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क्या लोग आपसे हमेशा चुप हो जाने के लिए कहते रहते हैं? क्या आप अक्सर बिना सोचे बोल देते हैं, और बाद में उसे कहने के लिए पछताते हैं? क्या आपको लगता है कि आपके सिर के अंदर बहुत शोर हो रहा है, और आप जानना चाहते हैं कि उसको कैसे बंद किया जाये? देखिये, अच्छी बात यह है कि कोई भी चुप रह सकता है। -- उसके लिए केवल समय और धीरज की ज़रूरत होती है। अगर आप जानना चाहते हैं कि किस तरह चुप रहा जाये, तब इस लेख को पूरा पढ़ डालिए।

विधि 1
विधि 1 का 2:

किसी कनवरसेशन (Conversation) के दौरान चुप रहना

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  1. वे लोग जो स्वाभाविक रूप से लाउड (loud) होते हैं उनके अंदर यह महत्वपूर्ण स्किल नहीं होती है। तो, अगली बार जब आप ऐसी परिस्थिति में हों कि आप कुछ कहने के लिए बेचैन हो रहे हों, तब एक पल के लिए ठहरिए, और खुद से पूछिये कि आप जो कहने जा रहे हैं, क्या उससे वास्तव में इस परिस्थिति में कुछ लाभ होगा। क्या आप लोगों को कोई ऐसी जानकारी देंगे जिसकी उन्हें ज़रूरत है, लोगों को हंसाएंगे, उन्हें आश्वस्त करेंगे, या सिर्फ इसलिए कुछ बोलेंगे कि आपको सुना जा सके? अगर आपको नहीं लगता है कि आपको जो भी कहना है उससे किसी को वास्तव में कोई लाभ होगा, तब उस बात को अपने तक ही रखिए। [१]
    • शुरुआत में आप इस नियम का पालन करिए कि जो भी दो बातें सोचें, उनमें से केवल एक ही को कहिए। जैसे-जैसे आप चुप रहने का अभ्यास बढ़ाएँ, आप हर तीन में से एक चीज़ कह सकते हैं, या प्रत्येक चार में से एक चीज़।
  2. कभी भी किसी व्यक्ति की बात को, जब वह बोल रहा हो, बीच में तब तक मत काटिए जब तक कि आपको ऐसा न लगे कि आपको जो भी कहना है वह इस कनवरसेशन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। (मान जाइए – क्या ऐसा कभी भी होता है?) किसी की बात काटना, न केवल अशिष्टता होती है, बल्कि इससे कनवरसेशन का फ़्लो (flow) भी बाधित होता है और आप बड़बोले लगने लगते हैं। अगर आपको सचमुच में कोई कमेन्ट करना ही है, या कोई सवाल पूछना ही है, तब उसको नोट कर लीजिये और तब तक रुकिए जब तक कि बोलने वाला व्यक्ति अपनी बात पूरी न कर ले, और जब वह रुके तब देखिये कि क्या आपकी बात या सवाल अभी भी रेलीवेंट (relevant) है। [२]
    • आपको यह जान कर आश्चर्य होगा, कि अगर आप लोगों को अपनी बात पूरी कर लेने देंगे, तब आपके कितने सारे प्रश्नों का जवाब अपने आप ही मिल जाएगा।
  3. अगर आप अधिक चुप रहने का अभ्यास कर रहे हैं, तब संभावना यही है, कि आपकी आदत है कि दूसरों को अपने विचार साझा करने देने की जगह, आप अपने ही बारे में, या अपनी पसंद की चीज़ों के बारे में, लगातार बोलते रहते हैं। तो, अगली बार जब कनवरसेशन चल रहा हो और आपकी बोलने की बारी आए तब आप लोगों से सवाल पूछिये ताकि आपको उस टॉपिक के बारे में इनसाइट (insight) मिल सके, जिसको आप डिस्कस कर रहे हैं, और उनकी हॉबीज़ के बारे में और मज़ा लेने के लिए वे क्या करना पसंद करते हैं, इसके बारे में जान कर - आप उनके बारे में और भी अधिक जानकारी पा सकें। [३]
