अपने हाथो से रोस्ट की हुई कॉफ़ी बीन्स से बनी कॉफ़ी पीने का मज़ा ही कुछ और होता है | घर पर रोस्ट की कॉफ़ी बीन्स ज्यादा ताज़ी होती हैं और उनमें बाज़ार में मिलने वाली कॉफ़ी के जैसे स्वाद में बदलाव नहीं होता हैं | चरण 1 पर जानें की आप कैसे खुद बीन्स रोस्ट कर के इस बदले स्वाद का अनुभव कर सकते हैं | एक बार हो जाए, तो आप इससे कॉफ़ी बना सकते हैं |
कॉफ़ी रोस्टिंग के बेसिक नियम
आप बीन्स को रोस्ट करने के लिए चाहे किसी भी तरीके का प्रयोग करें, ऐसा करते समय आपको बीन्स की कुछ खास विशेषताओं को ध्यान में रखना होगा | अधिकतर स्थितियों में, आपकी पसंद पर निर्भर होगा की आपको रोस्टिंग की प्रक्रिया कब रोक देनी चाहिए |
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खुशबू को ध्यान में रखें: जब आप सबसे पहले अपनी हरी कॉफ़ी बीन्स को गरम करना शुरू करेंगे, वो पीले रंग की हो जाएँगी और उनमें से घास जैसी खुशबु आने लगेगी | जब वो असल में रोस्ट होने लगेंगी, तो उनमें से धुआं निकलेगा और वो असली कॉफ़ी जैसी महक देने लगेंगी | [१] X रिसर्च सोर्स
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ये ध्यान में रखें की आप कितनी देर रोस्ट करने की ज़रुरत है वो बीन्स के रंग पर निर्भर रहता है: वैसे तो जब आप शुरू करेंगे बीन्स का रंग ‘हरा’ होगा, लेकिन जब रोस्टिंग शुरू हो जाएगी, आपकी बीन्स के रंग में कई तरीके के बदलाव होंगे | एक आसान सा नियम यहाँ आपको याद रखने की ज़रुरत है और वो है की आपकी बीन जितना गहरे रंग की होगी, उतना ही उसका शरीर भरा हुआ होगा |
- हल्का भूरा (Light brown): इस रंग की बीन्स से दूर रहे क्योंकि इसका स्वाद खट्टा हो सकता है | इस बीन में दम नहीं होता, महक मध्यम और मिठास काफी कम होती है |
- हल्का मध्यम भूरा (Light-medium brown): ये रोस्ट अक्सर उत्तरी भारत में प्रयोग किया जाता है | इस का सम्पूर्ण शरीर भरा हुआ, बेहतरीन खुशबू, और हल्का सा मीठा स्वाद होता है |
- पूरा मध्यम भूरा (Full medium brown): ये रोस्ट दक्षिण भारत में इस्तेमाल किया जाता है | इसमें भी सम्पूर्ण शरीर भरा हुआ, तेज़ खुशबू, और हलकी मिठास होती है |
- मध्य –गहरा भूरा (Medium-dark brown): इस रोस्ट को लाइट फ्रेंच या विएन्नीज़ (Viennese) रोस्ट भी कहा जाता है | इसमें समूर्ण शरीर भरा हुआ, तेज़ खुशबू, और तेज़ मिठास होती है |
- गहरा भूरा (Dark brown): इसे एस्प्रेसो या फ्रेंच भी कह सकते हैं | इसमें सम्पूर्ण शरीर भरा हुआ, मध्य महक, और बहुत मिठास मोजूद होती है |
- बहुत गहरा रंग (करीबन काला): इसे स्पैनिश या डार्क फ्रेंच भी कहा जाता है | इसमें शरीर का भराव कमज़ोर होता है, हलकी महक, और कम मिठास होती है |
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टूटने की आवाज़ का इंतजार करें: जैसे बीन्स रोस्ट होने लग जायें, उनके अन्दर मोजूद पानी सूखने लग जायेगा, जिससे टूटने जैसी आवाज़ आने लगेगी | इस आवाज़ के भी दो स्तर होते हैं जिन्हें पहला और दूसरा टूटना (cracking) कहा जाता है | ये दोनों आवाजें जैसे जैसे रोस्टिंग के समय तापमान बढेगा वैसे सुनाई पड़ेंगी |
