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शहरी इलाक़ों में ख़रगोशों की आबादी बढ़ने की वजह से, आजकल ख़रगोशों की मांद के मिलने की संभावनाएं पहले के मुक़ाबले काफी बढ़ गई हैं। अक्सर ख़रगोशों की जिन मांदों में बच्चे बग़ैर माँ के मिल जाते हैं, वह मांदें छोड़ी हुई नही होतीं। अगर मांद में से जंगली ख़रगोश के बच्चों को निकाल लिया जाए और पशु चिकित्सक या वन्यजीव पुनर्वास में दक्ष व्यक्ति इनकी देखभाल ना करे, तो इनके बचने की संभावना बहुत कम होती है। अगर आपके पास पुनर्वास करने का लाइसेंस मौजूद ना हो, तो बहुत से राज्यों में जंगली ख़रगोश को रखना और इनकी देखभाल करना ग़ैरक़ानूनी है। अगर वन्यजीव पुनर्वास केंद्र या पशु चिकित्सक के पास ले जाने से पहले आपको ख़रगोश के अनाथ बच्चों की देखभाल करने की ज़रूरत पड़ जाए, तो मदद के लिए आप इस आर्टिकल को पढ़ें।

भाग 1
भाग 1 का 5:

खरगोशों के रहने के लिए जगह बनाना

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  1. इस बात को सुनिश्चित करें कि क्या वाक़ई खरगोशों को मदद की ज़रूरत है: माँ ख़रगोश बच्चों के मामले में बहुत सावधानी बरतती हैं, वह शिकारियों को मांद से दूर रखने के लिए, दिन में मांद से दूर रहती हैं, लेकिन इन्होंने अपने बच्चों को छोड़ा नहीं होता है। अगर आपको ख़रगोश के बच्चों की मांद मिल जाए, तो आप उसको ऐसे ही छोड़ दें। लेकिन अगर पक्का हो कि बच्चों को मदद की ज़रूरत है; जैसे माँ रोड पर कहीं मर गई हो, तो ऐसे मौक़े पर आपको इनको पशु चिकित्सक या वन्य जीव पुनर्वास में दक्ष व्यक्ति के पास ले जाना चाहिए।
    • एक जंगली कोटन टेल ख़रगोश (Cotton Tail/अमेरिकी ख़रगोश) जो अभी इतना बड़ा नहीं हुआ है कि उसका दूध पीना छूट गया हो, उसके माथे पर एक सफेद धब्बा हो सकता है। बहुत से बच्चे बिना किसी धब्बे के पैदा होते हैं। बहुत से ख़रगोशों में बचपन वाली चमक हमेशा बरक़रार रहती है, जबकि बहुत से ख़रगोशों में यह उम्र के साथ-साथ ख़त्म हो जाती है। यह चमक इनकी उम्र को नहीं दर्शाती और ना इससे यह अंदाजा हो पाता है कि इनकी देखभाल की जाए या नहीं।
    • ख़रगोश का बच्चा जिसको किसी ख़राब स्थिति से बचाया गया हो; जैसे कि शिकारी। उसकी देखभाल के लिए यह अस्थाई तरीक़े अपनाएं। बच्चे को ख़तरा टलने तक किसी शांत और सुरक्षित जगह पर रखें, फिर इसको दोबारा उसी जगह पर रख दिया जाए, जहां वह मिला था। माँ ख़रगोश बच्चे में इंसानी गंध आने पर इसको नहीं नकारेगी। इस तरह बच्चे के बचने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। लेकिन अगर खरगोश के बच्चे पर कुत्ते या बिल्ली ने हमला किया है, तो दांत या पंजे के घाव में संक्रमण होने से वह कुछ ही दिनों में मर जाएगा। ऐसे में उसको फ़ौरन वन्यजीव पुनर्वास केंद्र (Wildlife Rehabilitation Centre) या पशु चिकित्सक के पास ले जाकर रेबिट सेफ एंटीबायोटिक (Rabbit-safe antibiotic) देनी होंगी।
