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चांद को हम चंद्रमा या चंदा मामा इत्यादि नामों से पहचानते हैं, और यह बच्चों से लेकर बूढ़ों तक हर किसी को प्यारा लगता है। आकाश में चांद के अलग-अलग आकार देखकर आपको आश्चर्य होता होगा। यह आकार किस तरह बनता है यह जानने के लिए इस विकिहाउ आर्टिकल को पढ़ें। वैसे तो चांद को पृथ्वी की परिक्रमा करने में 27.3 दिन का समय लगता है, लेकिन उसे एक चंद्र मास या लुनार साइकल समाप्त करने में 29.5 दिन का समय लगता है। अमावस्या से पूर्णिमा तक चंद्रमा हर रोज बढ़ता है अर्थात प्रति रात आप चांद के कुछ हिस्से को प्रकाशमान देखते हैं। वहीं पूर्णिमा से लेकर अमावस्या के दौरान चंद्रमा घटता जाता है अर्थात चांद की प्रकाशमान सतह कम होते जाती है और वह पूरी तरह से अदृश्य हो जाता है। जब भी चांद, चंद्र-मास या लूनार साइकल में होता है, तो चांद के आकार में ऐसे कुछ महत्त्वपूर्ण क्लू मौजूद होते हैं जिससे आपको यह पता करने में मदद मिलेगी कि चांद की कलाएं घट रही है या बढ़ रही है यानि चांद शुक्ल पक्ष (waxing) में है या कृष्ण पक्ष (waning) में है। इससे आपको चांद की कलाएं या फेजेस (phases), ज्वार-भाटा (tides) की जानकारी भी मिलेगी। इसके अलावा पृथ्वी और सूरज में जो संबंध है, उसमें चांद की क्या भूमिका है इसकी जानकारी भी हमें मिलेगी। चाहे आप चांद की कलाओं के बारे में जानना चाहते हैं, या अपने चंदा मामा से मिलना चाहते हैं, या चांद शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष में है यह जानना चाहते हैं, तो यह कार्य कुछ सरल खगोलीय तरीकों से आसान है!

विधि 1
विधि 1 का 3:

चांद की कलाओं को समझना (Understanding the Phases of the Moon)

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  1. चंद्रमा पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाते रहता है, और ऐसा करते समय पृथ्वी पर हमें प्रतिदिन उसकी अलग-अलग प्रकाशमान सतह दिखाई देती है। चंद्रमा के पास खुद का कोई प्रकाश नहीं है, बल्कि वह सूरज की रोशनी को परावर्तित करने के कारण चमकता है। [१] चूंकि चंद्रमा का सफर पूर्णिमा (full moon) से लेकर अमावस्या (new moon) और फिर अमावस्या से लेकर पूर्णिमा तक का होता है, इस दौरान यह कई कलाओं से गुजरता है, जिसमें चांद का वर्धमान और कुबड़ा ("उभरा") आकार आपको देखने को मिलता है, और यह आकार चंद्रमा की खुद की छाया से निर्माण होते हैं। [२] चांद निम्नलिखित कलाओं से गुजरता हैं:
    • अमावस्या (New moon)
    • वर्धमान बढ़ता चांद या वैक्सिंग क्रीसेंट (Waxing crescent)
    • अर्ध चंद्र या फर्स्ट क्वार्टर मून (First quarter/Half-moon)
    • कुबड़ा बढ़ता चांद या वैक्सिंग गिब्बस (Waxing gibbous)
    • पूर्णिमा (Full moon)
    • कुबड़ा घटता चांद या वैनिंग गिब्बस (Waning Gibbous)
    • अर्ध चंद्र या थर्ड क्वार्टर मून (Third quarter/Half-moon)
    • वर्धमान घटता चांद या वैनिंग क्रीसेंट (Waning crescent)
    • अमावस्या (New moon) [३]
  2. हर महीने चांद इसी क्रम में पृथ्वी का चक्कर लगाता है, इसलिए हर महीने चांद की यहीं कलाएं देखने को मिलती है। जब चांद पृथ्वी की परिक्रमा करता है, तब पृथ्वी पर चांद विभिन्न कलाओं में दिखाई देता है क्योंकि जैसे-जैसे चांद पृथ्वी का चक्कर लगाता है, हमें चांद की अलग-अलग सतह प्रकाशमान दिखाई देता है। याद रखें कि सूर्य के द्वारा चांद की एक सतह या साइड हमेशा प्रकाशमान रहता ही है: और पृथ्वी पर दिखाई देने वाला यही वह सुविधाजनक पॉइंट है जो बदलते रहता है और इससे पता लगता है कि चांद कौन से पक्ष में है। [४]
    • अमावस्या के दौरान, चांद पृथ्वी और सूर्य के बीच में होता है, और इसलिए पृथ्वी से चांद की कोई भी सतह दिखाई नहीं देती है अर्थात चांद अदृश्य होता है। इस समय, चांद की प्रकाशमान सतह सूरज की तरफ, और चांद की अँधेरी वाली सतह पृथ्वी की तरफ होती है।
    • पहले क्वार्टर में, हम देखेंगे कि चांद की एक सतह प्रकाशमान है और एक सतह में अँधेरा है। इसी तरह तीसरे क्वार्टर में भी, लेकिन यहाँ स्थिति पहले से विपरीत होगी। पहले जो सतह प्रकाशमान थी वह अब अँधेरे में होगी और अँधेरा वाली सतह प्रकाशमान होगी। [५]
    • जब पूरा चांद हमें दिखाई देता है, तब हम चांद के पूरे एक सतह को प्रकाशमान देखेंगे, और चांद की अंधेरी वाली सतह अंतरिक्ष की तरफ होगी।
    • पूर्णिमा के बाद, चांद फिर से अपना सफर शुरु करता है और अपने ओरिजनल स्थिति में यानि पृथ्वी और सूरज के बीच में आ जाता है, तब फिर से अमावस्या होती है।
    • चांद को पृथ्वी की एक परिक्रमा करने में 27.32 दिन लगते हैं। लेकिन एक चंद्रमास या लुनार साइकल (अमावस्या से अमावस्या) 29.5 दिन का होता है, क्योंकि चांद को दोबारा अमावस्या की स्थिति पहुँचने में अर्थात सूर्य और पृथ्वी के बीच आने में इतने दिन का समय लगता है। [६]
  3. अमावस्या से लेकर पूर्णिमा तक के चांद के सफर में, हम चांद के आधे प्रकाशमान सतह को बढ़ता देखते हैं, ओर इसे शुक्लपक्ष कहते हैं (अर्थात चांद का बड़ा होना या बढ़ना)। वहीं जब चांद पूर्णिमा से अमावस्या की और सफर करता है, तब हम उसके प्रकाशमान सतह को कम होते देखते हैं, जिसे कृष्ण पक्ष कहा जाता है, अर्थात चांद की प्रकाशमान सतह कम होते जाती है। इस स्थिति में चांद की शक्ति और तीव्रता कम होती है।
    • भले ही चंद्रमा आकाश में अलग-अलग जगह पर और दिशा में मौजूद होता है, फिर भी चांद की कलाओं में कोई बदलाव नहीं आता है, वह एक समान ही होती है। यदि आपको चांद के क्रम के बारे में जानकारी है, तो आप चांद की कलाओं का आसानी से पता लगा सकते हैं।
विधि 2
विधि 2 का 3:

उत्तरी गोलार्ध में चांद की कलाओं का पता लगाना (Determining Moon Phases in the Northern Hemisphere)

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  1. जानें कि चांद दाहिनी तरफ से बाईं तरफ बढ़ रहा है या घट रहा है: चांद के बढ़ने और घटने के दौरान उसकी अलग-अलग सतह प्रकाशमान दिखाई देती है। उत्तरी गोलार्ध में, चांद की जो सतह प्रकाशमान होती है वह दाहिनी तरफ से बाईं तरफ प्रकाशमान होते जाती है और पूरा चांद प्रकाशमान हो जाता है। और फिर दाहिनी तरफ से बाईं ओर अदृश्य होते जाता है।
    • चांद के दाहिनी तरफ की सतह प्रकाशमान होते हुए बढ़ती जाती है और वहीं दूसरी तरफ चांद के बाईं तरफ की प्रकाशमान सतह घटते जाती है। [७]
    • अपने दाहिने हाथ के अँगूठे को बाहर रखते हुए हथेली को आकाश की तरफ रखें। अब अँगूठे और चार उंगलियाँ को मिलाकर एक कर्व बनाएं जो उलटे C की तरह दिखाई देगा। यदि चांद इस कर्व में समा जाता है, तो यह वैक्सिंग मून (बढ़ता चांद) है। यदि यही प्रक्रिया आप बाएं हाथ से करते हैं और चांद C आकार के कर्व में समा जाता है, तो वह वैनिंग मून (घटता चांद) है।
  2. चूंकि चांद हर महीने समान तरीके से प्रकाशमान दिखाई देता है, आप चांद शुक्ल पक्ष में है या कृष्ण पक्ष में यह जानने के लिए लेटर्स D, O, और C आकार का इस्तेमाल कर सकते हैं। पहले क्वार्टर में, चांद की प्रकाशमान सतह D आकार की दिखाई देगी। जब चांद पूरा प्रकाशमान होगा यानि पूर्णिमा वाले दिन चांद O आकार का दिखाई देगा। और थर्ड क्वार्टर में, चांद की प्रकाशमान सतह C आकार की दिखाई देगी।
    • वर्धमान चांद या क्रीसेंट मून का आकार उल्टा C जैसा दिखाई देगा, तो चांद शुक्ल पक्ष में है।
    • अर्ध चंद्र या कुबड़ा चांद D आकार में है, तो चांद शुक्ल पक्ष में है।
    • अर्ध चंद्र या कुबड़ा चांद यदि उल्टे D आकार में है, तो चांद कृष्ण पक्ष में है।
    • वर्धमान चांद या क्रीसेंट मून यदि C आकार में है, तो चांद कृष्ण पक्ष में है
  3. चांद के उदय और अस्त होने का समय हमेशा एक समान नहीं होता है। चांद के उदय और अस्त होने का समय उसकी कलाओं पर निर्भर करता है। इसका अर्थ यह है कि आप चंद्रोदय और चंद्रास्त के समय का इस्तेमाल करके पता लगा सकते हैं कि चांद शुक्ल पक्ष में है या कृष्ण पक्ष में है।
    • आप अमावस्या के दिन चांद को नहीं देख पाते हैं क्योंकि इस दिन चांद को सूरज से रोशनी प्राप्त नहीं होती है और सूर्योदय और सूर्यास्त के समय ही चंद्रोदय और चंद्रास्त होता है।
    • जब चांद बढ़ता है या शुक्ल पक्ष में होता है तब सुबह चंद्रोदय होता है, लगभग गोधूलि या संध्या के समय वह सिर पर आ जाता है और मध्यरात्रि चंद्रास्त होता है।
    • पूर्णिमा वाले दिन जब सूर्यास्त होता है तब पूरा चांद दिखने लगता हैं यानि चंद्रोदय हो जाता है और वहीं जब सूर्योदय होता है तब चंद्रास्त होता है।
    • जब चांद घटता है यानि चांद कृष्ण पक्ष में थर्ड क्वार्टर में होता है, तब मध्यरात्रि में चंद्रोदय होता है और सुबह चंद्रास्त होता है। [८]
विधि 3
विधि 3 का 3:

दक्षिणी गोलार्ध में चांद की कलाओं का पता लगाना (Determining Moon Phases in the Southern Hemisphere)

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  1. पता करें कि चांद के वैक्सिंग और वैनिंग फेजेस के दौरान चांद की कौन सी सतह प्रकाशमान है: उत्तरी गोलार्ध के चांद के विपरीत, दक्षिणी गोलार्ध में चांद बाएं से दाहिनी तरफ प्रकाशमान होते जाता है, और फिर पूरा प्रकाशित दिखाई देता है, और फिर बाएं से दाईं तरफ जाकर अदृश्य हो जाता है।
    • जब चांद बाईं तरफ से प्रकाशमान होता है, तब वह वैक्सिंग फेज में यानि शुक्ल पक्ष में होता है और जब चांद दाहिनी तरफ से प्रकाशित होता है, तब वह वैनिंग फेज में यानि कृष्ण पक्ष में होता है। [९]
    • अपने दाहिने हाथ के अँगूठे को बाहर रखते हुए हथेली को आकाश की तरफ रखें। अब अँगूठे और चार उंगलियाँ को मिलाकर एक कर्व बनाएं जो उलटे C की तरह दिखाई देगा। यदि चांद इस कर्व में समा जाता है, तो यह वैनिंग मून (घटता चांद) है। और यही प्रक्रिया यदि आप अपने बाएं हाथ से दोहराएं, तो चांद C आकार के कर्व में समा जाता है, और वह वैक्सिंग मून (बढ़ता चांद) है।
  2. दक्षिणी गोलार्ध में चांद उसी कलाओं से गुजरता है, लेकिन वैक्सिंग और वैनिंग फेजेस को जिस लेटर्स से दर्शाते हैं वह उत्तरी गोलार्ध के विपरीत होते हैं।
    • वर्धमान चांद या क्रीसेंट मून का आकार यदि लेटर C जैसा दिखाई देता है, तो चांद शुक्ल पक्ष में है।
    • अर्ध चंद्र या कुबड़ा चांद यदि उल्टे D आकार में दिखाई दे रहा है, तो चांद शुक्ल पक्ष में है।
    • यदि चांद का आकार O आकार का है, तो चांद पूरा प्रकाशमान है।
    • अर्ध चंद्र या कुबड़ा चांद यदि D आकार में है, तो चांद कृष्ण पक्ष में है।
    • वर्धमान चांद या क्रीसेंट मून का आकार यदि उल्टे C जैसा दिखाई देता है, तो चांद कृष्ण पक्ष में है।
  3. उत्तरी गोलार्ध के विपरीत दक्षिणी गोलार्ध में चांद उलटी दिशा में प्रकाशमान होता है। और उत्तरी गोलार्ध की चांद कलाओं के समान ही इस गोलार्ध में चंर्दोदय और चंद्रास्त होता है।
    • पहले क्वार्टर में, सुबह चंद्रोदय होता है और मध्य रात्रि चंद्रास्त होता है।
    • पूर्णिमा वाले दिन सूर्योदय औऱ सूर्यास्त के समय पर ही चंद्रोदय और चंद्रास्त होता है।
    • तीसरे क्वार्टर में चंद्रोदय मध्यरात्रि में चंद्रास्त सुबह होता है। [१०]

विकीहाउ के बारे में

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