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नर्वस होना न तो मज़ेदार होता है और न ही सरल। आपके दिल की धड़कन बढ़ सकती है, हथेलियों में पसीना या चिपचिपाहट हो सकती है, और आपको कंपकंपी हो सकती है तथा आपको लग सकता है जैसे कि आप नियंत्रण के बाहर हों। आपको स्वयं को शांत करने के लिए, केवल यह याद दिलाने की आवश्यकता है कि सभी लोग कभी न कभी परेशान होते ही हैं और अंततोगत्वा आपका ही अपने शरीर और मस्तिष्क पर नियंत्रण होता है। यदि आपके पास सही मनोभाव हों और स्वयं को शांत रखने की कुछ तकनीकें भी, तब आप इस घबराहट से जल्दी ही छुटकारा पा सकते हैं।

विधि 1
विधि 1 का 5:

क्या करें जब ज्यादा नर्वस हों

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  1. सांस लेने पर ध्यान दीजिये : कभी कभी, आपको थोड़ा शांत होने के लिए केवल अपनी आती-जाती सांस पर ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता होती है। आप जो भी कर रहे हों उसे करना रोक दीजिये, और गहरी सांसें लेने और छोडने पर ध्यान दीजिये, और जैसे कि लोग परेशान होने पर उथली सांसें लेते हैं, उसके स्थान पर स्वयं को सावधानी से लंबी सांसें लेने दीजिये। इस पर ध्यान केन्द्रित करने से आपको शीघ्रता पूर्वक शांत और केन्द्रित होने में सहायता मिल सकती है। [१]
    • अगर आप परेशान हैं तब आप एक और तरकीब जो अपना सकते हैं, वह है नाक से सांस अंदर लेना और धीरे धीरे मुंह से सांस छोडना। इसको दस बार करने से आप अधिक शांत और केन्द्रित महसूस करेंगे।
  2. हालांकि आप अपने भय और चिंताओं को तो सदा के लिए अनदेखा नहीं कर सकते हैं, और यदि आपको लगता है कि उनसे निबटने के लिए आप चिंता करने के सिवा और कुछ नहीं कर सकते हैं, तब शायद आप अपना ध्यान वहाँ से थोड़े समय के लिए हटाना चाहेंगे। ऐसा कुछ करिए, जिससे, आपके विचार से आपको अपनी परेशानियाँ भूलने में सहायता मिले और आप अधिक सहज महसूस कर सकें, जैसे कि: [२]
    • पढ़ना
    • नाचना
    • गाना
    • अपने फेवरिट टी वी शो में डूब जाना।
  3. कभी कभी आप इसलिए परेशान होते हैं क्योंकि या तो भावनायें आप पर बहुत हावी हो रही हैं या बस यूं ही नॉर्मली आप भाबुक हो रहे हैं। अंधेरे कमरे में जाने से आप अधिक शांत और नियंत्रण में हो जाते हैं – इसको आँखें बंद करने का एक बड़ा रूप ही समझिए। अगली बार जब आप परेशान हों, अनुमति लीजिये और दूसरे कमरे में चले जाइए जहां पर आप बत्तियाँ बंद कर सकें। स्थिर बैठ कर अपना ध्यान अपनी सांस पर केन्द्रित करिए और आपको लगने लगेगा कि आप का नियंत्रण स्वयं पर बढ़ गया है।
  4. यदि आप केवल संख्याओं पर ध्यान देंगे और किसी भी चीज़ पर नहीं, तथा धीमे धीमे एक के बाद एक अंक गिनते जाएँगे तब आप पाएंगे की आपकी सांसें सामान्य गति पर लौट आएंगी और आप थोड़ा शांत भी हो जाएँगे। यदि आप किसी सार्वजनिक स्थान पर हैं तब आप यह गिनती मन ही मन भी कर सकते हैं। यदि यह तरकीब काम नहीं करती है तब आप एक पर पहुँचने के बाद वापस एक से 50 तक गिन सकते हैं ताकि आपको शांत होने के लिए अधिक समय मिल सके। [३]
विधि 2
विधि 2 का 5:

परेशानी जनित ऊर्जा को व्यय करना

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  1. यदि आपकी आदत है कि आप अक्सर ही परेशान हो जाते हैं तब अपने साथ एक मसली जाने योग्य गेंद ले कर चलिये। जब भी आप परेशान हों, तब आप उसको धीरे से दबा सकते हैं और अपनी उस परेशानी जनित ऊर्जा को व्यय करने के लिए आप उसको मसलते रह सकते हैं। इससे आपको शांत होने में मदद मिलेगी और आपको महसूस होगा कि आपके पास एक ऐसी जगह है जहां पर आप अपना सारा तनाव निकाल सकते हैं। आप इस गेंद को अपनी मेज़ पर रख सकते हैं, अपने थैले में रख सकते हैं या यहाँ तक की अपनी जेब में भी रख सकते हैं। [४]
  2. अपने शरीर के एक एक भाग को बारी बारी से विश्रामावस्था में लाइये: अपने भौतिक शरीर को तनावरहित करने से आपको कम परेशानी महसूस होगी। बस शांत खड़े हो जाइए, आँखें बंद कर लीजिये, और तनाव को जाने देने से पहले, शरीर में उसको महसूस कीजिये। फिर जैसे जैसे आप अपनी बाँहों, पैरों, बदन, गर्दन, हाथों, तलुओं, पीठ, या किसी भी ऐसे भाग जहां आपको तनाव महसूस हो रहा हो, को विश्रामावस्था में लाते हुये, गहरी सांसें लीजिये। [५]
  3. केवल 10 मिनट की टहल आपकी मानसिक स्थिति को बहुत कुछ ठीक कर सकती है। अध्ययनों से पता चला है कि टहलने से आपके मस्तिष्क की वे तंत्रिका-कोशिकाएँ सक्रिय हो जाती हैं जिनसे चेतना को विश्राम मिलता है। [६] हालांकि आपको किसी भी कार्यक्रम से पहले कुछ शारीरिक गतिविधि करने में हिचकिचाहट हो सकती है, परंतु कार्यक्रम से एक घंटा पहले भी, 10 मिनट टहल लेने से आपको आराम मिलेगा।
  4. अध्ययनों ने दिखाया है कि व्यायाम न केवल आपको प्रसन्नचित्त करते हैं, बल्कि आपकी तंत्रिकाओं को शांत करने में भी सहायता करते हैं। शरीर को हिलाने डुलाने से आप कुछ परेशानी जनित ऊर्जा से छुटकारा पा सकते हैं और इसके कारण आप सारे दिन संतुलित रह सकते हैं। प्रतिदिन केवल 30 मिनट का व्यायाम भी आपके जीवन के प्रति दृष्टिकोण और आपके सामाजिक व्यवहार पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है। [७]
  5. प्रतिदिन केवल दस मिनट तक ध्यान लगाने की आदत आपकी तंत्रिकाऊँ को शांत करने और आपको कम उत्तेजनशील व्यक्ति बनने में सहायता कर सकती है। यह आपके शरीर और मस्तिष्क को शांत करने और अपने नियंत्रण में महसूस करने में सहायता कर सकता है। ध्यान लगाने के लिए आपको केवल इतना करना है कि, एक शांत स्थान ढूंढ लीजिये, बैठने का स्थान पा लीजिये, और अपने शरीर के एक एक भाग को, सांस को शरीर के अंदर आने और जाने के साथ, विश्राम की अवस्था में लाने का प्रयास करिए। शरीर को स्थिर रखने पर ध्यान केन्द्रित करिए और कोमलता से मस्तिष्क में आ रहे विचारों को वहाँ से हटा दीजिये। [८]
    • किसी तनावपूर्ण कार्यक्रम के ठीक पहले ध्यान करने से भी आपको शांत रहने में सहायता मिलती है।
विधि 3
विधि 3 का 5:

भविष्य की घटनाओं संबंधी परेशानी से निबटना

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  1. आप जिसके लिए भी परेशान हों, महसूस करिए कि आप उसके लिए तैयार हैं: यह आपके बॉयफ्रेंड से संबंध विच्छेद हो सकता है, कक्षा में प्रस्तुति हो सकती है, या नौकरी के लिए साक्षात्कार। अब तैयार होना एक बात है – पढ़ाई, अभ्यास, जो भी आपको कहना है वह भली भांति मालूम होना – परंतु जब आप कमरे में घुसें, तब विश्वस्त महसूस करना और आत्म विश्वास होना, बिलकुल दूसरी बात है। स्वयं को यह बताने का प्रयास करिए कि आपको पता है कि आपको करना क्या है, और आप उसको प्राप्त करने में सक्षम हैं। स्वयं को उस कठिन परिश्रम की याद दिलाइये जो आपने उस दिन के लिए किया है और यह भी, कि आप सफलता के पात्र हैं। [९]
  2. तैयार रहने की भावना महत्वपूर्ण है, मगर इसी प्रकार तैयार “रहना” भी। यदि आप परेशानी के स्तर को न्यूनतम पर रखना चाहते हैं, तब आपको महसूस करना होगा कि आप माहिर हैं। आप यह सोचते हुये वहाँ नहीं जा सकते हैं कि आप अपने नोट्स भूल गए हैं, आपको अपनी पंक्तियाँ याद नहीं हैं, या जो भी आपको अपने मित्र या बॉयफ्रेंड से कहना था, आप उसे भूल गए हैं। सुनिश्चित करिए कि आपको जो कहना है, आपने उसका अभ्यास किया हुआ हो और आपको उसकी पृष्ठभूमि की जानकारी हो ताकि आप किन्हीं भी प्रश्नों का उत्तर दे सकें, और यह लगे कि आपको मामले की पूरी समझ है न कि ऐसा कि आप किसी रटे रटाये भाषण का पाठ कर रहे हैं। [१०]
  3. किसी परिस्थिति के बारे में कम परेशान होने की अन्य विधि यह है कि आप वहाँ पहुँचने से पहले जितना हो सके उतना जान लीजिये। हालांकि आपका सामना एक न एक अप्रत्याशित घटना से तो सदैव ही होगा और आपको सदैव ही यह नहीं पता चल पाएगा कि अपेक्षित क्या है, परंतु आप घटना के संबंध में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करने का प्रयास कर सकते हैं ताकि आपको लगे कि स्थिति यथासंभव आपके नियंत्रण में है। ये ऐसी कुछ विधियाँ हैं जिनसे आपको यह जानने में सहायता मिल सकती है कि परेशानी कम होने के लिए आपको क्या अपेक्षा करनी चाहिए: [११]
    • यदि आप डेट पर जाने वाले हैं, तब यह जानने के लिए कि वह लगता कैसा है, वहाँ पर लोग कपड़े कैसे पहनते हैं, या ऐसी कोई भी चीज़ जिसकी जानकारी आपकी व्यग्रता को कम कर सके, स्थान को एक दिन पहले ही देख आइये। आप यह भी देख सकते हैं कि मेनू में क्या है ताकि जब आप आदेश दें तब आपको उसकी चिंता करने की आवश्यकता न हो।
