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क्या कभी ऐसा हुआ है कि किसी स्थापित धर्म के लिए आपने असंतोष महसूस किया हो? क्या कभी ऐसा हुआ कि किसी स्थापित धर्म की सहनशक्ति की कमी के कारण आपको बहुत उलझन हुई हो? अगर आप परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित हुये हैं, तब आप अपना धर्म शुरू कर सकते हैं। अपना धर्म ऑर्गनाइज़ करने, और उसे ऑफ़िशियली रिकॉग्नाइज़ कराने के लिए बहुत प्रयास करना पड़ेगा। परंतु, अगर आप इस चीज़ कॉ करने के लिए टूल ही गए हैं, तब अपने काम के कारण सदस्यों की बढ़ती हुई संख्या को देखना बहुत अच्छा लगेगा।

विधि 1
विधि 1 का 3:

अपने धर्म को प्लान करना

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  1. धर्म शुरू करने के लिए काफ़ी प्लानिंग की ज़रूरत पड़ेगी। आप नए धर्म को किस कारण इनवेंट करना चाहते हैं, इसको लिखने से आप इसकी शुरुआत कर सकते हैं। अगर आप चाहते हों कि आपका धर्म सफल हो तब उसके एक्ज़िस्टेंस के बेसिक कारण को समझना महत्वपूर्ण होगा। आप इसलिए कोई धर्म शुरू करना चाह सकते हैं, क्योंकि:
    • वर्तमान में जो धर्म एक्ज़िस्ट करते हैं, आप उनसे असंतुष्ट हैं।
    • आपको बहुत गहन प्रेरणा हुई है तथा/या आपको ऐसे गुप्त ज्ञान की झलक मिल गई है जिसे आप शेयर करना चाहते हैं।
    • अपने तरीके से विवाह तथा अन्य दूसरी सेरिमोनीज़ को आयोजित करना चाहते हैं।
    • उसे एक मज़ाक की तरह करना चाहते हैं।
    • दूसरे धर्मों को क्रिटिसाइज़ करने के लिए करना चाहते हैं।
  2. अगर आपका धर्म ब्रह्मांड के ओरिजिन, वास्तविकता की प्रकृति, और भविष्य, जैसे विस्तृत प्रश्नों के उत्तर को समझाने का प्रयास करता है, तब आप कॉस्मोलॉजी विकसित करना चाहेंगे जिसमें इन सभी प्रश्नों का उत्तर समझाया जा सके। आपका धर्म कॉस्मोलॉजी क्रिएशन की कहानी तथा कालांतर में सब कुछ समाप्त होने के प्रोजेक्शन्स के बारे में चीज़ों को विस्तार से बता सकता है। आपका धर्म आपकी मर्ज़ी के अनुसार क्रिएटिव तथा इंस्पायर्ड हो सकता है। [१]
  3. आपके धर्म के नाम से उसके उद्देश्य तथा फ़ाउंडेशन को रिफ्लैक्ट करना चाहिए, इसलिए उसका चयन सावधानी से करिएगा। अपने धर्म के केन्द्रीय विश्वास अथवा संदेश के संबंध में सोचिए, और इसी को शब्दों या फ़्रेज़ेज में रिफ्लैक्ट करने की कोशिश करिए जिससे उसका नाम बन जाएगा। अतीत में जिन धर्मों को इनवेंट किया गया है उनमें से कुछ नाम हैं:
    • डिसकॉर्डियनिज़्म (Discordianism)
    • द चर्च ऑफ ऑल वर्ल्ड्स (The Church of All Worlds)
