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पिछले 30 वर्षों में डायबिटीज़ ने जिस तरह से पैर पसारे हैं उससे दुनिया को ये एक महामारी की तरह लगने लगा है। पहले यह बड़ी उम्र के लोगों में होने वाले एक हल्की और बहुत कम होने वाली बीमारियों में शामिल थी परंतु अब यह हर उम्र, प्रजाति और पृष्ठभूमि के लोगों में पायी जाने लगी है और विश्व के अधिकांश देशों में लोगों के असामयिक मृत्यु का एक मुख्य आधुनिक कारण बन गई है। पूरे विश्व में हर 10 सेकेंड में एक व्यक्ति डायबिटीज़ टाइप 2 के कारण मर रहा है। [१] प्रसन्नता की बात यह है कि टाइप 2 डायबिटीज़ से बचने का और एक स्वस्थ लाइफ-स्टाइल बनाए रखने का एक उत्तम उपाय उपलब्ध है। पिछले 30 वर्षों में डायबिटीज़ ने जिस तरह से पैर पसारे हैं उससे दुनिया को ये एक महामारी की तरह लगने लगा है। पहले यह बड़ी उम्र के लोगों में होने वाले एक हल्की और बहुत कम होने वाली बीमारियों में शामिल थी परंतु अब यह हर उम्र, प्रजाति और पृष्ठभूमि के लोगों में पायी जाने लगी है और विश्व के अधिकांश देशों में लोगों के असामयिक मृत्यु का एक मुख्य आधुनिक कारण बन गई है। पूरे विश्व में हर 10 सेकेंड में एक व्यक्ति डायबिटीज़ टाइप 2 के कारण मर रहा है। [१] अच्छी बात ये है कि टाइप 2 डायबिटीज़ से बचने का और एक स्वस्थ लाइफ-स्टाइल बनाए रखने का एक उत्तम उपाय उपलब्ध है।

विधि 1
विधि 1 का 3:

स्वास्थ्यप्रद खाने की आदत डालना

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    डायबिटीज़ और डाइट के बीच के संबंध को समझें: अत्यधिक मीठे और फैटी फूड्स खाने से प्री-डायबिटिक और टाइप 2 डायबिटीज़ होने का खतरा बढ़ जाता है। आप अस्वास्थ्यप्रद भोजन में कमी कर के, प्रोटीन पर निगरानी रख के और संतुलित भोजन कर के अपने हाई-नार्मल ब्लड शुगर (प्री- डायबिटीज़) को रिवर्स कर सकते हैं और टाइप 2 डायबिटीज़ के खतरे को कम कर सकते हैं।
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    फल और सब्जियाँ अधिक मात्रा में खायेँ : फल और सब्जियों की सात से नौ सर्विंग्स प्रतिदिन खाने का लक्ष्य बनाएँ। [२] फ्रीज़ किए हुए तथा सुखाये हुए फल और सब्जियां स्वास्थ्य के लिए कुछ लाभदायक होते हैं परंतु फ्रेश और मौसमी उत्पादों में पोषक पदार्थ सबसे अधिक मात्रा में उपलब्ध होते हैं। [३] चूंकि डिब्बाबंद सब्जियों में नमक की मात्रा अपेक्षाकृत ज्यादा होती है इसलिए उसे कम खायें।
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    अलग अलग रंगों के फल और सब्जियों को चुनें: गहरे रंग का अर्थ होता है ज्यादा पोषक तत्व इसलिए, विभिन्न प्रकार के ऐसे फल और सब्जियाँ खायें जिनमें कुल मिलाकर भांति-भांति के चटकीले रंग उपलब्ध हों। आप निम्नलिखित पर ध्यान दे सकते हैं:
    • गहरे हरे रंग की सब्जियाँ जैसे कि ब्रोकोली, पालक, केल और ब्रूसेल्स स्प्राउट्स
    • नारंगी रंग की सब्जियाँ जैसे कि गाजर, शकरकंद (sweet potatoes), कद्दू और विंटर स्क्वाश (winter squash)
    • लाल रंग के फल और सब्जियाँ जैसे कि स्ट्रा-बेरीज़, रसभरी (raspberries), चुकंदर और मूली
    • पीले फूड्स जैसे कि स्क्वाश, आम और अनन्नास
  4. पेस्ट्रीज, केक्स, फ्राइड चीजें और अन्य प्रोसेस्ड कार्बोहाइड्रेट्स न खायें। इनके बजाय स्वास्थ्यप्रद कार्बोहाइड्रेट्स जैसे कि फल, सब्जियाँ, होल ग्रेन सीरियेल्स (whole grain cereals) और फ्रेश ब्रेड्स खायें। चूंकि फाइबर एक “पोछा” (mop) की तरह कार्य करके पाचन प्रक्रिया को और ग्ल्युकोज के ब्लड-स्ट्रीम में जाने की गति को धीमा करते हुए ब्लड शुगर को कम करता है इसलिए, ऐसे खाद्य पदार्थों को चुनें जिसमें फाइबर की मात्रा अधिक हो। [२]
