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खुद को दुख पहुँचाने या धोखा देने वाले व्यक्ति को माफ करना सबसे कठिन काम है। हालाँकि, यदि आप किसी के साथ अपने संबंधों को सुधारना चाहते हैं, तो उस के लिए आप को माफ करना सीखना भी ज़रूरी है या फिर सीधे तौर पर बीते हुए पलों को भुलाकर, आगे बढ़ने की कोशिश करें। नकारात्मक भावनाओं से निपटना सीखें, आप को दुख पहुँचाने वाले व्यक्ति का सामना करें और अपने जीवन में आगे बढ़ते जाएँ।

विधि 1
विधि 1 का 3:

नकारात्मक भावनाओं से निपटना

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  1. क्रोध आप के लिए हानिकारक भी हो सकता है, इस बात को समझें: आप के साथ ग़लत करने वाले व्यक्ति को माफी देना, आप के लिए कष्टदायक हो सकता है। आप की सबसे पहली प्रतिक्रिया यही होगी, कि आप क्रोधित होकर उस व्यक्ति के पास जाएँ और उस पर आप को दर्द पहुँचाने का आरोप लगाएँ। यह बहुत ही आम बात है, कि गुस्से और दर्द में आप अपना आपा खो सकते हैं, और कुछ ऐसा कर बैठते हैं, जिस पर बाद में आप को पछतावा हो। इसलिए अन्य लोगों के लिए नहीं, बल्कि अपने लिए किसी को माफ करना सीखना ज़रूरी है। [१]
    • मन में ईर्ष्या रखकर आप, अन्य लोगों के साथ अपने ही रिश्तों को खराब कर सकते हैं, जिस के कारण अवसाद या असंतोष की भावना उत्पन्न होगी और खुद को अन्य लोगों से दूर भी कर सकते हैं। [२]
  2. क्षमा की भावना लेकर, आप को नकारात्मकता को अपने से दूर करने और जीवन में आगे बढ़ने के लिए एकदम सचेत और सक्रिय निर्णय करने की ज़रूरत है। यह भावना आसानी से नहीं पनपती। खुद के अंदर क्षमा की भावना उत्पन्न करने के लिए आप को ही इस दिशा में कार्य करने की ज़रूरत है। [३]
    • लोग अक्सर इस तरह की बातें करते हैं, कि वे उस इंसान को "नहीं भुला सकते", जिस ने उन के साथ कुछ ग़लत किया है। वे ऐसा मानते हैं, कि अपने अंदर मौजूद दर्द और धोखा मिलने की भावना को भूलना उन के लिए असंभव है। लेकिन लोग इस बात को महसूस करने में नाकाम रह जाते हैं, कि क्षमा करना भले ही आप की पसंद है, लेकिन अगर आप उस व्यक्ति को क्षमा करने का निर्णय लेते हैं, जिसने आप को कष्ट दिया हैं, तो यदि इस निर्णय से किसी को लाभ होता है, तो वो सिर्फ़ आप हैं।
  3. किसी अन्य व्यक्ति के लिए आप ने जिन सभी नकारात्मक भावनाओं को पनाह दे रखी है, उन सभी को अपने अंदर से बाहर निकाल फेंक दें। खुद को रोने की इज़ाज़त दें, ज़ोर से चिल्लाएँ या जो कुछ भी आप के अंदर से उन बुरी भावनाओं को बाहर निकालने में मदद करे वही करें। [४] यदि आप ऐसा करने में नाकाम रह जाते हैं, तो ये भावनाएँ आप के अंदर घर कर लेंगी और भविष्य में आप को और कष्ट देंगी।
    • ध्यान रहे कि, ये सब आप उस व्यक्ति को आराम पहुँचाने के लिए या फिर उस ने जो कुछ भी किया ही, उसे अनदेखा करने के लिए नहीं कर रहे हैं। आप ये सिर्फ़ खुद को अच्छा महसूस कराने के लिए कर रहे हैं।
