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आपकी क्या कहानी है? ऐसा इंसान, जिसने अपनी सारी जिंदगी जी चुकी हो, और उसके पास लोगों के साथ बाँटने लायक अपने जीवन के कुछ शानदार पल हों, वो अपनी आत्मकथा लिख सकता है। आत्मकथा लिखने के लिए जो बात सबसे जरूरी है, वो ये कि इसे भी एक अच्छी कहानी की तरह ही समझें: इसमें भी लोगों को आकर्षित करने और उन्हें बनाए रखने के लिए एक नायक (आप) होना चाहिए, एक संघर्ष की कहानी होना चाहिए और कुछ आकर्षक किरदार होना चाहिए। अब आपको अपने दैनिक जीवन में मौजूद किसी एक ऐसे विषय या प्रसंग के बारे में सोचना होगा, जिसके इर्द-गिर्द ही आपकी कहानी भी घूमती हुई नजर आने वाली है। अपनी कहानी को अच्छी तरह से तैयार करने और अपने लेखन को इतना उम्दा बनाने के लिए कि ये लोगों के दिलों में घर कर जाए, इस लेख को पढ़ें।

विधि 1
विधि 1 का 4:

अपने जीवन के बारे में विचार करना

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  1. अपने जीवन के पलों के घटनाक्रम को लिखकर रखें: अपने जीवन के बारे में अध्ययन करते हुए आत्मकथा लिखने की शुरुआत करें। अपनी जिंदगी के उम्दा पलों की समयसारणी बनाकर रखने से आपको अपने जीवन में घटे हर एक अच्छे पल को अपनी इस कहानी में शामिल कर पाने में आसानी होगी, और साथ ही ये आपको अपने लेखन के लिए एक ढ़ांचा भी तैयार करके देगा। आप इस चरण को "विचारों का मंथन" वाला चरण भी मान सकते हैं, तो अपनी याददाश्त के अनुसार अपने हर एक पल के बारे में लिखने से भी ना घबराएँ, फिर भले ही बाद में आपको अपनी इन यादों से इस किताब के आखिरी संस्करण में इसे शामिल ना करने लायक लगे।
    • जरूरी नहीं कि आपकी आत्मकथा की शुरुआत आपके जन्म के साथ ही हो। हाँ लेकिन आपको अपने परिवार के इतिहास को जरुर शामिल करना पड़ सकता है। अपने वंश, अपने दादा-परदादा की जिंदगी, के बारे में लिखें और इसी तरह से बढ़ते जाएँ। आपके परिवार के इतिहास के बारे में जानकर इस कहानी को पढने वाले लोगों को ये समझने में आसानी होगी कि आप आज जहाँ पर भी हैं, वहाँ कैसे पहुंचे।
    • जब आप किशोर अवस्था में थे, तब आपके साथ क्या हुआ था? आपके द्वारा लिए गए इस निर्णय के पीछे का असली कारण क्या था?
    • क्या आप कॉलेज गए थे? इस समय के बारे में भी कुछ हो, तो लिखें।
    • अपने करियर के बारे में, अपने रिश्तों के बारे में, आपके बच्चों के बारे में, और अपने जीवन में घटी हुई किसी ऐसी घटना के बारे में भी लिखें, जिसने आपके जीवन को बदल कर रख दिया हो।
  2. हर एक अच्छी कहानी में कुछ मजेदार किरदार, कुछ मित्र और कुछ विरोधी लोग होते हैं, जो इस कहानी को उसकी योजना के अनुसार आगे बढ़ाने में मदद करते हैं। आपकी जिंदगी में कौन-कौन से किरदार हैं? ये तो स्पष्ट है कि आपकी जिंदगी में आपके माता-पिता, भाई-बहन, पति/पत्नी और कुछ करीबी लोग अहम भूमिका अदा करेंगे। अपने परिवार के आगे भी कुछ ऐसे लोगों के बारे में सोचें, जिन्होंने आपकी जिंदगी को प्रभावित किया हो और आपको इन्हें अपनी कहानी में भी शामिल करना चाहिए।
    • गुरु (teachers), प्रशिक्षक, और बॉस, हर किसी इंसान की जिंदगी में एक अहम भूमिका अदा करते हैं। इनमें से किसी एक इंसान को अपना रोल मॉडल (या फिर इसके विपरीत) बना लें, जिसे आप अपनी कहानी में दर्शाने वाले हैं।
