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आँख के अंदर का सफ़ेद हिस्सा स्क्लेरा कहलाता है और स्क्लेरा किसी भी व्यक्ति की ओवरआल हेल्थ को इंडीकेट करता है | येलोइश या रेडिश स्क्लेरा पर्सनल वैनिटी या व्यक्तिगत घमंड के लिए थोडा चैलेंजिंग हो सकता है क्योंकि इससे व्यक्ति बूढा या थका हुआ दिखाई देता है | ये शरीर में एलर्जी और टोक्सिन ही नही बल्कि इनसे भी ज्यादा सीरियस लीवर प्रॉब्लम से सम्बंधित हेल्थ इशू के संकेत भी देते हैं | आँखों की रेडनेस या येलोनेस को कम करने या ट्रीट करने के लिए कई तरह की रेमेडीज होती हैं जिनमे आई ड्रॉप्स के उपयोग से लेकर डाइट में बदलाव लाना और स्ट्रेटेजिकली मेकअप लगाना शामिल होता है |

विधि 1
विधि 1 का 4:

आई ड्रॉप्स का उपयोग करें

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  1. विसिन (visine) या क्लियर आई जैसी रेगुलर आई ड्रॉप्स का उपयोग करें: इन आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल आँखों की रेडनेस को कम करने के लिए और उन्हें थोड़ी नमी देने के लिए किया जाता है जिससे आँखों की उत्तेजना या ड्राईनेस कम हो सके | विसिन, क्लियर आई और इसी तरह के दूसरे ब्रांड्स ड्रग स्टोर्स और ग्रोसरी स्टोर्स के अलावा बिग बाज़ार, वालमार्ट और ऐसे ही बड़े स्टोर्स से भी ख़रीदे जा सकते हैं | इन्हें प्रभावित आँख में 1 से 2 बूँद डालें | अतिरिक्त जानकारी के लिए बोतल पर दिए गये इंस्ट्रक्शंस देख लें |
    • विसिन या क्लियर आई जैसी आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल बार-बार न करें | हालाँकि इनसे बहुत जल्दी अच्छे रिजल्ट्स मिल जाते हैं लेकिन इनके रेगुलर इस्तेमाल से ये आँखों का नेचुरल लुब्रिकेंट बनने नहीं देती और इसके कारण आँखें धीरे-धीरे ड्राई, रेड हो जाती है और उसी आई ड्रॉप पर डिपेंडेंट हो जाती हैं | इसलिए सुरक्षित विकल्प के रूप में सिस्टेन (systane) जैसी कोमल आई ड्रॉप्स या सेलाइन ड्रॉप्स का इस्तेमाल किया जा सकता है जो वास्तविक आंसू के समान काम करते हैं |
  2. गाढ़ी विस्कोसिटी वाली आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल करें: रोह्तो नामक एक जापानी आई ड्रॉप्स एक ऐसा प्रोडक्ट्स है जो नेचुरल टियर या वास्तविक आंसू से गाढ़ा होता है | इनमे कुलिंग प्रॉपर्टीज होती हैं जिससे आँखों की जलन में राहत मिलती है और साथ ही ये रेडनेस भी कम करते हैं | ये ग्रोसरी स्टोर्स या ड्रग स्टोर्स पर मिल जाते हैं | अगर आपने पहले कभी कोई आई ड्रॉप्स इस्तेमाल नहीं की हैं तो शुरुआत करने के लिए यह सबसे अच्छा प्रोडक्ट नहीं होगा क्योंकि ये आँखों को थोडा तेज़ लग सकता है | [१]
  3. इन्नोक्सा नामक स्विट्ज़रलैंड की एक कंपनी एक ऐसा आई ड्राप बनती है जिसका रंग ब्लू होता है | इन्नोक्सा ब्लू आई ड्रॉप्स आँखों की जलन और रेडनेस कम करने के साथ ही यह आँखों को एक ब्लू कलर की लाइट फिल्म से कोट करती है जिससे आईबॉल में पीलापन कम दिखाई देता है और स्क्लेरा सफ़ेद दिखाई देता है | [२]
विधि 2
विधि 2 का 4:

अपनी स्वास्थ्य सम्बन्धी आदतों को बदलें

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  1. ऑरेंज और पीले रंग के फल और सब्जियां जैसे गाजर, कद्दू, नीम्बू और संतरे विटामिन्स और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं और ये आँखों को सफ़ेद रखने में मदद करते हैं | हरे, पत्तेदार फूड्स जैसे पालक और केल भी आँखों को स्वस्थ रखते हैं | [३] बादाम, अखरोट और मूंगफली जैसे नट्स में भी मिनरल्स पाए जाते हैं जो आँखों के लिए काफी फायदेमंद होते हैं | [४]
    • ये फल और सब्जियां लीवर को डिटोक्सिफाई करने में भी मदद करेंगे | हेल्दी लीवर आँखों के सफ़ेद हिस्से को साफ़ और ब्राइट रखने में मदद करेगा | अगर लीवर टोक्सिन से भरा होगा तो वो फ़ूड और विटामिन्स को उतनी एफिशिएंसी से प्रोसेस नहीं कर पायेगा जितना उसे करना चाहिए | इसलिए खाली पेट गाजर और पालक खाकर या एक गिलास बीटरूट जूस पीकर अपने लीवर को डिटोक्सिफाई करें | [५] [६]
  2. अपनी डाइट में रिफाइंड शुगर और कार्बोहायड्रेट का उपयोग कम करें: ऐसे फूड्स कम खाएं जिनमे रिफाइंड शुगर और कार्बोहायड्रेट और साथ ही गेंहूँ हो तभी शरीर फूड्स को बेहतर तरीके से प्रोसेस कर पायेगा और लीवर डिटोक्सिफाई हो पायेगा | [७] [८] आपके द्वारा विशेषरूप से रात में खाए जाने वाले अनहेल्दी फूड्स की मात्रा कम कर देने से स्लीप पैटर्न भी सुधर सकता है |
  3. आँखों का स्वास्थ्य शरीर में विटामिन A और विटामिन C के अच्छे लेवल पर डिपेंड करता है | इसलिए इन विटामिन्स से भरपूर फूड्स खाने के साथ ही हर दिन इनके सप्लीमेंट्स भी लें | इसके साथ ही ओमेगा 3 एसिड के लेवल को बूस्ट करने के लिए हर दिन ओमेगा 3 के 4 कैप्सूल या फिश ऑइल सप्लीमेंट्स लें |
  4. हर रात पर्याप्त नींद लेने से शरीर के साथ इ आँखों को भी आराम मिलता है और आँखों को उनके नेचुरल वाइट कलर को रिस्टोर करने में मदद मिलती है | हर रात कम से कम 7 से 8 घंटे सोयें | अगर आपको सोने में परेशानी हो तो सोने से पहले कोई अच्छा म्यूजिक सुनें या 10 के लिए मैडिटेशन करें जिससे शरीर को पता चल सके कि ये सोने का समय है |
  5. चमकदार आँखें पर्याप्त हाइड्रेशन को दर्शाती हैं इसलिए अपने शरीर को हाइड्रेट रखें और खूब पानी पियें जिससे आँखों की पफीनेस और रेडनेस कम हो सके | हर दिन 8 से 10 गिलास या लगभग 64 औंस पानी पियें |
  6. ये दोनों चीज़ें शरीर को डिहाइड्रेट करती हैं और आँखों में पफीनेस औ रेडनेस लाती हैं | इनके कारण स्लीप पैटर्न भी बिगड़ सकता है जिससे हर रात 7 से 8 घंटे की नींद में परेशानी हो सकती है |
  7. स्मोकिंग के कारण आँखों में उत्तेजना होती हैं जिससे रेडनेस हो सकती है | इसके कारण आँखें ड्राई भी हो सकती हैं | स्मोकिंग की आदत को छोड़ें जिससे आँखों को अपना नेचुरल कलर और हाइड्रेशन रिस्टोर करने में मदद मिल सकती है | अंदर और बाहर दोनों ओर की डस्ट आँखों को उत्तेजित कर सकती है जिससे आँखों में रेडनेस आने लगती है | पोलेन और अन्य एलर्जन्स भी आँखों को उत्तेजित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं | अगर इन उत्तेजकों से बचना मुश्किल हो तो घर के अंदर एयर प्यूरीफायर लगवाएं |
  8. पूरे दिन कंप्यूटर पर काम करने से आँखों में तनाव हो सकता है लेकिन कंप्यूटर पर बिताये जाने वाले समय को कम करने का कोई विकल्प नहीं होता | अगर आपको हर दन काफी देर तक कंप्यूटर पर काम करना ही पड़ता हो तो आपको आँखों पर पड़ने वाले तनाव को कम करने के तरीके आज़माना चाहिए | इनमे प्रॉपर लाइट इनस्टॉल कराना, कंप्यूटर की सेटिंग चेंज कराने जैसे तरीके शामिल हैं जिससे मॉनिटर की ब्राइटनेस कमरे की ब्राइटनेस के समान हो जाए, इसके अलावा कई बार पलकें झपकाएं, आँखों की एक्सरसाइज और ऐसी ही अन्य एक्टिविटीज करें | [९]
  9. UVA और UVB रेज़ समय के साथ-साथ आँखों को डैमेज कर सकती हैं और आँखों में पीलापन ला सकती हैं | आँखों को UVA और UVB रेज़ से बचाने के लिए सनग्लासेज पहनें | आजकल मिलने वाले अधिकतर सनग्लासेज में ये फीचर पाए जाते हैं लेकिन फिर भी लेबल देखकर चेक कर लें | जहाँ भी थोड़ी चकाचौंध हो, वहां पर सनग्लासेज पहनें | केवल नीले साफ़ आसमान और धूप में ही सनग्लासेज की जरूरत नहीं पड़ती बल्कि जब आसमान में बादल छाये हों होती है तब भी इनकी जरूरत होती है क्योंकि उन दिनों में भी काफी चकाचौंध होती हैं जो आँखों पर तनाव दाल सकता है या उन्हें डैमेज कर सकता है | [१०]
  10. पीलिया (जॉन्डिस) नामक बीमारी होने पर आँखों का रंग पीला हो सकता है | जॉन्डिस एक ऐसी कंडीशन होती है जिसमे ब्लड में हीमोग्लोबिन बिलीरुबिन में टूट जाता है और शरीर से पूरी तरह से बाहर नहीं निकल पाता | अगर बिलीरुबिन स्किन में बढ़ने लगता है तो स्किन और आँखें पीले दिखाई देने लगते हैं | जॉन्डिस लीवर, पैंक्रियास या गॉल ब्लैडर से सम्बंधित परेशानियों का भी संकेत देता है | [११] आँखों में पीलापन लाने वाली जॉन्डिस और अन्य डिजीज या कंडीशंस को रूलआउट करने के लिए डॉक्टर से सलाह लें |
विधि 3
विधि 3 का 4:

नेचुरल रेमेडीज का उपयोग करें

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  1. आयुर्वेदिक उपचारों के द्वारा बीमारियों से बचाव और उनका इलाज़ भारत में लगभग 3000 सालों से किया जाता रहा है | त्रिफला एक ऐसा हर्बल मिक्सचर है जिसका उपयोग आयुर्वेदिक मेडिसिन्स में कई तरह की बीमारियों के इलाज़ में किया जा सकता है जिनमे आँखों की सफेदी और आँखों के स्वास्थ्य को सुधारना भी शामिल है | ऐसा शरीर को डिटोक्सिफाई करके किया जाता है | [१२] त्रिफला को पाउडर या टेबलेट के रूप में किसी भी ग्रोसरी स्टोर या डिपार्टमेंटल स्टोर से ख़रीदा जा सकता है |
    • त्रिफला का उपयोग आँखों को धोने के लिए करें | एक बड़ी चम्मच त्रिफला पाउडर को 8 औंस पानी में घोलकर रातभर रखें | सुबह इस मिक्सचर को छान लें और इससे आँखों पर छींटे मारें या आई वाश की तरह इस्तेमाल करें | [१३]
    • सावधानी रखें: त्रिफला का इस्तेमाल कब्ज़ को दूर करने के लिए एक लक्सेटिव के रूप में भी किया जाता है इसलिए इसका उपयोग करते समय सावधानी रखें |
    • त्रिफला की मुख्य सामग्री है-आंवला जिसके रस को आँखों की वाइटनेस सुधारने के लिए रात में डायरेक्टली आँखों में डाला जा सकता है |
  2. गाजर खाने से तो आँखों के स्वास्थ्य में सुधार होता ही है, इसके रस को स्थानीय रूप से लगाने पर भी आँखों को लाभ मिलता है | खूब सारी गाज्रोंन को धोकर सुखा लें और उनके एंड्स को काट दें | अब इन्हें जूसर में डालकर इनका जूस निकालें जिसे पलकों पर आसानी से लगाया जा सकता है | इस जूस को पलकों पर पूरी रात लगाये रखें | ध्यान रखें कि इस जूस को डायरेक्टली आँखों में न डालें | [१४]
  3. आन्क्खों पर कुछ ठंडा लगायें जिससे उनकी पफीनेस कम हो जाए और साथ ही आँखों के सफ़ेद कलर में सुधार आ सके | एक कपडे को बर्फ के पानी मी भिगोकर निचोड़ें और इस कपडे को 5 से 10 मिनट तक आँखों पर लगाये रखें | दिनभर में इसे कई बार लगाने के बाद आँखों की रेडनेस कम होने लगेगी | [१५]
विधि 4
विधि 4 का 4:

मेकअप लगायें

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  1. आँखों के नीचे होने वाले डार्क सर्कल्स से आँखें डल दिखने लगती हैं | कंसीलर लगाकर आँखों के चारों ओर के और नीचे के हिस्सों को ब्राइट बनायें | आँख के बॉटम के चारों ओर कंसीलर की कई सारी छोटी-छोटी डॉट्स लगायें और इन डॉट्स को धीरे-धीरे थपथपाकर बांकी स्किन के साथ ब्लेंड करें | [१६]
  2. आँखों के चारों ओर नेवी या इंडिगो ब्लू कलर्स का इस्तेमाल करने से ब्लैक कलर की हार्शनेस को थोडा सॉफ्ट लुक मिलता है | साथ ही, ब्लू टोन येलोइश कलर को काउंटरेक्ट करता है जिससे आँखें सफ़ेद दिखाई देंगी और आँखें ज्यादा ब्राइट और साफ़ दिखेंगी | [१७]
  3. आजकल बाज़ार में वाइट आई लाइनर आसानी से मिल जाता है | पलकों पर एक या दो बार वाइट आई लाइनर को स्वाइप करने से ऑंखें न केवल चमकदार दिखेंगी बल्कि बड़ी भी दिखेंगी | आप थोडा सा वाइट आई लाइनर पलकों के कॉर्नर्स पर भी लगाकर ब्लेंड कर सकते हैं, इससे आपको परियों जैसा लुक मिल सकता है | इससे आपका चेहरा बहुत ताज़ा और खिलखिला दिखेगा |
  4. इससे आँखें सफ़ेद दिखेंगी | ब्लैक मस्कारा को ऊपर और नीचे दोनों लेशेज पर लगाने से आँखों में ड्रामेटिक लुक आता है लेकिन इससे आँखें सफ़ेद नहीं दिखतीं | इसलिए इसकी बजाय ब्राउन कलर का मस्कारा बॉटम लेशेज पर लगाने से यह सॉफ्ट कलर ऊपर की लेशेज़ पर अटेंशन लाने में मदद करेगा जिससे आँखें चौड़ी, बड़ी, ज्यादा अलर्ट और सफ़ेद दिखाई देंगी | [१८]
  5. लाइट-बोन कलर या फ्लेश कलर के आई लाइनर लहाने से आईज लाइट को अट्रैक्ट और रिफ्लेक्ट करेंगी जिससे आँखें काफी बड़ी–बड़ी दिखेंगी | आई लाइनर से आँखों के इनर कार्नर को आउटलाइन करने से आँखें चमकदार दिखेंगी | [१९]
    • इसी तरह के इफ़ेक्ट के लिए आँखों के इनर कार्नर पर लाइट कलर के या शिमरिंग वाइट आईशैडो लगायें | [२०]
    • आँखों को आउटलाइन देने के लिए लाइट वाइट आईलाइनर पेंसिल का उपयोग करने से बचें क्योंकि इसे अच्छी तरह से ब्लेंड करना मुश्किल होता है और इससे काफी "नाटकीय या स्टेज्ड" या आर्टिफीसियल लुक आता है | [२१]
  6. आईलेश कर्लर जो आमतौर पर ड्रग स्टोर्स या ग्रोसरी स्टोर्स पर आसानी से 30 से 50 रूपये में मिल जाता है, आई लेशेज़ को क्लैंप कर देता है और उन्हें ऊपर की ओर कर्ल कर सकता है | आईलेशेज़ को ऊपर की ओर कर्ल करने से आँखें बड़ी और खुली हुई दिखाई देती हैं | इससे आईलेशेज़ बड़ी दिखने के कारण सारा अटेंशन आँखों को मिल जाता है | [२२]
  7. अपने गालों के उभारों, लिप्स और आईब्रोज के हाईएस्ट पॉइंट के आस-पास थोडा पिंक ब्लश लगायें | इससे पूरा फेस लाइट और ब्राइट दिखेगा जिससे आँखें भी ब्राइट और वाइट दिखाई देंगी | [२३]

चेतावनी

  • अगर आपकी आँखें पफी, रेड, उत्तेजित या सूजी हुई हैं तो आपको स्टाई, कंजक्टीवाइटिस (पिंक आई) या आई इंजुरी हो सकती है | अगर इनमे से कोई भी परेशानी या कोई अन्य मेडिकल इशू हों तो फिजिशियन से कंसल्ट करें |

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