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आपको घर में आए नए बिल्ली के बच्चे के मालिक होने पर गर्व होगा! यह प्यारा सा जानवर बहुत तेजी से बढ़ रहा होगा और इसकी बहुत सारी जरूरतें होंगी। लेकिन यह बिल्ली का बच्चा कभी-कभी रोता भी होगा, जिससे आप काफी परेशान हो जाते होंगे। उसके रोने का कारण जानकर आप उसे आराम पहुंचा सकते हैं और आप उसका रोना बंद करके उसके साथ एक अच्छा रिश्ता काय़म कर सकते हैं।

भाग 1
भाग 1 का 2:

बिल्ली के बच्चे के रोने का कारण पता करें

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  1. बिल्ली के बच्चे के विकास के बारे में जानकारी रखें: बिल्ली के बच्चे का विकास कई चरणों में होता है। इन चरणों के बारे में जानकर आप पता लगा सकते हैं कि आपका बिल्ली का बच्चा क्यों रो रहा है और उसे आराम पहुंचा सकते हैं। बिल्ली के बच्चे के विकास के चरण कुछ इस प्रकार हैं:
    • पैदाइश से लेकर अगले 2 सप्ताह तक: इस अवधि में बच्चा ध्वनि की तरफ आकर्षित होता है और इन्हीं दिनों में उसकी आँखें खुलती हैं, अपनी माँ और उसके दूसरे भाई-बहनों से अलग किए जाने की वजह से भी उसके व्यवहार में परिवर्तन देखने को मिल सकता है।
    • 2 से सातवें हफ्ते तक: इस अवधि में बच्चा मिलना-जुलना और खेलना-कूदना शुरू कर देता है और 6 से 7 हफ्ते का होते-होते दूध भी पीना छोड़ देता है, लेकिन कई बार कुछ बच्चे इसके बाद भी मज़े के लिए दूध पीना जारी रखते हैं।
    • 7 से 14 हफ़्तों तक: इस दौरान आपके बिल्ली के बच्चे का मिलना-जुलना और बढ़ जाएगा और इसके शरीर की मांसपेशियों के बीच में तालमेल बनना शुरू हो जाएगा। लेकिन इस अवधि में इसको इसकी माँ और भाई-बहनों से अलग नहीं करना चाहिए, जब तक कि यह 12 हफ्ते का ना हो जाए, ताकि संभावित दुर्व्यवहार की समस्या को कम किया जा सके। [१] इसके साथ-साथ यह बात भी सामने आई है कि जिन बिल्ली के बच्चों को शुरुआती सात हफ्तों तक रोजाना 15 से 40 मिनट के लिए दुलार से रखा जाता है, उन बच्चों के मस्तिष्क का विकास तेजी से होता हैI [२]
  2. बिल्ली के बच्चे कई कारणों से रोते हैं, माँ से अलग किये जाने की वजह से लेकर भूखे होने की वजह भी इनके रोने का कारण हो सकती है। इन बातों की जानकारी होने से आप बच्चे के रोने की वजह जान सकते हैं और उसकी आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं। [३] आपका बिल्ली का बच्चा निम्न कारणों से रो सकता है:
  3. हो सकता है कि आपको लगे कि बिल्ली का बच्चा बहुत रो रहा है, लेकिन वह बस ऐसे ही आवाज़ें निकाल रहा हो। बिल्ली और इनके बच्चों का आवाज़े निकालना उनके साधारण व्यवहार का भाग है, यह बात जानने से आपको काफ़ी मदद मिलेगी। [७]
  4. अगर आप अब भी नहीं समझ पा रहे हैं कि आपका बिल्ली का बच्चा क्यों रो रहा है और आप उसके स्वास्थ को लेकर चिंतित हैं, तो आप अपने बिल्ली के बच्चे को पशु चिकित्सक के पास लेकर जाएं। वही आपको बिल्ली के बच्चे के रोने का सही कारण बता पाएगा और उसको चुप कराने का सही उपाय दे पाएगा।
    • बच्चा कब-कब रोता है और क्या बात उसका रोना बढ़ाती है, हर एक बात चिकित्सक को बताएं और यह भी बताएं कि कितने समय तक बच्चा अपनी माँ और भाई-बहनों के साथ रहा।
    • अगर आपके पास बच्चे के चिकित्सा संबंधी रिकॉर्ड्स हैं, तो वह भी अपने साथ लेकर जाएं।
    • चिकित्सक के सारे सवालों का जवाब इमानदारी से दें, इससे बिल्ली के बच्चे के उपचार में मदद मिलेगी।
भाग 2
भाग 2 का 2:

बिल्ली के बच्चे को आराम पहुचाएँ

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  1. ज़्यादातर बिल्ली के बच्चे अपने मालिक के हाथों में रहने को और सहलाए जाने को बहुत पसंद करते हैं। इससे इन्हें बिल्कुल माँ के दुलार जैसा ही अनुभव होता है, जिससे इनके व्यवहार और विकास पर सकारात्मक असर पढ़ता है। [१०]
    • बिल्ली के बच्चे को नरमी से पकड़ा जाए। [११] बच्चे को दोनों हाथों से उठाएं, ताकि उसके नाज़ुक शरीर पर असर ना पड़े और वह गिरे नहीं।
    • बच्चे को गर्दन पकड़ कर ना उठाया जाए, इससे चोट लगने का अंदेशा रहता है।
    • बच्चे को इंसानी बच्चे की तरह अपनी बाहों में उठाएं, हो सकता है कि बच्चा पीठ से पकड़े जाने को पसन्द ना करे, इसलिए आप उसको दोनो हाथ और कोहनी मिलाकर इस तरह उठाएं कि उसका सर आपके सीने से आकर लग जाए।
    • अपने हाथों पर कंबल डालें, ताकि बच्चा उस पर चिपक कर बैठ सके। बच्चे के ऊपर कंबल ना डालें, इससे वह डर सकता है।
  2. बच्चा आपकी गोद में हो या आपके पास हो, बच्चे को धीरे-धीरे सहलाएं। इससे वह शांत रहेगा और उसका रोना भी बंद हो जाएगा और ऐसा करने से बिल्ली के बच्चे और आपके बीच में एक अच्छा रिश्ता कायम हो सकेगा। [१२]
    • इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे के सर, गर्दन, ठोड़ी के नीचे ही सहलाया जाए। पूँछ और दूसरे नाज़ुक अंगों से हाथ ना लगाएं।
    • यह सुनिश्चित करें कि सहलाते वक्त बच्चे पर हाथ का ज्यादा दबाव ना पड़े।
    • सप्ताह में दो बार बच्चे के कंघी करें और अगर उसे इस में मज़ा आए तो इससे ज्यादा भी कर सकते हैं।
  3. बातचीत बच्चे के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह आपके और बच्चे के दरमियान अच्छा संबंध बनाने के लिए भी ज़रूरी है। जब भी बच्चा रोए तो आप उससे बात करें, इससे उसे पता चलेगा कि आप भी उससे बातचीत कर रहे हैं। [१३]
    • जब भी आप बच्चे को सहलाएं, पकड़ें, खिलाएं या जब भी उसके पास जाएं, हमेशा उससे बात करें। [१४]
    • अपनी आवाज़ को धीमा रखें, उस पर चिल्लाएं नहीं। तेज़ आवाज़ से वह डर सकता है। [१५]
    • बिल्ली के बच्चे से बात करते समय उसका नाम शामिल करें और उसकी तारीफ़ करें। उदाहरण के तौर पर "तुम मेरी गोद में आना चाहते हो ना, सेम? तुम को गोद में आना बहुत पसंद है ना? तुम एक अच्छे और प्यारे बच्चे हो।
  4. खेलना-कूदना भी बच्चे के विकास के लिए ज़रूरी है और इससे बच्चे और आपके बीच में अच्छा संबंध बन सकेगा। बच्चे का रोना इस बात का संकेत है कि बच्चा आपकी तवज्जो चाहता है और उसके साथ खेलना अपनी तवज्जो जताने का अच्छा तरीका है। [१६]
    • बच्चे को उसकी आयु के हिसाब से खिलौने भी दें, जैसे गेंद या बड़े खिलौने, जैसे चूहा जिसको वह निगल ना सके। बच्चे को हाथों से खरोंचने के लिए एक पैड (Pad) भी दें।
    • गेंद को बच्चे के आगे-पीछे उछालें।
    • खिलौने को किसी धागे से बांधें और बच्चे को उसके पीछे भागने दें। जब आप मौजूद ना हों, तो इस बात को सुनिश्चित करें कि खिलौना बच्चे की पहुंच से दूर हो। ऐसा ना करने से बच्चा धागा या तार खा सकता है, जिससे उसकी आंतों में घाव हो सकता है और इससे उसकी मौत भी हो सकती है।