    • कुछ रोचक कहानियों में एक्स बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड दोनों ही सह-कलाकार होते हैं।
    • आपके जीवन में कितने लोग आपके विरोधी रहे थे? यदि आप अपनी कहानी में ऐसे ही कुछ संघर्षों को या विरोधियों को शामिल नहीं करेंगे, तो ऐसे में आपकी कहानी बोरिंग बन जाएगी।
    • कुछ असाधारण किरदारों में जैसे कि जानवर, ऐसे सेलिब्रिटीज जिनसे आप कभी ना मिल पाए हों, और यहाँ तक कि कुछ शहर भी आत्मकथा के लिए आकर्षण का केंद्र और रोचक बिंदु होते हैं।
  3. आपकी सारी जिंदगी में ऐसे ना जाने कितने किस्से हुए होंगे, जो आपको अच्छे लगते हों, लेकिन ऐसे में आपको निर्धारित करना होगा कि आप इनमें से कौन सी एक सबसे अच्छी कहानी को लेकर आगे बढ़ना चाह रहे हैं। अब आपको अपनी कहानी की रूपरेखा कुछ इस तरह से तैयार करना होगी जिसमें आपके जीवन की सबसे अच्छी कहानी, जो आपके जीवन के हर एक पहलू को बुनकर सबके सामने ला सके, को चुना जा सके। यहाँ पर कुछ और भी ऐसे विषय दिए गए हैं, जिन्हें अधिकतर आत्मकथाओं में शामिल किया जाता है, और लोग इन्हें काफी रूचि लेकर भी पढ़ते हैं।
    • बचपन की कहानी। आपका बचपन खुशनुमा गुजरा हो या फिर कष्टों में बीता हो, लेकिन लोगों को ये दर्शाने के लिए कि आप कौन हैं, आप किस जगह से आए हैं, आपने अपने बचपन में क्या-क्या सहा है, आपको अपने बचपन की कोई ना कोई कहानी जरुर शामिल करनी चहिये। आप चाहें तो अपने बचपन की कहानी को, ऐसी छोटी-छोटी कहानियों में बाँटकर, जो आपके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाल सकें, भी सुना सकते हैं - जैसे कि, जब आप अपने घर में एक आवारा कुत्ते को लेकर आ गए थे, उस समय आपके माता-पिता की क्या प्रतिक्रिया थी, वो वक़्त जब आप अपने स्कूल की खिड़की से कूदकर भाग गए थे और तीन दिन तक वापस नहीं आए थे, झोपड़ियों में रहने वाले लोगों के साथ में आपका दोस्ताना रिश्ता . . . ये सब सोचते वक़्त जरा रचनात्मक बन जाएँ।
    • बढती उम्र की कहानी। लोगों की जिंदगी में ये विशेष और अक्सर संवेदनशील अवस्था होती है, जिसके बारे में पढना लोगों को अच्छा लगता है। याद रखें कि इसका मतलब कुछ बहुत ही अनूठा लिखना भी नहीं है; हर कोई हर एक उम्र से गुजरता है। इसका मतलब तो ऐसा कुछ लिखना है, जो लोगों को इसे पढने के लिए प्रेरित कर दे।
    • प्यार में पड़ने की कहानी। आप चाहें तो इसका एकदम उल्टा भी कुछ लिख सकते हैं, जैसे कि प्यार में मिली हार की कहानी।
    • पहचान के संकट में होने की कहानी। ऐसा अक्सर 30 या 40 कि उम्र में होता है और इसे जीवन के मध्य भाग के संकट के तौर पर भी लिया जा सकता है।
    • अपनी जिंदगी में मौजूद किसी की तरह की बुराई का सामना करना। फिर भले ही ये आपका किसी लत से सामना करना हो, अपने इशारों पर नचाने वाले प्रेमी का सामना हो, या फिर किसी ऐसे पागल इंसान का सामना करना हो, जिसने आपके परिवार को मारने की कोशिश की हो, आपको बस अपनी जिंदगी में मौजूद उन सारी परेशानियों से संघर्ष करने की कहानी लिखना है, जिन्हें आपने महसूस किया है।
