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आप किसी कंप्यूटर से बहुत कुछ कर सकते हैं, और अगर आप अभी शुरुआत ही कर रहे होंगे, तब तो आपको यह सब बहुत भयंकर लगेगा। अच्छी बात यह है कि पिछले कुछ सालों में कंप्यूटर पहले से अधिक सरल हो गए हैं, और आप कुछ ही मिनटों में उनके बारे में जान कर उनको चलाना शुरू कर सकते हैं। नए कंप्यूटर को सेट अप करने से ले कर सुरक्षित ढंग से इन्टरनेट ब्राउज़ करने और अपने मनपसंद प्रोग्राम्स को इन्स्टाल करने के लिए नीचे पोस्ट किए गए गाइड्स को देखिये और एक प्रो की तरह अपने कंप्यूटर का इस्तेमाल करना शुरू कर दीजिये।

विधि 1
विधि 1 का 5:

शुरू करना

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  1. अगर आप नए डेस्कटॉप कंप्यूटर को सेट अप कर रहे हैं, तब उसको इस्तेमाल करना शुरू कर पाने से पहले, यह कुछ स्टेप्स हैं जिन्हें आपको लेना पड़ेगा। अपनी डेस्क के पास ऐसी जगह को खोज लेने के बाद जहां आप अपना टावर रख सकें, आपको अपने मॉनिटर, कीबोर्ड, और माउस को कनेक्ट करना होगा, तथा साथ ही टावर को पावर सोर्स में प्लग करना होगा।
    • कंप्यूटर को इस्तेमाल कर सकने के लिए, शुरू में केवल इन्हीं चीज़ों को कनेक्ट करने की आवश्यकता होती है। आप अन्य पेरीफेरल्स और एक्सेसरीज़ को बाद में जोड़ सकते हैं।
    • अगर आप नए लैपटॉप का इस्तेमाल कर रहे हैं , तब आपको इससे कहीं कम सेट अप करना होगा। यह सुनिश्चित करने के लिए कि वह पहले से ही चार्ज किया हुआ है, अपने लैपटॉप को किसी पावर सोर्स में प्लग करिए, और उसके बाद शुरू करने के लिए उसे पावर ऑन करिए।
  2. अगर आप कंप्यूटर पहली बार इस्तेमाल कर रहे होंगे, तब उसे ऑन करने पर शायद आपसे कहा जाएगा कि एक यूज़र अकाउंट क्रिएट करिए। इस अकाउंट में आपके सभी डॉक्युमेंट्स, पिक्चर्स, डाउनलोड की हुई फ़ाइल्स और आपके द्वारा क्रिएट की गई फ़ाइल्स होल्ड की जाएंगी।
    • अगर आपका कंप्यूटर पब्लिक सेटिंग में है, तब आपको अपनी पर्सनल जानकारी प्रोटेक्ट करने के लिए एक स्ट्रॉंग पासवर्ड क्रिएट करना चाहिए। हमारे हिसाब से, चाहे आपका होम कंप्यूटर ही क्यों न हो, यह बहुत जरूरी है (ताकि कोई दूसरा आपकी फ़ाइल्स को एक्सेस न कर सके)।
    • विंडोज़ 7 में नया यूज़र अकाउंट कैसे क्रिएट करें?
    • विंडोज़ 8 में नया यूज़र अकाउंट कैसे बनाएँ?
    • ओएस एक्स में नया यूज़र अकाउंट कैसे बनाएँ?
