ऑटोमायकोसिस या "स्विमर्स इयर" के नाम से पहचाने जाने वाले इयर इन्फेक्शन्स सबसे पहले इयर कैनाल को प्रभावित करते हैं | जिन लोगो को इयर कैनाल के इन्फेक्शन या ओटिटिस एक्सटर्ना होता है, ऐसे 7% लोगों में ऑटोमायकोसिस पाया जाता है | ऑटोमायकोसिस के कॉमन कारण दो फंगल स्पीशीज हैं; कैंडिडा और एस्परजिलस | फंगल इयर इन्फेक्शन में आमतौर पर बैक्टीरियल इयर इन्फेक्शन से कंफ्यूजन हो जाता है | अधिकतर डॉक्टर्स एंटीबायोटिक्स प्रिसक्राईब करते हैं लेकिन उनसे फंगल इन्फेक्शन ठीक नहीं होता और कोई बदल्लाव नहीं दिखाई देते | इसके बाद ही डॉक्टर आपको कई तरह के घरेलू और प्रिस्क्रिप्शन फंगल ट्रीटमेंट देते हैं | [१] X रिसर्च सोर्स Khurshid A, Muhammad SG. Otomycosis: clinical features, predisposing factors, and treatment implications. Pak J Med Sci. 2014 May-Jun; 30 (3): 564-567.
चरण
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कान में होने वाली असमान्य खुजली ( प्रुराइटिस ) के बारे में जानें: कान में खुजली होना एक आम बात है | कान पर कई सारे छोटे-छोटे हेयर होते हैं जो कान में जाकर आसानी से खुजली पैदा कर सकते हैं | अगर कान में लगातार खुजली चल रही हो और खुरचने/मलने से ठीक न हो रही हो तो आपको फंगल इन्फेक्शन हो सकता है | यह एक आरंभिक लक्षण है जिसे फंगल इयर इन्फेक्शन खुद प्रकट करते हैं |
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कान के दर्द ( ओटाल्जिया ): आपको हमेशा किसी एक कान में ही दर्द का अनुभव होगा, दोनों में नहीं क्यूंकि फंगल इन्फेक्शन लोकल होता है | कई बार, इससे पीड़ित लोग बताते हैं कि इसमें “प्रेशर” या “फुलनेस” जैसा महसूस होता है | दर्द माइल्ड या सीवियर हो सकता है | आमतौर पर कान को बार-बार टच करने पर ही दर्द बढ़ता है | [२] X रिसर्च सोर्स Khurshid A, Muhammad SG. Otomycosis: clinical features, predisposing factors, and treatment implications. Pak J Med Sci. 2014 May-Jun; 30 (3): 564-567.
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इयर डिस्चार्ज ( ओटोरिया ): फंगल इयर डिस्चार्ज आमतौर पर गाढ़ा और क्लियर, सफ़ेद, पीला और कभी-कभी ब्लड जैसे/ दुर्गन्ध युक्त हो सकता है | इसे देखकर ये न समझे कि नार्मल वैक्स है | एक क्यू-टिप लें और इससे अपने इयर को (सावधानी रखें और इसकी टिप को इयर कैनाल के अंदर न जाने दें) साफ़ करें | यहाँ नार्मल लेवल का वैक्स बन सकता है लेकिन अगर इसका कलर या अमाउंट बढता हुआ दिखाई दे तो आपके कान में फंगल इन्फेक्शन हो सकता है | [३] X रिसर्च सोर्स Khurshid A, Muhammad SG. Otomycosis: clinical features, predisposing factors, and treatment implications. Pak J Med Sci. 2014 May-Jun; 30 (3): 564-567.
