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कार्य योजना लक्ष्यों, और उन प्रक्रियाओं की रूपरेखा होती है जिनके द्वारा कोई टीम तथा/या व्यक्ति उन लक्ष्यों को पा सकता है तथा जिनसे लेखक को परियोजना की सीमाओं का ज्ञान हो पाता है। कार्य योजनाएँ, चाहे वे व्यावसायिक जीवन में उपयोग में लायी जाएँ, या अकादमिक जीवन में, आपको परियोजनाओं पर कार्य करते समय संगठित रहने में सहायता करती हैं। कार्य योजनाएँ प्रक्रियाओं को छोटे, पाये जा सकने योग्य कार्यों में तोड़ देती हैं तथा उन चीज़ों की पहचान कराती हैं जिन्हें आप प्राप्त करना चाहते हैं। सीखिये कि कार्य योजना किस प्रकार से बनाई और लिखी जाये ताकि आप आने वाली परियोजनाओं के लिए तैयार रहें।

  1. कार्य योजनायें अनेक उद्देश्यों से बनाई जाती हैं। शुरू में ही उद्देश्य निर्धारित कर लीजिये ताकि आप उचित तैयारी कर सकें। ध्यान रखिए कि अधिकांश कार्य योजनाएँ निश्चित समयावधि के लिए होती हैं (अर्थात 6 महीने से 1 साल)।
    • कार्य स्थल पर कार्य योजनाएँ आपके सुपरवाइज़र को यह जानने में सहायता करती हैं कि आप अगले कुछ महीनों में किन परियोजनाओं पर कार्य करते रहेंगे। ये अक्सर वार्षिक कार्य मूल्यांकन के बाद बनाए जाते हैं, या जब टीमें बड़ी परियोजनाओं पर कार्य करती हैं। कार्य योजनाएँ आपकी संस्था की उन नीतिगत योजना सत्रों के परिणाम स्वरूप भी बन सकती हैं जो नए कैलेंडर या आर्थिक वर्ष की शुरुआत में आयोजित किए जाते हैं।
    • अकादमिक क्षेत्र में कार्य योजनाएँ छात्रों की, बड़ी परियोजनाओं के लिए सारणी बनाने में सहायता कर सकती हैं। इससे अध्यापकों को भी सेमेस्टर के लिए पाठ्यक्रम की सामग्री तैयार करने में सहायता मिल सकती है।
    • व्यक्तिगत परियोजना के लिए कार्य योजना बनाने से आपको यह रेखांकित करने में सहायता मिल सकती है कि आप क्या और कैसे करना चाहते हैं, और किस तिथि तक उसके पूरा हो जाने की अपेक्षा करते हैं। व्यक्तिगत कार्य योजनाएँ, जिनकी अवश्य ही आवश्यकता हो, ऐसा नहीं है, किसी भी व्यक्ति को अपने लक्ष्यों तथा उनकी ओर जाने की प्रगति का ट्रैक रखने में सहायता करती हैं।
  2. व्यावसायिक कार्य योजनाओं के लिए शायद आपको प्रस्तावना तथा पृष्ठभूमि लिखनी होगी। इनसे आपके सुपरवाइज़र या प्रबन्धक को वह वांछित जानकारी मिल पाएगी, जिससे वह आपकी कार्य योजना को संदर्भ के साथ रख सकें। अकादमिक कार्य योजनाओं के लिए अक्सर प्रस्तावना तथा पृष्ठभूमि लिखना अनावश्यक होता है।
    • प्रस्तावना छोटी तथा मनोहारी होनी चाहिए। अपने सुपरवाइज़रों को याद दिलाइए कि आप यह कार्य योजना क्यों बना रहे हैं। उन सभी परियोजनाओं का परिचय दीजिये जिनपर आप इस दौरान काम करने वाले हैं।
    • पृष्ठभूमि में उन कारणों को हाइलाइट किया जाना चाहिए जिनके लिए आपने यह कार्य योजना बनाई है। जैसे कि, हाल की रिपोर्ट्स में से विवरण तथा आंकड़े दीजिये, जिन्हें सुलझाया जाना है उन समस्याओं की पहचान कराइए, या पिछली परियोजनाओं पर मिली संस्तुतियों या फ़ीडबैक का संदर्भ दीजिये।
  3. अपने लक्ष्य(ओं) तथा उद्देश्यों का निर्धारण कीजिये: लक्ष्य और उद्देश्य इस अर्थ में संबन्धित हैं कि वे दोनों ही यह दिखाते हैं कि कार्य योजना के ज़रिये आप किस उपलब्धि की आशा कर रहे हैं। हालांकि, उनमें अंतर भी है; लक्ष्य सामान्य होते हैं तथा उद्देश्य थोड़े विशिष्ट।
    • लक्ष्यों को आपकी परियोजना के वृहद उद्देश्यों पर केन्द्रित होना चाहिए। अपनी कार्य योजना की वांछित उपलब्धि को सूचीबद्ध करिए। उसको विस्तृत रखिए; जैसे कि आपका लक्ष्य होना चाहिए कि आप एक शोध पेपर पूरा कर लें या लिखने के बारे में सीख लें।
