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खीरा या कुकुम्बर किसी पॉट में उगाना काफी मुश्किल होता है क्योंकि इसके लिए बहुत सारे वर्टीकल स्पेस की जरूरत होती है | लेकिन इसे पॉट में उगाया जा सकता है अगर, आप बेल वाली वैरायटी की बजाय झाड़ीनुमा वैरायटी सेलेक्ट करें तो या फिर एक कमरे में खूंटा (stake) या जाली (trellis) लगाकर खीर को फैलने दें | अच्छी तरह से सूखी हुई न्यूट्रीशनल मिट्टी का उपयोग करें और पॉट के उगाये गये खीरे को ग्रो कराने के लिए पूरे ग्रोइंग सीजन में इस मिट्टी को नम बनाये रखें |

विधि 1
विधि 1 का 3:

पॉट तैयार करें

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  1. कंटेनर के लिए एक झाड़ीनुमा वैरायटी के कुकुम्बर को चुनें: आमतौर पर, पॉट में उगाने के लिए कुकुम्बर की झाड़ीनुमा (bush) वैरायटी, वाइन या बेल वाली वैरायटी की तुलना में ज्यादा आसानी से ग्रो करती हैं | इस वैरायटी को सूट करते हुए ऐसे कंटेनर चुने जिनमे कुकुम्बर ग्रो करने के सबसे ज्यादा चांस हों | [१]
    • कुकुम्बर ग्रो कराने के लिए वेल-सूटेड वैरायटी वाले कंटेनर में शामिल हैं; सलाद बुश हाइब्रिड, बुश चैंपियन, स्पेसमास्टर, हाइब्रिड बुह क्रॉप, बेबी बुश पिकल और पॉटलक |
  2. कुकुम्बर उगाने के लिए ऐसे पॉट चुनें जो 25 सेंटीमीटर चौड़े हों: पॉट कम से कम 25 सेंटीमीटर चौड़ा होने के साथ ही इतना ही गहरा भी होना चाहिए | अगर आप एक सिंगल पॉट में एक से ज्यादा प्लांट्स उगाना चाहते हैं तो ऐसा कंटेनर चुनें जो कम से कम 50 सेंटीमीटर चौड़ा हो और 20 लीटर पानी होल्ड कर सकता हो | [२]
    • अगर कंटेनर को घर के बाहर रखना हो तो एक बड़े कंटेनर को चुनें | इसे नमी अच्छी तरह से बनी रहेगी | [३]
    • अगर आप कुकुम्बर को उगाने के लिए जाली (trellis) लगा रहे हों तो एक रेक्टंगुलर प्लान्टर बॉक्स का उपयोग भी कर सकते हैं |
  3. चूँकि कुकुम्बर में पानी बहुत लगता है इसलिए ठहरा हुआ पानी रूट्स क डैमेज कर सकता है | अगर हो सके तो एक ऐसा पॉट चुनें जिसमे पहले से ही एक ड्रेनेज होल हो | इसके लिए कंटेनर को बस थोडा सा पलटकर देखें कि इसके बॉटम में कोई होल है या नहीं | [४]
    • अगर पॉट में कोई ड्रेनेज होल न हो तो होल बनाने के लिए एक ड्रिल मशीन का उपयोग करें | सॉफ्ट, अनफिनिश्ड टेराकोटा या एक टाइल के लिए चिनाई (masonry) ड्रिल का उपयोग करें और ग्लेज्ड सरफेस के लिए ग्लास ड्रिल का उपयोग करें | इसके लिए 6.35 मिलीमीटर से 12.7 मिलीमीटर का होल बनायें | |
    • पॉट के बॉटम में आप जहाँ होल ड्रिल करना चाहते हों वहां पेंटर’स टेप लगायें | पेंटर्स टेप उस जगह हो स्थिर रखने में मदद करेगा | टेप को थोडा सा प्रेस करें और स्लो स्पीड में ड्रिल करें | पॉट में होल होने तक टेप लगे हुए एरिया पर धीरे-धीरे और एक समान लाइट प्रेशर लगाये | कम से कम एक होल और बनाने के लिए इस विधि को रिपीट करें |
    • अगर आप इस एरिया पर बहुत ज्यादा दबाव लगाते हैं या बहुत जल्दी ड्रिल करने की कोशिश करते हैं तो पॉट टूट सकता है | [५]
  4. पॉट को अच्छी तरह से गर्म पानी और साबुन से साफ़ करें: पॉट में बैक्टीरिया हो सकते हैं जो प्लांट को सडा सकते हैं | अगर इस पॉट का उपयोग किसी अन्य प्लांट के लिए कर चुके हैं तो इसमें इन्सेक्ट के एग्स छुपे हो सकते हैं जो हैच होंगे और कुकुम्बर पर अटैक कर सकते हैं |