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बहरेपन को चेक करें: धीमी आवाज़. शब्द समझने में परेशानी होना, और व्यंजन (कांसोनेंट) सुनने में परेशानी होने के रूप में भी फंगल इयर इन्फेक्शन हो सकता है | कई बार, लोग अपने व्यवहार में बदलाव होने पर अपने बहरेपन को जान पाते हैं | सुनने की क्षमता में कमी आने के फलस्वरूप फ्रस्टेशन आने लगता है जिससे ऐसे लोग लोगों से मिलना–जुलना और सोशल सेटिंग भी बंद कर देते हैं | [४] X विश्वसनीय स्त्रोत Mayo Clinic स्त्रोत (source) पर जायें
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जाने कि डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए: जब इयर इन्फेक्शन हो तो डॉक्टर को दिखाना ही बेहतर होता है जिससे सटीक डायग्नोसिस और बेस्ट कोर्स ऑफ़ ट्रीटमेंट मिल सके | अगर आपको बहुत तेज़ दर्द हो या कुछ दूसरे असामान्य लक्षण अनुभव हों तो आपको प्रोफेशनल हेल्प लेनी चाहिए | [५] X रिसर्च सोर्स
- इयर इन्फेक्शन को ट्रीट करने के लिए एक सक्शन डिवाइस से इयर कैनाल को अच्छी तरह से साफ़ कर सकते हैं और दवाएं ले सकते हैं |
- डॉक्टर भी दर्द के लिए बाज़ार में मिलने वाली दवाएं लिख सकते हैं या दर्द सीवियर होने पर दवाएं लिख सकते हैं | [६] X विश्वसनीय स्त्रोत Mayo Clinic स्त्रोत (source) पर जायें
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कान के फंगल इन्फेक्शन को ट्रीट करने के लिए क्लोट्रीमेजोल का उपयोग करें: क्लोट्रीमेजोल का 1% (Clotrimazole 1%) सलूशन सबसे पोपुलर एंटीफंगल मेडिसिन है जिसे डॉक्टर्स फंगल इयर इन्फेक्शन के लिए लिखते हैं | यह मेडिसिन कैंडिडा और एस्परजिलस दोनों इन्फेक्शन को ख़त्म करती है | यह दवा एर्गोस्टेरॉल को परिवर्तित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले एंजाइम को रोककर काम करती है। मेम्ब्रेन की इंटीग्रिटी को मेन्टेन करने के लिए फंगस को एर्गोस्टेरोल (Ergosterol) की जरुरत होती है | क्लोट्रीमेजोल फंगस की एर्गोस्टेरोल के लेवल को तोड़कर फंगल ग्रोथ को रोक देती है | [७] X रिसर्च सोर्स
- क्लोट्रीमेजोल के साइड-इफेक्ट्स के बारे में भी ध्यान रखें | इनसे कान में उत्तेजना, जलन या परेशानी हो सकती है | [८] X रिसर्च सोर्स लेकिन, ओरली लेने की तुलना में क्लोट्रीमजोल के टॉपिकल फॉर्म का इस्तेमाल करने पर इतने ज्यादा साइड-इफेक्ट्स नहीं होते |
- क्लोट्रीमेज़ोल का इस्तेमाल करने के लिए, माइल्ड सोप और पानी से हाथ धो लें | कान को गर्म पानी से तब तक धोएं जब तक सिक्रिशन दिखाई देना बंद न हो जाये | एक साफ़ कपडे से कान को थपथपाकर सुखाएं | बचे हुए लिक्विड को बहुत जोर से पोंछकर साफ़ न करें, क्योंकि ऐसा करने से कंडीशन और खराब हो सकती है | [९] X रिसर्च सोर्स
- इयर कैनाल को एक्स्पोज करने के लिए लेट जाएँ या अपने सिर को थोडा साइड में झुकाएं | अपने इयर लोब को नीचे की ओर और फिर पीछे की ओर खींचते हुए इयर कैनाल को सीधा रखें | अब अपने कान में दो या तीन बूँद क्लोट्रीमेजोल डालें | अब कान को दो से तीन मिनट तक झुकाए रखें जिससे सलूशन इन्फेक्टेड एरिया तक पहुँच सके | और अब सिर को झुकाएं और एक नैपकिन में मेडिसिन को निकाल दें | [१०] X रिसर्च सोर्स
- बोतल से कैप को रिप्लेस करें और मेडिसिन को बच्चों की नज़र और पहुँच से दूर रखें | इसे ड्राई और कूल प्लेस में स्टोर करके रखें | मेडिसिन को डायरेक्ट सनलाइट या हीट के सम्पर्क में लाने से बचें | [११] X रिसर्च सोर्स
- अगर क्लोट्रीमेजोल से कान का इन्फेक्शन ख़त्म न हो तो डॉक्टर आपको मिकोनाजोल जैसे कुछ अलग एंटीफंगल एजेंट्स देने का निर्णय ले सकते हैं | [१२] X रिसर्च सोर्स