  4. लोगों को इसी तरह की आत्मकथाओं को पढने में आनंद मिलता है, जिन्हें पढ़कर उन्हें ऐसा लगे कि वे इसे अपने नहीं, बल्कि किसी और के दृष्टिकोण से पढ़ रहे हैं। तो हर वक़्त बस आप जैसे हैं, उसी तरह से लिखकर, आप लोगों को अपनी कहानी से बांधे रख पाएँगे। यदि आप कुछ बेहद औपचारिक और मुश्किल शब्दों में लिख रहे हैं या फिर इसे अपनी जिंदगी के दर्पण के बजाय एक कॉलेज के निबंध की तरह लिख रहे हैं, तो लोगों को आपकी किताब को समझ सकने में परेशानी होने लगेगी।
    • इसे बिल्कुल उसी तरह से लिखें जैसे कि आप अपने किसी खास दोस्त के सामने अपने दिल की बातें उजागर कर रहे हैं, जिसमें ठीक उसी तरह की भाषा का इस्तेमाल किया गया हो, जिस तरह से आप अपने दोस्त से बात करते हैं, जो स्पष्ट हो, शक्तिशाली हो और आपके द्वारा हर दिन इस्तेमाल की जाने वाली भाषा से बहुत ज्यादा भी कठिन भाषा ना हो।
    • ऐसा कुछ लिखें, जिससे आपका व्यक्तित्व सबके सामने उभरकर आ सके। क्या आप मजाकिया किस्म के इंसान हैं? प्रबल हैं? धार्मिक हैं? नौटंकीबाज़ हैं? इसे छिपाकर ना रखें; आपके व्यक्तित्व को आपकी कहानी के साथ ही सबके सामने उभरकर आ जाना चाहिए।
  5. आपको एकदम स्पष्ट भी बनने की जरूरत नहीं है, लेकिन आपको अपनी इस आत्मकथा में अपने बारे में और अपने जीवन की सच्चाई को स्पष्ट करना बेहद जरूरी है। ऐसा भी ना कर दें, कि आप अपनी किताब में अपनी जिंदगी के सारे नकारात्मक पहलुओं को अपने अंदर ही दबाकर सिर्फ अपनी उपलब्धियों ही बारे में लिखकर इसे अपनी उपलब्धियों की ही किताब बना दें। ऐसा बिल्कुल ना करें, बल्कि अपने आप को अच्छाइयों, कुशलताओं और खामियों के साथ वाले एक वास्तविक इंसान के रूप में प्रस्तुत करें और इसी तरह से क्योंकि आपने अपने जीवन में कुछ खामियों के साथ भी एक कोई मुकाम हासिल किया होगा, इस कारण से आपकी कहानी को पढ़ने वाले लोग आपको एक आशावादी इंसान के रूप में पहचान पाएंगे और इसी आशा के साथ वो भी आपकी कहानी को पढ़ते जाएँगे।
    • खुद को हमेशा ही एक सकारात्मक इंसान के रूप में केन्द्रित ना करें। आपके अंदर भी कुछ नकारात्मकता हो सकती है, और इसके बाद भी आप अपनी कहानी के नायक बन सकते हैं। तो अपनी गलतियों के साथ-साथ अपनी असफलताओं को भी इसमें शामिल करें, फिर भले ही आप खुद से ही हारे हों या फिर लोगों ने आपको हराया हो।
    • अपने अंदर के विचारों को उजागर करें। अपने अंदर के विचारों और सुझावों को भी शामिल करें, फिर भले ही इनसे विवादों को चिंगारी क्यों ना मिलती हो। अपनी आत्मकथा में अपने आप से झूठ ना बोलें।
  6. आपकी कहानी ने उस वक़्त किस तरह से अपनी जगह बनाई? किस तरह की घटनाओं ने आपकी नीति को प्रभावित किया? किस सांस्कृतिक घटना ने आपको प्रोत्साहित किया? इस तरह से अपने जीवनकाल में दुनिया भर में घटने वाली घटनाओं को शामिल करके भी आप अपनी कहानी को वैध बनाकर, इसमें इसे इसे पढने वालों की दिलचस्पी को जगाए रख सकते हैं।
विधि 2
विधि 2 का 4:

कहानी तैयार करना