    • लेग्युम्स जैसे कि ब्लैक बीन्स, गारबैंजो बीन्स (garbanzo beans), किडनी बीन्स, पिंटो बीन्स (pinto beans), स्प्लिट बीन्स (split peas), लेण्टिल्स (lentils) आदि खायें।
    • होल ग्रेन्स, होल ग्रेन राइस, ब्रेकफ़ास्ट जिसमें शत-प्रतिशत होल ग्रेन्स हों और होल ग्रेन पास्ता चुनें।
    • होल-ह्वीट ब्रेड प्रोडक्ट्स जैसे कि बेगल्स (bagels), पिता ब्रेड (pita bread) और टार्टिलाज (tortillas) चुनें।
  5. पेय पदार्थों के माध्यम से लिए जाने वाले शुगर की मात्रा पर अंकुश लगाएँ: [४] शुगर-पैक्ड पेय पदार्थ जैसे कि सोडा और “जूस ड्रिंक्स”, जिसमें जूस की मात्रा काफी कम होती है, खाली कैलोरी तथा अत्यधिक शुगर के मुख्य श्रोत होते हैं। आपको अपनी प्यास बुझाने के लिए अधिकांशतः पानी का ही प्रयोग करना चाहिए। यदि आप पानी के क्वालिटी को लेकर चिंतित हैं तो एक वाटर फिल्टर खरीद लें। यदि आपको शुगर ड्रिंक्स पीने की आदत पड़ गई है तो शुरुआत में आपके शरीर में तब तक उसके लिए क्रेविंग होती रहेगी जब तक आप इस आदत से छुटकारा न पा लें।
    • सोडा, साफ्ट ड्रिंक्स, फ्रूट जूस, कार्डियल, फ्रूट ड्रिंक्स, फ्लेवर्ड वाटर, एनर्जी ड्रिंक्स आदि सभी के सभी अदृश्य शुगर के श्रोत होते हैं जिनकी आवश्यकता शरीर को नहीं होती है। इन ड्रिंक्स को खास अवसरों के लिए छोड़ दीजिये और पानी तथा दूध पर ही भरोसा कीजिये।
    • यदि सादा पानी पीने से ऊब गए हैं तो आप सोडा वाटर या मिनरल वाटर (इनमें शुगर नहीं होता है) में ताज़े निकाले गए नीबू या संतरे के जूस की कुछ बूंदें मिलाकर उसका फ्लेवर बढ़िया कर के पियें।
    • काफी और चाय (जिसको मीठा न बनाया गया हो) का भी स्वाद कभी-कभी ले सकते हैं।
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    स्नैक्स के रूप में शुगर और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स लेना बंद कर दें: रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स, जैसे कि सफ़ेद आटे के उत्पाद, लगभग खाते ही शुगर में बदल जाते हैं। [५] शुगर बहुत सारे स्नैक्स में प्रत्यक्ष रूप से पाया जाता है जैसे कि केक्स, पेस्ट्रीज, कैंडीज़ और चाकलेट और कुछ में कम अप्रत्यक्ष रूप से पाया जाता है जैसे कि फ्रूट-बार्स और मीठी दही आदि। शुगर सस्ता होता है और क्रेविंग को शांत करता है, लंच के बाद आसानी से ग्राह्य होता है और एनर्जी की त्वरित आवश्यकताओं की अनवरत पूर्ति करता है। ट्रीट्स के लिए ज्यादा मात्रा में शुगर एकत्रित न करें और कुछ भी खाने की इच्छा होने पर उसे ही न खायें।
    • यह जान लें कि शुगर वहाँ “छुप” सकता है जहां आपको बिलकुल उम्मीद न हो जैसे कि ब्रेकफ़ास्ट सीरियेल्स में। ऐसे सीरियेल्स चुनें जिनमें शुगर कम हो और 100 प्रतिशत होल ग्रेन हों। आप चाहें तो शुगरयुक्त सीरियेल्स की जगह ओट-मील, अमरन्थ या अन्य ग्रेन-आधारित विकल्प चुन सकते हैं। अपनी मूसेली स्वयम बनाने का प्रयास करें। जो भी सामान आप खरीदने के बारे में सोच रहे हैं उसमें उपलब्ध इनग्रेडियेंट्स की लिस्ट को पढ़ें।