  3. डेस्कटॉप आपके कंप्यूटर का मुख्य वर्क एरिया है, और शायद यही ऐसा क्षेत्र होगा जहां सबसे अधिक बार विज़िट भी किया जाएगा। आप जितनी बार भी अपने अकाउंट में लॉग इन करेंगे, उतनी बार डेस्कटॉप एपियर होगा, और इसमें वे सभी आइकन्स और आपके द्वारा सर्वाधिक इस्तेमाल किए जाने वाले प्रोग्राम्स तथा फ़ाइल्स के लिए शॉर्ट कट्स भी शामिल होंगे। आपके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले ऑपरेटिंग सिस्टम के आधार पर, आपका डेस्कटॉप अलग तरह का दिख सकता है और अलग तरह से फ़ंक्शन भी कर सकता है।
    • विंडोज़ ऑपरेटिंग सिस्टम (विंडोज़ 8 को छोड़ कर) की ख़ासियत यह होती है, कि स्टार्ट मेन्यू डेस्कटॉप के सबसे नीचे बाएँ कोने पर होता है। स्टार्ट मेन्यू आपको शीघ्रता से इन्स्टाल किए गए प्रोग्राम्स तथा सेटिंग्स में एक्सेस करने देता है।
    • विंडोज़ 8 में स्टार्ट मेन्यू की जगह स्टार्ट स्क्रीन आता है। यह अधिकांशतः उसी तरह काम करता है, मगर उसमें जानकारी किस तरह डिस्प्ले की जाती है, वह फंडामेंटली फर्क होती है।
    • ओएस एक्स में चीज़ों को ऑर्गनाइज्ड और अपने नियंत्रण में रखने के लिए, आप मल्टीपल डेस्कटॉप्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। मल्टीपल डेस्कटॉप्स का लाभ किस तरह उठाया जा सकता है, इसके लिए आप इस गाइड को देखिये।
  4. आपके माउस और कीबोर्ड, कंप्यूटर से इंटरेक्ट करने के प्राइमरी मीन्स होते हैं। यह सीखने के लिए कि वे कैसे काम करते हैं और किस प्रकार से आप अपने ऑपरेटिंग सिस्टम तथा प्रोग्राम्स से इंटरेक्ट कर सकते हैं, कुछ समय निकाल लीजिये।
    • सीखिये कि नेविगेट करने के लिए माउस का किस तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। माउस की सहायता से आप पिनपॉइंट नेविगेशन कंट्रोल कर सकते हैं तथा इसकी अनेक तरह की एक्टिविटीज़ के लिए आवश्यकता पड़ती है। माउस के इस्तेमाल से परिचित होने से आपको एक माहिर कंप्यूटर उपयोगकर्ता बनने में बहुत मदद मिलेगी।
    • अपने वर्कफ़्लो को सुधारने के लिए कुछ कीबोर्ड शॉर्टकट्स की प्रैक्टिस कर लीजिये । कीबोर्ड शॉर्टकट्स, कीबोर्ड कीज़ का एक ऐसा कॉम्बिनेशन होते हैं जिससे किसी प्रोग्राम या आपके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले ऑपरेटिंग सिस्टम में कोई फ़ंक्शन पूरा किया जाता है। उदाहरण के लिए, अधिकांश प्रोग्राम्स में जिनमें फ़ाइल्स को सेव किया जा सकता है, Ctrl + S ( Cmd + S on a Mac) को दबाने से आपकी करेंट फ़ाइल ऑटोमेटिकली सेव हो जाएगी।
  5. चाहे आपने अपना कंप्यूटर खुद ही क्यों न बनाया हुआ हो, कुछ ऐसे प्रीइन्स्टाल्ड एप्लीकेशन्स और यूटिलिटीज़ होंगे जिनका इस्तेमाल आप बिना कुछ भी एडीशनल इन्स्टाल किए भी कर सकेंगे। अगर आप विंडोज़ का इस्तेमाल कर रहे होंगे, तब स्टार्ट मेन्यू पर क्लिक करिए और उपलब्ध प्रोग्राम्स को ब्राउज़ करके देखिये। अगर आप मैक का इस्तेमाल कर रहे हैं, तब अपने डॉक तथा एप्लीकेशन्स फ़ोल्डर को चेक करिए।
