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एक्जिमा कई तरह की स्किन प्रॉब्लम्स की जड़ है | इसमें "कांटेक्ट डर्मेटाइटिस," भी शामिल है जो एलर्जन्स या कठोर पदार्थों से होने वाला स्किन रिएक्शन है, लेकिन आँखों के आस-पास का एक्जिमा आमतौर पर "एटोपिक" डर्मेटाइटिस है | इसका मतलब यह है कि सिन बिना किसी डायरेक्ट कांटेक्ट के रियेक्ट होने लगती है | स्किन की ऐसी कंडीशन अधिकतर बेबीज़ और बच्चों में देखी जाती है | लेकिन उम्र चाहे जो भी हो आप आँखों के आस-पास उभरने वाले इस एटोपिक डर्मेटाइटिस को ख़त्म कर सकते हैं, बस जरूरत है सही इलाज़ की |

विधि 1
विधि 1 का 3:

एटोपिक डर्मेटाइटिस के बारे में जानें

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  1. एटोपिक डर्मेटाइटिस एक ऐसी स्किन कंडीशन है जो अधिकतर बचपन में उभरती है | यह एनवायरनमेंटल एलर्जी, हे फीवर और अस्थमा से समन्धित है अर्थात् अगर आपको इनमे से कोई एक कंडीशन डेवलप होती है तो अन्य कंडीशन डेवलप होने की सम्भावना बढ़ जाती है |
    • एटोपिक डर्मेटाइटिस एक इम्यून रिस्पांस है | आमतौर पर, इर्रीटेंट्स या उत्तेजक (जिन्हें "प्रेसिपिटेंट" या तुरंत कारण बनने वाले कहा जाता है) शरीर के सम्पर्क में आते हैं | इससे बॉडी कंफ्यूज हो जाती है और ओवररिएक्ट करने लगती है जिससे उन एरिया की स्किन भी सूज जाती है जहाँ एक्सपोज़र हुआ ही नहीं था |
  2. अगर आपको एक्यूट (कम समय का) एक्जिमा होता है तो आपको स्किन पर छोटे, लाल, खुजली वाले उभार दिखाई देंगे | इनमे थोड़ी सूजन और स्केलिंग भी हो सकती है | अगर एक्जिमा लगातार बना रहता है तो लक्षण लम्बे समय तक बनी रहने वाली स्टेज तक पहुँच सकते हैं और स्किन पर खुजली वाले मोटे पैचेज बन सकते हैं जो ब्राउन या रेड कलर के हो सकते हैं |
    • साथ ही, उभारों में कोई लिक्विड भी बन सकता है | आपकी स्किन पपडीदार और ड्राई भी हो सकती है |
  3. एटोपिक डर्मेटाइटिस समय के साथ आती-जाती रहती है | जब इसके लक्षण बदतर हो जाते हैं तो इन्हें फ्लेर-अप्स कहा जाता है | लेकिन अगर ये लक्षण जाते ही नहीं हैं तो ये परेशानी लम्बे समय तक बनी रहती है | [१]
  4. यह कंडीशन संक्रामक नहीं है अर्थात् यह किसी के छूने से नही फैलती | लेकिन, यह पेरेंट्स से बच्चों में जेनेटिकली पास हो सकती है | [२]
  5. सावधानी रखें क्योंकि एटोपिक डर्मेटाइटिस आपकी दृष्टी को प्रभावित कर सकती है: इस कंडीशन के कारण आपकी नज़र कमज़ोर हो सकती है | अगर आपको लगता है कि हाल ही में हुए फ्लेर-अप में आपकी दृष्टी प्रभावित हुई है तो डॉक्टर को जरुर दिखाएँ |
    • इसके प्रभाव से आँखों के आस-पास की स्किन रेड और पफी हो सकती है जिससे देखने में परेशानी होने लगती है | लेकिन, यह डिजीज का सम्बन्ध इलाज़ होने के बाद भी कैटरेक्ट (मोतियाबिंद) और स्पोंटेनियस रेटिनल डिटेचमेंट बार-बार होने से भी है | [३]
विधि 2
विधि 2 का 3:

आँखों के आस-पास के एक्जिमा का इलाज़ करें

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  1. ठंडा सेंक लगाने से नर्व एंडिंग अस्थायी रूप से सुन्न हो जाते हैं जिससे सेंसेशन कम हो जाते हैं, स्किन को राहत मिलती है और खुजली कम हो जाती है | इससे डेड स्किन को झडाने में भी मदद मिलती है जिससे स्किन स्मूथ दिखाई देती है और हीलिंग जल्दी होती है |
    • एक कटोरी में थोड़े से बाथ आयल के साथ ठंडा पानी भरें | अगर आप इसे और ठंडा करना चाहते हैं तो पानी में थोड़ी बर्फ भी मिला सकते हैं |
    • एक पेपर टॉवेल या साफ़ कपडे को पानी में भिगोयें | इसे प्रभावित हिस्से पर लगभग 5 मिनट के लिए लगाए रखें |
  2. कोई क्रीम या ऑइंटमेंट बेस्ट होता है क्योंकि इनमे लोशन की अपेक्षा ज्यादा ऑइल होता है जो पानी से भारी होता है | ऑइल स्किन को बेहतर तरीके से प्रोटेक्ट और माँइश्चराइज करता है | [४]
    • कोई बिना खुशबू वाली क्रीम चुनें और इसे लगाते समय आँखों से दूर रखें |
    • जब भी स्किन ड्राई लगे, माँइश्कराइजर लगाएं | इसे शावर के बाद या चेहरा धोने के बाद लगाना काफी असरदार होता है | ये माँइस्चराइजर स्किन को सॉफ्ट बनाते हैं और फ्लेर-अप्स से बचाते हैं, स्किन को हील करते हैं | [५]
  3. स्ट्रेस से एक्जिमा, केमिकल उत्तेजकों के एक्सपोज़र की तुलना में होने वाले एक्जिमा से और ज्यादा बदतर होता है | इसीलिए, इसमें आध्यात्मिक उपचार से काफी लाभ मिल सकता है | अरोमाथेरेपी, मसाज और इसी तरह की तकनीकों से तनाव कम करने में मदद मिलती है और इम्यून सिस्टम भी बूस्ट होता है | कई वैकल्पिक दवाओं वाले स्किन प्रिपरेशन सूथिंग और इर्रीटेंट-फ्री होते हैं जैसे, अनरिफाइंड कोकोनट ऑइल | [६]
    • अगर आप वर्तमान में एक्जिमा के लिए कोई मेडिकेशन ले रहे हैं तो कोई भी डाइटरी सप्लीमेंट या स्किन ट्रीटमेंट जिसमे हर्बल रेमेडीज भी शामिल हैं, लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें |
    • एसेंशियल ऑयल्स बहुत ज्यादा कंसन्ट्रेटेड होते हैं और इन्हें विशेषरूप से आँखों जैसे सेंसिटिव एरिया के आस-पास बिना डायल्युट किये इस्तेमाल नहीं करना चाहिए | बल्कि डायल्युट करने के बाद ही ध्यान रखें कि यह आपकी आँखों के अंदर न जाए | [७]
  4. आमतौर पर ओरल एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल डर्मेटाइटिस के इन्फेक्शन में किया जाता है | चूँकि आँखों के आस-पास का एरिया काफी सेंसिटिव होता है इसलिए अगर आपको एक या दोनों आँखों के आस-पास डर्मेटाइटिस डेवलप हो रहा होगा तो डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक्स लिख सकते हैं | [८]
विधि 3
विधि 3 का 3:

फ्लेर-अप्स को कण्ट्रोल करें

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  1. एक्जिमा एलर्जन्स के सम्पर्क में आने से होता है | फ्लेर-अप्स कण्ट्रोल करने के लिए अपने पर्सनल ट्रिगर्स से बचना ही सबसे अच्छी रणनीति है | अगर आप जानते हैं कि आप किसी ख़ास चीज़ के प्रति सेंसिटिव हैं तो उनसे बचना ही बेहतर होता है |
    • याद रखें कि एलर्जन्स प्रभावित स्किन के सम्पर्क में नहीं आने चाहिए | आपकी बॉडी एलर्जन्स को किसी एक लोकेशन पर डिटेक्ट कर सकते हैं और किसी दूसरी जगह पर फ्लेर-अप के रूप में रियेक्ट करते हैं |
  2. स्ट्रेस से फ्लेर-अप्स बढ़ सकते हैं इसलिए स्ट्रेस लेवल कम रखने की कोशिश करें | पूरे दिन खुद को और अपने बच्चे को तनाव मुक्त रखने के लिए नई-नई तकनीकें सीखें | [९]
    • तनाव देने वाली चीज़ों को पहचानें: जब आपका स्ट्रेस लेवल बढ़ता जाए तो सोचें कि कौन सी चीज़ आपको प्रभावित कर रही है | लिखें कि कौन सी चीज़ आपको एक्साइटेड या चिंतित करती है या सोचें कि उस स्थिति में स्ट्रेस को कम कैसे किया जा सकता है | उदाहरण के लिए, अगर आपको कोब में तनाव मिल रहा है तो हो सकता है की बॉस से सप्ताह में एक बार टेलीकम्युट करने के बारे में पूछ सकते हैं | I [१०]
    • खुद को शांत रखने के लिए साँसों पर ध्यान दें | कुछ समय के लिए आँखें बंद कर लें | गहरी सांस लें | स्लो और डीप ब्रीथिंग पर फोकस करें और केवल अपनी साँसों पर ही ध्यान दें | खुद को शांत अनुभव करने तक फोकस करते रहें | [११]
    • मैडिटेशन करने के लिए बच्चों के साथ एनिमल साउंड निकालें | उनके हाथ बढ़ाते समय उनसे डीप ब्रीथ लेने को कहें | जैसे ही वे सांस छोड़ें, तो उनसे फुसफुसाने या भिनभिनाने के समान साउंड निकालने को कहें | इस एक्सरसाइज से उनकी ब्रीथिंग धीमी हो जाती है और स्ट्रेस देने वाली चीज़ से उनका ध्यान हट जाता है | [१२]
  3. खरोंचने से सिर्फ रेशेस और खराब ही होते हैं | बल्कि, जब एक्जिमा आँखों के आस-पास हो तो खरोंचने से सूजन के साथ स्किन रेड और पफी हो जाती है |
    • खुजली के कारण आईब्रो और आईलेशेस के कुछ हिस्से झड सकते हैं |
    • अगर आप या आपके बच्चे रात में खुजली करते हैं तो प्रॉब्लम को कम करने के लिए ग्लव्स पहनें या अँगुलियों के नाखून ट्रिम रखें |
  4. बाज़ार में मिलने वाले एंटीहिस्टामिन जैसे लोराटाडिन और फेक्सोफेनाडिन से एटोपिक डर्मेटाइटिस के लक्षणों को कण्ट्रोल करने में मदद मिल सकती है | चूँकि यह डिजीज हे फीवर जैसी अन्य प्रकार के एलर्जिक रिएक्शन से सम्बंधित है इसलिए एंटीहिस्टामिन से आराम मिल सकता है, खासतौर पर खुजली में | [१३]
    • अपनी चुनी हुई एंटीहिस्टामिन पर दिए गये डायरेक्शन फॉलो करें | अधिकतर नॉन-ड्राउज़ी (नींद न लाने वाले) एंटीहिस्टामिन दिन में एक बार लिए जा सकते हैं | जब भी एक्जिमा की शुरुआत हो, इन्हें लेना शुरू करें | [१४]
    • लेकिन, अगर आपको एक्जिमा के कारण सोने में परेशानी होती हो तो नींद लाने वाली एंटीहिस्टामिन रात में लेना फायदेमंद हो सकता है | [१५]