  7. शुगरयुक्त स्नैक्स की जगह फल, वेजटेबुल स्टिक्स, नट्स तथा अन्य स्वास्थ्यप्रद चीजों को लें। ताज़े मौसमी फल कुछ मीठा खाने की क्रेविंग को शांत कर सकते हैं। नमकीन स्नैक्स जैसे कि चिप्स की जगह साल्टेड नट्स ले सकते हैं क्योंकि वे हमें पोषक पदार्थ जैसे कि फाइबर, हेल्दी फैट और प्रोटीन प्रदान करते हैं।
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    हेल्दी फैट खाएं: यह एक आम भ्रांति है की सारे ही फैट्स खराब होते हैं। यह सच है की डीप-फ्रायड फास्ट फूड, फैट के हानिकारक श्रोत होते हैं। तथापि सालमन (salmon) और नट्स में ऐसे फैट ज्यादा मात्रा में होते हैं जो कई तरह से स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। एवोकेडो (Avocado) एक अन्य फूड है जिसमें स्वास्थ्यवर्धक फैट काफी ज्यादा मात्रा में होता है। इन सबसे जरूरी ये है कि आप अपने डाइट में से फैट को पूर्ण रूप से निकालने के बजाय प्रोसेस्ड फैट्स, हाइड्रोजिनेटेड, सेचुरेटेड या अधिकांशतः सेचुरेटेड (विशेषकर ट्रांस फैट से बचें) फैट्स और वेजिटेबुल आयल्स से परहेज करें बल्कि बेहतर होगा कि आप अन-सेचुरेटेड, मोनो-सेचुरेटेड या पॉली-सेचुरेटेड फैट्स लें। [६]
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    ट्रीट्स को किसी खास अवसर के लिए बचाकर रखें: अपने जीवन से शुगर को हमेशा के लिए पूर्णतया निकाल देना एक दण्ड जैसा लग सकता है। इसलिए आप अपने खाने की आदत को बिना पटरी से उतारे कभी-कभी अपने पसंद की चीजें खा सकते हैं। यदि आप अपना पसंदीदा मीठा आइटेम रोज खाने के बजाय विशेष अवसरों पर ट्रीट पर खाएं तो आप पाएंगे कि उसको खाने का अनुभव कुछ ज्यादा ही मिठास भरा होगा।
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    अपने खाने की आदत को “डाइट” न समझें: “डाइट्स” फेल हो सकते हैं क्योंकि वे कम समय के लिए होते हैं और उनका एक “अंतिम” समय होता है। यदि आप अपने खाने के नए तरीके को अपना टेम्पोरेरी “डाइट” न समझकर अपने खाने की आदत में परिवर्तन समझेंगे तो आप अपने इस नई आदत को कम प्रयास से ही बनाए रख पाएंगे। आप यह भी पाएंगे कि कम प्रयास या स्ट्रैस से ही आप अपना वज़न भी घटा पा रहे हैं।
    • इस बात को ध्यान में रखें कि स्वस्थ बने रहने का लक्ष्य पूरे जीवन भर लागू रहता है और यह भी याद रखें कि अत्यधिक वज़न वाले व्यक्ति भी अपने वज़न को मात्र 5% ही घटा कर अपने डायबिटीज़ के खतरे को 70% तक कम कर लेते हैं। [२]
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    रात के खाने में कटौती करें: यदि आप प्री-डायबिटिक हैं तो आपको रात में सोने से पहले अन्य कोई चीज खाने के बजाय कोई हल्का प्रोटीनयुक्त स्नैक खाना चाहिए। आपको अन्य पेय पदार्थों की मात्रा पर नियंत्रण कर के केवल पानी से ही काम चलाना चाहिए और एल्कोहल या शुगरयुक्त ड्रिंक्स या कैफीन में कटौती करें।
    • यदि आपको डिनर के बाद भूख लगे तो कोई कम कैलोरी वाला कार्बोहाइड्रेट फूड खाएं ताकि आपके ब्लड शुगर पर कम से कम प्रभाव पड़े। कुछ विकल्प निम्नलिखित हैं: [७]
      • सेलेरी स्टिक्स (Celery sticks)
      • बेबी कैरट्स
      • हरे शिमला मिर्च के स्लाइसेज
      • एक मुट्ठी करौंदा (cranberries)
      • चार बादाम (या उसी तरह के नट्स )
      • एक कप हल्का या एयर पाप्ड पापकार्न
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    इमोशनल ईटिंग से बचें: भावनात्मक प्रतिक्रिया के रूप में भोजन करने और भौतिक भूख लगने पर भोजन करने के बीच के अंतर को समझें। याद रखें कि भौतिक भूख को कुछ भी खाकर शांत किया जा सकता है परंतु भावनात्मक भूख किसी खास चीज को खाने के लिए होने वाली क्रेविंग होती है जो उसी चीज को खाने पर शांत होती है। [८]
