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ऐसे न जाने कितने ही तरह के वर्म्स मौजूद हैं, जो डॉग्स को इन्फेक्ट कर सकते हैं। इनमें से राउंडवर्म्स (roundworms), टेपवर्म्स (tapeworms), हार्टवर्म्स (heartworms), हुक (hook) और व्हिपवर्म्स (whipworms) सबसे ज्यादा खतरनाक होते हैं। वैसे तो, हर एक तरह के वर्म का एक अलग लाइफ सायकल होता है, डॉग के लक्षण भी अलग-अलग तरह के वर्म इन्फेक्शन्स के लिए भी एक जैसे ही हो सकते हैं। इसलिए, सिर्फ डॉग के लक्षणों को देखकर बस, उस वर्म की पहचान कर पाना मुमकिन नहीं है और इसके लिए टेस्ट लेने की जरूरत भी पड़ सकती है। [१] हालांकि, अलग-अलग तरह के वर्म्स के कुछ जनरल लक्षण, रिस्क्स और इनकी खासियतों को पहचानकर, आपको उन्हें ट्रीट करने में और अपने प्यारे डॉग की देखभाल करने में मदद जरूर मिल सकती है।

विधि 1
विधि 1 का 3:

वर्म इन्फेक्शन की पहचान करना

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  1. ज़्यादातर वर्म इन्फेक्शन के लक्षण जनरल और बहुत खास भी नहीं होते हैं। इसलिए, सिर्फ लक्षणों अकेले को देखकर ये बता पाना मुश्किल होता है, कि आपके डॉग में किस तरह के वर्म्स हैं। हालांकि, ऐसा कोई डॉग, जिसे पहले कभी भी वर्म न हुए हों, उनके लक्षण वर्म इन्फेक्शन का खतरा बढ़ा सकते हैं और मौजूद पैरासाइट (parasite) के बारे में जानकारी जुटाने के लिए प्रेरित करते हैं।
  2. कभी-कभी, एक किसी डॉग में जाहिर तौर पर कुछ देखे बिना भी, आप डॉग के मल में वर्म के फिजिकल प्रमाण देख सकते हैं। अगर आप वर्म की पहचान करने को लेकर पूरी तरह से कॉन्फिडेंट नहीं हैं, तो वर्म को एक स्क्रू-टॉप कंटेनर में कलेक्ट कर लें और फिर इसे जांच के लिए एक वेट (vet) क्लीनिक ले जाएँ।
    • वर्म को कलेक्ट करके वेट लेकर जाना, उसके बारे में वहाँ पर डिस्क्राइब करने से तो कहीं ज्यादा सही रहता है, क्योंकि ज़्यादातर वर्म्स खुली आँखों से एक-जैसे ही नजर आते हैं।
  3. गेस्ट्रोइंटेस्टिनल (gastrointestinal) लक्षणों की पहचान करें: हालांकि इनके लाइफ-सायकल अलग-अलग होते हैं, सभी वर्म्स कभी न कभी आंत के माध्यम से जरूर गुजरते हैं। अगर इनके नंबर्स कम होंगे, तो डॉग में किसी भी तरह के लक्षण नजर नहीं आएंगे। हालांकि, जब ये बड़ी संख्या में आंत में बस जाते हैं, तो वे लाइनिंग में इरिटेशन पैदा कर सकते हैं, जिसकी वजह से बीमारी, डायरिया (कभी-कभी म्यूकस और/या खून के साथ भी), भूख में कमी और वजन में कमी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। [२]
  4. वर्म्स या तो आंत में रहते हैं या यहाँ से गुजरते जरूर हैं, इसलिए इनके लाइफ सायकल की किसी स्टेज में, इनके इन्फेक्शन के सबूत डॉग के मल से बाहर पास हो जाते हैं। हैवी इन्फेक्शन में, आप एक पूरे असली वर्म को मल में देख पाएंगे, लेकिन हल्के इन्फेक्शन में ऐसा बहुत कम ही होता है। इसकी बजाय, मल में या तो एग्ज या फिर लार्वा मौजूद होंगे, जिन्हें खाली आँखों से देख पाना मुश्किल होता है। [३]
    • मल के एक स्कूप सेम्पल को एक पोप्सिकल स्टिक में या डिस्पोज़ेबल स्पून में लें और उसे एक ऐसे साफ, स्क्रू-टॉप कंटेनर में, रख दें, जिसमें एक टाइट फिट होने वाली लिड (अगर आपके पास में इसके लायक कोई सही चीज़ नहीं है, तो आपके वेट आपको एक खास कंटेनर दे सकते हैं) हो।
    • इस सेम्पल को 30 डिग्रीज सेल्सियस के नीचे रखें और जब भी हो सके (वर्म्स की पहचान करने के लिए सेम्पल का एकदम फ्रेश होना जरूरी नहीं होता है), इसे वेट क्लीनिक दे आएँ।
    • अगर आपके वेट आपसे सेम्पल को जमा करने का कहते हैं, तो इसके लिए आपको 3 दिनों तक डेली एक बार इस सेम्पल को लेना होगा, और इस सेम्पल को भी उसी कंटेनर में रख दें। ये किसी भी शक के चलते "गलती से किसी नेगेटिव" रिजल्ट्स को समझ लेने के लिए जरूरी होता है। जमा किया गया नमूना गलत रिजल्ट्स मिलने के जोखिम को कम करता है।
