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पीठ पीछे बुराई करने वाले, पलट कर आपको धोखा देने के लिए, झूठी बातें और चोट पहुंचाने वाली अफवाहें फैलाते हुये, सदैव आपके घनिष्ठ मित्र होने का ढोंग करते हैं। इस व्यवहार के पीछे कारण चाहे जो भी हो, महत्वपूर्ण यह है कि आप उनसे अपनी रक्षा करें। यदि यही स्थिति बनी रहती है, तो चाहे तो पीठ पीछे बुराई करने वालों के साथ अपने सम्बन्धों को सुधार कर या जीवन में आगे बढ़ कर, आपको अपने जीवन पर पड़ने वाले इनके प्रभावों को समाप्त करने की राह ढूंढनी होगी।

विधि 1
विधि 1 का 3:

स्वयं को पीठ पीछे बुराई करने वाले से बचाना

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  1. सुनी गई बातों पर प्रतिक्रिया देने से पहले उनकी सच्चाई जान लें: जैसे किसी वाक्य का अनुवाद करने पर चीज़ें विस्तृत हो जाती हैं, लोगों की अफवाहों से भी वैसा ही होता है, तो शायद आप ऐसी किसी चीज़ पर अतिप्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हों जो शायद हुई ही नहीं हो। परंतु, अगर वह सच हो तो आप जो चाहें वह करें।
  2. यदि आप अनजान लोगों के बीच हैं, तो अफ़वाहें न फैलाएँ। आपका मन कर सकता है कि मदद के लिये ही सही, मगर नवागंतुक को शिक्षक अथवा अधिकारी के संबंध में वे सब भयावह बातें बता दें, जो कि आप जानते हैं, मगर न जाने वो किस किस को बता दे। यदि आप गप्पें मारने से या शिकवे करने से रुक नहीं सकते, तो ऐसे लोगों के सम्मुख करिए जो उस व्यक्ति से कभी न मिले हों जिसके संबंध में आप बातें कर रहे हैं। [१]
    • किसी से गप्पें सुनना तब तक ठीक है जब तक कि आप उसमें अपनी ओर से कुछ जोड़ने नहीं लगते। यदि आप गपियाने की आदत छोड़ नहीं सकते तो प्रयास करिए, कि आप सुनें अधिक और बोलें कम।
  3. बिलकुल अनजान लोगों से व्यवहार के दौरान भी मित्रवत एवं सकारात्मक होने का प्रयास कीजिये। चाहे कोई आपको ठुकरा ही क्यों न दे, क्योंकि कम से कम, दूसरे लोग आपके विरुद्ध नहीं होंगे।
    • यदि आप काम पर हैं तो केवल निकटवर्ती सहकर्मियों और अधिकारियों से ही नहीं, बल्कि सभी के साथ सम्मान से पेश आयें। यदि आप उन सम्बन्धों पर ही अपना ध्यान केन्द्रित करेंगे तो संभव है कि बेखयाली में ही आप किसी रिसेप्शनिस्ट, इंटर्न या किसी और निम्न स्तर के कर्मचारी को अपने से नाराज़ होने का अवसर दे देंगे।
  4. जितना शीघ्र संभव हो धोखे के संकेतों को पहचान लें: जितना अधिक अवसर पीठ पीछे बुराई करने वाले को मिलेगा, आपके संबंध में अफ़वाहें फैलाने या आपको हानि पहुंचाने का, उस हानि की भरपाई उतनी ही कठिन होती जाएगी। यदि आप धोखे के संकेतों को जल्दी पहचान लेंगे, तो घटनाओं के बड़े होने से पहले ही आप उनको रोक सकेंगे। इन चेतावनियों को पहचानिए:
    • कथित रूप से आपके द्वारा कही गई बातों या किए गए कार्यों के संबंध में झूठी अफवाहों का आप तक पहुँचना।
    • आपने कोई चीज़ व्यक्तिगत रूप से कही और अब हर कोई उसके संबंध में जानता है।
    • लोग आपको सूचनाएँ देना, काम देना या कार्यक्रमों के बारे में पूछना, जैसा कि वे पहले किया करते थे, बंद कर देते हैं।
    • बिना किसी स्पष्ट कारण के लोगों का व्यवहार आपसे ठंडा और अमित्रवत हो जाता है।
  5. समझ लीजिये कि सभी प्रकार का चिड़चिड़ा व्यवहार, पीठ पीछे बुराई का चिन्ह नहीं है: यह समझ लीजिये कि किसी को पीठ पीछे बुराई करने वाला कह कर, कहीं आप तिल का ताड़ तो नहीं बना रहे हैं। कुछ घटिया किस्म के व्यवहार, जैसे कि सदैव देर से आना, अस्त व्यस्त रहना, स्वार्थी होना, विचारहीनता के लक्षण तो हो सकते हैं परंतु यह आवश्यक नहीं कि ऐसा व्यक्ति पीठ पीछे बुराई करने वाला ही हो। और न ही, कभी कभार की छोटी मोटी भूल, जैसे अंतिम क्षण में दावत रद्द करना या वापस फोन न करना, पीठ पीछे बुराई करने वाले जैसा व्यवहार है।
