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चिकनगुनिया एक वायरस है जिसका मनुष्यों में परिवहन इस वायरस से संक्रमित मच्छर के काटने से होता है | ये संक्रमित मच्छर डेंगू और पीतज्वर (येलो फीवर) जैसे अन्य रोगों के वाहक भी हो सकते हैं | चिकनगुनिया पूरी दुनिया में देखा जा सकता है जिसमे एशिया, अफ्रीका, दक्षिण और उत्तरी अमेरिका के कॅरीबीयन, उष्णकटिबंधीय क्षेत्र शामिल हैं | इस रोग का कोई इलाज़, टीकाकरण या दवा नहीं है बल्कि उपचार केवल लक्षणों में राहत देने के प्रति केन्द्रित होता है | [१] चिकनगुनिया के चिन्ह और लक्षणों की पहचान करना, लक्षणों का उपचार करना और इस रोग से होने वाली जटिलताओं के प्रति सजग रहना बहुत आवश्यक है |

विधि 1
विधि 1 का 3:

चिन्हों और लक्षणों को पहचानें

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  1. किसी भी रोग की एक्यूट फेज़ त्वरित होती है लेकिन यह फेज़ बहुत कम समयावधि की होती है जहाँ आप रोग के लक्षणों को अनुभव करते हैं | [२] एक संक्रमित मच्छर के द्वारा काटे जाने के दो से 12 दिन के बाद कोई लक्षण नहीं मिल पाते | अधिकतर, तीन से सात दिन में भी कोई लक्षण नहीं दिखते | एक बार लक्षणों के प्रकट होने पर, ठीक होने के पहले आप लगभग 10 दिनों तक चिकनगुनिया के लक्षणों को अनुभव करेंगे | [३] एक्यूट फेज़ के दौरान आप इन लक्षणों को अनुभव कर सकते हैं:
    • ”’बुखार”’: आमतौर पर 102 से 105 डिग्री फेरनहाईट (39 से 40.5 डिग्री सेल्सियस) बुखार होता है और संभवतः तीन दिन से लेकर एक सप्ताह तक बना रहता है | [४] [५] बुखार बाईफेज़िक (biphasic) हो सकता है अर्थात् कुछ दिन बुखार गायब रहता है और कुछ दिन कम ग्रेड का बुखार (101-102 डिग्री फेरनहाईट या 38-39 डिग्री सेल्सियस) आता रहता है | इस समयावधि के दौरान, वायरस आपके रक्त में जमा होने लगते हैं और शरीर के विभिन्न हिस्सों में फैलने लगते हैं |
    • ”’आर्थराइटिस”’ “’(संधिशूल या जोड़ों का दर्द)”’: आमतौर पर आप हाथ की छोटी संधियों जैसे कलाई, टखनों और बड़ी संधियों जैसे घुटने और कन्धों में आर्थराइटिस नोटिस करेंगे परन्तु नितम्बों के जोड़ों में यह दर्द नहीं होता | [६] 70% लोगों को इस प्रकार का दर्द होता है जो पहले के जोड़ दर्द में आराम अनुभव होना शुरू होने के बाद एक जोड़ से अगले जोड़ तक फैलता रहता है | [७] आमतौर पर सुबह बहुत तेज दर्द होता है लेकिन, हल्का-फुल्का व्यायाम करने से इसमें सुधार आ जाता है | जोड़ों में सूजन भी दिखाई दे सकती है या छूने पर दर्द हो सकता है और टेंडॉन्स में सूजन (tenosynovitis) भी आ सकती है | [८] जोड़ों का दर्द आमतौर पर एक से तीन सप्ताह में ठीक होने लगता है और साथ ही तीव्र दर्द में भी पहले सप्ताह के बाद सुधार आने लगता है | परन्तु, कुछ केसेस में संधिशूल लगातार एक साल तक बना रह सकता है |