    • आपकी बातों से ऐसा नहीं लगना चाहिए कि आप पूछताछ कर रहे हैं, और न ही आपको ऐसे सवाल पूछने चाहिए जिनसे लोग अनकम्फ़र्टेबल हो जाएँ। बातों को हल्का-फुल्का, दोस्ताना और शिष्ट ही रखिए, और याद रखिए कि मुख्यतः कोई भी कनवरसेशन यह अधिक बताता है कि आप दूसरे की परवाह करते हैं और आपकी दिलचस्पी, "चीज़ों के बारे में" अपने विचारों को शेयर करने में कम और उसकी भावनाओं, विचारों और दृष्टिकोण की जानकारी लेने में अधिक है।
  4. अगर आपको लगता है कि आपने सबसे शानदार कमेन्ट सोच लिया है, तब उसे दस सेकंड का समय दीजिये। दस से उल्टी गिनती गिनिए और देखिये कि क्या वह विचार उसके बाद भी उतना ही अपीलिंग (appealing) लगता है, या दूसरे लोगों को समय दीजिये कि वे अपनी बात कह सकें और आपको अपनी बात कहने का अवसर ही नहीं मिले। यह तरकीब तब भी बहुत बढ़िया काम करती है, जब आपको गुस्सा आ रहा हो या आप अपसेट हों और अपनी भड़ास निकालना चाहते हों। अपने आप को शांत होने के लिए थोड़ा समय देने से, आप शायद ऐसा कुछ कहने से बच सकते हैं जिसके लिए आपको बाद में पछताना पड़े।
    • जब आप इसमें माहिर हो जाएँगे, तब शायद आप सिर्फ पाँच तक भी गिन सकते हैं। इतना कम समय भी आपको यह समझने में मदद कर सकता है कि आपको चुप रहना चाहिए या नहीं।
  5. अगर आप चुप रहना चाहते हैं, तब आपको एक बढ़िया श्रोता बनने की कोशिश करनी पड़ेगी। जब कोई आपसे बात करे तब आई कॉन्टेक्ट बनाइये, मुख्य मुद्दे चुन लीजिये, और बातों का छिपा हुआ मतलब समझने की कोशिश करिए, जिससे कि आपको पता चल सके कि कहने वाला वास्तव में क्या कह रहा है और वह वास्तव में क्या महसूस कर रहा या रही है। उस व्यक्ति को बात कर लेने दीजिये, धैर्य रखिए, और टेक्स्ट मेसेज जैसे डिसट्रैक्शन्स (distractions) से ध्यान को बंटने मत दीजिये। [४]
    • उनके विचारों को मूर्त रूप में पाने के लिए सवाल पूछिये, मगर टॉपिक से हट कर, यूं ही ऐसा कुछ भी मत पूछिये जिससे वह व्यक्ति शायद कनफ्यूज़ हो सकता हो।
    • आप अच्छा श्रोता होने का जितना अधिक प्रयास करेंगे, कनवरसेशन पे छा जाने के लिए आप उतने ही कम मजबूर होंगे। एक बढ़िया रूल ऑफ थंब (rule of thumb) यह हो सकता है कि बोलने और सुनने के समय में संतुलन बनाया जाये, मतलब उनको बराबर रखा जाए। संतुलित कनवरसेशन ही सबसे स्वस्थ होता है।
  6. अगर आप अपने कनवरसेशन का बहुत सारा समय उन चीज़ों के बारे में शिकायतें करने में गुज़ार देते हैं जिनके कारण आज आपको चिढ़ हुई – जैसे कि आज आपको सुबह कितना खराब ट्राफिक मिला, आपको दोस्त से आज एक गंदा ईमेल मिला, किस तरह जाड़े की वजह से आपका स्टाइल सिकुड़ता जा रहा है – अब आपको इससे सहायता मिल सकती है अगर आप सोचें कि दूसरे व्यक्ति के पास इन सभी बातों के लिए "क्या जवाब उपलब्ध" हो सकता है। बातचीत किस ओर जा सकती है? क्या इसका कोई प्रोडक्टिव परिणाम होगा? दूसरा व्यक्ति आपकी बातों को सुन कर आपके और आपके ऐटिट्यूड (attitude) के बारे में क्या सोच सकता है?