  4. अपने दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए एक बार वापस उसी परिस्थिति में जाएँ और उस के बारे में सोचें। क्या उस व्यक्ति ने आप को जानबूझकर कष्ट पहुँचाया है? क्या परिस्थितियाँ उस के नियंत्रण से बाहर थी? क्या उसने आप से माफी माँगने की कोशिश की और आप के साथ सारी चीज़ें सामान्य करने की कोशिश की? हर एक बात पर गौर कर के परिस्थिति का जायज़ा करें। यदि आप उस स्थिति के बारे में विचार कर के इस बात को समझने में कामयाब हो जाते हैं, कि इस तरह की परिस्थिति क्यों सामने आई, तो आप उसे क्षमा करने में आसानी होगी।
    • एक बार ईमानदारी से इस बारे में सोचें कि, आप ने खुद कितनी बार किसी के साथ बुरा व्यवहार किया, और कितनी बार आप को इस के लिए क्षमा भी प्राप्त हुई। उस समय आप को कैसा महसूस हो रहा था और जब उस व्यक्ति ने आप को माफ़ कर दिया, तब आप को जैसा महसूस हुआ था। [५]
  5. किसी विश्वासपात्र व्यक्ति से बात करने से आप को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में, और निष्पक्ष दृष्टिकोण बनाने में मदद मिलेगी। अपने हृदय से सारी भावनाओं को बाहर निकालने से आप को ऐसा लगेगा जैसे शरीर से बहुत बड़ा बोझ हल्का हो गया। एक मित्र, परिवार का सदस्य या कोई थेरेपिस्ट आप को सहानुभूति दिखाएगा।
    • हालाँकि, जिसने आप को कष्ट पहुँचाया है, उसे माफी देने के लिए उस से बात करने में आप को परेशानी होगी, तो तब तक का इंतेज़ार करें, जब तक आप शांत नहीं हो जाते। इस से आप को उस व्यक्ति को क्षमा करने में आसानी होगी और इस तरह से आप अपना रिश्ता भी खराब होने से बचा लेंगे। [६]
  6. इस तरह से आप के अंदर मौजूद विनाशक भावनाओं को मुक्त करने में मदद होगी। ऐसा हर कम करें, जो आप को तनाव मुक्त करने और अच्छा महसूस करने में मदद करे।
    • अपनी भावनाओं का सकारात्मक रूप से सामना करने से आप को परिस्थितियों का सामना करने में मदद मिलेगी। यह नकारात्मक भावनाओं को बिना अनदेखा किए इन्हें समझने और उन से निपटने का एक तरीका है। [७]
  7. कुछ ऐसे लोगों की कहानियाँ सुनें जिन्होने आप की परिस्थिति से भी बदतर परिस्थियों में भी बहुत से लोगों को माफ किया हो। ये लोग कोई भी हो सकते हैं, आप के परिवार के सदस्य, एक थेरेपिस्ट या कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसने अपने अनुभवों को लिखा हो। ये आप को एक नई आशा और लगन प्रदान कर सकते हैं।
  8. क्षमा की भावना एक चुटकी बजाते ही नहीं पनपती। इस के लिए आत्म-संयम, लगन, दृढ़ता और इन सब से ऊपर, समय की आवश्यकता होती है। यह कुछ ऐसा है, जिसे पाने के लिए आप को हर दिन, थोड़ा-थोड़ा कर के इस दिशा में मेहनत करनी होगी। एक बात याद रखें कि, कोई भी आख़िर में ऐसा नहीं कहेगा कि "मुझे थोड़े और समय के लिए गुस्सा रहना चाहिए था।" आख़िर में सिर्फ़ और सिर्फ़ प्रेम, हमदर्दी और क्षमा ही मायने रखेंगे।
    • किसी को माफ़ करने के लिए यहाँ ऐसी कोई समय सीमा मौजूद नहीं है। आप सालों तक अपने अंदर बदले की भावना ले कर चल सकते हैं। अपने अंदर की आवाज़ सुनें। [८]
विधि 2
विधि 2 का 3:

उस व्यक्ति का सामना करें, जिसने आप को दर्द पहुँचाया है

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  1. यह बहुत ज़रूरी है, जब भी आप, खुद को दर्द देने वाले व्यक्ति से बात करें, तो एकदम से कोई निर्णय पर ना पहुँच जाएँ। यदि आप बहुत जल्दी कोई प्रतिक्रिया देंगे, तो आप कुछ ऐसा कर देंगे या बोल सकते हैं, जिस का आप को बाद में पछतावा हो सकता है। इस पर प्रतिक्रिया करने से पहले थोड़ा सा समय लेकर इस पर विचार करें और इस बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जानकारी इकट्ठी करें। [९]
    • भले ही आप को दुख देने वाला व्यक्ति आप का मित्र या परिवार का सदस्य हो, लेकिन फिर भी एकदम से कोई प्रतिक्रिया ना दें। अपने और उस के संबंधों के बारे में सोचें, क्या यह पहली बार हुआ है, या फिर ऐसा होता रहता है। आप जो भी बोल रहे हैं उसे बोलने से पहले अच्छे से सोच लें, क्योंकि आप अपनी कही हुई बात को वापस नहीं ले सकेंगे और उस व्यक्ति को अपने जीवन से हमेशा के लिए खो भी सकते हैं।
  2. अकेले में कहीं मिलने का पूछें। कुछ बातें एकदम स्पष्ट कर दें, कि इस का ऐसा मतलब बिल्कुल ना समझें कि हमारे बीच सबकुछ वापस पहले जैसा हो जाएगा, लेकिन आप आगे बढ़ने से पहले एक बार उस की बात भी सुनना चाहते हैं। उसे कहें कि आप उस का पक्ष सुनना चाहते हैं।
  3. जब आप सामने वाले का पक्ष सुनने बैठें, तो उस की बातों को ध्यान से सुनें और उसे अपनी बात कहने दें। उन्हें बातों के बीच में ही ना काटें और ना ही उन का विरोध करें। यदि उन के साथ में आप का रिश्ता दाँव पर लगा हुआ हो, तो कम से कम आप उन की बातों को तो सुन ही सकते हैं। [१०]
    • भले ही परिस्थितियाँ आप के हिसाब से आप के सम्मुख हों, लेकिन फिर भी आप को उस दूसरे व्यक्ति का पक्ष सुनने के अवसर को नहीं गँवाना चाहिए। इस से आप को बहुत कुछ सीखने भी मिलेगा, और यदि कुछ और सामने नहीं आएगा तो कम से कम आप को निर्णय लेने में ही मदद हो जाएगी।
  4. खुद को कष्ट पहुँचाने वाले व्यक्ति के साथ बात करते समय, दयाभाव रखें। खुद को उस की जगह पर रख कर देखें, और फिर खुद से सवाल करें कि अपने इस स्थिति में क्या किया होता। क्या आप इस से अलग व्यवहार करते? [११]
    • सामने वाले की इरादों और भावनाओं को समझने की कोशिश करें। क्या वो आप को जान-बूझ कर कष्ट दे रहा है? या फिर वो सिर्फ़ वेपरवाह हो रहा है?
  5. दुख पहुँचने वाले व्यक्ति के साथ बात करे वक़्त, कुछ भी ऐसा ना कहें और ना करें, जिसे आप वापस ठीक ना कर पाएँ। गुस्से में चिल्लाकर, या फिर उसे भला-बुरा कह कर, आप को कुछ समय के लिए तो अच्छा महसूस होगा, लेकिन इस से आप को बाद में और भी कष्ट होगा। और ये आप के रिश्ते को बरबाद कर देगा। [१२]