    • ”’चकत्ते”’: अमूमन 40% से 50% रोगियों को चकत्ते होते हैं | इनका सबसे सामान्य रूप है मोर्बिल्लिफोर्म क्षरण (maculopapular) | ये लाल चकत्ते होते हैं जिनके ऊपर छोटे-छोटे उभार दिखाई देते हैं जो बुखार के शुरू होने के तीन से पांच दिनों के बाद प्रकट होते हैं और तीन से चार दिनों के अंदर ठीक हो जाते हैं | ये चकत्ते आमतौर पर हाथ-पैरों के ऊपरी हिस्सों से शुरू होते हुए चेहरे और धड़ में फ़ैल जाते हैं | [९] अपनी शर्ट निकालकर दर्पण में खुद को देखें और किसी भी प्रकार के विस्तृत रूप से फैले हुए लाल उभारों को देखें और उनमे होने वाली खुजली जानें | पीछें मुड़कर अपनी पीठ, गर्दन के पिछले हिस्से का निरीक्षण करें और भुजाएं ऊपर उठाकर काँखों का परीक्षण करें |
  2. चिकनगुनिया की सबएक्यूट फेज, एक्यूट फेज की कमजोरी की समाप्ति के बाद एक से तीन महीनों तक होती है | सबएक्यूट फेज के दौरान, मुख्य लक्षण आर्थराइटिस होता है | इसके अलावा, रेनौड्स फेनोमेनन के जैसे रक्तवाहिकाओं के विकार भी देखे जा सकते हैं |
    • रेनौड्स फेनोमेनन (raynaud’s phenomenon): यह एक ऐसी स्थिति है जिसमे हाथ और पैर में रक्त प्रवाह कम हो जाता है जिसके प्रतिक्रिया स्वरूप शरीर में ठण्ड या खिंचाव होने लगता है | अपनी अँगुलियों के पोरों को देखें और नोटिस करें कि कहीं वे ठन्डे और नीले/काले रंग के तो नहीं हैं |
  3. क्रोनिक फेज़ (चिरकारी अवस्था) के लक्षणों को पहचानें: यह फेज रोग की शुरुआत होने से तीन महीने में शुरू होती है | इस फेज में संधिशूल लगातार बना रहता है जो कि 33% रोगियों के द्वारा यह संधिशूल (arthralgia) चार महीनों तक, 15% रोगियों को 20 महीनों तक और 12% रोगियों को तीन से पांच सालों तक अनुभव होता है | [१०] एक स्टडी के अनुसार, 64% रोगियों में संक्रमण के शुरू होने के बाद से एक वर्ष तक जोड़ों में जकड़न और/या दर्द पाया गया है | [११] आपको बुखार की पुनरावृत्ति, अस्थेनिया (असामान्य शारीरिक कमजोरी और/या ऊर्जा की कमी), कई संधियों में आर्थराइटिस (जोड़ों में सूजन), और टेनोसायनोविटिस (टेंडॉन्स की सूजन) भी हो सकती है |
    • अगर आप पहले से ही रुमेटोइड (rheumatoid) आर्थराइटिस जैसी संधियों की समस्या से जूझ रहे हैं तो आपमें चिकनगुनिया की क्रोनिक स्टेज विकसित होने की सम्भावना और अधिक हो जाती है | [१२]
    • प्रारंभिक संक्रमण के बाद, रुमेटोइड आर्थराइटिस के केसेस बहुत ही कम पाए गये हैं | इसके आरम्भ होने का औसत समय लगभग 10 महीने का होता है | [१३]
  4. हालाँकि बुखार, चकत्ते और संधिशूल इस रोग के आम लक्षण हैं, फिर भी कई रोगियों को अन्य परेशानियाँ भी होती हैं | इनमे शामिल हैं: [१४]
    • मांसपेशियों में दर्द/कमर दर्द
    • सिरदर्द
    • गले में परेशानी
    • पेटदर्द
    • कब्ज़
    • गर्दन में लिम्फनोड्स में सूजन आना
  5. चिकनगुनिया के समान बीमारियों से चिकनगुनिया का विभेद करें: चूँकि चिकनगुनिया के कई लक्षण मच्छरों के कारण होने वाली बीमारियों या उनके समान बीमारियों में होने वाले लक्षणों के जैसे ही होते हैं इसलिए इनमे विभेद करना बहुत जरूरी होता है | चिकनगुनिया के समान होने वाली बीमारियों में शामिल हैं:
    • ”’लेप्टोस्पायरोसिस (leptospirosis)”’: अगर आपकी पिंडलियों की मांसपेशियों (आपके पैर के पिछले हिस्से में घुटने के नीचे की मांसपेशियां) में चलने पर दर्द या परेशानी हो तो ध्यान दें | आपको एक दर्पण में अपनी आँखों के सफ़ेद भाग में होने वाली चमकदार लालिमा (subconjunctival hemorrhage) को भी नोटिस करना चाहिए | ऐसा छोटी-छोटी रक्तवाहिकाओं के क्षरण के कारण होता है | याद करने की कोशिश करें कि कहीं आप खेतीहर पशुओं या पानी के आस-पास तो नहीं थे क्योंकि संक्रमित पशु इस रोग को पानी या मिट्टी में संचरित कर सकते हैं |
    • ’’डेंगू बुखार”’: ध्यान दें कि कहीं आप ऐसे मच्छरों के सम्पर्क में तो नहीं आये थे या उन मच्छरों ने आपको काटा तो नहीं था जो उष्णकटिबंधीय वातावरण जैसे अफ्रीका, दक्षिणी अमेरिका, मध्य अमेरिका, कॅरीबीयन, भारत और उत्तरी अमेरिका के दक्षिणी इलाकों में पाए जाते हैं | इन जगहों में डेंगू होने की सम्भावना बहुत ज्यादा होती है | एक दर्पण में अपनी स्किन पर चकत्ते, आँखों के सफ़ेद हिस्से के आस-पास होने वाली लालिमा या ब्लीडिंग, मुंह में मसूड़ों से खून का आना और बार-बार नाक से खून आने का निरीक्षण करें | ब्लीडिंग या रक्तस्त्राव होना डेंगू बुखार और चिकनगुनिया के बीच सबसे बड़ा अंतर होता है |
    • ’’’मलेरिया”’: ध्यान दें कि आप कहीं जाने-माने उद्गम स्थानों जैसे दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका, भारत, मध्य-पूर्व और दक्षिण-पूर्वी एशिया में पाए जाने वाले मच्छरों या उनके दंश के संपर्क में तो नहीं आये थे | ठण्ड और कंपकपी होने और उसके बाद बुखार आने और उसके बाद पसीना निकलने पर ध्यान दें | यह 6 से 10 घंटे तक बना रह सकता है | आप इन फेज़ की पुनरावृत्ति अनुभव कर सकते हैं |
    • ”’मैनिंजाइटिस”’: बहुत अधिक संकुचित या संकरी जगहों या सुविधाओं में होने वाले स्थानीय प्रकोपों पर नज़र रखें | बुखार के लिए अपना तापमान चेक करें और गर्दन हिलाने पर होने वाली गर्दन की जकड़न या दर्द/परेशानी पर ध्यान दें | इस रोग के साथ गंभीर सिरदर्द और थकान भी अनुभव हो सकती है | आपको लाल चकत्ते भी हो सकते हैं जिनमे लाल, भूरे या पर्पल रंग के छोटे बिंदु दिखाई दे सकते हैं जो धीरे-धीरे बड़े फफोलों का रूप धारण कर सकते हैं | ये चकत्ते आमतौर पर धड़, पैरों और हथेलियों और पंजों पर पाए जाते हैं |
    • ”’रूमेटिक बुखार”’: रूमेटिक बुखार आमतौर पर गले की ख़राश के रूप में स्ट्रेप्टोकोकल संक्रमण के बाद पाया जाता है | यह मच्छरों के काटने से नहीं होता | यह आमतौर पर 5 से 15 वर्ष की आयु वाले बच्चों में अधिक होता है | अपने बच्चे के कई सारे जोड़ों में होने वाले दर्द को चेक करें जो एक संधि में ठीक होने पर दूसरी संधि में परेशानी उत्पन्न करता है और इसमें चिकनगुनिया में आने वाले बुखार के समान बुखार आता है | लेकिन, आपके बच्चे में नोटिस किये जाने योग्य विभेद अनियंत्रित हो जायेंगे या झटकेदार शारीरिक गतिविधियाँ (chorea), स्किन के अंदर छोटे, दर्द्युक्त नोड्युल और चकत्ते हो जायेंगे | चकत्ते समतल या ऊंचे-नीचे किनारों के साथ थोड़े से उठे हुए (erythema marginatum) हो जायेंगे और गहरी गुलाबी रिंग के साथ गोलाकार हो जायेंगे और इन रिंग्स के अंदर का हिस्सा हलके रंग का हो जायेगा | [१५]