    • वेट इस मल के सेम्पल की जांच करेगा, जिसमें मल में मौजूद किसी भी एग या लार्वा को देखने के लिए माइक्रोस्कोप के नीचे मल के टुकड़े की जांच करना शामिल है या फिर वो इसकी जांच में मदद पाने के लिए किसी दूसरी लैब में भेज देगी।
  5. कुछ वर्म्स, जैसे कि लंगवर्म (lungworm) या हार्टवर्म (heartworm), जो कुछ गंभीर बीमारियाँ पैदा करते हैं, उन्हें ब्लड टेस्ट से ही पहचाना जा सकता है। वेटेरिनेरियन टेस्ट सेम्पल के लिए आपके डॉग से बहुत कम मात्रा में (1-2ml) ब्लड लेंगे। [४]
    • वैसे तो कई तरह के टेस्ट्स मौजूद हैं, लेकिन आमतौर पर एलिसा (ELISA) टेस्ट किया जाना काफी ज्यादा कॉमन है। इस टेस्ट में एंटीबॉडी में हार्टवर्म की मौजूदगी को देखा जाता है और पॉज़िटिव होने की स्थिति में कलर में बदलाव आता है।
    • ज़्यादातर वेटेरिनेरियन को हार्टवर्म के हाइ-रिस्क एरिया में, एक नया मंथली प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट देने या प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट को रिन्यू करने से पहले, डॉग के फिजिकल टेस्ट की तरह ही एक वार्षिक चेकअप करने की जरूरत होती है।
  6. राउंडवर्म्स जैसे कुछ वर्म्स, डॉग्स से हयूमन्स तक ट्रांसफर हो सकते हैं। छोटे बच्चे, जो राउंडवर्म्स से इन्फेक्ट हो सकते हैं, उन्हें इसकी वजह से उनकी आईसाइट (दृष्टि) डैमेज तक हो सकती है।
    • वर्म्स वाले मल या वर्म्स को भी बच्चों के खेलने वाली जगहों से हटा दिया जाना चाहिए।
    • इन्फेक्शन वाले मल को ग्लव्स की मदद से ही हैंडल या कलेक्ट किया जाना चाहिए।
    • जानवरों के मल के साथ कुछ भी करने के बाद, अपने हाँथों को हमेशा साबुन और पानी से अच्छी तरह से धो लेना चाहिए।
  7. खास तरह के वर्म्स की वजह से होने वाले खतरों के बारे में भी जानकारी रखें: चूंकि सारे वर्म्स एक-जैसे ही नजर आ सकते हैं, इसलिए आपके डॉग को परेशान करने वाले पैरासाइट की पहचान करने का एक सबसे अच्छा रास्ता यही है, कि आप सभी वर्म्स की परिस्थितियों या उनकी आदतों से जुड़े हुए पहलुओं की पहचान कर लें। [५]
    • राउंडवर्म्स अक्सर राउंडवर्म से इन्फेक्ट हुई माँ का जरिए उसके बच्चों में चले जाते हैं, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एग्ज और लार्वा प्लेसेन्टा में को क्रॉस करते वक़्त वोम्ब (गर्भ) में मौजूद पपी को इन्फेक्ट कर देता है और साथ ही माँ के दूध में भी एग्ज मिला देता है। इसलिए पपीज़ भी अपने रूटीन के चलते इससे इन्फेक्ट हो जाते हैं।
    • टेपवर्म्स डॉग के जरिए पहले से इन्फेक्ट हुए किसी दूसरे जीव को या फिर किसी ऐसी मक्खी बगैरह को खाने से होता है, जो पहले से ही टेपवर्म एग लेकर चल रही हो। इसलिए शिकारी डॉग या ऐसे फ़्ली इन्फेक्शन हुए डॉग्स में टेपवर्म्स होने की संभावना बढ़ जाती है।
    • हुकवर्म्स और व्हिपवर्म्स गीली मिट्टी में घर बसाते हैं और इनसे उन डॉग्स को ज्यादा खतरा रहता है, जिन्हें घास के मैदान में रखा जाता है, खासकर गरम, नमी वाले वातावरण में। इस तरह के इन्फेक्शन्स असल में केनल (डॉग के घर) में रहने वाले डॉग्स, जो आसानी से घास के मैदान को एक्सेस कर सकते हैं, को ज्यादा खतरा होता है।
    • हार्टवर्म्स अक्सर ही मच्छरों जैसे इन्सेक्ट्स की वजह से फैला करते हैं और इसी वजह से ऐसी जगहों पर इनके होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है, जहां पर इन्सेक्ट्स मौजूद हों। इसलिए आपके डॉग को ऐसी जगहों पर जाने से इन वर्म्स की चपेट में आने का रिस्क ज्यादा रहता है।
    • लंगवर्म्स काफी जाने-माने वर्म्स हैं और ये फॉक्स (लोमड़ी) के मल, स्लग्स (slugs) और स्नेल्स (snails) के जरिए फैलते हैं। इनमें से किसी भी एक के संपर्क में आने की वजह से खतरा बना रहता है।
विधि 2
विधि 2 का 3:

वर्म्स के टाइप के बीच अंतर निकालना

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  1. हर उस लक्षण और रिस्क फ़ैक्टर का हिसाब रखें, जो आपके डॉग पर अप्लाई होते हैं: कभी-कभी अपने डॉग के रिस्क फ़ैक्टर का हिसाब रखना भी किसी भी वर्म की पहचान करने का सबसे अच्छा तरीका होता है। अपने डॉग के माहौल, क्लाइमेट और आदतों का हिसाब रखें। साथ ही किसी भी बीमारी के लक्षणों की गंभीरता और उसकी ड्यूरेशन (अवधि) का हिसाब रखें और आपके मन में उठे किसी भी इन्फेक्शन के शक के बारे में आपके वेटेरिनेरियन को सारी इन्फॉर्मेशन भी प्रोवाइड करें।
  2. वर्म के टाइप के बारे में किसी भी खास तरह के फीचर्स की तरफ नजर रखें: अगर डॉग के मल में या उसकी वोमिट (उल्टी) में वर्म्स या वर्म के पार्ट्स नजर आते हैं, तो आप वर्म के टाइप की पहचान कर सकेंगे। ज़्यादातर वर्म्स एक-जैसे ही नजर आ सकते हैं, लेकिन फिर भी सब की अपनी कुछ ऐसी अलग खासियत होती हैं, जिनकी मदद से आप वर्म के टाइप की पहचान कर सकते हैं। [६]
    • राउंडवर्म्स काफी हद तक पके हुए स्पघेटी नूडल्स की तरह दिखते हैं। ये औसतन 8 - 10cm लंबे होते हैं, लेकिन इनकी लंबाई 18cm तक भी पहुँच सकती है। इनकी प्रोफ़ाइल राउंड और बॉडी स्मूद होती है।
    • टेपवर्म्स सेग्मेंट्स से बनी हुई फ्लेट बॉडी के साथ एकदम खास तरह के लगते हैं। इनकी लंबाई स्पेसीज के हिसाब से अलग भी हो सकती है, लेकिन ये एवरेज 50 centimeter (19.7 in) से 250cm तक लंबे होते हैं। अगर आप मल या उल्टी में टेपवर्म्स को देखते हैं, तो ये एक पूरा टेपवर्म्स नहीं, बल्कि अलग-अलग सेग्मेंट की तरह नजर आएगा।
    • हुकवर्म्स और व्हिपवर्म्स राउंडवर्म्स और टेपवर्म्स से काफी छोटे होते हैं। ये आमतौर पर 0.5- 2 cm तक लंबे और काफी पतले होते हैं। इनका इतना पतला साइज़ इन्हें पारदर्शी बनाता है और इसी वजह से बिना इन्हें अच्छी तरह से परखे, इन्हें देख पाना काफी मुश्किल होता है।
  3. साँस लेने या दिल की धड़कन के लक्षणों पर भी ध्यान दें: लंगवर्म्स और हार्टवर्म्स ब्लड वेसल्स को और या तो हार्ट को या लंग्स को संक्रमित कर देते हैं। इसकी वजह से कफ बनना, हैवी या तेज़ साँसें आना, एनर्जी में कमी होना या यहाँ तक कि बेहोशी और मृत्यु होना, जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं। [७]
