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ध्यान लगाना आपके लिए एक अजीब सी निराशा हो सकती है। तनाव को दूर करने और आपकी तंत्रिकाओं को काबू में रखने वाला यह अभ्यास आपको क्यों भ्रम में डाल रहा है या फिर अापको क्या करना चाहिए? ध्यान करने के लिए क्या है? गहराई से ध्यान कैसे लगाया जाये? ऐसे और भी बहुत सारे प्रश्न आपके मन में होंगे। इन प्रश्नों का एक संभावित उत्तर यह भी हो सकता है: शांत दिमाग और बैठने की सही तकनीक अपनाकर आप ध्यान की गहराई में उतर सकते हैं। इस लेख में हम आपकी इन सभी जिज्ञासाओं पर प्रकाश डाल रहे हैं।

विधि 1
विधि 1 का 4:

शांत जगह ढूंढें

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  1. घर का ऐसा कमरा जिसमें दरवाजे तथा खिड़कियाँ हों और बच्चों तथा गाड़ियों के शोर-शराबे से दूर हो, आपके लिए बेतहर पंसद हो सकता है।
  2. अच्छे बैठने के साधन का मतलब यह नहीं कि ये आरामदायक हों और आप इस पर बैठ कर सो जायेंं। बल्कि ऐसे साधन का चुनाव करें जिस पर आप आराम से 20 से 30 मिनट बैठ सकें।
  3. बैठने के स्थान पर हल्का प्राकृतिक प्रकाश सुनिश्चित करें: हल्का सफेद या पीला प्रकाश आपके दिमाग को आराम देने में मदद करता है, इसलिए फ्लुरोसेंट (fluorescent) प्रकाश की तुलना में लैंप अथवा मोमबत्ती ज्यादा अच्छा विकल्प होगी।
  4. ऐसा समय चुनें जब आप अन्य दैनिक कार्यों से दूर रहें: बेहतर होगा यदि ध्यान के लिए आप सुबह-सुबह या शाम का समय चुनें जब बच्चे सो रहें हों तथा फोन की घंटी भी आपको परेशान न करे।
विधि 2
विधि 2 का 4:

ध्यान लगाने का अभ्यास

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  1. आराम की स्थिति में बिना हिले-ढुले लगभग 20 से 30 मिनट बैठें।
    • देर तक बैठने से पहले अपनी कमर को कुछ खिंचाव दें: अपनी कमर को बैठे-बैठे दायें तथा बायें झुकायें। कुछ हल्का-फुल्का व्यायाम या आसन करें जिससे आपकी टेंशन कम हो और आप आराम से ध्यान लगा सकें।
    • कंधों को आराम दें: सांस लेते हुए कंधों को अपने कान की ऊँचाई तक ऊपर लेकर जायें फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए वापिस नीचे लायें। अपनी कमर को बिल्कुल सीधा रखें। हाथ अपनी गोद में रखें। जैजेन (Zazen) मैडिटेशन के अनुसार ध्यान लगाते समय अापका बांया हाथ आपके दांये हाथ में तथा हथेली ऊपर की तरफ और बांये हाथ का अंगूठा दांये हाथ के अंगूठे के ऊपर इस तरह होना चाहिए जैसे की आप एक अंडे को गोद में उठा झूला झुला रहे हों। इस मुद्रा में एक वृत्त बनना चाहिए और आपको इनफिनिटी (infinity) और साथ-साथ में बेहोशी या निद्रा का आभास होना चाहिए। आपके शरीर के गैर सक्रिय (non-dominant) रूप को आगे आना चाहिये।
  2. आँखें बंद कर खाली दीवार की ओर ध्यान केंद्रित करें: कुछ ध्यान लगाने वाले साधकों को आँखें खोलकर ध्यान लगाने में कठिनाई होती है जबकि कुछ को आँखें बंद कर क्योंकि झपकी अाने पर वे निद्रा की स्थिति में चले जाते हैं। [१]
    • सक्रियता से शून्य अथवा जहाँ कुछ नहीं है वहाँ ध्यान लगाने की कोशिश करें: एकटक नजर लगाए खाली दीवार की तरफ दीवार के अंदर देखने का प्रयत्न करें। जब जरुरत हो तो पलक झपकायें।
  3. अधिकांश ध्यान सही तरीके से शांत बैठने और संतुलित तरीके से सांस लेने से अधिक कुछ नहीं है। हाँलांकि इसी सादगी में अंनत कठिनाई छुपी हुई है क्याेंकि बिना ध्यान भटकाये कुछ पल भी बैठना अपने आप में एक चुनौती है। इसके लिए एक आसान तरीका यह है कि 10 से उल्टी गिनती गिनना शुरु करें। अपना ध्यान गिनती की ओर लगायें और अपने दिमाग को शांत अवस्था में जाने दें। यदि आपके पास समुचित समय है तो यह अभ्यास बहुत कारगर है और आप इसके लिए उल्टी गिनती 50 या 100 से भी शुरु कर सकते हैं।
    • 8 से 10 सेकेंड लंबी गहरी सांस लें, इसे 2 से 4 सेकेंड रोकें और अब इसे पुनः 8 से 10 तक गिनते हुए छोड़ें। इस पूरी प्रक्रिया को लगभग 2 मिनट तक दोहरायें।
    • सांस लेने और छोड़ने को एहसास करें तथा बंद आँखों से इसे देखने का प्रयास करें। अपने शरीर में ऑक्सीजन (हवा) के भरने की कल्पना करें और ऐसा एहसास करें कि रक्त के माध्यम से ये आपके पूरे शरीर में ऊर्जा उत्पन्न कर रही है।
विधि 3
विधि 3 का 4:

एकाग्रता बनाये रखना

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  1. ध्यान लगाना अपने आप में एक कला है और इसे शुरु करते समय सबसे मुश्किल बात यह होती है कि क्या करें। आप शांत अवस्था में बैठे हैं और सांस ले तथा छोड़ रहे हैं....इसके बाद क्या? जी नहीं यह यहीं खत्म नहीं होता है। जैसे-जैसे आप ध्यान लगाने का अभ्यास करेंगे, आप अपने दिमाग से आते और जाते हुए विचारों को आभास करने लगेंगे। हो सकता है कि इस दौरान आपको ऐसा लगे कि आपने अपने बच्चों को गोद में उठाया हुआ है, या फिर आप डिनर के लिए जा रहें हैं या फिर आप अपने थकावट भरे पलों में कुछ सुस्ता रहें हैं। बजाये इसके कि आप इन विचारों को अनावश्यक रूप से पहचानने की कोशिश करें, बेहतर होगा कि आप इन्हें अपने शरीर में प्रवेश करने दें। ऐसा एहसास करें जैसे कि कोई मछली तालाब में तैर रही हो। इन विचारों को अपने दिमाग से आते और जाते हुए देखने की कोशिश करें। [२]
    • ऐसा करने से आप शांत महसूस करेंगे और अपने अंहकार से दूर रहेंगे। यह आपको आपके "मैं" से भी दूरी बनाने में मदद करेगा। अपने विचारों को मन में घूमने दें और अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें। गहरी लंबी सांस लें और इसे छोड़ें।
  2. विचार की तुलना में जागरुक होना आपको अधिक ऊर्जा देता है। इसका वर्णन करना या इसे अनुभव करना अपने आप में एक चुनौती है। यही कारण है कि ध्यान एक अभ्यास है और इसलिए जैजेन (zazen) इसे "जस्ट सिटिंग (just sitting)" अर्थात् सिर्फ बैठना बताता है। ध्यान गुरु और जे़न भिक्षु (zen monks) क्या करते हैं? वो सिर्फ एक मुद्रा में बैठते हैं।
    • अपने आसपास और अपनी जिंदगी को मन में बहते हुए विचारों में ढूंढने की कोशिश करें। पंरतु इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपने मन को अपनी "जागरुकता" के पूर्वचिंतित संस्करण (pre-conceived version) की ओर खीचें। जैसे-जैसे आप ध्यान का अभ्यास करेंगे, यह स्वाभाविक रूप से खुद होने लगेगा और हो सकता है कि शुरु में आप इससे विचलित भी हों।
  3. गहराई से सांस लें और सांस को नियंत्रित करने की कोशिश करें। सांसों के द्वारा ध्यान को केंद्रित तथा सक्रिय करने में सहायता मिलती है। ध्यान करते समय जब मन अस्थिर हो तो उस समय सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया को देखने की कोशिश करें तथा इसका एहसास करें, आपका मन स्थिर हो जायेगा और ध्यान लगने लगेगा। ध्यान करते समय गहरी सांस लेकर धीरे-धीरे सांस छोड़ने की क्रिया से जहाँ शरीर और मन को लाभ मिलता है, वहीं ध्यान में गति मिलती है।
    • हमारा मन भी इसी तरह काम कर सकता है। अपने विचारों को देखते हुए आपके मन में भी ख्याल आ सकता है: "जरा रुको, कौन है जो विचारों को देख रहा है?" अापके मन के साथ विचारों का टकराव भी हो सकता है। ऐसे में अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें अौर जो हो रहा है उसे ऐसे ही होने दें।
  4. अपने मन में आने वाले विचारों से अपने आप को अलग करके, अपने मन को, अपने तन को तथा अपनी सांसों को अनुमति देकर आप अपने स्वभाव को अपने नियंत्रण से मुक्त कर रहे हैं। आप खुद को अपने अहम से दूर कर रहें हैं तथा सीख रहे हैं कि कैसे अपने स्वभाव को गले लगायें और कैसे खुद से सच्चा प्यार करें।
विधि 4
विधि 4 का 4:

ध्यान के अंत में

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  1. अपने आप को ढीला छोड़ें और स्वाभाविक स्थिति में वापिस आयें। मन की गहराइयों से बाहर आयें और देखें कि आप पुनः जमीन अथवा कुर्सी पर बैठे हैं।
  2. कुछ देर शांत बैठें और उन पलों, उस शांति को तथा उस मौन को धन्यवाद कहें जिसने आपका ध्यान लगाने में साथ दिया: थोड़े से सकारात्मक विचार आपके पूरे दिन को ऊर्जावान बना सकते हैं।
  3. अपने बनाये हुए टाइम टेबल का पालन करें। धीरे-धीरे यह आपको सहज लगने लगेगा।

चीजें जिनकी आपको आवश्यकता होगी

  • शांत स्थान
  • कुर्सी/जमीन पर बिछाने की चटाई अथवा दरी
  • लैंप/मोमबत्ती
  • समुचित हवा तथा प्रकाश की व्यवस्था

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