क्योंकि हवा का बहाव बहुत कम होता है अवन में रोस्टिंग करने से रोस्टिंग हो सकता है समान नहीं हो | लेकिन, अगर आप अवन का इस्तेमाल सही से करते हैं तो हवा के बहाव की कमी से स्वाद में गहरायी बढ़ सकती है |
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अपने अवन को 450 °फ़ारेनहाइट (232 °सेंटीग्रेड) के लिए प्रीहीट करें: जब तक आपका अवन प्रीहीट हो रहा है, पैन को तैयार कर लें | इस तरीके के लिए आपको कई छेदों या स्लॉट्स वाली बेकिंग शीट की ज़रुरत होगी और सभी बीन्स को पैन में रखने के लिए एक लिप (Lip) की भी | ये पैन किसी भी किचन सप्लाई स्टोर में मिल जाते हैं | [२] X रिसर्च सोर्स
- अगर आप नया पैन नहीं खरीदना चाहते हैं लेकिन आपके पास लिप के साथ कोई पुरानी बेकिंग शीट रखी है, तो आप अपनी खुद की रोस्टिंग शीट बना सकते हैं | अपने पैन को लें और ⅛ इंच की ड्रिल लेकर शीट में छेद बना लें | छेद एक दूसरे से ½ इंच दूर होने चाहिए और इतने छोटे होने चाहिए की उनमें से कोई बीन निकल कर गिर नहीं जाए |
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बीन्स को पैन में फैला के लिटा लें: बीन्स को शीट पर ऐसे डालें की वो पूरे पैन में एक परत की तरह फैल जाएँ | बीन्स को एक दूसरे के नजदीक होना चाहिए लेकिन इतना भी नहीं की एक दूसरे के ऊपर नज़र आयें | एक बार अवन प्रीहीट हो गया, बीन्स के साथ बेकिंग शीट को अवन के मिडिल रैक में रख दें |
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बीन्स को 15 से 20 मिनट के लिए रोस्ट करें: साथ में टूटने या उछलने की आवाज़ को सुनने की कोशिश करें | ये बीन्स में मोजूद पानी के सूखने के संकेत हैं | उछलने की आवाज़ का मतलब है की बीन्स रोस्ट हो कर गहरी हो रही है | सभी तरफ समान रोस्टिंग पाने के लिए थोड़ी थोड़ी देर बाद उन्हें चलाते रहें | [३] X रिसर्च सोर्स
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बीन्स को अवन में से निकाल लें: जब बीन्स आपके मुताबिक सही से रोस्ट हो चुकी हों, तो उन्हें तुरंत गर्माहट से निकाल लें | उन्हें ठंडा करने के लिए, बीन्स को किसी मेटल के कटोरे में डाल कर हिलाएं | इससे ना सिर्फ बीन्स ठंडी होंगी बल्कि उनकी गंदगी भी छन जाएगी |
अपनी बीन्स को स्टोव टॉप पर रोस्ट करने के लिए एक पुराना पॉपकॉर्न पॉपर सबसे उत्तम रहता है | सबसे सही वो क्रैंक स्टाइल पॉपरस रहते हैं जो सामान्य तौर पर किसी भी सेकंड हैण्ड किचन सप्लाई स्टोर पर या ऑनलाइन मिल जाते हैं | अपनी बीन्स को स्टोव टॉप पर रोस्ट करने से उनकी गहरायी और उभार बड़ेगा लेकिन उनकी चमक और खुशबू थोड़ी कम हो जाएगी |
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खाली पॉपर को स्टोव टॉप पर रखें: उसे मध्यम गर्माहट पर लायें ताकि पॉपर का तापमान करीबन 450 °फ़ारेनहाइट (232 °सेंटीग्रेड) हो | अगर हो सके तो डीप फ्रायर या कैंडी थर्मामीटर (Candy Thermometer) की मदद से पॉपर का तापमान जांच लें |
- अगर आपके पास पॉपकॉर्न पॉपर नहीं है और आप नया नहीं खरीदना चाहते हैं, तो एक बड़ा पतीला या पैन इस्तेमाल कर सकते हैं | ये देख लें की वह बहुत साफ़ है नहीं तो आपकी बीन्स में उस चीज़ की महक हो जाएगी जो इससे पहले उसमें बनी थी |
