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यूटेराइन फाइब्रॉइड्स, या लिमायोमाटा (leiomyomata), नॉन-कैंसरस ट्यूमर्स होते हैं, जो यूटेरस में बढ़ा करते हैं। [१] करीब 70% महिलाओं को अपनी लाइफ के किसी एक पॉइंट पर फाइब्रॉइड्स डेवलप होता ही है। [२] आमतौर पर, फाइब्रॉइड्स में किसी भी तरह के लक्षण नहीं नजर आते हैं। लेकिन कभी-कभी इनकी वजह से से दर्द और हैवी ब्लीडिंग भी हुआ करती है। अगर फाइब्रॉइड्स की वजह से दर्द या दूसरे लक्षण नजर आते हैं, तो फिर फाइब्रॉइड्स को नेचुरल ढ़ंग से सिकोड़ने की कोशिश करने से पहले, अपने डॉक्टर से जरूर कंसल्ट कर लें।

विधि 1
विधि 1 का 3:

नेचुरल मेथड्स यूज करके देखना

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  1. डॉक्टर्स अक्सर ही फाइब्रॉइड्स को ट्रीट करने के लिए अननेसेसरी, इन्वेसिव प्रोसीजर की अप्रोच को अपनाया करते थे। अब, हालांकि, जब फाइब्रॉइड्स की वजह से एब्नॉर्मल ब्लीडिंग, इंफर्टिलिटी (infertility), या पेनफुल पीरियड्स जैसे किसी तरह के खास लक्षण नहीं नजर आने पर, ज़्यादातर डॉक्टर्स "पहले देखकर इंतज़ार" करने की सलाह दिया करते हैं। वक़्त बीतने के साथ ही, फाइब्रॉइड्स खुद से ही सिकुड़ना शुरू हो जाते हैं। [३]
    • फाइब्रॉइड्स प्रजनन (reproductive) की उम्र में बनना शुरू होते हैं, प्रेग्नेंसी के साथ बढ़ते जाते हैं और फिर मीनोपॉज के बाद सिकुड़ जाते हैं। इसे सिकोड़ने के लिए कुछ बुरे साइड इफ़ेक्ट्स वाली दवाएँ लेने या फिर किसी भी सर्जिकल प्रोसीजर को कराने के बजाय, कुछ सालों तक इंतज़ार कर लेने की सलाह दी जाती है।
    • ज़्यादातर फाइब्रॉइड्स से लगभग कभी भी कैंसर नहीं होता है, इसलिए जब तक इनसे आपको कोई प्रॉब्लम न हो रही हो, तब तक इन्हें अपनी बॉडी में ही रहने देने में कोई खराबी नहीं है। फिर चाहे आपके एब्डोमिनल एरिया में ऐसा फाइब्रॉइड्स हो, जिसे आप उसे दबाकर फील कर सकती हों - या फिर जब आप काफी करीब से देखती हों, तब ये आपको नजर आता हो - तब भी जब ऐसा कराना बेहद जरूरी न हो, तब तक आपको इसे निकालने के बारे में नहीं सोचना चाहिए।
    • अगर आप देखने और इंतज़ार करने वाली मेथड को ट्राइ करके देखना चाहती हैं, तो पहले एक डॉक्टर से मिल आएँ और आपको जो भी है, उसके निश्चित तौर पर फाइब्रॉइड्स ही होने की पुष्टि कर लें। दूसरी तरह की ग्रोथ के लिए फौरन ही मेडिकल इंटर्वेंशन की जरूरत पड़ती है।
  2. क्लीनिकल ट्रायल्स में, ग्रीन टी एक्सट्रेक्ट (epigallocatechin gallate, या EGCG) ने फाइब्रॉइड्स के लक्षणों की गंभीरता में कमी लाई है। ग्रीन टी एक्सट्रेक्ट लेने वाली महिलाओं को कम गंभीर लक्षण नजर आए और उनके फाइब्रॉइड्स का साइज़ औसतन 32.6% तक सिकुड़ गया। [४] [५]
    • इस बात के ऊपर ध्यान देना बेहद जरूरी है, कि ये जो स्टडीज़ हैं, ये काफी छोटे स्तर की हैं और ट्रीटमेंट की प्रभावशीलता के सपोर्ट में और किसी भी तरह के ट्रायल्स नहीं किए गए हैं।
    • फाइब्रॉइड्स के लिए ग्रीन टी एक्सट्रेक्ट लेने वाली महिलाओं को किसी भी तरह के गंभीर साइड इफ़ेक्ट्स नहीं एक्सपीरियंस हुए। हालांकि, अगर आप कैफीन के लिए सेंसिटिव हैं, तो अपने ग्रीन टी कंजंप्शन को मॉनिटर करें। ग्रीन टी में कैफीन मौजूद होती है, जिसकी वजह से इरिटेशन, नर्वसनेस और मितली हो सकती है। [६]
