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याद हैं बचपन के वो दिन जब आप अपनी विशेष पसंद की कहानी की पुस्तक पढ़ते समय कहानी की दुनिया में खो जाते थे? हम बच्चों को अपने जीवन के अनुभवों से कुछ सिखाने, या हँसाने, खुश करने व प्रेरणा देने के लिए पुस्तकें लिखते हैं और अपने बचपन की भावनाओं को फिर से सजीव करते हैं। बच्चों की पुस्तक को एक अद्भुत कल्पना से शुरू करके प्रकाशक के हाथ में संपूर्ण मैनुस्क्रिप्ट पहुँचाने तक की विभिन्न स्टेप्स की रूप रेखा यहाँ बतायी गई है।
चरण
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अनेक बच्चों की पुस्तकें पढ़ें: बच्चों की पुस्तक के लिए आइडियाज पर विचार करते समय और लोगों की किताबें पढ़ने से सहायता मिलती है। अपने पुस्तकालय या बच्चों की पुस्तकों की दुकान में जाकर कुछ घंटे ब्राउज करें। यह समझने की कोशिश करें कि कौन सी पुस्तकें आपको सबसे अच्छी लगती हैं और क्यों।
- आप अपनी पुस्तक में चित्र भी बनायेंगे या सिर्फ टेक्स्ट रखेंगे?
- आप फिक्शन लिखेंगे अथवा नॉन-फिक्शन? जानकारी की पुस्तकें लिखने के लिए विषय संबंधी अन्वेषण एवं ज्ञान जरुरी है। आप यह कार्य अच्छी तरह कर सकते हैं यदि आप किसी विषय में निपुण हैं जैसे डाइनोसॉर्स, मिटीओर्स या मशीनरी।
- अच्छे फिक्शन की प्रेरणा के लिए प्रतिष्ठित पुस्तकें पढ़ें। हाल में लिखी गई पुस्तकों को ही नहीं - बल्कि प्राचीन कहानियों को पढ़ें और उनके इतने समय तक लोकप्रिय रहने व अमर होने का कारण जानने की कोशिश करें। उदाहरण के लिए प्रसिद्ध पुस्तकें जैसे पंचतंत्र, अकबर बीरबल की कहानियाँ आदि पढ़कर देखें।
- परियों की कहानियाँ पढ़कर देखें। आजकल मनोरंजन की दुनिया में परियों की कहानियों में अत्यधिक रूचि जागृत हो रही है। इसलिए उन्हें मॉडर्न मोड़ दिया जा रहा है। परियों की बहुत सी कहानियाँ पब्लिक डोमेन में हैं। आप आराम से उनके कैरेक्टर्स व प्लॉट्स को लेकर बिलकुल नयी कहानियाँ बना सकते हैं!
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सोंच कर देखें कि आप किस अवस्था के बच्चों के लिए लिखना पसन्द करेंगे: "बच्चों की पुस्तकें" एक व्यापक टर्म है जिसमें एक पृष्ठ पर एक शब्द वाली बोर्ड पुस्तकों से लेकर मिडिल स्कूल व युवकों के लिए नॉवेल्स और नॉन-फिक्शन जानकारी की पुस्तकें आ जाती हैं। आप चाहते हैं कि आपकी कहानी मनभावन हो तो उसका प्लॉट, कंटेन्ट व थीम रीडर्स की उम्र के अनुसार रखें (याद रखें कि माता पिता ही निर्णय लेंगे कि बच्चे आपकी पुस्तक पढ़ें अथवा नहीं)।
- छोटी उम्र वाले बच्चों के लिए चित्रों वाली पुस्तक बनायें। रंगीन होने की वजह से उन्हें छापने में अधिक खर्च होता है। यह अच्छा है कि वह छोटी होती हैं किन्तु रूचि व आकर्षण बनाये रखने के लिए उन्हें बहुत ही रोमांचक ढंग से लिखना चाहिए।