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    ज्यादा खाने से बचने के लिए धीरे-धीरे खाएं: आपका पेट भर चुका है इस बात का सिग्नल आपके पेट से आपके ब्रेन तक पहुँचने में लगभग 20 मिनट लगते हैं। उस 20 मिनट के दौरान आप बहुत ज्यादा खाना खा सकते है बल्कि आवश्यकता से बहुत अधिक खा सकते हैं।
    • यदि आपको लगता है कि आप स्वयं अपने इमोशनल ईटिंग पर नियंत्रण नहीं पा सकते हैं तो किसी मनोचिकित्सक या डाइटीशियन से मिलें।
विधि 2
विधि 2 का 3:

लाइफ-स्टाइल में परिवर्तन करना

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    वज़न घटाने के लिए एक्सर्साइज़ को वरीयता (Priority) दें: डायबिटीज़ प्रिवेन्शन फोरम द्वारा यह दर्शाया गया है कि जो लोग अपने कुल वज़न का 5 से 7 प्रतिशत घटा पाते हैं और सप्ताह में 5 दिन तक प्रतिदिन आधे घंटे एक्सर्साइज़ करते हैं उनमें डायबिटीज़ होने का खतरा 58% कम हो जाता है। [९] [१०] आपका वज़न चाहे जितन भी हो, एक्सर्साइज़ करना, स्वस्थ बने रहने के लिए एक महत्वपूर्ण कार्य है। अत्यधिक बाडी फैट, ग्ल्युकोज के ब्रेक होने और उसके बाद उसका उपयोग होने में, जो एनर्जी का एक आवश्यक श्रोत है, बाधा पहुंचाता है। प्रतिदिन 30 मिनट तक हार्ट रेट बढ़ाने वाला एक्सर्साइज़ करने से आप डायबिटीज़ के खतरे से बच सकते है और अपना वज़न भी स्वस्थ बनाए रख सकते हैं।
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    अपने लंच-ब्रेक में टहलें: यदि आपको लगता है कि आपके पास एक्सर्साइज करने का समय नहीं है तो सप्ताह में कम से कम 5 दिन लंच-ब्रेक में आधे घंटे तक टहलने का प्रयास करें। एक्सर्साइज में “पैठ” बनाने का यह एक तरीका हो सकता है।
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    काम समाप्त होने के बाद एक्सर्साइज करें: कार्यालय से छूटने के बाद जिम जाने से या तेज़ टहलने से या बाहर 45 मिनट से एक घंटे तक जागिंग करने से आप ट्रैफिक के भीड़ से बच सकते हैं। आप घर तो कुछ देर से पहुँचेंगे परंतु आप ज्यादा रिलैक्स्ड महसूस करेंगे क्योंकि एक्सर्साइज करने से और ट्रैफिक की भीड़ से बचने से आपके स्ट्रेस-लेवेल घट जाता है।
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    अपने कुत्ते को टहलाने के लिए ले जाएँ: कुत्तों की वजह से आपकी एक्सर्साइज आसान हो जाती है क्योंकि उन्हें घर से बाहर ले जाना आपकी ज़िम्मेदारी होती है जिसे आपको निभाना ही है। यदि आपके पास कोई कुत्ता नहीं है (या आप कुत्ता रखना ही नहीं चाहते हैं) तो किसी पड़ोसी के कुत्ते को टहलाने के लिए अपनी सेवाएँ दें।
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    स्थानीय दूकानों तक जाने के लिए ड्राइविंग के बजाय पैदल जाएँ: जब तक आपके पास उठाकर लाने के लिए भारी पैकेट्स नहीं हैं तब तक स्थानीय दूकानों तक टहल के जाना एक समझदारी का काम होता है। साथ देने के लिए और पैदल चलते समय बात-चीत करने के लिए किसी मित्र या परिवार के सदस्य को साथ में लेने से रास्ता जल्दी कट जाता है।
