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खुद को, अपनी तुलना दूसरों से करने से रोकना कठिन है, आजकल हर किसी को परफ़ेक्ट बनना है। यदि हम अपनी उपलब्धियों और दक्षता को जाँचना शुरू कर देते हैं, तो हम सच में आगे बढ़ सकते हैं। अपनी तुलना दूसरों के साथ करना, बहुत आम बात है और इनसे जलन का अनुभव होना भी सामान्य गुण है। लेकिन जब आप अपनी सक्षमताओं के बारे में सोचे बिना सिर्फ़ अपनी कमियों को सोच कर परेशान होते हैं, तो आप ग़लत रास्ते पर जा रहे हैं। यह आप की एक कमज़ोरी हो सकती है, और यहाँ तक कि यह आप को अपने जीवन के कुछ अनमोल पहलुओं का आनंद लेने से भी रोक देती है। दूसरे लोगों के साथ निरंतर की जा रही तुलना आप के आत्म-सम्मान को कम कर देती है, और इस से आप आप को अपने ही बारे में बुरा लगने लगता है। खुद को अपनी नज़रों से देख कर ही आप अपनी तुलना करने की लत से छुटकारा पा सकते हैं। अपने लिए कुछ ऐसे लक्ष्य निर्धारित करें, जिन से आप का आत्म-सम्मान बढ़े और अपने बारे में विचारों को अच्छा करने के तरीकों को सीखें। (Stop Comparing Yourself to Others)

विधि 1
विधि 1 का 5:

अपने इस तुलनात्मक व्यवहार के सोर्स (Source) को ढूँढ कर

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  1. अपने आप को किस नज़रिए से देखते हैं, इस के लिए पहले आप को अपने विचारों को जानना होगा। इस जानकारी के बिना आप इस मुख्य समस्या को नहीं पहचान पाएँगे। इस तरफ अपने कदम बढ़ा देने के बाद आप को एक ऐसे व्यक्ति की ज़रूरत होगी, जो आप को मदद कर सके। हालाँकि एक बार आप को अपने उस व्यवहार के बारे में पता चल जाए, जिसे आप बदलना चाहते हैं, तो इस से आप को लक्ष्य प्राप्ति में मदद मिल सकेगी।
  2. अपने बारे में कुछ सकारात्मक और नकारात्मक मूल्यांकन कर के आप अपने आत्म-सम्मान का आंकलन कर सकते हैं। हम सभी के जीवन में कुछ अच्छे दिन होते हैं और कुछ बुरे दिन भी होते हैं, और हम अपने बारे में क्या सोचते हैं, ये हर दिन के हिसाब से बदलता जाता है। आत्म-सम्मान आप के जीवनकाल में ही विकसित होता है, और आप के व्यक्तित्व की स्थिरता की ओर इशारा करता है। [१]
    • क्या आप का अपने बारे में कोई अच्छा विचार है? क्या आप के विचार अन्य लोगों पर निर्भर करते हैं? यदि आप अपने ही आत्म-सम्मान के लिए, अन्य लोगों की ओर देखते हैं, तो यही निशानी है कि आप को अपनी खुशी के लिए आगे बढ़ना शुरू कर देना चाहिए।
  3. तुलनात्मक व्यवहार तब ही सामने आता है, जब आप अपनी तुलना ऐसे लोगों के साथ करना शुरू कर देते हैं, जो आप से अच्छी स्थिति में हैं। अक्सर आप अपनी सकारात्मक या नकारात्मक विशेषताओं की खुद से ही तुलना करते हैं। कभी-कभी सामाजिक तुलना आप के लिए मददगार साबित होती है, लेकिन नकारात्मक तुलनाएँ आप के आत्म-सम्मान को तोड़ कर रख देतीं हैं। [२]
    • सकारात्मक व्यवहार का उदाहरण, जब आप अपने आप की तुलना किसी व्यक्ति की कुछ ऐसी विशेषताओं के साथ करते हैं, जिन्हें आप खुद प्रोत्साहित करते हैं। उस व्यक्ति की इन विशेषताओं (जैसे वह बहुत ही पढ़ाई करने वाला व्यक्ति है) से जलने के बजाय, आप को खुद को उस की तरह बनाने के लिए प्रयत्न करने चाहिए।
    • नकारात्मक व्यवहार का उदाहरण, जब आप किसी व्यक्ति के साथ सिर्फ़ इसलिए तुलना करते हैं, क्योंकि उस के पास में वह चीज़ है, जो आप को चाहिए। जैसे कि आप किसी व्यक्ति से सिर्फ़ इसलिए जल रहे हैं, क्योंकि उस के पास में एक नई कार है।
  4. कुछ ऐसे विचारों को लिखें जिन से स्पष्ट होता है कि आप किसी से अपनी तुलना कर रहे हैं। यदि ऐसा हो सके तो जैसे ही आप के मन में इस तरीके के विचार आएँ, तो फ़ौरन ही इन्हें लिख लें। इस तरह से आप को इन्हें याद करने की ज़रूरत नही होगी।
    • इस तुलना से आप के मन में किस तरह की भावनाएँ उत्पन्न हुईं हैं, इस बारे में विचार करें। हर उस भावना या विचार को लिखें जो आप के मन में आ रहे हैं। जैसे कि आप को जलन इसलिए हो रही है क्योंकि किसी के पास में नई कार है, और आप अभी तक 20 साल पुरानी कार ही चला रहे हैं। [३]
  5. उस समय के बारे में सोचें जब आप किसी से भी तुलना नहीं किया करते थे, और फिर यहाँ से लिखने की शुरुआत करें। धीरे-धीरे आप को याद आ जाएगा कि कब से आप में इस तुलनात्मक रवैये ने जन्म लिया।
    • उदाहरण के लिए, आप उस समय के बारे में सोच सकते हैं, जब आप छोटे थे और अपने भाई-बहनों से अपनी तुलना भी नहीं करते थे। तो आप को अनुभव होगा कि आप ने तुलना की शुरुआत तब की जब आप को लगने लगा कि आप को उपेक्षित किया जा रहा है। आप यहाँ से तुलना के अन्य कारणों को जानना शुरू कर सकते हैं।
    • यह मानना बेहद कठिन है, कि इस तरह के तुलनात्मक व्यवहार का आप के ऊपर ग़लत असर होता है। इस तरीके से बार-बार खुद की तुलना करने से आप के मन में भी उसी तरह का बनने की भावना उत्पन्न हो जाती है।
विधि 2
विधि 2 का 5:

