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जलना या बर्न (burn) बहुत आम बात है, लेकिन इससे अत्यधिक पीड़ादायक जख्म होते हैं | हालाँकि, छोटे-मोटे जख्म (minor burn) बिना ज्यादा चिकित्सीय देखरेख के भर जाते हैं, लेकिन गंभीर प्रकार से जलने के कारण बने हुए जख्मों को संक्रमण से बचाने के लिए और स्कार की गंभीरता को कम करने के लिए विशेष देखभाल की ज़रूरत होती है | जले हुए जख्मों का इलाज़ करने से पहले, यह जानना जरुरी है कि आप किस प्रकार या कितनी डिग्री तक जले हैं |

विधि 1
विधि 1 का 4:

जलने की डिग्री की पहचान करें

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  1. अगर आप फर्स्ट डिग्री (first degree) जले हों तो उसकी पहचान करें: प्रथम डिग्री बर्न होना, एक आम बात है और जो हलकी दाहक चीज़ों के संपर्क में आने, गर्म चीज़ों के अचानक संपर्क में आने और सूर्य की किरणों के संपर्क में आने के परिणाम स्वरूप होता है | इससे स्किन की केवल सबसे ऊपरी या बाहरी लेयर ही क्षतिग्रस्त होती है | [१] ये जख्म संभवतः लाल, हलकी सूजन युक्त और दर्दयुक्त या दर्दविहीन हो सकते हैं | प्रथम डिग्री बर्न की घर पर चिकित्सा करें क्योंकि इसके लिए किसी विशेष चिकित्सीय देखभाल की ज़रूरत नहीं होती | स्किन की सबसे बाहरी लेयर में समय और उचित देखभाल के साथ खुद अपने घाव भरने की क्षमता होती है | [२]
    • प्रथम डिग्री बर्न को “माइनर बर्न (minor burn)” के रूप में वर्गीकृत किया गया है | कई बार आपको फैले हुए प्रथम डिग्री बर्न हो सकते हैं जैसे, पूरे शरीर में सनबर्न (sunburn) होना, लेकिन इसमें किसी चिकित्सीय देखभाल की ज़रूरत नहीं होती |
  2. इस प्रकार के दग्ध या बर्न में स्किन सूजी हुई, फफोलेदार दिखेगी और पीड़ा बहुत ज्यादा होगी | यह बर्न अत्यधिक गर्म वस्तुओं के संक्षिप्त संपर्क में आने से (उदाहरण के लिए, उबलते हुए पानी के संपर्क में आने से), गर्म चीज़ों के विस्तृत संपर्क में आने से और धूप में लम्बे समय तक रहने से होते हैं | अगर आपके सेकंड डिग्री बर्न आपके हाथ, पैर, जांघों के मध्य भाग या चेहरे पर हों तो इनका इलाज माइनर बर्न (minor burn) के समान किया जाता है | अगर फफोले हों तो उन्हें फोड़े नहीं | अगर फफोले फूट गये हों तो इन्हें पानी से धोकर साफ़ कर लें और एक एंटीबैक्टीरियल ऑइंटमेंट (antibacterial ointment) को एक स्वाब में लेकर लगायें | आप स्किन पर लगे ऑइंटमेंट को एक बैंडेड या अन्य किसी ड्रेसिंग से ढँक सकते है | इस ड्रेसिंग को रोज़ बदलने की ज़रूरत होती है |
    • सेकंड डिग्री के बर्न में स्किन की दो परतें प्रभावित होती हैं | अगर आपका सेकंड डिग्री बर्न तीन इंच से भी अधिक फैला हुआ है और आपके हाथ, पैर, जोड़ों या जननांगों तक फैला हो या कई सप्ताह के बाद भी इसके घाव भरे न हों तो आपको चिकित्सीय मदद के लिए डॉक्टर को बुलाना चाहिए | [३]