    • उद्देश्य विशिष्ट तथा ठोस होने चाहिए। दूसरे शब्दों में, वे ऐसे होने चाहिए जिन्हें आप अपनी सूची पर, प्राप्त हो जाने के उपरांत, चिन्हित कर सकें। जैसे कि, शोध कार्य के लिए साक्षात्कार हेतु लोगों को खोज पाना एक अच्छा उद्देश्य माना जा सकता है।
    • अनेक कार्य योजनाएँ, उद्देश्यों को, यदि उनमें महत्त्वपूर्ण अंतर हों, तो उन्हें ‘’’लघु-‘’’, ‘’’मध्यम-‘’’ तथा ‘’’दीर्घ-कालीन’’’ उद्देश्यों में तोड़ देते हैं। जैसे कि, किसी कंपनी का 3 महीने में दर्शकों की संख्या में 30% वृद्धि का लघु-कालीन उद्देश्य उसके अगले वर्ष में सोशल मीडिया आउटलेट में ब्रैंड विज़िबिलिटी सशक्त करने के दीर्घ-कालीन उद्देश्य से बहुत भिन्न होता है।
    • उद्देश्य आमतौर पर ऐक्टिव वॉइस में लिखे जाते हैं तथा अस्पष्ट अर्थ वाली क्रियाओं (जैसे कि "examine," "understand," "know," आदि) के स्थान पर ऐक्शन क्रियाओं का उपयोग विशिष्ट अर्थों में किया जाता है (जैसे कि "plan," "write," "increase," तथा "measure")।
  4. अपनी कार्य योजना को ‘’’SMART’’’ उद्देश्यों से तैयार करिए: SMART एक ऐसा संक्षिप्ताक्षर है जिसका प्रयोग उन लोगों द्वारा किया गया है, जो अपनी कार्य योजना से अधिक ठोस व किए जा सकने वाले परिणामों की खोज करते रहे हैं।
    • Specific स्पष्ट जानकारी कि हम किसके लिए क्या करने वाले हैं? लिख डालिए कि किन लोगों की सेवा के लिए के लिए आप कुछ करने जा रहे हैं तथा आप उनकी सहायता के लिये क्या करेंगे।
    • Measurable क्या वह मापने योग्य है और क्या हम उसका परिमाण निकाल सकते हैं? क्या हम परिणामों की गणना कर सकते हैं? क्या आपने कार्य योजना ऐसी बनाई है कि "health in South Africa would increase in 2020?" या आपने उसे ऐसे रचा है कि "cases of HIV/AIDS in newborn South African babies would decrease 20% by 2020?"
      • याद रखिए कि आधारभूत संख्याओं को परिवर्तन की गणना करने के लिए, स्थापित करने की आवश्यकता होती है। यदि आपको पता ही नहीं होगा कि दक्षिणी अफ़्रीकी नवजात शिशुओं में HIV/AIDS होने की दर क्या रही है तब विश्वास के साथ यह कह पाना कठिन होगा कि आप ऐसा होने की दर में 20% की कमी कर पाये हैं।
    • Achievable Can we get it done in the time allotted with the resources we have available? उद्देश्य को सीमाओं के अंतर्गत रहते हुये यथार्थवादी होना चाहिए। सेल्स को 500% बढ़ा पाना उस समय यथोचित है जब आप कोई छोटी कंपनी हों। परंतु यदि पहले ही बाज़ार में आपका प्राधान्य है, तब 500% सेल्स बढ़ाना लगभग असंभव ही होता है।
      • कुछ मामलों में, शायद किसी विशेषज्ञ या अधिकारी से परामर्श की आवश्यकता भी यह जानने के लिए हो सकती है कि क्या आपकी कार्य योजना के उद्देश्य, प्राप्य हैं।
    • Relevant “क्या इन उद्देश्यों का प्रभाव वांछित लक्ष्य या नीतियों पर भी होगा?” हालांकि शायद सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए यह महत्वपूर्ण हो सकता है, परंतु क्या स्कूल के बच्चों की ऊंचाई और वज़न की माप करने से मानसिक स्वास्थ्य प्रक्रियाओं में कोई “सीधा” परिवर्तन प्रेरित हो सकता है? सुनिश्चित करिए कि आपके उद्देश्य और विधियों के बीच स्पष्ट और सहज संबंध हो।
    • Time bound “यह उद्देश्य कब पूरा होगा, तथा/या हमें कब पता चलेगा कि हमारा काम पूरा हो गया है?” परियोजना के समापन की निश्चित तिथि नियत कीजिये। यह पता करिए कि, यदि हो सकते हैं तो वे कौन से परिणाम होंगे, जिनके प्रभाव से आपकी परियोजना, समस्त वांछित नतीजों के बाद भी, समय से पहले पूरी हो सकती है।
