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जीवन साथी का चयन – वह व्यक्ति जिसके साथ आप अपने जीवन के शेष दिन बिताना चाहते हैं – आपके द्वारा जीवन में लिए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण निर्णयों में से एक है। ऐसे व्यक्ति के साथ पूरा जीवन बिताना जिसे आप प्रेम करते हों एक आनंदपूर्ण, आपसी संतोषजनक अनुभव हो सकता है, मगर सही व्यक्ति की तलाश और चयन भी बहुत बड़ा काम है। सौभाग्य यह है कि अधिकांश लोग इस अनुभव से गुजरते हैं, अतः आप अकेले नहीं हैं: US में वे लोग जिन्होंने कभी विवाह नहीं किया है और कभी विवाह नहीं करना चाहते हैं, पूरी आबादी के लगभग 5% हैं। [१] ऐसा व्यक्ति जो आपके लिए सही हो, उसके संबंध में यथार्थवादी विचार रख कर, उसे खोजने का गंभीर प्रयास कर और अपने संबंधों में प्रतिबद्धता ला कर आप भी अपना शेष जीवन किसी ऐसे के साथ बिता सकते हैं, जिसे आप प्रेम करते हों। (Choose a Life Partner)

विधि 1
विधि 1 का 4:

प्राथमिकताओं का निर्धारण (Setting Your Priorities)

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  1. यह निर्णय “अत्यंत” महत्वपूर्ण है – संभवतः आप अपने साथी के साथ जितने भी निर्णय लेंगे, उनमें सबसे महत्वपूर्ण। इसके बावजूद, आश्चर्यजनक रूप से, अनेक जोड़े, जीवन भर का संबन्ध बनाने से पहले, इस संबन्ध में यथेष्ट चर्चा नहीं करते हैं। बच्चे का लालन पालन सबसे सुखद अनुभव तो हो सकता है, मगर वह महती ज़िम्मेदारी भी है, आर्थिक प्रतिबद्धता भी और यह निर्णय भी कि कम से कम अगले लगभग 18 वर्ष (शायद उससे अधिक भी) उसका ध्यान रखना आपका सीधा उत्तरदायित्व होगा, इसलिए इसको हल्के में नहीं लिया जा सकता है।
    • यू एस में, अधिकांश लोग बच्चे चाहते हैं, [२] मगर यह सार्वभौमिक नहीं है, इसलिए जब तक आप निश्चित न हों, तब तक अपने साथी के बारे में कोई धारणा न बनाएँ।
  2. निर्णय लीजिये कि आपका धर्म और संस्कृति आपके लिए कितने महत्वपूर्ण हैं: अनेक लोगों के लिए संस्कृति और उनकी धार्मिक रीतियां, उनके जीवन का महत्वपूर्ण भाग होती हैं – कुछ अनीश्वरवादी या नास्तिक होते हैं और उनके लिए रूढ़िवादी धर्म और संस्कृति अर्थहीन होते हैं। वैसे तो दोनों ही जीवन शैलियाँ समान रूप से मान्य हैं, मगर कुछ साथियों के लिए विचारधारा के दूसरे छोर पर का व्यक्ति, संभवतः, व्यवहार्य दीर्घकालिक विकल्प नहीं हो सकता है। किसी से वचनबद्ध होने से पहले, यह आवश्यक है कि स्पष्ट जानकारी ले ली जाये कि आपके साथी के लिए जीवन के इस पहलू का महत्व है भी या नहीं।
    • एक बात स्पष्ट कर दी जाए कि विभिन्न जातियों, धर्मों और संस्कृतियों के लोग दीर्घ सुखद वैवाहिक जीवन बिताने में पूर्णटह सक्षम हैं। उदाहरण के लिए यू एस में आजकल अंतर्जातीय विवाह पहले से कहीं अधिक आम हैं। [३]
  3. निर्णय लीजिये कि आप अपना धन कैसे व्यय करना चाहते हैं: बातें करने के लिए धन एक अटपटा विषय हो सकता है, मगर दो जीवनसाथियों को एकमत होने के लिए यह एक महत्वपूर्ण चीज़ है। धन, किसी युगल के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है – यह निर्धारित कर सकता है कि वे कितनी देर काम करेंगे, किस प्रकार का काम करेंगे, उनकी जीवन शैली कैसी होगी, तथा और भी बहुत कुछ। जो जीवन भर का संबन्ध बनाने का विचार कर रहे हों उनके लिए धन को कैसे बचाना है और कैसे व्यय करना है, इस विषय पर खुली चर्चा करना आवश्यक है।