आप के पास जो भी है उस की सराहना करें

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  1. आप के पास में क्या हैं, उस पर ध्यान केंद्रित करें: एक बार आप को इस तरह की अनुभूति हो जाए कि, खुद की तुलना अन्य लोगों से करने से भी कोई फायदा नहीं है, तो आप अपनी सफलता के लिए कुछ अतिरिक्त पहलुओं पर ध्यान देना शुरू कर सकते हैं। यदि आप अपनी पास की चीज़ों पर ही अपनी खुशी व्यक्त करना शुरू कर देंगे, तो आप अपना ध्यान अन्य लोगों पर से हटाकर खुद पर केंद्रित कर पाएँगे।
    • अपना ज़्यादा से ज़्यादा समय अपने पास की कुछ सकारात्मक और अच्छी चीज़ों के बारे में सोचने पर लगाएँ। आप को खुद ही इस बात का अनुभव होने लगेगा कि आप का ध्यान अन्य लोगों से हटकर आप पर ही केंद्रित हो रहा है।
  2. एक आभार पत्रिका आप को यह याद दिलाने का अच्छा तरीका है कि आप के पास क्या-क्या है। यह आप का ध्यान उन सारी बातों पर लगाने में मदद करेगा, जिन्हें आप कब का भूल चुके हैं। अब आप इस की सराहना भी कर पाएँगे। अपनी कुछ सबसे अच्छी यादों के बारे में सोचें। ये सब कुछ भी हो सकता है, जैसे कि आप के द्वारा किया गया कोई अच्छा काम, घूमी गई जगह, मित्र के साथ बिताए यादगार पल, और कुछ भी जो आप को प्रसन्न करता है। इन सारी बातों पर ही अपना सारा ध्यान लगाएँ। [४]
    • आभार पत्रिका के ज़रिए आप अपनी सफलता की संभावनाओं में वृद्धि कर रहे हैं। हालाँकि खुद को बिना किसी प्रेरणा दिए, सिर्फ़ इस बारे में सोचते हुए, यह आप के ही खिलाफ कार्य करने लगेगा। [५] आप को उन सारी बातों को सोचना होगा, जिन्हें आप ने भुला दिया है, और इन की प्रशंसा भी करें। अपने जीवन को आगे बढ़ाने के लिए अपने इन सारे आभारों को ध्यान में रखते हुए ही कोई फ़ैसला करें।
    • गहराई को समझ कर ही कुछ लिखें। हर एक बात की लिस्ट बनाने से बेहतर है, कि अपनी कुछ अहम बातों को, जिन से आप को सुख महसूस होता है, ही लिखें और उन का संपूर्ण विवरण दें।
    • किसी आश्चर्य भरे या अनपेक्षित वाकयों के बारे में लिखें। यह आप के द्वारा महसूस किए गए अच्छे वाकयों का दोबारा आनंद लेने का मौका प्रदान करेगा।
    • आप को हर दिन लिखने की कोई ज़रूरत नहीं है। बल्कि, हफ्ते में दो बार लिखना ज़्यादा फलदायी होगा।
  3. अपनी तरफ दयालु रह कर और कम कठोर बन कर आप को आगे बढ़ने और कड़ी मेहनत करने की प्रेरणा मिलेगी।
  4. इस बात को समझें कि आप अपनी जिंदगी के नियंत्रण में हैं: दूसरों से तुलना करने से खुद को रोकना कठिन है। आख़िरकार आप अपनी ज़िंदगी के नियंत्रण में ही हैं। आप अपने जीवन को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं, ये सारे विकल्प आप ही निर्धारित करते हैं। आप ही अपने जीवन के सारे निर्णय लेते हैं और ये सब आप अपने लिए करते हैं ना कि किसी और के लिए। [६]
    • अन्य लोगों के पास क्या है, या क्या नहीं है, यह सब कोई मायने नहीं रखता। यदि आप की ज़िंदगी में कुछ मायने रखता है तो वो हैं आप।
विधि 3
विधि 3 का 5:

तुलनात्मक विचारों को बाहर निकालना

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  1. अपने विचारों और व्यवहार बदलने की प्रक्रिया को समझें: बदलाव का कारण [७] के अनुसार, लोग कुछ अवस्थाओं से गुजर कर ही स्थिति के बारे में निर्णय ले पाते हैं और कुछ लोग कुछ ऐसी अवस्थाओं से गुज़रते हैं, जिन्हें अंत में वे अपना ही लेते हैं। इन अवस्थाओं में शामिल हैं:
    • पूर्वावलोकन (Pre-contemplation) : इस स्थिति के समय, व्यक्ति बदलाव को अपनाने के लिए तैयार नहीं होता, भले ही ऐसा उस के इन स्थितियों से बेख़बर होने के कारण हो, या फिर उन्हें उसी समय इन से अवगत कराया गया हो।
    • अवलोकन (Contemplation) : इस अवस्था में बदलाव को ग्रहण करने के बारे में सोचा गया है। कोई भी बदलाव के सकारात्मक पहलुओं के बारे में सोचना शुरू करता है, हालाँकि उसे बदलाव के नकारात्मक पहलुओं का भी पता है।
    • तैयारी (Preparation) : इस अवस्था में व्यक्ति बदलाव को ग्रहण करने का निर्णय करता है और फिर इस बदलाव को प्रतिस्थापित करने की योजना बनाना शुरू कर देता है।
    • निर्णय पर अमल करना (Action) : इस अवस्था में व्यक्ति व्यवहार में बदलाव लाने का प्रयास करता है। इस में कुछ करने से खुद को रोकना या फिर कुछ अन्य चीज़ों को करना शामिल है।
    • रक्षण (Maintenance ) : इस अवस्था में अपने व्यवहार में आए बदलावों की पुष्टि और इन्हें आगे भी बनाए रखना शामिल हैं।
    • अंत (Termination) : इस अवस्था में जैसे कि व्यवहार तो बदल चुका है, तो वह व्यक्ति तनाव, हताशा या फिर चिंतन के समय वापस पहले वाले व्यवहार का अनुभव नहीं करता।
  2. किसी को आदर्श बनाना अवास्तविक है, इस बात को समझें: जिसे हम आदर्श बना रहे है, हम उस के जीवन के सिर्फ़ कुछ ही पहलुओं पर ध्यान देते हैं और फिर हम ही इन की भव्य कल्पना करने लगते हैं। हम सिर्फ़ अपने आदर्श वाले गुणों पर ही ध्यान देते हैं जबकि हम उन सारे गुणों को नकार देते हैं, जो हमें अच्छे भी नहीं लगते।
  3. नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों में परिवर्तित करें: जब आप अपनी तुलना किसी अन्य व्यक्ति से करते हैं, तो आप खुद को उन से कुछ कम आंक सकते हैं। यदि आप के अपने ही बारे में कुछ ग़लत विचार हैं, तो इन विचारों को कुछ ऐसे विचारों में परिवर्तित करने के बारे में सोचें जिन से आप को खुद पर अभिमान हो सके।
    • उदाहरण के लिए, यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जिस की लिखावट बहुत सुंदर है, तो उस व्यक्ति के इस गुण से जलन महसूस करने की जगह पर, अपने अच्छे गुणों के बारे में सोचें। जैसे आप खुद से कहें कि " क्या हुआ यदि मेरी लिखावट अच्छी नहीं है तो, लेकिन मेरी चित्रकारी (drawing) तो अच्छी है। या फिर मैं अपनी लिखावट सुधारना चाहता हूँ, मैं अन्य लोगों के गुणों से जलने की जगह पर अपने इस गुण को निखारने के लिए मेहनत करूँगा।"
विधि 4
विधि 4 का 5:

लक्ष्यों को पाना

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  1. अपने लक्ष्यों को हासिल कर के आप को अपने ज़ीवन को और भी बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। लक्ष्यों के निर्धारण से शुरुआत करें।
    • यदि आप मैराथन में दौड़ना चाहते हैं, तो इसे अपने लक्ष्य की तरह ही लें। आप किस अवस्था में हैं इस का आंकलन आप खुद भी कर सकते हैं (जैसे बिना ट्रेनिंग लिए आप कितना दूर दौड़ सकते हैं, इस का अंदाज़ लगाना)।
  2. जब आप अपने लिए लक्ष्य निर्धारित करते हैं, तो आप लक्ष्य की ओर किस तरह से अग्रसर हैं, यह जानने के लिए अपनी प्रगति का हर समय आंकलन करें। इस से आप को दूसरे लोगों की जगह, खुद पर ध्यान लगाने में मदद मिलेगी।
    • अपनी उन्नति को जानने के लिए पहले अपनी शुरुआती गति को अंकित करें। जैसे कि, यदि आप को अपनी ग्रेजुएट डिग्री हासिल करने में अन्य लोगों की तुलना में ज़्यादा वक़्त लग रहा है, तो आप अपने बारे में कुछ ऐसा भी सोच सकते हैं कि आप अपने परिवार की ज़िम्मेदारी भी संभाल रहे हैं, या आप अपने बुज़ुर्ग माता-पिता की देखभाल कर रहे है। हर व्यक्ति कुछ ऐसी परिस्थिति में होता है, जो उस के उन्नति के मार्ग में रुकावट पैदा करती है। उन्नति का आंकलन करते वक़्त बस उन सभी अवस्थाओं के बारे में सोचें।
    • यदि आप मैराथन की तैयारी कर रहे हैं, तो आप खुद में हफ्ते भर में आए सुधारों को देख सकते हैं। प्रत्येक हफ्ते लंबी दूरी तय करें जब तक कि आप अपने लक्ष्य तक ना पहुँच जाएँ। एक ही समय में आप ज़्यादा दूरी भी तय कर रहे हैं और इस के साथ ही अपनी गति भी बढ़ा रहे हैं। अपनी तरक्की का चार्ट बनाने से आप को आगे यह जानने में आसानी होगी कि आप में कितना सुधार आया है और कितना सुधार लाना बाकी है।
  3. यदि आप को ऐसा लगता है कि आप को कुछ क्षेत्रों में सुधार लाने की ज़रूरत है, तो ऐसा ही करें और इस के लिए क्लास करने की ज़रूरत हो तो क्लास करें या फिर जो भी करना पड़े सो करें। इस से आप के आत्म-विश्वास में बढ़ोत्तरी होगी।
    • आप को यह समझने की ज़रूरत है कि परफ़ेक्ट बनने का विचार, जिस में कोई किसी को झूठा आदर्श बनाकर उस के जैसे बनने की कोशिश करता है, निरर्थक है। इस बात को भी समझें की हर व्यक्ति की अपनी परिस्थियाँ होतीं हैं। आप अपने आप को खुश करने के लिए अपने में सुधार ज़रूर ला सकते हैं।