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    एक्सर्साइज करते समय संगीत सुनें: अपने आइ-पॉड या एमपी3 में अपने पसंद के गाने भरवा लीजिये। अपने पसंद के म्यूजिक को सुनते समय टहलने या दौड़ने के लिए बहाना ढूंढिए। बल्कि आप अपने वर्क-आउट से मैच करता हुआ एक प्ले-लिस्ट बना सकते हैं जिसमें एक स्लो “वार्म-अप” गाना, 30 मिनट का वाकिंग / जागिंग म्यूजिक और उसके बाद 3-4 मिनट का “कूल डाउन” गाना शामिल करें। किसी समयबद्ध प्ले-लिस्ट का प्रयोग करने से आप अपने एक्सर्साइज़ सेशन को उचित अवधि प्रधान करना सुनिश्चित कर सकते हैं।
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    अपने स्ट्रेस लेवेल्स को घटाएँ: स्ट्रेस का संबंध हाई ग्ल्युकोज लेवेल्स से होता है जिससे आपको डायबिटीज़ हो सकती है। [११] ऐसा इसलिए है कि जैसे ही आपके शरीर को पता चलता है की आप स्ट्रेस में हैं वैसे ही यह अपने को “लड़ो या भागो” (fight or flight) रिस्पांस के लिए तैयार कर लेता है और जिसके कारण आपके हारमोन लेवेल्स का संतुलन बिगड़ जाता है। इन हार्मोनल चेंजेज़ के कारण आपके वज़न के बढ़ने की संभावना और भी बढ़ जाती है। अपना स्ट्रेस घटाने के लिए:
    • पता लगाएँ कि आप स्ट्रेस्ड क्यों हैं। आपके स्ट्रेस्ड होने के पीछे क्या कारण है यह मालूम हो जाने से उस कारण का निदान करके उसे कम करने में और तदनुसार अपने स्ट्रेस लेवेल्स को कम करने में आपको सहायता मिलेगी।
    • मना करना सीखें। अपनी क्षमता से अधिक ज़िम्मेदारी स्वीकार करने से आपके स्ट्रेस लेवेल्स बढ़ सकते हैं। अपनी क्षमता की सीमा को पहचानें और उसके बाहर के कार्यों को करने से मना करें या यदि आवश्यकता हो तो किसी और की सहायता लें।
    • अपने भावनाओं को व्यक्त करें। कभी-कभी अपने स्ट्रेस के बारे में किसी और से बात करने से आपको अपना स्ट्रेस कम करने में सहायता मिलती है। वह व्यक्ति भी आपके परिस्थिति को एक बाहरी व्यक्ति के दृष्टि से देख सकता है जिससे आपको उसका हल ढूँढने में सहायता मिल सकेगी।
    • अपने समय का सही इस्तेमाल करें। चीजों को प्रायरटाइज़ (prioritize) करना सीखें और यह जाने कि कब अन्य / कम जरूरी चीजों को साइड में रखा जा सकता है। किसी भी टास्क को करने में लगने वाले समय का अनुमान लगाएँ और उसी के अनुसार अपने दिन की योजना बनाएँ।
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    भरपूर नींद लें: वयस्क लोगों को हर रात कम से कम 6 बल्कि सच पूछिए तो 7 घंटों के नींद की आवश्यकता होती है ताकि उनके नर्व्ज (nerves) और अन्य सिस्टेम्स के सेटल (settle) होने और आराम पाने के लिए पर्याप्त रिकवरी टाइम मिल सके। डायबिटीज़ से सम्बद्ध ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर दोनों को ही स्वस्थ स्तर पर बनाए रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में नींद मिलना बेहद आवश्यक है।
    • यदि आप रात को सो पाने में असमर्थ हैं तो सोने से पहले अपने "स्क्रीन टाइम" को अर्थात अंधेरे कमरे में न्वाइज़ मशीन के साथ सोने को कम करने का प्रयास करें और दिन भर में आपके द्वारा लिए जाने वाले कैफीन की मात्रा पर भी लगाम लगाएँ।
    • यदि इसके बाद भी आप रात में ठीक से सो न पाएँ तो अपने डाक्टर से मेडिसिनल या हर्बल स्लीप एड्स (aids) के बारे में बात करें।
विधि 3
विधि 3 का 3:

डायबिटीज़ को समझना

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    विभिन्न प्रकार के डायबिटीज़ के बीच के अंतर को समझें: डायबिटीज़ आपके शरीर में ब्लड शुगर (ग्ल्युकोज) के प्रोसेस होने के तरीके पर प्रभाव डालता है। ग्ल्युकोज, जो कि ऊर्जा का एक आवश्यक श्रोत है, खाना पचने के बाद आपके ब्लड स्ट्रीम में उपस्थित रहता है। इंसुलिन, जो आम तौर पर पैंक्रियाज़ द्वारा बनाया जाता है, ग्ल्युकोज को ब्लड से बाहर आने और लिवर सेल्स, मसल्स और फैट में वितरित होने में सहायता प्रदान करता है जहां वह शरीर के उपयोग मे लाये जा सकने योज्ञ एनर्जी में बदल जाता है। डायबिटीज़ तीन तरह का होता है, टाइप 1, टाइप 2 और जेस्टेशनल डायबिटीज़। [१२]