    • अगर उन चीज़ों की शिकायत करने से, जिनको आप वास्तव में बदल नहीं सकते, आपको बेहतर लगता है, तब उनको अपने किसी जर्नल में लिख डालिए। वास्तव में ज़ोर से शिकायत करने का कोई फ़ायदा तो है नहीं, है ना?
    • अगर आपको कोई सचमुच की समस्या है, और आप उसकी बात करना चाहते हैं, तब ठीक है। - हम यहाँ बात कर रहे हैं केवल कनवरसेशन के लिए शिकायत करने की आपकी ज़रूरत की।
  7. अगर आप सचमुच में बेचैन हो रहे हैं और बिना किसी कारण के बातें करना शुरू ही करना चाहते हैं, तब बस अपनी सांस पर फ़ोकस करिए। अपनी सांस के आने और जाने पर ध्यान दीजिये और कोशिश करिए कि आप और गहरी सांसें ईवेनली (evenly) लें। फ़िजेट (fidget) करना बंद करिए और ध्यान से सुनिए कि आपके आसपास क्या हो रहा है। आप जो भी कहने के लिए इतने बेचैन हैं, उसकी जगह आप क्या सोच और महसूस कर रहे हैं, उस पर फ़ोकस करिए।
    • इस तकनीक से आप शांत हो सकेंगे और आप देख सकेंगे कि बात करना इतना महत्वपूर्ण है।
  8. आप जो भी सुनते हैं, उसको प्रोसेस करने में कुछ समय लीजिये: हो सकता है कि आप ऐसे व्यक्ति हों, जो कि सुनी हुई किसी भी बात पर तुरंत प्रतिक्रिया देता है और जो कि जो भी सोच रहा होता है/जिस पर भी चकित हो रहा होता है/ जिस पर भी चकित जैसा कुछ हो रहा होता है, उसको तुरंत कह डालना चाहता है, मगर किसी भी परिस्थिति से निबटने का यह सबसे बढ़िया तरीका नहीं है। अगर, जो कुछ भी हो रहा है, आप उसको प्रोसेस करने के लिए कुछ समय लेना चाहते हैं, और कोई प्रश्न या कमेन्ट पूरी तरह से तैयार करना चाहते हैं, तब आप कहीं कम बोल पाएंगे और आप कुछ ऐसा पूछ पाएंगे या कमेन्ट कर पाएंगे जो कि कहीं अधिक सटीक होगा। [५]
    • इससे आपको समय मिलेगा कि आप अपने आंतरिक एडिटर बन जाएँगे और आप वो सब “फ़ालतू” चीज़ें नहीं कहेंगे जिनसे कुछ भला नहीं हो रहा है।
विधि 2
विधि 2 का 2:

अपने पूरे दिन चुप रहना

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  1. अपने आप चुप रहने का अभ्यास करने से जब आप लोगों के बीच होते हैं, तब अधिक शांत रहना बहुत आसान हो जाता है। अभ्यास करने का एक बढ़िया तरीका यह है, कि आप कोई ऐसी हॉबी खोज लीजिये जहां आपको चुप रहना हो और अच्छा होगा कि अपने में ही मग्न रहना हो। पेंटिंग, क्रिएटिव राइटिंग, योगाभ्यास, गीत लिखना, स्टैम्प कलेक्ट करना, बर्ड वॉचिंग, या किसी भी ऐसी चीज़ को करने की कोशिश करिए जिसमें आपको चुप रहना हो और आपके मन में जो भी हो उसे कहने की ज़रूरत नहीं हो।
    • पढ़ने से भी, आपको चुप रहने में बहुत सहायता मिलती है, जिसमें कि आप अपने सामने आए हुये शब्दों को प्रोसेस करते रहते हैं।
    • जब आप अपनी हॉबी पर लगे हों, तब कोशिश करिए कि कम से कम एक घंटे तक आप कुछ नहीं बोलें। उसके बाद दो घंटे तक ऐसा करिए। फिर तीन। सोचिए कि आप बिना कुछ बोले पूरा एक दिन बिता सकते हैं?