    • जो आर्थिक निर्णय युगल को लेने होते हैं इसका उदाहरण देखिये: जहां एक साथी जीवन के बीसवें दशक के अंतिम और तीसवें दशक प्रारम्भिक भाग में खूब घूमना चाहता हो, दुनिया देखना चाहता हो और दूसरा इसी समय को एक सफल कैरियर बनाने और घर बनाने के लिए बचत में इस्तेमाल करना चाहता हो, तब दोनों में ताल मेल तो बैठ ही नहीं सकता।
  4. निर्णय कीजिये कि आप अपने साथी को अपने परिवार के साथ कैसे घुला मिला पाएंगे (या इसके विपरीत): हमारे परिवार हमारी सोच और जीवन भर के व्यवहार को आकार देते हैं। आपका साथी आपके , परिवार में कैसे फ़िट होगा इसके संबन्ध में स्पष्ट विचार होना हर उस व्यक्ति के लिये “आवश्यक” है जो अपना जीवन किसी और के साथ बिताने का विचार कर रहा हो। आप इन दोनों बातों को ही जानना चाहेंगे कि आपके साथी की भूमिका क्या है, आपके निकटस्थ परिवार पर (अर्थात आप पर और यदि कोई बच्चे हों तो उन पर भी) और विस्तृत परिवार पर (अर्थात आपके माता पिता, भाई बहन, अन्य रिश्तेदार वगैरह पर)। इसी प्रकार आपके संबन्ध में भी आपके साथी को यही सब सोच कर रखना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए, कुछ बच्चों वाली दम्पतियों के लिए माता या पिता द्वारा पूरे समय बच्चों का ध्यान रखा जाना आवश्यक है। कुछ के लिए अगर आया यही काम कर देती है, तब भी ठीक है। इसी प्रकार कुछ लोग अपने माता पिता के निकट रहना चाहते हैं और कुछ लोग अपनी स्वतन्त्रता चाहते हैं।
  5. निर्णय करिए कि आप किस प्रकार की जीवनशैली चाहते हैं: यह महत्वपूर्ण निर्णय है, मगर, सौभाग्य से, एक बार जब आप साथ समय बिताना शुरू कर देते हैं तब यह बिलकुल स्पष्ट हो जाता है कि आपका साथी किस प्रकार का जीवन व्यतीत करना चाहता है। अपना खाली समय कैसे व्यतीत करेंगे, मित्रों से कैसा व्यवहार करेंगे और किस प्रकार की विलासिता की वस्तुओं का उपयोग करना चाहेंगे, इस विषय में आपके और आपके साथी के विचारों में तालमेल होना चाहिए। हालांकि यह आवश्यक नहीं है कि आप को वे “सभी” चीज़ें पसंद हों जो आपके साथी चाहे, मगर मुख्य निर्णयों और प्रतिबद्धताओं के संबन्ध में मतभेद नहीं होना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए, यदि एक साथी सोमवार की शाम को टेलीविज़न पर व्यावसायिक कुश्ती देखना चाहता है और दूसरा उसी समय पर प्रकृति से संबन्धित डॉक्यूमेंटरी देखना चाहता है, तब तो शायद काम चल सकता है (विशेषकर तब जबकि वे एक डी वी आर खरीदने को तैयार हो जाते हैं)। मगर दूसरी ओर, यदि एक साथी घर खरीदना चाहता है और दूसरा नहीं या एक साथी तो “मस्त” रहना चाहता है और दूसरा नहीं, तब यह दीर्घकालिक प्रसन्नता की राह के रोड़े हो सकते हैं।
  6. कभी कभी ठिकाना ही युगल की प्रसन्नता की कुंजी होता है। लोग अक्सर ऐसे स्थान पर रहना चाहते हैं जहां वे अपने निकट संबंधियों अथवा घनिष्ठ मित्रों के बहुत करीब रह सकें, या ऐसी जगहों पर रहना चाहते हैं जहां कुछ विशेष प्रकार की गतविधियां संभव हों। यदि दोनों भागीदार एक स्थान पर रहकर संतुष्टि नहीं पाते हैं तब (कम से कम) उनको बहुत सारा समय यात्राओं में ही बिताना पड़ेगा।