  6. जैसे ही आपको लगता है कि पीठ पीछे बुराई की जाने वाली है, उन घटनाओं का हिसाब रखना शुरू कीजिये, जिनके कारण आपको शक हुआ हो। जो भी हुआ उसको लिख डालिए, साथ ही उन कारणों को भी जिनकी वजह से आप सोचते हों कि किसी ने आपको जान बूझ कर चोट पहुंचाई है। इससे आपके अनुभवों का विवेचन आसान हो जाता है, और आपको पता चलता है कि वह घटना मात्र एक गलतफ़हमी है अथवा किसी बड़े षड्यंत्र का एक भाग।
    • यदि आपको लगता है कि कार्यस्थल पर कोई आपका काम बिगाड़ रहा है तो इस बात पर गौर करिए कि यह आपके काम पर कैसे प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। इससे पहले कि यह तोड़ फोड़ आपको गंभीर हानि पहुंचाए, एक नोटबुक में, जो कुछ भी आप कर पाएँ हैं, जो सकारात्मक फ़ीडबैक आपको मिला है तथा स्वयं को बचाने के लिए, जो भी ठोस साक्ष्य हैं, उनका उल्लेख करिए। [२]
  7. जब आप वे संकेत पा जाएँ कि कोई आपको हानि पहुंचाने वाला है तो लोगों के व्यवहार का अध्ययन करिए और गुनहगार को पहचानिए। किसी निर्णय पर पहुँचने से पहले, संदिग्ध को कई बार देखिये, क्योंकि कभी कभी असभ्य व्यवहार केवल उसके खराब दिन का नतीजा भी हो सकता है। पीठ पीछे बुराई करने वाला ऐसे व्यवहार कर सकता है:
    • यदि कोई आपकी झूठी प्रशंसा करता है या ऐसे दिखावा करता है जैसे कि आलोचना प्रशंसा हो, शायद वह ईर्ष्या अथवा क्रोध छिपा रही हो। [३]
    • कोई अकेले में तो आपकी बातों से सहमत होता हो परंतु लोगों के बीच में जब वही मुद्दा उठे तो अन्य लोगों के साथ हो जाता है।
    • संभावित पीठ पीछे बुराई करने वाला एक पल में पिछली सारी शिकायतें याद कर लेता है और पलक झपकाए बगैर अपमानित भी कर देता है। यह व्यक्ति लंबे समय तक द्वेष की गांठ बांध कर रखता है और बदला लेना अपना अधिकार समझता है।
    • संदिग्ध आपको अपमानित करती है, आपकी सलाह की उपेक्षा करती है अथवा आपके कहने पर भी अपने व्यवहार को नहीं बदलती।
    • इन संकेतों के साथ ही यह भी ध्यान में रखिए कि कौन आपको धोखा दे सकता है। यदि कोई व्यक्ति वह सब दोहराता रहता है जो आपने उससे अकेले में कहा हो, तो यह व्यक्ति आपका विश्वासपात्र ही होगा। यदि कोई परियोजना जिस पर आप काम कर रहे हों, कमजोर की जा रही हो, इसका अर्थ है कि पीठ पीछे बुराई करने वाला योजना सामग्री तक पहुँच सकता है।
  8. किसी मित्र को अपने संदेह के संबंध में विश्वास में लीजिये: यह कल्पना मत कर लीजिये कि कोई आपको हानि पहुंचा ही रहा है। पता करिए कि क्या अन्य व्यक्ति भी आपके विचार को तर्कयुक्त मानते हैं, या आप ही कुछ का कुछ समझ रहे हैं।
    • किसी ऐसे व्यक्ति से बात करें जिस के संबंध आप विश्वस्त हों कि वह अफ़वाहें नहीं फैलाएगा और उससे कहिए कि वार्तालाप को गुप्त रखे।
    • यदि आपको किसी व्यक्ति विशेष पर संदेह हो तो, किसी ऐसे व्यक्ति से बात करिए जो उसको जानता तो हो, परंतु उसका मित्र न हो। यदि आपका ऐसा कोई विश्वसनीय मित्र न हो तो, किसी ऐसे व्यक्ति से बात करिए जो उसको जानता ही नहीं हो, और उस व्यक्ति को, उसके चरित्र के बारे में अपनी राय बताने के स्थान पर उसके कारनामे और व्यवहार बताइये।
  9. आप का मन तो करेगा कि आप पीठ पीछे बुराई करने वाले से वैसे ही बदला लें और उसी तरह उसे चोट पहुंचाएँ। परंतु इस तरह का व्यवहार समस्या को और बढ़ा देगा और आपको परेशान और भावनात्मक उलझनों में डाल देगा। [४] इससे आपकी साख भी नहीं बढ़ेगी, तो यदि आप पीठ पीछे बुराई करने वाले को भगा भी देंगे (जो कि शायद ही संभव हो), अब आपकी वही समस्या हो जाएगी।
विधि 2
विधि 2 का 3:

पीठ पीछे बुराई करने वाले मित्र से निबटना

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  1. कभी कभी लोग बुरे काम करते हैं जिनका नतीजा होता है, धोखा। नाराज़ होने से हालात ठीक नहीं हो जाएँगे। आप के लिए यही ठीक होगा, अभी भी और बाद में भी, कि आप शांत रहें और व्यावहारिक मामलों में ध्यान लगाएँ। परिस्थिति की उपेक्षा मत करिए, उस घृणित व्यवहार पर सनके बिना अपना सामान्य जीवन जीते रहें।
  2. पीठ पीछे बुराई करने वाले के अच्छे पहलू को प्रोत्साहित करें: पीठ पीछे बुराई करने वाले के साथ शिष्टता आप शायद ही कभी करना चाहेंगे, परंतु यदि आप काफ़ी शांत हैं और वास्तव उनकी कुछ बातों को ठीक मानते हैं तो परिस्थितियाँ सुधर सकती हैं। पीठ पीछे बुराई करने वाले सहित, अनेक दब्बू-लड़ाके किस्म के लोग, समझते हैं कि उन्हें वक्र एवं चोट पहुंचाने वाले कार्य ही करने चाहिए क्योंकि उनके सहयोग का तो कोई मूल्य होता ही नहीं है। [५]
    • उसको अपनी गतिविधिओं में शामिल होने के लिए आमंत्रित करिए। कुछ मज़ेदार और अलग करिए जिससे पीठ पीछे बुराई करने वाली फिर से स्वयं को स्वीकृत समझे।
  3. पीठ पीछे बुराई करने वाले से आमने सामने बात करने को कहिए: पीठ पीछे बुराई करने वाले से स्वयं मिलिये, और यदि व्यक्तिगत रूप से बात नहीं कर सकते हैं तो टेक्स्ट या ई मेल का प्रयोग करें। शिष्टता से उसे बताइये कि आप उससे हाल की घटनाओं के संबंध में बात करना चाहते है। चुपचाप बातचीत करना तय कीजिये।
  4. दूसरे व्यक्ति को संकट में महसूस कराये बिना ईमानदारी से स्थिति का विवरण दीजिये: उन घटनाओं के संबंध में बताइये जिन्होंने आपको चिंतित किया है, और कैसे उन्होंने आपको प्रभावित किया है। दूसरे व्यक्ति से तथ्यों की पुष्टि करने को कहिए, जैसे कि, क्या उसने वह टेक्स्ट भेजा था।
    • वाक्यों को “तुम” से प्रारम्भ होने से बचाएं, जिसके कारण पीठ पीछे बुराई करने वाले को दोषी जैसा प्रतीत हो सकता है और वह रक्षात्मक हो जाता है। [६] इसके स्थान पर, ऐसे वाक्यों का प्रयोग करें “मैंने सुना है कि मेरे संबंध में कुछ अफ़वाहें उड़ रही हैं।“
  5. आपका मित्र संभवतः सदा के लिए आपसे खफ़ा नहीं रहना चाहता है। बिना उसकी बात काटे अथवा उस पर नाराज़ हुये, उसे अपनी बात कहने दीजिये। यह सदा ही संभव है कि आप गलत समझ रहे हों या स्थिति उससे कहीं अधिक उलझी हुई हो, जितनी आपने समझी हो।