    • इसे अच्छी तरह से किसी डिश ब्रश या रैग और साबुन के पानी से स्क्रब करें | इसे कई बार धोकर साफ़ करें जिससे साबुन का पानी पूरी तरह से निकल जाए |
  5. वाइन कुकुम्बर को ग्रो करने के लिए जाली या खूंटे की जरूरत होती है | हालाँकि बुश कुकुम्बर को खूंटे की जरूरत नहीं होती फिर भी इससे उन्हें लाभ मिलता है | खुद से खूटा बनाने के लिए 3 लम्बे खूंटे या बम्बू पोल्स लें | इन्हें टॉप पर एक साथ इकट्ठा करें और इन्हें एकसाथ एक रस्सी या धागे से बांध दें | खूंटे के बॉटम्स को फैलाएं जिससे एक टीपी शेप (शंकु आकार) बन सके |
    • एक टीपी शेप के मेटल स्टाकिंग सिस्टम लेने के बारे में विचार करें जो अधिकतर हार्डवेयर और गार्डन सप्लाई स्टोर्स पर मिलते हैं |
    • स्टाकिंग सिस्टम शुरू से ही कुकुम्बर को ऊपर चड़ने के लिए प्रेरित करता है |
    • पॉट में खूंटा अंदर की ओर फैलाकर रखें | खूंटे के पैर, पॉट के बॉटम से टच होना चाहिए | खूंटा भी बिना किसी अतिरिक्त सहारे के स्ट्रेट खड़ा होना चाहिए | अगर यह ढुलमुल या अस्थिर दिखाई दे तो खूटे के पैरों को एडजस्ट करें जिससे वे स्थिर हो पायें |
  6. अगर आप अपनी मिट्टी भरना चाहते हैं तो एक भाग सैंड, एक भाग कम्पोस्ट और एक भाग पीटमोस या कोको कॉयर को मिक्स करें | अन्यथा आप ग्रोइंग वेजिटेबल के लिए बनायीं गयी प्री-मिक्स्ड पॉटिंग सोइल चुन सकते हैं | [६]
    • इस पैक को पॉट में मिक्स करें और खूंटे के आस-पास सावधानीपूर्वक थपथपाएं | इसे बहुत ठोस न बनाएं क्योंकि कुकुम्बर प्लांट की रूट्स को ग्रो करने के लिए लूज़ मिट्टी की जरूरत होती है | मिट्टी की सरफेस और पॉट के ऊपरी घेरे के बीच कम से कम लगभग एक इंच (2.5 सेंटीमीटर) की जगह खाली छोड़ें |
    • खूंटे को चेक करें | इसे पॉट में चारों ओर धीरे-धीरे हिलाने की कोशिश करें | अगर इसे कई बार हिलाया जा चुका है तो खूंटे को स्थिर करने के लिए पॉट में पॉटिंग मिक्स ज्यादा डालना पड़ेगी |
    • लोकल गार्डन स्टोर पर पॉटिंग सोइल के लिए सामग्री और पॉटिंग सोइल मिक्स खोजें |
    • गार्डन सोइल या बगीचे की मिट्टी का उपयोग न करें क्योंकि ये बैक्टीरिया और नुकसान पहुंचाने वाले कीड़ों से संक्रमित हो सकती है |
  7. मिट्टी में अच्छे फ़र्टिलाइज़र मिलाकर मिट्टी के न्यूट्रीशन को बढायें: 5-10-5 फ़र्टिलाइज़र या एक 14-14-14 स्लो रिलीज़ फार्मूला का उपयोग करें | इसे लेबल पर दिए गये डायरेक्शन के अनुसार बताये गये अनुपात में मिट्टी में मिलाएं क्योंकि ब्रांड और टाइप के अनुसार फ़र्टिलाइज़र में विभिन्नताएं पाई जाती हैं | [७]
    • वैकल्पिक रूप से पॉटिंग सोइल का उपयोग करें जिसमे पहले से ही फ़र्टिलाइज़र मिले होते हैं |
    • फ़र्टिलाइज़र के बैग पर दिए गये नंबर्स इंडीकेट करते हैं कि उनमे कितनी नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटैशियम मिलाये गये हैं | इनमे से प्रत्येक पदार्थ पौधे के अलग-अलग भागों को पोषण देता है |
    • 5-10-5 फ़र्टिलाइज़र कुकुम्बर को माइल्ड डोज़ देता है जो वेजिटेबल की पैदावार को बढाने पर फोकस करता है | दूसरी ओर, 14-14-14 फ़र्टिलाइज़र प्लांट की हेल्थ में बैलेंस बनाये रखता है और कुकुम्बर को थोड़े हायर कंसंट्रेशन के साथ सुरक्षित बनाये रखता है |
    • एनवायरनमेंटली सेफ अल्टरनेटिव के तौर पर आर्गेनिक फ़र्टिलाइज़र चुनें |