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  1. अब आप ये तो जान ही गए होंगे कि आपको अपनी कहानी में क्या-क्या शामिल करना है, तो अब ज़रा इस बारे में सोच लें कि आपको अपनी किताब को किस ढ़ांचे के साथ में तैयार करना है। बिल्कुल, किसी भी अच्छी किताब की ही तरह, आत्मकथा को भी एक अच्छी रणनीति की जरूरत पड़ेगी। तो फिर अपनी जानकारियों को इकठ्ठा करके इससे एक ऐसी कहानी तैयार करने की कोशिश करें, जो धीरे-धीरे आगे बढ़कर, इसके आखिरी चरण तक पहुँच सके और धीरे-धीरे जाकर अंत में सारी परेशानियों का समाधान भी मिल सके। अपने द्वारा लिखी हुई स्मृतियों को और छोटी-छोटी कहानियों को मिलाकर एक ऐसी कहानी तैयार करें, जो एक-साथ एक ही धारा प्रवाहित होती हुई नजर आए।
    • आपका असली और मुख्य संघर्ष क्या है? आपके रास्ते में ऐसी कौन सी रुकावट थी, जिसे पार करते-करते आपको सालों तक का समय लग गया? हो सकता है कि आपको बचपन में हुई कोई ऐसी बीमारी हो गई हो, जिसने आपका पूरा बचपन बर्बाद कर दिया हो या फिर कोई रिश्ता, जिसने आपके जीवन को उलट-पुलट करके रख दिया हो, करियर में मिली असफलता, एक ऐसा लक्ष्य जिसको पाने के लिए आपने दशकों तक मेहनत की हो, या इसी तरह की और भी कोई संघर्ष। संघर्षों से जुड़े हुए और उदाहरणों की जानकारी पाने के लिए अपनी कोई पसंदीदा किताब पढ़ें या मूवी देखें।
    • थोड़ा बहुत कशमकश और चिंता भी बनाए रखें। सारी कहानियों को कुछ इस ढंग से तैयार करें, जिनसे आपके संघर्ष की शुरुआत से लेकर अंत तक की एक श्रंखला बन सके। यदि आपकी कहानी का मुख्य संघर्ष ओलंपिक्स में दौड़ लगाना हो, तो इसमें कुछ सफलताओं के साथ बहुत सारी असफलताओं की कहानी को जोड़ें। आपको अपनी कहानी पढने वाले लोगों के मन में ये सवाल उठाना है, क्या वो इसे पा लेगी? क्या वो ऐसा कर सकता है? अब आगे क्या होने वाला है?
    • एक अंत रखें। आपको अपनी कहानी में एक ऐसा भाग भी रखना होगा, जब आपका ये संघर्ष अपने चरम पर पहुँच जाएगा। वो दिन जब आपके संघर्ष का आखिरी दिन होगा, आपके सबसे बड़े विरोधी के सामने आप खड़े होंगे, आप एक बहुत बड़ा दांव खेलते हैं और सब कुछ हार जाते हैं - आपके सामने सब-कुछ आ जाता है।
    • एक संकल्प के साथ में इसका अंत करें। अधिकतर आत्मकथाओं में एक खुशनुमा अंत होता है, ऐसा इसलिए, क्योंकि इस कहानी का लेखक सिर्फ आपको अपनी कहानी बताना चाहता था - और ये पब्लिश भी हो जाती है। भले ही आपकी इस कहानी का अंत इतना भी ज्यादा प्रोत्साहित करने वाला ना हो, लेकिन इसे कम से कम संतोषजनक तो होना ही चाहिए। आपने किसी तरह से अपना लक्ष्य पा लिया हो या फिर उस दिन जीत गए हों। भले ही आप हार भी गये हों, लेकिन आप इससे निकलकर कुछ तो सीख ही चुके होंगे।
  2. निर्धारित करें, कि आपकी कहानी की शुरुआत कहाँ से हो रही है: आप चाहें तो अपने जीवनकाल के सारे घटनाक्रम को सीधे तौर पर अपने जन्म से शुरू करते हुए अभी वर्तमान तक शामिल कर सकते हैं, लेकिन यदि आप अपनी कहानी में कुछ अलग-अलग घटनाक्रमों को मिश्रित करेंगे, तो इससे आपकी कहानी और भी ज्यादा रोचक बन जाएगी।
    • आप चाहें तो अपनी आत्मकथा को अपने वर्तमान से शुरू करके, धीरे-धीरे इसे अतीत की यादों ओर भी ले जा सकते हैं।
    • आप चाहें तो अपनी कहानी की शुरुआत बचपन की किसी दिल को छू लेने वाली यादों के साथ भी कर सकते हैं, जरा सा पुरानी यादों को याद करें और सबसे पहले अपने घरबार की कहानी, फिर धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए अपने स्कूल फिर कॉलेज की कहानी और फिर अपने करियर की कहानी को बचपन की कुछ हास्यकारी घटनाओं को शामिल करते हुए, सामने लेकर आएँ।
