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डाइजेशन से फ़ूड बहुत छोटे-छोटे हिस्सों में टूटता है, जिससे शरीर को इसमें मौजूद सभी न्यूट्रीएंट्स और एनर्जी का पूरा फायदा मिल पाता है | अलग-अलग फूड्स विभिन्न तरीकों से ब्रेकडाउन होते हैं, कुछ फूड्स दूसरों की तुलना में ज्यादा जल्दी टूट जाते हैं | हालाँकि, पाचन दर अधिकतर आपके शरीर की नेचुरल मैकेनिज्म पर निर्भर करती है जिसमे कुछ ऐसी चीज़ें हो सकती हैं जो पाचन की गति और क्वालिटी दोनों को बढ़ा देती हैं | खान जल्दी पचाने के तरीके जानने के लिए यह लेख पढ़ते रहें |

विधि 1
विधि 1 का 4:

अपनी लाइफस्टाइल बदलें

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  1. रेगुलरली एक्सरसाइज करें : फिजिकल एक्टिविटी बढाने से डाइजेस्टिव सिस्टम में खाने को आगे बढाते रहने में मदद मिलती है | इससे खाए गये फ़ूड के पचने की गति तेज़ हो जाती है और इससे ओवरऑल डाइजेस्टिव प्रोसेस में मदद मिलती है |
    • एक्सरसाइज करने से कब्ज़ नहीं हो पाता और बड़ी आंत में भोजन के पड़े रहने वाले समय में कमी आती है जिससे पाचन की गति बढ़ जाती है | इससे मल से अवशोषित होने वाले पानी की मात्रा कम हो जाती है और वो पानी वापस बॉडी में चला जाता है | [१]
    • मूवमेंट से डाइजेस्टिव ट्रैक्ट में स्मूथ मसल्स की नेचुरल कॉन्ट्रैक्टशन्स को उत्तेजित करने में मदद मिलती है जिससे भोजन का पाचन तेजी से होने लगता है | [२]
    • हालाँकि, एक्सरसाइज से एक घंटे पहले या उससे ज्यादा समय तक इंतज़ार करना बेहतर होता है जिससे शरीर की नेचुरल ब्लड सप्लाई से हार्ट और अन्य एक्टिव मसल्स को ईंधन मिलने की बजाय डाइजेस्टिव सिस्टम की गतिविधियाँ हो पायें |
  2. आराम करें : बेहतर नींद पाचक अंगों को रेस्ट और रिपेयर होने के लिए जरुरी समय देती है जिससे उनकी जल्दी और असरदार रूप से खाना पचाने की क्षमता बढ़ने लगती है | [३] अपनी नींद में थोड़े बदलाव लाने से पाचन संबंधी ऐसे लाभ मिलने लगेंगे जो शरीर के लिए बहुत आवश्यक होते हैं |
    • खाने के तुरंत बाद न सोयें, बल्कि दो से तीन घंटे बाद सोयें जिससे शरीर को खाना पचाने के लिए पर्याप्त समय मिल जाए |
    • बायीं करवट सोने की कोशिश करें | कुछ स्टडीज बताती हैं कि बायीं करवट से सोने पर पाचन क्षमता बढ़ जाती है | [४]
  3. खाने के दौरान या बाद में तरल विशेषरूप से पानी या चाय पीने से पाचन अच्छी तरह से होता है | तरल पदार्थ शरीर को खाना पचाने में मदद करते हैं और पानी शरीर को हाइड्रेट करने में भी मदद करता है | [५]
    • हाइड्रेटेड बने रहना, सेलाइवा (लार) के पर्याप्त प्रोडक्शन और पेट में तरल को मेन्टेन करने का सबसे अच्छा उपाय होता है |
    • पानी भी मल को सॉफ्ट कर देता है जिससे कब्ज़ नहीं हो पाता |
    • इसके अलावा, शरीर में डाइटरी फाइबर (जो पाचन के मुख्य घटक हैं) के प्रभावशाली इस्तेमाल के लिए पानी बहुत जरुरी है | [६]
विधि 2
विधि 2 का 4:

डाइजेशन को प्रोमोट करने वाले फूड्स खाएं

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  1. फाइबर से भरपूर फूड्स को अपनी डाइट में कई रूपों में शामिल करें | इन फूड्स को खाने से कब्ज़ कम होता है और आँतों की हेल्थ मेन्टेन होती है जिससे डाइजेशन की गति तेज़ होने लगती है | [७]
    • फाइबर पानी क अवशोषित करके, मल में वज़न और मास बढाने का काम करते हैं | इस काम के लिए पर्याप्त (कई बार ज्यादा) पानी पीने की जरूरत होती है | अन्यथा कब्ज़ हो सकता है |
    • स्टूल (मल) में बल्क बनाकर, ये फाइबर-रिच फूड्स डाइजेशन को रेगुलेट करते हैं | इससे गैस, ब्लोटिंग और डायरिया कम करने में भी मदद मिल सकती है | [८]
    • कुछ हाई-फाइबर फूड्स में शामिल हैं: साबुत अनाज वाले प्रोडक्ट्स, फल, सब्जियां, दालें, नट्स और सीड्स |
  2. दही प्रोबायोटिकस का नेचुरल सोर्स है और पाचन के लिए जरुरी एक लाइव कल्चर भी है | [९] दही से मिलने वाले लाभ वास्तव में दही के बनने की प्रक्रिया से ही पता चल जाते हैं:
    • अच्छे बैक्टीरिया की ग्रोथ को बढ़ावा दें क्योंकि ये नेचुरली लाइव कल्चर में बनते हैं |
    • इससे इन्फेक्शन से रिकवर होने में कम समय लगता है और साथ ही इर्रीटेबल बोवेल सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में इम्यून सिस्टम का रिस्पांस भी कम हो जाता है |
    • खाने को आँतों तक जल्दी पहुचाएं | [१०]
  3. अदरक को पाचन के लिए हजारों सालों से इस्तेमाल किया जाता रहा है और वर्तमान समय में भी इसकी लोकप्रियता बनी हुई है | ऐसा माना जाता है कि अदरक डाइजेस्टिव ट्रैक्ट में एंजाइम के रिलीज़ को उत्तेजित करता है जिससे पाचन तन्त्र की प्रभावशीलता बढ़ जाती है और पाचन आसानी से हो जाता है \ [११]
    • रिसर्च में देखा गया है कि अदरक पेट में मसल्स कांट्रेक्टशन को बढ़ा देता है जिससे फ़ूड ऊपरी छोटी आंत तक तेज़ी से पहुँच जाता है | [१२]
  4. लो-फैट वाले फूड्स चुनें और फैटी, तले हुए फूड्स से परहेज़ रखें: हाई-फैट वाले और तले हुए फूड्स खाने से एसिड रिफ्लक्स और सीने में जलन हो सकती है क्योंकि फूड्स पार्टिकल्स को सही तरीके से ब्रेकडाउन करने की आमाशय की क्षमता को कम कर देते हैं | [१३]
    • आपके पेट को इन चीज़ों को पचाने में काफी मुश्किल होती है और पूरी पाचन प्रक्रिया धीमी हो जाती है | [१४]
    • हाई फैट और फ़ास्ट फूड्स के उदाहरण हैं: प्रोसेस्ड मीट, फ्रेंच फ्राइज, आइस क्रीम, बटर और चीज़ |
  5. हल्का भोजन करें और अतिरिक्त मिर्च-मसाले वाले खाने से परहेज़ करें: स्पाइसी फूड्स गले और आहारनली को उत्तेजित कर सकते हैं जिससे एसिड रिफ्लक्स और सीने में जलन हो सकती है | [१५] इसके अलावा, ये फूड्स गेस्ट्रो-इंटेस्टाइनल (GI) ट्रैक्ट को गड़बड़ करके पाचन की गति धीमी कर देते हैं और इनके कारण डायरिया और पाचन सम्बन्धी दूसरी परेशानियाँ होने लगती हैं | [१६]
  6. आमतौर पर दही से लोगों को पाचन में काफी मदद मिलती है | लेकिन, अगर आपको लेक्टोस इन्टोलारेंस के कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं तो सभी डेरी प्रोडक्ट्स के साथ दही खाना भी बंद करना होगा | हालाँकि किस डेरी प्रोडक्ट से अजीर्ण और कब्ज़ होता है, इसकी एकदम सटीक युक्ति की अभी तक कोई जानकारी नहीं है लेकिन इससे निश्चित रूप से पाचन की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है | [१७] लेक्टोस इन्टोलारेंस के कारण ब्लोटिंग, गैस और अजीर्ण हो सकता है और इन सभी के कारण पाचन की गति धीमी या खराब हो सकती है |
  7. रेड मीट कब्ज़ बना सकता है और इससे पाचन को तेज़ करने वाली रेगुलर बोवेल मूवमेंट नहीं हो पाती | पाचन पर रेड मीट के नेगेटिव इफ़ेक्ट के कई सारे कारण होते हैं |
    • रेड मीट में फैट (वसा) बहुत ज्यादा होता है जिससे ये शरीर में बहुत देर में पच पाते हैं |
    • रेड मीट में आयरन भरपूर मात्रा में होता है जिससे कब्ज़ हो सकता है |
विधि 3
विधि 3 का 4:

अपने भोजन संबधी आदतें बदलें

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  1. एक बार में ज्यादा खाना खाकर अपने पाचन तंत्र पर ज्यादा भार डालने से बेहतर हैं कि पूरे दिन थोडा-थोडा खाना कहते रहें जिससे पाचन की गति तेज़ होने में मदद मिल सके | पूरे दिन में 4 से 5 समान मात्रा वाली डाइट लें | बहुत तेज भूख को रोकने के लिए हर तीन घंटे में खाने की कोशिश करें | [१८] [१९]
  2. बहुत ज्यादा प्रोसेस्ड फूड्स को पहचाने में शरीर को बहुत मेहनत करनी पड़ती है | इसकी बजाय, साबुत फूड्स चुनें जिनमे प्रिजरवेटिव, ऐडिटिव और अन्य केमिकल न हों | पूरे दिन फल, सब्जियां, ब्राउन राइस, व्होल वीट पास्ता, बीन्स, नट्स और अन्य साबुत अनाज वाले फूड्स खाएं जिससे डाइजेस्टिव प्रोसेस को राहत मिल सके और यह ज्यादा प्रभावशाली रूप से काम कर पाए | [२०]
  3. चबाने से ही डाइजेस्टिव ट्रेन चलना शुरू हो जाती है लेकिन अधिकतर इस पर कम जोर दिया जाता है | अच्छी तरह से चबाने से फ़ूड पार्टिकल्स का सरफेस एरिया बढ़ जाता है और आपके शरीर में आये फ़ूड तक ज्यादा एंजाइम्स को पहुंचाने में मदद करता है | खाने की ज्यादातर सरफेस सेलाइवा (लार) के सम्पर्क में आने से स्मूथ और प्रभावशाली डाइजेशन शुरू होने की बेहतर शुरुआत की जा सकती है | [२१]
विधि 4
विधि 4 का 4:

सप्लीमेंट्स का इस्तेमाल करें

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  1. प्रोबायोटिक ऐसे बैक्टीरिया हैं जो आँतों में माइक्रोओर्गानिस्म के नेचुरल बैलेंस को मेन्टेन करने में मदद करते हैं | [२२] कुछ इंडिकेशन का ध्यान रखते हुए अतिरिक्त प्रोबायोटिक्स को सप्लीमेंट रूप में कंज्यूम करके आँतों में पाए जाने वाले लाभकारी बैक्टीरिया की मात्रा बढाकर डाइजेशन को दुरुस्त किया जा सकता है | प्रोबायोटिकस कई तरह के फूड्स में पाए जाते हैं इसलिए अगर आप सप्लीमेंट नहीं ले रहे हों तो अपनी डाइट में प्रोबायोटिक्स से भरपूर फूड्स को शामिल करके उनका लाभ ले सकते है |
    • चूँकि CDSCO प्रोबायोटिक को दवा के रूप में रेगुलेट नहीं करती लेकिन प्रोबायोटिक सप्लीमेंट चुनते समय आपको कुछ विशेष चीज़ों पर नज़र डालना चाहिए | ध्यान रखें कि उनके लेबल पर निम्नलिखित जानकारी होनी चाहिए: [२३]
      • प्रोबायोटिक के जीनस, स्पीशीज और स्ट्रेन (जैसे लेक्टोबेसिलस रेम्नोसस GG)
      • ओर्गानिस्म की संख्या जो उपयोग करने की तिथि तक जीवित रहेंगे
      • डोज़
      • कंपनी का नाम और कॉन्टेक्ट इनफार्मेशन
    • सप्लीमेंट के अंदर अलग-अलग प्रोबायोटिक्स स्ट्रेंस के टाइप्स की जानकारी बहुत जरुरी होती हैं | कुछ लोग दूसरों के मुकाबले कुछ विशेष बैक्टीरिया स्ट्रेंस से बेहतर रियेक्ट करते हैं | इसीलिए कई अलग-अलग स्ट्रेंस वाले प्रोबायोटिक को चुनना चाहिए |
  2. शरीर में नेचुरली बनने वाले एंजाइम्स को भी सप्लीमेंट देकर बाज़ार में मिलने वाले डाइजेस्टिव सप्लीमेंट को पाचन में शामिल किया जा सकता है | एंजाइम्स भोजन को छोटे-छोटे कॉम्पोनेन्ट में तोड़ देते हैं जिससे ये शरीर में बहुत आसानी से अवशोषित हो सकें | अगर ये एंजाइम इफेक्टिव होते हैं तो ये डाइजेस्टिव प्रोसेस की गति और प्रभावशीलता को बढ़ा देंगे |
    • मानव शरीर में चार ग्लैंड्स के द्वारा पाचक एंजाइम बनते हैं, प्रारंभिक रूप से पैंक्रियास में | [२४]
    • हालाँकि कुछ अल्टरनेटिव हेल्थकेयर स्पेशलिस्ट और नेचुरल सप्लीमेंट के उत्पादक एंजाइम सप्लीमेंट के फायदों को लेकर विवाद करते हैं लेकिन कई डॉक्टर्स ने कहा है कि इनके प्रभावशाली इफेक्ट्स को पहचानने के लिए भी और ज्यादा ह्यूमन स्टडी होना जरुरी है |
    • आमतौर पर ख़रीदे जाने वाले कुछ कॉमन सप्लीमेंट हैं:
      • लाइपेज; लाइपेज डाइजेशन और फैट के अवशोषण को सुधारता है | [२५]
      • पेपिन; पेपिन को प्रोटीन के डाइजेशन में लाभकारी माना जाता है | [२६]
      • लैक्टेज; लैक्टेज को लैक्टेज के डाइजेशन के लिए लिया जाता है जो डेरी प्रोडक्ट्स में पाया जाने वाला एक प्रोटीन है | जिन लोगों में लैक्टेज को नेचुरल लेवल कम होता है, उन्हें लैक्टोज़-इनटोलेरेंट कहा जाता है | [२७]
  3. बिटर्स हर्ब्स, छाल और जड़ों जैसी कई चीज़ों से मिलने वाले (अधिकतर अल्कोहलिक) चीज़ें टिंचर (अपमिश्रण) होते हैं जो पाचन सुधारने में मदद करते हैं | बोटैनिकल एक्सट्रेक्ट के लिए अल्कोहल एक साल्वेंट (विलयन) का काम करता है और इसे प्रिजर्व करने में मदद करता है | खाने से पहले, साथ में या बाद में बिटर्स लेने से पाचन की गति बढ़ सकती है | [२८] हालाँकि, बिटर्स डाइजेशन पर कोई पॉजिटिव इफ़ेक्ट नहीं डालते और इनकी प्रभावशीलता पर बहुत ही सीमित रिसर्च की गयी हैं |

सलाह

  • गरिष्ठ भोजन करने के बाद लम्बे समय तक बैठे न रहें क्योंकि इससे मेटाबोलिक प्रोसेस घट जाती है |
  • पेपरमिंट ऑइल सप्लीमेंट आजमायें | कुछ स्टडीज के अनुसार पेपरमिंट ऑइल के कैप्सूल डाइजेशन सुधारने में मदद करते हैं लेकिन इस दावे के समर्थन में कोई प्रमाण नहीं है | [२९]

चेतावनी

  • खाने के बाद इंटेंस एक्सरसाइज न करें क्योंकि इससे पेट में दर्द और दूसरी परेशानियाँ हो सकती हैं |

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