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फ्लुकोनाजोल/fluconazole (डाइफ्लुकोन/Diflucan) के लिए प्रिस्क्रिप्शन लें: अगर अआप्को काफी सीवियर फंगल इन्फेक्शन है तो डॉक्टर फ्लुकोनाजोल पर्चे में लिख सकते हैं | यह क्लोट्रीमजोल के समान ही काम करती है | इसके कुछ कॉमन साइड इफेक्ट्स होते हैं जैसे सिरदर्द, मितली, चक्कर, मुंह के स्वाद में बदलाव आना, दस्त, पेटदर्द, स्किन रेशेज़ और लीवर एंजाइम का बढ़ जाना | [१३] X रिसर्च सोर्स
- फ्लुकोनाजोल को टेबलेट फॉर्म में लिया जा सकता है | डॉक्टर्स आमतौर पर एक दिन के लिए 200 मिलीग्राम का डोज़ और तीन से पांच दिन के लिए 100 मिलीग्राम का डोज़ देते हैं | [१४] X रिसर्च सोर्स
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एंटीबायोटिक्स से बचें: एंटीबायोटिक्स केवल बैक्टीरियल इन्फेक्शन पर ही इफेक्टिव होती हैं इसलिए ये फंगल इन्फेक्शन ठीक नहीं कर पाएंगी |
- बल्कि एंटीबायोटिक्स फंगल इन्फेक्शन को और खराब कर सकती हैं क्योंकि ये कान और शरीर के अन्य हिस्सों में मौजूद ऐसे गुड बैक्टीरिया को भी मार सकती हैं जो फंगल इन्फेक्शन को ख़त्म करने में मदद कर सकते हैं | [१५] X रिसर्च सोर्स
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फिजिशियन के साथ फॉलो अप करें: अगर ट्रीटमेंट असर कर रहा हो तो आपको एक सप्ताह में फिर से फिजिशियन को दिखाना होगा | अगर ट्रीटमेंट से लाभ न हो रहा हो तो डॉक्टर कुछ दूसरे ऑप्शन्स आजमा सकते हैं |
- अगर लक्षण और बिगड़ गये हों या इम्प्रूवमेंट न हो रहा हो तो अपने फिजिशियन को कॉल करें |
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हाइड्रोजन पेरोक्साइड का इस्तेमाल करें: एक मेडिसिन ड्रॉपर से इन्फेक्टेड कान में हाइड्रोजन पेरोक्साइड की दो या तीन बूँद डालें | अब 5 से 10 मिनट तक इन ड्रॉप्स को इयर कैनाल में रहने दें और फिर सिर को झुकाकर इन्हें ड्रेन करें | इससे इयर कैनाल में मौजूद पपडीदार या कठोर कचरे को सॉफ्ट करने में मदद मिलेगी जिससे कान से सारी फंगल कॉलोनीज भी इस कचरे के साथ साफ़ हो जाएँगी | [१६] X रिसर्च सोर्स
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एक हेयर ड्रायर का इस्तेमाल करें: इसे ऑन करके सबसे कम सेटिंग पर सेट करें और इसके एंड को इन्फेक्टेड कान से कम से कम 25.4 सेंटीमीटर की दूरी पर रखें | इससे इयर कैनाल में मौजूद नमी सूख जाएगी जिससे फंगस की ग्रोथ रुक जाएगी | [१७] X रिसर्च सोर्स
- सावधानी रखें और खुद को जलने न दें |
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प्रभावित कान पर गर्म सेंक लगायें: एक साफ़ टॉवल लें और इसे गर्म पानी में भिगोयें | ध्यान रखें कि टॉवल बहुत ज्यादा गर्म न हो | गर्म टॉवल को इन्फेक्टेड कान पर रखें और इसके ठन्डे होने तक इंतज़ार करें | इससे पैन-रिलीविंग ड्रग्स लिए बिना ही दर्द में आराम पाया जा सकता है | इससे इन्फेक्टेड एरिया में ब्लड फ्लो भी बढ़ जाता है जिससे रिकवरी जल्दी होने लगती है | [१८] X रिसर्च सोर्स
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रबिंग अल्कोहल और एप्पल साइडर विनेगर का इस्तेमाल करें: दोनों को 1:10 के अनुपात में मिलाएं | एक मेडिसिन ड्रॉपर से इन्फेक्टेड कान में इसकी कुछ बूँदें डालें | अब इन ड्रॉप्स को कान में 10 मिनट तक रहने दें और फिर सिर झुकाकर इन्हें ड्रेन करें | इस मिक्सचर का उपयोग दो सप्ताह तक हर चार घंटे में किया जा सकता है |
