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ग्राफिक इक्वेलाइज़र (graphic equalizer), जिसे ज़्यादातर EQ के नाम से जाना जाता है, इसे किसी इन्स्ट्रुमेंट या ऑडियो ट्रेक में वोकल्स की तरह किसी सिलेक्ट किए साउंड के फ़्रीक्वेन्सी रिस्पोंस को चेंज करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसे बास (bass) को बढ़ाने, ट्रेबल (या टोन्स) को कम करने, सेक्सोफोन को हाइलाइट करने या फिर बस साउंड को बेहतर बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है। जैसे ही आपको आपके EQ मॉडल के बेसिक ऑपरेशन की समझ मिल जाए, फिर आप सिम्पल ऑडियो एडजस्टमेंट्स के लिए इसे इस्तेमाल कर सकते हैं, फिर और भी डिटेल में ऑडियो फ़ाइन-ट्यूनिंग करना शुरू कर सकते हैं।

विधि 1
विधि 1 का 3:

अपने EQ को समझना (Familiarizing Yourself with Your EQ)

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  1. अपने EQ की फ़्रीक्वेन्सी रेंज और कंट्रोल पॉइंट्स की पहचान करें: ज़्यादातर EQ साउंड वेव फ़्रीक्वेन्सी की एक ऐसी रेंज को कवर करते हैं, जो कि 20 hertz (Hz) लो एंड पर और 20 किलोहर्ट्ज (kHz) हाइ एंड पर इंसान के कानों के द्वारा सुनी जा सकती हैं। आपके EQ पर उसके लेफ्ट साइड पर शायद 20 Hz मार्क किया होगा और दाएँ तरफ 20 kHz मार्क किया होगा। [१]
    • एंड पॉइंट्स के बीच में, एक एनालॉग EQ पर वर्टिकली-ओरिएंटेड़ (ऊपर-और-नीचे) एडजस्टमेंट्स स्लाइडर की एक सीरीज मौजूद होगी। एक डिजिटल EQ पर हॉरिजॉन्टल लाइन के साथ में स्पेस किए हुए मार्क किए पॉइंट्स की एक सीरीज मौजूद होगी।
    • ये स्लाइडर्स या कंट्रोल पॉइंट्स अक्सर 30 Hz, 100 Hz, 1 kHz, 10 kHz, और 20 kHz पर सेट होते हैं। कुछ मॉडल आपको इन कंट्रोल पॉइंट सेटिंग्स को भी बदलने देते हैं, जबकि दूसरे पर ये इन्हीं फ़्रीक्वेन्सी पर फिक्स किए होते हैं।
  2. फ़्रीक्वेन्सी को बढ़ाने के लिए ऊपर की तरफ “बूस्ट” करें और इसे कम करने के लिए नीचे की ओर “कट” करें: एक एनालॉग EQ के साथ, स्लाइडर को हॉरिजॉन्टल लाइन के ऊपर की ओर धकेलने से उस फ़्रीक्वेन्सी रेंज के अंदर साउंड “चालू हो जाएगा”—इसे बूस्टिंग कहा जाता है। नीचे की ओर स्लाइड करना, साउंड को उसी फ़्रीक्वेन्सी रेंज में “कम कर देता है,” जिसे कटिंग की तरह जाना जाता है। [२]
    • एक डिजिटल EQ के साथ, आप आमतौर पर एक कंट्रोल पॉइंट पर क्लिक करते और बूस्ट करने के लिए ऊपर या कट करने के लिए नीचे ड्रैग करते हैं।
    • जैसे, अगर आप ऑडियो को 100 Hz फ़्रीक्वेन्सी रेंज पर बूस्ट करना चाहते हैं, तो आप या तो100 Hz स्लाइडर को ऊपर की तरफ (एनालॉग) दबाएँगे या फिर उसे क्लिक करके और ऊपर की ओर ड्रैग (डिजिटल) करेंगे। या, 1 kHz फ़्रीक्वेन्सी रेंज को कट करने के लिए, आप हॉरिजॉन्टल लाइन के नीचे स्लाइड या क्लिक और ड्रैग करेंगे।
  3. लो/हाइ पास फिल्टर्स और क्यू-रेंज के जैसे बाकी के दूसरे फीचर्स को भी चेक करें: EQ के कई सारे अलग-अलग, डिजिटल और एनालॉग मॉडल उपलब्ध हैं, जिन्हें इस्तेमाल करने के बारे में समझ पाना मुश्किल होता है। अपने यूजर मैनुअल के ऊपर भरोसा करें या फिर खास सलाह के लिए डिवाइस मैनुफेक्चरर (या एप डेवलपर) को कांटैक्ट करें। जैसे, आपके EQ पर शायद ये फीचर्स हो सकते हैं: [३]
    • एक लो पास फिल्टर (low pass filter) और हाइ पास फिल्टर (high pass filter): लो पास फिल्टर एक खास पॉइंट के नीचे की सभी फ़्रीक्वेन्सी को “पास होने” देता है और उस पॉइंट के ऊपर की सभी फ़्रीक्वेन्सी को ब्लॉक करता है। एक हाइ पास फिल्टर इसका ठीक उल्टा करता है। जैसे, आप एक लो पास फिल्टर का इस्तेमाल करके 10 kHz के ऊपर की सभी फ़्रीक्वेन्सी को ब्लॉक कर सकते हैं।
    • Q-रेंज एडजस्टमेंट्स: जब आप किसी खास फ़्रीक्वेन्सी को बूस्ट या कट करते हैं, तब ये आसपास की फ़्रीक्वेन्सी को भी एक हद में प्रभावित करता है—जैसे, 100 Hz बूस्ट करना, 75 Hz और 125 Hz को भी थोड़ी मात्रा में बूस्ट करेगा। क्यू-रेंज को कम करना, अपने आसपास के प्रभाव को भी कम करता है, जबकि बढ़ाने से ये भी बढ़ता है।
विधि 2
विधि 2 का 3:

अपने म्यूजिक और सुनने के एनवायरनमेंट के लिए एडजस्ट करना (Adjusting for Your Music and Listening Environment)

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  1. आपके द्वारा सुने जाने वाले ऑडियो के टाइप में EQ प्रीसेट (EQ presets) के लिए की जांच करें: कई स्टीरियो, टीवी, ऑडियो प्लेयर्स और डिजिटल EQ केपेबिलिटीज़ वाली दूसरी डिवाइस म्यूजिक या ऑडियो जॉनर के आधार पर पहले से तय किए कुछ ऑडियो एडजस्टमेंट्स के कुछ सेट के साथ में आया करते हैं। जैसे, आपके स्टीरियो या म्यूजिक एप शायद “रॉक (rock),” “जैज़ (jazz),” “क्लासिकल (classical)” और भी इसी तरह के प्रीसेट के साथ में आ सकता है। [४]
    • एक प्रीसेट को सिलेक्ट करके, काफी सारे फ़्रीक्वेन्सी कंट्रोल पॉइंट्स एक ऐसे लेवल तक “बूस्ट” या “कट” किए जाएंगे, जिन्हें किसी खास टाइप की म्यूजिक या ऑडियो के लिए आइडियल समझा जाएगा।
    • प्रीसेट आपके हैडफोन, ईयरबड्स या स्पीकर्स से आने वाले ऑडियो के साउंड को जल्दी से बेहतर बनाने का एक रास्ता दे देते हैं।
    • एनालॉग EQ में आमतौर पर कोई प्रीसेट नहीं रहता है, ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें स्लाइडर को आपको मैनुअली एडजस्ट करना होता है।
  2. EQ एडजस्टमेंट्स करते समय अपने खुद के कानों पर भरोसा करें: प्रीसेट हमेशा ही परफेक्ट नहीं होते हैं और इन्हें एक स्टार्टिंग पॉइंट की तरह माना जाना चाहिए। म्यूजिक साउंड को “परफेक्ट” बनाने के कई सारे फेक्टर्स हैं—जिसमें सबसे ऊपर अपने पर्सनल चॉइस के साथ—आपको हमेशा कुछ मौजूदा प्रीसेट्स में अपने हिसाब से बदलाव करते रहना चाहिए। [५]
    • EQ एडजस्टमेंट्स के लिए आखिरी लक्ष्य यही होता है कि आप साउंड के ऑडियो को अपने कानों के लिए जहां तक हो सके, उतना परफेक्ट बना पाएँ—इसलिए इन पर भरोसा करें! अगर आपके कानों को लगता है कि बास को थोड़ा सा और बूस्ट किया जाना चाहिए, तो लोअर फ़्रीक्वेन्सी को एडजस्ट करें, फिर चाहे प्रीसेट में इसके लिए चाहे जो भी कुछ क्यों न इंडिकेट किया गया हो।
  3. जब भी इक्विपमेंट या कंडीशन में बदलाव आए, तब अपनी EQ सेटिंग्स को बदलें: भले ही पर्सनल प्रेफरेंस अपने लिए सही ऑडियो की तलाश करने का सबसे पहला फ़ैक्टर है, लेकिन इसी काम में मदद करने वाले और भी कई सारे दूसरे फ़ैक्टर्स भी उपलब्ध हैं। इनमें ये शामिल हैं—लेकिन केवल यहीं तक सीमित नहीं है—आपके ऑडियो इक्विपमेंट की क्वालिटी, कमरे का साइज और शेप या आप जहां हैं, वहाँ की स्पेस, एट्मोस्फ़ेरिक कंडीशन और आसपास की आवाज भी शामिल है। [६]