    • टाइप 1 डायबिटीज़: इस कंडीशन में पैंक्रियाज़ के इंसुलिन उत्पन्न करने वाले सेल्स में से 90% से अधिक नष्ट हो जाते हैं जिससे पैंक्रियाज़ या तो इंसुलिन बनाना बंद कर देता है या बहुत कम मात्रा में बनाता है। टाइप 1 डायबिटीज़ 30 वर्ष की उम्र से पहले ही हो जाता है और इसमें वातावरण संबंधी फ़ैक्टर्स और जेनेटिक प्री-डिस्पोजिशन्स शामिल हो सकते हैं। [१२]
    • टाइप 2 डायबिटीज़: इसमें पैंक्रियाज़ तो इंसुलिन बनाता रहता है बल्कि ज्यादा ही इंसुलिन बनाता रहता है परंतु शरीर में इंसुलिन के प्रति रेजीस्टेन्स उत्पन्न हो जाने के कारण शरीर अपने आवश्यकता के अनुसार इंसुलिन का उपयोग नहीं कर पाता है परिणामस्वरूप ब्लड शुगर लेवेल्स लगातार हाई ही बने रहते हैं। वैसे तो इस तरह की डायबिटीज़ बच्चों और किशोरों में भी हो सकता है परंतु आमतौर पर यह 30 वर्ष से अधिक उम्र वालों में शुरू हो जाता है और जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है यह और कामन हो जाता है। आवश्यकता से अधिक वज़न होना टाइप 2 डायबिटीज़ के लिए सबसे बड़ा जोखिम होता है।
    • जेस्टेशनल डायबिटीज़: इस तरह की डायबिटीज़ कुछ महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान उत्पन्न हो जाती है। यदि इसकी पहचान या इलाज़ नहीं किया गया तो इसके गंभीर साइड इफ़ेक्ट्स माँ को चोट पहुंचा सकते हैं और अजन्मे बच्चे के लिए हानिकारक हो सकते हैं। यदि प्रसव के बाद जेस्टेशनल डायबिटीज़ ठीक हो जाता है तब भी जीवन के किसी भी समय में आपको टाइप 2 डायबिटीज़ होने की संभावना बढ़ जाती है।
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    टाइप 2 डायबिटीज़ से जुड़े खतरों को जानें: डायबिटीज़ आपके जीवन को कैसे कुप्रभावित करता है इस बात को समझने से आप इस बीमारी कांप्लिकेशन्स से बचने के लिए अपने जीवन-शैली और डाइट में आवश्यक परिवर्तन करने के लिए मोटिवेट होते हैं। टाइप 2 डायबिटीज़ के कुछ कांप्लिकेशन्स काफी गंभीर हो सकते हैं। संभावित कांप्लिकेशन्स में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:
    • स्किन और नर्व्ज में होने वाले ब्लड सप्लाई में कमी
    • ब्लड वेसेल्स में फ़ैटी पदार्थों और ब्लड क्लाट्स का जमना (एथीरोस्क्लेरोसिस)
    • हार्ट फेल्योर, हार्ट अटैक या स्ट्रोक
    • आँखों को नुकसान पहुँचना जिससे स्थायी तौर पर दृष्टि का कमजोर होना
    • रीनल (किडनी) फेल्योर
    • नर्व डैमेज (नम्बनेस और दर्द और फंक्शन की हानि सहित)
    • इन्फ़्लेमेशन, इन्फेक्शन और स्किन का ब्रेक-डाउन खासकर पैरों के
    • एंजाइना (हार्ट-पेन)
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    टाइप 2 डायबिटीज़ के कंट्रोल किए जा सकने वाले रिस्क-फ़ैक्टर्स को पहचानें: कुछ ऐसे रिस्क फ़ैक्टर्स जो आपके डायबिटीज़ के जोखिम को बढ़ा सकते हैं परंतु आपके कंट्रोल में भी होते हैं। डायबिटीज़ के रिस्क फ़ैक्टर्स, जो डाइट और लाइफ-स्टाइल को बदल कर नियंत्रित किए जा सकते हैं, में निम्नलिखित शामिल हैं:
    • मोटापा: बाडी-मास इंडेक्स के 29 से अधिक होने से आपके डायाबेटिक होने की संभावना 4 में से 1 हो जाती है। [१३] वज़न घटने से आपको टाइप 2 डायबिटीज़ होने की संभावना काफी कम हो जाती है।
    • हार्ट डिजीज़ या हाई कोलेस्ट्राल की डाइग्नोसिस: कार्डियो-वैस्कुलर रिस्क्स में हाई ब्लड-प्रेशर, लो HDL कोलेस्टराल और हाई एलडीएल कोलेस्ट्राल शामिल होते हैं और एक अध्ययन यह भी दर्शाता है यूरोप में 4 व्यक्तियों में से 1 जो उपरोक्त रिस्क फ़ैक्टर्स से पीड़ित थे वे प्री-डायाबेटिक भी थे। [१३] डाइट और एक्सर्साइज़ दोनों ही आपके हार्ट डिजीज़ और हाई कोलेस्टराल के रिस्क को कम करने में सहायता कर सकते हैं।
    • ज्यादा शुगर वाली डाइट, [१४] कोलेस्ट्राल, फैट और प्रासेस्ड फूड: डाइट का डायबिटीज़ से काफी नजदीकी रिश्ता है। इसलिए स्वास्थ्यप्रद खाद्य पदार्थों पर ध्यान दें।
    • एक्सर्साइज़ अनियमित रूप से करना या बिलकुल ही नहीं करना: सप्ताह में 3 बार से कम एक्सर्साइज़ करने से आपको डायबिटीज़ होने का खतरा बढ़ जाता है। [१०] अपने दैनिक जीवन में फिजिकल ऐक्टिविटी को शामिल करने का प्रयास करें।
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    डायबिटीज़ के जिन खतरों को आप कंट्रोल नहीं कर सकते हैं उन्हें स्वीकार करें: कुछ ऐसे रिस्क फ़ैक्टर्स होते हैं जो डायबिटीज़ के खतरे को बढ़ाते हैं और उन पर आपका कोई भी कंट्रोल नहीं होता है। तथापि इन फ़ैक्टर्स की जानकारी होने से आपको इस बीमारी के होने के सम्पूर्ण रिस्क का आकलन करने में सहायता मिलती है। रिस्क फ़ैक्टर्स में निम्नलिखित शामिल हैं:
    • 45 वर्ष से अधिक आयु का होना: इस बात को जानें कि जिन महिलाओं में अभी मेनोपाज़ नहीं हुआ है उनका एस्ट्रोजेन लेवेल ही इंसुलिन रेजिस्टेन्स पैदा करने वाले फैटी एसिड का सफाया करने में और इंसुलिन द्वारा ग्ल्युकोज अवशोषित किए जाने में सहायता प्रदान करता है। [१५]
    • माँ-बाप, भाई-बहन या परिवार के किसी अन्य सदस्य को टाइप 2 डायबिटीज़ है या था: यह आपके अंदर उस जीन के होने को दर्शा सकता है जो डायबिटीज़ होने की प्रवृत्ति का द्योतक है। [१३]
    • स्पेनिश, अफ्रीकन अमेरिकन, नेटिव अमेरिकन, एशियन या पैसिफिक आइलैंडर का वंशज होना: ह्वाइट अमेरिकन्स की तुलना में इन सभी उप-समूह के लोगों में डायबिटीज़ का खतरा लगभग दो गुना होता है। [१३]
    • प्रेग्नेन्सी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज़ का अनुभव होना: जिन महिलाओं ने जेस्टेशनल डायबिटीज़ का अनुभव किया है उनमें से 40% तक महिलाओं को आगे चल कर टाइप 2 डायबिटीज़ होने का खतरा होता है।
    • जन्म के समय जिनका वज़न कम रहा हो: जन्म के समय जिन बच्चों का वज़न सामान्य से कम होता है उनमें डायबिटीज़ होने का खतरा ज्यादा होता है तदनुसार जिन बच्चों का वज़न 2.49 किलोग्राम से कम होता है उनमें डायबिटीज़ होने का खतरा 23% ज्यादा होता है और जिन बच्चों का वज़न 2.26 किलोग्राम से कम होता है उनमें डायबिटीज़ होने का खतरा 76% ज्यादा होता है। [१३]