  3. [१] अपने अतीत और वर्तमान को जोड़कर अपने जीवन का एक मुख्य प्रसंग तैयार करें। मुख्य संघर्ष से अलग, ऐसी और भी कौन सी चीज़ें हैं, जिनका आपने अपने जीवन भर पीछा किया? छुट्टियों के साथ आपका लगाव, किसी एक ऐसी जगह से आपका लगाव, जहाँ आप बार-बार जाया करते थे, कुछ तरह के लोग जिनके लिए आप हमेशा मर-मिटने को तैयार हो जाया करते थे, एक संपन्न अध्यात्मिक जीवन, जिसके लिए आप बार-बार जन्म लेने को भी तैयार हैं। अपनी कहानी में इस तरह की चीज़ों को बीच-बीच में सामने लाते रहें, ताकि ये सब आपके जीवनकाल की घटनाओं को चार चाँद लगा सकें।
  4. हर चीज़ के बारे में विचार करने के लिए अपने क़दमों को ज़रा पीछे लें: आप अपने जीवनकाल से जुड़े हुए हर एक सबक को सबके सामने लाने वाले हैं, लेकिन आपने खुद ने इनसे क्या सीखा? अपनी मंशा, अपनी आकाँक्षाओं, कुछ खोने की भावना, ख़ुशी की भावना, जो ज्ञान आपने पाया, और इसी तरह के और भी विचार जो समय-समय पर आपके अंदर उमड़कर आते हैं, इन सभी को अपनी कहानी में दर्शाएँ। अपनी कहानी में घटने वाली सारी घटनाओं के बारे में एक बार चिंतन करके, इनसे क्या अच्छा निकाला जा सकता है, आप अपनी आत्मकथा में इसे अच्छी तरह से जोड़ पाएंगे।
  5. किताब को एक अच्छा रूप देने के लिए इसे अलग-अलग अध्याय (चैप्टर) में बाँट दें: इस तरह के अध्याय बहुत ज्यादा उपयोगी होते हैं, क्योंकि इनकी मदद से आप अपने जीवन के किसी एक समय या किसी एक घटना के बारे में किसी एक अध्याय में चर्चा करके आगे बढ़ते जाएँगे। यहाँ पर "एक अध्याय समाप्त हुआ" या "एक नये अध्याय की शुरुआत हुई" इस अभिव्यक्ति के काफी मायने रखते हैं, खासकर यदि आप एक आत्मकथा लिख रहे हैं, तब इसे लागू करना बहुत जरूरी है। इस तरह से एक-एक अध्याय को जोड़कर आप कभी भी 10 साल आगे जा सकते हैं कभी भी वापस वर्तमान में आ सकते हैं और अपनी कहानी में इसे पढने वालों के मन में बिना किसी तरह का विवाद की स्थिति में डाले, किसी भी वक़्त एक नया विषय जोड़ सकते हैं।
    • आखिरी अध्याय में एक दिल छू लेने वाले नोट या फिर संदेह से भरे किसी नोट को शामिल करें, ताकि लोग भी इसके अगले संस्करण का उत्सुकता के साथ इंतज़ार कर सकें।
    • अपने अध्याय की शुरुआत अपने अतीत पर एक पैनी नजर के साथ करें, उस स्थिति का पूरी तरह से विवरण करें और कुछ इस तरह से इसे सेट करें कि लोगों के अंदर आगे क्या होने वाला है जानने की उत्सुकता भर जाए।
विधि 3
विधि 3 का 4:

किताब को एडिट करना

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  1. सुनिश्चित करें कि आपने हर एक तथ्य को सही तरीके से लिखा है: तारीखों को, नामों को, हर एक घटना के विवरण को, और किताब में सम्मिलित किये हुए हर एक तथ्य को एक दोबारा जाँच लें, ताकि आपको इस बात की संतुष्टि हो जाए कि आपने हर एक घटना को एकदम सही तरीके से लिखा है। भले ही आप अपने ही जीवन की कहानी को लिख रहे हैं, लेकिन फिर भी आपको किसी भी घटना की गलत जानकारी नहीं देना चाहिए।
