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ईद यानी खुशियों का त्यौहार! ईद का त्यौहार आपको प्यार और मोहब्बत सिखाता है। इस्लाम में दो ईदें होती हैं, जिनको दुनियाभर के मुसलमान बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। इन ईदों के कई नाम हैं, लेकिन इनको आमतौर पर ईद उल फितर यानी रमजान के रोज़ों के बाद वाली ईद और ईद उल अज़हा यानी कुर्बानी वाली ईद कहा जाता है। इन दोनों छुट्टियों के दिनों में मुसलमान खास इबादत करते हैं और गरीबों में सदक़ा ख़ैरात करते हैं, लेकिन यह दोस्तों और परिवार वालों के साथ खुशियाँ मनाने का भी दिन होता है।

विधि 1
विधि 1 का 2:

ईद उल फितर मनाएं

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  1. ईद उल फितर यानी "रमजान के बाद मनाया जाने वाला त्यौहार," और इसको इस्लामी महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है। [१] बहुत से इलाकों में मुसलमान रमजान का चांद देखने के लिए इकट्ठे होते हैं और जब ईद के चाँद की घोषणा कर दी जाती है, तो फिर इसको मुसलमान धूमधाम से मनाते हैं। कभी-कभी चाँद को देखने के लिए 2 या 3 दिन का इंतजार करना पड़ता है, लेकिन बहुत से मुस्लिम देशों में चाँद देखे जाने की संभावना वाले तीनों दिन सरकार की तरफ से आधिकारिक तौर पर छुट्टी की घोषणा कर दी जाती है।
    • क्योंकि ईद इस्लामी तारीखों यानी चाँद के हिसाब से मनाई जाती है, इसी वजह से यह हर साल ग्रेगोरियन (Gregorian) यानी इंग्लिश कैलेंडर के हिसाब से एक ही दिन नहीं आती। ईद इस साल कब पड़ेगी इसकी जानकारी के लिए ऑनलाइन सर्च करें या फिर अपने किसी मुसलमान दोस्त से पूछें।
  2. ईद के लिए नए कपड़े खरीदने का दुनिया भर में चलन है और गरीब लोग जो नए कपड़े नहीं खरीद पाते, वह भी अच्छा दिखने के लिए अच्छे से अच्छे कपड़े पहनते हैं। दक्षिणी एशिया में ईद से पहले वाली रात को औरतें अपने हाथों पर मेंहदी लगाती हैं और मर्द अपने कपड़ों पर परफ्यूम और इत्र लगाते हैं।
    • ईद के दिन ज्यादातर लोग सुबह ग़ुस्ल यानी नहाया करते हैं।
  3. ईद उल फितर के दिन रोजा रखना मना होता है, क्योंकि यह रमजान की समाप्ति के बाद मनाया जाने वाला पर्व है। [२] नमाज से पहले कुछ खाना उचित होता है। बहुत से मुसलमान इस दिन की शुरुआत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के बताए हुए तरीके से रोजा खोल कर करते हैं यानी वह विषम संख्या में खजूरें खाकर दिन की शुरूआत करते हैं। आमतौर पर 1 या 3 खजूरें खाई जाती हैं। [३]
    • ईद की एक रात पहले से लेकर ईद की नमाज पढ़े जाने तक तकबीर बोली जाती हैं। तकदीर बोलने का तरीका यह है:
      • अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, ला इलाहा इल्लल्लाह, वल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, वलिल्लाहिलहम्द
      • "अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह सबसे बड़ा है, उसके सिवा कोई खुदा नहीं, अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह सबसे बड़ा है, और सारी तारीफें अल्लाह ही के लिए हैं।"
  4. ईद की नमाज ईद के दिन सुबह अदा की जाती है और यह नमाज ईदगाह, खुले ग्राउंड या फिर शहर की बड़ी मस्जिदों में अदा की जाती है। [४] दुनिया भर के बहुत से क्षेत्रों में सारे मुसलमान ईद की नमाज अदा करने जाते हैं। जबकि कुछ इलाकों में औरतों का जाना उचित तो है, लेकिन जरूरी नहीं होता यानी दूसरे शब्दों में इन क्षेत्रों में केवल मर्द ही नमाज अदा करने जाते हैं। नमाज अदा करने के बाद लोग गले मिलकर एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद देते हैं और इस नमाज की समाप्ति इमाम के ख़ुत्बे से होती है।
  5. ईद उल फितर के दिन मीठे पकवान बनाए जाते हैं, क्योंकि मीठे पकवान खुशी जाहिर करने का संकेत होते हैं और इस दिन रमजान की समाप्ति के बाद ईद की खुशी का दिन होता है। [५] बहुत सी मस्जिदों में ईद की नमाज से पहले या बाद में मीठा खाने को दिया जाता है, लेकिन ज्यादातर लोग घर पर ही मीठे पकवान पकाकर ईद मनाते हैं।
    • ईद के दिन हलाल मीट के अलावा कोई भी खाना बनाना जरूरी नहीं होता, लेकिन अलग-अलग इलाकों के रीति-रिवाजों के हिसाब से लोग इस दिन खजूरें, हलवा, फालूदा, दूध के साथ कुकीज, बकलावा (baklava), और सिवैयाँ भी खाया करते हैं।
  6. बड़े छोटे बच्चों को ईद के दिन ईदी या तोहफे दिया करते हैं और इस दिन लोग आपस में भी एक दूसरे को तोहफे दिया करते हैं। लोग सुबह अपने घर में ईद मनाने के बाद पड़ोसियों और दूसरे रिश्तेदारों के घरों पर तोहफे और ईद की मुबारकबाद देने जाया करते हैं।
  7. इस दिन हर मुसलमान पर गरीबों को "ज़कात अल फ़ित्र," देना वाजिब होता है। गरीब को एक खाने के बराबर पैसे, खाना या कपड़े देना जकात अल फित्र कहलाता है। [६]
  8. ज्यादातर लोग इस दिन पूरे परिवार को इकट्ठा करके लंच या डिनर किया करते हैं और इस दिन लोग मीट, आलू, चावल, जौ और दूसरी चीजों से बने पकवान खाया करते हैं। बहुत से लोग दोपहर के समय सुबह की थकान उतारने के लिए आराम किया करते हैं। कुछ लोग इस दिन ईद के खास प्रोग्राम में शरीक हुआ करते हैं, शाम को दोस्तों के साथ पार्टी किया करते हैं और बहुत से लोग अपने स्वर्गवासी दोस्तों और रिश्तेदारों की क़ब्रों पर जाया करते हैं।
    • बहुत से इलाक़ों में ईद को 3 दिन तक मनाया जाता है और बहुत से मुसलमानों के ग्रुप अलग दिन भी ईद मनाया करते हैं। इसलिए अगर आप चाहें, तो दूसरे दिन भी सुबह जल्दी उठकर ईद की नमाज अदा करके इस दिन को मना सकते हैं।
विधि 2
विधि 2 का 2:

ईद उल अज़हा मनाएं

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  1. ईदु उल अज़हा आमतौर पर इस्लामी महीने ज़िल हिज्जा की 10 तारीख़ को मनाई जाती है, पर स्थानीय परिस्थितियों के हिसाब से इसकी तारीख़ आगे पीछे हो सकती है। दुनियाभर के मुसलमान इस दिन को धूमधाम से मनाते हैं, भले ही उन्होने इस साल हज नहीं किया हो।
    • क्योंकि ईद की छुट्टी का दिन चाँद की तारीखों के हिसाब से तय होता है, इसलिए ग्रेगोरियन (Gregorian) यानी इंग्लिश कैलेंडर के हिसाब से ईद हर साल एक ही तारीख को नहीं पड़ती।
  2. जैसा कि ऊपर ईद-उल-फितर वाले भाग में बता दिया गया है कि सारे मुसलमान और कभी-कभी सिर्फ मुसलमान मर्द ईद की नमाज अदा करने जाते हैं, जिसमें एक ख़ुत्बा भी होता है। सब लोग अच्छा दिखने के लिए अच्छे से अच्छे कपड़े पहनने की कोशिश करते हैं और बिल्कुल सुबह नहाते धोते हैं और नए कपड़े खरीदने की हैसियत रखने वाले लोग नए कपड़े पहनते हैं।
    • ईद उल फितर की तरह इस दिन मीठे पकवान बनाना या रोजा खोलना जरूरी नहीं होता।
  3. एक आदमी या घर का कोई सदस्य जो कुर्बानी करने की हैसियत रखता है, उसको ईद उल अज़हा पर भेड़, गाय, बकरा या ऊंट की कुर्बानी करना चाहिए, ताकि इब्राहिम अलैहिस्सलाम के तरीके पर चला जा सके। जब इब्राहीम अलैहिस्सलाम को खुदा ने उनके बेटे इस्माइल की कुर्बानी का हुक्म दिया, कुर्बानी के समय इस्माइल के बदले में अल्लाह ने आसमान से कुर्बानी के लिए जानवर भेज दिया। कुर्बानी का जानवर बिल्कुल स्वस्थ होना चाहिए तथा जिबाह करके उसकी कुर्बानी करना चाहिए। [७]
  4. कुर्बानी के जानवर का मीट आप जिस तरह भी चाहें पका सकते हैं। कुर्बानी के जानवर का एक तिहाई मीट कुर्बानी करने वालों के लिए होता है और एक तिहाई अपने रिश्तेदारों और दोस्तों में बाँटा जाता है और इसका तीसरा एक तिहाई हिस्सा ग़रीब और भूखे लोगों को दिया जाता है। [८]
    • इस दिन लोग इकट्ठे होकर कुर्बानी वाले मीट के अलग-अलग पकवान बनाकर खाया करते हैं। कुर्बानी वाले जानवर के मीट के पकवान के अलावा कुछ भी पकाना जरूरी नहीं होता, लेकिन आमतौर पर मीट के साथ कई तरह के खाने खाए जाते हैं।
  5. अगर कुर्बानी करना मुमकिन ना हो तो कोई और तरीका चुनें: ज्यादातर पश्चिमी देशों में स्लॉटर हाउस के बाहर जानवरों को ज़िबाह करने की इजाजत नहीं होती और बहुत से शहरों में कुर्बानी के लिए जानवर ढूंढना मुश्किल हो सकता है। ऐसी स्थितियों में मुसलमान यह कुछ उपाय कर सकते हैं:
    • आप दूसरे देश या इलाकों में मौजूद अपने परिचितों को कुर्बानी की रकम भेज सकते हैं, वह आपकी अनुपस्थिति में कुर्बानी कर देंगे और मीट को लोगों में बांट देंगे।
    • मुस्लिम कसाई आपको कुर्बानी के लिए जगह बता देंगे और हलाल तरीके से कुर्बानी करने में आपकी मदद कर देंगे।

सलाह

  • दोनों ईदों पर मेहमानों को अरेबिक कॉफी भी पेश की जाती है।
  • ईद गैर मुस्लिमों के साथ भी मनाई जा सकती है। अपने गैर-मुस्लिम पड़ोसियों और दोस्तों को भी इसमें शरीक करें।

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