  6. आप चाहे जिस तरह का कंप्यूटर इस्तेमाल कर रहे होंगे, कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर इन्स्टाल करना बहुत मामूली काम होता है। यह प्रोसेस आम तौर पर बिलकुल सीधा होता है, चूंकि अधिकांश इन्स्टालर्स प्रत्येक स्टेप के लिए बिलकुल स्पष्ट निर्देश देते हैं।
    • अगर आप विंडोज़ कंप्यूटर का इस्तेमाल कर रहे होंगे, तब माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस इन्स्टाल करना एक अच्छी शुरुआत हो सकती है। वर्डप्रोसेसर तक एक्सेस होना तो बेशकीमती है, और अनेक व्यक्तियों के लिए तो कंप्यूटर लेने का यही एक मुख्य कारण होता है। अनेक विंडोज़ कम्प्यूटर्स में ऑफिस का ट्रायल वर्ज़न पहले से ही इन्स्टाल किए हुये आता है।
    • मैक में सॉफ्टवेयर इन्स्टाल करना विंडोज़ में सॉफ्टवेयर इन्स्टाल करने से थोड़ा फ़र्क होता है। यह मुख्यतः मैक ऑपरेटिंग सिस्टम के अंतर्निहित स्ट्रक्चर के कारण होता है। अनेक मैक यूज़र्स को ओएस एक्स में प्रोग्राम्स को इन्स्टाल और मैनेज करना, विंडोज़ की तुलना में कहीं अधिक आसान लगता है।
विधि 2
विधि 2 का 5:

बेसिक कंप्यूटर कमांड्स सीखना

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  1. आप अपने कंप्यूटर से फ़ाइल्स को, डॉक्युमेंट्स में टेक्स्ट को, और वेबसाइट को चुनने के लिए माउस या कीबोर्ड शॉर्टकट्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप जिस टेक्स्ट को चुनना चाहते हैं उस पर अपने माउस को ड्रैग करिए या सभी चीज़ों को अपनी करेंट लोकेशन में चुनने के लिए Ctrl + A को दबाइए (पीसी) या Cmd + A को दबाइए (मैक)। जब आप एक बार फ़ाइल्स या टेक्स्ट को चुन लेंगे, तब आप अनेक एक्शन्स ले सकते हैं।
  2. कॉपी और पेस्ट करिए : जब आप टेक्स्ट या फ़ाइल्स को सेलेक्ट करते हैं तब उनको कॉपी और पेस्ट करना सबसे कॉमन एक्शन्स में से एक होता है। "Copying" के बाद किसी भी फ़ाइल या टेक्स्ट का ओरिजिनल जैसे का तैसा ही बना रहता है, जबकि आपके कंप्यूटर के क्लिपबोर्ड पर उसकी एक कॉपी क्रिएट हो जाती है। उसके बाद आप उस फ़ाइल या टेक्स्ट को कहीं भी और "Paste" कर सकते हैं।
    • पीसी के लिए, Ctrl + C को दबा कर कॉपी करिए, Ctrl + V दबा कर पेस्ट करिए। आप माउस से मेन्यू में उचित ऑप्शन को चुन कर अपने चुने हुये भाग को राइट क्लिक करके भी कॉपी तथा पेस्ट कर सकते हैं।
    • मैक के लिए Cmd + C दबा कर कॉपी करिए तथा Cmd + V दबा कर पेस्ट करिए। आप अपने माउस से चुने हुये हिस्से पर राइट क्लिक करके और मेन्यू में से उचित ऑप्शन को चुन कर भी कॉपी और पेस्ट कर सकते हैं।
  3. फ़ाइल्स को सेव और ओपेन करिए : वर्ड प्रोसेसर्स, फ़ोटो एडिटर्स, और इनके जैसे अन्य कई प्रोग्राम्स में आपको अपने डॉक्युमेंट्स को क्रिएट और सेव करने की सुविधा उपलब्ध होती है। जब आप कंप्यूटर पर काम कर रहे होते हैं, तब बुद्धिमानी यही होती है कि अक्सर सेव करते रहा जाये। आपको पता नहीं होता है कि कब पावर चली जाएगी, जिसके कारण घंटों का बिना सेव किया हुआ काम ग़ायब हो सकता है। अक्सर सेव करने की आदत ही डाल लीजिये, और अगर आप किसी फ़ाइल में कोई बड़े परिवर्तन कर रहे हों, तब तो अक्लमंदी यही होगी कि उसकी एक नई कॉपी क्रिएट कर ली जाये। ऐसे अधिकांश प्रोग्राम्स में, जहां पर सेव किया जा सकता है आप Ctrl + S (पीसी में) या Cmd + S (मैक में) दबा कर सेव कर सकते हैं।