विधि 2
विधि 2 का 3:

चिकनगुनिया के लक्षणों का इलाज़ करें

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  1. चिकनगुनिया और मच्छरों से होने वाली अन्य बीमारियों के टेस्ट के लिए डॉक्टर आपका ब्लड सैंपल ले सकते हैं | अगर आपको इनमे से कोई भी लक्षण अनुभव हों तो आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए: [१६]
    • बुखार जो पांच दिनों से अधिक समय तक बना रहें और 103 डिग्री फेरेनहाइट (39 डिग्री सेल्सियस) से ज्यादा हो
    • चक्कर आना (संभवतः न्यूरोलॉजिकल समस्या या डिहाइड्रेशन के कारण)
    • हाथ और पैर की अंगुलियाँ ठंडी होना (रेनोड्स फेनोमेनन)
    • स्किन के अंदर या मुंह से खून आना (यह डेंगू हो सकता है)
    • चकत्ते
    • संधिशूल, लालिमा, जकड़न या सूजन
    • यूरिन आउटपुट कम होना (यह डिहाइड्रेशन के कारण हो सकता है जिससे आगे चलकर किडनी डैमेज हो सकता है)
  2. डॉक्टर ब्लड सैंपल लेकर लैब में भेज देंगे | डायग्नोसिस के लिए उस सैंपल पर कई टेस्ट लगाये जायेंगे | एलिसा (ELISA-एंजाइम लिंक्ड इम्यूनोएस्से) वायरस के विरुद्ध बनने वाली विशिष्ट एंटीबाडीज को परखेगा | ये एंटीबाडीज आमतौर पर बीमारी के पहले सप्ताह की समाप्ति पर विकसित होती हैं और लगभग तीन सप्ताह पूरे होते-होते दूसरे महीने के अंत तक अपने शीर्षतम स्तर पर पहुँच जाती हैं | अगर टेस्ट नेगेटिव आता है तो डॉक्टर फिर से ब्लड टेस्ट करा कर देख सकते हैं कि एंटीबाडीज बढ़ तो नहीं रहीं | [१७] [१८]
  3. इस वायरस का इलाज़ करने के लिए कोई विशिष्ट/मान्यता प्राप्त ट्रीटमेंट नहीं है और न ही इससे बचने के लिए कोई टीका है | इसका उपचार पूरी तरह से लक्षणों पर आधारित होता है | विश्व स्वास्थ्य संगठन आराम करने के द्वारा घर पर किये जाने जाने वाले देखभाल रुपी ट्रीटमेंट का परामर्श देता है | इससे आराम मिलेगा और आपके शरीर को रिकवर होने का समय मिल जाता है | ऐसे वातावरण में आराम करें जो नमीयुक्त या बहुत अधिक गर्म न हो जिससे आपके जोड़ों का दर्द न उभर पाये | [२३]
    • दर्द और सूजन कम करने के लिए कोल्ड पैक लगायें | आप चाहें तो फ्रोजेन सब्जियों के बैग या आइस पैक का उपयोग कर सकते हैं | फ्रोजेन पैक को एक टॉवल में लपेटें और इसे दर्द वाली जगहों पर लगायें | फ्रोजेन पैक या आइस को सीधे ही अपनी स्किन लगाने से बचें क्योंकि इससे टिश्यू डैमेज हो सकते हैं |
  4. अगर आपको बुखार और जोड़ों में दर्द हो तो पेरासिटामोल (paracetamol) या एसेटामिनोफेन (acetaminophen) लें | दिन में चार बार दो 500 मिलीग्राम की टेबलेट पानी के साथ लें | पूरे दिन खूब सारा पानी पिए | चूँकि बुखार के कारण डिहाइड्रेशन और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन हो सकता है इसलिए नमक (जिसमे उपयुक्त इलेक्ट्रोलाइट सोडियम हो) मिलाकर कम से कम दो लीटर पानी पूरे दिन में पीने की कोशिश करें |
