आर्टिकल डाउनलोड करें आर्टिकल डाउनलोड करें

बीते सालों में दुष्ट सास के बारे में बहुत कुछ कहा गया है, मगर क्या हो अगर झगड़े और संघर्ष की शुरुआत बहू (या दामाद) ने की हो? अगर आपके संबंध अपनी बहू या दामाद के साथ अच्छे न हों और हर बार जब भी आप साथ हों, तब आपको बारूदी सुरंगों के बीच से निकलने जैसा अनुभव होता हो, तब तो आपको संभल कर चलना ही पड़ेगा। यह तथ्य स्वीकार करना महत्वपूर्ण है कि आपके बेटे/बेटी ने उससे शादी की है, और आप इस सबंध को सुविधाजनक बनाने के लिए "चीज़ों को आसान" बना सकती हैं, जिससे इस पेचीदा संबंध को सहज रूप से निभाया जा सके। क्या आपके संबंधी या ससुराल-पक्ष को वास्तव में मनोवैज्ञानिक सहायता की आवश्यकता है; हाँ आप उसकी प्राप्ति में उनकी सहायता कर सकते हैं।

  • पढ़ने की आसानी के लिए हम मान लेते हैं कि ससुराल-पक्ष-बच्चा (child-in-law), दुष्ट बहू होगी।
  1. आपके बेटे/बेटी ने इस महिला से प्यार किया है, हालांकि इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि आपको समझ में नहीं आता कि उसने उसमें आखिर देखा क्या है। उस पुराने गाने "प्यार दीवाना होता है मस्ताना होता है, हर खुशी से हर गम से बेगाना होता है!! शमा कहे परवाने से परे चला जा, मेरी तरह जल जाएगा यहाँ नहीं आ, शमा कहे परवाने से परे चला जा मेरी तरह जल जाएगा यहाँ नहीं आ, वो नहीं सुनता उसको जल जाना होता है" को याद करिए। यह बिलकुल सच है, कि चाहे आपकी वास्तविक भावनाएँ जो भी हों, आपको उसके विरुद्ध अपने बेटे से कभी भी कुछ भी नहीं कहना चाहिए।
  2. वह संवेदनहीन, अशिष्ट गँवार हो सकती है। वह असभ्य और मूढ़ हो सकती है। हो सकता है कि आप तो बहुत संस्कारी तथा सभ्य हों, मगर वह गंदी गालियां देती हो। हो सकता है कि वह निर्दयी, क्रूर या चालाक, नियंत्रक प्रकार की खुदगर्ज़ हो, जिसे अपनी मनमर्ज़ी की चीज़ें पाने के लिए दूसरों का लाभ उठाने में तनिक भी हिचकिचाहट न होती हो। आप इसके लिए कुछ नहीं कर सकती हैं। बस वैसे ही शिष्ट रहिए , जैसे कि आप किसी अनजान के साथ रहतीं।
    • इसका केवल एक ही अपवाद है जब आपके पास छोटे बच्चे हों (आपके बेटे के भाई बहन हों जिनके शायद छोटे बच्चे हों) और वह पागलों की तरह गालियां दे रही हो – तब आप धीरे से कह सकती हैं, "ओह – जब बच्चे पास में हों तब क्या अपनी ज़बान संभाल सकती हो? ऐसी भाषा का इस्तेमाल करने से ये परेशानी में पड़ सकते हैं और मैं नहीं चाहती हूँ कि वे इन शब्दों को यहाँ पर सीखें। धन्यवाद।" चाहे वह कितनी भी घिनौनी क्यों न हो, आप तो शांत , संतुलित और शिष्ट बनी रहिए।
  3. अपनी सीमाएं तय कर लीजिये कि कहां तक आप सहज रह सकेंगी: शायद आप इस साथ को उससे अधिक समर्थन नहीं देना चाहेंगी, जितना इस संबंध को अपने बेटे के साथ बनाए रखने के मात्र लिए आवश्यक हो। वैसे यह पूरी तरह से आपकी पसंद पर निर्भर करता है। इसलिए चीज़ों को ऐसे सेट करिए ताकि वे शुरू से ही स्पष्ट रहें। [१]