  2. हो सकता है कि आप बहुत बातें कर रहे हों – कुछ लोग कह सकते है कि बहुत ही अधिक – क्योंकि हो सकता है कि आपको लगता है कि आपके पास बहुत एनर्जी है और आपको समझ में नहीं आता कि उसे कैसे रिलीज़ किया जाये। तो, कोई अन्य आउटलेट खोजिए जहां आप अपने मन की वो सारी बातें कह सकें, जो कि आपके दिमाग़ में भरे हुये उस पूरे गुबार से आपको छुटकारा दिला सके।
    • वर्क आउट करना – ख़ासकर भागना – शानदार एकसरसाइज़ के साथ-साथ उस अतिरिक्त एनर्जी से छुटकारा दिलाने में भी आपकी मदद कर सकता है। लंबी दूरी की वॉक तथा खाना पकाना भी आपकी ऐसी ही मदद कर सकते हैं। देख लीजिये कि आपके लिए क्या ठीक रहेगा।
  3. ऑनलाइन बातें करने से केवल आपके जीवन में एक तरह का शोर भरता है और अधिकतर आप जो भी कहते हैं वह उतना महत्वपूर्ण नहीं होता है। अगर आपको सचमुच किसी दोस्त से बात करनी होती तो, तो आप या तो फोन पर बात करते या आमने-सामने बातें करते, न कि कंप्यूटर पर लगातार टाइप करते रहते, है ना? अगली बार जब आपको किसी चैट पर जा कर अपने 28वें घनिष्ठ मित्र से बातें करने का मन करे, तब उसकी जगह अपने कंप्यूटर को बंद करके, टहलने चले जाइए।
  4. बेहतर तो यही होगा कि फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विट्टर, और किसी भी दूसरे ऐसे सोशल मीडिया से ब्रेक लीजिये जिसका आप अक्सर इस्तेमाल करते हों। इन साइट्स पर ऐसा शोर भरा होता है, जहां लोग एक दूसरे को इंप्रेस करने की कोशिश में लगे होते हैं, और उसी के साथ उनमें ऐसे अर्थहीन शब्द होते हैं जिनका आप जवाब देना ही चाहते हैं। अगर आप सचमुच में एडिक्टेड (addicted) हैं, तब हर मौके पर उनको चेक करते रहने की जगह, अपनी सभी सोशल मीडिया साइट्स पर दिन भर में 10-15 मिनट बिताइए।
    • दुनिया में बिलकुल अजनबी लोग क्या कह रहे हैं, उसकी जगह क्या आप वो नहीं सुनना चाहेंगे कि आपका घनिष्ठतम दोस्त क्या कह रहा है? सुनाई पड़ने वाली उन सभी अतिरिक्त आवाज़ों को बंद कर दीजिये और केवल उन्हीं पर फ़ोकस करिए जिनका आपके लिए कुछ मतलब है।
  5. प्रत्येक दिन या हफ़्ते के अंत में अपने जर्नल में लिखने की आदत डालिए। इससे आपको उन अतिरिक्त विचारों को लिखने में सहायता मिलेगी और बिना अपने 15 घनिष्ठ दोस्तों को उस बारे में सब कुछ बताए ही, आपको ऐसा लगेगा कि आपके दिल से बोझ उतर गया है। आप केवल यह लिख सकते हैं कि दिन भर में आपके साथ क्या-क्या हुआ, जिसके बाद आप के मन में और सवाल उठेंगे और आप अपने मन की गहराई की चीज़ों के बारे में भी लिख सकेंगे।
    • अगर आप प्रतिदिन जर्नल का एक पेज भी लिखेंगे तब भी आप यह देख कर चकित हो जाएँगे कि आप कितने खामोश हो गए हैं।