    • जैसे, आप ऐसा पा सकते हैं कि आपके कमरे में बाया कार्पेट और काउच को रखने से आपके होम स्टीरियो पर "जेज़" के प्रीसेट को प्रभावित कर रहा है। हो सकता है कि साउंड को एक बार फिर से पहले जैसा पाने के लिए आपको उसमें थोड़ी-बहुत चेंजेज़ करने की जरूरत पड़े।
  4. आपको जो चाहिए, उसे बूस्ट करने की बजाय, जो नहीं चाहिए, उसे कट कर दें: अगर आप आपके फेवरिट रॉक एल्बम के लिए बास को थोड़ा ज्यादा बढ़ाना चाहते हैं, तो आपके मन में सबसे पहले लोअर-एंड (जैसे कि, 100 Hz) सेटिंग्स को बूस्ट करने का ख्याल आएगा। हालांकि, आमतौर पर आपको बाकी की दूसरी सेटिंग्स को कट करके और 100 Hz सेटिंग को न्यूट्रल पोजीशन पर छोड़कर बेहतर रिजल्ट्स मिल जाएंगे। [७]
    • बूस्ट करने की वजह से ऑडियो में डिस्टॉर्शन एड होने की संभावना ज्यादा रहती है, खासतौर से अगर आप किसी एक ही फ़्रीक्वेन्सी रेंज को एक काफी बड़ी मात्रा में चेंज कर देंगे। कटिंग से डिस्टॉर्शन की समस्या का खतरा ज्यादा नहीं रहेगा।
    • इसलिए, बास को 100 Hz पर बढ़ाने के लिए, इसे न्यूट्रल छोड़ दें (या बस थोड़ा सा बूस्ट करें), और सब-बास को 30 Hz पर कट करें और मिड-रेंज को 1 kHz पर करें।
  5. देखें अगर कोई पर्सनलाइज EQ एप आपके लिए कोई आसान सा हल दे सकता हो: अपनी EQ सेटिंग्स को फ़ाइन ट्यून करना, अपने माहौल के लिए बेस्ट ऑडियो साउंड पाने का सबसे अच्छा तरीका होता है। हालांकि, जल्दी में, आपको शायद एक ऐसे स्मार्टफोन एप का इस्तेमाल करना होगा, जो “सीख” सके कि अपक्य और कैसे सुनते हैं और फिर उसी बेसिस पर आपके लिए एडजस्टमेंट्स कर सके। [८]
    • ये एप आमतौर पर आपको पहले एक छोटा सा “सुनने का टेस्ट (hearing test)” देकर अलग-अलग फ़्रीक्वेन्सी रेंज के लिए आपकी पसंद का पता लगाते हैं। ये फिर एक कस्टम-मेड प्रीसेट्स बना लेते हैं, जो ऑडियो के टाइप और बाकी के दूसरे फ़ैक्टर्स के चलते उसे ऑटोमेटिकली चेंज कर देंगे।
    • अगर आप चाहते हैं कि जब भी आप ईयरबड्स लगाएँ, तब आपका म्यूजिक “मधुर लगे,” तो फिर ये आपके लिए सबसे अच्छा ऑप्शन रहेगा।
विधि 3
विधि 3 का 3:

अलग-अलग इन्स्ट्रूमेंट्स या वोकल्स को हाइलाइट करना (Highlighting Different Instruments or Vocals)

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  1. कॉमन इन्स्ट्रूमेंट्स और वोकल्स की फ़्रीक्वेन्सी रेंज को पहचानें: जैसे ही आप आपके EQ के स्लाइडर या कंट्रोल पॉइंट्स को एडजस्ट करने के बेसिक्स को सीख जाएँ, फिर आप किसी खास इन्स्ट्रुमेंट या वोकल्स को हाइलाइट करने के लिए एडजस्टमेंट्स कर सकते हैं। प्रैक्टिस के साथ, आपको खुद ही समझ आना शुरू हो जाएगा कि किसी खास इन्स्ट्रूमेंट और वोकल के लिए आपको किस फ़्रीक्वेन्सी रेंज पर काम करने की जरूरत होगी, लेकिन तब तक के लिए, इस तरह के किसी एक चार्ट का इस्तेमाल करके इस काम को करें: [९]
    • फ़ीमेल वोकल्स: 150 Hz-1.6 kHz
    • मेल वोकल्स: 60 Hz-500 Hz
    • सेक्सोफोन: 100 Hz-700 Hz
    • गिटार: 70 Hz-1.1 kHz
    • सिंबल्स (Cymbals) या झांझ: 200 Hz-10 kHz
    • किक ड्रम: 60 Hz-4 kHz
    • पियानो: 25 Hz-4.5 kHz
  2. किसी एक इन्स्ट्रूमेंट को हाइलाइट करने के लिए बार को एक चुनी हुई रेंज में बूस्ट करें: जैसे ही आपको समझ आ जाए कि किसी खास इन्स्ट्रूमेंट या वोकल के लिए आपको किस फ़्रीक्वेन्सी रेंज में सर्च करना है, फिर स्लाइडर या कंट्रोल पॉइंट को उसी रेंज के सेंटर के नजदीक लेकर जाएँ। अगर आप ऐसा में सामने आने वाले इन्स्ट्रूमेंट्स/वोकल्स के लिए कर रहे हैं, तो आसपास की रेंज को थोड़ा सा बूस्ट करके देखें, कि इससे प्रोसेस में मदद मिलती है या फिर ये प्रोसेस में रुकावट डालता है। [१०]
    • शायद हाइलाइट करने वाले इन्स्ट्रूमेंट्स या वोकल्स के लिए सही रेंज को पाने के लिए आपको कुछ बार चेक करने की जरूरत पड़े और शायद आपको उसमें सक्सेस न भी मिले, लेकिन आप ऐसा ही करते रहें—आखिर में आप इसे पा ही लेंगे!
    • एक उदाहरण के तौर पर, आप शायद इलेक्ट्रिक गिटार की तलाश में 100 Hz सेटिंग को बूस्ट करते हैं और आपको पता चलता है कि ये 1 kHz सेटिंग को भी बूस्ट करने में मदद करता है।
  3. जैसे ही आप किसी एक इन्स्ट्रुमेंट को हाइलाइट कर लें, फिर बूस्ट करने से ज्यादा कटिंग को फोकस करें: जैसे ही आपको वो एक साउंड मिल जाए, जिसे आप बढ़ाना चाहते हैं, फिर केवल आपको मिले साउंड की रेंज तक या केवल उसी के करीब की रेंज तक बूस्ट न करते रहें। बल्कि, उन रेंज को वापस न्यूट्रल के करीब ले आएँ और रेंज को उस साउंड तक कट करें, जिसे आप हाइलाइट नहीं करना चाहते हैं। [११]
    • दूसरे शब्दों में: अगर आप इलेक्ट्रिक गिटार को हाइलाइट करना चाहते हैं, तो ऐसे में बेहतर रहेगा कि आप इलेक्ट्रिक गिटार को काफी “बूस्ट” करने के लिए ड्रम्स, सेक्सोफोन और वोकल्स को “कट” कर दें।
    • बड़े “बूस्ट” से ऑडियो डिस्टॉर्शन होता है, ऐसी समस्या “कट” के साथ में नहीं होती है।
  4. अगर आपके इक्वेलाइज़र में ऐसी क्षमता है, तो “Q” सेटिंग एडजस्ट करें: Q-रेंज को कम करना, उस फ़्रीक्वेन्सी रेंज को संकरा कर देता है, जिसे बूस्ट या कट किया जाना है, जबकि इसे चौड़ा करना, रेंज को बढ़ा देता है। इस तरह की फ़ाइन-ट्यूनिंग आपको ठीक उसी इन्स्ट्रुमेंट या वोकल्स को ढूँढने में मदद कर सकती है, जिसे आप हाइलाइट करना चाहते हैं। [१२]
    • Q-रेंज को एक डिजिटल EQ की मदद से आसानी से देखा जा सकता है। इस फ़ारमैट में, एक बूस्ट की हुई सेटिंग एक ट्राएंगल की तरह दिखता है, जैसा शीर्ष बूस्ट की मात्रा को दर्शाता है और स्लोप वाली साइड्स उसके आसपास की फ़्रीक्वेन्सी में आने वाली कम बूस्टिंग को दर्शाती है। Q-रेंज को संकरा करने से ट्राएंगल “पतला” होते जाता है, जिसका मतलब कि आसपास की केवल कुछ ही फ़्रीक्वेन्सी प्रभावित हुई हैं; Q-रेंज को बढ़ाने से ठीक इसका विपरीत होता है।

सलाह

  • अपने ऑडियो को ओवर EQ न करें। इक्वेलाइज़र आपके ईक्विपमेंट की कुछ कमियों को जरूर पूरा कर सकते हैं, लेकिन याद रखें कि प्रोफेशनल इंजीनियर, आर्टिस्ट के इनपुट के साथ, रिकॉर्डिंग को प्रॉड्यूस करने के पहले एक बैलेंस इक्वलाइजेशन रेडी करते हैं।

चेतावनी

  • अपने EQ को एडजस्ट करने के पहले, स्पीकर की वॉल्यूम को मिड-रेंज या लोअर रेंज पर रखकर शुरू करें। अपने स्पीकर को हाइ सेटिंग पर रखकर फ़्रीक्वेन्सी को बूस्ट करने से आपके स्पीकर्स को या आपके सुनने की क्षमता को नुकसान पहुँच सकता है।

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