    • अगर आपकी बहू परिवार के किसी अन्य सदस्य (शायद आपकी दूसरी बहू) के संबंध में व्यंग्यात्मक या घिनौनी टिप्पणी करे, तब कहिए, "हाँ, हो सकता है कि उसे फ़ैशन का सेंस (sense) न हो, मगर, वह तो मेरी जानकारी में सबसे स्वीट (sweet) व्यक्ति है और मुझे उससे बहुत प्यार है।" इससे, उसे एक शांत, सहज तरीके से यह जानने में मदद मिलेगी कि आपको उस व्यक्ति के संबंध में, उसके द्वारा की गई बुराई सुनने में दिलचस्पी नहीं है।
    • अगर वह बिना बताए आ जाये, तब झूठ मत बोलिए मगर उसे दरवाज़े पर रोकिए और अफ़सोसनाक मगर दृढ़ शब्दों में कहिए, "मुझे माफ़ करना, सीमा – और ऐसा कुछ कहिए जिसे करने की आपको ज़रूरत हो, जैसे कि मुझे जा कर कुछ घर का सामान लाना है, इसलिए मुझे अभी जल्दी ही जाना है। और पता है – अच्छा होता कि तुमने पहले ही कॉल करके बता दिया होता, ताकि ऐसा न होता कि तुम आतीं और मैं शावर में होती, कपड़े उतार कर सेट कर रही होती, या कुछ और कर रही होती।" उसके बाद दाँत दिखा कर घर के अंदर चली जाइए। अगर वह कहती है कि वह भी साथ आना चाहेगी, तब उसे बताइये कि आपको किसी दोस्त को लेने जाना है, और यही समय है जबकि आपको दोस्त से मिलने का समय मिला है। आप बताइये कि दोस्त से आपकी कभी-कभार ही मुलाक़ात होती है, और आप यह पसंद नहीं करेंगी कि आपका दोस्त किसी पूर्व सूचना के बिना किसी को अपने साथ ले कर आ जाये, और इस बार आप उसके औचित्य का सम्मान करना ही चाहेंगे, "...अगर तुम मुझे पहले से बता दोगी कि तुम आने वाली हो तब में बर्निस से मिलने का समय बदल लूँगी या उसकी जगह उससे पूछ लूँगी कि उसे तुम्हारे मेरे साथ आने का बुरा तो नहीं लगेगा – अगली बार के लिए वह ठीक रहेगा!"
    • उसको पॉज़िटिव ही रखिए।
  4. याद रहे कि वह आपके पोते-पोतियों की माँ हो सकती है: आपके बेटे के बच्चों तक आपकी पहुँच को वही नियंत्रिल करेगी। उनसे मिलने के अधिकार को बनाए रखने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि आप एक शिष्ट, मित्रवत संबंध बनाए रखें – सभ्य बने रहने के लिए कुछ कष्ट उठाने पड़ें, तो उठा लीजिये। उसके पालन पोषण के तरीके की आलोचना मत करिए, और नाराज़ मत होइए अगर वह आपको चौंका कर, अंतिम समय पर वह योजना बदल दे, जिसके अनुसार आपको सप्ताहांत में बच्चों को अपने साथ रखना था। यह उन तरीकों में से एक है जिससे कुछ लोग परिस्थितियों पर नियंत्रण करते हैं और दूसरे (देखिये किस प्रकार एक चालाक या नियंत्रक संबंध को पहचानाते हैं ) – आप सबसे अच्छा यही कर सकती हैं कि समझ लें, कि बच्चों के साथ क्या होगा इस संबंध में उसका निर्णय ही अंतिम होगा। अपने को यह धोखा मत दीजिये कि आपके पास भी बहुत से अधिकार हैं: अदालत तब तक दादा-दादी का पक्ष नहीं लेती है जब तक कि माता तथा/या पिता अनफ़िट (unfit) न घोषित कर दिये जाएँ या किसी गंभीर अपराध के लिए गिरफ़्तार न किए गए हों। चाहे आपमें कितना भी वाद-विवाद क्यों न हुआ हो, पूरी कोशिश यही करिए कि आपके काम चलाऊ संबंध बने रहें।
