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लिखित और त्वरित (instant) सन्देश आजकल दोस्तों से संवाद के आम तरीके हैं, लेकिन ख़त लिखना किसी चेहरे को मुस्कराहट से खिला देने का एक पारंपरिक, अन्तरंग और बेहद असरदार माध्यम है | अब चाहे आप ईमेल का उपयोग कर मेल के द्वारा पत्र भेजें या फिर पुराने प्रचलन के अनुसार, दोनों के लिए प्रारूप एक ही है: एक दोस्ताना ख़त के ढाँचे में जो बातें होनी चाहिए, वे हैं, अभिवादन, मित्र का कुशल-मंगल और उसके हाल-चाल तथा हालात के बारे में जिज्ञासा, आपके अपने जीवन की ख़बरें और अंत में एक उचित समापन।

विधि 1
विधि 1 का 3:

पत्र की शुरुआत

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  1. यदि आप हाथ से पत्र लिखने की ज़हमत उठा रहे हैं, तो कागज़ के शीर्ष पर बाएँ कोने में तारीख डालना बढ़िया रहेगा | बहुत से लोग पत्रों को आने वाले वर्षों के लिए सहेज कर रखते हैं, और वह पत्र किस वर्ष, किस तारीख को लिखा गया था, यह देखकर और सोचकर पुराने दिनों की यादों को ताज़ा करते हैं | तारीख लिखिए – उदाहरण के लिए, “मई 7, 2013” – या सिर्फ दिन, महीना और वर्ष की संख्याओं से इसे संक्षिप्त कर दें |
  2. भले ही वह हस्तलिखित हो या ईमेल की शक्ल में, पत्र की शुरुआत को अभिवादन कहते हैं | यही वह जगह है, जहाँ आप उस व्यक्ति को नाम से संबोधित करते हैं, जिसे ख़त लिखना है- उदाहरण के लिए, “प्रिय अदिती” या “नमस्ते, “आदित्य”. पत्र पाने वाले के साथ अपने रिश्ते की ख़ास प्रकृति पर ध्यान दें, और अपनी निजी पसंद एवं शैली पर भी, और इसी के मुताबिक़ एक सटीक अभिवादन चुनिए |
    • अगर आपका इरादा ज़रा औपचारिक शैली में लिखने का है, तो अभिवादन में “प्रिय” का प्रयोग एक खूबसूरत विकल्प होगा | वैसे तो यह बड़ा सामान्य सा दीखता है, लेकिन ज़रा यह भी सोचिए: किसी को “प्रिय” कहना वाकई कितनी मिठास से भर देता है, और संकेत देता है कि आप उसके बारे में संजीदा हैं | हालांकि आपको इसके हूबहू अभिप्राय में जाने की जरूरत नहीं है; “प्रिय” शब्द आपके सबसे ख़ास दोस्त को लिखे ख़त के लिए उतना ही उपयुक्त है, जितना एक ऐसे व्यक्ति के लिए जिससे आपकी जान-पहचान अभी-अभी हुई हो |
    • हल्के-फुल्के अनौपचारिक मिजाज वाले पत्र के लिए, “नमस्ते, [नाम]” या “नमस्कार, [नाम]” से शुरुआत करने के बारे में सोचें. एक दोस्त या परिजनों के लिए यह अभिवादन उचित है, लेकिन एक कारोबारी पत्र को इस तरह से न शुरू करें, यह कुछ ज्यादा ही अनौपचारिक है |
    • किसी ऐसे इन्सान जिससे आप अन्तरंग हों, या होना चाहते हों, उसके लिए कुछ अधिक आत्मीय अभिवादन लिखें. उदहारण के लिए, “प्रियवर [नाम],” “मेरे [नाम],” और “प्यारे [नाम].”
    • अपने अभिवादन को कामा से समाप्त करना न भूलें | कायदे के मुताबिक़ यह भी सही है कि अगली पंक्ति से पत्र के मुख्य भाग को आरम्भ किया जाए.
विधि 2
विधि 2 का 3:

मुख्य भाग की रचना

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  1. एक मित्रवत ख़त का पहला पैरा आम तौर पर हल्का खुशगवार मिजाज और गर्मजोशी लिए होता है. पत्र का लहज़ा तय करने का यह भी एक तरीका है, कि इसे पढ़ने वाले को पहले से जानने दिया जाए, आगे जो आने वाला है वह कतई कारोबारी या गंभीर किस्म का न होकर और भी स्नेहिल और आत्मीय है. पहली चंद लाइनों के इस्तेमाल से एक विस्तारित स्वागत का ताना-बाना बुनें, कोई चुटकुला कहिए, मौसम का मिजाज बताइए, या ऐसी कोई भी चीज़.
    • आप कैसे हैं?, “कैसे हो?”, या “तुम्हारे हाल-चाल कैसे हैं दोस्त?” पत्र आरम्भ करने के सामान्य तरीके हैं. प्रश्न पूछना पत्र को एक लम्बी बातचीत का हिस्सा होने जैसा अहसास कराता है. अगर आप अपने ख़त का जवाब पाना भी पसंद करेंगे, तो इसमें जहां-तहाँ जमकर प्रश्नों की बौछार करने से न कतराएँ.
    • पत्र पानेवाले के जीवन के बारे में अपेक्षाकृत अधिक गहरी दिलचस्पी और पूछताछ के लिए आप पहले पैरा का उपयोग कर सकते हैं | उदाहरण के लिए, “मुझे उम्मीद है, नन्ही जूही किंडरगार्टन में खुश होगी. यकीन नहीं होता, वह इतनी बड़ी हो गयी है, अभी कितनी छोटी सी तो थी जब आखिरी बार देखा था!” |
    • वर्ष के वर्तमान समय का सन्दर्भ खींच लाना पत्र की शुरुआत का एक और तरीका है. इसे गहरी वार्ता में घुसने से पहले एक सुखद माहौल बनाने के लिए की जाने वाली इधर-उधर की छोटी-छोटी बातों के ताने-बाने के बराबर ही समझें. उदहारण के लिए, “आशा है, तुम्हारे वहाँ अद्भुत शरद ऋतु ने प्यारी समा बिखेर रखी होगी. यहाँ हमारे पास-पड़ोस के पेड़-पत्ते तो ऐसे खुशगवार-खिले कभी नहीं थे. जबकि, मुझे लग रहा है, हमलोग इस बार काफी सर्द शरद को झेल रहे हैं” |
  2. अब यह समय है, जब पत्र की सारवस्तु पर, आपके पत्र लिखने के उद्देश्य पर आया जाए. आप यह पत्राचार क्यों शुरू कर रहे हैं? क्या किसी बिछड़े हुए बहुत पुराने दोस्त से दोबारा संपर्क साधना चाहते हैं, किसी को अहसास दिलाना चाहते हैं, कि आपको उसकी कमी खल रही, या किसी ने जो आपकी मदद की थी, उसके लिए उसे धन्यवाद देना चाहते हैं? अपनी भावनाओं को प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करने में बेशक आप दिल खोलकर विनम्र साफगोई का सहारा ले सकते हैं |
    • आपकी जिन्दगी में जो चल रहा है, उसे लिखिए | इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है, कि क्या प्रतिक्रिया होगी, संभवतः आपके ख़त को सराहा जाए, लेकिन अगर पत्र सारगर्भित और खुले दिल से लिखा गया हो, तो इसे पढ़नेवाला खुद को आपसे ज्यादा आत्मीय महसूस करेगा (और यों वह पत्र अधिक प्रभावी होगा). यह बताइए कि कौन सी घटनाएँ घटित हुई हैं, आपने क्या-क्या झेला, महसूस किया, और भविष्य को लेकर आपकी योजनाएं क्या हैं |
    • अपने जीवन की रंग-रोगन भरी तस्वीर पेश न करें; यह दोस्ताना पत्र के उद्देश्य को ही ख़त्म कर देता है | छुट्टियों में बिताये समय के तथ्यों से भरी न्यूजलेटर वाली शैली से बचें. अगर अपने पिछले पत्र के बाद की अपनी तमाम उपलब्धियों की सूची बनाने लग जाएंगे, तो आपका दोस्त इस पर एक उड़ती सी नज़र डालते हुए सीधे ख़त के अंत में पहुँच जाएगा. आपको अपनी समस्याओं की इतनी बारीकी में नहीं जाना है, बल्कि अपने जीवन की एक सच्ची भावनात्मक तस्वीर खींचने की कोशिश करनी है |
  3. उन मसलों का जिक्र कीजिये जो आपके दोस्त के लिए प्रासंगिक हैं: आख़िरी बार जब दोस्त से बात हुई थी तब उसके हालात और उसकी मनोदशा क्या थी? क्या अपने प्रेमी से उसका सम्बन्ध टूटने की कगार पर था? क्या वह अपने फुटबॉल टीम के एक बेहद कठिन सीजन के बीचोंबीच था? उन सन्दर्भों के हवाले और उनके बारे में अपनी जिज्ञासा से एक निरंतरता कायम करके यह जताइए कि आप मित्र की जिन्दगी में ख़ास दिलचस्पी रखते हैं |
    • एक-दूसरे की मिलती-जुलती अभिरुचियों और विषयों की चर्चा आप कर सकते हैं. आर्ट, पॉलिटिक्स, समसामयिक घटनायें, या अन्य कोई भी विषय जिसके बारे में आप अपने मित्र से आमने-सामने बात करना चाहें, उन्हें उठा सकते हैं |
    • हाल में देखी हुई फ़िल्में जिनके बारे में आपको लगे कि आपके दोस्त को भी देखना चाहिए, या हाल में पढ़ी हुई वे किताबें जिनकी आप दोस्त से सिफारिश करना चाहेंगे, उनके सुझाव देने का ख़याल करें |
विधि 3
विधि 3 का 3:

पत्र का समापन

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  1. अपने मित्र या प्रियजन को अपनी शुभ कामनाएँ देते हुए आख़िरी निर्णायक पैरा लिखिए | अंतिम पैराग्राफ पत्र के मुख्य भाग की अपेक्षा अक्सर मिजाज में हल्का होता है, लेकिन पूरे पत्र की सामान्य भावना से इसका तारतम्य जरूर होना चाहिए. एक ऐसी टिप्पड़ी पर अपने पत्र को ख़त्म करने की कोशिश करें जो आपके दोस्त को सकारात्मक भावनाओं के प्रभाव में छोड़े |
    • पत्र के उद्देश्य को दोहराइए | मिसाल के लिए, अगर आपने दोस्त को एक पार्टी में आने का निमंत्रण दिया है, तो लिखें, “तुम्हारे आने की उम्मीदों से भरा हूँ!” अगर आप मित्र को एक खुशगंवार मौसम की शुभकामना देनी चाहें, तो लिखे, “यह महीना खुशगंवार हो!” या इसी तरह का असरदार कुछ और भी लिख सकते हैं |
    • जवाबी पत्र लिखने के लिए अपने दोस्त को प्रोत्साहित कीजिये. अगर एक प्रत्योत्तर चाहिए तो लिख सकते हैं, “जल्द ही तुम्हारे जवाब की प्रतीक्षा में” या “ कृपया जवाब लिखना!”
  2. जो समापन आप चुनें वह आपके पत्र की मूल भावना के सामंजस्य में होना चाहिए, भले ही पत्र पारंपरिक हो या अपेक्षाकृत सहजतापूर्ण. अभिवादन की तरह ही यह पत्र पानेवाले के साथ आपके संबंधों की प्रकृति से निर्धारित होना चाहिए. समापन के बाद अपने नाम से हस्ताक्षर करें.
    • अगर आप एक औपचारिक समापन लिखना चाहते हैं, तो इनके बारे में सोचें, “भवदीय,” “सस्नेह,” “शुभकांक्षाएं.”
    • अगर आपके पत्र का स्वर अधिक बेपरवाही का हो, तो इन्हें आजमाएँ, “आपका”, “अपना ख़याल रखें,” “खुश रहो”.
    • अधिक अन्तरंग समापन के लिए चुनें, “प्यार,” “अत्यधिक प्यार,” “तुम्हारे ही खयालों में.”
  3. कोई ऐसी जानकारी या सूचना जो इतने पर्याप्त महत्व की न हो कि पत्र के मुख्य भाग में अपना पैराग्राफ जोड़ पाए, तो उसे एक पश्चलेख, या पुनश्चः के तौर पर दोस्ताना पत्र के अंत में अक्सर जोड़ दिया जाता है. कोई चुलबुला जोक भी लिख सकते हैं, या इस चीज़ को बिल्कुल ही नजरअंदाज कर सकते हैं. बहरहाल, ध्यान रखें कि यह आपके पत्र के मिजाज से मेल खाता हो और पत्र पानेवाले को एक ऐसी भावनात्मक दशा में ले जाता है, जिसमें आप उसे देखना चाहते हैं |

सलाह

  • पत्र भेजने से पहले इसमें वर्तनी की अशुद्धियों की जाँच करें.
  • भेजने से पहले अपने पत्र की प्रूफरीडिंग जरूर करें.

रेफरेन्स

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