- चैप्टर पुस्तकें व नॉन-फिक्शन/जानकारी की पुस्तकें बड़े बच्चों के लिए होती हैं। सरल रीडर्स से आरम्भ करके युवकों की नॉवेल्स तक इसमें बहुत स्कोप है पर इसके लिए अन्वेषण की जरूरत होती है और काफी लिखना पड़ता है।
- कविताओं व लघु कहानियों की अन्तःशक्ति को नज़र अन्दाज न करें। इनमें से कोई भी लिखें, आप देखेंगे कि ये दोनों भी बच्चों को अत्यंत प्रिय हैं।
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यह निर्धारित करें कि आपकी पुस्तक में शब्द ज़्यादा होंगे या चित्र, या दोनों का संयोजन होगा। छोटी उम्र के रीडर्स के लिए पुस्तक में टेक्स्ट के साथ बहुत से चित्र भी होने चाहिए। यदि आप कोई चित्रकार हैं आप स्वयं चित्र बनायें - जैसा की बहुत से लेखक करते हैं। अन्यथा चित्रकारी के लिए किसी प्रोफेशनल इलस्ट्रेटर को हायर करें। बड़ी उम्र के बच्चों के लिए मानचित्र, रेखा चित्र व एक दो ब्राइट छवियाँ काफी हैं; कभी कभी बिना छवि के भी काम चल सकता है।
- चित्रों का चयन करने से पहले, अपने हिसाब से हर एक पृष्ठ के साथ मैच करने वाले चित्रों की रूप रेखा बनायें। इससे आप पोटेंशियल इलस्ट्रेटर को स्पष्ट रूप से अपने आइडियाज बता सकेंगे और आपको संपादन के अगले चरण में सहायता मिलेगी।
- प्रत्येक इलस्ट्रेटर की शैली भिन्न होती है। इसलिए चुनाव करने से पहले अच्छी तरह अन्वेषण करना आवश्यक है। इलस्ट्रेटर्स की ऑनलाइन खोज करें व प्रोफेशनल पोर्टफोलिओस को देखें। मान लीजिये आपके बजट में एक इलस्ट्रेटर को हायर करना संभव नहीं है आप अपने किसी आर्टिस्टिक मित्र या परिवार के सदस्य से अपनी कहानी का आर्टवर्क (चित्रकारी) करवा सकते हैं।
- आप चाहें तो फोटोग्राफी का ऑप्शन उपयोग करके छवियाँ सम्मिलित कर सकते हैं। तस्वीरें खींचने में रूचि हो तो रियल लाइफ सीनरी व स्टफ्ड खिलौनों के स्टिल्स (अचल/स्थायी चित्र) इत्यादि खींचकर इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त डिजिटल फोटो प्रोग्राम का उपयोग करके फोटोग्राफी के अन्य एलिमेंट्स भी जोड़ सकते हैं।
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सर्वप्रथम अपनी कहानी के प्रमुख कॉम्पोनेंट्स निश्चित करें: अपने आइडियाज एक नोटबुक में जौट डाउन करें। ध्यान में रखने के लिए कुछ मौलिक तत्त्व:
- सभी महान कहानियों में चाहें वो बच्चों के लिए हों या बड़ी उम्र वालों के लिए, एकसे मौलिक एलिमेंट्स होते हैं: एक मुख्य कैरेक्टर, सपोर्टिंग कैरेक्टर, एक रुचिकर सेटिंग एवं एक प्लॉट जिसमें सेंट्रल कॉनफ्लिक्ट (केंद्रिय संघर्ष), ट्रबल ब्रूइंग (उमड़ती हुई परेशानी), एक क्लाइमेक्स (चरम सीमा), व एक रेसोलुशन (समाधान) हो।
- नॉन फिक्शन या इन्फोर्मेशनल वर्क्स: यह पुस्तक रीडर को इतिहास, लोगों, घटनाओं, व असलियत की जानकारी प्रदान करती है या किस प्रकार कुछ करना चाहिए यह समझाती है।