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    शीघ्र कार्यवाही करें: ठीक न हो सकने वाले नुकसान के होने से पहले हाई ब्लड प्रेशर को ठीक किया जा सकता है। [१६] यदि आपको डायबिटीज़ से सम्बद्ध खतरे हों तो आपके लिए नियमित रूप से ब्लड और यूरीन टेस्ट करवाना और रिस्पान्स के रूप में अपने लाइफ-फ़ैक्टर्स पर नियंत्रण करना महत्वपूर्ण हो जाता है। यदि टेस्ट से पता चलता है कि आप प्री-डायाबेटिक हैं तो भविष्य में आपको टाइप 2 डायबिटीज़ होने का खतरा ज्यादा होता है। प्री-डायबिटीज़, मेटाबोलिक सिंड्रोम का एक हिस्सा होता है जो “रिस्क फ़ैक्टर्स का एक समूह होता है जैसे कि हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर, कोलेस्ट्राल का अस्वस्थ स्तर और ऐब्डामिनल फैट ।" [१७] जहां इस तरह की डायाग्नोसिस डरावनी हो सकती है वहीं अपने स्वास्थ्य को वापस पाने और अपने लाइफ-स्टाइल में बदलाव लाकर, टाइप 2 डायबिटीज़ को रिवर्स करने का यह एक सुअवसर भी होता है।
    • यदि आपका ब्लड शुगर सामान्य से अधिक हो तो आप प्री-डायाबेटिक माने जाते हैं। यह आपके शरीर में हो रहे मेटाबोलिक ब्रेक-डाउन का मुख्य सूचक होता है जो यह बताता है कि आप टाइप 2 डायबिटीज़ की ओर अग्रसर हो रहे हैं। [१८]
    • अमेरिकन डायबिटीज़ एसोसिएशन की चेतावनी के अनुसार प्री-डायबिटीज़ को रिवर्स किया जा सकता है परंतु यदि अनदेखी की गई तो 10 वर्षों के अंदर आपको 100% टाइप 2 डायबिटीज़ होने का खतरा होता है। [१९]
    • सीडीसी के सलाह के अनुसार यदि किसी की उम्र 45 वर्ष से ऊपर हो तो उसे डायबिटीज़ की जांच करवानी चाहिए विशेषकर यदि उसका वज़न भी निर्धारित वज़न से ज्यादा हो [१०] ,और जिन लोगों की उम्र 45 वर्ष से कम हो उन्हें डायबिटीज़ की जांच तब करवानी चाहिए जब उनका वज़न अधिक हो और डायबिटीज़ से सम्बद्ध कोई अन्य खतरा भी हो।
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    दुबारा भी जांच करवाएँ: अपने डाइट और एक्सर्साइज़ की आदतों में सुधार करने के 6 महीने बाद यह देखने के लिए फिर से जांच करवाएँ कि आपका ब्लड शुगर कितना परिवर्तित हुआ है।
    • हमेशा अपने डाक्टर के साथ मानिटरिंग करें। अपने डाक्टर की सलाह का पालन करें। किसी रेयर (rare) मामले में टाइप 2 डायबिटीज़ के खतरे को कम करने के लिए आपका डाक्टर कोई दवा जैसे कि मेटफारमिन लेने की सलाह दे सकता है। [२०]
    • यदि आपको सहायता की आवश्यकता हो तो किसी रजिस्टर्ड डाइटीशियन से बात करें जो आपके मील प्लान को बनाने में आपकी सहायता कर सकता है।

सलाह

  • यदि आपको डायबिटीज़ का खतरा हो तो अपने मूत्र और ब्लड की मानिटरिंग के लिए आप पहले से ही अपने डाक्टर से अप्वाइंटमेंट ले लें। समय पर अप्वाइंटमेंट के लिए अपने फोन में या आन-लाइन कैलेंडर में एलार्म लगा लें।
  • नीदरलैंड में किए गए एक अध्ययन के अनुसार जो लोग अपने डाइट में आलू, मछली, सब्जियाँ और लेग्यूम्स ज्यादा मात्रा में लेते हैं उन्हें डायबिटीज़ का खतरा कम होता है। [२१]
  • यह नोट किया गया है कि बोतल का दूध पीने वाले बच्चों की तुलना में माँ का दूध पीने वाले बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज़ होने का खतरा कम होता है। [२२]

चेतावनी

  • डायबिटीज़ का इलाज़ न करने से हार्ट डिजीज़ हो सकता है जो आगे चलकर मृत्यु का कारण बन सकता है। यदि आपको पता चले कि आपको डायबिटीज़ का खतरा है या टेस्ट से पता चले कि आप प्री-डायबिटीज़ हैं तो अपने लाइफ-स्टाइल में परिवर्तन करके उस कंडीशन को रिवर्स करें और डायाबेटिक होने से बचें।
  • अपने डाइट और लाइफ-स्टाइल में किए जाने वाले बड़े बदलाव से पहले हमेशा अपने डाक्टर से बात करें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि होने वाले बदलाव आपके लिए सुरक्षित हैं।

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रेफरेन्स

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