    • स्टडीज़ से मालूम हुआ है, कि ग्रीन टी से रैट्स (चूहों) में फाइब्रॉइड्स की ग्रोथ में कमी आई है। ग्रीन टी शायद नए फाइब्रॉइड्स की ग्रोथ को रोक सकती है, हालांकि ये रिसर्च अभी भी पूरी तरह से स्थिर नहीं है। [७] [८]
  3. अपने डॉक्टर से चाइनीज मेडिसिन्स के बारे में पूछें: कुछ स्टडीज़ सजेस्ट करती हैं, कि चाइनीज हर्बल मेडिसिन शायद फाइब्रॉइड्स को सिकोड़ सकती हैं और फाइब्रॉइड्स के लक्षणों से भी राहत दे सकती हैं। चूंकि कुछ हर्ब्स दवाइयों और कुछ तरह की बीमारियों के साथ में इंटरेक्ट भी कर सकते हैं, इसलिए किसी भी हर्बल रेमेडीज को लेने से पहले, इसके बारे में अपने डॉक्टर से जरूर बात कर लें। [९]
    • इस बात से भी अवगत रहें, कि चाइनीज मेडीसिनल अप्रोच एफ़डीए प्रमाणित (FDA-approved) मेडिकेशंस के जैसे ट्रायल्स से नहीं गुजरती हैं। इसके साथ ही दवाइयों के डोजेज़ के साथ में इनकंसिस्टेंसी भी होती है, जो इसकी प्रभावशीलता और रिस्क्स को बदल सकता है।
    • एक स्टडी ऐसा बताती है, कि Kuei-chih-fu-ling-wan नाम की हर्बल रेमेडी लेने से, स्टडी में शामिल लोगों के फाइब्रॉइड के साइज़ में करीब 60% की कमी आई। [१०]
    • कई तरह के क्लीनिकला ट्रायल्स से ऐसा मालूम हुआ है, कि ट्राईस्टायरगियम विल्फोर्डी (Tripterygium wilfordii) एक्सट्रेक्ट या léi gōng téng 雷公藤 भी फाइब्रॉइड्स को सिकोड़ सकता है, या ये मिफ़ेप्रिस्टोन (mifepristone) से ज्यादा बेहतर भी होते हैं। [११]
    • Guizhi Fuling फॉर्मूला 桂枝茯苓丸 (Ramulus Cinnamomi, Poria, Semen Persicae, Radix Paeoniae Rubra या Radix Paeoniae Alba, और Cortex Moutan) और mifepristone दोनों भी फाइब्रॉइड के साइज़ को कम करने में काफी असरदार होते हैं। [१२] Guizhi Fulin और mifepristone दोनों एक-साथ मिलकर, इन्हें अकेले यूज किए जाने से कहीं ज्यादा इफेक्टिव होते हैं। [१३]
  4. एक स्टडी से मालूम हुआ, कि फिजिकल थेरेपी भी कुछ महिलाओं के फाइब्रॉइड्स को सिकोड़ने में और फाइब्रॉइड के लक्षणों से राहत दिलाने में मददगार साबित हुई। आपके ऊपर फिजिकल थेरेपी काम करेगी या नहीं, ये तय करने के लिए अपने फिजीशियन से इस बारे में बात कर लें। [१४] [१५]
    • इस बात से अवगत रहें, कि फिजिकल थेरेपी से दर्द या लक्षण तो कम हो सकते हैं, लेकिन इससे फाइब्रॉइड्स के पीछे छिपी दूसरी प्रॉब्लम्स में कोई राहत नहीं मिलेगी।
  5. एक स्टडी ने बताया, कि एक्यूपंचर भी कुछ महिलाओं को फाइब्रॉइड के लक्षणों में राहत दिला सकता है। चूंकि एक्यूपंचर से भी कुछ साइड इफ़ेक्ट्स होते हैं, तो इसलिए अगर आपको किसी और ट्रीटमेंट से कोई असर न पड़े, केवल तभी इसे लेने के बारे में सोचना बेहतर माना जाता है। [१६] [१७]
    • आपके द्वारा किसी लाइसेन्स प्राप्त एक्यूपंचरिस्ट के साथ ही काम किए जाने की पुष्टि कर लें। अपने फिजीशियन से रिफ़रल के लिए बात करें। आपके द्वारा लिए जाने वाले किसी भी तरह के कोम्प्लीमेंट्री ट्रीटमेंट के बारे में अपने प्राइमरी डॉक्टर को जानकारी दें।
विधि 2
विधि 2 का 3:

दूसरे ट्रीटमेंट ऑप्शन्स को समझना

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  1. फाइब्रॉइड्स को ट्रीट करने के लिए मौजूद ज़्यादातर दवाइयों को आपके हॉरमोन के लेवल को बदलने के हिसाब से डिजाइन किया गया होता है। ये फाइब्रॉइड्स को बढ़ाने वाले हॉरमोन को प्रभावित करते हुए, ग्रोथ को धीरे-धीरे सिकोड़ते हुए काम करती हैं।
    • गोनैडोट्रोपिन-रिलीज़िंग हार्मोन (Gn-RH) एगोनिस्ट, फाइब्रॉइड को सिकोड़ने के लिए कॉमनली प्रिस्क्राइब की जाने वाली दवाइयाँ हैं। ये दवाई बॉडी को एक टेम्पररी पोस्ट-मीनोपॉजल स्टेट में डाल देती है, जिससे एस्ट्रोजन का प्रोडक्शन ब्लॉक हो जाता है। इसके कई शॉर्ट और लॉन्ग-टर्म साइड इफ़ेक्ट्स होते हैं। [१८]
    • लेट्रोज़ोल (Letrozole) एक ऐसी दवा है, जो एस्ट्रोजन के लेवल्स को कम करती है। एक स्टडी में, लेट्रोज़ोल ने फाइब्रॉइड्स के साइज़ को 46% से छोटा किया। [१९]
    • दूसरी दवाइयाँ भी मिल सकती हैं।
  2. ब्लीडिंग कम करने के लिए कान्ट्रसेप्टिव्स के बारे में पूछें: हॉरमोनल कान्ट्रसेप्टिव्स मेन्स्ट्रूअल ब्लीडिंग कम कर सकती हैं, हालांकि ये आपके फाइब्रॉइड के साइज़ को कम नहीं कर सकती हैं। ओरल कान्ट्रसेप्टिव्स या प्रोजेस्टीन-रिलीजिंग इंट्रायूटेराइन डिवाइस (IUD) एक्सट्रा ब्लीडिंग को कम करने के लिए यूज होने वाली सबसे कॉमन कान्ट्रसेप्टिव्स होती हैं। [२०]
  3. एमआरआई-गाइडेड (MRI-guided) फोकस्ड अल्ट्रासाउंड सर्जरी (FUS) के बारे में सोचें: ये एक नॉन-इंवेसिव प्रोसीजर है, जिसमें इन्सिश़न (चीरा लगाने) की कोई जरूरत नहीं होती है। आप जब एमआरआई स्कैनर के अंदर होते हैं, तब फाइब्रॉइड्स को लोकेट, हीट और खत्म करने के लिए साउंड वेव्स यूज की जाती हैं। [२१]
    • ये अप्रोच काफी नई हैं और ये हर जगह उपलब्ध भी नहीं हो सकती हैं। चूंकि ये एक नई अप्रोच है, इसीलिए इनके इफेक्टिवनेस के सपोर्ट करने के लिए ज्यादा डेटा नहीं मौजूद हैं।
    • चूंकि एमआरआई (MRI) फोकस्ड अल्ट्रासाउंड और सिलेक्टिव एम्बोलाइजेशन नई मेथड्स हैं, लेकिन जो महिलाएं बाद में प्रेग्नेंट हो जाती हैं, उनके लिए इन प्रोसिजर्स की सेफ़्टी पर किसी भी तरह की कोई लॉन्ग-टर्म स्टडी नहीं मौजूद है। कुछ केस रिपोर्ट्स सजेस्ट करती हैं, कि अगर इन ट्रीटमेंट्स को लेने के बाद प्रेग्नेंसी आती है, तो कोंप्लीकेशन रेट्स बढ़ जाते हैं। फ्यूचर में प्रेग्नेंसी कंसीव रखने की इच्छा रखने वाली फाइब्रॉइड से जूझने वाली महिलाओं के लिए, फाइब्रॉइड को हटाने और गर्भाशय (मायोमेक्टॉमी) को दूर करने के लिए सर्जरी ही एक "गोल्ड स्टैंडर्ड" बनी हुई है।
  4. अपने डॉक्टर से मिनिमली-इंवेसिव (minimally-invasive) प्रोसीजर्स के बारे में पूछें: ये आउटपेशेंट प्रोसीजर्स हैं, जिनमें कुछ टाइप के बॉडीली इंटरवेंशन्स शामिल हो सकते हैं, लेकिन ये फाइब्रॉइड्स को सर्जिकली हटाने के बजाय, उसे सीधे डिस्ट्रोय ही कर देते हैं। ये मेथड्स काफी हद तक अच्छी तरह से काम करती हैं और मेजर सर्जरी कराने की जरूरत को खत्म कर देती हैं।
    • फाइब्रॉइड को ट्रीट या डिस्ट्रोय करने के लिए यूटेराइन आर्टरी एम्बोलाइजेशन (जिसमें फाइब्रॉइड तक के ब्लड फ़्लो को रोकने के लिए छोटे-छोटे पार्टिकल्स को इंजेक्ट किया जाता है) या मायोलिसिस (myolysis), जिसमें फाइब्रॉइड के ऊपर अटैक करने के लिए इलेक्ट्रिक करंट या लेजर अटैक का यूज किया जाता है, को यूज कर सकते हैं। [२२]
    • लेप्रोस्कोपिक (laparoscopic) या रोबोटिक मायोमेक्टॉमी (robotic myomectomy) एक ऐसी प्रोसीजर है, जिसमें यूटेरस को छोड़कर, फाइब्रॉइड को हटा दिया जाता है। [२३]
    • यूटेराइन एम्बोलाइजेशन में यूटेराइन आर्टरी के अंदर ऐसे सब्स्टेंसेस इंजेक्ट किए जाते हैं, जो फाइब्रॉइड तक जाने वाली ब्लड सप्लाइ को पूरी तरह से कट कर देते हैं।
  5. पता करें, कि सर्जरी आपके लिए बेस्ट ऑप्शन है या नहीं: गंभीर मामलों में, बॉडी की हैल्थ को इंप्रूव करने के लिए, सर्जरी कराना ही, फाइब्रॉइड को हटाने का बेस्ट ऑप्शन होता है। फाइब्रॉइड्स को पूरी तरह से हटाए जाने की पुष्टि करने के लिए, फिर चाहे एब्डोमिनल मायोमेक्टॉमी हो या हिस्टेरेक्टॉमी (hysterectomy) परफ़ोर्म की जा सकती है। [२४]
विधि 3
विधि 3 का 3:

फाइब्रॉइड्स को समझना

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  1. फाइब्रॉइड्स एक रबर जैसी ग्रोथ होती है, जो यूटेरस की वाल्स पर बनते हैं। ये महिलाओं को उनकी रिप्रोडक्टिव एज में, खासकर कि 35 की एज के बाद, बार-बार आया करते हैं। ज्यादातर मामलों में ये सौम्य वृद्धि छोटे ही रहते हैं, और वे लगभग कभी भी कैंसर का कारण नहीं बनते हैं। हालांकि, कुछ महिलाओं के लिए, फाइब्रॉइड्स उनकी लाइफ की क्वालिटी को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है। [२५]
    • फाइब्रॉइड्स को आमतौर पर तीन ग्रुप्स में बांटा जाता है। सबम्यूकोसल (Submucosal) फाइब्रॉइड्स यूटेराइन केविटी में बढ़ते हैं। इन्ट्रम्युरल (Intramural) फाइब्रॉइड्स यूटेरस की वाल पर बढ़ते हैं। सब्सेरोजल (Subserosal) फाइब्रॉइड्स यूटेरस के बाहर बढ़ा करते हैं। [२६]
  2. काफी सारी महिलाओं को शायद फाइब्रॉइड्स हो सकते हैं और उन्हें अपनी कंडीशन के बारे में शायद मालूम भी नहीं होता। कई महिलाओं के लिए, फाइब्रॉइड्स में किसी भी तरह के लक्षण, डिस्कंफ़र्ट, या हैल्थ इशू नहीं दिखते हैं। हालांकि, फाइब्रॉइड्स की वजह से कुछ महिलाओं को पेनफुल या यहाँ तक कि कमजोरी पैदा करने वाले लक्षण भी नजर आ सकते हैं। अगर आपको भी इनमें से कुछ भी महसूस हो रहा है, तो फिर अपने डॉक्टर को दिखा दें: [२७] [२८]
    • हैवी और/या लंबे वक़्त से चली आ रही मेन्स्ट्रूअल ब्लीडिंग। फाइब्रॉइड्स की वजह से यूटेराइन वाल मेन्स्ट्रूएशन साइकल के दौरान नॉर्मल से ज्यादा मोटी हो जाती है, जिसकी वजह से नॉर्मल से ज्यादा ब्लीडिंग होने लग जाती है। कुछ मामलों में, इतनी गंभीर ब्लीडिंग होती है, जिसकी वजह से एनीमिया हो सकता है। [२९]
    • मेन्स्ट्रूएशन पैटर्न्स में आए कुछ खास बदलाव (जैसे कि, अचानक से बढ़ा हुआ दर्द, बहुत ज्यादा हैवी ब्लीडिंग)
    • पेल्विक पेन या फिर पेल्विक एरिया में “हैवीनेस” या “फुलनेस” का अहसास होना। फाइब्रॉइड्स के साइज़ बहुत छोटे (एक बीज से भी छोटा) से लेकर बहुत बड़े (अंगूर के जितने बड़े) की रेंज में मौजूद रहते हैं। बड़े फाइब्रॉइड्स की वजह से आपका पेट प्रेग्नेंसी के जैसे दिखने लगता है।
    • सेक्सुयल इंटरकोर्स के दौरान दर्द।
    • बार-बार और/या यूरिन करने में परेशानी।
    • कोन्स्टीपेशन (कब्ज)। फाइब्रॉइड्स बढ़ भी सकते हैं और इनकी वजह से यूटेरस आपके ब्लेडर या बोवेल्स की तरफ प्रैस हो जाता है, जिसकी वजह से कोन्स्टीपेशन होने लगता है।
    • पीठ दर्द
