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फूड प्वाइजनिंग आपको तब शिकार बनाता है जब आप ऐसा फूड खाते हैं जो या तो प्रकृतिक रूप से विषैले हों या फिर वे किसी बैक्टीरिया या अन्य टाक्सिन्स द्वारा प्रदूषित हो गए हों। वैसे तो इन विषैले पदार्थों के श्रोत के शरीर से बाहर निकलते ही कष्टदायक लक्षण भी अपने आप खत्म होने लगते हैं परंतु कुछ ऐसे ऐक्शन्स भी होते हैं जिन्हें इस दौरान करने से आपको आराम भी मिलता है और साथ ही रिकवरी भी तेज़ हो जाती है। बहुत से मामलों में आपको चिकित्सीय सहायता भी लेने की आवश्यकता पड़ सकती है।

विधि 1
विधि 1 का 3:

लिए जाने वाले ऐक्शन का निर्धारण करना

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  1. फूड प्वाइजनिंग किसके कारण हुआ यह जानने का प्रयास करें: फूड प्वाइजनिंग के लक्षणों का इलाज़ करने से पहले अत्यंत महत्वपूर्ण होता है यह जान लेना कि वह किस कारण से हुआ है। पिछले 4 से 36 घंटों में आपने क्या-क्या खाया इसे याद करने का प्रयास करें। क्या आपने कुछ नया खाया था? क्या किसी वस्तु का स्वाद आपको कुछ अजीब लगा था? क्या आपने खाना किसी मित्र या परिवार के सदस्य के साथ बाँट के खाया था और उस व्यक्ति में भी आप ही वाले लक्षण दिख रहे हैं? यहाँ फूड प्वाइजनिंग के सबसे अधिक संभावित कारण दिये गए हैं:
    • ऐसा भोजन जिसे ई-कोलाइ (e coli), सालमोनेला (salmonella) या किसी अन्य तरह के बैक्टीरिया द्वारा प्रदूषित किया गया हो। आम तौर पर सही ढंग से भोजन को पकाने और उसके रख-रखाव करने से ही बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं इसलिए समान्यतया इस तरह की फूड प्वाइजनिंग तभी होती है जब मीट या अन्य खाद्य पदार्थ अधपके रह जाते हैं या भोजन ज्यादा देर के लिए फ्रिज के बाहर ही छूट जाते हैं। [१]
    • विषैली मछलियाँ जैसे कि पफर फिश (puffer fish) भी फूड प्वाइजनिंग का एक आम श्रोत होती हैं। हो। पफर फिश तब तक नहीं खाना चाहिए जब तक कि वह किसी ऐसे रेस्तरां में न पकाया गया हो जो इसे पकाने लिए सर्टिफाइड हो। [२]
    • विषैले जंगली मशरूम्स, जो देखने में स्वस्थ और खाने योज्ञ मशरूम जैसे ही दिख सकते हैं, के द्वारा भी फूड प्वाइजनिंग हो सकती है।
  2. निर्णय लें कि तुरंत चिकित्सीय सहायता की आवश्यकता है या नहीं: जब किसी आम तौर पर स्वस्थ रहने वाले व्यक्ति को बैक्टीरिया द्वारा प्रदूषित भोजन के कारण फूड प्वाइजनिंग होती है तो उसका इलाज़ घर में भी किया जा सकता है। तथापि, फूड प्वाइजनिंग का इलाज़ शुरू से पहले, उसके श्रोत और बीमार व्यक्ति के उम्र के आधार पर, यह देखना होगा कि तुरंत चिकित्सीय सहायता आवश्यक है या नहीं। [३] यदि इनमें से कोई भी स्थिति हो तो डाक्टर को बुलाएँ:
    • बीमार व्यक्ति ने विषैली मछली या मशरूम्स खाये हों।
    • बीमार कोई नवजात या छोटा बच्चा हो।
    • बीमार व्यक्ति कोई गर्भवती महिला हो।
    • बीमार व्यक्ति की उम्र 65 वर्ष के ऊपर हो।
    • बीमार व्यक्ति के लक्षणों में तीव्रता हो जैसे कि उसे सांस लेने में तकलीफ हो, चक्कर आ रहे हों, बेहोश हो गया हो या खून की उल्टी कर रहा हो।
विधि 2
विधि 2 का 3:

फूड प्वाइजनिंग के लक्षणों से राहत पाना

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  1. उल्टी और दस्त के कारण शरीर में फ़्ल्युइड की कमी होने लगती है इसलिए निर्जलीकरण से बचने के लिए यह अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है कि आप ढेर सारा पानी पियेँ और द्रव पदार्थों का सेवन करें। वयस्क लोगों को दिन भर में कम से कम 16 ग्लास पानी पीना चाहिए। [४]
    • हर्बल चाय विशेष रूप से मिंट चाय में पेट को शांत करने के गुण होते हैं। इसलिए कुछ कप पेपरमिंट चाय पियेँ ताकि आप हाइड्रेटेड रहें और आपकी मिचली रुक जाये।
    • जिन्जर एल और नीबू या लाईम सोडा आपको पुनः हाइड्रेटेड होने में मदद कर सकते हैं और कार्बोनेशन से आपका पेट नियमित हो सकता है। [५]
    • काफी, एल्कोहल और अन्य द्रव पदार्थों, जो डीहाइड्रेशन को बढ़ाते हैं, से परहेज करें।
  2. फूड प्वाइजनिंग से उल्टी, दस्त या ऐसी प्रकृतिक शारीरिक क्रियाएँ हो सकती हैं जो शरीर में से विष को बाहर निकालने के लिए शरीर स्वयं करता है। ऐसे में और सालिड फूड खाने से और अधिक उल्टी तथा दस्त हो सकते हैं इसलिए सबसे अच्छा यही होगा कि आप ज्यादा मात्रा में सालिड फूड तब तक न खाएं जब तक आपकी स्थिति बेहतर न हो जाये।
    • यहाँ यह कहने की बिलकुल आवश्यकता नहीं है कि जिस भोजन से आपको प्वाइजनिंग हुई है उसे खाने से आपको परहेज करना चाहिए। यदि आपको ठीक से पता नहीं है कि किस चीज को खाने से आपको प्वाइजनिंग हुई है तो ऐसी कोई भी चीज न खाएं जो आपके खाने से ठीक पहले ताज़ा-ताज़ा न बनाई गई हो।
    • यदि आप शोरबे और सूप से ऊब जाएँ तो साधारण खाद्य पदार्थ जैसे कि केले, सादे उबले चावल या सूखे टोस्ट खाएं जो आपका पेट खराब नहीं करेंगे।
  3. यदि आपके शरीर में डीहाइड्रेशन के माध्यम से पोषक तत्वों की अधिक मात्रा में कमी हो रही हो तो आप उनकी भरपाई के लिए फार्मेसी से कोई इलेक्ट्रोलाइट सोल्युशन खरीद सकते हैं। गैटोरेड (Gatorade) या पेडियालाइट (Pedialyte) भी इस मामले में अच्छा कार्य करेंगे।
  4. फूड प्वाइजनिंग की तकलीफ़ों को झेलने के बाद आपको कमजोरी और थकान का अनुभव हो सकता है इसलिए अपने शरीर की तेज़ रिकवरी के लिए पर्याप्त मात्रा में नींद लें। [६]
  5. दस्त और उल्टी को रोकने के लिए बिना पर्चे के मिलने वाली दवाएं वास्तव में रिकवरी को धीमा कर सकती हैं क्योंकि वे फूड प्वाइजनिंग के श्रोत को शरीर से बाहर निकालने के लिए शरीर के द्वारा की जाने वाली प्राकृतिक क्रियाओं में भी बाधा पहुंचाती हैं। [७]
विधि 3
विधि 3 का 3:

फूड प्वाइजनिंग से बचाव

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  1. कई बार फूड प्वाइजनिंग उन बैक्टीरिया के द्वारा होता है जो बिना धुले गए हाथों, डिशेज, कटिंग बोर्ड्स, बर्तनों या कार्य-स्थल की सतह से होकर खाने में पहुँच जाते हैं। इस तरह से हो सकने वाले फूड प्वाइजनिंग से बचने के लिए निम्नलिखित कदम उठाएँ:
    • खाना बनाने से पहले अपने हाथों को हल्के गरम साबुन युक्त पानी से धुलें।
    • अपने डिशेज और बर्तनों को प्रयोग के बाद हल्के गरम साबुन युक्त पानी से धुलें।
    • किसी क्लीन्सर के द्वारा काउंटर्स, टेबल्स, कटिंग बोर्ड्स और किचेन की अन्य सतहों को, विशेष कर जहां कच्चा मीट प्रयोग में लाया गया हो, को खाना पकाने के बाद रगड़ कर साफ करें।
  2. सुनिश्चित करें कि कच्चा भोजन जैसे कि, कच्चे चिक़ेन या स्टीक के पैकेजेज़ और अन्य कच्चे खाद्य पदार्थ जिन्हें अभी न पकाना हो, अलग-अलग रखे जाएँ ताकि वे एक दूसरे को प्रदूषित न कर सकें। सभी तरह के मीट और दुग्ध पदार्थ बाज़ार से लाते ही फ्रिज में रखना सुनिश्चित करें। [८]
  3. मीट को इतना पकायेँ कि उसका आंतरिक तापमान उस स्तर पर पहुँच जाये जिस स्तर पर बैक्टीरिया मर जाते हैं ताकि बैक्टीरिया द्वारा हो सकने वाले फूड प्वाइजनिंग से बचा जा सके। यह सुनिश्चित हो लें कि आपको उस तापमान के बारे में जानकारी है जहां तक मीट को पकाना चाहिए और थर्मामीटर की सहायता से, पकाना बंद करने से पहले, उस तापमान तक पहुंचने की जांच कर लें। [९]
    • चिक़ेन और अन्य पोल्ट्री को 1650 फा (73.90 से) तक पकाना चाहिये।
    • ग्राउंड बीफ को 1600 फा (71.10 से) तक पकाना चाहिये।
    • बीफ स्टीक्स और रोस्ट्स को 1450 फा (62,80 से) तक पकाना चाहिये।
    • पोर्क को 1600 फा (71.10 से) तक पकाना चाहिये।
    • मछली को 1450 फा (62,80 से) तक पकाना चाहिये।
  4. जंगली मशरूम्स को तलाश करना गत वर्षों में एक ट्रेंड सा बन गया है लेकिन जब तक आप मशरूम्स की तलाश किसी एक्सपर्ट की मदद से न कर रहे हों तब तक ताज़े तलाशे गए मशरूम्स को खाने से बचें। यहाँ तक कि वैज्ञानिकों को भी, बिना बायोलाजिकल टेस्ट्स की सहायता के, खाने योग्य और जंगली मशरूम की प्रजातियों के बीच अंतर कर पाने में कठिनाई होती है।

सलाह

  • फ्रिज में काफी समय से रखे हुए भोजन को खाने का जोखिम न उठाएँ। जब भी इस विषय में आपको शंका हो, तो खाने को फेंक दें।
  • मिचली से बचने के लिए और स्वयं को हाइड्रेटेड बनाए रखने के लिए बर्फ या बर्फ के क्यूब्स को चूसें।
  • बाहर का खाना ज्यादा खाने से परहेज करें।

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