विधि 2
विधि 2 का 3:

बीज और अंकुर प्लांट करें

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  1. मौसम 70 डिग्री फेरेंहाइट तक गर्म होने पर बीज बोयें: कुकुम्बर को बढ़ने के लिए जरुरी है कि मिट्टी का तापमान कम से कम 70 डिग्री फेरेंहाइट तक हो | कई जगहों पर, आप जुलाई में इसकी फसल उगाना शुरू कर सकते हैं और सितम्बर में हार्वेस्टिंग कर सकते हैं | अगर आप गर्म जगहों पर रहते हैं तो और जल्दी खेती शुरू कर सकते हैं | पिछली ठण्ड के मौसम के बाद से कम से कम 2 सप्ताह तक इंतज़ार करें | [८]
    • अगर आप घर के अंदर प्लांटिंग करना चाहते हैं तो आप कभी भी बीज बो सकते हैं |
  2. गहराई और चौड़ाई में लगभग एक समान गड्ढा बनायें | इसे बनाने के लिए आप एक पेंसिल के गोल सिरे या रिंग फिंगर का उपयोग कर सकते हैं | [९]
    • अगर आपके पास बड़ा प्लान्टर (बोने की मशीन) हो तो साइज़ और शेप के आधार पर एक रेक्टंगुलर प्लान्टर या सर्कुलर प्लान्टर के किनारों के चारों ओर एकसमान होल बनायें |
  3. जरूरत से ज्यादा बीज रोपें जिससे आपको गारंटी से सफलता मिले | इस तरह से कई सारे बीज प्लांट करने का मतलब है कि लगाते समय ये कम दिखाई दे सकते हैं लेकिन अंततः इनसे कई सारे प्लांट्स मिल सकते हैं | [१०]
    • कुकुम्बर के अंकुर कंटेनर से बाहर लटकते हुए या उसे थामे हुए नहीं होना चाहिए | कोको कॉयर या पीट जैसे आर्गेनिक कंटेनर वाले अंकुर चुनें और अंकुरों को बहुत ज्यादा कसकर पकडे बिना कंटेनर में रखी हुई मिट्टी में रोपें | रूट्स, आर्गेनिक कंटेनर के द्वारा ग्रो करेंगी |
  4. बीजों के ऊपर मिट्टी बुरकें | होल में मिट्टी को दबाएँ नहीं क्योंकि ऐसा करने से कई सारे बीज डैमेज हो सकते हैं | मिट्टी बुरकने के बाद इसे धीरे से थपथपा सकते हैं |
    • अगर आप अंकुरों का उपयोग कर रहे हैं तो कंटेनर के चारों ओर होल को भरें और ऊपर से थपथपाएं |
  5. एक प्लास्टिक कॉलर वाली पुरानी वाटर बोतल का उपयोग करें: अगर मौसम बहुत ठंडा हो तो हर पौधे के लिए कॉलर बनाकर पौधे को प्रोटेक्ट करें | बड़ी प्लास्टिक बोतलों के बॉटम और टॉप काटें | इन्हें गर्म पानी और साबुन से धोएं | इन्हें प्रत्येक अंकुरित पौधे के चारों ओर रखें | इन्हें जमीन में गाड़ें जिससे ये हवा में उड़े नहीं | [११]
    • ये कॉलर्स ठण्ड और गर्मी से प्रोटेक्शन देती हैं | ये कुछ कीटाणुओं से भी प्रोटेक्ट कर सकते हैं |
  6. इन्हें लगाने के बाद बीज और अंकुरों पर पानी डालें: बीज और अंकुरों में पानी डालने के बाद मिट्टी अच्छी तरह से गीली दिखाई देनी चाहिए | मिट्टी को बहुत ज्यादा गीला न करें क्योंकि पानी छलकने से बीज बिखर सकते हैं |
    • एक अच्छे स्प्रयेर का उपयोग करें जिससे बीज बिखरें नहीं |
  7. मिट्टी में पानी डालने के बाद इस पर पीट मोस या स्ट्रॉ बिखेरें: पीट मोस या मुल्च (गीली घास) की एक पतली लेयर को बीज या अंकुर और मिट्टी के ऊपर हलके से अप्लाई करें | मुल्च मिट्टी को जल्दी सूखने से बचाता है जिससे बीज और अंकुरों को ग्रो करने का मौका मिल सके |
  8. पॉट को ब्राइट लोकेशन में कम से कम 8 घंटे धूप में रखें: कुकुम्बर को गर्म कंडीशन की जरूरत होती है और एक्स्ट्रा धूप मिट्टी को अच्छा और गर्म बनाये रखेगी | 6 घंटे से ज्यादा की धूप और अधिक असरदार होगी | [१२]
    • अगर आप घर के अंदर कुकुम्बर उगा रहे हैं तो ऐसा कमरा चुनें जहाँ पर्याप्त धूप आती हो | अगर आपके घर में कोई धूप वाला कोना नहीं है तो आप ग्रो लाइट खरीद सकते हैं | इसे पौधे के ऊपर रखें और दिन में कम से कम 6 घंटे तक लगाये रखें |
    • पॉट को घर के पास किसी किनारे पर रखें या फेंस के पास रखें जिससे तेज़ हवा से होने वाले डैमेज को रोका जा सके | धीमी हवा तो ठीक है लेकिन तेज़ हवा डैमेज कर सकती हैं |