- सचित्र पुस्तकें: इस प्रकार की पुस्तकों में बहुत ज़्यादा इलस्ट्रेशन, अधिकतर रंगीन चित्रों की आवश्यकता होती है। इसलिए छापने में अधिक पैसे लगते हैं। सीमित टेक्स्ट को उच्च स्तर का व ओरिजिनल होना चाहिए - कम शब्दों में एक उत्कृष्ट कहानी प्रस्तुत करना एक कला है।
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आप चाहें तो फिक्शन वर्क्स में मेसेज इंकॉर्पोरेट करें: बच्चों की कई पुस्तकों में सकारात्मक शिक्षा सम्मिलित होती है। यह मेसेज सिंपल "सबके साथ मिल बाँट कर रहो" से लेकर अधिक कॉम्प्लेक्स टॉपिक्स जैसे किसी प्रिय व्यक्ति की मृत्यु को हैंडल करना या कैसे बड़े इश्यूज पर विचार करना जैसे पर्यावरण की देखभाल और दूसरों के कल्चर्स का आदर करने के बारे में हो सकती है। स्ट्रेटफॉरवर्ड मेसेज देने की आवश्यकता नहीं है। मेसेज सूक्ष्म रूप से देनी चाहिए, उसे इम्पोस न करें - ऐसा करने से बच्चे आपकी कहानी पसंद नहीं करेंगे।
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रचनात्मक बनें: मान लीजिये आप फिक्शन लिख रहे हैं कुछ अनोखा, सिली, नर्डी, ड्रीमी, फैन्टास्टिकल लिखें। बचपन में आपको किससे प्रेरणा मिली? उन आइडियाज को एक्स्प्लोर करें। इसका मतलब यह नहीं है कि आप बिना वजह कुछ भी बकवास लिखें। अपने कैरेक्टर को ध्यान में रखकर लिखें। रीडर्स तुरन्त मिथ्या लेख को पहचान लेते हैं व पुस्तक नीचे रख देते हैं। यदि नॉन-फिक्शन लिख रहे हैं आने वाली पीढ़ियों के चेफ़्स, इंजीनियर्स व आर्टिस्ट्स के साथ अपने ज्ञान एवं अन्वेषण को शेयर करने का ये अच्छा मौका है। रचनात्मक होने के साथ परिशुद्धि भी महत्वपूर्ण है - ध्यान रखें कि कन्टेंट में एक फाइन बैलेंस हो, कन्टेंट हल्का हो, बच्चों की समझ के बाहर न हो और वे उसे कर सकें।
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अपनी प्रथम ड्राफ्ट लिखें: सुनने में कैसी लगती है इस बात की चिंता न करें - अभी आप किसी को दिखाने नहीं जा रहें हैं। अपनी कहानी या पुस्तक की रूप रेखा कागज़ पर लिखने की ओर अपना ध्यान केंद्रित करें। उसे सभ्य बनाने के बारे में बाद में सोचें। इस रौंग-एंड पर्फेक्शनिस्म की वजह से अनेक पुस्तकें विफल हुई हैं - लाल कलम शब्दों को कागज पर लिखने के "पश्चात" ही बाहर निकालें।
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लिखते समय अपने रीडर्स की उम्र को ध्यान में रखें: आपके शब्दों का चयन, वाक्य विन्यास, वाक्य की लम्बाई सब उस उम्र के लायक होनी चाहिए। यदि आपको कोई शंका हो उस उम्र के बच्चों से बातचीत करें। अपनी पुस्तक में जिन शब्दों को आप इस्तेमाल करने के लिए उत्सुक हैं उनका प्रयोग करके देखें कि वे उन्हें कितना समझते हैं। यद्यपि बच्चों की लर्निंग बढ़ाना अच्छा है किन्तु इतना भी विस्तार न करें कि हर दूसरे शब्द के लिए उन्हें शब्दकोश का उपयोग करना पड़े!