    • अगर आपके कंप्यूटर में अनेक महत्वपूर्ण फ़ाइल्स हों, तब बैकअप सिस्टम सेट अप करने का विचार कर लीजिये। इससे यह सुनिश्चित होगा कि अगर आपके कंप्यूटर को कुछ हो भी जाता है, तब भी आपके पास आपकी सभी महत्वपूर्ण फ़ाइल्स की एक कॉपी उपलब्ध होगी। विंडोज़ तथा मैक ओएस एक्स दोनों में ही उनके ऑपरेटिंग सिस्टम्स में ही बैकअप सिस्टम्स बिल्ट इन होते हैं।
  4. जैसे-जैसे आप अपने कंप्यूटर का अधिक और अधिक इस्तेमाल करने लगेंगे, डॉक्युमेंट्स, मीडिया और फ़ाइल्स का आपका कलेक्शन इतना बड़ा हो जाएगा कि वह आपके नियंत्रण से बाहर होना शुरू हो सकता है। कुछ समय निकाल कर, अपने पर्सनल फ़ोल्डर्स को ऑर्गनाइज़ कर लीजिये। आसानी से एक्सेस की जा सकने वाली डायरेक्टरी बनाने में सहायता पाने के लिए आप नए फ़ोल्डर्स क्रिएट कर सकते हैं।
विधि 3
विधि 3 का 5:

इन्टरनेट से कनेक्ट करना

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  1. इन्टरनेट से कनेक्ट हो सकने के लिए, आपके कंप्यूटर को इन्टरनेट कनेक्शन की एक्सेस होनी चाहिए। यह वायरलेस नेटवर्क के रूप में हो सकती है, या हो सकता है कि आपके कंप्यूटर को डायरेक्टली नेटवर्क के राउटर या मॉडेम से कनेक्ट करने की ज़रूरत पड़े। यह सब इस पर निर्भर करेगा कि आपकी लोकेशन पर नेटवर्क को किस तरह से कन्फ़ीगर (configure) किया गया है, और आपके कंप्यूटर की क्षमताएँ क्या हैं।
    • अपने कंप्यूटर को वायरलेस (वाई-फ़ाई) नेटवर्क से कनेक्ट करिए। अगर आपके घर, ऑफिस, या स्कूल में वायरलेस नेटवर्क सेटअप है, तब आप उससे कनेक्ट करने के लिए अपने कंप्यूटर का इस्तेमाल कर सकते हैं। अधिकांश लैपटॉप्स तो बिना किसी ख़ास परेशानी के किसी वायरलेस नेटवर्क से कनेक्ट हो सकते हैं, जबकि कुछ डेस्कटॉप्स के लिए वायरलेस नेटवर्क कार्ड को इन्स्टाल करने की ज़रूरत पड़ सकती है।
    • वायर्ड नेटवर्क कनेक्शन अधिक तेज़ और अधिक स्टेबल हो सकता है । अगर आपका कंप्यूटर, फिजिकली, आपके इन्टरनेट एक्सेस पॉइंट के कुछ निकट ही होगा, तब अपने कंप्यूटर को नेटवर्क से कनेक्ट करने के लिए शायद आप एथरनेट केबल का इस्तेमाल करना चाह सकते हैं। यह डेस्कटॉप के लिए कहीं अधिक व्यावहारिक ऑप्शन हो सकता है, क्योंकि सामान्यतः वे एक ही जगह पर रखे रहते हैं। वायर्ड कनेक्शन में उस तरह का इंटरफ़ियरेंस सामने नहीं आयेगा, जैसा वायरलेस नेटवर्क में आने की संभावना हो सकती है, और ट्रांसमीशन स्पीड भी अधिक तेज़ होती है।
  2. वेब ब्राउज़र वह सॉफ्टवेयर होता है जो आपको वेब-पेजेज़ देखने देता है, ऑनलाइन वीडियोज़ देखने देता है, फ़ाइल्स डाउनलोड करने देता है, और एक तरह से इन्टरनेट संबंधी सभी शेष सभी चीज़ें करने देता है। सभी कंप्यूटर्स में, डिफ़ौल्ट के रूप में कोई न कोई ब्राउज़र पहले ही इन्स्टाल किया गया होता है (विंडोज़ में इन्टरनेट एक्सप्लोरर, मैक में सफ़ारी, और लाइनक्स में फ़ायरफॉक्स), मगर अनेक लोकप्रिय वैकल्पिक ऑप्शन्स भी उपलब्ध होते हैं।