विधि 2
विधि 2 का 4:

आदर्श साथी (Ideal Partner) का चुनाव

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  1. स्वयं के संबंध में यथार्थवादी दृष्टिकोण रखिए (Have an accurate view of yourself): जीवन साथी खोजने की राह “आप” से ही शुरू होती है! यह जानने के लिए कि आपके लिए कौन सर्वश्रेष्ठ होगा, आपको सही सही यह जानना होगा कि आप कौन हैं। अपनी पसंद और नापसंद जाननी होगी, अपनी खूबियाँ और कमियाँ जाननी होंगी। यह जानना होगा कि आप अपने जीवन से, और साथी से क्या चाहते हैं। स्वयं से यथार्थवादी और ईमानदार रहिए। यदि आपको स्वयं यह सब स्पष्ट नहीं हो रहा है, तो अपने मित्रों से सहायता मांगने पर विचार करिए।
    • सबसे बड़ी बात यह है कि, सभी कमियों के साथ भी, “स्वयं से प्रेम करिये”। यदि आप स्वयं से प्रेम नहीं कर सकते हैं तो दूसरे से प्रेम की अपेक्षा कैसे कर सकते हैं। यदि आप नकारात्मक आत्म-छवि के साथ सारे जीवन का संबन्ध बनाने का प्रयास करेंगे, तो शायद आप स्वयं को और अपने निकटस्थ जनों को हानि पहुंचाएंगे, इसलिए आगे बढ्ने से पहले, इस पहले कदम को निबटा लें।
  2. दो व्यक्ति, जो जीवन एक साथ व्यतीत करने जा रहे हों, उनके लिए जीवन के लगभग हर (चाहे सभी में न भी हो) महत्वपूर्ण निर्णय के संबन्ध में एक जैसी विचारधारा होने की “आवश्यकता” है। दो लोग चाहे बाकी सभी मामलों में एकमत हों, तब भी जीवन के महत्वपूर्ण एवं ऐसे मुद्दों, जिन पर समझौता नहीं किया जा सकता, पर तकरार होने की स्थिति में संबन्धों की गाड़ी थम सी जाती है। इन लक्ष्यों के संबन्ध में स्पष्ट एवं ईमानदार रहिए – स्वयं से झूठ बोलने के प्रयास से जीवन भर का आक्रोश उत्पन्न हो सकता है जो आपके साथी के लिए न्यायसंगत नहीं है। इस विषय पर और चर्चा आगे “प्राथमिकताओं” वाले भाग में की गई है। नीचे ऐसे कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण प्रश्न दिये गए हैं, जीवन साथी के चयन से पहले, जिनके उत्तर जान लेना आवश्यक है:
    • क्या मैं बच्चे चाहता हूँ?
    • मैं कहाँ रहना चाहता हूँ?
    • क्या मैं काम करना चाहता हूँ या घर संभालना (या दोनों)?
    • क्या मैं अपने संबन्ध को विशिष्ट रखना चाहता हूँ?
    • अपने जीवन में मैं क्या हासिल करना चाहता हूँ?
    • मैं किस प्रकार की जीवन शैली अपनाना चाहता हूँ?
  3. अपने पिछले संबन्धों के अनुभवों के आधार पर निर्णय लें: यदि आपको यह निर्णय लेने में दिक्कत हो रही है कि आप अपने साथी में क्या देखना चाहते हैं या आप अपने जीवन से क्या चाहते हैं, तो अपने पिछले संबन्धों के बारे में सोचें। अपने संबन्धों में जाने - अनजाने, जो विकल्प आप चुनते हैं, वे आपको यह सुराग देने में मदद कर सकते हैं कि आप अपने साथी में क्या देखना चाहते हैं और वे चीज़ें जानने में भी, जिनकी आवश्यकता दीर्घकालिक साझेदारी चलने के लिए होती है। नीचे, पिछले संबन्धों के बारे में, कुछ इस प्रकार के प्रश्न दिये हुये हैं जिन पर शायद आप, विचार करना चाहें:
    • आपको अपने साथी की क्या चीज़ पसंद थी?