    • इन्फ़र्टिलिटी (Infertility) ये बहुत मुश्किल से होता है, लेकिन कुछ मामलों में फाइब्रॉइड्स इंप्लेंटेशन रेट्स कम हो जाती है, जो इन्फ़र्टिलिटी की वजह बनता है। [३०]
  3. वैसे तो साइंटिस्ट्स को भी फाइब्रॉइड्स होने के पीछे की असली वजह के बारे में निश्चित रूप से कुछ भी नहीं मालूम है, लेकिन कुछ ऐसे फ़ैक्टर्स जरूर हैं, जो इसमें अपना हाँथ देते हैं। इनके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी रखना, आपके लिए सही ट्रीटमेंट के कोर्स को पहचानने में मदद कर सकता है। [३१]
    • ऐसा होना भी मुमकिन है, कि महिलाओं के यूटेराइन ब्लड वेसल्स की एब्नॉर्मलिटी की वजह से भी फाइब्रॉइड्स हो सकते हैं।
    • यूटेराइन मसल सेल्स को एक बढ़ी हुई रेट पर बढ़ने के लिए प्रेरित करने वाले जीन्स (Genes) भी एक वजह हो सकते हैं।
    • फाइब्रॉइड्स एक महिला के रिप्रोडक्टिव साइकल से जुड़े हुए प्रतीत होते हैं, शायद ये पहले मेन्स्ट्रूएशन से पहले होता है और अक्सर ही प्रेग्नेंसी के दौरान तेज होता है। कुछ साइंटिस्ट्स का सुझाव है, कि एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन इसके पीछे शामिल हो सकते हैं।
  4. दुर्भाग्य से, फाइब्रॉइड्स के लिए नेचुरल ट्रीटमेंट मेथड का सपोर्ट करने के लिए बहुत कम साइंटिफिक एविडेंस मौजूद हैं। [३२] यहाँ तक कि कुछ ऐसे मामले, जिनमें रिसर्च आशाजनक नजर आती हैं, उनके लिए भी स्टडीज़ लिमिटेड होती हैं या उनमें क्लीनिकल एरर की गुंजाइश होती है। किसी भी एक मेथड के लिए भरपूर रिसर्च नहीं की गई हैं, फिर चाहे ये डाइटरी रिकमेंडेशन हो, होम्योपैथिक ट्रीटमेंट हो, एक्सर्साइज़ हो या ऐसा ही कुछ भी हो।
    • इसका मतलब, अगर आप एक ऐसी परिस्थिति में हैं, जहां पर आपके फाइब्रॉइड्स आपके लिए अनकम्फ़र्टेबल बन गए हैं या वो आपकी हैल्थ के लिए नुकसानदेह हो गया है, तो आपको अपने डॉक्टर के साथ में मिलकर अपने लिए स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट के बारे में डिस्कस कर लेना चाहिए। हालांकि, अगर आपके फाइब्रॉइड्स से आपको दर्द नहीं हो रहा है या ये आपकी लाइफ में कोई बड़ी रुकावट नही डाल रहे हैं, तब भी कुछ ऐसी नेचुरल मेथड्स को ट्राइ करके देखने में कोई तकलीफ भी नहीं है, जिनके बारे में काफी सारे लोग बात करते हैं।
    • सावधानी बरतने के लिए, ट्रीटमेंट मेथड की वजह से आपके ऊपर किसी भी तरह के बुरे साइड इफेक्ट न पड़ने की पुष्टि करने के लिए, इसके बारे में एक बार अपने डॉक्टर से जरूर बात कर लें।