    • अगर आपको पहले से कोई किडनी या लिवर से सम्बंधित परेशानी हो तो पेरासिटामोल (paracetamol)/एसेटामिनोफेन (acetaminophen) लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें | बच्चों को ये दवाएं देने से पहले पीडियाट्रिशियन या फार्मासिस्ट से पूछें |
    • चिकनगुनिया में एस्पिरिन (aspirin) या इबुप्रोफेन (ibuprofen), नाप्रोक्सेन (naproxen) आदि जैसी नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDS) न लें | चिकनगुनिया डेंगू जैसी अन्य मच्छरों से होने वाली बीमारियों से सदृश्यता रख सकता है जिनके कारण अत्यधिक ब्लीडिंग हो सकती है | एस्पिरिन और NSAIDS रक्त को पतला कर सकती हैं जिससे ब्लीडिंग बढ़ सकती है | डॉक्टर सबसे पहले डेंगू का पता लगायेंगे | डॉक्टर डेंगू का पता लगाने के बाद संधियों के लक्षणों के लिए NSAIDS लेने का परामर्श दे सकते हैं |
    • अगर आपको असहनीय संधिशूल हो और डॉक्टर के परामर्श के द्वारा ली गयी NSAIDS के बाद भी कोई आराम न मिले तो डॉक्टर आपको चार सप्ताह के लिए मुखसेव्य हाइड्रोक्लोरोकुइन 200 मिलीग्राम (hydrochloroquine 200 mg) दिन में एक बार या क्लोरोकुइन फॉस्फेट 300 मिलीग्राम (chloroquine phosphate 300 mg) दिन में एक बार लेने के लिए प्रेस्क्रिब कर सकते हैं |
  5. आपक केवल हलकी-फुलकी एक्सरसाइज ही करनी चाहिए जिससे आपकी मांसपेशियों या संधियों का दर्द उभर न पाए | अगर हो सके तो फिजियोथेरेपी के लिए एक फिजियोथेरापिस्ट से अपॉइंटमेंट ले लें | इससे आपकी संधियों के आस-पास की मांसपेशियों को मजबूती मिल सकती है जिससे दर्द और जकड़न कम हो सकती है | सुबह एक्सरसाइज करने की कोशिश करें क्योंकि उस समय आपके जोड़ों में जकड़न अधिक होती है | इन सरल गतिविधियों को करने की कोशिश करें:
    • एक कुर्सी पर बैठें | अपने एक पैर को जमीन के समान्तर फैलायें और अपने पंजे को जमीन पर रखने के पहले 10 सेकंड तक इसी स्थिति में रखें | ऐसा ही दूसरे पैर के साथ करें | इसे दिन में कई बार रिपीट करें और हर पैर के 10 बार दोहराव के दो से तीन सेट्स करें |
    • अपने दोनों पैरों को पास लाकर अपने पंजों के बल खड़े होने की कोशिश करें और अपनी एड़ी को बार-बार ऊपर-नीचे करें |
    • एक किनारे मुड़ें | एक पैर को ऊपर उठायें और दूसरे पैर के ऊपर रखने से पहले एक सेकंड तक उठाये रखें | ऐसा इस पैर से 10-10 बार करें | अब, दूसरी ओर मुड़ें और इसे दोहराएँ | हर पैर को 10 बार उठाने के सेट्स को दिन में कई बार दोहराएँ |
    • आप अपनी कम प्रभाव वाली एरोबिक एक्सरसाइज भी कर सकते हैं लेकिन उत्तेजक या आक्रामक गतिविधियाँ या वज़न का उपयोग न करें |
  6. स्किन की उत्तेजना को शांत करने के लिए ऑयल्स या क्रीम लगायें: आपको पपडीदार रुखी स्किन (xerosis) या खुजली युक्त चकत्ते (morbilliform rashes) हो सकते हैं | इसके उपचार की कोई जरूरत नहीं होती लेकिन आप खुजली का इलाज़ कर सकते हैं और स्किन की स्वाभाविक स्थिति और नमी को फिर से पा सकते हैं | इसके लिए मिनरल ऑयल्स, माँइश्चराइजिंग क्रीम या कैलेमाइन लोशन लगायें | [२४] अगर आपको खुजली युक्त चकत्ते हों तो पैकेज पर लिखे निर्देशों के अनुसार डाइफेनहाइड्रामिन (diphenhydramine) जैसे ओरल एंटीहिस्टामिन लें | इनसे खुजली उत्पन्न करने वाले प्रोटीन रिलीज़ हो जाते हैं जिससे सूजन वाली कोशिकाओं में कमी आ सकती है |