- अपने आइडियाज को स्पष्ट रूप से संक्षिप्त वाक्यों में व्यक्त करें। लेख किसी भी उम्र के लिए हो यह एक अच्छे लेख का मौलिक तत्त्व है। बच्चों के लिए इसका विशेष महत्त्व है। वे अभी वाक्यों का अर्थ समझना सीख रहे हैं।
- अपने रीडर्स की इन्टेलिजेंस को अंडर एस्टीमेट न करें। बच्चे बहुत होशियार होते हैं उन्हें अल्प बुद्धि समझकर न लिखें। वे शीघ्र ही आपकी पुस्तक से बोर हो जायेंगे। उम्र के अनुकूल थीम व वाक्यों को सरल होना चाहिए किन्तु लिखने का सिद्धांत रीडर्स को मोहित करे यह परम आवश्यक है।
- समय के साथ चलें, अप-टू-डेट रहें। सिर्फ इसलिए कि किसी चीज़ में आपको रूचि नहीं है या आपके लिए बहुत तकनीकी है आप उसका परिवर्जन नहीं कर सकते हैं। बच्चे कर्रेंट भाषा के टर्म्स व कॉन्सेप्ट्स पढ़ना चाहते हैं। अर्थात अपनी कहानी या जानकारी को यथार्थ रूप से पेश करने के लिए आपको भी प्रोग्रैमिंग के बारे में या टेक्सटिंग लिंगो सीखना चाहिए। इस लर्निंग के अवसर का उत्सुकता से स्वागत करें!
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फिक्शन की पुस्तक के अन्त में एक समाधान या उचित परिणाम प्रदान करें: ज़रूरी नहीं है कि कहानी का अंत हमेशा सुखद हो - ये आपके युवा रीडर्स के लिए एक अपकार हो सकता है क्योंकि वास्तविक जीवन में ऐसा नहीं होता है। पुस्तक का अंत भी अन्य भागों के समान प्रभावशाली होना चाहिए। कहानी को अचानक अंत न करें एवं अंत को कहानी से सही तरह से जोड़े जिससे वह डिसजोइन्टेड न लगे। कभी कभी एक अंतराल के बाद पुस्तक का अंत लिखना अच्छा होता है। इस बीच में एक उपयुक्त अंत आपके मन में शेप हो सकता है; यद्यपि बहुत से लोगों को किताब आरम्भ करने के पूर्व ही कंक्लूशन ज्ञात होता है।
- नॉन-फिक्शन वर्क को समाप्त करने के लिए हमेशा किसी प्रकार का कंक्लूशन देने का प्रयास करें। यह टॉपिक के भविष्य का अवलोकन हो सकता है। पुस्तक से प्राप्त होने वाले मुख्य पॉइंट्स का सारांश या फिर आपके अनुमान में रीडर्स इसके उपरांत क्या करना/पढ़ना/सीखना चाहेंगे इसपर कुछ विचार हो सकते हैं। आप कोई भी तरीका अपनायें उसे छोटा रखें। एक युवक नॉन-फिक्शन वर्क के अंत में आधे पृष्ठ से अधिक पढ़ना नहीं पसंद करेगा।
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अपनी मैनुस्क्रिप्ट को रिवाइस करें: इस स्टेप को मैनुस्क्रिप्ट के सभ्य होने तक दोहराते रहना चाहिए। आपको ज्ञात हो सकता है कि कहानी के कई पूरे पूरे अंश क्रियाशील नहीं हैं या एक नवीन कैरेक्टर की ज़रुरत है। इलस्ट्रेटर के साथ काम करते समय आपको पता चलेगा कि चित्रकारी आपकी कहानी की टोन बदल सकती है। मैनुस्क्रिप्ट को कई बार पास करके अन्य लोगों को दिखाने योग्य बनायें।
- लेट गो करना सीखें। एक वर्क को परफेक्ट करने के लिए आप घंटों मेहनत करें। उसके बाद में आपको मालूम हो कि वह उपयुक्त नहीं है निसंदेह उसको लेट गो करना (त्याग करना) आपके लिए बहुत कठिन है। किन्तु यह लेखक होने का अंश है। अवांछित भागों को जानना व उनका त्याग करना लिखने का अभिन्न हिस्सा है। निष्पक्षता के लिए एक अंतराल के बाद रिफ्रेश होकर कार्य करें।