  5. उन सभी चीजों को सम्मिलित करिए जिनकी आवश्यकता, आपको अपने लक्ष्य और उद्देश्यों को पूरा करने के लिए पड़ सकती हो। आपकी कार्य योजना के उद्देश्यों के आधार पर ही संसाधन के प्रकार निर्भर करेंगे।
    • कार्य स्थल पर जो चीज़ें संसाधन हो सकती हैं वे हैं, वित्तीय बजट, कार्मिक, सलाहकार, इमारतें या कमरे, तथा किताबें। यदि आपकी कार्य योजना बहुत औपचारिक हो तब विस्तृत बजट को परिशिष्ट में रखा जा सकता है।
    • अकादमिक क्षेत्र में इन संसाधनों में सम्मिलित हो सकते हैं विभिन्न पुस्तकालयों में पहुँच; किताबों जैसी शोध सामग्री, समाचारपत्र तथा पत्रिकाएँ; कंप्यूटर तथा इन्टरनेट तक पहुँच; तथा प्रोफ़ेसर या वे व्यक्ति जो प्रश्नों के होने की स्थिति में आपकी सहायता कर सके।
  6. बाधाएँ वे अवरोध होते हैं जो आपके उद्देश्यों और लक्ष्यों की प्राप्ति की राह में आते हैं। जैसे कि, यदि आप अपने स्कूल के लिए कोई शोध पत्र तैयार कर रहे हों, आपको लग सकता है कि आपकी दिनचर्या शोध करने और उसको लिखने के लिहाज़ से बहुत व्यस्त है। इस प्रकार, आपकी व्यस्त दिनचर्या ही आपका अवरोध हो सकती है, तथा आपको सेमेस्टर के दौरान कुछ कटौती करके अपनी कार्य योजना को प्रभावी रूप से पूरा करना होगा। (यदि आप प्रति सेमेस्टर एक से अधिक कठिन कक्षाओं में सम्मिलित हैं तब योजनाबद्धता की आवश्यकता होगी।)
  7. किसी भी अच्छी योजना के लिये उत्तरदायित्व होना आवश्यक है। प्रत्येक कार्य पूरा करने के लिए कौन ज़िम्मेदार है? किसी भी कार्य को करने के लिए लोगों की एक टीम हो सकती है (संसाधनों को देखिये) परंतु उसके समय पर पूरा होने के लिए उत्तरदायी तो एक ही व्यक्ति को होना होगा।
  8. अपनी कार्य योजना को देखिये और यह निर्णय कीजिये कि अपने लक्ष्यों और उद्देश्यों तक पहुँचने के लिए आप अपने संसाधनों का उपयोग किस प्रकार करेंगे और बाधाओं पर विजय कैसे पाएंगे।
    • जो भी करना है उसकी सूची बनाइये। यह तय करिए कि अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए प्रति दिन या प्रति सप्ताह क्या करने की आवश्यकता है। साथ ही, उन चरणों को भी सूचीबद्ध कीजिये जो आपकी टीम के अन्य सदस्यों को लेने हैं। इस सूचना को संगठित रखने के लिए परियोजना प्रबंधन सॉफ्टवेयर या व्यक्तिगत कलेंडर का उपयोग करने के संबंध में विचार करिए।
    • एक शिड्यूल बनाइये। हालांकि, आप एक संभावित शिड्यूल बना सकते हैं, परंतु यह ध्यान रखिए कि अनपेक्षित चीज़ें तो होंगी ही और आपको अपने शिड्यूल में इतना स्थान रखना होगा कि आप पीछे न रह जाएँ।

सलाह

  • अपनी परियोजना के लिए मील के पत्थर निर्धारित कर लीजिये, विशेषकर तब, जब परियोजना बड़ी हो। मील के पत्थर पूरी परियोजना के दौरान यह स्पष्ट करते रहते हैं कि निश्चित उद्देश्य प्राप्त हुये अथवा नहीं। ये ऐसे चिंतन बिन्दुओं का कार्य भी कर सकते हैं, जहां पहुँचकर आप देख सकें कि अपनी प्रक्रिया में आप कहाँ पर हैं, और आप यह भी सुनिश्चित कर सकें कि अपनी कार्य योजना में आप सही राह पर ही चल रहे हों।
  • अपनी कार्य योजना को अपने लिए कार्य करने दीजिये। कार्य योजनाएँ उतनी विस्तृत और बड़ी हो सकती हैं जितनी आप चाहें, या जितनी आवश्यकता हो। उन्हें कागज़ पर भी लिखा जा सकता है या चित्रों और रंगों का उपयोग करते हुये, व्यावसायिक सॉफ्टवेयर पर भी। आपके लिए जो भी सबसे स्वाभाविक तथा प्रभावी हो उसीका उपयोग करिए।

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