    • यदि आपको किसी ऐसी जगह पर प्रस्तुति करनी है जहां पर आप पहले कभी नहीं गए हैं, तब देखिये कि क्या आप वहाँ कुछ दिन पहले जा सकते हैं ताकि आप स्थान की बनावट जान सकें। इससे आपको यह पता चल सकता है कि आपको चलने फिरने के लिए कितना स्थान उपलब्ध है, आप प्रस्तुति के लिए उपयुक्त सामग्री कहाँ रख सकते हैं और आपको अपनी आवाज़ को कितना ऊंचा उठाना होगा।
    • यदि आप अपनी किसी कक्षा में प्रस्तुति कर रहे हों, तब कक्षा के पहले या बाद में डेस्क्स के सामने खड़े हो कर यह महसूस करिए कि लगता कैसा है। आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि कक्षा को दूसरी ओर से देखने में कितना फर्क लगता है। आपको समझ में आयेगा कि आपके अध्यापक के लिए कितना कठिन होता होगा!
  4. अपनी परेशानियों को उचित परिप्रेक्ष्य में देखिये: यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि चाहे आप किसी बड़े टेस्ट में असफल ही क्यों न हो गए हों, कोई बहुत बड़ी बात नहीं है और उससे आपका जीवन सदैव के लिए नष्ट नहीं हो जाएगा। या आप अपने प्रियतम से कहीं बाहर चलने का प्रस्ताव करते हैं और वह ठुकरा देता या देती है, तब अंततोगत्वा आप इस दुख से उबर ही जाएँगे। किसी दोस्त के साथ बैठिए, डायरी में लिखिए या केवल बैठ कर उन सब चीजों के बारे में सोचिए जिनसे आपको डर लगता है। अपने डर से तर्क के आधार पर विजय पाने से आपको यह एहसास होगा कि परेशानी का तो कोई कारण है ही नहीं। स्वयं से पूछिये कि, “सबसे बुरा क्या हो सकता है?” यदि आप अस्वीकृत हो जाते हैं या किसी बड़े टेस्ट में असफल हो जाते हैं या आपकी प्रस्तुति गड़बड़ हो जाती है, तब यह तो विश्व का अंत नहीं है। अभी तो जीवन में अनेक अवसर बचे हुये हैं। इसका उपयोग ऐसे अनुभव की तरह करिए जिससे कुछ सीखा जा सकता है। [१२]
  5. आपने जीवन में जो भी पाया है उस पर ध्यान केन्द्रित करने से आपको यह आश्वस्त होने में सहायता मिलेगी कि आपको अच्छी चीज़ें मिलती रहेंगी। जब आप कक्षा में प्रस्तुति कर रहे हों, तब पिछली उन बातों के बारे में सोचिए, जब आपने बिना किसी हिचक के प्रस्तुतियाँ की थीं। यदि आपने अतीत में ऐसा कुछ नहीं किया हो, तब कुछ मित्रों अथवा परिजनों के सम्मुख अभ्यास करिए और जब वह महत्वपूर्ण दिन आए तब स्वयं को याद दिलाइये कि वह कितना आसान था। [१३]
    • यदि आपकी परेशानी डेट पर जाने के संबंध में है या किसी रूमानी परिस्थिति में पड़ने के बारे में है, तब सोचिए कि अतीत में उस व्यक्ति के साथ घूमने फिरने में आपको कितना आनंद आता था। साथ ही यह भी, कि परेशान होना कोई गलत बात नहीं है – जब आप किसी को चाहते हैं, तब तो यह एक प्राकृतिक प्रतिक्रिया है!
विधि 4
विधि 4 का 5:

सकारात्मक ढंग से सोचिए

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  1. सकारात्मक अभिपुष्टियाँ आपको जीवन को अधिक सकारात्मक प्रकाश में देखने में सहायता करती हैं और आने वाली घटनाओं से होने वाली परेशानी को कम करती हैं। केवल स्वयं के संबंध में सकारात्मक विचारों का लाना और उनको शब्दों में व्यक्त करना आपकी परेशानी कम करने में और आपको अधिक व्यावहारिक व्यक्ति बनने में सहायता कर सकता है। यह तब और भी उपयोगी हो जाता है जब आप कोई महत्वपूर्ण कार्य आरंभ करने वाले होते हैं या परेशानी शुरू होने के ठीक पहले। यदि आप इसका उपयोग प्रतिदिन करने की आदत डाल लेते हैं, तब आप अधिक शांत जीवन शैली व्यतीत करने लगेंगे। [१४]
    • इससे पहले कि आप कोई ऐसी चीज़ करें जिसके संबंध में आप परेशान हों, केवल इतना कहिए कि,”मैं तैयार हूँ और सुयोग्य भी। मैं बहुत बढ़िया काम करूंगा।“ या “मैं बहुत खूब कर पाऊँगा और चिंता की कोई बात नहीं है।“
  2. अपनी आँखें बंद करके उसकी कल्पना करने का प्रयास करिए जिसके कारण आप परेशान हैं। कल्पना में स्वयं को कमरे आते हुये, अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुये और आसपास के सब लोगों को सकारात्मक प्रतिक्रियाएँ देते हुये देखिये। कल्पना में स्वयं को शांत और और धैर्यपूर्ण देखिये। जब आप तैयार हों तब अपनी आँखें खोलिए, और स्वयं के द्वारा, इस छवि को, मूल्यवान स्मृति की तरह स्वीकार करने दीजिये। हालांकि यह थोड़ा मूर्खतापूर्ण लग सकता है, परंतु यह स्वयं को शांत करने के लिए “फुसलाने” हेतु बढ़िया तरीका है। [१५]
    • यदि आप किसी ऐसी चीज़ के बारे में परेशान हैं, जो आपको सुबह उठते ही करनी होती है, तब आपको सोने से ठीक पहले सकारात्मक मनोदर्शन का अभ्यास करना चाहिए, ताकि सफलता आपके मस्तिष्क में आने वाली अंतिम चीजों में से एक हो। [१६]
  3. अधिक विश्वस्त और सुरक्षित होने से आप आने वाली समस्याओं से कम परेशान होंगे। यदि आप विश्वास का प्रदर्शन करने के लिए कुछ प्रयास करेंगे, जैसे कि सीधे खड़े होना, नकारात्मक विचारों के स्थान पर सकारात्मक विचारों को ले आना और अपने निर्णयों के संबंध में अधिक निश्चित होना, तब इस प्रक्रिया से आप अधिक विश्वस्त और शांत महसूस करेंगे। [१७]
विधि 5
विधि 5 का 5:

अपनी भावनाओं का प्रदर्शन होने देना

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  1. कभी कभी उभड़ी हुई मनोभावनाओं को बाहर आने का अवसर देने से अच्छा कोई इलाज नहीं होता है। यदि आप बहुत तनाव महसूस कर रहे हों, तब फूट फूट कर रो लीजिये और इससे आपकी परेशानी कम हो जाएगी। जब आप रो चुकें, तब अपने आँसू पोंछिए, स्वयं को संयत करिए और जो भी आवश्यक हो वही करने लग जाइए। यदि आप वास्तव में तनाव में या परेशान हों, तब उन तीव्र या परेशान करने वाली भावनाओं से छुटकारा पाना वास्तव में आपके मन और शरीर को स्वच्छ कर सकता है और आपको दिन का सामना करने को तैयार कर सकता है।
  2. नियमित रूप से परेशान होते रहने से बचने के लिए एक और चीज़ जो आप कर सकते हैं, वह है डायरी लिखने की आदत डालना। आप अपने दैनिक जीवन के संबंध में लिख सकते हैं या केवल उन चीजों पर ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं जो आपको परेशान कर रही हों। यदि आप उन चीजों को लिख लेते हैं जिनके बारे में आप परेशान हो रहे हों, तब इससे आपको उन पर नियंत्रण और परिप्रेक्ष्य प्राप्त करने में सहायता मिलेगी तथा आप उन पर केवल भावनाओं के आधार पर विचार करने के स्थान पर तर्कसंगत रूप से विचार कर सकेंगे। यदि आप डायरी सप्ताह में कम से कम कई बार लिखेंगे, तब आप अधिक शांत और केन्द्रित रह पाएंगे। [१८]
    • परेशानी के कारणों के संबंध में और कैसे आप उस परेशानी पर विजय प्राप्त कर सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं, लिखना लाभकर हो सकता है।
  3. अपने चिकित्सक, परिजन, विश्वस्त मित्र या साथी से बात करिए। शायद वे आपकी परेशानी कम करने के संबंध में कुछ सुझाव दे सकें। यह भी बात है कि केवल अपनी समस्याओं के बारे में खुल जाने से आपको अच्छा लगेगा और आपके कुछ भय भी कम हो जाएँगे। सब कुछ अपने अंदर दबाये रखने के स्थान पर, अपनी भावनाओं के संबंध में ईमानदार रहते हुये, लोगों से बात करने का प्रयास करिए। [१९]


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