    • अपने साथी के साथ साथ, क्या करने में आपको सबसे ज़्यादा मज़ा आता था?
    • आपका, अपने साथी से मतभेद किस बात पर होता था?
    • आप अपने साथी की आलोचना किस बात पर करते थे?
    • आपका साथी आपकी आलोचना किस बात पर करता था?
    • संबन्ध समाप्त क्यों हुये?
  4. जब आप मिलते हैं और नए व्यक्ति को डेट करना शुरू करते हैं तो उनसे, उनके बारे में बातें करिए। उनसे पूछिए कि वे साथी में क्या पसंद करेंगे, उनके जीवन के लक्ष्य क्या हैं, और उनकी दीर्घकालिक योजनायें क्या हैं? दीर्घकालिक अनुकूलता के लिए आपके साथी के आचार विचार, रुचियाँ, धर्म संबंधी दृष्टिकोण, और यहाँ तक तक कि आहार भी महत्वपूर्ण हो सकते हैं, इसलिए इनमें से किसी के बारे में भी पूछने से हिचकिचाइए मत!
    • आपको जीवनशैली विकल्पों के हर क्षेत्र पर प्रश्न करने के बारे में विचार करना होगा। जैसे कि, क्या वे धूम्रपान करते हैं, शराब पीते हैं या ड्रग्स लेते हैं? क्या उनकी कुछ व्यक्तिगत समयाएँ हैं? यदि आप अपना पेशा बदलना या उसको बढ़ाना चाहें तो क्या वे समर्थन एवं सहयोग देंगे?
    • वैसे तो, पहली डेट पर, इस तरह के प्रश्न पूछना आवशक “नहीं” है। बहुत जल्दी, अत्यंत व्यक्तिगत प्रश्न पूछना, बहुत उबाऊ हो सकता है और किसी के साथ आपके संबन्ध बनाने के प्रयास के लिए घातक भी। मगर इस प्रकार के जीवन शैली संबंधी प्रश्नों के उत्तर संभवतः आपको संबन्धों के पहले छः महीनों के अंदर जान ही लेने चाहिए।
विधि 3
विधि 3 का 4:

संबन्धों को सफल बनाना (Making Your Relationship Work)

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  1. जब आप किसी संबन्ध को बनाए रखने का प्रयास कर रहे हों, तो दूसरे व्यक्ति को वह मत समझिए जो कि वह है ही नहीं। हालांकि दोनों ही साथियों के लिए कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर, दूसरे साथी को ध्यान में रखते हुये, समझौता कर लेने की या स्वयं में कुछ छोटे मोटे परिवर्तन की संभावना तो होती है, परंतु मूलभूत रूप में देर सबेर वे वैसे ही बने रहते हैं। अपने साथी के संबंध में मरीचिका पालने से या उसमें ऐसे गुण देखने के प्रयास से बचिए, जो कि उसमें हैं ही नहीं। इसी प्रकार से यह आशा भी छोड़ ही दीजिये की आपका साथी केवल आपकी प्रसन्नता के लिए अपने में कुछ मूल परिवर्तन ला पाएगा।
    • उदाहरण के लिए, साथी से कभी कभी कूड़ा बाहर ले जाकर रख देने के लिए कहना (निश्चय ही शिष्टता से) उचित है – समझौते की शुरुआत यहाँ से करना ठीक है। परंतु यह आशा करना अनुचित है कि वे एकाएक बच्चों की कामना करने लगेंगे, वह भी तब जबकि पहले से कामना नहीं रही हो – यह तो एक गंभीर व्यक्तिगत निर्णय है जिसे यूं ही नष्ट नहीं किया जा सकता है।
  2. वैसे ही जैसे कि आपको अपने साथी के जीवन के किसी पहलू को नज़रअंदाज़ करने या परिवर्तित करने का प्रयास नहीं करना चाहिए, यह महत्वपूर्ण है कि उसी प्रकार से स्वयं के संबंध में भी करना चाहिए। जब आप डेट कर रहे हों, तो अपने अतीत या वर्तमान के संबंध में सत्य के थोड़ा बहुत हेर फेर का लोभ तो होता ही है। परंतु इससे न केवल व्यक्तिगत अपराध बोध होता है अपितु बाद में भी समयाएँ उत्पन्न हो सकती हैं। जब दूसरे व्यक्ति को सत्य का पता चलता है, जो होना अवशम्भावी है, तब सम्बन्धों में विश्वास बुरी तरह प्रभावित होता है। [४]
