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बौद्ध धर्म सिद्धार्थ गौतम (बुद्ध) द्वारा जीवन और ब्रह्मांड के सत्य पर दी हुई शिक्षा है। उनकी शिक्षा में चत्वारि आर्यसत्यानि (चार महान सत्य) जैसे सिद्धांत जिनमें कर्म, पुनर्जन्म के चक्र (अवतार), पीड़ा और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति जैसी बातें शामिल हैं। ये शिक्षा का एक पूर्ण और पुराना मार्ग है जिसे धर्म कहा गया है और जो की आज के "रिलिजन" या "धर्म" शब्द से बहुत अलग है। [१] बौद्ध धर्म आज भी काफी प्रचलित है और इसके लाखों अनुयायी हैं। बौद्ध बनने का पहला कदम है कि आप इसकी आस्थाओं को समझें और ये विकीहाउ आपको यह तय करने में मदद करेगा कि क्या बौद्ध धर्म आपके लिए उचित है या नहीं। अगर हाँ, तो आप बौद्ध धर्म अपना सकते हैं और इसकी सदियों वर्ष पुरानी परम्पराओं में हिस्सा ले सकते हैं।

भाग 1
भाग 1 का 3:

मौलिक बौद्ध सिद्धांतों को समझें

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  1. इससे आप जो भी पढ़ेंगे उसे समझने में आसानी होगी क्योकिं कई बौद्ध परिभाषाएँ आपके लिए अनजान हो सकती है खासकर अगर आप पश्चिमी देशों के निवासी है तो। कुछ मूल बौद्ध शब्द यहाँ दिए गए हैं:
    • अर्हत : जीव जिसने निर्वाण को प्राप्त कर लिया हो।
    • बोधिसत्व : वह जीव जो आत्मज्ञान के मार्ग पर हो।
    • बुद्ध : जीव जिसने पूर्ण आत्मज्ञान प्राप्त कर लिया हो। जैसा की शाक्यमुनि बुद्ध दवारा कई शास्त्रों जैसे सद्धर्मपुण्डरीक सूत्र में बताया गया है कि बौद्ध धर्म का अंतिम उद्देश्य बुद्ध बनना है। [२]
    • धर्म : एक जटिल शब्द सामान्यतः जिसका अर्थ बुद्ध की शिक्षा है।
    • निर्वाण : आध्यात्मिक आनंद जो की द्वंद्व, भाषा, समय, काल एवं संवेदन से परे है। शाक्यमुनि ने जिसे दर्पण का रूपक दे कर समझाया है जो सामने रखी सभी वस्तुओं को बिना भेद भाव के प्रतिबिंबित करता है। [३] निर्वाण आत्मज्ञान पाने के बाद की अवस्था है।
    • संघ : बौद्ध समुदाय
    • सूत्र : पवित्र बौद्ध ग्रन्थ
    • महाथेरा : वरिष्ठ भिक्षुक या भिक्षुणी की पदवी जिन्हें आप उनके सम्प्रदाय के विशिष्ट रंग के परिधान में देख सकते हैं।
  2. बौद्ध धर्म के विभिन्न सम्प्रदायों से स्वयं को परिचित करें. थेरवाद और महायान वर्तमान में सबसे ज़्यादा प्रचलित दो बौद्ध सम्प्रदाय हैं। [४] यद्यपि दोनों सम्प्रदायों की मूल आस्था एक ही है परन्तु उनकी कुछ शिक्षाओं में अंतर हैं। महायान प्रमुखता से बोधिसत्व की प्राप्ति पर केंद्रित है, और थेरवाद धर्म के पालन पर। [५]
    • बौद्ध धर्म के कई और भी संप्रदाय हैं जैसे निचिरेन शोशु, ज़ेन, सुखवती, वज्रयाण या तांत्रिक बौद्ध।
    • बौद्ध धर्म के सम्प्रदाय काफी अलग अलग हैं। उनमें एक हद तक कुछ समानताएं हैं परन्तु समय के साथ कुछ सम्प्रदाय काफी अलग निकल चुके हैं।
    • बौद्ध धर्म बहुत प्राचीन हैं इसलिए इसके सम्प्रदायों में कई जटिल असमानताएं है जिनका पूर्ण वर्णन यहाँ नहीं किया जा सकता, और अधिक जानने के लिए बौद्ध धर्म पर अधिक शोध करें।
  3. बौद्ध धर्म के संस्थापक के बारे में कई किताबें लिखी गयीं हैं और एक साधारण ऑनलाइन सर्च पर भी उनके जीवन के ऊपर लिखें कई लेख मिल जाएंगे। सिद्धार्थ गौतम एक राजकुमार थे जिन्होंने आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए महल और राजसी सुखों का त्याग कर दिया था। यद्यपि इस अस्तितत्व में वे अकेले बुद्ध तो नहीं हैं परन्तु ऐतिहासिक तौर पर वो बौद्ध धर्म के संस्थापक हैं।
  4. चत्वारि आर्यसत्यानि (चार महान सत्य) के बारे में जानें. चत्वारि आर्यसत्यानि बौद्ध धर्म के एक मूलभूत सिद्धांत का सारांश है : पीड़ा का सत्य, पीड़ा की वजह का सत्य, पीड़ा के अंत का सत्य और पीड़ा से मुक्ति के मार्ग का सत्य। दूसरे शब्दों में कहे तो पीड़ा होती है, पीड़ा के होने का कारण होता है और इसका अंत भी है और इसका अंत करने के लिए एक मार्ग भी है।
  5. बौद्धों का मानना है कि संवेदन समर्थ जीव कई जीवन जीते हैं। एक बार जीव की मृत्यु होने के बाद वो नए जीवन में जन्म लेते हैं और जीवन मरण का ये क्रम अनंतकाल तक चलता रहता है। एक जीव कई अलग अलग रूपों और परिस्थितियों में पुनर्जन्म ले सकता है। बौद्ध धर्म का ये एक प्रमुख उद्देश्य है कि इस पुनर्जन्म से छूट कर निर्वाण को प्राप्त करें। [६]
  6. कर्म पुनर्जन्म और निर्वाण से बहुत ही नज़दीक से जुड़ा है क्योंकि कर्म से ही निर्धारित होता है कि किसी जीव का कब और कहाँ पुनर्जन्म होगा। कर्म आपके इस जन्म और पिछले जन्मों के कार्यों का लेखा-जोखा है। कर्मफल के घटित होने के समयानुसार अच्छे या बुरे कर्म का प्रभाव जीव पर तुरंत भी हो सकता है, या हज़ार वर्ष बाद, या पांच जन्मों के बाद भी हो सकता है।
    • बुरे कार्यों या विचारों जैसे हत्या, चोरी या झूठ से नकारात्मक कर्म आते हैं।
    • अच्छे कार्यों या विचारों जैसे उदारता, दयालुता या बौद्ध शिक्षा के प्रसार से अच्छे कर्म आते हैं।
    • विरक्त कर्म उन कार्यों से आते हैं जिनका कोई यथार्थ प्रभाव नहीं होता जैसे श्वास लेना या सोना।
भाग 2
भाग 2 का 3:

शरण लें

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  1. कई बड़े शहरों में बौद्ध मंदिर हैं परन्तु हर मंदिर अलग बौद्ध संप्रदाय का हो सकता है (जैसे थेरवाद या ज़ेन) और निश्चित ही हर मंदिर अलग अलग सेवाएं, कक्षाएं और क्रियाएं होती हो। मंदिर के बारे में जानने का सबसे अच्छा तरीका है की आप स्वयं मंदिर जाएं और वहां एक महाथेरा या किसी साधारण भिक्षु से बात करें।
    • उनसे पूछें की मंदिर में क्या क्या सेवाएं और क्रियाएं होती हैं।
    • अलग अलग समाधी स्थल या मंदिर खोजें।
    • कुछ सेवाओं में भाग ले और देखें कि आपको वहां का माहौल कैसा लगा।
  2. अधिकतर धर्मों की तरह बौद्ध धर्म में भी समुदाय की तीव्र भावना है और भक्त और भिक्षुक काफी शिक्षाप्रद है और वो आपका ह्रदय से स्वागत भी करेंगे। मंदिर में कक्षाएं लेना शुरू करें और वहां नए मित्र बनाएं।
    • कई बौद्ध समुदाय साथ में मिलकर मंदिर/मठ के दर्शन हेतु विश्व भर में यात्रा करते हैं। ये इनसे जुड़ने का अच्छा तरीका है।
    • शुरू में आप थोड़ा संकोच या बैचैन महसूस कर रहे है तो ये स्वाभाविक है।
    • कई देशों जैसे जापान, थाईलैंड, म्यांमार, नेपाल, कोरिया, श्रीलंका, चीन आदि में बौद्ध धर्म सबसे ज़्यादा प्रचलित है।
  3. बुद्ध, धर्म और संघ को त्रिरत्न कहा गया है। जब आप त्रिरत्नों की शरण में जाते हैं तो आपको एक संस्कार में पंचशील या पंचशिक्षापद की मर्यादा रखने का वचन लेना होता है जिनमें हत्या नहीं करना, चोरी नहीं करना, यौन दुराचार नहीं करना, असत्य नहीं बोलना, और नशीले पदार्थ का भोग नहीं करना शामिल हैं।
    • अलग अलग मंदिर के अनुसार संस्कार के कुछ विशिष्ट पहलू भी अलग हो सकते हैं।
    • त्रिरत्न की शरण लेने के लिए खुद को बाध्य महसूस न करें, क्योंकि इनकी मर्यादा बनाए रखना इस धर्म की सबसे अहम बात है।
    • अगर आप सांस्कृतिक कारणों से त्रिरत्न नहीं ले सकते या पास में आप कोई मंदिर नहीं ढूंढ पा रहे हैं तो भी आप पंचशील की मर्यादा का पालन कर सकते हैं।
    • अगर आप एक बार बौद्ध की शरण में आ गये है तो आप आधिकारिक रूप से बौद्ध बन चुके हैं।
भाग 3
भाग 3 का 3:

दैनिक जीवन में बौद्ध धर्म का पालन करें

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  1. बौद्ध समुदाय से जुड़े रहने का सबसे उत्तम उपाय है जिस मंदिर में आप शरणागत हुए थे वहां कक्षा में जाएं। मंदिर जाने से पहले एक छोटी सी बात ध्यान रखें, अपने पैरों के तलवों को वेदी, बौद्ध प्रतिमा या भिक्षु की ओर करके न बैठे। महिलाएं भिक्षुओं का स्पर्श नहीं कर सकती, अभिवादन में हाथ मिलाने के लिए भी नहीं, यही बात पुरुषों के भिक्षुणियों से मिलने पर भी लागू होती है। आप झुक कर नमन कर सकते हैं। अधिकतर मंदिरों में योग, ध्यान और विभिन्न सूत्रों की शिक्षा पर कक्षाएं दी जाती है। बौद्ध मित्रों और रिश्तेदारों की संगत में समय बिताएं।
  2. कई सूत्रों का अनुवाद आपको ऑनलाइन मिल जायेगा या आपके मंदिर में एक पुस्तकालय होगा या आप सूत्र खरीद भी सकते हैं। कई महाथेराओं और साधारण भिक्षुओं ने बौद्ध सूत्रों की व्याख्या लिखी है। वज्रच्छेदिकाप्रज्ञापारमिता सूत्र, प्रज्ञापारमिताहृदय सूत्र और महान प्रज्ञापारमिता सूत्र कुछ प्रचलित बौद्ध सूत्र है।
    • जब आपको लगे कि आपने किसी सिद्धांत को पूर्णरूप से समझ लिया है तो दूसरों को भी इसे पढ़ाएं।
    • अध्ययन के लिए बौद्ध धर्म में सैकड़ों सूत्र और शिक्षाएं हैं लेकिन इन्हें एक ही बार में समझ लेने के लिए व्यग्र न हो या दबाव महसूस न करें।
    • मंदिर में महाथेरा या भिक्षुओं की कक्षाओं में भाग लें।
  3. जब आप त्रिरत्नों की शरण में गए थे तब आपने पंचशीलों की मर्यादा बनाए रखने का वचन लिया था लेकिन कई बार इन्हें निभाना कठिन हो जाता है। अपनी तरफ से पूरी कोशिश करें की किसी भी जीव को ना मारें, चोरी ना करें, यौन दुराचार ना करें, ईमानदार रहे, और शराब या ड्रग्स जैसे कोई भी नशीले पदार्थ का सेवन ना करें जिनसे आपका मानसिक संतुलन बिगड़ता हो। [७] अगर आपसे कोई मर्यादा टूटती है तो पश्चाताप करें और पूरी कोशिश करें की आप इनका पालन कर पाएं।
  4. बौद्ध धर्म की मुख्य बात है कि अनुयायिओं को संतुलित जीवन जीना चाहिए न अधिक खर्चीला न ही आभाव ग्रस्त। मध्य मार्ग को "आर्याष्टाङ्गमार्ग" भी कहा जाता है जिसमे बौद्ध धर्म के आठ तत्वों का पालन करने की शिक्षा दी जाती है। इन सभी को पढ़ने के लिए समय बिताएं:
    • सम्यक दृष्टि
    • सम्यक संकल्प
    • सम्यक वाक्
    • सम्यक कर्म
    • सम्यक आजीविका
    • सम्यक प्रयास
    • सम्यक स्मृति
    • सम्यक समाधी

सलाह

  • दूसरों की सहायता करना बौद्ध धर्म का मूलभूत अंग हैं। निचिरेन शोशु महायान बौद्ध की शीर्ष शाखा है। सोका गोककै या SGI निचिरेन शोशु का हिस्सा नहीं है। इनका 1991 में निचिरेन शोशु से बहिष्कार कर दिया गया था।
  • बौद्ध धर्म में कई जटिल दार्शनिक शास्त्र हैं अगर ये आपको भ्रमित करते हैं तो निराश न हो।
  • यूट्यूब पर बौद्ध उपदेश सुनें।
  • बौद्ध धर्म को समझने के लिए समय बिताए।


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