  5. अपने बिल्ली के बच्चे के लिए आरामदायक बिस्तर बनाएं: आरामदायक सोने की जगह मिलने से बच्चा सुकून और शांति से रहेगा। इससे उसका रोना भी कम हो जाएगा। आप बाजार से बिल्ली का बिस्तर खरीद सकते हैं या एक डिब्बे में नरम तौलिया या कंबल भी बिछा कर बिस्तर बना सकते हैं।
    • डिब्बे में आप आपकी कोई टी-शर्ट या कंबल भी डाल सकते हैं, जिससे वह आपकी गंध का आदी हो जाएगा।
  6. पौष्टिक आहार खाने से बिल्ली के बच्चे का शारीरिक विकास भी होगा और इससे उसकी सेहत भी अच्छी बनी रहेगी। पर्याप्त खाना मिलने से उसका रोना भी कम हो जाएगा। [१७]
    • शुरुआती 10 सप्ताह तक बच्चे के खाने में मिल्क रिप्लेसर (Milk Replacer) मिलाया जाए और खाने को ओटमील (Oatmeal) जितना गाढ़ा रखा जाए। [१८] यह उन बच्चों के लिए और ज़रूरी है जिनका जल्दी दूध छूट गया हो या वह अनाथ हों।
    • बच्चे को नियमित दूध ना दें, इससे उसका पेट खराब हो सकता है। [१९]
    • बच्चे का खाना, चीनी या धातु के कटोरे में डालें, क्योंकि प्लास्टिक इनके लिए हानिकारक हो सकता है।
    • ताज़ा पानी पीने के लिए बच्चे के पास एक अलग बर्तन रखें।
    • सुनिश्चित करें कि बच्चे का खाना-पानी ताज़ा हो और खाने का बर्तन साफ हो।
  7. बच्चे का लिटर-बॉक्स (litterbox) यानी शौच का डिब्बा साफ रखें: बिल्लियां और बिल्लियों के बच्चे साफ-सफाई को लेकर काफी संवेदनशील होते हैं, खासतौर पर शौच के डिब्बे को लेकर, इसलिए शौच का डिब्बा उसे हमेशा साफ मिलना चाहिए। इससे भी बिल्ली के बच्चे का रोना रुक सकता है। [२०]
    • इस बात को सुनिश्चित करें कि बिल्ली के बच्चे के शौच के डिब्बा की ऊंचाई इतनी हो कि वह इसमें आसानी से अंदर और बाहर आ सके।
    • ऐसा लिटर बॉक्स इस्तेमाल करें, जिसमें किसी प्रकार की गंध ना आए।
    • इसकी रोज़ साफ-सफाई करें, जिससे बच्चा इसको इस्तेमाल करने के लिए हमेशा प्रेरित रहे। [२१]
    • शौच का डब्बा बच्चे के खाने वाली जगह से दूर रखें। शौच के डिब्बे के पास खाना खाना यह बिल्कुल पसंद नहीं करते।
  8. अगर चिकित्सक बताए कि बच्चा बीमारी की वजह से रो रहा है, तो बच्चे को चिकित्सक द्वारा बताई गई दवाई और इलाज दें। इससे बच्चे की बीमारी खत्म हो जाएगी और इसका रोना खत्म हो जाएगा।
    • इस बात को सुनिश्चित करें कि बच्चे को दवाइयों की पूरी खुराक मिले।
    • चिकित्सक से इस बारे में ज़रूर पूछें कि कैसे बच्चे को कम से कम कष्ठ पहुंचा कर उसका इलाज किया जा सकता है।
  9. बिल्ली के बच्चे को नजरअंदाज़ करने और उसपर चिल्लाने से बचें: अगर आप आपके बिल्ली के बच्चे की मांग पूरी कर सकते हैं, तो उसको अनदेखा और नज़रअंदाज़ करने से बचें। हो सकता है कि वह शौच के डिब्बे तक ना पहुंच पा रहा हो या वह प्यासा हो। [२२] इसी तरह ज्यादा रोने पर उस पर चिल्लाएं नहीं, इससे उसका रोना तो कम नहीं होगा बल्कि वह आप से डरने लगेगा। [२३]

सलाह

  • एक बार में पैदा हुए बिल्ली के दो बच्चों को साथ में रखना उचित रहेगा, इससे दोनों को एक दूसरे का साथ मिल सकेगा।

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