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ग्लोमेरुलर फिल्टरेशन रेट (GFR) प्रति मिनट किडनी से पास होने वाले ब्लड का मेजरमेंट होता है | अगर आपका GFR बहुत कम है तो इसका मतलब है कि किडनी अच्छी तरह से कम नहीं कर पा रही हैं और शरीर में टॉक्सिन्स जमा हो रहे हैं | परिस्थितियों के आधार पर, आप अपनी डाइट और लाइफस्टाइल में सुधार लाकर GFR बढ़ा सकते हैं लेकिन असाधारण रूप से GFR बहुत ज्यादा कम होने पर डॉक्टर की लिखी दवाओं और प्रोफशनल मेडिकल ट्रीटमेंट जरूरत पड़ सकती है |

विधि 1
विधि 1 का 3:

शुरुआत करने से पहले, अपना GFR चेक करें

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  1. डॉक्टर आपका GFR टेस्ट करने के लिए क्रिएटिनिन ब्लड टेस्ट करा सकते हैं | क्रिएटिनिन रक्त में पाया जाने वाला एक अवशिष्ट पदार्थ है | अगर आपके ब्लड सैंपल में क्रिएटिनिन की मात्रा बहुत ज्यादा पायी जाती है तो समझ जाएँ कि किडनी की फ़िल्टर करने की क्षमता (GFR) बहुत कम हो गयी है | [१]
    • इसके अलावा, डॉक्टर क्रिएटिनिन क्लीयरेंस टेस्ट कराएँगे जिसमे ब्लड और यूरिन दोनों में क्रिएटिनिन की मात्रा नापी जाएगी |
  2. GFR की गणना करने के लिए इसमें शामिल केवल एक फैक्टर को देखकर टेस्ट का रिजल्ट बताया जाता है | वास्तविक GFR रेट का आंकलन करते समय डॉक्टर इसमें आपकी उम्र, प्रजाति, शरीर का आकार और लिंग का भी ध्यान रखते हैं |
    • अगर आपका GFR 90 मिलीलीटर प्रति मिनट प्रति 1.73 मीटर2 या इससे ज्यादा है तो किडनी स्वस्थ मानी जाती हैं | [२] [३]
    • अगर GFR 60 और 89 मिलीलीटर प्रति मिनट प्रति 1.73 मीटर 2 के बीच हो तो इसका मतलब है कि स्टेज 2 CKD (Chronic kidney disease) है | GFR रेट 30 से 59 मिलीलीटर प्रति मिनट प्रति 1.73 मीटर2 होने पर CKD स्टेज तीन होती है और यह रेट 15 से 29 मिलीलीटर प्रति मिनट प्रति 1.73 मीटर2 होने पर CKD स्टेज चार मानी जाती है |
    • जब GFR 15 मिलीलीटर प्रति मिनट प्रति 1.73 मीटर2 (15mls/min/1.73m2) से कम हो जाए तो समझ जाएँ की आप CKD की स्टेज पांच में आ चुके हैं जिसका मतलब यह है कि आपकी किडनी फ़ैल हो चुकी हैं |
  3. डॉक्टर आपको आपके GFR स्कोर और उससे आपकी लाइफ पर पड़ने वाले प्रभावों से सम्बंधित अतिरिक्त डिटेल दे सकते हैं | अगर GFR स्कोर सामान्य से कम है तो डॉक्टर ट्रीटमेंट भी दे सकते हैं लेकिन यह अलग-अलग रोगियों के लिए अलग-अलग होते हैं |
    • आप चाहे CKD की किसी भी स्टेज में हों, आपको अपनी डाइट और ओवरऑल लाइफस्टाइल में कुछ ख़ास बदलाव करने पड़ेंगे | हालाँकि, शुरूआती स्टेज में के दौरान ये बदलाव ही GFR में सुधार लाने के लिए पर्याप्त होते हैं | आपको पहले से किडनी की किसी भी परेशानी को कोई हिस्ट्री नहीं है तो यह बात आप पर भी लागू होती है |
    • CKD की आखिरी की स्टेजेस में डॉक्टर किडनी फंक्शन को सुधारने में मदद के लिए कुछ दवाएं देंगे | इन दवाओं के साथ लाइफस्टाइल में बदलाव भी करना होगा और इसे किसी वैकल्पिक इलाज़ की तरह नहीं सोचना है |
    • CKD की फाइनल स्टेज में, डॉक्टर हमेशा ही डायलिसिस कराने की सलाह देते हैं या किडनी ट्रांसप्लांट कराने का सुझाव देंगे |
विधि 2
विधि 2 का 3:

डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव लायें

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  1. क्रिएटिनिन बढ़ना और GFR का कम होना, साथ-साथ चलता है और कोई एक परेशानी दूसरी समस्या के बिना नहीं होगी | क्रिएटाइन और क्रिएटिनिन आमतौर पर एनिमल प्रोडक्ट्स में पाए जाते हैं इसलिए आपको अपने खाने में से एनिमल-बेस्ड प्रोटीन की मात्रा सख्ती से लेना बंद करना होगा | [४]
    • दूसरी ओर, खाने के प्लांट-बेस्ड सोर्सेज में क्रिएटाइन और क्रिएटिनिन दोनों नहीं पाए जाते | ज्यादातर शाकाहर डाइट लेने से डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसे CKD के दूसरे फैक्टर्स को कम करने में भी मदद मिल सकती है |
  2. स्मोकिंग से शरीर में कई सारे टॉक्सिन्स बढ़ जाते हैं और ये टॉक्सिन्स किडनी में भी पहुँच जाते हैं | इस आदत को छोड़ने से किडनी पर पड़ने वाला बोझ कम हो जायेगा और उनकी अवशिष्ट पदार्थों को फ़िल्टर करने की क्षमता बढ़ जाएगी | [५]
    • इसके अलावा, स्मोकिंग के कारण हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है या इससे बढ़ सकता है | हाई ब्लड प्रेशर का सम्बन्ध CKD से होता है इसलिए हेल्दी ब्लड प्रेशर मेन्टेन करने से GFR में सुधार हो सकता है
  3. डैमेज ही चुकी किडनी को सोडियम फ़िल्टर करने में बहुत परेशानी होती है इसलिए डाइट में नमक होने से कंडीशन और खराब हो सकती है और इसके कारण GFR रेट और कम हो सकता है | [६]
    • अपनी डाइट से नमक वाले फूड्स हटा दें और इनकी जगह पर कम सोडियम वाले फूड्स लें | अपने खाने पर नमक डालने की बजाय दूसरे मसालों से सीजनिंग करें |
    • आपको ज्यादातर घर पर बना खाना ही खाना चाहिए जिन्हें छीलकर बनाया जाए और डिब्बाबंद चीज़ें कम से कम खाएं | आमतौर पर छीलकर बनाये गये खाने में सोडियम कम होता है क्योंकि ज्यादातर डिब्बाबंद खाने को प्रीजर्व रखने के लिए उनमे नमक का इस्तेमाल किया जाता है | [७]
  4. फॉस्फोरस और पोटैशियम ऐसे दो मिनरल्स हैं जो किडनी से मुश्किल से फ़िल्टर हो पाते हैं, विशेषरूप से जब किडनी पहले से ही कमजोर या डैमेज हो | इनमे से किसी मिनरल की प्रचुर मात्रा वाले फूड्स न लें और इन मिनरल्स वाले सप्लीमेंट भी न लें |
    • पोटैशियम की प्रचुर मात्रा वाले फूड्स हैं-विंटर स्क्वाश, शकरकंद, आलू, वाइट बीन्स, दही, हेलिबेट, संतरे का रस, ब्रोकॉली, खरबूजा, केला, दालें, दूध, सामन, पिस्ता, किशमिश, चिकन और टूना | [८]
    • फॉस्फोरस की प्रचुर मात्रा वाले फूड्स हैं- दूध, दही, हार्ड चीज़, कॉटेज चीज़, आइसक्रीम, दालें, साबुत अनाज, सूखी मटर, बीन्स, नट्स, सारडाइन, पोलाक (एक समुद्री मछली), कोलास, और फ्लेवर्ड वॉटर | [९]
  5. हर दिन 250 मिलीलीटर कप नेटल लीफ टी कम से कम एक से दो बार पीने से शरीर में क्रिएटिनिन लेवल को कम करने में मदद मिल सकती है जिससे GFR भी बढ़ सकता है |
    • डॉक्टर से सलाह लेकर यह सुनिश्चित करें कि आपकी स्पेसिफिक मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर नेटल लीफ टी आपके लिए सुरक्षित है या नहीं |
    • नेटल लीफ टी बनाने के लिए दो ताज़ी नेटल लीफ लेकर इन्हें 10 से 20 मिनट तक धीमी आंच पर कम से कम 250 मिलीलीटर पानी में भाप में पकने दें | अब छानकर और पत्तियां अलग करके गर्मागर्म चाय पियें |
  6. विशेषरूप से कार्डियोवैस्कुलर एक्सरसाइज से ब्लड सर्कुलेशन सुधारने में मदद मिल सकती है | शरीर से जितना ज्यादा ब्लड पंप होता है, किडनी से उतना ही ज्यादा असरदार तरीके से टॉक्सिन्स फ्लश हो जाते हैं जिससे गफर में सुधार आने लगता है |
    • ध्यान रखें, मेहनत वाली फिजिकल एक्टिविटी करने से क्रिएटाइन टूटकर क्रिएटिनिन में बदलने लगता है जिससे किडनी पर बोझ बढ़ जाता है और इसके कारण GFR और कम हो जाता है |
    • बेस्ट ऑप्शन है- रेगुलर मॉडरेट एक्सरसाइज करते रहना | उदाहरण के लिए, एक सप्ताह में तीन से पांच दिन 30 मिनट के लिए तेज गति से चलें या साइकिलिंग करें |
  7. अधिकतर केसेस में, हेल्दी डाइट और रेगुलर एक्सरसाइज के नेचुरल रिजल्ट वेट मैनेजमेंट के रूप में मिल जायेंगे | अगर डॉक्टर या रीनल डायटीशियन ने सलाह न दी हो तो आपको रिस्की डाइट या फीका खाना खाने से बचना चाहिए |
    • हेल्दी वेट मेन्टेन करने से शरीर में रक्त का प्रवाह सुधर जाता है और इससे ब्लड प्रेशर भी रेगुलेट होने लगता है | शरीर में रक्त का जितना सहजता से जल्दी-जल्दी होता है, किडनी से उतने ही टॉक्सिन्स और तरल फ्लश होने लगते हैं जिससे GFR में सुधार दिखाई देने लगता है |
विधि 3
विधि 3 का 3:

मेडिकल ट्रीटमेंट लें

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  1. किडनी डिजीज की अंतिम स्टेज में डॉक्टर आपकी कंडीशन के लिए बेस्ट डाइट लेने के लिए इसके स्पेशलिस्ट के पास जाने की सलाह देंगे | इन स्पेशलिस्ट को "रीनल डायटीशियन" कहा जाता है |
    • आपकी रीनल डायटीशियन आपके साथ मिलकर आपके शरीर में तरल और मिनरल्स के बीच संतुलन मेन्टेन रखते हुए किडनी के स्ट्रेस को कम करने पर काम करें |
    • अधिकतर स्पेशलाइज्ड डाइट्स में ऐसी ही चीज़ें शामिल होती हैं जो इस आर्टिकल में दी गयी हैं | उदाहरण के लिए, आपको सोडियम, पोटैशियम, फ़ास्फ़रोस और प्रोटीन का इन्टेक कम करने के निर्देश दिए जाते हैं |
  2. अधिकतर CKD और GFR रेट में कमी किसी न किसी बीमारी के कारण होती है या उससे प्रेरित होती है | कुछ केसेस में, आपको GFR को बढ़ने से पहले ही कण्ट्रोल करने के लिए दूसरी बीमारियों पर भी नजर रखनी होगी |
    • हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज ये दो सबसे कॉमन कारण होते हैं |
    • जब किडनी डिजीज के कारण की आसानी से पहचान नही होती तो डॉक्टर उस परेशानी को डायग्नोज़ करने के लिए अतिरिक्त टेस्ट करा सकते हैं | इनमे यूरिन टेस्ट, अल्ट्रासाउंड और CT स्कैन शामिल हैं | कुछ केसेस में, किडनी टिश्यू के छोटे से सैंपल को निकालकर उसका आंकलन करने के लिए बायोप्सी कराने की सलाह भी दी जा सकती है |
  3. जब किसी दूसरी परेशानी के कारण किडनी डिजीज हो या किडनी डिजीज के कारण सम्बंधित परेशानियाँ हो तो कुछ ख़ास दवाएं देते हैं जिससे ओवरऑल कंडीशन का इलाज़ करने में मदद मिल सके | [१०]
    • हाई ब्लड प्रेशर का सम्बन्ध अक्सर कम GFR से होता है इसलिए आपको कुछ तरह की ब्लड प्रेशर की दवाएं भी दी जा सकती है | इनके ऑप्शन्स हैं- एंजियोटेनसिन-कन्वर्टिंग एंजाइम इन्हिबिटर्स (captopril, enalapril, और अन्य) या एंजियोटेनसिन रिसेप्टर ब्लॉकर (losartan, valsartan, और दूसरी) | ये दवाएं ब्लड प्रेशर को मेन्टेन करने के साथ ही यूरिन में प्रोटीन लेवल को भी कम करते हैं जिससे किडनी पर काम का बोझ थोडा कम हो जाता है |
    • किडनी डिजीज की की आखिरी स्टेज के दौरान, किडनी "erythropoietin" नामक एक जरुरी हार्मोन का प्रोडक्शन नहीं कर पाती इसलिए डॉक्टर को ऐसी दवा देनी पड़ती है जो इस परेशानी का उपचार करने में मदद कर सके |
    • आपको विटामिन D सप्लीमेंट या दूसरी ऐसी दवाएं भी लेनी होंगी जो फॉस्फोरस को कण्ट्रोल कर सकें क्योंकि किडनी को शरीर से फॉस्फोरस को फ़िल्टर करने में काफी परेशानी होगी |