    • आप चाहें तो अपने लक्ष्यों और इरादों को पूरा करने की सच्चाई को जरा ज्यादा भी खींच सकते हैं, लेकिन असली लोगों के साथ में कुछ नकली बातों को कभी ना शामिल करें या फिर असल घटनाओं को बदल कर भी ना दिखाएँ। बेशक, आपको भी हर एक चीज़ की बिल्कुल सटीक जानकारी भी नहीं मालूम होंगी, लेकिन फिर भी आप चाहें तो सच्चाई को अपने हिसाब से जितना हो सके उतना ही उचित ढ़ंग से दर्शा सकते हैं।
    • यदि आप अपनी कहानी में किसी की कही हुई बातों को उनके नाम के साथ शामिल करने वाले हैं या फिर किसी के द्वारा की गई गतिविधियों को शामिल करने का सोच रहे हैं, तो एक बार उनसे उनके नाम को इस्तेमाल करने की अनुमति जरुर माँग लें। कुछ लोगों को किसी और की आत्मकथा में अपने नाम का जिक्र होना बिल्कुल भी पसंद नहीं होता, और आपको भी उनकी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए, आप चाहें तो उनके विवरण को जरा बदलकर या फिर उनके नाम को बदलकर भी शामिल कर सकते हैं।
  2. जब आपका पहला ड्राफ्ट पूरा हो जाए, तो इसके बाद इसे एक बार फिर से पढ़ लें और बदलाव की कोई भी गुंजाईश नजर आ रही हो, तो उसे कर दें। जरूरत पड़े तो सारे अवतरणों को, पैराग्राफ को और अध्याय को भी बदलने के लिए तैयार रहें। लौकिक शब्दों को बदल दें और अपनी शब्दों को और भी रोचक ढंग से और स्पष्ट रूप से शामिल करने की कोशिश करें। मात्राओं और व्याकरण (ग्रामर) को एक बार फिर से जाँच लें।
  3. अपनी आत्मकथा को अपने किसी ग्रुप के सामने प्रस्तुत करें या अपने दोस्तों को सुनाएँ ताकि आपको एक बाहरी राय भी मिल जाए। कहानियाँ, जो आपको मजेदार लगती हैं, जरूरी नहीं कि वो हर किसी को मजेदार ही लगे। यदि आप कुछ लोगों से अपनी कहानी पर प्रतिक्रिया पा सकें, तो इसे पाने की पूरी कोशिश करें, ताकि आपको इस बारे में जानकारी मिल जाए कि आपकी ये कहानी लोगों को कैसी लगने वाली है।
    • यदि बहुत सारे लोगों ने आपको किसी एक ही भाग को अलग करने की सलाह दी है, तो उसे अपनी कहानी से अलग कर दें।
    • अपने दोस्तों या परिवार के अलावा भी कुछ बाहरी लोगों से भी उनकी राय जानने की कोशिश करें। ऐसे लोग जो आपको जानते हैं, वो शायद आपकी भावनाओं को चोट नहीं पहुँचाना चाहते होंगे, या फिर ये पक्षपात भी कर सकते हैं - खासकर यदि ये भी आपकी कहानी में किसी रूप से शामिल किये गए हैं।
  4. एक कॉपीएडिटर आपके लेखन को शुद्ध कर देगा और कुछ धुंधले भागों को रौशनी प्रदान कर सकता है। [२] फिर भले ही आप अपनी किताब को किसी पब्लिशिंग हाउस के जरिये पब्लिश करने वाले हैं या फिर खुद से ही पब्लिश करने जा रहे हैं, इन दोनों ही तरीकों में भी अपनी कहानी को पूरा हो जाने के बाद एक प्रोफेशनल टच देना कभी भी आपको कोई हानि नहीं देगा।
  5. इसका शीर्षक कुछ ऐसा होना चाहिए, जो आपकी कहानी के साथ और आपकी किताब की शैली से मेल खाता हो, और इसके साथ ही जिस पर लोगों का ध्यान आकर्षित हो सके और जो थोड़ा लुभावना हो। अपने शीर्षक को बहुत सारे शब्दों का इस्तेमाल करके और अजीब ढंग का, जिसे लोग याद भी ना कर सकें बनाने के बजाय एक छोटा सा और आसानी से याद किये जाने योग्य बनाएँ। आप चाहें तो इसमें अपना नाम और "मेरी आत्मकथा" भी रख सकते हैं या फिर इससे जरा कम अस्पष्ट सा कुछ और भी रख सकते हैं। यहाँ पर कुछ आत्मकथाओं के प्रसिद्ध शीर्षक दिए गए हैं, जो कहानी के साथ पूरी तरह से सही बैठते हैं:
    • हरिवंशराय बच्चन की क्या भूलूँ क्या याद करूँ (1969), नीड़ का निर्माण फिर (1970), बसेरे से दूर
    • स्वामी दयानंद की जीवन चरित्र
    • वियोगी हरि की मेरा जीवन प्रवाह
    • डॉ राजेन्द्र प्रसाद की आत्मकथा [३]
विधि 4
विधि 4 का 4:

अपनी कहानी को पब्लिश करना

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  1. भले ही आप लोगों के बीच में अपनी किताब की बेचने को लेकर ज्यादा चिंता में ना हों, हो सकता है कि आप इसे अच्छी तरह से डिजाईन करके और सही ढंग से प्रिंट कराकर, इसे अपने पास में रखना चाहते हों, अपने दोस्तों या परिवार के लोगों को देना चाहते हों और इस किताब में शामिल किये गए लोगों के बीच में बांटना चाहते हों। कुछ ऐसी कंपनियों की तलाश करें, जो किताब को डिजाईन करने, इसके प्रिंट निकालने और शिपिंग की सुविधा भी देती है और फिर निर्धारित करें कि आप इस किताब की कितनी कॉपी निकलवाने का ऑर्डर देना चाहते हैं। [४] बहुत सारी कंपनी भी इसी तरह की किताबों को बनाने करने की सुविधाएँ देती हैं, जो ठीक उसी तरह से प्रोफेशनल किताब प्रिंट करके देती हैं, जैसी कि कोई भी पब्लिशिंग हाउस देता है।
    • यदि आप पब्लिशिंग सर्विस के लिए भुकतान नहीं करना चाहते हैं, तो आप अभी भी किसी कॉपी स्टोर से अपनी किताब के पन्ने प्रिंट कराकर, इसे अच्छी तरह से सही क्रम में जोड़कर और फिर इन्हें बाँधकर (स्पाइरल बाइंड) भी रख सकते हैं।
  2. [५] यदि आप अपनी आत्मकथा पब्लिश करना चाह रहे हैं और इसे दुनियाभर के साथ शेयर करना चाहते हैं, तो फिर इसके लिए एक लिटरेरी एजेंट आपको इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए आपको काफी मदद प्रदान कर सकते हैं। ऐसे एजेंट्स की तलाश करें, जो आत्मकथाओं पर काम करते हैं और फिर इन्हें अपनी किताब की, अपनी और इस किताब को लोगों के बीच में क्यों आना चाहिए, इन सारी बातों की जानकारी देते हुए एक लैटर लिखें।
    • इस प्रश्न पत्र की शुरुआत, अपनी किताब के मुख्य बिंदुओं का संक्षिप्त रूप से बखान करते हुए करें। अपनी इस किताब को उचित जानर के अनुसार स्थापित करें, और इस इस बात का भी विवरण दें कि आखिर ये किस तरह से बाकी की और किताबों से अलग है। उस एजेंट को भी बताएँ कि इस किताब को पब्लिशर तक लेकर जाने के लिए किस तरह से वो ही एक सही इंसान है।
    • एजेंट को कुछ ऐसे सैम्पल चैप्टर भेजें, जो रोचक हों।
    • भरोसे के लायक किसी एजेंट के साथ में कॉन्ट्रैक्ट साइन कर लें। किसी भी चीज़ पर साइन करने से पहले एक बार उस एजेंट की सारी जानकारी निकाल लें और कॉन्ट्रैक्ट को भी अच्छी तरह से पढ़ लें।
  3. यदि आप एजेंट को पाने में समय नहीं गंवाना चाहते हैं, तो फिर आप सीधे तौर पर पब्लिशर को एक लैटर सौंप सकते हैं और देखें यदि कोई तैयार होता है। अपने जानर में मौजूद किताबों को पब्लिश करने वाले पब्लिशर्स की खोज करें। उन्हें एक-साथ पूरी स्क्रिप्ट ना भेज दें; जब तक पब्लिशर आपसे इस स्क्रिप्ट की माँग नहीं कर लेता, तब तक इंतज़ार करें।
    • बहुत सारे पब्लिशर इस तरह की अनचाही स्क्रिप्ट या प्रश्नपत्र को स्वीकार नहीं करते हैं। तो पहले इस बात की पुष्टि कर लें कि आप सिर्फ उन्हीं पब्लिशर्स को ये लैटर भेज रहे हैं, जो इन्हें स्वीकार करते हैं।