    • लंगवर्म्स और हार्टवर्म्स ब्लड क्लोटिंग के बीच में आ सकते हैं और इसी वजह से कुछ डॉग्स में एक छोटी सी भी चोट लगने के बाद, बेकाबू खून बहते रहना खतरे की घंटी माना जाता है।
    • इनमें से कोई भी लक्षण नजर आना, फौरन वेट के पास जाने का इशारा होता है। हालांकि इसका ट्रीटमेंट काफी महंगा हो सकता है और इससे अच्छे रिजल्ट्स मिलने के उम्मीद भी रहती है।
  4. डॉग के फर में, उसके एनस (anus) के पास में अटका हुआ एग पैकेट टेपवर्म्स होने का पक्का सबूत होता है। ये उस वक़्त होता है, जब एक मेच्योर टेपवर्म बोवेल ल्यूमेन (bowel lumen) में एग्ज रिलीज कर देता है, जिसके बाद एग्ज डॉग के एनस से बाहर निकल आते हैं, जिसकी वजह से भी एनल रिंग के आसपास खुजली होने लग सकती है। [८]
    • ये एग पैकेट सेसम सीड्स (sesame seeds) की तरह या ऐसे छोटे-छोटे चावल के दानों की तरह लगते हैं, जो डॉग के नीचे के हिस्से के बालों पर अटक गए हों।
    • अगर आप अच्छी तरह से देखते हैं, तो आप भी इन छोटे, क्रीम-कलर के ओब्जेक्ट्स को चलता हुआ देख सकेंगे।
  5. चूंकि वर्म्स, खासकर कि टेपवर्म्स, आपके डॉग कर फूड से न्यूट्रीएंट्स को एब्जोर्ब कर लेते हैं और ये उसके लिए जरा भी नहीं बचने देते हैं, वर्म से संक्रमित हुए डॉग्स के बोन्स के ऊपर ज्यादा चर्बी नजर नहीं आएगी, लेकिन उनकी आंतों में मौजूद काफी सारे वर्म्स की वजह से उसका पेट फूला हुआ नजर आएगा। वर्म इन्फेक्शन हुए पपी का लुक एकदम दुबला-पतला, हड्डियाँ बाहर निकली हुई और बेहद कमजोर नजर आता है।
  6. वर्म या एग सेम्पल को आपके डॉग के वेटेरिनेरियन के पास ले जाएँ: प्रोफेशनल की मदद लेना ही खास तरह के वर्म की पहचान करने का सबसे अच्छा तरीका होता है। वो एक माइक्रोस्कोप के नीचे वर्म्स या एग्ज को रखकर जांच सकते हैं और ये वर्म टाइप के बीच में मौजूद छोटे-छोटे अंतर को पहचान सकते हैं। [९]
    • वर्म एग्ज में ये अंतर बहुत हल्का सा होता है, जैसे कि उसका साइज़ राउंड होने की बजाय ओवल होगा, एक या दोनों छोरों पर एक प्लग हो सकता है।
विधि 3
विधि 3 का 3:

वर्म्स को रोकना या इलाज करना

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  1. अगर वर्म इन्फेक्शन को लंबे वक़्त तक ट्रीट न किया जाए, तो वो और भी बदतर बनते जा सकते हैं। बहुत सारे एडल्ट वर्म्स की वजह से हुआ इन्फेक्शन, एक “हैवी” इन्फेक्शन की तरह जाना जाता है, इसका आपके डॉग की पूरी हैल्थ पर उल्टा ही असर पड़ सकता है, इसलिए वर्म्स के “हैवी” बन जाने से पहले ही उनकी पहचान कर लेना, काफी अच्छी अप्रोच माना जाता है।
    • कुछ कैनाइन को वर्म इन्फेक्शन्स की वजह से डायरिया जैसी गैस्ट्रोइंटेस्टिनल बीमारी हो सकती है।
    • कुछ वर्म इन्फेक्शन्स की वजह से, खासकर कि हार्ट या लंगवर्म्स की वजह से डॉग की डैथ तक हो सकती है।
  2. खासतौर पर, अगर आप बहुत सारे मच्छरों वाले एरिया में रहते हैं, तो आपको अपने डॉग को एक मंथली हार्टवर्म प्रिवेंटिव देते रहना चाहिए। हार्टवर्म प्रिवेंटिव के लिए एक प्रिस्क्रिप्शन की जरूरत होती है।
    • ज़्यादातर वेट्स को एक हार्टवर्म प्रिवेंटिव प्रिस्क्रिप्शन लिखने के लिए एक नेगेटिव हार्टवर्म टेस्ट करना पड़ता है।
    • बहुत सी हार्टवर्म प्रिवेंटिव्स मीट-फ्लेवर्ड औए चबाने लायक होते हैं, और यही चीज़ इन्हें आसानी से दिए जाने लायक बना देता है।
  3. अपने डॉग को फ्लीस (उड़ने वाले कीड़ों बगैरह) से फ्री रखें: जैस कि कुछ वर्म्स फ्लीस के जरिए भी ट्रांसफर हो जाते हैं, इसलिए अपने डॉग को रेगुलर फ्री ट्रीटमेंट लेकर, फ्लीस से फ्री रखने से आपको उसे वर्म्स से भी दूर बनाए रखने में मदद मिलेगी।
    • कुछ कंपनीज़ एक चबाने लायक बॉल में ही हार्टवर्म और फ़्ली ट्रीटमेंट का कोंबिनेशन बनाकर देती हैं।
    • इसके साथ ही अगर हो सके तो, अपने डॉग को एक मंथली फ़्ली ट्रीटमेंट दिए जाने की भी सलाह दी जाती है। इसे आमतौर पर डॉग की गर्दन के पीछे, डॉग पर स्क़्वीज (दबाया) किया जाता है।
  4. अपने डॉग को ऐसे रिस्क वाले हानिकारक माहौल से दूर रखें: अगर आप अपने डॉग को ऐसे माहौल से दूर रखने की पुष्टि कर लेते हैं, जहां पर उसके वर्म्स के चपेट में आने संभावना हो, तो इससे आपको उसे डी-वर्म करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
    • अपने डॉग को ऐसे गरम, घास वाली जगह से दूर रखें, जो ऐसे दूसरे डॉग्स के द्वारा भी शेयर की जाती है, जिन्हें कभी भी डी-वर्म ही नहीं किया गया हो।
    • अपने डॉग को कभी भी जंगली शिकारी जानवर के संपर्क में न आने दें।
    • ऐसे वार्म, हयूमिड क्लाइमेट को अवॉइड करें, जहां पर फ्लीस या मच्छर जैसे बग्स की आबादी होने की संभावना हो।
    • अपने डॉग को कभी भी खुद को न खाने दें या न ही उसे दूसरे डॉग्स या वाइल्ड एनिमल के मल को रब करने दें।
  5. अगर आपके डॉग को वर्म हैं, तो आपको उसे डी-वर्मर देना होगा। आपके डॉग के लिए किस तरह का डी-वर्मर काम करेगा, ये आपके डॉग के रिस्क फ़ैक्टर्स पर ही डिपेंड करेगा और इसे आपके वेटेरिनेरियन के साथ डिस्कस किया जाना ही सही रहता है। [१०]
    • ज्यादा डी-वर्मर पाउडर जैसे सब्स्टेंस होते हैं, जिसे डॉग के खाने में मिलाया जा सकता है या फिर प्लेन योगर्ट (अपने डॉग को ह्यूमन्स जैसा कोई भी फूड देने से पहले अपने वेट से बात कर लें) में मिलाया जा सकता है।
    • ज़्यादातर डी-वर्मर्स को सिर्फ एक बार ही यूज किया जाना होता है, लेकिन अगर आपके वेटेरिनेरियन ने फेन्बेंडेजोल (fenbendazole) प्रिस्क्राइब की है, तो आपको इसे कुछ दिनों तक बार-बार भी यूज करना होगा। फेन्बेंडेजोल एक काफी जेंटल डी-वर्मर है, जिसे ज़्यादातर यंग पपीज़ के लिए यूज किया जाता है।
    • डी-वर्मर के पैकेज पर दी हुई डाइरेक्शन को अच्छी तरह से पढ़ने की पुष्टि कर लें और अपने डॉग को किसी भी तरह की दवाई देने से पहले अपने वेट से कंसल्ट जरूर कर लें।
  6. अपने डॉग को रेगुलरली वेटेरिनेरियन से चेक कराते रहने से आप उसकी अच्छी हैल्थ को बनाए रख सकते हैं। वेट किसी भी प्रॉब्लम के बहुत गंभीर बनने से पहले ही उसे पहचान लेंगे और आपके प्यारे डॉग को किसी भी तरह के नुकसान से बचा लेंगे।