  5. हालांकि, सावधानीपूर्वक। बस अपनी बहू की नफ़रत योग्य बातों की झड़ी मत लगा दीजिये। इसकी जगह, ऐसा दृष्टिकोण अपनाइए जो कि डिप्लोमेटिक (diplomatic) हो, और आलोचनात्मक नहीं। समस्या बताइये, और फिर अपने मनपसंद समाधान के लिए निवेदन करिए:
    • उदाहरण 1: आपकी बहू को आपके पोते-पोती को शुक्रवार की रात में स्लीपओवर (sleepover) के लिए आपके घर पर छोड़ना था, मगर वह आई नहीं। आपने डेढ़ घंटे इंतजार करने के बाद परेशान और हताश हो कर, अपने बेटे को फ़ोन किया जब आपको पता चला कि उनकी योजना बदल गई और उन्होंने नहीं आने का निर्णय लिया है। बुद्धिमानी से, आप एक दिन प्रतीक्षा करते हैं, फिर ऐसे इशूज़ (issues) से निबटने के लिए किसी अधिक उचित तरीके पर बात करने के लिए, अपने बेटे या बेटी को फिर फ़ोन करते हैं।
      • आप: "दीपक, तुमने मुझसे पूछा था कि क्या पिछले वीकेंड (weekend) पर हम बच्चों को रखना चाहेंगे। सीमा को उन्हें शुक्रवार शाम 5 बजे यहाँ छोड़ना था और रविवार की दोपहर में उनको ले जाना था। उसकी जगह, सीमा शुक्रवार को नहीं आई, और जब वे शाम 6:30 तक नहीं आए, हम चिंतित हो गए। हमें तुमको कॉल करना पड़ा और तब हमें पता चला कि तुम्हारी योजना बदल गई है – और तुम दोनों को यह बात बृहस्पतिवार से पता थी।"
      • दीपक (आपका बेटा) उत्तर देता है: "माँ, मुझे अफ़सोस है। मैंने सोचा के सीमा तुम्हें कॉल करेगी, और सीमा ने सोचा कि मैं तुमको कॉल करूंगा, और इसी गड़बड़ी में यह बात रह गई – हम बहुत व्यस्त रहते हैं, और यह निर्णय एक तरह से अंतिम मिनट पर हुआ, इसलिए मुझे उसका अफ़सोस है।"
      • आप: "मानती हूँ, कि इस बार गड़बड़ हुई, मगर ऐसा पहले भी हुआ है, और बात यह है, लगता है कि जब भी योजना बदलती है, तब सीमा हमें कभी कॉल नहीं करती है – और अंततः यह होता है कि हमें यह पता लगाने के लिए तुमको कॉल करना पड़ता है, कि क्या हो रहा है। यह बहुत लापरवाही है, जोश, और तुम यह जानते हो। डैड का और मेरा भी जीवन है, हम भी व्यस्त हैं। पिछले वीकेंड हमने सब कुछ छोड़ दिया ताकि बच्चे आ कर हमारे साथ रह सकें, और डैड ने इसी लिए दोस्तों के साथ मछली पकड़ने जाने का निमंत्रण ठुकरा दिया था। भविष्य में, अगर योजना बदलती है, तब मैं चाहूंगी कि तुम हमें कम से कम एक दिन पहले बता दो – मगर बेशक, सीमा पर कॉल करने के लिए विश्वास करने के स्थान पर, मैं यह चाहूंगी कि तुम उसको हैंडल करो। मैं तुम्हारी पत्नी के साथ समस्याएँ उत्पन्न करने वाली दुष्ट सास नहीं होना चाहती हूँ। मगर मैं अधर में लटकती भी नहीं रहना चाहती, चाहे वैसा जान बूझ कर किया गया हो या अनजाने में – क्योंकि मैं उससे बहुत अपमानित महसूस करती हूँ। तो, क्या हम भविष्य के लिए इस पर सहमत हो सकते हैं कि अगर योजना में परिवर्तन होता है और तुम मना करने वाले हो तो तुम कॉल करोगे, सीमा नहीं?