    • गूगल क्रोम, सबसे लोकप्रिय उपलब्ध वैकल्पिक ब्राउज़र्स में से एक है, और यह आपको गूगल अकाउंट से कनेक्ट तथा उसके साथ सिंक (sync) करने देता है। क्रोम, गूगल से मुफ़्त में उपलब्ध होता है।
    • फ़ायरफॉक्स, एक अन्य अत्यंत लोकप्रिय मुफ़्त ब्राउज़र है। इसे बहुत अधिक कस्टमाइज़ किया जा सकता है, और इसमें अनेक पावरफ़ुल सिक्यूरिटी ऑप्शन्स भी उपलब्ध होते हैं।
  3. इन्टरनेट एक्सप्लोर करने से पहले, अच्छा यही होगा, कि एंटीवायरस प्रोग्राम इन्स्टाल कर लिया जाये। ये प्रोग्राम्स आपके कंप्यूटर को वायरसेज़ तथा अन्य मैलीशियस सॉफ्टवेयर से बचाते हैं, और इन्टरनेट से कनेक्ट होते समय, प्रैक्टिकल रूप में इनकी आवश्यकता होती है। अधिकांश कम्प्यूटर्स में ट्रायल एंटीवायरस सॉफ्टवेयर पहले से इन्स्टाल किए हुये होते हैं, मगर अनेक पावरफ़ुल मुफ़्त विकल्प भी उपलब्ध हैं।
  4. इन्टरनेट पर ढेरों बुरी चीज़ें भी हैं, इसलिए ब्राउज़ करते समय सुरक्षित रहना सुनिश्चित करिए। इसका अर्थ होता है कि निजी जानकारी देना अवॉइड करिए, केवल विश्वस्त सोर्सेज़ से ही डाउनलोड करिए, और वायरसेज़, स्कैम्स, तथा अन्य अवैध और ख़तरनाक एक्टिविटीज़ से दूर ही रहिए।
  5. ईमेल भेजिये : आजकल ईमेल भेजना कम्यूनिकेशन का सबसे सामान्य फ़ॉर्म है और ईमेल भेजने की जानकारी होना, अब एक आवश्यक स्किल मानी जाती है। आप भिन्न-भिन्न सर्विसेज में मुफ़्त ईमेल अकाउंट सेट अप कर सकते हैं, और उसके बाद कुछ ही मिनटों में आप ईमेल कम्पोज़ कर रहे हो सकते हैं।
  6. इन्टरनेट में ऐसी ढेरों फ़ाइल्स भरी पड़ी हैं जिनको आप अपने कंप्यूटर पर डाउनलोड कर सकते हैं। इमेजेज़, संगीत, तथा प्रोग्राम्स इस तरह की लोकप्रिय फ़ाइलें होती हैं। डाउनलोड करने के लिए फ़ाइल्स को हजारों जगह पर पाया जा सकता है, और ऐसा करने के लिए अनेक तरीके भी होते हैं।
विधि 4
विधि 4 का 5:

फ़ंक्शनैलिटी बढ़ाना

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  1. अगर आप होम ऑफिस सेट अप कर रहे हैं या अपने कंप्यूटर का इस्तेमाल स्कूल के लिए करने वाले हैं, तब तो आपको बहुत ही जल्दी प्रिंट करने की इच्छा होने लगेगी। आधुनिक कंप्यूटर्स में प्रिंटर इन्स्टाल करना बहुत ही सरल काम है; कंप्यूटर को उपलब्ध यूएसबी पोर्ट्स में किसी भी एक के जरिये से कंप्यूटर को बस प्लगइन कर दीजिये। शेष सभी काम ऑपरेटिंग सिस्टम स्वतः कर लेगा।
  2. नेटवर्क्स कंप्यूटर्स को आपस में एक दूसरे से इंटरेक्ट करने देते हैं और एक ही इन्टरनेट कनेक्शन को शेयर करते हैं। अपने सभी कंप्यूटर्स और डिवाइसेज़ को नेटवर्क करने से आपको अपनी सभी डिवाइसेज़ में फ़ाइल्स के लिए एक तेज़ एक्सेस मिल जाती है, नेटवर्क में से कोई भी शेयर किए हुये प्रिंटर पर प्रिंट कर सकता है, एक साथ गेम्स खेल सकते हैं, और इसके अलावा और भी बहुत कुछ कर सकते हैं। नेटवर्क सेट अप करने के लिए एक राउटर या नेटवर्क स्विच की ज़रूरत पड़ती है। यह हार्डवेयर का वह हिस्सा होता है जिससे सभी डिवाइसेज़ कनेक्ट होंगी, चाहे तो एथरनेट के जरिये या वायरलेस के जरिये।