  4. आप ने बहुत सारे एथलीटों और कलाकारों को यह कहते हुए सुना होगा कि उन का मुकाबला सिर्फ़ उन से ही है। ये अपने आप को निखारने के लिए निरंतर प्रयासरत रहते हैं। इस तरीके से आप खुद ही अपने लिए तरक्की के रास्ते खोलते जाते हैं, और खुद को उन पर बढ़ने के लिए प्रेरित भी करते जाते हैं। जब भी कोई एथलीट अपने खेल के लिए कोई लक्ष्य निर्धारित करता है, तो वह इसे पाने के लिए खुद के साथ ही प्रतिस्पर्धा करने लगता है। [८]
  5. जब आप अपनी कसौटी का उपयोग अपनी तरक्की में करते हैं, तो आप दूसरों से अपनी तुलना करना बंद कर देते हैं। यह प्रक्रिया आप दूसरों के साथ जिस मुक़ाबले को महसूस कर रहे हैं, उसे आप से बहुत दूर कर देगी। यदि आप अपने जीवन को अपनी इच्छा के अनुरूप ही बनाना चाह रहे हैं, तो आप को परिणामों से ऊपर उठना होगा। खुद का आंकलन सिर्फ़ अपने बनाए हुए मापदंडों के अनुसार करें ना कि अन्य लोगों के अनुसार।
  6. यदि आप के कुछ ऐसे मित्र हैं जो जीवन में सफल हैं, और उन के कुछ ऐसे लोगों के साथ में संपर्क हैं, जो शायद सफलता पाने में आप की मदद कर सकें। उनकी इस सफलता से जलन महसूस करने के बजाय उनकी सफलता का उपयोग खुद को सफल बनाने में करें।
    • जैसे कि, आप किसी एथलीट की तस्वीर देख कर उस की फिटनेस की सराहना करते हैं। उन से जलन महसूस करने के बजाय आप खुद में बदलाव लाने के लिए इन्हें प्रेरणास्त्रोत बना सकते हैं। आप अपने खानपान की आदतों में या फिर व्यायाम की आदतों में बदलाव ला सकते हैं। तब ही आप इस तस्वीर का किसी अर्थ में उपयोग कर रहे हैं।
  7. एक बार आप खुद का आंकलन अपने मापदंडों पर करने लगें, तो फिर आप कुछ छोटे जोखिमो के लेने में सहज महसूस करने लगेंगे। जोखिम उठाने का डर अधिकांश लोगों को अक्सर आगे बढ़ने से रोकता है। ये लोग कुछ ऐसे ही डर से घिरे हुए होते हैं, जो इन को आगे बढ़ने से रोकता है।
    • कुछ छोटे कदमों से शुरुआत करें। यह आप की क्षमताओं को निखारने के लिए आप में आत्मविश्वास बढ़ाएगा।
  8. आप के आसपास मदद के लिए तैयार लोगों के होने से आप बदलाव लाने के लिए खुद में और ज़्यादा आत्मविश्वास का अनुभव करेंगे।
  9. अच्छे शिक्षण के बहुत सारे प्रकार हैं। ऐसे भी शिक्षक होते हैं जो अपने प्लेयर को डराते और धमकाते हैं। और कुछ ऐसे भी शिक्षक होते हैं जो अपने प्लेयर को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं, लेकिन प्रेम और मदद के साथ। इस तरह से प्रेम के साथ शिक्षण देने वाले शिक्षक ही एक अच्छे मनुष्य का निर्माण करते हैं।
    • खुद को बेहतरी की ओर धकेलने वाले एक शिक्षक की तरह ही देखें। अपने प्रयासों की सराहना करें। फिर आप अपने आत्म सम्मान को बढ़ाकर, अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ते जाएँगे।
विधि 5
विधि 5 का 5:

ज़िम्मेदारीपूर्वक मीडिया का उपयोग करना

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  1. यदि सोशल मीडिया पर अपने आदर्शों का प्रचार कर के, आप के आत्म-विश्वास पर ग़लत प्रभाव पड़ रहा है। तो मीडिया पर अपने दिखावे को कम कर के आप को फायदा होगा। सोशल मीडिया पर बिताए जाने वाले समय को कम करें या फिर पूरी तरह से बंद कर दें। सोशल मीडिया पेज को पूरी तरह से डिलीट कर दें।
    • यदि आप पूरी तरह से अपने फ़ेसबुक, ट्विटर या इंस्टाग्राम अकाउंट को पूरी तरह से बंद नहीं करना चाह रहे हैं, तो फिर अपने द्वारा हर रोज इन पेज पर बिताए जाने वाले समय को कम कर दें। उदाहरण के लिए, इसे हर दिन सिर्फ़ 10 मिनिट के लिए चेक करें या फिर एक हफ्ते में 30 मिनिट के लिए चेक करें, लेकिन उपयोग करते समय भी सावधानी बरतें। [९]
  2. कुछ फैशन मैगज़ीन, वास्तविक टेलीविजन शो वाले और म्यूज़िक आदि को अनदेखा करें। यदि आप खुद को निरंतर किसी मॉडल या एथलीट से तुलना करते हुए पाते हैं, तो उन सभी गेम, शो या मैगज़ीन से दूर रहें जो इन सब को फीचर करते हैं।
    • यहाँ तक कि मीडिया में हुआ ज़रा सा एक्सपोज़र भी आप के आत्म-विश्वास पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। [१०] इस से मनन और अवसाद के लक्षणों का जोखिम रहता है। [११]
  3. मीडिया में मौजूद आदर्श इमेज को हर बार अनदेखा नहीं किया जा सकता, तो सावधान रहें, यदि आप अपनी तुलना उन के साथ कर रहे हैं। इन देखने में परफ़ेक्ट लगने वाले लोगों की सच्चाई की ओर ध्यान दें।
    • जैसे, यदि आप किसी के उस के पति या पत्नी के साथ अच्छे रिश्तों के कारण जल रहे हैं, तो याद रखें कि ऐसा करना उस के लिए कितना कठिन रहा होगा। संवेदना, आप की जलन की भावना की जगह ले लेगी।
    • यदि आप किसी को ऐसे अच्छे शरीर, कार या ज़िंदगी के साथ देखते हैं, जो आप भी चाहते हैं, तो अपनी ओर से इन के जैसे बनने के लिए पहल करें और उन्हें लिखते जाएँ।
  4. अपने जीवन को समृद्ध बनाने के लिए तरीके खोजें और उन का उपयोग करें। शिक्षण संबंधी, जानकारी संबंधी या फिर प्रेरणादायी पेज फॉलो करें। यदि आप सफलता पाना चाहते हैं तो उद्यमियों के अकाउंट्स को फॉलो करें। यदि आप अच्छी शारीरिक रचना चाहते हैं, तो फिटनेस और अच्छे स्वास्थ्यवर्धक खानपान वाले पेज को फॉलो करें।

सलाह

  • खुद के बारे में सोचने से डरें नहीं। पहले अपनी सुरक्षा करें। यदि आप लोगों को खुश करने के लिए अपनी खुशी का ध्यान नहीं रखते हैं, तो लोगों को खुश करने वाला बनने से बचें , पढ़ें।
  • अधिकांश लोग खुद की तुलना अन्य लोगों से करते हैं, जो एक ग़लत आदत है। इसे बदलने में थोड़ा समय लगेगा। तो हारें नहीं।

चेतावनी

  • अन्य लोगों को भी आप की तुलना ना करने दें।
  • बहुत ज़्यादा चिंतन ना करें, यह आप के आत्म-सम्मान पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।

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रेफरेन्स

  1. Vogel, E., Rose, J., Roberts, L., & Eckles, K. (2014). Social comparison, social media, and self-esteem. Psychology of Popular Media Culture, 3(4), 206-222.
  2. Vogel, E., Rose, J., Roberts, L., & Eckles, K. (2014). Social comparison, social media, and self-esteem. Psychology of Popular Media Culture, 3(4), 206-222.
  3. http://journaltherapy.com/journaltherapy/journal-cafe-3/journal-course
  4. http://www.oprah.com/spirit/Martha-Beck-Whos-on-Top
  5. http://greatergood.berkeley.edu/article/item/tips_for_keeping_a_gratitude_journal
  6. http://jamesclear.com/quality-comparison
  7. http://www.prochange.com/transtheoretical-model-of-behavior-change
  8. https://www.sportpsych.org/nine-mental-skills-overview
  9. Turner, S., Hamilton, H., Jacobs, M., Angood, L., & Hovde Dwyer, D. (1997). The influence of fashion magazines on the body image satisfaction of college women: An exploratory analysis. Adolescence, 32(127), 603-614.
  1. Turner, S., Hamilton, H., Jacobs, M., Angood, L., & Hovde Dwyer, D. (1997). The influence of fashion magazines on the body image satisfaction of college women: An exploratory analysis. Adolescence, 32(127), 603-614.
  2. Feinstein, B., Hershenberg, R., Bhatia, V., Latack, J., Meuwly, N., & Davila, J. (2013). Negative social comparison on Facebook and depressive symptoms: Rumination as a mechanism. Psychology of Popular Media Culture, 2(3), 161-170.

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