  5. एलर्जन्स और इर्रीटेंट्स फ्लेर-अप्स को बढ़ा सकते हैं | कई बार लांड्री डिटर्जेंट या सोप जैसे प्रोडक्ट बदलने से भी एक्जिमा के उपचार में मदद मिल सकती है | अपनी परेशानी को बढाने वाले प्रोडक्ट का पता लगाने के लिए उनका इस्तेमाल धीरे-धीरे बंद करने से आपको मालूम चल सकता है कि आपकी समस्या किस चीज़ से बढती है | जब भी एक्जिमा का फ्लेर-अप हो, सभी तरह के मेकअप करना बंद कर देना चाहिए |
    • एक डायरी में फ़ूड, परफ्यूम, सेंट्स और अन्य सम्पर्क में आने वाली उन सभी चीज़ों को नोट करें जिनसे एक्जिमा का फ्लेर-अप अनुभव हुआ हो | फ्लेर-अप से एक दिन पहले उन चीज़ों के कांटेक्ट में आने से बनने वाले पैटर्न पर नज़र रखें |
    • अपनी एलर्जी की पहचान करने के लिए आप किसी एलर्जी स्पेशलिस्ट को दिखा सकते हैं |
    • चेहरे और आँखों पर ज्यादा परेशानी हो सकती है क्योंकि इस एरिया पर काफी सारे प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल किया जाता है, विशेषरूप से महिलाओं में | सनस्क्रीन, मेकअप, सोप और फ्रेग्रेन्स ये सभी फ्लेर-अप का कारण बन सकते हैं |
  6. हालाँकि फ़ूड एलर्जी की एक स्पेसिफिक परिभाषा होती है (इनके कारण तुरंत रिएक्शन होते हैं), लेकिन ये फ़ूड फ्लेर-अप्स करने में सहयोग कर सकते हैं | अधिकतर मूंगफली, अंडे, दूध, फिश, चावल, सोया और गेंहूँ में सबसे ज्यादा एलर्जन्स पाए जाते हैं |
    • अगर आप एक्जिमा से पीड़ित बच्चे को स्तनपान कराती हैं तो आपको ट्री नट्स नहीं खाना चाहिए क्योंकि इनके एलर्जन्स आपसे बच्चे को पास हो सकते हैं | [१६]
  7. ऐसा साबुन चुनें जिसमे एक्स्ट्रा माँइस्चराइजर हो: चेहरा धोने के लिए ऐसी साबुन चुनें जिसमे फैट कंटेंट बहुत ज्यादा हो | ऐसी कोई साबुन न चुनें जिससे स्किन ड्राई हो | बल्कि कोई बिना सेंट वाली साबुन चुनें |
    • एंटीबैक्टीरियल साबुन का इस्तेमाल न करें क्योंकि इनसे स्किन ड्राई हो सकती है | इसके अलावा, अल्फा-हाइड्रोक्सी एसिड युक्त साबुन के इस्तेमाल से भी बचें क्योंकि ये भी स्किन से माँइश्चर चुरा लेती हैं | किसी "जेंटल" और "फ्रेग्रंस-फ्री" कहलाने वाले क्लीनजर का चुनाव करें |
  8. बहुत ज्यादा गर्म पानी और साबुन के इस्तेमाल से एक्जिमा और बढ़ सकता है, विशेषरूप से आँखों के आस-पास की कोमल स्किन पर | पानी का तापमान कम हो और बार-बार चेहरा न धोएं या प्रभावित स्किन को भिगोये बिना नहायें |
  9. तेज़ गर्म हवा स्किन को उत्तेजित कर सकता है और स्किन की खुजली और फ्लैक्स को और बढ़ा सकती है | अगर जरूरत हो तो हवा में नमी मिलाने के लिए ह्युमिडीफायर का इस्तेमाल करें |
  10. यह तेज़ गर्मी चाहे गर्म शावर हो या डायरेक्ट धूप या फिट हॉट क्लाइमेट सभी से एक्सट्रीम हीट लग सकती है |
    • शावर के लिए या चेहरा धोने के लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें | बहुत ज्यादा गर्म पानी के इस्तेमाल से बचें क्योंकि इससे सेंसिटिव स्किन उत्तेजित हो सकती है |
    • गर्म मौसम में ज्यादा समय न बिताएं क्योंकि हीट से स्किन आसानी से उत्तेजित हो सकती है और इसके कारण सूजन आ सकती है |

सलाह

  • अगर आपको लगता है कि आपको एक्जिमा हो रहा है तो डॉक्टर को जरुर दिखाएँ क्योंकि वो आपकी बीमारी को डायग्नोज़ करने के लिए आपसे ज्यादा क्वालिफाइड होते हैं | वे आपकी स्किन प्रॉब्लम के लिए सही ट्रीटमेंट दे सकते हैं |

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