  3. वेबकैम या माइक्रोफ़ोन इन्स्टाल करिए : वेबकैम के जरिये से, स्काइप या गूगल+ जैसे प्रोग्राम्स की सहायता से आप अपने मित्रों तथा परिवार से पूरी दुनिया में कहीं भी वीडियो चैट कर सकते हैं। अधिकांश कंप्यूटर पेरिफेरल्स की तरह, वेबकैम्स भी आम तौर पर आपके द्वारा प्लग इन किए जाने के बाद ख़ुद ही इन्स्टाल हो जाते हैं। अधिकांश वेबकैम्स यूएसबी के जरिये से कनेक्ट होते हैं, मगर अनेक लैपटॉप्स में बिल्ट-इन वेबकैम भी होता है।
  4. हालांकि लगभग सभी लैपटॉप कंप्यूटर्स में तो स्पीकर्स बिल्ट-इन ही होते हैं, डेस्कटॉप कंप्यूटर्स में सामान्यतः एक्स्टर्नल स्पीकर्स या हेडफ़ोन्स की ज़रूरत पड़ती है ताकि आप आवाज़ सुन सकें। अधिकांश कंप्यूटर्स में स्पीकर कनेक्टर्स बिल्ट-इन होते हैं जहां तक टावर के पीछे की ओर से पहुंचा जा सकता है। कंप्यूटर स्पीकर्स आम तौर पर कलर कोडेड होते हैं इसलिए केवल कलर्ड स्पीकर प्लग्स को सही पोर्ट से मैच करा दीजिये।
  5. अगर आपका कंप्यूटर आपके टीवी के पास लोकेटेड हो, या आपके पास कोई लैपटॉप हो जिसे आप उसके आसपास सेटअप कर सकते हों, तब आप अपने टीवी पर इमेज को डिस्प्ले करके, अपने कंप्यूटर को होम-थियेटर मशीन में बदल सकते हैं। सही केबल्स का इस्तेमाल करके आप आवाज़ को भी अपने टीवी या होम-थियेटर सिस्टम के जरिये प्ले कर सकते हैं।
विधि 5
विधि 5 का 5:

कंप्यूटर का ट्रबलशूट करना

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  1. किसी भी इलेक्ट्रॉनिक चीज़ की तरह ही आपके कंप्यूटर में भी कभी कभार समस्याएँ आएंगी ही। ट्रबलशूट करने की कुछ बेसिक टिप्स को जान लेने से आप बहुत सारा समय और हो सकता है कि काफ़ी खर्च भी बचा सकें। आपको कोई एक्स्पर्ट होने की ज़रूरत नहीं है, मगर यह पता होना कि सबसे पहले क्या ट्राई किया जाये, काफ़ी फ़ायदेमंद हो सकता है।
    • जब भी आपको समस्या आए, तो सबसे पहली चीज़ जो आपको ट्राई करनी चाहिए, वह है कंप्यूटर को रीसेट करना। मानिए या मत मानिए, प्रोग्राम और फंक्शन को ले कर आपके अनेक समस्याएँ इससे सुलझ जाएंगी।
    • अगर इन्टरनेट ब्राउज़ करते समय आपको कनेक्टिविटी की समस्या होती है, तब शायद अपने कनेक्शन को रीसेट करने से आपकी समस्या सुलझ जाएगी।
  2. वायरसेज़ ऐसी डेस्ट्रक्टिव और इन्वेसिव फ़ाइल्स होती जो आपकी जानकारी और फ़ाइल्स के लिए गंभीर खतरा हो सकती हैं। वायरसेज़ आपके कंप्यूटर को इतना धीमा कर सकते हैं जिसके कारण वह घिसटता हुआ सा चलने लगेगा, या उसके कारण आपने जो कुछ भी स्टोर कर रखा है, आप उस सबको गंवा भी सकते हैं। स्मार्ट इन्टरनेट व्यवहार की प्रैक्टिस करके अधिकांश वायरसेज़ को अवॉइड किया जा सकता है।
    • वायरसेज़ के अलावा, ऐडवेयर, और स्पाईवेयर भी आपके कंप्यूटर और उसकी सिक्यूरिटी के लिए गंभीर समस्याएँ पैदा कर सकते हैं। अक्सर ये दूसरे प्रोग्राम्स के साथ इन्स्टाल हो जाते हैं, और इनसे छुटकारा पाना बहुत ही कठिन हो सकता है।