    • एंटीहिस्टामिन के उपयोग में सावधानी बरतें क्योंकि इनसे आपको नींद आ सकती है | इन्हें लेने के बाद वाहन न चलायें या मशीनरी के काम न करें |
    • ओटमील को गर्म पानी में मिलाकर प्रभावित स्किन को उसमे डुबाये रखने से स्किन को राहत देने में मदद मिल सकती है |
    • लगातार बने रहने वाले हाइपरपिगमेंटेड स्पॉट्स हाइड्रोक़ुइनोन आधारित प्रोडक्ट्स के द्वारा ठीक किये जा सकते हैं | ये स्पॉट्स को धुंधला या हल्का करने में मदद करेंगे | [२५]
    • हालाँकि स्किन की उत्तेजना को ठीक करने के लिए कई प्रकार के लिक्विड और क्रीम उपलब्ध होती हैं लेकिन इनके उपयोग के लिए आप डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं |
  7. माना जाता है कि हर्ब और पौधों के कई संयोजन चिकनगुनिया के लक्षणों में राहत दे सकते हैं | हालाँकि इनमे से कई संयोजनों को आप ड्रग स्टोर्स से ले सकते हैं लेकिन फिर भी किसी भी हर्बल सप्लीमेंट या हर्बल दवा के उपयोग से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए | हर्बल उपचारों में शामिल हैं: [२६]
    • यूपाटोरियम परफोलिएटम 200 (eupatorium perfoliatum 200): यह चिकनगुनिया के लिए नंबर एक होमियोपैथी दवा है | यह एक पौधे से लिए गया एक्सट्रेक्ट है जिसका उपयोग चिकनगुनिया के लक्षण अनुभव होने पर करना चाहिए | यह संधिशूल और लक्षणों में आराम दे सकता है | इसका उपयोग करने के लिए, एक महीने तक लक्षणों के रहने तक फुल स्ट्रेंथ पर 6 ड्रॉप्स लें |
    • एचिनासा (echinacea): यह एक पुष्प-आधारित एक्सट्रेक्ट है जो आपके इम्यून सिस्टम की प्रभावशीलता को सुधारकर चिकनगुनिया के लक्षणों को ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता है | प्रतिदिन इसकी 40 ड्रॉप्स ली जा सकती हैं जिन्हें प्रतिदिन के तीन डोजेज़ में विभक्त किया जा सकता है |


विधि 3
विधि 3 का 3:

जटिलताओं के प्रति सावधानी और चिकनगुनिया से बचाव

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  1. विशेषरूप से, असामान्य हृदयगति (arrhythmias) पर नज़र रखें क्योंकि ये मुख्य रूप से घातक हो सकती हैं | [२७] इसे चेक करने के लिए, अपनी तर्जनी और मध्यमा अँगुलियों के पोरों को धीरे से अपने अंगूठे के नीचे के हिस्से पर अपनी कलाई पर रखें | अगर आपको पल्स की अनुभूति हो तो यह रेडियल धमनी है | अब गणना करें कि एक मिनट कितनी बीट अनुभव होती हैं | 60 से 100 धड़कनों को सामान्य माना जाता है | और यह भी नोटिस करें कि गति एकसमान धड़कन; अतिरिक्त धड़कन या असामान्य विराम के रूप में तो नहीं है क्योंकि इन सभी का तात्पर्य हृदय की असामान्य गति से हो सकता है | आप स्पंदन के रूप में लुप्त धड़कन या अतिरिक्त धड़कानों को भी नोटिस कर सकते हैं | अगर आपको हृदय गति की असामान्यता के चिन्ह नोटिस करें तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ | डॉक्टर एक इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम कर सकते हैं जिसमे आपके हृदय की गति को चेक करने के लिए आपकी छाती पर इलेक्ट्रोड्स लगाये जाते हैं |