चेतावनी

  • कुछ अविश्वसनीय सोर्स ऐसा भी सजेस्ट करते हैं, कि आप अपनी डाइट के जरिए अपने फाइब्रॉइड्स को “खत्म” या ट्रीट कर सकते हैं। इसे साइंटिफिक एविडेंस के द्वारा सपोर्ट नहीं किया गया है। अच्छी तरह से खाना, बहुत ज्यादा रेड मीट को अवॉइड करना और विटामिन D रिच वेजिटेबल्स और फूड्स खाना, आपके फाइब्रॉइड्स को मैनेज करने में हेल्प कर सकता है। हालांकि, इस बात के लिए कोई एविडेंस मौजूद नहीं हैं, कि फाइबर, “स्पेशल” फूड्स या होम्योपैथी फाइब्रॉइड्स को ट्रीट करने में असरदार होती है। [३३]

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  1. http://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/1471615
  2. http://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/23633329
  3. http://www.biomedcentral.com/1472-6882/14/2
  4. http://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/23633329
  5. http://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/25445104
  6. http://www.sciencedirect.com.proxy-remote.galib.uga.edu/science/article/pii/S0301211514004722
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  8. http://www.sciencedirect.com.proxy-remote.galib.uga.edu/science/article/pii/S0301211514004722
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  10. http://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/24151065
  11. http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/uterine-fibroids/basics/treatment/con-20037901
  12. http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/uterine-fibroids/basics/treatment/con-20037901
  13. http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/uterine-fibroids/basics/treatment/con-20037901
  14. http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/uterine-fibroids/basics/treatment/con-20037901
  15. http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/uterine-fibroids/basics/treatment/con-20037901
  16. http://www.womenshealth.gov/publications/our-publications/fact-sheet/uterine-fibroids.html?from=AtoZ#k
  17. http://www.womenshealth.gov/publications/our-publications/fact-sheet/uterine-fibroids.html?from=AtoZ#k
  18. http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/uterine-fibroids/basics/symptoms/con-20037901
  19. http://my.clevelandclinic.org/health/diseases_conditions/hic_Uterine_Fibroids
  20. http://www.womenshealth.gov/publications/our-publications/fact-sheet/uterine-fibroids.html?from=AtoZ#e
  21. http://obgyn.ucla.edu/body.cfm?id=326
  22. http://www.medicinenet.com/uterine_fibroids/page2.htm#what_causes_uterine_fibroids_and_how_common_are_they
  23. http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/uterine-fibroids/basics/alternative-medicine/con-20037901
  24. http://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/25826470

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