  6. अपने दिमाग़ को बंद करने का और अपने शरीर और व्यक्तित्व को शांत रखने के लिए मेडिटेट करना एक शानदार तरीका है। प्रत्येक सुबह 10-20 मिनट के लिए किसी शांत कमरे में आराम से बैठ जाइए, अपनी आँखें बंद कर लीजिये और अपनी सांस को शरीर में आते जाते हुये देखने पर अपना ध्यान फ़ोकस करिए। अपने शरीर के एक-एक भाग को रिलैक्स करने पर फ़ोकस करिए और ध्यान दीजिये कि जब आप वहाँ बैठे हैं, तब आप क्या सुन रहे हैं, सूंघ रहे हैं, महसूस कर रहे हैं, और सेंस (sense) कर रहे हैं। किसी भी तरह के गंभीर विचारों को आने से रोक दीजिये और केवल उसी पल में रहने पर तथा खामोशी को एप्रीशिएट करने पर फ़ोकस करिए, जिससे कि आप और अधिक सेंटर्ड (centered) और शांत दिन पाने की राह पर चल पड़ेंगे। [६]
    • मेडिटेट करने से आप ओवरव्हेल्म (overwhelm) होने की भावना से बच सकते हैं जिससे आपको अपने मस्तिष्क और शरीर पर और अधिक नियंत्रण मिल जाएगा।
  7. टहलने जाइए। बीच पर जाइए। शहर के दूसरी ओर बग़ीचे में सुंदर पेड़ पौधे देखिये। वीकेंड के लिए जंगल में जाइए। प्रकृति के निकट पहुँचने के लिए जो भी करना हो, वो करिए। कोई चीज़ जो आपसे इतनी अधिक परमानेंट (permanent) है, उसके सौन्दर्य और शक्ति को देख कर आप इतने अभिभूत हो जाएँगे कि आपके सभी संदेह और शब्द गुम हो जाएँगे। जब आप किसी ऐसे सुंदर पर्वत की तलहटी में खड़े होंगे, जो समय की शुरुआत से ही वहाँ है, तब उस समय अगली मैथ क्विज़ के बारे में बक-बक करते रहना मुश्किल हो जायेगा। [७]
    • अपने साप्ताहिक रूटीन में प्रकृति के लिए कुछ समय निकाल लीजिये। आप प्रकृति देखते समय अपना जर्नल भी साथ ला सकते हैं ताकि आप वहीं पर उसमें अपने विचार लिख सकें।
  8. बेशक, संगीत साथ रहने से आपको पढ़ने, दौड़ने या काम पर जाने के लिए कम्यूट (commute) करने में मज़ा आ सकता है। मगर, संगीत से वो अतिरिक्त शोर बन सकता है जिसके कारण आप कुछ अधिक बातूनी, फ़्रैंटिक (frantic) तथा एक्साइटेबल (excitable) हो सकते हैं। क्लासिकल संगीत या जाज़ तो तब भी ठीक हो सकता है, मगर लाउड संगीत जिसमें चलते हुये शब्द हों उनसे ऐसा शोर बन सकता है, जो आपके दिमाग़ में चक्कर काटता रहेगा और जिसके कारण आपको नहीं लगेगा कि वह दिन आपके नियंत्रण में है या आप शांत हैं।
  9. अगर आप स्वाभाविक रूप से लाउड और बातूनी व्यक्ति हैं, तब आप रातोंरात तो खामोश व्यक्ति नहीं बन जाएँगे। परंतु अगर आप प्रतिदिन कोशिश करेंगे कि थोड़ा कम बोलें, उन हॉबीज़ और गतिविधियों में अपना ध्यान लगाएँ जिनमें आपको चुप रहना होता है, और अच्छे वक्ता होने की जगह अच्छा श्रोता होने पर फ़ोकस करेंगे तब शायद आप अपनी कल्पना से जल्दी ही अधिक खामोश हो सकेंगे। इसलिए आराम से बैठिए, धैर्य रखिए, और अपने दिमाग़ – और अपनी वोकल कॉर्ड में से, उस अतिरिक्त शोर को बह कर बाहर जाते हुये देखिये।


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