सलाह

  • फ़्ली कंट्रोल करना हमेशा जरूरी होता है।
  • अगर आप आपके डॉग के साथ वॉक कर रहे हैं, तो उसके मल को उठा लें।
  • अपने डॉग को मल और किसी और गंदगी को सूंघने या उसके पास न जाने दें। ये पपीज़ के साथ में काफी ज्यादा बार होता है और ये अनचाहे पैरासाइट्स के ट्रांसफर होने का पक्का तरीका भी है।

चेतावनी

  • हार्टवर्म्स को अगर सही वक़्त पर न पहचाना जाए और इलाज न किया जाए, तो ये आपके डॉग को हार्ट अटैक भी दे सकते हैं।
  • राउंडवर्म्स और हुकवर्म्स डॉग से ह्यूमन तक ट्रांसफर हो सकते हैं, इसलिए आपको अपने डॉग के मल को हैंडल करते वक़्त काफी सावधान रहना होगा और इसे सही तरीके से भी हैंडल करते आना चाहिए। अगर आपको आपके या आपके किसी और फ़ैमिली मेम्बर के वर्म्स के संपर्क में आने का शक है, तो अपने डॉक्टर से बात कर लें।
  • अगर आपके डॉग में थकान या डायरिया या उल्टी जैसे कोई भी लक्षण नजर आते हैं, तो फौरन वेट से कंसल्ट कर लें।
  • अगर किसी भी तरह के वर्म इन्फेक्शन को काफी ज्यादा वक़्त के लिए बिना किसी ट्रीटमेंट के छोड़ दिया जाए, तो इस इन्फेक्शन की वजह से डैथ तक हो सकती है।

रेफरेन्स

  1. Prevalence of canine parasites based on fecal flotation. Iagburn, Lindsay, Vaughan et al. Comp Cont Ed Pract Vet 18, 483-509
  2. Veterinary Parasitology. Taylor, Coop, and Wall. Publisher: Wiley-Blackwell
  3. Prevalence of canine parasites based on fecal flotation. Iagburn, Lindsay, Vaughan et al. Comp Cont Ed Pract Vet 18, 483-509
  4. Veterinary Parasitology. Taylor, Coop, and Wall. Publisher: Wiley-Blackwell
  5. Diagnostic Parasitology. Conboy. Can. Vet J 37 (3), 181-182
  6. Veterinary Parasitology. Taylor, Coop, and Wall. Publisher: Wiley-Blackwell
  7. Veterinary Parasitology. Taylor, Coop, and Wall. Publisher: Wiley-Blackwell
  8. Diagnostic Parasitology. Conboy. Can. Vet J 37 (3), 181-182
  9. Prevalence of canine parasites based on fecal flotation. Iagburn, Lindsay, Vaughan et al. Comp Cont Ed Pract Vet 18, 483-509
  1. Veterinary Parasitology. Taylor, Coop, and Wall. Publisher: Wiley-Blackwell

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