- रबिंग अल्कोहल एक ड्रायिंग एजेंट होता है जो इयर कैनाल की नमी को ख़त्म कर देगा जिसके कारण फंगल इन्फेक्शन होते हैं | यह इयर कैनाल की स्किन को डिसइन्फेक्ट्स भी करता है | विनेगर की एसिडिटी कैंडिडा और एस्परजिलस जैसी फंगस की ग्रोथ को स्लो कर देती है और ऑप्टीमल ग्रोथ के लिए "बेसिक"एनवायरनमेंट प्रेफर करती है | [१९] X रिसर्च सोर्स
- यह मिक्सचर डिसइन्फेक्ट होगा और कान की नमी को सुखा देगा और साथ ही इन्फेक्शन की ड्यूरेशन को कम कर देगा | [२०] X रिसर्च सोर्स
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विटामिन C से भरपूर फूड्स खाएं: फंगल इयर इन्फेक्शनके कारण डैमेज हुए टिश्यू की रिपेयरिंग और ग्रोथ के लिए विटामिन C की जरूरत होती है | यह स्किन, कार्टिलेज और ब्लड वेसल्स जैसे टिश्यू बनाने के लिए जिम्मेदार कोलेजन नामक प्रोटीन को शरीर में प्रोड्यूस करने में मदद करते हैं | डॉक्टर्स हर दिन फूड्स के साथ 500 से 1000 मिलीग्राम विटामिन C सप्लीमेंट लेने की सिफारिश करते हैं |
- विटामिन C के एक्सीलेंट डाइटरी सोर्सेज में शामिल हैं साइट्रस फ्रूट्स (ऑरेंज, लाइम्स, लेमन), बेरीज (ब्लूबेरीज, क्रैनबेरीज, स्ट्रॉबेरीज, रास्पबेरीज), पाइनेपल, तरबूज, पपीता, ब्रोकॉली, पालक, ब्रुसेल्स स्प्राउट्स, पत्तागोभी और फूलगोभी | [२१] X रिसर्च सोर्स
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गार्लिक ऑइल का इस्तेमाल करें: गार्लिक ऑइल के एक कैप्सूल को लेकर इसे पंक्चर करें और इन्फेक्टेड कान में डाल लें | अब इसे 10 मिनट तक कान में रहने दें और फिर सिर झुकाकर ऑइल ड्रेन कर लें | इसे दो सप्ताह तक रिपीट करें | स्टडीज के अनुसार, गार्लिक ऑइल से एस्परजिलस (फंगल इयर इन्फेक्शन की पहली या दूसरी मुख्य कारण) नामक फंगस पर एंटीफंगल इफेक्ट्स देखे गये हैं |
- साथ ही, फंगल इयर इन्फेक्शन को ट्रीट करने के लिए उपयोग की जाने वाली अन्य प्रिस्क्रिप्शन मेडिकेशंस की तुलना में गार्लिक ऑइल के द्वारा उनके समान या उनसे बेहतर रिजल्ट्स देखे जाते हैं | [२२] X रिसर्च सोर्स Pai ST, Platt MW. Antifungal effects of Allium sativum (garlic) extract against the Aspergillus species involved in otomycosis. Lett Appl Micro. 1995 Jan; 20 (1): 14-18.
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कान को साफ़ करने के लिए ऑलिव ऑइल का इस्तेमाल करें: अगर आपको फंगल इयर इन्फेक्शन है तो कान में सफ़ेद या पीला सा सिक्रिशन दिखाई देगा | साथ ही, वैक्स का ओवर प्रोडक्शन होने लगेगा | इन सभी के कारण यूस्टेशियन ट्यूब में ब्लॉकेज हो सकता है | ऑलिव आयल एक परफेक्ट वैक्स सॉफ्टनर है |
- मेडिसिन ड्रॉपर से इन्फेक्टेड कान में ऑलिव आयल की तीन बूँद डालें | अब इन बूंदों को इयर कैनाल में 10 मिनट तक रहने दें और फिर सिर को टेढ़ा करके ऑइल को ड्रेन कर लें | इससे कान का वैक्स (सेरुमन) सॉफ्ट हो जायेगा और इयर कैनाल में मौजूडी अन्य कठोर स्त्राव भी सॉफ्ट हो जायेंगे और आसानी से बाहर निकाले जा सकेंगे (हाइड्रोजन पेरोक्साइड के समान ही) | ऑलिव ऑइल में फंगल इयर इन्फेक्शन के सम्बंधित सूजन को कम करने वाली प्रॉपर्टीज भी होती हैं | ऑलिव आयल की एंटीइंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज इस ऑइल में पायें जाने वाले पॉलीफिनॉल्स के हाई लेवल के कारण काम करती हैं | [२३] X रिसर्च सोर्स
रेफरेन्स
- ↑ Khurshid A, Muhammad SG. Otomycosis: clinical features, predisposing factors, and treatment implications. Pak J Med Sci. 2014 May-Jun; 30 (3): 564-567.
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