- स्पेलिंग व व्याकरण जाँचते हुए आगे बढ़ें। प्रत्येक संस्कार आपकी पुस्तक की अंतिम क्वॉलिटी सुधारने में सहायक होगा।
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अन्य लोगों को अपनी मैनुस्क्रिप्ट दिखायें: सर्वप्रथम अपने परिवार के सदस्यों व मित्रों को मैनुस्क्रिप्ट दें। आपके प्रिय जनों से स्ट्रेटफॉरवर्ड रिऐक्शन मिलने की कम संभावना है। वे आपकी भावनाओं को ठेस नहीं पहुँचाना चाहेंगे। इसलिए अपनी मैनुस्क्रिप्ट के बारे में ऑनेस्ट फीडबैक के लिए अन्य लेखकों से सम्पर्क करने या एक लेखकों का समूह बनाने के बारे में विचार करें।
- अपनी मूल ऑडियंस को पुस्तक दिखाना न भूलें: बच्चे। बच्चों को अपनी कहानी पढ़कर सुनायें और देखें कि क्या वह उन्हें "समझ में आ रही है", किस भाग में वे बोर हो रहे हैं, इत्यादि।
- विचार करके देखें कि आपकी पुस्तक माता पिता, शिक्षकों व लाइब्रेरियन्स को आकर्षित करती है या नहीं। मूल रूप से वे ही आपकी किताब खरीदेंगे इसलिए उसे उनके लिए भी रुचिकर होना चाहिए।
- विभिन्न सोर्सेस से फीडबैक मिलने के उपरांत, दुबारा अपनी मैनुस्क्रिप्ट का संपादन करें।
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स्वयं प्रकाशित करें: वर्तमान प्रकाशन की दुनिया में यह एक वायेबल व आदरणीय ऑप्शन है। स्वयं प्रकाशित करने में सहायक कम्पनीज की ऑनलाइन खोज करें। आप चाहें तो एक ईबुक बनायें नहीं तो कौपीस छाप सकते हैं। स्वयं प्रकाशित करते समय आप जितना कम या ज़्यादा पैसा खर्च करना चाहें उतना कर सकते हैं। इससे आप पारम्परिक पुस्तक प्रकाशित करने की लम्बी प्रोसेस से बच सकते हैं।
- कुछ स्वयं प्रकाशित करने वाली कम्पनीज अन्य कम्पनीज की तुलना में उच्च क्वॉलिटी की सुविधायें प्रदान करती हैं। कंपनी का चयन करने के पूर्व देखें कि वे किस प्रकार का कागज़ इस्तेमाल करती हैं व उनके द्वारा प्रकाशित पुस्तकों के कुछ नमूने प्राप्त करने का प्रयत्न करें।
- पुस्तक को स्वयं प्रकाशित करने पर भी आप समीप के पारम्परिक प्रकाशन गृह से प्रकाशित करवा सकते हैं। वास्तव में अब आप उन्हें पिच के साथ संपूर्ण पुस्तक का एक नमूना भी भेज सकते हैं। वह देखने में सुन्दर हो तो आपको अन्य जमा करी हुई मैनुस्क्रिप्टस में से तरजीह मिल सकती है।
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एक लिटरेरी एजेंट की खोज करें: एक पारम्परिक प्रकाशन गृह द्वारा अपनी पुस्तक को प्रकाशित करने की हार्दिक इच्छा हो तो इस प्रोसेस के लिए एक एजेंट नियुक्त करना अत्युत्तम है। बच्चों की किताबों के क्षेत्र में काम करने वाले एजेंट्स की खोज करें। सब देशों में ऐसी एजेंट्स की संस्थाएं होती हैं।
- एजेंट्स को क्वेरी पत्र व पुस्तक की सिनौप्सिस भेजें। उन्हें रूचि होगी तो वे आपसे मैनुस्क्रिप्ट मांगेगे। उनका उत्तर प्राप्त करने में कई हफ्ते या महीने लग सकते हैं।
- यदि कोई एजेंट आपकी पुस्तक का चयन न करे आप अपना क्वेरी पत्र सीधे अनसॉलिसिटेड मैनुस्क्रिप्टस को स्वीकार करने वाले प्रकाशकों को भेज सकते हैं। अपनी पुस्तक के समान पुस्तकें प्रकाशित करने वाली कम्पनीज की खोज करें व प्रकाशकों से संपर्क करें।