    • उदाहरण 2: आपकी समस्या इसके विपरीत हो – सीमा आती है और सदैव बच्चों को आपके पास छोड़ना चाहती है, जिससे आपके पास अपने लिए बहुत कम या बिलकुल समय नहीं बचता है, और वह आपके साथ ऐसा व्यवहार करती है जैसे कि आप उसकी नौकर हों या निजी बेबीसिटिंग सेवा हों – जिसे वह जब चाहे तब बुला सकती हो।
      • आप: "सीमा, मुझे अफ़सोस है – मैं अभी बच्चों को नहीं रख सकती।"
      • सीमा: "ओह, मुझे पता है यह बहुत कम नोटिस है (दरअसल, यह बिलकुल नोटिस नहीं है) मगर, प्लीज़, प्लीज़, प्लीज़ – बहुत ज़रूरी है कि..." (जबकि वह बच्चों को दरवाज़े की ओर धकेलती है)
      • आप: (दरवाज़े पर दृढ़ता से खड़े हुये) बेटा, मुझे अफ़सोस है, इस बार मैं नहीं कर पाऊँगी। मैं चाहूंगी, मगर मुझे अभी कुछ करना है। मेरे कुछ काम हैं, जो टाले नहीं जा सकते, और मैं बच्चों को साथ नहीं ले जा सकती।"
      • शांति बनाए रखने के लिए कमजोर मत पड़िएगा। उससे काम नहीं चलेगा। वह ऐसा करती रहेगी, आप गुस्से से उबलती रहिएगा – और अंत में, आप फट पड़ेंगी और कुछ ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण कह बैठेंगी जिससे आपके परिवार में बड़ी दरार पड़ जाएगी। [२] उसकी जगह अपनी बात पर, प्यार से, मगर दृढ़ता से, टिकी रहिए और इस सीमा को स्पष्ट रूप से निर्धारित कर दीजिये। [३] बाद में अपने बेटे को कॉल करिए:
      • आप: "शायद तुमको सीमा ने बताया होगा कि मैंने आज बहुत नीचता की, और बेबी-सिट नहीं किया"
      • दीपक: "हाँ।" (शायद वह समझता होगा और आपसे नाराज़ नहीं होगा, मगर उत्तेजित है कि उसकी पत्नी को आपसे यह शिकायत है और वह आपको किस तरह उससे बचा सकता है।)
      • आप: "बेटा, मुझे उसका बुरा लग रहा है, मगर मेरा भी अपना जीवन है, और इधर मुझे लगने लगा है कि सीमा सोचती है वह जब भी शॉपिंग या जहां चाहे वहाँ जाना चाहती है तब बच्चों को देखभाल के लिए मेरे पास छोड़ सकती है। मुझे यह पसंद नहीं कि मुझसे पूछे बिना, मेरी स्वीकृति मान ली जाये। मैं यहाँ पर तीसरा विश्व युद्ध नहीं शुरू करना चाहती, और न ही उसकी भावनाओं को चोट पहुंचाना चाहती हूँ – मुझे बच्चों से प्यार है, और सदा उनके साथ समय बिताना चाहती हूँ, मगर, जोश, मुझे उसके लिए थोड़ा नोटिस तो मिलना चाहिए। इस बात को भी थोड़ा बहुत समझना चाहिए कि छोटे बच्चों की देखभाल आसान नहीं होती है – मैं चाहे उनको जितना भी प्यार करती हूँ, मगर मेरी भी उम्र बढ़ रही है। मैंने अपने बच्चे पाल लिए हैं और बच्चों को मुझ पर लाद दिया जाने से पहले, मुझे कम से कम इतना सम्मान तो मिलना ही चाहिए कि मुझसे पहले पूछ लिया जाये, कि मैं बेबीसिट करने के लिए उपलब्ध हूँ या नहीं। क्या तुम उससे बात कर सकते हो, प्लीज़? मुझे लगता है कि यह बात अगर तुम उससे कहोगे तब उसे बेहतर समझ में आएगी – मगर भविष्य में, मैं सचमुच चाहूंगी कि वह पहले कॉल करे। चाहे केवल कुछ घंटों पहले ही करे, कम से कम हाँ या नहीं कहने का विकल्प उपलब्ध होने से मुझे पहले की अपेक्षा बेहतर महसूस होगा।"