    • जैसे कि पहली कुछ डेट्स पर जाते समय अपनी आदत से कुछ अधिक शानदार कपड़े पहनना तो बिलकुल उचित है, मगर आप शायद, अपने साथी खुश करने के लिए, धार्मिक विचारधारा के होते हुये भी स्वयं को अनीश्वरवादी नहीं बताना चाहेंगे। अपने साथी को अपने बारे में धोखे में रखना – चाहे अपने बारे में झूठ बोल कर या कुछ जानकारी छुपा कर – धोखाधड़ी है और अधिकांश लोगों के लिए उससे उबर पाना कठिन होता है।
  3. यह पता करने का सर्वश्रेष्ठ तरीका क्या है कि आप किसी के साथ ढेर सारा समय बिता सकते हैं अथवा नहीं? “करने का प्रयास करिए!” यह जानने के लिए कि संबन्ध लंबे समय तक चल पाएगा या नहीं, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि दूसरे व्यक्ति के सान्निध्य में ढेरों समय (आदर्श तो यह होगा कि खूब सारी विभिन्न स्थितियों में) बिताया जाये। यदि आप किसी के आस पास दिन, सप्ताह, महीनों रह सकते हैं तो आपका संग-साथ संभव है।
    • आप शायद यह भी देखना चाहेंगे कि क्या उस व्यक्ति की उनसे भी बनेगी, जो आपके निकट हैं (या इसका विपरीत भी)। अपने साथी को सामाजिक उत्सवों में लाइये और उसका परिचय अपने परिवार और मित्रों से कराइये। यदि वह इन लोगों से घुल मिल पाता है तो आपकी एक और समस्या का समाधान हो गया।
  4. आप किसी के साथ पूरा जीवन बिताने की सोच रहे हैं, तो हड़बड़ाने की आवश्यकता नहीं है। अपने संबन्ध को संघटित रूप से विकसित होने का अवसर दीजिये। महत्वपूर्ण संबन्ध के घटनाक्रम, जैसे साथ साथ घूमने फिरने, साथ रहने या शादी करने, का मनमाना कार्यक्रम तैयार कर उसका अनुपालन मत करिये। यदि आप इन चीजों में जल्दी करेंगे तो स्वयं को किसी और के साथ, जिसकी जीवन की प्राथमिकताएँ वही न हों जो आपकी हैं या उससे भिन्न हों, ऐसी स्थितियों में पाये जाने का खतरा उठाएंगे, जिनके लिए आप तैयार नहीं होंगे।
    • आप निश्चय ही संभावित साथी को पूरी तरह जाने बिना उससे अंतरंग नहीं होना चाहेंगे। हालांकि एक छोटी सी मुलाक़ात का घनिष्ठ्ता में बदल जाना निश्चित ही संभाव्य है, परंतु लंबे समय के सम्बन्धों के लिए यौन अंतरंगता को आधार बनाना उचित नहीं है। वैसे तो यौन आकर्षण और अनुकूलता, दीर्घकालीन सम्बन्धों की कुंजी है, परंतु प्रतीक्षा, अनुकूलता की बेहतर समझ बढ़ाने में आपकी सहायता करती है।
  5. ध्यान दीजिये कि अपने साथी के निकट आपका व्यवहार कैसा है: यदि आप स्वयं को “ढोंग” करता हुआ पाते हैं, जैसा आप वास्तव में महसूस कर रहे उससे अलग महसूस करने का मिथ्या नाटक कर रहे हैं, या ऐसी चीजों पर हंस रहे हैं जो वास्तव में हास्यास्पद नहीं हैं, तो यह संकेत है कि आप वास्तव में इस व्यक्ति निकट, सहज नहीं हैं। परंतु यदि आप इस व्यक्ति की उपस्थिति में पूरी तरह सहज और स्वाभाविक हैं तो आप सही राह पर हैं। अपने साथी के इर्द गिर्द पूरी तरह से अकृत्रिम होना महत्वपूर्ण है। अंततोगत्वा “सभी” लोगों की “ढोंग” करने की शक्ति समाप्त हो जाती है।