- मान लीजिये कोई एजेंट आपकी पुस्तक चुन लेता है वह पुस्तक को पोटेंशियल प्रकाशकों के लिए अधिक आकर्षक बनाने के उद्देश्य से आपको मैनुस्क्रिप्ट में कुछ रिवीजन्स करने को कहेगा। इस प्रकार मैनुस्क्रिप्ट को तैयार करके वह जिन प्रकाशकों को राइट फिट समझेगा उन्हें पिचिस भेजेगा। एक बार फिर इस प्रोसेस में कई महीनें लग सकते हैं और पक्का नहीं है कि पुस्तक प्रकाशित होगी।
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सिर्फ लोकल कंसम्पशन के लिए प्रकाशित करें: बच्चों की पुस्तक लिखना स्वयं ही एक उपलब्धि है। यदि इच्छा न हो तो व्यापक प्रकाशन करना आवश्यक नहीं है। कभी कभी सिर्फ गिने-चुने लोगों के साथ शेयर करना ज़्यादा पर्सनल लगता है। आप चाहें तो अपनी मैनुस्क्रिप्ट को कॉपी स्टोर में कॉपी व बायिंड करें। इन्हें आप अपने कुछ मित्रों एवं परिवार के बच्चों को दे सकते हैं। अनेक कॉपी स्टोर्स प्रोफेशनल प्रतीति की रंगीन बुकलेट्स छाप के बायिंड करने की सुविधा प्रदान करते हैं।
सलाह
- प्लेफुल भाषा इस्तेमाल करें। बच्चे निसंकोच होकर अपनी क्रिएटिविटी व ह्यूमर अभिव्यक्त करते हैं। इसलिए मजाकिया शब्द व वाक्यांश के उपयोग से कहानी में उनकी रूचि बनी रहेगी।
- बच्चों के पसंद की बातें अपनी पुस्तक में व्यक्त करें। घर में कोई बच्चा हो तो उसे कौन सी कहानियाँ पसंद हैं यह जानने की कोशिश करें व चाहें तो उससे रिलेट करें। इसमें आपको मज़ा आयेगा।
- ऐंथ्रोपोमॉर्फिसम के बारे में दो बार सोंचे। संपादकों के पास इस प्रकार की अनेक कहानियाँ आती हैं जिनमें बोलते हुए टर्निप ,ट्राउट व मिनरल कलेक्शंस होते हैं। इसलिए इस तकनीक वाली पुस्तकों को बेचना कठिन है यदि वे सही ढंग से न लिखी गई हों।
- अधिकांश बच्चों की पुस्तकें एक सहयोगपूर्ण प्रयास होतीं हैं। इलस्ट्रेटर हायर करते समय उसके साथ क्रेडिट बाँटने के लिए तैयार रहें।
- वर्स, विशेष रूप से राइमिंग वर्स सही हाथों में प्रभावशाली हो सकता है। अक्सर ऐसा नहीं होता है। कहानी को अन्य किसी भी तरीके से सुनाना संभव न हो, ऐसे में वर्स उपयुक्त है। यदि आप वर्स के रूप में लिखना चाहें, स्वंत्र वर्स का उपयोग करें। वर्स को राइम में लिखने के लिए राइमिंग शब्दकोश इस्तेमाल करें।
- आप किस उम्र के बच्चों के लिए किताब लिखना चाहते हैं, छोटे बच्चे या बड़ी उम्र के बच्चे, यह ज्ञात करें।
- हमेशा रीडर्स की उम्र के अनुकूल पुस्तक लिखें। उदाहरण के लिए बच्चों की पुस्तक में स्वेर वर्ड्स या बड़ी उम्र वालों की नॉवेल्स में शिशुओं के शब्द न इस्तेमाल करें।
चेतावनी
- बच्चों के लिए पुस्तकें लिखकर कमाने वालों की संख्या कम है। यद्यपि यह जीविका के लिए एक कठिन उद्योग है जब तक संभव हो आप इसे क्विट न करें। यह एक अच्छी हॉबी व पास्टाइम है। मान लीजिये आप व्यापक रीडरशिप प्राप्त करने में सफल हो जाते हैं एवं डिसेंट राशि कमा लेते हैं आप इसे अपने भविष्य का करियर बनाने के बारे में विचार कर सकते हैं।