आर्टिकल डाउनलोड करें आर्टिकल डाउनलोड करें

सबसे आत्मविश्वासी कलाकार भी रंगमंच के भय से पीड़ित हो सकता है। रंगमंच का भय मशहूर अभिनेताओं से ले कर व्यावसायिक कलाकारों तक में सामान्य है। यदि आपमें रंगमंच का भय है, तब आपको परेशानी हो सकती है, कंपकंपी हो सकती है, या दर्शकों के सामने प्रस्तुति करना ही बिलकुल असंभव हो सकता है। परंतु चिंता मत करिए – आप अपने शरीर और मस्तिष्क को विश्राम करने के लिए प्रशिक्षित कर और कुछ तरकीबों का परीक्षण करके अपने रंगमंच के भय पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। यदि आप जानना चाहते हैं कि रंगमंच के भय पर विजय कैसे पायी जा सकती है, तब बस इन चरणों का अनुपालन करिए। या यह तब भी सहायता कर सकता है जब आपके अनेक घनिष्ठ मित्र दर्शकों में हों।

विधि 1
विधि 1 का 4:

प्रस्तुति के दिन रंगमंच के भय पर विजय पाना

आर्टिकल डाउनलोड करें
  1. रंगमंच के भय पर विजय पाने के लिए, रंगमंच पर जाने से पूर्व, आप अपने शरीर को विश्राम की स्थिति में लाने हेतु, कुछ चीज़ें कर सकते हैं। शरीर में तनाव कम करके आपको अपनी आवाज़ को स्थिर करने और मस्तिष्क को विश्राम देने में सहायता मिलती है। अपनी पंक्तियों का अभ्यास करिए। यदि रंगमंच पर गड़बड़ हो भी जाती है, घबड़ाइए मत! उसको भी नाटक का भाग ही लगने दीजिये। ये कुछ चीज़ें हैं जो आप अपने शरीर को विश्राम देने के लिए प्रस्तुति से पहले कर सकते हैं। [१]
    • अपने स्वर को स्थिर करने के लिए धीरे धीरे गुनगुनाइए।
    • प्रस्तुति से पूर्व एक केला खाइये। इससे आपके पेट में खालीपन की और उल्टी आने की मनोभावना समाप्त हो जाएगी और न ही आपको पेट उतना भरा हुआ लगेगा।
    • गम चबाइए। गम चबाने से आपके जबड़े का तनाव थोड़ा कम होता है। बस गम को खाली पेट पर या बहुत देर तक मत चबाइए अन्यथा आप अपने पाचन-तंत्र को थोड़ा गड़बड़ कर लेंगे।
    • स्ट्रेच करिए। बाँहों, पैरों, पीठ और कंधों का स्ट्रेच करना शरीर में तनाव कम करने का सबसे अच्छा तरीका है।
  2. प्रस्तुति वाले दिन की सुबह या प्रस्तुति से एक घंटा पहले, चिंतन करने के लिए, 15-20 मिनट का समय निकालिए। एक ऐसी अपेक्षाकृत शांत जगह ढूंढिए जहां पर आप आराम से धरती पर बैठ सकें। अपनी आँखें बंद करिए और जब आप अपने शरीर के प्रत्येक अंग को विश्रामावस्था में ला रहे हों, तब अपने श्वसन पर ध्यान केन्द्रित करिए।
    • अपने हाथों को अपनी गोद मैं रखिए और आलथी-पालथी मार कर बैठिए।
    • ऐसे बिन्दु पर पहुँचने का प्रयास करिए जहां पर आप अपने शरीर के प्रत्येक अंग को विश्राम देने के अलावा और कुछ भी नहीं सोच रहे हों – विशेषकर अपनी प्रस्तुति के संबंध में तो बिलकुल ही नहीं।
  3. यदि आप स्वाभाविक रूप से कैफ़ीन के आदी नहीं हैं, तब प्रस्तुति वाले दिन अतिरिक्त कैफ़ीन मत लीजिये। आप शायद यह सोच सकते हैं कि इससे आप अधिक ऊर्जा के साथ प्रस्तुति कर सकेंगे, मगर वास्तव में यह आपको परेशान और आशंकित बना देगी ....