  2. लकड़ी या प्लास्टिक का डिब्बा जिसकी साइड ऊंची हों, इस काम के लिए उचित रहेगा। डिब्बे के अंदर कीटनाशक रहित मिट्टी बिछाएं और इसके ऊपर एक परत सूखी घास की बिछाई जाए। (घास गीली नहीं होनी चाहिए)
    • बच्चे के लिए अब इस घास में गोल घोंसला बनाएं, अगर हो सके तो इस घोंसले के अंदर असल घोंसले से निकले हुए रोएँ (fur) को बिछाएं या अपने पालतू खरगोश के रोएँ (fur) को बिछाएं। किसी दूसरी प्रजाति के बालों का इस्तेमाल न किया जाए, खासतौर पर इनके शिकारियों के बालों का इस्तेमाल ना करें।
    • अगर आप घोंसले में फर नहीं बिछा सकते, तो इसके अंदर रूमाल या नरम कपड़े बिछाए जाएं।
    • अब इसकी एक साइड को इलेक्ट्रिक गद्दे (hot pad, heated bed) पर रख दिया जाए या गर्माहट के लिए इंक्यूबेटर (Incubator) में रखा जाए। ध्यान रहे कि डिब्बे के एक तरफ का हिस्सा ही हीट पैड के ऊपर होना चाहिए ताकि गर्मी लगने पर बच्चा दूसरी तरफ सरक सके। [१]
  3. आप ख़रगोश को पकड़ने के लिए दस्तानों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इनके अंदर बीमारियाँ मौजूद होती हैं और यह आपको काटकर ख़ून भी निकाल सकते हैं। ज्यादातर व्यस्क ख़रगोशों में पिस्सू मौजूद होते हैं, लेकिन ख़रगोशों के बच्चे इनसे मुक्त होते हैं, पर इन पर एक-दो किलनी (tick) हो सकती हैं, जिनको हटा दिया जाए। यदि आप इनके शरीर पर से किलनी (tick) को निकालने के बारे में सोच रहे हैं, तो किसी दक्ष व्यक्ति से तरीक़ा जरूर लें। क्योंकि इनमें इंसानों में संक्रमित होने वाली बीमारियां मौजूद होती हैं। इंसानों और दूसरे जानवरों के रहने की जगह से ख़रगोश को दूर रखना बहुत उचित रहेगा। कोटन टेल (Cotton Tail) ख़रगोश के बच्चे को इंसानों की गंध का आदी होने से कोई समस्या नहीं, यह व्यस्क होते ही अपनी जंगली प्रवृत्ति पर वापस आ जाएगा।
    • बच्चे को कम से कम हाथों में लिया जाए। यह ज्यादा हाथों में लेने से, तनाव में आकर मर भी सकते हैं।
    • गर्मी और सुरक्षा पहुंचाने के लिए फर (fur), रूमाल, मुलायम कपड़ा या तौलिये को ख़रगोश के ऊपर ढका जाए।
    • इस बात का ध्यान रखें कि जंगली ख़रगोश आपके पालतू ख़रगोशों में बीमारियाँ फैला सकते हैं। ख़रगोश या उसके मल को उठाने के बाद ध्यान से सफाई करें, ख़ासकर जब आपके पास दूसरे ख़रगोश मौजूद हों।
  4. अगर ख़रगोश चल फिर सकता है, तो इसको बाहर कूदने से रोकने के लिए डिब्बे पर जाली ढकी जाए। वह कुछ हफ्ते की उम्र में ही छलांग लगाने में माहिर हो जाते हैं! इस बात को सुनिश्चित रखें कि डिब्बे को सीधी रोशनी से बचाया जाए।
  5. उसके बाद आप इसको किसी छोटे पिंजरे में रख सकते हैं।
भाग 2
भाग 2 का 5:

ख़रगोशों का खानपान

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  1. कोटन टेल (Cotton Tail) ख़रगोश को बिना किसी झिझक के यह फार्मूला खिलाएं: अगर ख़रगोश ने उछल कूद करनी शुरू कर दी है, तो अब उसको हरे-भरे चारे, घास और पानी की ज़रूरत होगी। आप यह सब बड़े ख़रगोशों को भी, किसी उथले बर्तन में रख कर दे सकते हैं। जब वह इस हरे (कीटनाशक रहित) चारे को खूब खाने लगें और उछल कूद, दौड़-भाग करना शुरू कर दें, तो अब समय है कि इसको ऐसी जगह छोड़ दिया जाए, जहां शिकारियों से छिपने की खूब जगह मौजूद हो।
    • किसी भी जंगली ख़रगोश की ताज़ा चारे, घास और पानी तक पहुंच होनी चाहिए, जिसको वह जंगल में भी खा पी सकते हैं। बहुत छोटे ख़रगोश के बच्चे भी घास और दूसरे हरे चारे को आसानी से कुतर सकते हैं।
  2. ख़रगोश के बच्चे को बकरी के दूध के मिश्रण से बना खास फॉर्मूला खिलाएं: माँ ख़रगोश अपने बच्चों को सिर्फ शाम और सुबह, 5 मिनट के लिए खिलाती हैं, इसलिए ख़रगोशों के बच्चों को उनके वज़न और उम्र के अनुसार दिन में सिर्फ दो बार खिलाया जाए, हालांकि यह फार्मूला इतना पोशाक नहीं है, जितना की माँ का दूध होता है, इसलिए अक्सर ज्यादा बार खिलाना जरूरी हो जाता है। ख़रगोश के छोटे बच्चों को खिलाने के बाद उनका पेट फूलता नहीं है, बल्कि गोल हो जाता है। जब पेट गोल नज़र आना बंद हो जाए, तो समझ जाएं कि दोबारा खिलाने का वक्त हो गया है। [२]
    • इनका पुनर्वास करने वाले इनको ज़्यादातर KMR (Kitten Milk Replacer) और Multi-Milk का मिश्रण खिलाते हैं, जो इनके पुनर्वास केंद्र के स्टोर पर मौजूद होता है। अगर प्रोबायोटिक्स (Probiotics) मौजूद हों, तो इसको भी मिश्रण में मिला देना चाहिए। यह मिश्रण गाढ़ा होना चाहिए, क्योंकि माँ खरगोश का दूध, दूसरे छोटे स्तनधारियों के मुक़ाबले में गाढ़ा होता है। यानी तीन हिस्से ठोस खाने के और चार हिस्से पानी के (आयतन के हिसाब से)।
    • इस फार्मूले को सीधा आग पर रखकर गर्म न किया जाए, बल्कि किसी बड़े बर्तन में पानी गर्म किया जाए फिर इस मिश्रण वाले बर्तन को इस पानी पर तैरते हुए रख दिया जाए। इनको खिलाने के लिए आई-ड्राॅपर (eye dropper) या इनको खिलाने वाली खास सिरिंज (syringe) जिस पर एक निप्पल (nipple) लगा होता है, इस्तेमाल की जा सकती है। छोटे बच्चों को खिलाने के लिए 2.5 मिली. की सिरिंज का इस्तेमाल किया जाए, फिर जैसे-जैसे खाने की मात्रा बढ़ती जाए, तो फिर 5 मिली. की सिरिंज का इस्तेमाल किया जाने लगे। ख़रगोश के बच्चे को बैठा कर रखा जाए, ताकि खाते समय उसका दम ना घुटे! हमेशा अपने एक हाथ में टिश्यू पेपर (Tissue Paper) रखा जाए, ताकि नाक पर लगने वाले दूध को फौरन साफ कर सकें!
    • कभी भी ख़रगोश के बच्चे को गाय का दूध ना पिलाया जाए, क्योंकि यह सिर्फ बछड़े के लिए है, ना कि ख़रगोश के बच्चों के लिए।
  3. जंगली ख़रगोशों में ज्यादा खाने से पेट फूलने या दस्त लगकर मरना एक आम बात है। ख़रगोश को हर बार कितना खाना खिलाया जाए, यह उसकी उम्र पर निर्भर करता है। इस बात का ध्यान रखें कि कोटन टेल ख़रगोश, दूसरे ख़रगोशों के मुकाबले छोटा होता है, इसलिए बताई हुई मात्रा से इसको कम ही खिलाया जाए। आमतौर पर ख़रगोशों को इस हिसाब से खिलाया जाता है:
    • नवजात बच्चों से लेकर 1 हफ्ते तक के बच्चों को: 2-2.5 मिली. दिन में दो बार खिलाना चाहिए।
    • 1 से 2 हफ्ते की उम्र के बच्चों को: 5-7 मिली. खुराक दिन में दो बार खिलानी चाहिए। (बच्चा छोटा हो, तो इससे कम खिलाया जाए)
    • 2 से 3 हफ्ते के बच्चों को: 7-13 मिली. खुराक दिन में दो बार खिलानी चाहिए। (अगर बच्चा छोटा हो, तो इससे कम खिलाया जाए)
    • जब वह 2 से 3 हफ्ते के होने लगें तो इनको टिमोथी (timothy) घास या ओट्स का चारा, ख़रगोशों के चारे की रेडीमेड गोलियाँ (pellets) और पानी देना चाहिए।(जंगली ख़रगोशों को ताजी सब्ज़ियां भी खिलाई जाएं)
    • 3 से 6 हफ्ते के होने पर: 13-15 मिली. खुराक दिन में दो बार खिलाई जाए। (अगर बच्चा छोटा हो, तो इससे कम खिलाया जाए).
  4. कोटन टेल 3 से 4 हफ्ते के होने पर दूध पीना छोड़ देते हैं, इसलिए इन्हें यह मिश्रण 6 हफ्तों से ज्यादा ना दिया जाए। जंगली जैक रेबिट (Jack Rabbit) 9 हफ्ते के होने पर दूध पीना छोड़ देते हैं, 9 हफ्ते के होने पर इनको धीरे-धीरे इस मिश्रण के बदले किसी बर्तन में केले और सेब के टुकड़े दिए जाएं।
भाग 3
भाग 3 का 5:

नवजात ख़रगोश को खिलाना

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  1. नवजात को खुद अपनी गति से मिश्रण पीने दिया जाए और उसको पकड़ते समय बहुत एहतियात बरतें। अगर आपने बच्चे को जल्दी-जल्दी पिलाने की कोशिश की, तो इससे उसका दम घुट सकता है और वह मर सकता है। [३]
  2. बच्चे जिनकी आँखें अभी पूरी तरह ना खुली हों, उनको सुरक्षा दी जाए: अगर ख़रगोश के बच्चे अभी बहुत छोटे हैं और उनकी आँखें अभी पूरी तरह ना खुली हों, तो इनको किसी कपड़े में इस तरह लपेटा जाए कि आँख और कान ढक जाएं और गर्माहट मिल सके और बच्चा सुरक्षित महसूस करे।
  3. बच्चे को खिलाने के लिए बहुत सावधानी से बोतल के निप्पल को बच्चे के मुंह में रखा जाए।
    • बच्चे के सर को थोड़ा उठाया जाए और बोतल के निप्पल को साइड वाले दांतो के बीच में रखा जाए। ध्यान रखें कि फौरन आगे वाले दांतो के बीच में निप्पल को रखना संभव नहीं है।
    • जब निप्पल साइड वाले दांतो के बीच में चला जाए, तो उसको सरका कर आगे वाले दांतो के बीच में लाया जाए।
    • बहुत आराम से अब बोतल को दबाया जाए ताकि कुछ मिश्रण निप्पल में से निकल सके।
    • कुछ ही समय में ख़रगोश का बच्चा इसको चूसना शुरु कर देगा।
    • इस मिश्रण को रोज़ाना तीन-चार दिन तक दिन में दो बार पिलाया जाए, आखिरी ख़ुराक शाम को दी जाए, जैसे कि माँ खरगोश शाम को दूध पिलाती है।
  4. नवजात कोटन टेल ख़रगोश के बच्चों को खाने के बाद मल और पेशाब कराने के लिए, पेट को उत्तेजित करना पड़ता है। ऐसा करने के लिए आपको बच्चे के मल और पेशाब करने वाले हिस्सों को गीली कॉटन बड (Cotton Bud) या रूई की मदद से सहलाना होगा, ताकि माँ ख़रगोश के चाटने की नक़ल की जा सके। [४]
भाग 4
भाग 4 का 5:

ख़रगोश के बच्चे को समय-समय पर बाहर लेकर जाएं

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  1. जब ख़रगोश का बच्चा चलना फिरना शुरु कर दे, तो उसको कुछ घंटे बाहर लाॅन में घास पर ले जाना चाहिए।
    • सुरक्षा के लिए इनको तारों वाले पिंजरे में रखें। इस तरह आप उनको शिकारियों और दूसरे खतरों से महफूज़ रख सकते हैं।
  2. जब बच्चे 4 दिन या इससे ज्यादा बड़े हो जाएं, तो इनके पिंजरे में एक छोटा सपाट बर्तन पानी का रखा जाए और एक छोटे सपाट बर्तन में उस मिश्रण को रखा जाए।
    • ख़रगोश के बच्चों पर कड़ी नज़र बनाए रखें और देखें कि वह क्या कर रहे हैं। उनको पानी और मिश्रण को बिना किसी मदद के, खुद से पीना शुरू कर देना चाहिए।
    • पिंजरे की जांच करते रहे कि कहीं पिंजरा गीला तो नहीं है। मिश्रण के छलकने या गिरने पर, बर्तन में दोबारा मिश्रण को भर दिया जाए, ताकि बच्चा सही मात्रा में उसको पी सके।
    • पानी और मिश्रण को सुबह और शाम दो बार भरा जाए। इस बात का ध्यान रखें कि कहीं बच्चे मिश्रण को ज्यादा ना पी लें।
    • कभी भी बच्चों के आस-पास गहरे पानी का बर्तन ना रखा जाए, वह इसमें गिर सकते हैं और डूबकर मर सकते हैं। [५]
  3. चार दिन बाद इनको नये-नये खानों से परिचित कराया जाए: जब बच्चे अच्छे से मिश्रण को खाना और पानी पीना सीख जाएं, तो आप इनके पिंजरे में इनको खाने के लिए नई-नई चीज़ें दे सकते हैं। कुछ चीज़ें जो इनको दी जा सकती हैं:
    • ताज़ा घास
    • सूखी घास का भूसा
    • ब्रेड के छोटे-छोटे टुकड़े
    • क्लोवर घास (Clover hay)
    • तिमोथी घास (Timothy hay)
    • कटा हुआ सेब
    • ओट्स
  4. खरगोशों को हर समय ताजा और साफ पानी की ज़रूरत होती है। पानी इनको पाचन में मदद करता है और हाइड्रेटेड (hydrated) और सेहतमंद रखता है।
भाग 5
भाग 5 का 5:

ख़रगोशों को बाहर का आदि बनाना

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  1. जब ख़रगोश खुद से खाना सीख जाएं, तो इनको मिश्रण पिलाना बंद कर दिया जाए और खुद से घास और दूसरी सब्जियां खाने दी जाएं। ध्यान रहे कि वह मिश्रण को छोड़ने की उम्र पर पहुंच गए हों (कोटन टेल को 3 से 5 हफ्ते और जैक रेबिट (Jack Rabbit) को 9 हफ्तों से कुछ अधिक समय तक मिश्रण पिलाया जा सकता है)।
  2. हम इन ख़रगोशों के बच्चों को जंगल में छोड़ने के लिए बड़ा कर रहे हैं, इसलिए अगर हो सके तो इनको हाथ लगाने से बचना चाहिए। ताकि वह आप पर निर्भर ना रहें और आत्मनिर्भर हो जाएं।
  3. छत वाले जाली के पिंजरे में रखकर, ख़रगोशों को बाहर रखा जाए। [६] इस बात का ध्यान रखें कि पिंजरे का तला भी जाली का हो, ताकि वह घास खा सके और यह भी सुनिश्चित करें कि जाली के छेद इतने बड़े ना हों कि वह उनमें से निकल जाए।
    • पिंजरे को आंगन में नई-नई जगहों पर रखते रहें, ताकि उसको नई घास खाने को मिल सके।
    • घास के अलावा दूसरी सब्ज़ियाँ भी खाने को देते रहें।
  4. ख़रगोश को अब किसी बड़े पिंजरे में रखा जाए, पिंजरा घास के ऊपर रखा हो और दिन में 2 बार अलग-अलग तरह की सब्ज़ियाँ खाने को डाली जाएं। पिंजरे का तला या तो खुला हुआ हो, या फिर जालीदार हो, लेकिन पिंजरा इस तरह का हो कि ख़रगोश शिकारियों से महफूज़ रह सके‌।
  5. जब खरगोश बैठने पर 8 से 9 इंच का दिखने लगे, तो वह इस क़ाबिल हो गया है कि उसको जंगल में किसी सुरक्षित जगह पर छोड़ दिया जाए। [७]
    • अगर वे पूरी तरह आत्मनिर्भर ना हुआ हो, तो आप उसको कुछ समय के लिए ओर रख सकते हैं, लेकिन उसको पूरी तरह व्यस्क होने तक अपने पास ना रखा जाए।
  6. स्थानीय वन्यजीव संस्थान से मदद के लिए संपर्क किया जाए: अगर ख़रगोश इतना बड़ा हो चुका है कि उसको छोड़ दिया जाए, लेकिन फिर भी वह आत्मनिर्भर नहीं हुआ है, तो किसी दक्ष व्यक्ति से संपर्क करें। उनको अंदाजा होता है कि ऐसी परिस्थिति में क्या किया जाए।