    • चिकनगुनिया वायरस हृदय के ऊतकों पर हमला कर सकते हैं जिसके कारण सूजन (मायोकार्डिटिस) हो सकती है जिससे हृदयगति असामान्य हो जाती है |
  2. बुखार, थकान और मानसिक भ्रम की स्थिति पर नज़र रखें जो ब्रेन की सूजन या इन्सेफेलाइटिस के चिन्ह हैं | व्याकुलता और भटकाव भी इसी के चिन्ह होते हैं | अगर आप इन्सेफेलाइटिस के लक्षणों के साथ ही गंभीर सिरदर्द, गर्दन की जकड़न/दर्द, प्रकाश असंवेदनशीलता, बुखार, ऐंठन, वस्तुएं दो दिखाई देने, मितली और उल्टियाँ भी नोटिस करें तो आपको मैनिंजाइटिस हो सकता है | यह मैनिंजाइटिस और इन्सेफेलाइटिस (जिसमे हमारी स्पाइनल कार्ड के उन ऊतकों में सूजन आ जाती है जो ब्रेन से जुड़े होते हैं) के संयोजन की अवस्था होती है | [२८]
    • अगर आपको नर्व डैमेज अनुभव हो जिसकी शुरुआत हाथ या पैर से होती हो तो आपको गुलियन बेरी सिंड्रोम (gullian barre syndrome) हो सकता है | अपने शरीर के दोनों पार्श्वों की गति, प्रतिक्रिया और संवेदना की कमी को नोटिस करें | अपने शरीर के दोनों ओर दर्द को भी नोटिस करें जो तीक्ष्ण, जलनयुक्त, सुन्नता या पिन और सुई चुभने की संवेदना के समान होता है | यह धीरे-धीरे शरीर के ऊपरी हिस्सों की ओर बढ़ सकता है और मुख्य रूप से श्वसन तंत्र की मांसपेशियों को आपूर्ति करने वाली नर्व के द्वारा सांस लेने में परेशानी उत्पन्न करने लगता है | [२९]
    • अगर आपको सांस लेने में परेशानी हो या ऊपर बताये गये कोई भी लक्षण हों तो तुरंत आपातकालीन चिकित्सा की मदद लें | [३०]
  3. आँखों में दर्द, पानी बहना और लालिमा पर ध्यान दें | ये सभी आँखों की लाइनिंग के संक्रमण के लक्षण हो सकते हैं जो कंजंक्टिवाइटिस, एपिस्क्लेरिटिस (episcleritis), और युवेटिस (uveitis) के कारण होता है | आप युवेटिस के साथ धुंधली दृष्टी और प्रकाश असंवेदनशीलता भी अनुभव कर सकते हैं | अगर आपको इनमे से किसी भी तरह के नेत्रसम्बन्धी लक्षण अनुभव हों तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ |
    • अगर आपको सामने की चीज़ें देखने में परेशानी हो (केन्द्रीय दृष्टी) और रोजमर्रा की चीज़ों के रंग धुंधले दिखाई देने लगें तो आपको न्यूरोरेटिनिटिस (neuroretinitis) हो सकता है | [३१]
  4. हेपेटाइटिस के चिन्हों के लिए अपनी स्किन पर नज़र डालिए: दर्पण में अपनी स्किन या आँखों के सफ़ेद हिस्से पर किसी भी तरह के पीलेपन पर गौर कीजिये जो पीलिया के चिन्ह होते हैं | ये हेपेटाइटिस (लिवर की सूजन) के चिन्ह हो सकते हैं | यह सूजन लिवर के प्रोडक्ट्स (बिलीरुबिन) के पिछले जमा स्टॉक को फैला सकती है जिससे स्किन पीली और खुजलीयुक्त हो जाती है | इस स्थिति में तुरंत चिकित्सीय मदद लें |
    • अगर हेपेटाइटिस को अनुपचारित छोड़ दिया जाता है तो इससे लिवर फ़ेल भी हो सकता है |
