता है, जिन्हें आप दोनों जानते हों। यदि आप दोनों किसी एक ही बड़े मित्र समूह के सदस्य रहे हों, तो कुछ समय के लिए तो परिस्थितियां बहुत ही अटपटी रहेंगी। आशा यही की जा सकती है कि आपके अन्य मित्र पक्ष लेना नहीं शुरू कर देंगे, मगर अगर वे ऐसा करते हैं तब आपको पता चल जाएगा कि आपके सच्चे मित्र कौन कौन हैं।
  4. किसी बुरे मित्र से मित्रता टूटने के बाद शायद आपको स्वतन्त्रता महसूस होगी। तब भी अलगाव कठिन तो होता ही है। किसी को निराश करना, भावनात्मक रूप से कठिन होता है, और उसके परिणाम आपकी अपेक्षा से कहीं अधिक देर तक प्रभावित करते रह सकते हैं। जब कोई मित्रता पूरी तरह से टूट जाये तब कुछ समय ऐसे लोगों के साथ बिताइए जिनके कारण आपको अच्छा लगता है। स्वयं को अपने प्रियजनों से घिरा रखिए और प्रयास करिए कि वह पुरानी दोस्ती आपके दिमाग से निकल जाये।
    • आपने जिस व्यक्ति से दोस्ती तोड़ी हो, उसके साथ दोस्ती के अच्छे भाग के समापन का आपको आश्चर्यजनक रूप से दुख भी हो सकता है। आखिरकार, आप किसी कारण से ही दोस्त थे, चाहे वह दोस्ती बाद में टूट ही क्यों न गई हो। इस परिस्थिति में उदासी स्वाभाविक ही है।

सलाह

  • बुरा मत मानिए यदि आपका मित्र एक अच्छा मित्र नहीं साबित हुआ हो। यह आपकी गलती नहीं है।
  • आपको अपराधबोध हो सकता है, मगर यदि आपको लगता है कि आपने अपने लिए सही निर्णय लिया है, तब उसी पर स्थिर रहिए।
  • याद रखिए कि सभी संबंध स्वैच्छिक परिस्थितियाँ होते हैं। आपको “किसी भी” संबंध को चलाते रहने की आवश्यकता नहीं है।
  • उलझन को दूर रखने के लिए, जो भी आप कहें, उस पर दृढ़ रहिए।
  • जब आप उस व्यक्ति को बताएँगे कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं, तब अलग होने के बाद वह पीड़ादायक तो होगा, मगर वही चीज़ें करिए जिनसे आपको ख़ुशी मिले। अंततोगत्वा आप एक नया घनिष्ठ मित्र बना ही लेंगे।
  • वापसी के रास्तों को सावधानी से बंद करिए। नई मैत्री शुरू करना बहुत कठिन हो सकता है, इसलिए यदि आप उस राह का चयन करते हैं जिसमें कि मित्रता को तोड़ना ही हो, तब पहले दृढ़ निश्चय कर ही लीजिये।
  • परस्पर मित्रों को शायद पक्ष चुनने की आवश्यकता हो सकती है, इस लिए अपनी भावनाओं की चर्चा करने और भविष्य में और भी मित्रों के खो देने की संभावना के लिए तैयार रहिए।
  • अपने परिजनों या अन्य मित्रों से सलाह लीजिये, विशेषकर उन लोगों से जो आपके मित्र को भली भांति जानते रहे हों और आपके लिए परिस्थिति पर और सूक्ष्म दृष्टि डाल सकें।
  • यदि आपको आमने सामने बैठ कर बातचीत करना सहज नहीं लगता है तब एक पत्र या ई मेल भेजिये।
  • यदि आपको मित्र का सामना करने में असहज प्रतीत हो रहा हो, तो स्कूल के काउंसिलर या बराबरी के किसी मध्यस्थ को खोज निकालिए जो कि आप दोनों की बातचीत में तटस्थ तृतीय पक्ष की भांति सहायता कर सके।

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