सलाह

  • ख़रगोश के बच्चों को हर समय एक ही स्थान पर खिलाना चाहिए। ऐसा करने से वह दिमाग़ में उस स्थान को खाने से जोड़ लेंगे, जिसकी वजह से आगे से उनको खिलाना आसान हो जाएगा।
  • अगर यह पहचानना मुश्किल हो जाए कि आपने किस बच्चे को बोतल से मिश्रण पिला दिया है, तो इस दुविधा से बचने के लिए हर बच्चे के कान पर नेल पॉलिश के अलग-अलग रंगों से निशान लगा दिया जाए। अब रंगों के क्रम को याद रखकर खाना खिलाया जाए; जैसे कि इंद्रधनुष के रंग।
  • पिंजरे को ढकने के लिए आप खिड़की की जाली का इस्तेमाल कर सकते हैं, इसको उठाने और रखने में भी आपको आसानी रहेगी और ख़रगोश भी इसको नहीं हटा पाएंगे।
  • ध्यान रखें कि ख़रगोश सांस ले सकें। अगर आप उनको किसी बंद डिब्बे में रख रहे हैं, तो उसमें छेद करना ज़रूर सुनिश्चित कर लें।
  • ख़रगोशों को बहुत शांत माहौल में रखा जाए, जहां इंसानों का कम से कम दख़ल हो।
  • ध्यान रखें कि ख़रगोशों को नाम देने से यह ख़तरा रहता है कि आपका उनसे जुड़ाव हो जाएगा और फिर आप उनको छोड़ने की बजाय पालना चाहेंगे।
  • अनाथ ख़रगोश के बच्चों की इंसानों के पास 90 फ़ीसदी मरने की संभावना रहती है। इसलिए देखभाल में नरमी और जुड़ाव ज्यादा ना रखा जाए।
  • ख़रगोशों के पास हमेशा शांत रहें। यह तेज आवाज से बहुत जल्दी डर जाते हैं।
  • दूसरे जानवरों को ख़रगोश से दूर रखकर उसको सुरक्षित रखें।

चेतावनी

  • ख़रगोश को खिलाने से पहले मिश्रण को ज्यादा गर्म ना करें। वह गर्म और फटा हुआ दूध नहीं पीते।
  • ख़रगोश को पालक, गोभी, फूलगोभी जैसे खाने ना खिलाएं। इन खानों से ख़रगोश को दस्त लग सकते हैं और यह खाने गैस बना सकते हैं। ध्यान रखें कि ख़रगोश गैस नहीं निकाल सकते, जिसकी वजह से इनका पेट फूल जाएगा!
  • किसी भी जंगली जानवर की देखभाल करते समय बहुत सावधानी बरतें, क्योंकि इनमें कई बीमारियाँ मौजूद हो सकती हैं।
  • इस बात का ध्यान रखें कि इनक्यूबेटर में लगा गर्मी का स्रोत ज्यादा गर्म ना हो और कहीं उसके कारण डिब्बे में आग न लग जाए।
  • कभी भी जंगली जानवर को ज़रूरत से ज्यादा क़ैद करके नहीं रखना चाहिए।
  • ख़रगोश को गाजर खाने को ना दें। ऐसी चीजें वह जंगल में नहीं खाते, तो ऐसी चीज़ें उनको क़ैद में भी नहीं खिलानी चाहिएं।

चीजें जिनकी आपको आवश्यकता होगी

  • लकड़ी या प्लास्टिक का डिब्बा
  • साफ और नरम मिट्टी
  • साफ सूखी टिमोथी (timothy) घास
  • कीटाणु रहित जानवर के रोएँ (fur) या टिश्यू/रूमाल
  • इनक्यूबेटर या इलेक्ट्रिक गद्दा (hot pad or heated bed)
  • चमड़े के दस्ताने
  • काँच का जार
  • दूध पिलाने वाली बोतल
  • छोटे प्लास्टिक के निप्पल
  • देसी दूध (Homogenized milk)
  • शिशु आहार (Baby cereal)
  • तौलिया
  • जाली
  • छत वाला जाली का पिंजरा(जिसका तला जालीदार हो)
  • क्लोवर या टिमोथी घास (Clover hay or timothy hay)
  • ओट्स
  • ब्रेड
  • पानी का बर्तन

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