  3. थर्ड डिग्री बर्न सबसे अधिक गंभीर होता है और इसमें तुरंत चिकित्सीय मदद की ज़रूरत होती है | यह अधिकतर गर्म चीज़ों के विस्तृत में आने से होता है जिससे स्किन की तीनों लेयर्स जल जाती हैं और कभी-कभी इससे मांसपेशियां, वसा और हड्डियाँ भी क्षतिग्रस्त हो जाती हैं | इसमें जला हुआ स्थान चमड़े की तरह दिखता है और सफ़ेद या काला हो जाता है | स्किन की लेयर्स (दर्द की संवेदना की ग्राही) में उपस्थित तंत्रिकाओं में होने वाले नुकसान के आधार पर पीड़ा भिन्न-भिन्न हो सकती है | ये जले हुए स्थान कोशिकाओं के फटने और प्रोटीन की हानि के कारण “गीले” दिखाई दे सकते हैं |
    • थर्ड डिग्री बर्न को हमेशा एक मेजर बर्न के रूप में वर्गीकृत किया जाता है और इसमें यथाशीघ्र डॉक्टर के द्वारा उपचार लेने की ज़रूरत होती है | [४]
  4. ये ऐसे “जले हुए स्थान” होते हैं जो आपकी स्किन के कम तापमान के संपर्क में आने से होते हैं जैसे, बर्फ के संपर्क में लम्बे समय तक रहने से | ये स्थान चटक लाल, सफ़ेद या काले दिखेंगे और स्किन के फिर से गर्म होने के समान इनमे तेज़ जलन होगी | कम तापमान से होने वाले “बर्न” को दग्ध या बर्न ही माना जाता है क्योंकि यह स्किन के ऊतकों की लेयर को क्षतिग्रस्त कर देता है |
    • अधिकतर केसेस में, कम तापमान से होने वाले बर्न का उपचार मेजर बर्न के समान ही किया जाता है और उपचार के लिए चिकित्सीय सहायता ली जाती है | [५]
    • ठन्डे तापमान के संपर्क में आने के तुरंत बाद स्किन को 37 डिग्री सेल्सियस/ 98.6 डिग्री फेरनहाइट से 39 डिग्री सेल्सियस/ 102.2 डिग्री फेरनहाइट तापमान के पानी में फिर से गर्म करें | [६]
  5. केमिकल बर्न एक अन्य प्रकार का दग्ध है जो स्किन के हानिकारक केमिकल के संपर्क में आने के कारण होता है और इसके कारण स्किन की लेयर्स क्षतिग्रस्त हो जाती हैं | इस प्रकार के दग्ध में आपकी स्किन पर संभवतः लाल पैचेज, धब्बे, फफोले और खुले घाव बन जायंगे | आपका पहला कदम हमेशा जलने के कारण का पता लगाना और तुरंत विष नियंत्रण केंद्र से संपर्क करना होना चाहिए |
    • अगर आपको यह विश्वास हो जाए कि आप केमिकल दग्ध से पीड़ित हैं तो तुरंत विष नियंत्रण केंद्र से संपर्क करें | केमिकल को फैलने से पृथक रखने और उसे उदासीन करने के लिए देखरेख करना बहुत ज़रूरी होता है | [७]
    • खूब सारे पानी से केमिकल को बहा दें, परन्तु अगर सूखे लाइम या चूने या एलिमेंटल मेटल (elemental metal) जैसे सोडियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, लिथियम आदि के सम्पर्क में आने से दग्ध हुआ हो तो पानी से बचें अन्यथा इससे पानी प्रतिक्रिया करके और अधिक हानि पहुंचा सकता है |
विधि 2
विधि 2 का 4:

माइनर बर्न या छोटे-मोटे दग्ध का उपचार करें

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  1. जितने जल्दी हो सके, बहते हुए ठन्डे पानी के नीचे जले हुए स्थान को लायें | इससे स्किन को और नुकसान नहीं पहुँच पायेगा | बहते हुए पानी के नीचे जले हुए स्थान को लगभग 10-15 मिनट के लिए या पीड़ा कम होने तक रखें | अत्यधिक शीतल जल के उपयोग से बचें क्योंकि इससे जले हुए स्थान के आस-पास की स्किन को नुकसान पहुँच सकता है | [८]
  2. यथाशीघ्र, या जले हुए स्थान को धोते समय ऐसी सभी चीज़ों को हटा दें जो घाव को सुजाने के रूप में आपकी स्किन को सिकोड़ सकती हों | अगर आपको इसका संदेह हो तो इन्हें निकाल दें | इससे रक्त घाव की ओर प्रवाहित होने लगेगा और घाव भरने लगेगा | कसे हुए कपड़ों और आभूषणों को निकालने से अन्य नुकसान से भी बचाया जा सकता है | [१०]
  3. अगर अधिक ठन्डे जल का विकल्प न हो तो एक ठन्डे सेंक या आइसपैक को टॉवल में लपेटकर उपयोग करें | इसे अपने जले हुए स्थान के ऊपर रखें | इसे 10-15 मिनट तक लगाये रखें, 30 मिनट के लिए इंतज़ार करें और फिर से 10-15 मिनट तक लगायें | [११]
    • जले हुए स्थान पर सीधे आइसपैक या ठन्डे सेंक को कभी न लगायें क्योंकि इससे स्किन को नुकसान होगा | इसकी बजाय इसे टॉवल में लपेटकर ही प्रयोग करें |
  4. आमतौर पर मिलने वाली दर्द निवारक दवाओं का उपयोग करें: अगर जलने के लक्षण आपको परेशानी दे रहे हों तो आमतौर पर मिलने वाली दर्द निवारक दवाएं जैसे इबुप्रोफेन (ibuprofen), एसेटामिनोफेन (acetaminophen), एस्पिरिन (aspirin) या नाप्रोक्सेन (naproxen) लाभकारी हो सकती हैं | अगर आप हाल ही में फ्लू या चिकनपॉक्स से ठीक हुए हों तो एस्पिरिन न लें या छोटे बच्चो को एस्पिरिन देने से बचें | [१२]
    • पैकेज पर लिखे विशेष निर्देशों का पालन करें | ये निर्देश आपके द्वारा चुनी गयी दवा के आधार पर भिन्न-भिन्न होंगे |
  5. अपने हाथ धोने के बाद, जले हुए स्थान को साफ़ करने और संक्रमण को रोकने के लिए साबुन और पानी का उपयोग करें | जले हुए स्थान को साफ़ करने के बाद, जले हुए स्थान को साफ़ बनाये रखने के लिए नियोस्पोरिन (neosporin) जैसी एंटीबायोटिक लगायें | [१३] एलोवेरा भी आपकी स्किन को शांति दे सकता है | कुछ अन्य सहायक चीज़ों के साथ एलोवेरा लें | एंटीबायोटिक्स या एलोवेरा को चिपकाने के लिए बांधकर रखा जा सकता है | [१४]
    • जले हुए स्थान को साफ़ करते समय फफोलों को न फोड़ें क्योंकि वास्तव में ये आपकी स्किन को संक्रमण से बचाते हैं | फफोलों का फोड़ें नहीं या उनके अंदर के तरल को निकालें नहीं क्योंकि छोटे-मोटे घावों को आपका शरीर खुद ही भर लेता है | अगर आपके फफोले फूटे न हों तो उनमे एंटीबायोटिक ऑइंटमेंट लगाने की कोई ज़रूरत नहीं है | लेकिन, फफोले फूट जाए या अगर आपका घाव खुला रह जाए तो संक्रमण को रोकने के लिए एंटीबायोटिक का उपयोग करें | [१५]