  5. किडनी फेल होने के संकेतक डिहाइड्रेशन पर नज़र रखें: चिकनगुनिया से डिहाइड्रेशन हो सकता है क्योंकि किडनी को सामान्य रूप से काम करने के लिए पर्याप्त मात्रा में रक्त प्रवाह नहीं मिल पाता | इससे किडनी फेल हो सकती हैं इसलिए अपने यूरिन आउटपुट को मॉनिटर करें | अगर आपकी यूरिन की मात्रा विशेषरूप से कम हो गयी हो और यूरिन बहुत सांद्रित हो और साथ ही गहरे रंग की हो तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें |
    • डॉक्टर या आपातकालीन स्थिति विशेषज्ञ किडनी के काम का पता लगाने के लिए आपको अधिक सटीक लैब टेस्ट और परिमाण प्रदान करेंगे और अगर आप डिहाइड्रेटेड होंगें तो आपको IV फ्लूइड देंगें |
  6. सेंटर फॉर डिजीज कण्ट्रोल की वेबसाइट पर अपडेटेड नक़्शे के द्वारा पता लगायें कि चिकनगुनिया कहाँ-कहाँ पाया गया है | [३२] अगर आप ऐसी किसी भी जगह पर यात्रा कर रहे हो जहाँ चिकनगुनिया की सम्भावना हो तो इस रोग से बचने के लिए आप कई उपाय अपना सकते हैं | इन सुरक्षात्मक उपायों में शामिल हैं: [३३]
    • शाम के समय बाहर जाएँ | हालाँकि मच्छर कभी भी काट सकते हैं लेकिन चिकनगुनिया की सक्रियता सबसे अधिक दिन की रोशनी के समय में होती है |
    • मच्छरों से बचने के लिए यथासंभव लम्बी आस्तीनों वाले कपडे पहनें | अपने कपड़ों पर मच्छरों और अन्य कीड़ों का आसानी से पता लगाने के लिए हलके रंग के कपडे पहनें |
    • सोते समय मच्छरों से बचने के लिए रात में मच्छरदानी के अंदर सोयें |
    • 20% से अधिक DEET वाले रेपेल्लेंट्स या मच्छर मारकों का उपयोग करें | उपयोग करने के लिए अन्य सक्रीय सामग्रियों में यूकेलिप्टस का तेल, पिकारिडिन और IR3535 शामिल होना चाहिए | आमतौर पर जितनी प्रभावशाली सक्रीय सामग्री होगी उतने ही लम्बे समय तक सुरक्षा दे सकेगी |

सलाह

  • हाइड्रोक्सीक्लोरोकुइन (hydrochloroquine) और क्लोरोकुइन फॉस्फेट (chloroquine phosphate) डिजीज-मॉडिफाइंग ड्रग्स हैं जिनका उपयोग रूमेटोइड आर्थराइटिस के लिए किया जाता है लेकिन ये चिकनगुनिया में होने वाले गंभीर आर्थराइटिस के केस में भी प्रभावकारी हो सकती हैं | संधियों के कार्टिलेज में होने वाले बदलाव या क्षति की सुनिश्चिती के लिए एक्स-रे किया जा सकता है | [३४]

चेतावनी

  • एस्पिरिन का उपयोग करने से बचें क्योंकि इससे 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में रेयेस सिंड्रोम और आमाशय और आँतों में ब्लीडिंग हो सकती है | 4 से 12 साल के बच्चों में होने वाली रेयेस सिंड्रोम एक गंभीर बीमारी है जिसमे ब्रेन और लिवर में गंभीर लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं जो घातक भी हो सकते हैं |

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रेफरेन्स

  1. Staples J, Hills S, Powers A. Chikungunya. Chapter 3 Infectious Diseases Related to Travel. CDC. May 2, 2014. http://wwwnc.cdc.gov/travel/yellowbook/2014/chapter-3-infectious-diseases-related-to-travel/chikungunya
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