विधि 3
विधि 3 का 3:

कुकुम्बर की देखभाल करें

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  1. जब अंकुरों से दो जोड़ी छोटी कोपलें निकल आयें तब कुकुम्बर की छटाई करें: हर ग्रुप से दो सबसे लम्बे अंकुर बचाकर रखें | अन्य अंकुरों को मिट्टी की सतह पर काटकर गिरा दें | अन्य अंकुरों को झटके से खींचकर न निकालें क्योंकि ऐसा करने से मिट्टी डिस्टर्ब हो जाएगी और आपके द्वारा जमीन में छोड़े गये अंकुर डैमेज हो सकते हैं | [१३]
    • मिट्टी में से एक्स्ट्रा अंकुरों को झटके से खींचकर निकालने के लिए गार्डन कैंची का उपयोग करें |
  2. जब हर प्लांट 20 सेंटीमीटर से 25.4 सेंटीमीटर लम्बा हो जाये तब प्रत्येक होल से एक प्लांट थिन करें: इसमें सबसे ज्यादा पत्तियां होनी चाहिए और यह सबसे ज्यादा हेल्थी दिखाई देना चाहिए | अन्य प्लांट्स को मिट्टी में काटकर नीचे गिरा दें |
    • अब आपके द्वारा पॉट में बनाये गये हर ग्रुप में एक ग्रोइंग प्लांट होगा | कुछ केसेस में, अगर आप एक छोटे कंटेनर का उपयोग कर रहे हैं तो आपके पास केवल एक प्लांट रहेगा |
  3. अगर मिट्टी की सतह सूखी दिखाई दे तो फिर से पानी डालें: परिपक्व पौधे में पर्याप्त पानी डालें जिससे थोडा ज्यादा पानी पॉट के बॉटम में बने ड्रेनेज होल से निकल जाए | मिट्टी को सूखने न दें क्योंकि सूखी मिट्टी ग्रोथ रोक देगी जिससे फसल कड़वी हो जाएगी | [१४]
    • मिट्टी चेक करने के लिए, अपनी फिंगर उसमे डालें | अगर फिंगर ड्राई हो तो मिट्टी में पानी डालें |
    • पॉट को ऊपर उठाकर इसके वज़न चेक करें | पॉट जितना भारी होगा, मिट्टी पानी से उतनी ही ज्यादा गीली होगी | पानी डालते समय दिन में कई बार पॉट को उठाकर चेक करें कि पॉट कितना भारी या हल्का है |
    • प्लांट के आस-पास घास डालने से ज्यादा पानी रोककर रखने में मदद मिलती है |
    • अगर आपका एरिया विशेषरूप से सूखा और गर्म हो तो दिन में दो बार पानी डालने की जरूरत हो सकती है | [१५]
  4. सप्ताह में एक बार बैलेंस्ड फ़र्टिलाइज़र मिलाएं: फ़र्टिलाइज़र मिलाने से पहले मिट्टी को गीली कर लें | सूखी मिट्टी में फ़र्टिलाइज़र मिलाने से मुश्किल खड़ी हो सकती है | पानी में घुलनशील फ़र्टिलाइज़र का उपयोग करें और लेबल पर दिए गये डायरेक्शन के अनुसार उपयोग करें | ब्रांड और टाइप के आधार पर फ़र्टिलाइज़र अलग-अलग तरह से काम करते हैं इसलिए हमेशा पहले लेबल पढ़ें | [१६]
    • 5-10-5 या 14-14- फ़र्टिलाइज़र लें |
  5. नीम ऑइल या अन्य आर्गेनिक पेस्टिसाइड से बगीचे के कीड़े नष्ट करें: एफिड्स, पिक्सेल वर्म, घुन और कुकुम्बर बीटल, ये सभी कुकुम्बर के पौधे को टार्गेट करते हैं | आप नीम ऑइल से खुद अपना आर्गेनिक पेस्टिसाइड बना सकते हैं:
    • नीम ऑइल से स्प्रे बनाने के लिए, 1 से 1.5 कप पानी में कुछ बूँद डिशवाशिंग सोप और लगभग 10-20 बूँद नीम ऑइल मिलाएं | [१७]
    • कुकुम्बर बीटल्स जैसे कीड़ों को हटाने के लिए आपको पेट्रोलियम जेली में कवर्ड ग्लव्स हाथों में पहनकर उन्हें हाथ से उठाकर हटाना चाहिए | इन्हें एक साबुन वाले पानी से से भरी बाल्टी में डालते जाना चाहिए |
    • प्लांट के सकिंग इंसेक्ट्स को हटाने के पर्पस से बनाये गये बग वैक्यूम का उपयोग भी किया जा सकता है | [१८]
  6. फंगल और बैक्टीरियल विल्ट बहुत कॉमन होती है | कई एंटी-फंगल प्रोडक्ट्स प्लांट्स की फंगस को हटा देते हैं लेकिन बैक्टीरियल डिजीज को ख़त्म करना बहुत मुश्किल होता है | अगर प्लांट में बैक्टीरियल विल्ट डेवलप हो जाती है जो अधिकतर कुकुम्बर बीटल के द्वारा होती है तो प्लांट मर जाते हैं | फंगल इन्फेक्शन अधिकतर पत्तियों पर सफ़ेद और पाउडर जैसे पदार्थ के द्वारा पहचाने जा सकते हैं | [१९]
    • बैक्टीरियल विल्ट आमतौर पर पत्तियों के मुरझाने के साथ दिन में शुरू होती है और रात में रिकवरी हो जाती है | अंत में, पत्तियां पीली हो जाती हैं और मर जाती हैं |
    • एंटी-फंगल स्प्रे बनाने के लिए, एक बड़ी चम्मच (14 ग्राम) बेकिंग सोडा को 3.7 लीटर पानी में मिलायें | थोडा सा डिशवाशिंग लिक्विड मिलाएं और इसे हिलाएं | अगर आपको प्लांट में पत्तियों पर कोई सफ़ेद, पाउडर जैसी फंगस दिखाई दे तो सप्ताह में एक बार इसे स्प्रे करें | [२०]
  7. प्लांटिंग के लगभग 55 दिन बाद कुकुम्बर को हार्वेस्ट करें: बड़े कुकुम्बर ज्यादा कड़वे होते हैं इसलिए कुकुम्बर को तभी हार्वेस्ट कर लें जब ये छोटे हों | खीरे से लगभग ½ इंच (1.27 सेंटीमीटर) ऊपर तने को काटें | अगर कुकुम्बर पीला होने लगे तो संभवतः ये खाने के लिए बहुत ज्यादा पक चुका होता है | [२१]
    • अधिकतर कुकुम्बर प्लांटिंग के 55 से 70 दिन बाद हार्वेस्टिंग के लिए तैयार होते हैं |

सलाह

  • अगर आप मौसम से पहले ही कुकुम्बर उगाना शुरू करना चाहते हैं तो पहले इन्हें घर के अंदर एक आर्गेनिक प्लांटेबल पॉट में लगायें और इसके बाद गर्मी होने पर बाहर लगायें |
  • कुकुम्बर को बहुत सारे पानी की जरूरत होती है इसलिए पूरे ग्रोइंग सीजन में इसे नम बनाये रखें | [२२]

चेतावनी

  • कुकुम्बर पर पेस्टिसाइड सावधानीपूर्वक स्प्रे करें | कई केमिकल पेस्टिसाइड कंज्यूम करने पर हानिकारक साबित हो सकते हैं और ऐसे पेस्टिसाइड वाले प्लांट से ही आप कुकुम्बर खायेंगे | पौधे पर केमिकल अप्लाई करने से पहले लेबल चेक कर लें | कंज्यूम करने से पहले फसल धो लें जिससे इनमे से बचे हुए केमिकल, मिट्टी और बैक्टीरिया को हटाया जा सके |

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