    • दुख पहुँचाने वाले व्यक्ति के साथ बात करते वक़्त शांत रहें। ऐसे किसी भी शब्द का प्रयोग ना करें, जिस से सामने वाले को ऐसा लगे कि आप उस पर दोष लगा रहे हैं, कोई भी प्रतिक्रिया देने से पहले 1 से 10 तक गिनती करने की कोशिश करें।
  6. एक बार आप जब शांत हो जाएँ, और सारी परिस्थितियों को दोबारा परख लें, तो स्पष्ट रूप से और शांति के साथ उसे समझाएँ, कि कैसे इस पूरे वाकये ने आप को दुख पहुँचाया। यह और भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यदि आप अपने अंदर अपनी भावनाओं को दबाकर रखेंगे, तो आप खुद अपने लिए ही उसे क्षमा कर पाना, असंभव बना रहे हैं। [१३]
    • एक बार अपनी भावनाएँ व्यक्त करने के बाद, ज़रूरी है कि आप आगे बढ़ें। यदि आप ने उस व्यक्ति को माफ़ करने का सोच लिया है, तो आप बार-बार बीती बातों को सामने ना ले कर आएँ।
  7. माफ़ करने की भावना से आगे की ओर बढ़ते हुए, दर्द देने वाले व्यक्ति की ही तरह बनने की धारणा या फिर बदले की भावना को साथ ले कर ना चलें। उस के समान बनकर आप केवल अन्य लोगों को और खुद को और दुख पहुँचाएंगे। आप को आगे बढ़कर, उन्हें माफ़ करना होगा। इस के बजाय अपने विश्वास और रिश्ते को दोबारा जोड़ने की कोशिश करें, विशेष रूप से जब आप का सामना परिवार के किसी सदस्य से हो रहा हो। [१४] क्योंकि आप भी अपने रिश्तों में किसी तरह की समस्या नहीं चाहेंगे, क्योंकि हो सकता है कि आप को उस का सामना हर रोज करना पड़े।
    • उदाहरण के लिए, यदि आप के साथी ने आप को धोखा दिया हो, तो ज़रूरी नहीं कि आप भी उस के साथ धोखा कर के अपना बदला लें। इस से आप को सिर्फ़ दर्द ही मिलेगा। दो ग़लत लोग मिलकर कुछ सही नहीं कर सकते। यदि आप अपना बदला लेने के बाद में उसे क्षमा करते हैं, तो ऐसी क्षमा किसी काम की नहीं रह जाती।
  8. यदि वह आप से क्षमा माँगता है, तो वह आप का आभारी होगा, और वह इस बात से आश्वस्त हो जाएगा कि आप भी रिश्ते को सुधारने की कोशिश करेंगे। यदि वह आप से माफी नहीं माँग रहा है तो कम से कम आप उसे जता सकते हैं कि आप ने उसे क्षमा कर दिया है। [१५]
    • ध्यान रखें किसी को माफ कर देने से आप के बीच सब कुछ पहले जैसे नहीं हो जाएगा। यदि आप को लगता है कि उस ने आप को कई बार दर्द पहुँचाया है या फिर आप को नहीं लगता कि अब आप उस पर फिर से विश्वास कर पाएँगे, तो फिर यह भी ठीक है। यह उसे भी स्पष्ट कर दें। ऐसा करना किसी रोमांटिक रिश्ते के लिए तो सही है, क्योंकि आप शायद फिर कभी एक-दूसरे को ना मिलें। ऐसा करना तब और भी कठिन हो जाता है, जब आप के सामने आप का कोई रिश्तेदार या परिवार का सदस्य हो, क्योंकि आप लोग कभी ना कभी तो एक-दूसरे के सामने ज़रूर पड़ेंगे।
विधि 3
विधि 3 का 3:

आगे बढ़ना

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  1. यह समझना बहुत ज़रूरी है, कि भले ही आप ने उसे माफ कर दिया हो, लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि आप को उसे अपनी जिंदगी में वापस ले आएँ। तय कर लें कि आप उसे जाने देना चाहते हैं, या फिर अपने रिश्तों को दोबारा जोड़ना चाहते हैं। ऐसा करने के लिए आप को अपने रिश्ते के बारे में अच्छी तरह से विचार करने की ज़रूरत होगी। क्या इसे दोबारा जोड़ने का कोई फायदा है? क्या वह आप को फिर से दर्द पहुँचा सकता है? [१६]
    • कुछ परिस्थितियों में, जैसे कि किसी ऐसे रिश्ते में, जिस में आप के साथी ने आप के साथ कई बार धोखा किया हो, यही बेहतर है कि आप उसे अपनी ज़िंदगी से बाहर कर दें। आप को इस से भी बेहतर कोई मिलेगा।
  2. माफी देने का निर्णय लेने के बाद, आप को बीती बातों को भूलकर अपने भविष्य पर ध्यान लगाना चाहिए। यदि आप ने अपने रिश्ते को दोबारा बनाने का निर्णय किया है, तो आप धीरे-धीरे अपने कदम इस तरफ बढ़ा सकते हैं। उस को यह दर्शाएं कि भले ही उस ने आप को दर्द दिया हो, लेकिन आप उस से अभी भी उतना ही प्यार करते हैं और उसे अपनी जिंदगी में चाहते हैं। [१७]
    • यदि आप बीती हुई बातों पर ही घर करना चाहते हैं, तो आप कभी भी क्षमा देने योग्य या आगे बढ़ने के योग्य नहीं रह जाएँगे।
  3. आप को दुख पहुँचा है, और उस पर दोबारा से विश्वास करना आप के लिए कठिन हो सकता है। हालाँकि, यह बहुत ज़रूरी है कि आप खुद पर, अपने निर्णयों पर और अपनी क्षमताओं पर विश्वास करना सीखें। तब ही आप दूसरों पर विश्वास करना सीख पाएँगे।
    • एक दूसरे के प्रति हर एक बात को लेकर, सच्चे और ईमानदार रहने का वादा करें। विश्वास एक ही दिन में नहीं जीता जा सकता। आप को, सामने वाले को आप का विश्वास जीतने का समय देना होगा।
  4. अपने अनुभवों में मौजूद अच्छे पलों की एक लिस्ट बनाएँ। इस में, अपनी माफ़ करने की और लोगों को समझने की क्षमताओं का अनुभव, विश्वास को लेकर कोई सीख या दुख पहुँचाने वाले व्यक्ति के साथ के संबंधों को शामिल करें।
    • यदि आप उस व्यक्ति के द्वारा आप को पहुँचाए गये दर्द के बारे में ही सोचते रहते हैं, तो इस तरह की सोच को आगे ना बढ़ने दें। [१८] यदि आप ऐसा करते हैं, तो आप को इस का जवाब पाने के लिए अपने बीते हुए पलों में एक बार फिर से जाना होगा।
  5. ज़्यादातर समय ऐसा होता है, कि आप की माफी, दर्द देने वाले व्यक्ति के लिए कोई मायने नहीं रखती और इस के बाद भी कभी-कभी रिश्ता भी जुड़ा नहीं रह सकता। भले ही परिस्थितियों ने भी आप के सोचे अनुसार कार्य ना किया हो, बस एक बात याद रखें, कि आप ने वही किया जो सही था। किसी को माफी देना, भविष्य में आप को ही अच्छा महसूस कराएगा, और इस के लिए आप को कभी भी पछतावा नहीं होगा।
    • ध्यान रहे कि, क्षमा करना सिर्फ़ एक प्रक्रिया है। आप ने उसे क्षमा कर दिया, कह देने बस से यह सच नहीं हो जाता। आप को इस दिशा में हर दिन थोड़ा-थोड़ा काम करने की ज़रूरत होगी। हालाँकि, इसे सब के सामने ज़ोर से कह देने से, आप को अपने निर्णय पर अडिग रहने में मदद होगी।

चेतावनी

  • हिंसा का सहारा कभी ना लें। यह चीज़ों को आप के लिए और भी बदतर बना देगी।

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