    • यदि कोई पब्लिशर आपकी किताब के साथ आगे बढना चाहता है और आपके साथ डील करने को तैयार हो जाता है, तो फिर आपको एक कॉन्ट्रैक्ट साइन करना पड़ेगा और फिर एडिटिंग, डिजाइनिंग, प्रूफरीडिंग और किताब को पब्लिश करने के लिए एक समयावधि बनानी होगी।
  4. अपनी किताब को ऑनलाइन पब्लिश करने के बारे में सोचें: [६] ये अपनी किताब को पब्लिश करने की एक अच्छी और चर्चित विधि है और इसके साथ ही इसके जरिए प्रिंटिंग और शिपिंग पर लगने वाले खर्चे की भी बचत हो जाएगी। अपने लिए ऐसे ऑनलाइन पब्लिशर की खोज करें, जो आपके ही जानर की किताब पब्लिश करते हैं, अपना प्रश्नपत्र सौंप दें और इसके बाद अपने लेखन को एडिट और पब्लिश करने के लिए आगे बढ़ें।

सलाह

  • आपकी कहानी में विविधता तो होना चाहिए लेकिन कुछ अनचाही जानकारियों को शामिल करके इसे बीच में ही उलझाकर ना रख दें। आप भी अपनी आत्मकथा को यादगार बनाना चाहते होंगे, ना कि चाहते होंगे कि लोग इसे बोरियत के साथ पढ़ें। बहुत ज्यादा जानकारी--पार्टी में मौजूद हर एक इंसान का विवरण देना या फिर हर दिन घटने वाली हर एक घटना को शामिल करना--भी आपकी कहानी में लोगों की दिलचस्पी को कम कर देता है।
  • आपकी आत्मकथा में किसी के प्रति समर्पण, प्रस्तावना, जरूरी आंकड़े, घटनाक्रम, परिवार की जानकारी और उपसंहार को शामिल किया जा सकता है।
  • यदि आपकी आत्मकथा का उद्देश्य अपनी इस कहानी को अपने आगे आने वाले लोगों (उत्तराधिकारी) को बताना है, तो ऐसे में कुछ यादगार चीज़ों (तस्वीरें, विरासत, मेडल्स, स्मृतियाँ, लैटर्स आदि) को शामिल करें और अपनी कहानी को स्क्रैपबुक फॉर्मेट में ही रखें। बिल्कुल, आप अपनी इन सारी यादों को तो अपनी आत्मकथा में कॉपी नहीं कर पाएँगे, तो ऐसे में आपको ही ये सोचना होगा कि आप इन सारी असली चीजों और इसी तरह की अन्य चीजों, जैसे कि मेडल्स या भारी विरासत को किस तरह से शामिल करने वाले हैं।
  • यदि आपका लेखन सही नहीं है, या फिर आपको अपने विचारों को सही रूप से व्यक्त करने में मदद की जरूरत है, तो ऐसे में किसी एक असली लेखक (ghostwriter) या फिर पेशेवर व्यक्तिगत इतिहासकार को अपने साथ शामिल करने की कोशिश करें। सेलिब्रिटीज अक्सर ऐसा ही किया करती हैं। यहाँ पर ऐसा एक सॉफ्टवेयर भी मौजूद है, जो आपको आपके सारे जवाबों को अपने कंप्यूटर पर एक टेम्पलेट पर टाइप करने की सुविधा देता है, इससे कोई भी समस्या, हाथ से लिखने की तुलना में काफी जल्दी हल हो जाती है। बहुत सारे लोग सीधे ऑनलाइन टेम्पलेट पर ही इसे टाइप करना पसंद करते हैं।

चेतावनी

  • इस बात को लेकर सावधान रहें कि किन बातों को पढ़कर लोग अपमानित सा महसूस करते हैं। यदि आप अपनी इस आत्मकथा में, जिसे आप पब्लिश करना चाह रहे हैं, किसी व्यक्ति के बारे में कुछ अपमानजनक बात या द्वेषपूर्ण शब्द बोलना चाहते हैं, तो उसका नाम बदलकर इस्तेमाल करें (यदि वो अभी भी जीवित है)। नहीं तो फिर कानूनी कार्यवाही से निपटने के लिए खुद को तैयार कर लें। यदि आपको समझ नहीं आ रहा है, कि क्या बदलना चाहिए तो फिर ऐसे में ऐसे किसी वकील से परामर्श लें, जो इस तरह के शब्दों को इस्तेमाल करने में आपकी सहायता कर सके।

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