  6. कोई भी संबन्ध सम्पूर्ण नहीं होता है। ऐसा समय भी आ सकता है जब आपको अपने साथी के लिए अपनी आवश्यकताओं का बलिदान करना पड़े। यह आपको ही निर्णय करना है कि आप कितनी कुर्बानी करने को तैयार हैं – अधिकांश अच्छे संबन्धों में दोनों साथियों द्वारा बलिदानों की स्वस्थ परंपरा होती है।
    • जब सम्बन्धों को ठीक रखने के लिए बलिदान का प्रश्न उठे तब छोटी छोटी चीजों जैसे कि मामूली आदतें या व्यवहारों के संबन्ध में सबसे पहले सोचना चाहिए। मगर जीवन के मुख्य लक्ष्यों को यहाँ नहीं लाना चाहिए, क्योंकि इनके संबन्ध में गंभीर मतभेद होना यह संकेत देता हैं कि दोनों व्यक्ति बेमेल हैं। जैसे कि, पत्नि और बच्चों की खातिर, दोस्तों के साथ अक्सर बाहर जाने की कुर्बानी उचित मानी जा सकती है। दूसरी ओर यह निर्णय कर लेना कि बच्चे ही नहीं होंगे, जबकि आप बच्चे चाहते हों, ऐसी बात नहीं है जिसको आपके द्वारा स्वीकार कर लिया जाये।
विधि 4
विधि 4 का 4:

”सही” साथी खोजना

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  1. सभी के लिए कोई न कोई है – आपको केवल जाकर उसको खोज निकालना है। यदि आप नए लोगों से मिलेंगे नहीं, नई चीज़ें करेंगे नहीं, या घर से निकलेंगे ही नहीं, तो संभावना यही है कि आपके लिए सही व्यक्ति के मिलने की आशा कम ही रहेगी। तो यदि आप अपने लिए जीवन साथी खोज रहे हैं तो शुरुआत, उठने और बाहर निकलने से करिये! अपना कुछ खाली समय मज़ेदार सामाजिक उत्सवों में शामिल होने में व्यतीत करिये, जहां आप नए लोगों से मिल सकें या बस यूं ही दुनिया में बाहर तो निकलिए।
    • अधिकांश डेटिंग विशेषज्ञ डेटिंग के लिये आगे बढ्ने के प्रस्ताव की संस्तुति करेंगे। कुछ लोग तो यहाँ तक कहेंगे कि इसमें कम से कम उतना ही प्रयास लगाना चाहिए, जितना आप अपने जीविकोपार्जन में लगाते हैं! [५]
  2. ऐसे लोगों से मिलिये जो वही कर रहे हों जो आपको प्रिय हो: प्रचलित विचारों के विरुद्ध, आपको डेटिंग साथी से मिलने के लिए हर शुक्रवार की रात दिखावटी, भीड़ भरे, महंगे नाइटक्लब में बिताने की आवश्यकता नहीं है और न ही आपको त्रुटिहीन ढंग से सजे सँवरे, आकर्षक, फ़िल्मी जैसे दिखने की। जहां कि “कुछ” लोगों के लिए ऐसे प्रस्ताव काम कर सकते हैं, अधिकांश लोगों को, अपनी पसंद का काम करते हुये ही साथी ढूँढने में बड़ी सफलता मिलती है। ऐसा करने से आप उन्हीं लोगों से मिल जाते हैं जिनकी रुचियाँ और दृष्टिकोण आपके जैसे ही हैं और स्वाभाविक रूप से इससे अनुकूलता बढ़ जाती है।
    • यहाँ तक कि एकल शौक भी लोगों को मिलने का अवसर प्रदान कर सकते हैं! कॉमिक पुस्तकें या वीडियो गेम खेलने का शौक है? उसके किसी सम्मेलन में भाग लीजिये! चित्रकारी से प्रेम है? प्रदर्शनी लगाइये! लेखन पसंद है? लेखकों की कार्यशाला में भाग लीजिये! लगभग सभी रुचियों के लिए शानदार गतिविधियां हैं, तो बस खोजना शुरू तो करिये!