  6. चाहे आप यह भी समझते हों कि अधिकांश गलती आपकी मित्र की थी, तब भी परिस्थिति को उसके नज़रिये से देखें। चाहे आप ऐसी बहुत सी घटनाओं में से केवल कुछ ही के लिए जिम्मेदार हों, यदि आपने अपनी मित्र को समझने में भूल की हो या संयोग से भी उसे चोट पहुंचाई हो, क्षमा मांगिए।
  7. यदि आप अपनी मित्रता का पुनर्निर्माण करना चाहते हैं, आपको अपनी भूलों के लिए एक दूसरे को क्षमा करना होगा। चाहे आप अपनी मित्रता की मरम्मत न भी करना चाहते हों, क्षमा कर देने से आप धोखे के कारण परेशान होने से बच कर जीवन में आगे बढ़ सकेंगे।
  8. अपनी मित्रता या उठ खड़ी होने वाली अन्य किसी भी समस्या के बारे में बात करें: ईमानदार और उदार बने रहिए। जब आपको लगे कि कुछ गड़बड़ है तब स्वयं बात करें। यदि आप दोनों में से कोई एक भी, किसी विशिष्ट व्यवहार अथवा सम्बन्धों की बार बार की उलझनों से नाखुश है तो दूसरे व्यक्ति को पता चलने दीजिये कि आप कैसा महसूस करते हैं।
  9. जब आप एक दूसरे से सम्बन्धों की समस्याओं के बारे में बात करें तो, विश्वास और खुशी बढ़ाने के लिए आप दोनों को बदलने को तैयार रहना होगा। यदि आपकी साथ साथ की जाने वाली गतिविधि से आपके मित्र को परेशानी होती है, तो आपको शायद कोई और गतिविधि खोजनी होगी। यदि आपका मित्र कहता है कि आपके द्वारा अक्सर कही जाने वाली कोई चीज़ उसे परेशान करती है, तो प्यार के नाम देने, बोलने के तरीके या वह आदत, जो उसे नापसंद है, से बचिए।
    • भूलें तो होंगी, विशेषकर पुरानी आदतें छोडते समय। मगर जब आप उनको करें तो क्षमा मांगें और जब आपका मित्र करे तब क्षमा करें।
  10. कभी कभी आप दोस्ती की कीमत पर भी विश्वासघात से उबर नहीं पाते हैं। यदि आपने ईमानदारी से प्रयास किया हो और तब भी कुछ ठीक न हो रहा हो, तब आपको देखना होगा कि कैसे आगे बढ़ जाया जाये।
    • यहाँ तक, शायद आप कम से कम एक बार मित्रता और विश्वासघात के बारे में बात कर चुके होंगे। यदि आपका मित्र स्थिति को सुधारने में रुचि नहीं दिखाता है, तो बस उससे बात करना बंद कर दें।
    • यदि आप दोनों ने मित्रता के पुनर्निर्माण का प्रयास किया है, मगर सफल नहीं हुये हैं, तब मित्र को शायद पता है कि आप क्यों नाराज़ हैं। शांति से मित्र को पता चलने दीजिये कि सब ठीक नहीं हो रहा है और उससे अपने संबंध तोड़ दीजिये।
    • कभी कभी आप मित्रता को प्राकृतिक रूप से धुंधलाने भी दे सकते हैं। उसे कभी कभी ही निमंत्रण दीजिये, और जब भी वह फोन करे तो हर बार, फोन मत उठाइये। उसकी पूरी तरह से उपेक्षा करने से उसे चोट पहुँच सकती है मगर चीजों को धीरे धीरे जाने देने से वही नतीजे, कम पीड़ा से भी प्राप्त हो सकते हैं।
विधि 3
विधि 3 का 3:

पीठ पीछे बुराई करने वाले सहकर्मी से निबटना

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  1. सहकर्मी के बिना जो काम कर सकते हैं उस पर ध्यान दीजिये और अपने क्रोध को अपने कार्य सम्बन्धों अथवा जिम्मेदारियों के आड़े मत आने दीजिये। किसी को भी स्वयं से नाराज़ अथवा निराश होने का कोई कारण मत दीजिये।
  2. पीठ पीछे बुराई करने वाले सहकर्मी को सकारात्मक योगदान का अवसर दें: अधिकांश पीठ पीछे बुराई करने वाले सहकर्मी मनोरोगी नहीं होते हैं, परंतु ऐसे लोग होते हैं जो यह समझते हैं कि आगे बढ्ने के लिए चालाकी ही एकमात्र तरीका है। सहकर्मी के सकारात्मक योगदान को पहचानने का ईमानदारी से प्रयास करें और वैसे व्यवहार को प्रोत्साहित करें।
    • किसी मीटिंग या बातचीत के दौरान पीठ पीछे बुराई करने वाले सहकर्मी से उन विषयों पर इनपुट मांगें जिनमें उसकी जानकारी अच्छी हो।
    • जब वह योगदान करे एवं ऐसे सुझाव दे जो आपको स्वीकार्य हों, तब उसका समर्थन करें। केवल तभी ऐसा करें जब आप सचमुच उससे राज़ी हों, और केवल उसकी चापलूसी के लिए हाँ में हाँ मत मिलाइये।
    • यदि पीठ पीछे बुराई करने वाला सहकर्मी इन संकेतों का प्रतिउत्तर रुखाई से देता है तो बस करिए और दूसरी विधियों पर जाइए। कुछ लोग अपना व्यवहार बदलने में दिलचस्पी नहीं रखते, और आपके प्रयासों की भी एक सीमा है।
  3. परिस्थिति के संबंध में पीठ पीछे बुराई करने वाले से स्वयं बात करें: उन घटनाओं की व्यक्तिगत रूप से अथव ई मेल द्वारा चर्चा करें, जिनकी वजह से आप परेशान हैं। समस्या को सामने लाइये और देखिये कि क्या दूसरे व्यक्ति में उस पर बात करने योग्य परिपक्वता है।
    • ऐसा न लगने दीजिये कि आप दोषारोपण कर रहे हैं। क्रियात्मक कथन “आपने कार्य समय पर पूरा नहीं किया है”, के स्थान पर कुछ ऐसे निष्क्रिय से कथन का प्रयोग करें “मेरे ध्यान में आया है कि कार्य समय पर पूरा नहीं हुआ है”। [७]
  4. जैसा कि प्रोटेक्टिंग यूअरसेल्फ में लिखा गया है, उसी प्रकार से, घटित घटना के संबंध में पूरी जानकारी के साथ आपको तैयार होना चाहिए। यदि सहकर्मी कहता है कि ऐसी घटना कभी हुई ही नहीं तो उसे साबित करने के लिए ई मेल और अन्य दस्तावेज़ दिखाइये।
    • यदि पीठ पीछे बुराई करने वाला तब भी इंकार करता है तो पुष्टि कराने के लिए किसी साक्ष्य को बुलाइए।
  5. यदि आपकी नौकरी खतरे में हो तो मैनेज़र के साथ मीटिंग बुलाइए: यदि पीठ पीछे की गई बुराई के गंभीर परिणाम होने वाले हैं, तथा उसके लिए जिम्मेदार व्यक्ति से बात का कुछ परिणाम नहीं हुआ है तो अपने मैनेज़र से अथवा HR मैनेज़र से मिलने के लिए अनुरोध करें। [८] यह तब और भी आवश्यक हो जाता है यदि आपके कार्यस्थल की नीतियों के अनुपालन न करने के संबंध में या ऐसे कार्य करने के संबंध में जिसमें अनुशासनात्मक कार्यवाही हो सकती हो, अफवाहें फैल रही हों।
    • यथा संभव जानकारी के साथ तैयारी कर के आइये। अभिलेख, ई मेल या और भी कुछ जो हानि पहुंचाने के संदर्भ में ठोस साक्ष्य दे कर आपके पक्ष को मजबूत कर सके, उसे लाइये। सकारात्मक फीडबैक तथा आपके द्वारा किया गया कार्य आपके आलस्य और दक्षताविहीन कार्यव्यवहार संबंधी अफवाहों को समाप्त करने में सहायता करेगा।

सलाह

  • यदि संभव हो तो, पीठ पीछे बुराई करने वाले पर किसी चीज़ के लिए भी विश्वास न करें और न ही उससे कोई अनुग्रह मांगें।
  • प्रश्न पूछने में हिचकिचाएँ नहीं। यदि कोई, किसी भी परिप्रेक्ष्य में संदेहास्पद दिखती है तो, उससे उसके बारे में, स्पष्टीकरण देने का अवसर देने हेतु, पूछिए।

चेतावनी

  • जिसकी धोखा देने की फ़ितरत हो उसके साथ अपने भेद मत बाँटिए।
  • कुछ भी कहने में सावधान रहिए। पीठ पीछे बुराई करने वाली आपके शब्दों को तोड़ मरोड़ कर आपके विरुद्ध प्रयोग कर सकती है।
  • पीठ पीछे बुराई करने वालों के मित्रों पर विश्वास मत करिए, वे उसका पक्ष ले सकते हैं।

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