      • फिर से, आपके अनुसार सीमा चाहे जितनी भी संवेदनाहीन और अशिष्ट हो, मगर उसकी आलोचना करने के स्थान पर अपनी भावनाओं से निबटना, स्पष्ट रूप से कहीं बेहतर विकल्प होगा। जोश, बेशक, समझ जाएगा, बजाय इसके कि आप उसको लगातार मना करती रहें, यह कहीं अच्छा होगा कि जोश अपनी पत्नी से बात करे, और इससे आप दोनों के बीच चीज़ें स्मूथ (smooth) हो सकेंगी। मगर – अगर दीपक कोशिश करता है और उसका कोई असर नहीं पड़ता, क्योंकि उसकी पत्नी उन लोगों में से है जिन्हें लगता है कि वे जो चाहें वह कर सकते हैं, चाहे उससे दूसरों को कितनी भी असुविधा क्यों न होती हो, तब तो आपको अपनी सीमा को कठोरता से तय कर देना होगा और उससे टस-से-मस नहीं होना होगा। [४] एक सुझाव: जब तक आपको 24 घंटे पहले नोटिस न मिले कभी बेबीसिट मत करिए – मगर यह सुनिश्चित कर लीजिये कि दीपक और सीमा दोनों को, इसकी जानकारी हो। बता दीजिये कि आपका भी अपना एक जीवन है, और अगर आपको एक दिन पहले बता दिया जाएगा, तब तो आप बेबीसिट करने के लिए उपलब्ध रह सकती हैं, मगर उसके बाद, आप नहीं कर सकेंगी। दूसरे शब्दों में, अगर वह आपको कॉल करे और बताए कि क्या आप एक घंटे बाद बेबीसिट कर सकेंगी, तब आपको बता देना है कि आपको कुछ और काम है। अगर आप इस पर दृढ़ रहेंगी, और उसे अपनी बात मनवा नहीं लेने देंगी, बल्कि शांति से और बिना बहुत स्पष्टीकरण दिये अपनी बात उसे सूचित कर सकेंगी, वह जल्दी ही समझ जाएगी कि वह इसकी आपसे उम्मीद नहीं कर सकती है।
  6. अगर आपके बेटे के इस महिला से बच्चे हैं, तब उसके बारे में आप चाहे जो भी सोचती होंगी, बच्चों को अपनी माँ की आवश्यकता होगी। [५] उसके बच्चों और उनकी माँ के बीच में दरार डालने से केवल आपके और आपके बेटे – और उसके बच्चों के बीच दरार पड़ जाएगी। इसकी जगह, बस यह मान लीजिये: शायद वह आपकी मनचाही बहू न हो, मगर आपके पास वही एकमात्र है । अपने बेटे और उसके बच्चों के संपर्क बनाए रखने के लिए, उसके साथ जो भी संबंध संभव है वही चुन लीजिये।
  7. अगर आपको पता हो कि यह लड़की घमंडी है, तब उसकी चापलूसी करिए। अगर आपको पता हो कि वह गॉसिप करती है, तब कोशिश करिए कि आप कहीं और रहें ताकि आपको उसमें शामिल न होना पड़े। अगर वह अपशब्द बोलती हो और आपको इससे बुरा लगता हो, तब कभी भी इस बात पर उसके घर में उसको मत टोकिए – मगर जब वह आपके घर में हो, तब उससे कहिए कि थोड़ा टोन (tone) नीचे कर ले। अगर वह आपके खाने की, आपकी सजावट के विचारों की, आपके कपड़ों की बहुत आलोचना करती हो तब बात को उड़ा दीजिये। सीखिये कि किस प्रकार इम्पॉसिबल (impossible) लोगों से निबटा जाये । जो भी वह कहती है, उसको ध्यान से शिष्टतापूर्वक सुनिए और फिर जा कर जो आपका मन करता हो वही करिए। अगर वह केवल दुष्ट होगी, तब शायद यही वह सबसे अच्छा होगा जिसकी आप आशा कर सकते हैं। अगर वह ख़तरनाक होगी – तब बात अलग है (उदाहरण: कभी-कभी उसके दुष्ट होने का कारण हो सकता है कि वह शराबी या ड्रग्स की आदी हो आदि) और आपको ऐसी परिस्थिति में आपको वास्तव में बाल संरक्षण सेवा (या उसके किसी समकक्ष) से संपर्क करना चाहिए।