  3. आप किसी ऐसे की खोज कर रहे हैं जिसके साथ अपना शेष जीवन बिताना चाहते हैं, अतः यह अनुचित नहीं होगा कि आप और आपका संभावित जीवन साथी एक दूसरे से इस बारे में पूरी तरह से “खुल जाएँ” कि आप हैं क्या? वास्तव में, बहुत से लोग तब तक “खुल पाने” को तैयार नहीं होते हैं जब तक कि वे एक दूसरे से अंतरंग न हो जाएँ। यदि आपको यह विचार स्वीकार्य हो तो सम्बन्धों की शुरूआत से ही, उसकी हर मंज़िल पर, स्वयं से ईमानदार रहने का प्रयास करिये: किसी से बाहर जाने के लिए प्रस्ताव करते समय, पहली कुछ डेट्स पर जाते समय, एक दूसरे को अंतरंगता से जानते बूझते समय, एक दूसरे से प्रतिबद्ध होते समय, और उसके आगे भी! ऐसा करने से, आप अपने साथी को “असली आप” से प्रेम में पड़ने का अवसर देते हैं, न कि आपको तब तक “थामे रखने” का जब तक कि आप स्वयं से सहज न हो जाएँ।
  4. जीवन साथी खोजने का मार्ग भयावह लग सकता है। ऐसा लग सकता है कि आपको ऐसा कोई भी मिलने की आशा नहीं है जो आपके योग्य हो, विशेष कर तब जबकि हाल ही में आपको किसी रूमानी हादसे से गुज़रना पड़ा हो। चाहे आप कुछ भी करें, कभी भी यह आशा मत छोड़िए या भयभीत मत रहिए कि आपको कोई नहीं मिलेगा। पूरे विश्व में लोग ऐसी ही रूमानी समस्याओं से जूझते रहते हैं, जिनसे शायद आप अभी गुज़र रहे होंगे। हरेक को कभी न कभी व्यक्तिगत असफलताओं का सामना करना पड़ता है। जीवन साथी खोजने का कोई एक ही “सही रास्ता” नहीं है, अतः स्वयं का आकलन दूसरे लोगों अथवा जोड़ों से तुलना करके मत कीजिये। अपने जीवन साथी की खोज को, नकारात्मक विचारों द्वारा, पटरी से उतारने मत दीजिये। विश्वास, निर्भीकता और दृढ़ता आपके लिए सही व्यक्ति की तलाश की कुंजी हैं।
    • अतिरिक्त लाभ यह भी है कि, विश्वास आम तौर पर अत्यंत आकर्षक माना जाता है! [६] निर्भीक विश्वास एक ऐसी स्वयं-समर्थ विशेषता है जो आपको आपके संभावित साथी के लिए कहीं अधिक आकर्षक बना देती है: डेटिंग की परिस्थितियों का आप जितने ही विश्वास से सामना करते हैं, उतने ही, उनके दौरान आप तनावमुक्त रहेंगे, उतना ही बढ़िया आपका समय व्यतीत होगा और उतने ही आश्वस्त आप तब होंगे जब आप “अगली” परिस्थिति का सामना करेंगे।

सलाह

  • अपनी रुचियों, पसंद-नापसंद, प्राथमिकताओं और उच्चतम मूल्यों का पता करें। आप दोनों में पूरी समानता हो यह तो संभव नहीं है, परंतु सुनिश्चित करें कि वह कम से कम उनका सम्मान करे और उन्हें स्वीकार करे।
  • सहज विनोदप्रियता और और पूरी ईमानदारी ही सफल सम्बन्धों की कुंजी है। उसके बिना, आपके पास कुछ नहीं है।
  • कभी भी, किसी व्यक्ति को भी स्वयं के साथ दुर्व्यवहार –शाब्दिक या शारीरिक, मत करने दीजिये ... यह स्वीकार्य नहीं है और जितना शीघ्र संभव हो वहाँ से हट जाइए।

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