  6. जले हुए भाग को ऑइंटमेंट (ointment) लगाकर उसके ऊपर गौज (रुई की पट्टी) को हलके से ढँक दें: फर्स्ट डिग्री बर्न, बिना फूटे हुए फफोले या बिना खुले हुए घाव के लिए पट्टी लगाने की कोई ज़रूरत नहीं होती | [१६] लेकिन छोटे सेकंड डिग्री के जले हुए भाग को संक्रमण से बचाने के लिए ढंकने की ज़रूरत होगी | जले हुए स्थान को हलके से गौज (gauze) से कवर करें और कोमलता से इसे मेडिकल टेप से सुरक्षित करें | रोज़ गौज को बदलें | [१७]
    • किसी भी घाव पर सीधे ही गौज न लगायें | हमेशा गौज लगाने से पहले घाव को एक क्रीम या ऑइंटमेंट से कवर करना चाहिए | अन्यथा, गौज को हटाने पर इसके साथ पूरी नयी स्किन भी निकल आएगी |
    • आस-पास के बालों की वृद्धि की दिशा में गौज को निकालें | अगर गौज घाव से चिपकी रहे तो इसे आसानी से निकालने के लिए गर्म पानी या सेलाइन सलूशन का उपयोग करें | सेलाइन सलूशन बनाने के लिए, एक गैलन गुनगुने पानी में एक छोटी चम्मच नमक मिलाएं | [१८]
  7. घरेलू इलाज़ जैसे अंडे के सफ़ेद हिस्से, बटर या चाय का उपयोग करने से बचें: इन्टरनेट पर जले हुए स्थान के लिए कुछ “चमत्कारी” उपाय होते हैं, लेकिन कुछ वैज्ञानिक अध्ययनों में सच में इनके कामों के प्रमाण दिए गये हैं | [१९] कई नामचीन सूत्रों जैसे रेड क्रॉस ने, इस तरह के घरेलू उपचारों को “बहुत बुरा” बताया गया है क्योंकि इनमे बैक्टीरिया होते हैं जो संक्रमण उत्पन्न कर सकते हैं | [२०]
    • प्राकृतिक माँइस्चराइजर जैसे एलोवेरा या सोया सनबर्न या धूप से झुलसी हुई स्किन के लिए लाभकारी हो सकते हैं |
  8. घाव के रंग में लाल, भूरा या काले रंग का बदलाव होने पर नज़र रखें | किसी भी प्रकार से घाव के आस-पास और वसा की परतों के अंदर हरे रंग की विवर्णता पर भी नजर रखें | अगर जले हुआ भाग कई सप्ताह तक न भरे तो चिकित्सीय देखभाल अपनाएं | जो जला हुआ घाव भर न पाए वो जटिलता, संक्रमण या अधिक गंभीर प्रकार के जलने का चिन्ह हो सकता है | [२१] अगर आपको निम्नलिखित में से कोई भी लक्षण अनुभव हों तो अपने डॉक्टर को बताएं:
    • गरमाहट
    • स्पर्शासह्यता या छूने पर दर्द होना
    • घाव वाली जगह पर कठोरता अनुभव होना
    • 39 डिग्री सेल्सियस/ 102.2 डिग्री फेरनहाइट से अधिक या 36.5 डिग्री सेल्सियस/ 97.7 डिग्री फेरनहाइट से कम बुखार होना (ये गंभीर संक्रमण के या तुरंत चिक्तिसीय सहायता लेने के चिन्ह हो सकते हैं) | [२२]
  9. माइनर बर्न या थोडा-बहुत जलने के बाद शुरूआती घाव भरने की प्रक्रिया के दौरान रोगियों को आमतौर पर खुजली की शिकायत होती है | स्थानीय उपचार जैसे एलोवेरा, या पेट्रोलियम जेली खुजली के कारण होने वाली परेशानी को शांत कर सकते हैं | खुजली को शांत करने में ओरल एंटीहिस्टामिन (oral antihistamins) भी लाभदायक होते हैं |
विधि 3
विधि 3 का 4:

मेजर बर्न (major burns) या विस्तृत दग्ध का इलाज़ करें

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  1. कभी भी मेजर बर्न का इलाज़ घर पर करने की कोशिश न करें | इन्हें प्रोफेशनल के द्वारा तुरंत इलाज़ की जरूरत होती है | तुरंत एम्बुलेंस को बुलाएं या डॉक्टर के पास तुरंत जाएँ | [२३]
    • गंभीर बर्न का इलाज ‘’’कभी भी खुद न’’ करें | चिकित्सीय सेवा के आने तक निम्नलिखित सुरक्षात्मक उपायों का पालन करें:
  2. विपत्तिग्रस्त व्यक्ति को सुरक्षित रूप से हीट के स्त्रोत से हटा दें: अगर संभव हो तो जलने या चोट लगने से बचाने के लिए आप जो भी कर सकते हों, करें | ऊष्मा के स्त्रोत को बंद कर दें या पीडित व्यक्ति को उससे दूर ले जाएँ |
    • किसी जले हुए व्यक्ति को खींचने या हटाने में उसे ऊपर उठाने के लिए जले हुए हिस्से का उपयोग कभी न करें | अगर आप ऐसा करते हैं तो उसकी स्किन को और नुकसान पहुंचा सकते हैं या संभव है कि इससे घाव और अधिक खुल जाए | इसके कारण जले हुए व्यक्ति को बहुत अधिक पीड़ा हो सकती है और इससे उसे शॉक भी लग सकता है |
  3. मदद आने तक जले हुए स्थान को सुरक्षित रखने के लिए इस पर ठंडी, गीली टॉवल डालें | प्रभावित स्थान पर बर्फ का उपयोग न करें या बर्फ के पानी में डुबोये नहीं | इसके कारण हाइपोथर्मिया (शरीर का तापमान बहुत कम हो जाना) या संवेदनशील हिस्सों को और अधिक नुकसान हो सकते हैं |
  4. अगर आप केमिकल के कारण जले हों तो अन्य बचे हुए केमिकल को जले हुए हिस्से से साफ़ करें | आपातकालीन सेवा का इंतज़ार करते समय आप प्रभावित हिस्से को ठन्डे बहते हुए पानी के नीचे रखें या उस पर ठंडा सेंक करें | केमिकल बर्न पर किसी भी प्रकार का घरेलू इलाज़ न करें |
  5. जले हुए स्थान को, पीड़ित व्यक्ति के ह्रदय से ऊंचा उठाकर रखें: अगर आप पीड़ित व्यक्ति को और नुकसान पहुंचाए बिना ऐसा कर सकते हों, तो केवल उस स्थिति में ही घाव को ऊंचा उठायें | [२४]
  6. शॉक के लक्षणों पर नज़र रखें, जैसे, नाड़ी की गति धीमी या तेज़ होना, ब्लड प्रेशर कम होना, चिपचिपी स्किन, बेहोशी आना, मितली, चिडचिडापन | अगर आप थर्ड डिग्री बर्न के कारण शॉक के इन लक्षणों को नोटिस करें तो तुरंत चिकित्सीय देखभाल अपनाएं | विपत्तिग्रस्त व्यक्ति को तुरंत हॉस्पिटल ले जाने के लिए एम्बुलेंस को बुलाएँ | यह पहले से उच्च खतरनाक स्थिति होने पर जान को और जोखिम में डालने वाली स्थिति को उत्पन्न कर देती है |
    • गंभीर प्रकार के थर्ड डिग्री बर्न के कारण शॉक हो सकता है क्योंकि शरीर के बड़े हिस्से के जलने के कारण शरीर से काफी मात्रा में तरल की हानि हो जाती है | शरीर इस प्रकार से तरल और रक्त के स्तर के कम हो जाने पर सामान्य रूप से काम नहीं कर सकता |
विधि 4
विधि 4 का 4:

मेजर बर्न में किये जाने वाले हॉस्पिटल ट्रीटमेंट के बारे में जानें

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  1. विपत्तिग्रसित व्यक्ति को तुरंत हॉस्पिटल या बर्न सेण्टर ले जाएँ | अब, अगर व्यक्ति के शरीर के कपडे या आभूषण उसके शरीर को सिकोड़ रहे हों या दबा रहे हों तो तुरंत उन्हें हटा दें अन्यथा उनके कारण शरीर पर सूजन आ सकती है |
    • जलने के कारण बहुत अधिक सूजन आ सकती है जिससे शरीर के विशेष हिस्से खतरनाक रूप से सिकुड़ सकते हैं (जिसे कम्पार्टमेंट सिंड्रोम कहते हैं) | अगर ऐसा हो तो दबाव को कम करने के लिए सर्जरी करवाने की ज़रूरत पड़ सकती है | इससे रक्तप्रवाह और तंत्रिकाओं को सुचारू रूप से काम करने में भी मदद मिलेगी | [२५]
  2. सभी मेजर बर्न के लिए, डॉक्टर्स इंटुबैषेण (intubation) के द्वारा 100 प्रतिशत ऑक्सीजन दे सकते हैं जिसमे एक ट्यूब होती है जिसे वायुनली में डाला जाता है | [२६] महत्वपूर्ण चिन्ह भी तुरंत मॉनिटर करें | इस प्रकार से, रोगी की तात्कालिक स्थिति का पता चल सकता है और उसकी देखभाल के लिए एक विशेष योजना तैयार की जा सकती है |
  3. तरल की हानि को रोकें और आई.वी. (I.V.) सलूशन से शरीर में हुई तरल की हानि की पूर्ती करें | प्रत्येक व्यक्ति के दग्ध के आधार पर तरल की मात्रा और प्रकार का निर्धारण करें | [२७]
  4. दर्द निवारक दवाएं दें जिससे पीड़ाग्रस्त व्यक्ति दर्द का बेहतर रूप से सामना कर सके | एंटीबायोटिक्स भी बहुत ज़रूरी होती हैं |
    • एंटीबायोटिक्स बहुत महवपूर्ण होती है क्योंकि शरीर की प्रथम पंक्ति की सुरक्षा (त्वचा), संक्रमण के विरुद्ध कमज़ोर हो जाती है | बैक्टीरिया को जख्म के अंदर प्रवेश करने से रोकने और घाव को संक्रमित करने से रोकने के लिए दवाएं जरुरी होती हैं | [२८]
  5. रोगी को कैलोरी से भरपूर उच्च प्रोटीन युक्त डाइट देने की सिफारिश की जाती है | यह शरीर को ऊर्जा से भर देती है और प्रोटीन जलने से क्षतिग्रस्त हुई सभी कोशिकाओं की मरम्मत करने क लिए ज़रूरी होता है | [२९]

सलाह

  • किसी भी व्यक्ति के थर्ड डिग्री या उससे अधिक जले होने पर उसे एम्बुलेंस के द्वारा नजदीकी दग्ध केंद्र या बर्न सेण्टर तक ले जाने की ज़रूरत होती है |
  • जले हुए स्थान की चिकित्सा करने या उसे छूने से पहले अपने हाथ धोएं | अगर संभव हो तो दस्ताने (ग्लव्स) पहनें |
  • बड़े दग्ध या मेजर बर्न्स के लिए एक प्राथमिक उपचार के रूप में केवल साफ़, शुद्ध, ठन्डे ओआर सेलाइन सलूशन (OR सेलाइन solution) का ही उपयोग करें |
  • यह सलाह चिकित्सीय देखभाल का विकल्प नहीं है | अगर कोई भी संदेह हो तो “तुरंत” फिजिशियन से सलाह लें |
  • अगर गौज (gauze) उपलब्ध न हो तो एक क्लिन्गफिल्म या चिपकने वाली फिल्म से माइनर या गंभीर बर्न को लपेटें | यह हॉस्पिटल या अन्य जगह पहुंचने तक संक्रमण को रोकने में मदद करेगा |
  • अगर आप केमिकल बर्न की पहचान न कर सकें तो उस जले हुए स्थान को पानी के नीचे न रखें अन्यथा केमिकल आपकी अन्य जगह की स्किन पर भी फ़ैल सकता है | कुछ प्रकार के केमिकल बर्न, पानी के कारण और भी ख़राब हो सकते हैं जैसे, लाइम (lime) |
  • जले हुए भाग को किसी भी हानिकारक पदार्थ के संपर्क में न आने दें |
  • जलने पर एलोवेरा लगाने से जलन में आराम मिलता है।

चेतावनी

  • किसी भी प्रकार से गंभीर रूप से जलने पर यथाशीघ्र डॉक्टर को दिखाएँ | ये जख्म अपने आप नहीं भरेंगे और इनमे चिकित्सीय देखभाल की ज़रूरत होगी |
  • रेडियोएक्टिव पदार्थों से जलना बहुत अलग और बहुत गंभीर होता है | अगर आपको रेडिएशन सम्बद्ध होने का संदेह हो तो तुरंत चिकित्सीय मदद लें और खुद को और रोगियों को सुरक्षित करने के लिए कदम उठायें |

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