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दिवाली के त्यौहार में सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्मी पूजन मानी जाती है। इस त्यौहार में की जाने वाली लक्ष्मी पूजा एक बहुत महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है | यह अनुष्ठान देवी लक्ष्मी को अपने घर बुलाने के लिए किया जाता है | देवी लक्ष्मी के लिए प्रार्थनाएं की जाती हैं जिससे नव वर्ष (हिन्दुओं का नया साल) शांति, धन और समृद्धि से भरपूर रहे | घर पर दीवाली पूजा करने की साधारण विधि यहाँ क्रमानुसार दी गयी है:

  1. अपने घर को पूरी तरह से साफ़ रखें | घर को शुद्ध करने के लिए गंगाजल या गंगा नदी का पानी घर में चारों और छिडकें |
  2. ऊंचे मंच पर लाल कपडा बिछाएं और इसके मध्य भाग में एक मुट्ठी गेंहूँ रखें |
  3. मध्य भाग में कलश स्थापित करें | इसे 75% पानी से भरें और इस कलश के ऊपर सुपारी, गेंदे के फूल, एक सिक्का और कुछ चावल के दाने रखें | कलश में आम के पांच पत्ते रखकर इन्हें कलश की ग्रीवा भाग में गोलाकार व्यवस्थित करें |
  4. कलश पर एक छोटी पूजा की थाली रखें और चावल की ढेरी लगायें या चावल का एक छोटा पहाड़ बनायें | हल्दी से इसके ऊपर एक कमल बनायें और इसके मध्य में देवी लक्ष्मी की प्रतिमा रखें और उनके सामने कुछ सिक्के रखें |
  5. भगवान गणेश को प्रत्येक पूजा में प्रथम स्थान दिया जाता है | इसके बाद, कलश की दाहिनी ओर (दक्षिण-पश्चिम दिशा में) गणेशजी की प्रतिमा रखें और हल्दी और कुमकुम का तिलक लगायें | प्रतिमा के कुछ चावल चढ़ाएं |
  6. अब, कुछ किताबें और आपके व्यवसाय या धन से सम्बंधित चीज़ें रखें |
  7. दिए जलाकर इन्हें थाली में हल्दी, कुमकुम और चावल के दानों के साथ रखें (विकल्प के रूप में चन्दन का पेस्ट, केसर का पेस्ट, अबीर और गुलाल लिए जा सकते हैं)|
  8. कलश को तिलक लगाकर पूजा की शुरुआत करें | एक ऐसे ही पानी से भरे लोटे पर भी तिलक लगायें | अब इनमे से प्रत्येक वस्तु पर फूल चढ़ाएं |
  9. कुछ चावल और फूल लें | अपने हाथों को जोड़ें और आँखें बंद करें | देवी लक्ष्मी के “दीवाली पूजा मन्त्र” सुनें या बोलें या फिर सिर्फ देवी का नाम जपें और कुछ मिनट के लिए ध्यान लगाकर देवी का आह्वान करें |
  10. प्रार्थना करने के बाद देवी पर फूल और चावल के दाने चढ़ाएं |
  11. अब, देवी लक्ष्मी को उठाकर एक थाली में रखें और पंचामृत के साथ पानी से स्नान कराएं | फिर से पानी से साफ़ करें | मूर्ती को पोंछकर वापस उसी जगह पर कलश के पीछे रख दें |
  12. अब मूर्ती पर हल्दी, कुमकुम को चावल* के दानों के साथ चढ़ाएं | देवी के गले के चारों ओर कपास के मोती की माला पहनाएं | कुछ गेंदे के फूल और बेलपत्र चढ़ाएं या अर्पित करें | कुछ अगरबत्ती और थोड़ी धूप जलाएं |
  13. नारियल चढ़ाएं और एक सुपारी की पट्टी पर सुपारी रखें | अब, थोड़ी हल्दी, कुमकुम और चावल इसके ऊपर चढ़ाएं या लगायें | कुछ मुरमुरे (puffed rice), धनिया के दाने और जीरे मूर्ती पर ढारें या उड़ेलें | प्रतिमा या मूर्ती के सामने कुछ दीवाली की मिठाई, फल, और पैसे और सोने के आभूषण रखें |
  14. “लक्ष्मी पूजा आरती” के द्वारा मूर्ती की आराधना करें | लक्ष्मीजी की आरती यहाँ दी गयी है:
    • ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता। तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता॥
    • उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता। सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता॥
    • दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता। जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता॥
    • तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता। कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता॥
    • जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता। सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता॥
    • तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता। खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता॥
    • शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता। रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता॥
    • महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता। उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता॥

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