  4. सभी दवाएं किडनी से फ़िल्टर होती हैं इसलिए GFR लेवल कम होने पर कोई भी दवा लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें | इसमें डॉक्टर द्वारा लिखी गयी दवाएं (प्रिस्क्रिप्शन मेडिकेशन) और नॉन-प्रिस्क्रिप्शन दवाएं दोनों ही शामिल हैं |
    • आपको NSAID और COX-II इन्हिबिटर दवाएं लेना पूरी तरह से बंद करना होगा | कॉमन NSAID दवाएं हैं- ibuprofen और naproxen | एक कॉमन COX-II इन्हिबिटर है-celecoxib | दोनों ही तरह की दवाओं का सम्बन्ध किडनी डिजीज की संभावना को बढाने से है |
    • कोई भी हर्बल दवा या अल्टरनेटिव मेडिसिन लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें | जरुरी नहीं हैं कि "नेचुरल" ट्रीटमेंट आपके लिए बेहतर साबित हो और अगर आप सावधानी नहीं रखेंगे तो कुछ ऐसा हो सकता है जिससे GFR लेवल और भी नीचे चला जाए |
  5. भले ही आपका GFR सफलतापूर्वक बढ़ गया हो, फिर भी आपको पूरी जिन्दगी लगातार अपना GFR चेक करते रहना चाहिए | अगर GFR रेट कभी भी औसत से कम हुआ हो या किडनी डिजीज होने की रिस्क बढ़ रही हो तो ऐसा विशेषरूप से करना चाहिए |
    • GFR और किडनी के फंक्शन्स उम्र के साथ नेचुरली कम होते जाते हैं इसलिए डॉक्टर आपको लगातार एग्जामिनेशन कराने की सलाह देते हैं जिससे GFR रेट में कमी आने पर मॉनिटर किया जा सके | डॉक्टर आपके GFR में होने वाले बदलावों के आधार पर आपकी दवाएं एडजस्ट कर सकते हैं और डाइट से सम्बंधित सलाह दे सकते हैं |
  6. अगर GFR बहुत ज्यादा कम है और किडनी फेलियर शुरू हो गया है तो आपको अवशिष्ट पदार्थों और अतिरिक्त तरल को अपने सिस्टम से फ़िल्टर करने के लिए डायलिसिस करानी पड़ेगी |
    • हीमोडायलिसिस में मैकेनिकल फ़िल्टर के साथ एक आर्टिफीसियल किडनी का इस्तेमाल किया जाता है |
    • पेरिटोनियल डायलिसिस करने के लिए पेट की लाइनिंग का इस्तेमाल किया जाता है जिससे रक्त से अवशिष्ट पदार्थों को फ़िल्टर और साफ़ किया जा सके |
  7. एडवांस्ड किडनी डिजीज और असाधारण रूप से कम GFR से पीड़ित लोगों के लिए किडनी ट्रांसप्लांट एक और ऑप्शन होता है | ट्रांसप्लांट कराने से पहले आपको सही डोनर से मैच होना बहुत जरुरी होगा | कई बार ये डोनर कोई रिश्तेदार ही होते हैं लेकिन अधिकतर केसेस में, डोनर कोई अजनबी भी हो सकते हैं |
    • एडवांस्ड किडनी डिजीज से पीड़ित हर व्यक्ति ट्रांसप्लांट के लिए एक उचित कैंडिडेट के रूप में क्वालीफाई नहीं होता क्योंकि इस ट्रीटमेंट ऑप्शन में उम्र और मेडिकल हिस्ट्री का भी ध्यान रखा जाता है |
    • ट्रांसप्लांट कराने के बाद भी आपको अपनी डाइट और ओवरऑल किडनी की हेल्थ पर फोकस करना पड़ेगा जिससे फिर से GFR बहुत ज्यादा कम न हो पाए |

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