  8. सीखिये कि शांति से कैसे रह सकते हैं। अपने बेटे से उसकी लगातार शिकायत करने से, कुछ मिलने वाला नहीं है। अगर आपने अपनी भावनाएँ व्यक्त कर दी हैं, अपनी सीमाएं स्पष्ट कर दी हैं, और अपने बेटे से बीच में पड़ने क कह दिया है, और इन सबका कोई लाभ नहीं हुआ है, तब जैसे चल रहा है वैसे चलने दीजिये। आप केवल इतना कर सकती हैं, कि बेबीसिटिंग सेवाओं की अनुचित अपेक्षाओं को ले कर, अपने आप पर उसकी ज़बर्दस्ती को स्वीकार न करें और अगर वह शातिर दुष्ट, आपके लिए कटु और आलोचनात्मक टिप्पणियाँ करती है, तब उन्हें बस उड़ा दीजिये। और अपने पोते पोतियों से कभी भी उसके संबंध में कोई आलोचनात्मक या कटु बात मत कहिए – वह उनकी माँ है, और चाहे आप कितना भी चाहें कि काश वैसा न होता, माँ हमेशा दादी से ऊपर ही रहती है, कम से कम तब तक, जब तक, बच्चे इतने परिपक्व नहीं हो जाते कि व जान सकें कि उनकी माँ कितनी दुष्ट, उलझी हुई, स्वार्थी व्यक्ति थी। केवल बच्चों की ख़ातिर साथ बनी रहिए, ताकि आप उनके जीवन में स्थायीत्व तथा संवेदना का प्रभाव ला सकें, और उसके कारण यह आशा रहेगी कि उसकी वजह से उन्हें जो नुकसान पहुंचेगा, उसकी भरपाई हो सकेगी।

सलाह

  • केवल यह एहसास कि आप उसे नहीं बदल सकतीं – आप केवल उसके प्रति अपनी प्रतिक्रिया बदल सकती हैं – बहुत स्वतंत्र करने वाला होता है।
  • कोशिश करिए कि उसका गुस्सा अपने बेटे पर न निकालें।
  • उसकी कटु और असंवेदनशील टिप्पणियों पर घंटों तक दाँत पीसने से अपने आप को रोक दीजिये। याद रखिए कि उसकी नीच टिप्पणियाँ आपके बारे में उतना कुछ नहीं कहतीं जितना वे उसके बारे में बताती हैं।
  • स्वीकार करिए कि कुछ लोग तेल और पानी की तरह होते हैं – बस वे ठीक से एक दूसरे से नहीं ही मिलते हैं। ऐसा केवल इसलिए नहीं होता कि वो या आप मिलनसार नहीं है। बस यह हो सकता है कि आपके व्यक्तित्व मेल न खाते हों। अगर आप यह स्वीकार कर लें कि वह कभी भी आपकी प्रिय व्यक्ति नहीं बनेगी और उन पलों का आनंद लेने का प्रयास करती हैं जो आप उसके साथ बिता सकती हैं, तब तो आप उससे बेहतर तरीके से निबट सकेंगी।
  • एक पॉज़िटिव मनोवृत्ति और इस महिला के साथ होने पर सामने आने वाली हर परिस्थिति का लाभ उठाने के लिए तैयार रहना आपकी अंततः मदद करेगी।
  • चाहे वह न भी दिखाये, आप सम्मान प्रदर्शित करिए।
  • यह एहसास करिए कि हो सकता है कि वह शर्मीली हो, उसके अपने विश्वास संबंधी संदेह हों, या परिवार में स्वीकार किए जाने के लिए बहुत उत्सुक हो, और इस कारण वह सामान्य सीमाएं लांघ जाती हो। यह झगड़े का कारण लग सकता है, मगर धीरे-धीरे यह स्मूथ (smooth) हो जाएगा जब उसे समझ में आयेगा कि परिवार के भाग के रूप में उसका स्वागत हो रहा है। अगर आप ने तो स्वागत के लिए हाथ बढ़ाया है, मगर आपका हाथ झटक दिया गया है, तब भी, हाथ को तब तक बढ़ाए रहिए जब तक कि वह उसे एक साथी की तरह अपने हाथ में ले सके, न कि किसी ढीठ, नियंत्रणहीन बच्चे या एक ठंडे, दूरस्थ या घमंडी अजनबी की तरह।

चेतावनी

  • उसके साथ निराशा शायद जीवन का एक हिस्सा होगी। अगर आप हर बार, जब भी उससे मिलें, तब "रीसेट" करने की कोशिश कर सकती हैं – दूसरे शब्दों में, स्लेट को साफ़ कर दें और हर बार उसको नया समझ कर देखें – तब आपके पास कोई पुरानी शिकायतें नहीं होंगी और न तो आपके दिल में कोई पिछली निराशाओं की गिनती ही चलती रहेगी।
  • आप उसके प्रति यदि कोई कठोर टिप्पणी करेंगी तब वह आपके बेटे को अच्छी नहीं लगेगी। शांति। शांति।

विकीहाउ के बारे में

सभी लेखकों को यह पृष्ठ बनाने के लिए धन्यवाद दें जो ९,४३९ बार पढ़ा गया है।

यह लेख ने कैसे आपकी मदद की?