  3. परेशानी देने वाले प्रोग्राम्स को अनइन्स्टाल करिए: जैसे-जैसे आप अपने कंप्यूटर पर अधिक प्रोग्राम्स शामिल करते जाएँगे, वैसे-वैसे आप देखेंगे कि कुछ प्रोग्राम्स का इस्तेमाल आप दूसरों की तुलना में कुछ अधिक ही करते हैं। अगर आपने कोई ऐसे प्रोग्राम्स इन्स्टाल कर रखे हैं जिनका आप अब इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, तब वे आपके कंप्यूटर पर ऐसी जगह घेर रहे होंगे जिसका किसी दूसरे काम के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। कुछ प्रोग्राम्स ऐसे भी होते हैं जो बैकग्राउंड में चलते रहते हैं, चाहे आप उनका इस्तेमाल कर रहे हों, या नहीं, और उनके कारण आपके कंप्यूटर के परफ़ॉर्मेंस पर काफ़ी प्रभाव पड़ सकता है। अपने कंप्यूटर के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए, जिन प्रोग्राम्स को आप अभी इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, उनको नियमित रूप से अनइन्स्टाल करना एक अच्छा तरीका होता है।
  4. अगर ज़रूरी हो तब ऑपरेटिंग सिस्टम को रीइन्स्टाल करिए: कभी-कभी जब आपकी समस्यायेँ किसी दूसरे तरीके से ठीक न हो रही हों, तब शायद ऑपरेटिंग सिस्टम को रीइन्स्टाल करना ही एकमात्र इलाज हो सकता है। ऑपरेटिंग सिस्टम को इन्स्टाल करना उतना भयानक काम है नहीं, जितना सुनने में लगता है, और इसके कारण आपके परफ़ॉर्मेंस में बहुत सुधार हो सकता है। अधिकांश लोग जिस कारण टाल मटोल करते हैं वह है अपनी सभी पुरानी फ़ाइल्स को सेव करना और प्रोग्राम्स को रीइन्स्टाल करना। अगर आप अपनी पुरानी फ़ाइल्स को नियमित रूप से बैकअप करते रहे हैं, तब पहली शिकायत तो कोई समस्या रह ही नहीं जाएगी। जब सवाल प्रोग्राम्स को रीइन्स्टाल करने का उठेगा तब आपको पता चलेगा कि आप जितना समझते हैं वास्तव में आप उससे कहीं कम प्रोग्राम्स को वास्तव में इस्तेमाल करते हैं।
  5. आपका कंप्यूटर ठंडा रहे इसलिए उस पर से धूल साफ करते रहिए: गरमी आपके कंप्यूटर की सबसे बड़ी दुश्मन होती है, और जैसे-जैसे कंप्यूटर पर धूल जमती जाती है, वह गरम होने लगता है। आप कम्प्रेस्ड हवा और वैक्युम की सहायता से उसकी नियमित रूप से अंदरूनी सफ़ाई करके अपने कंप्यूटर को ठंडा ही रख सकते हैं। कोशिश करिए कि कंप्यूटर को साल में कम से कम दो बार साफ करें और अगर आपके पास पेट्स हों या आप धूम्रपान करते हों, तब इससे अधिक बार भी सफ़ाई की जा सकती है।
  6. कभी कभार आपका हार्डवेयर फ़ेल भी हो सकता है या हो सकता है कि वह आपका मनचाहा काम ही नहीं कर पाये। ऐसे केसेज़ में, अपने डेस्कटॉप को अपग्रेड करने से आप नए कंप्यूटर को ख़रीदने से बच सकते हैं। अधिकांश डेस्कटॉप पीसीज़ को काफ़ी हद तक अपग्रेड किया जा सकता है, जिससे आप उनमें और भी new drives and अधिक मेमोरी इन्स्टाल कर सकते हैं, और साथ ही आप प्रोसेसिंग तथा वीडियो पावर भी बढ़ा सकते हैं।

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