    • द चर्च ऑफ द फ़्लाइंग स्पघेट्टी मॉन्स्टर (The Church of the Flying Spaghetti Monster)
    • साइंटोलॉजी (Scientology)
    • एकांकर (Eckankar)
  4. हो सकता है कि ये ऐसी चीज़ों को एक्सप्लेन करें जैसे कि लोगों के बीच में रिलेशनशिप्स को किस तरह से देखा जाये (क्या आपको दूसरों के प्रति चैरिटेबल होना चाहिए? क्या आपको अपने इन्टरेस्ट में ही काम करना चाहिए?)। इन सिद्धांतों में फिलोसोफिकल तर्क भी हो सकते हैं, जो यह एक्स्प्लेन कर सकेंगे कि किस प्रकार आपका धर्म दुनिया को दूसरे धर्मों से अलग दृष्टिकोण से देखता है। जैसे कि, हो सकता है कि आपके धर्म में ईश्वर(रों), अगर हैं तब, के एक्ज़िस्टेंस को सिद्ध करने के तर्क हों। [२]
    • अगर आप चाहें तो इन सभी चीज़ों को एक्सप्लेन करने के लिए कोई सेक्रेड टेक्स्ट या पवित्र ग्रंथ लिख डालिए।
  5. जब एक बार आपके धर्म के कोर विचार बन जाएँ, तब आप दूसरे लोगों को साथ आने के लिए निमंत्रित करना शुरू कर सकते हैं। अनेक एक्सपर्ट्स का सुझाव है कि शुरू में थोड़े धीमे ही चला जाये। आप चाहें तो पहले कुछ परिचितों से बातें करिए, उसके बाद इसको वर्ड ऑफ माउथ से फैलाने का मौका दीजिये। जब आपके पास एक विश्वसनीय और थोड़ा बहुत स्टेबल ग्रुप बन जाये, तब उनके साथ मिल जुल कर, सलाह मशवरा करके आप वो बाईलॉंज़ बनाने के लिए काम शुरू कर सकते हैं, जिनके अनुसार आपका धर्म ऑर्गनाइज़ और मैनेज किया जाएगा।
  6. आपके धर्म को फॉलो करने वाले आपके (या किसी दूसरे के) घर पर मीटिंग करके शुरुआत कर सकते हैं। जैसे-जैसे यह विकसित होगा, आप ऐसी जगह ढूँढना चाहेंगे जो कुछ अधिक सार्वजनिक हो, जैसे कि कोई कफ़े, पार्क या कोई भी ऐसी जगह जो सुविधाजनक हो। जैसे जैसे आपका धर्म विकसित होगा, आप मीटिंग के लिए थोड़ी और अधिक स्थाई जगह चुनना चाहेंगे, जैसे कि कोई बिल्डिंग जिसे आपने किराये पर लिया हो या ख़रीदा हो।
  7. अगर आप अपने धर्म की प्लानिंग करते समय प्रेरणा की खोज कर रहे हैं, तब आप दूसरे धर्मों के इतिहास को देख सकते हैं। दुनिया के दूसरे धर्मों की स्टडी करने से आपको आइडिया मिल सकते हैं, मगर आप और भी हाल ही में इनवेंट किए गए धर्मों के उदाहरणों के बारे में पढ़ सकते हैं, जैसे कि: [३]
    • एल रॉन हब्बर्ड की साइंटोंलॉजी।
    • द चर्च ऑफ ऑल वर्ल्ड्स, जिसकी प्रेरणा रॉबर्ट हाइनलाइन की साइंस फ़िक्शन उपन्यास Stranger in a Strange Land से मिली।
    • डिसकॉर्डियनिज़्म, तथा Principia Discorda नामक उसका फ़ाउंडेशनल टेक्स्ट।
विधि 2
विधि 2 का 3:

लीगल स्टेटस पाना

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  1. धार्मिक स्थल कानूनी रूप से नॉन प्रॉफ़िट माने जाते हैं और उनको स्वाभाविक रूप से आयकर में छूट मिलती है। आपको उसके लिए छूट पाने के लिए कोई आवेदन नहीं करना पड़ता है। टैक्स में इस तरह की छूट से आपके धर्म कॉ फ़ाइनेंशियल तथा लीगल सुरक्षा मिल जाती है, जिसके कारण अपने सिद्धांतों के आधार पर इसको स्वतन्त्रतापूर्वक प्रैक्टिस किया जा सकता है। [४]
    • हालांकि रिकॉग्नाइज्ड धार्मिक संस्थानों के लिए टैक्स में छूट ऑटोमेटिक होती है, मगर आप भी इसके लिए अप्लाई कर सकते हैं। अच्छा यही होगा कि आप पहले ही सुनिश्चित कर लें कि आपका धर्म इस सुरक्षा के लिए क्वालिफ़ाई करता है या नहीं, या आपके अनुसार इसके लिए ऑफ़िशियली अप्लाई करने से उसे कोई लेजिटीमेसी मिल सकती है।
    • अगर आप अपने धर्म के लिए टैक्स में छूट वाला स्टेटस पाने के लिए अप्लाई करना चाहते हैं, तब उसके लिए उचित प्रपत्र भरने की कोशिश करिए। [५]
  2. लीगली धार्मिक संस्थान जैसे चर्च स्थापित करने की गाइडलाइंस पूरी करिए: आयकर के नियमों में “चर्च” शब्द का इस्तेमाल ब्रॉडली किया जाता है, जिसका अर्थ होता है कोई भी रिकोग्नाइज्ड धार्मिक ग्रुप। रिकॉग्नीशन की प्राइमरी गाइडलाइंस के अनुसार चर्च के द्वारा अर्जित किया गया कोई भी रेवेन्यू किसी व्यक्ति या शेयरहोल्डर के फायदे, या किसी राजनीतिक डीसीजन मेकिंग (लॉबीइंग) को प्रभावित करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। निम्न में से कुछ फ़ीचर्स के कॉम्बिनेशन को पूरा करने के आधार पर, संबन्धित विभाग यह निर्णय करेगा कि कोई भी धार्मिक ग्रुप आधिकारिक रूप से चर्च कहलाने के लिए क्वालिफ़ाई करता है अथवा नहीं:
    • उसके कुछ सिद्धान्त और पूजा करने की पद्धतियाँ हैं
    • उसकी फॉर्मल लीडरशिप है
    • उसका एक स्पष्ट इतिहास है
    • उसकी सदस्यता दूसरे धार्मिक समूहों से स्पष्ट रूप से अलग है
    • लीडर्स को धर्म में ऑर्डेन करने के लिए कोई रिकोग्नाइज्ड स्टडी कोर्स है
    • धर्म का किसी प्रकार का फ़ाउंडेशनल टेक्स्ट है या उसकी कोई लिटरेरी परंपरा है
    • रिकोग्नाइज्ड या नियमित पूजा स्थल हैं
    • धर्म की नियमित सर्विस तथा कोंग्रीगेशन है
  3. सर्टिफ़िकेशन ऑफ फ़ॉर्मेशन (जिसे कभी कभी आर्टिकल्स ऑफ फ़ॉर्मेशन भी कहा जाता है) अनेक स्थानों पर, धर्म को कानूनी दृष्टि से रिकोग्नाइज़ की जाने वाली एंटिटी के रूप में, फ़ॉर्मल तरीके से शामिल करने के लिए, इस्तेमाल किया जाने वाला एक डॉक्युमेंट होता है। इसमें यह विवरण होता है कि नॉनप्रॉफ़िट ऑर्गनाइज़ेशन क्या करेगा, उसे किस तरह से मैनेज किया जाएगा, आदि। अपने स्थानीय स्तर पर पता कर लीजिये कि इस प्रकार के डॉक्युमेंट को फ़ाइल करने की आवश्यकता है या नहीं।
  4. एम्पलॉयर पहचान के लिए आवश्यक नंबर वगैरह ले लीजिये: चाहे आप टैक्स से मुक्ति वाले स्टेटस को पा भी जाएंगे, तब भी आपको संबन्धित विभाग से एम्पलॉयर पहचान के लिए आवश्यक नंबर वगैरह लेना पड़ेगा। इस नंबर की ज़रूरत तब पड़ेगी जब आपके धर्म को कुछ कर्मचारियों की आवश्यकता होगी। [६]
    • चाहे आपके धर्म को टैक्स से छूट हो मगर आपको अपने कर्मचारियों के लिए तो टैक्स काटना ही पड़ेगा।
  5. टैक्स से छूट वाला स्टेटस धार्मिक ऑर्गनाईज़ेशन्स विशेष ऑडिट प्रोटेक्शन देता है। मगर, बहुत महत्वपूर्ण यह है कि अपने सभी तरह के फाइनेंसेज़ के रिकॉर्ड भली भांति रखे जाएँ। इनमें शामिल होंगे वेतन, खर्चे, धर्म के सदस्यों से एकत्र किया गया धन, आदि। [७]
विधि 3
विधि 3 का 3:

सदस्यता को बढ़ाना

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  1. सर्विसेज़ या मीटिंग्स को जल्दी जल्दी आयोजित करिए: स्टडीज़ से पता चला है कि अधिकांश सफल धार्मिक कोंग्रीगेशन्स वही होते हैं जहां मीट्स अक्सर होती हैं। अगर आपके धर्म में सर्विसेज़ या पूजा आदि होती हो, तब विचार करिए कि क्या आप उनको सप्ताह में कई बार आयोजित कर सकते हैं। आप अपनी सदस्य संख्या तब काफ़ी अधिक बढ़ा सकेंगे जबकि सदस्यों और संभावित सदस्यों के पास यह फ़्लेक्सिबिलिटी हो कि वे कब सर्विस में शामिल होना चाहते हैं। [८]
  2. अगर आप अपने धर्म के सदस्यों की संख्या बढ़ाना चाहते हैं, तब तो उसके बारे में प्रचार करने की ज़रूरत तो पड़ेगी। सुनिश्चित करिए कि आपके धर्म का सोशल मीडिया पर एक्टिव रिप्रेज़ेंटेशन हो, अपनी कम्यूनिटी में बंटवाने के लिए फ़्लायर्स बनाइये, टी-शर्ट वगैरह बंटवाने जैसे काम करिए।
  3. लोगों के आपके धर्म के नियमित सदस्य बनने की संभावना तब और भी अधिक बढ़ जाएगी जब आप उनको आने के लिए कोई वेलकमिंग जगह दे सकेंगे। आपकी धार्मिक सर्विस में चाहे जो भी होता हो, कोशिश करिए कि वे एक ऐसे कम्फ़र्टेबल माहौल में हों जहां आसानी से पहुंचा जा सकता हो। जैसे कि, लोग पारंपरिक पूजाओं में जाना नापसंद करके उनमें जाने की जगह, कॉफी हाउस जैसे अनौपचारिक तरीके की सर्विसेज़ में जाना अधिक पसंद करते हैं।
  4. पूजा करना और आपके धर्म के कोर टेनेट्स को समझना शायद आपके धर्म के सबसे महत्वपूर्ण पक्ष हो सकते हैं। मगर, अतिरिक्त प्रोग्राम ऑफर करके, आप, लोगों को धर्म के निकट रखते हुये, अपने धर्म के सदस्यों में कम्यूनिटी की भावना को बढ़ावा दे सकते हैं। ऐसी सर्विसेज़ को शामिल करने के बारे में विचार करिए:
    • सर्विसेज़ के लिए संगीत और मनोरंजन
    • गेम रात्रि
    • पॉटलक
    • स्पोर्ट्स
    • रीडिंग ग्रुप्स
    • सोशल गैदरिंग्स (युवा ग्रुप्स, रिटाइरी मीटिंग्स आदि)
    • कम्यूनिटी सेवा (सौंदर्यीकरण प्रोजेक्ट्स, प्रिज़न आउटरीछ, फ़ूड ड्राइव, आदि)

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