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कॉफ़ी बीन्स डालें: आपको एक समय में सिर्फ 8 औंस तक कॉफ़ी बीन्स रोस्ट करनी चाहिए | पॉपर का ढक्कन बंद करें और धीरे से उसका क्रैंक हैंडल घुमाने लगें | आपको लगातार उसे घुमाना पड़ेगा तभी आपकी बीन्स समान रूप से रोस्ट हो पाएंगी |
- अगर आप पैन या पतीला इस्तेमाल कर रहे हैं तो भी आपको लगातार उसे चलाना पड़ेगा- ऐसा इसलिए क्योंकि पतीले या पैन में बीन्स के जलने की सम्भावना ज्यादा होती है |
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टूटने की आवाज़ सुनें: करीबन 4 मिनट (हांलाकि उसे 7 मिनट तक लग सकते हैं) के बाद आपको बीन्स के टूटने की आवाज़ सुनाई देने लग जानी चाहिए- इसका मतलब है की बीन्स रोस्ट होने लगी हैं | इसी के साथ, बीन्स में से कॉफ़ी की महक वाला धुआं निकलने लगेगा जो की बहुत गहरा हो सकता है | अपने अवन हुड के फैन और खिड़की को खोल दें ताकि वो धुआं बाहर निकल जाए | जब बीन्स टूटने लगें उस अवधि को ध्यान में रखें |
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नियमित तौर पर बीन्स के रंग की जांच करें: एक बार टूटने की आवाज़ आने लग जाए, एक मिनट तक रुकें और फिर बीन्स के रंग की जांच करें | जब बीन्स का रंग आपके मुताबिक हो जाए, तो उन्हें मेटल के कटोरे में डाल कर तब तक मिलाते रहे जब तक बीन्स ठंडी नहीं हो जाती हैं |
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फायदों और नुकसान के बारे में सोचें: मेकेनाइज्ड रोस्टर महंगे, लेकिन असरदार, रोस्टिंग विकल्प होते हैं | ये उपकरण भी पॉपकॉर्न पॉपर की तरह काम करते हैं- बीन्स के बीच से गरम हवा बहती है | लेकिन, इन रोस्टर से काफी हद तक समान रोस्टिंग होती है |
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एक हॉट एयर रोस्टर के बारे में सोचें: इस प्रकार के रोस्टरस को फ्लूइड बेड (Fluid Bed) रोस्टर भी कहते हैं | इस प्रकार के रोस्टर में एक ग्लास कंटेनर होता है जिनसे रोस्टिंग के समय बीन्स के रंग में होने वाले बदलाव पर आप नज़र रख सकते हैं, और अंततः आप बीन्स को अपने मुताबिक रंग तक रोस्ट कर पाते हैं | [४] X रिसर्च सोर्स
- इस प्रकार के रोस्टर में शामिल है Probat, Koinonia, Nuvo and Nesco | अपने उपकरण के साथ आये निर्देशों का पालन करके बीन्स को उत्तम स्थिति तक रोस्ट करें |
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ख़त्म |
सलाह
- इस प्रक्रिया को वहां करें जहाँ हवा का बहाव अच्छा है | इसे किसी स्मोक अलार्म के पास भी नहीं करें | रोस्टिंग कॉफ़ी से निकला धुआं स्मोक अलार्म को चालू कर देगा, और आपातकालीन स्थिति न होते हुए भी ऐसे संकेत लोगों तक पहुँच जायेंगे |
- बीन्स को पीस कर कॉफ़ी बनाने से पहले उन्हें 24 घंटों तक यूँ ही छोड़ दें |
चीजें जिनकी आपको आवश्यकता होगी
- ग्रीन कॉफ़ी बीन्स
अवन
- अवन
- छेदों वाला पैन
- स्पैचुला
- मेटल का कटोरा
पॉपकॉर्न पॉपर
- पॉपकॉर्न पॉपर
- कैंडी थर्मामीटर
- मेटल का कटोरा
एयर रोस्टर
- एयर रोस्टर
- हवा दार कमरा