  4. अपनी परेशानी के लिए “ठहराव का समय” निर्धारित कर लीजिये: प्रस्तुति के दिन स्वयं को कुछ समय के लिए परेशान होने की अनुमति दे दीजिये, परंतु एक निर्धारित समय – जैसे 3 बजे – के बाद परेशानी को बाहर का रास्ता दिखाये। बस यही एक लक्ष्य निर्धारित करने से और स्वयं से यह वादा करने से इसके होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाएगी।
  5. व्यायाम करने से तनाव कम होता है और एंडोर्फीन (endorphin) भी चालू हो जाते हैं। प्रस्तुति वाले दिन व्यायाम के लिए तीस मिनट का समय निकालिए, या कम से कम तीस मिनट तक टहल ही लीजिये। इससे आपका शरीर चामत्कारिक प्रस्तुति के लिए तैयार हो जाएगा।
  6. प्रातःकाल कोई हास्यास्पद कार्यक्रम देखिये, अपना मनपसंद यू-ट्यूब वीडियो लगा लीजिये या पूरी दोपहर अपने परिचितों में जो भी सबसे बड़ा मसखरा हो, उसके साथ बिताइए। हंसने से आपको विश्राम मिलेगा और आप अपनी परेशानी की चिंता से दूर हो सकेंगे।
  7. दर्शकों/ श्रोताओं से पहले ही, प्रस्तुति-स्थल पर पहुँच जाइए। भरे हुये स्थल को देखने के स्थान पर, उसको अपने सामने भरते हुये देखने से, आपको स्थिति स्वयं के कहीं अधिक नियंत्रण में प्रतीत होगी। जल्दी पहुँचने से आपको उलझन से आराम मिलेगा, आपको हड़बड़ी नहीं होगी और आप शांत भी रह सकेंगे।
  8. कुछ लोग अधिक सहज होने के लिए दर्शकों के बीच बैठ कर उनसे बातचीत करना शुरू कर देते हैं। इससे आप दर्शकों को अपनी तरह के सामान्य व्यक्ति समझ सकेंगे, और इससे आपको अपनी अपेक्षाओं के प्रबंधन में सहायता मिलेगी। लोगों को यह बताए बिना कि आप कौन हैं, जब कमरा भर रहा हो तब भी आप दर्शकों के बीच में बैठ सकते हैं – परंतु यह तो पता है न, कि यह काम तभी करेगा जब कि आप कार्यक्रम की पोशाक न पहने हों।
  9. कल्पना करिए कि आपका प्रिय व्यक्ति दर्शकों में है: यह कल्पना करने के स्थान पर कि सभी दर्शक अंतर्वस्त्रों में बैठे हैं – जो कि थोड़ा अजीब लगेगा – कल्पना करिए कि दर्शकों की प्रत्येक सीट पर आपके प्रिय व्यक्ति के क्लोन बैठे हैं। वह व्यक्ति आपसे प्रेम करता है और जो भी आप कहेंगे या करेंगे, उसको सुनेगा और पसंद करेगा। वह व्यक्ति सही समय पर हँसेगा, आपको प्रोत्साहित करेगा और कार्यक्रम के अंत में ख़ूब तालियाँ बजाएगा।
  10. कार्यक्रम के आधे घंटे पहले नीबू या संतरे आदि का रस पीने से आपका रक्तचाप कम हो सकता है और आपको परेशानी में आराम मिल सकता है। [२]
  11. 11
    अपनी प्रिय कविता या गीत को गुनगुनाइए: एक सहज लय में आ जाने से आपको अधिक शांति मिलेगी और आप स्वयं को अधिक नियंत्रण में पाएंगे। यदि आपको अपनी प्रिय कविता या गीत को गुनगुनाते समय सहज लगता है तब आपको अपनी पंक्तियाँ आसानी से शिष्टता के साथ प्रस्तुत करते समय भी सहज ही प्रतीत होगा।
विधि 2
विधि 2 का 4:

भाषण या प्रस्तुति के अवसर पर रंगमंच के भय पर विजय पाएँ

आर्टिकल डाउनलोड करें
  1. वैसे तो यह स्पष्ट लग सकता है, परंतु शायद आपके रंगमंच के भय का एक कारण यह भी हो सकता है कि आपको चिंता हो कि लोग आपको उबाऊ समझेंगे। ठीक है कि आप उबाऊपन की चिंता कर रहे हैं, क्योंकि आपकी सामाग्री ही उबाऊ है। चाहे आप कितने भी नीरस विषय पर बोल या प्रस्तुति कर रहे हों, वे तरीके सोचिए जिनसे आप उसे सुलभ और आकर्षक बना सकें। आप अपनी प्रस्तुति के संबंध में कम चिंतित होंगे यदि आपकी सामग्री आकर्षक होगी। [३]
    • यदि उचित हो तो हास्य के लिए थोड़ा स्थान रखिए। कुछ चुट्कुले डालिए ताकि श्रोताओं का तनाव कम हो सके और उन्हें आराम मिले।
  2. जब आप अपना प्रेजेंटेशन बना रहे हों तब श्रोताओं की आवश्यकताओं, ज्ञान और अपेक्षाओं का ध्यान रखिए। यदि आप कम आयु के श्रोताओं को संबोधित कर रहे हों, तब सामग्री, ध्वनि और वाक शक्ति को आवश्यकतानुसार समायोजित करिए। यदि श्रोता अधिक उम्र के और कर्कश हों, तब थोड़ा अधिक व्यावहारिक और तार्किक बन जाइए। यदि आपको पता होगा कि आप श्रोताओं तक पहुँच पा रहे हैं, तब आपकी परेशानी कम हो जाएगी।
  3. रंगमंच पर पहुँच कर परेशान होने के संबंध में मज़ाक मत करिए। चूंकि आप वहाँ पर हैं ही, इसलिए सब लोग यही समझेंगे कि आपमें आत्मविश्वास भरा हुआ है। यह उद्घोषणा करने से कि आप परेशान हैं, आपको शायद अच्छा लग सकता है, परंतु आपके श्रोता आप पर विश्वास करने के स्थान पर आप पर से विश्वास हटा लेंगे।
  4. जब आप प्रस्तुति कर रहे हों, तब उसको विडियोटेप करिए। तब तक प्रस्तुत करते रहिए और टेप करते रहिए, जब तक कि आप रिकॉर्डिंग को देख कर यह न कह उठें, “वाह, क्या उम्दा प्रस्तुतीकरण है!” यदि आपको टेप देख कर प्रसन्नता नहीं होती है तब लोगों को भी आपको वैयक्तिक रूप से देख कर भी प्रसन्नता नहीं होगी। जब तक आपको नहीं लगे कि सब ठीक है, तब तक इसे करते रहिए। जब आप रंगमंच पर हों, तब केवल इतना याद रखिए कि आप वीडियो में कितने शानदार लग रहे थे, और स्वयं को बताइये कि आप उससे भी बेहतर कुछ कर सकते हैं।
  5. आप रंगमंच पर आगे पीछे चल कर अपनी परेशानीजन्य ऊर्जा को व्यय कर सकते हैं और दर्शकों के निकट पहुँच सकते हैं। यदि आप ऊर्जापूर्ण ढंग से अपनी बात समझाने के लिए मुद्राएँ बनाते हैं, तब आप केवल चल फिर कर अपने रंगमंच के भय पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। परंतु अपने हाथों को एकसाथ रखकर, अपने बालों में उँगलियाँ डालकर, या अपने माइक्रोफ़ोन या स्पीच या प्रस्तुति के नोट्स के साथ व्यग्रता मत प्रदर्शित करिए।
    • व्यग्रता से केवल आपका तनाव बढ़ेगा और आपके श्रोताओं को दिखेगा कि आप बेचैन हैं।
  6. अधिकांश सार्वजनिक भाषण देने वाले अपने रंगमंच के भय का प्रदर्शन जल्दी-जल्दी बोल कर करते हैं। शायद आप जल्दी-जल्दी इसलिए बोल रहे हों क्योंकि आप परेशान हों तथा चाहते हों कि आपका भाषण या प्रस्तुति जल्दी समाप्त हो जाये, परंतु इससे वास्तव में आपको अपने विचारों को स्पष्ट करने में और श्रोताओं तक पहुँचने में अधिक कठिनाई होगी। अधिकांश लोग जो जल्दी-जल्दी बोलते हैं, उन्हें यह एहसास भी नहीं होता है कि वे ऐसा कर रहे हैं, इसलिए प्रत्येक नए विचार के बाद एक सेकंड के लिए रुकने की याद रखिए और अपने श्रोताओं को महत्त्वपूर्ण वक्तव्यों पर प्रतिक्रिया देने के लिए कुछ जगह छोड़ दीजिये।
    • धीरे-धीर बोलने से आपके द्वारा शब्दों पर लटपटाने या गलत बोलने की संभावना कम हो जाएगी।
    • अपनी प्रस्तुति का समय पहले ही जान लीजिये। अपनी प्रस्तुति को उचित समय में समाप्त करने के लिए जिस गति की आवश्यकता हो, उसकी आदत डाल लीजिये। घड़ी पास में रखिए और उसपर नज़र डालते रहिए ताकि आपकी गाड़ी पटरी से न उतरने पाये।
  7. यदि आप वास्तव में अपने रंगमंच के भय से निबटना चाहते हैं तो आपको अपने श्रोताओं से, बाद में, फ़ीड बैक मांगना चाहिए कि आपने किया कैसा, सर्वे करना चाहिए या श्रोताओं में बैठे हुये सहकर्मियों से उनकी ईमानदारी से दी गई राय मांगनी चाहिए। आपने जो भी अच्छा किया होगा, उससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और यह जानना कि आप कहाँ सुधार कर सकते हैं, आपको अगली बार रंगमंच पर अधिक विश्वास के साथ आने में सहायता करेगा। [४]
विधि 3
विधि 3 का 4:

रंगमंच के भय पर विजय पाने के लिए सामान्य नीतियाँ

आर्टिकल डाउनलोड करें
  1. चाहे आपके हाथ पैर ठंढे हो रहे हों और दिल की धड़कन बढ़ी हुयी हो, तब भी संसार के सबसे शांत व्यक्ति जैसा नाटक करिए। सिर ऊंचा उठाकर तथा चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान के साथ चलिये और किसी को यह मत बताइये कि आप कितने परेशान हैं। जब आप रंगमंच पर पहुँचें तो यही मुद्रा बनाए रखिए और आप वास्तव में विश्वास से भर जाएँगे।
    • फ़र्श पर देखने के स्थान पर सीधे सामने देखिये।
    • झुकिए मत।
  2. प्रस्तुति वाले दिन के लिए एक ऐसा अनुष्ठान निर्धारित करिए जिससे हटा न जाये। चाहे तो यह प्रस्तुति वाली सुबह तीन मील की दौड़ हो, या प्रस्तुति से पहले का वही “अंतिम भोजन” हो, या वही गीत स्नान के समय गाना हो, या वही भाग्यशाली मोज़ों का पहनना हो। सफलता के लिए तैयार होने को जो भी करना पड़े वह करिए।
    • टोटका अनुष्ठान का एक महत्त्वपूर्ण भाग होता है। वह आपके लिए महत्त्वपूर्ण किसी आभूषण का भाग हो सकता है, या कोई हास्यास्पद रुई भरा जानवर जो कि ड्रेसिंग रूम से आपका उत्साह बढ़ाता रहता हो।
  3. अपनी प्रस्तुति या कार्यक्रम की चमत्कारी सफलता पर ध्यान केन्द्रित करिए, न कि उन चीज़ों पर जो गड़बड़ हो सकती हैं। प्रत्येक नकारात्मक विचार का मुक़ाबला पाँच सकारात्मक विचारों से करिए। अपनी जेब में एक इंडेक्स कार्ड रखिए जिस पर प्रेरणादायक उक्तियां लिखी हों, या कुछ भी ऐसा करिए जिससे आपको महसूस होने वाले भय और परेशानी के स्थान पर आपका ध्यान कार्यक्रम से होने वाले लाभों पर केन्द्रित हो सके।
  4. आदि आपका ऐसा कोई मित्र है जो अत्यंत श्रेष्ठ प्रस्तुति करता हो, चाहे वह रंगमंच पर अभिनय हो या अन्य प्रस्तुति, उसकी सलाह लीजिये। आप कुछ नई तरकीबें सीख पाएंगे और आपको इससे भी संतोष मिलेगा कि चाहे कोई रंगमंच पर कितना भी विश्वस्त क्यों न दिखता हो, लगभग सभी को रंगमंच से भय लगता ही है।
विधि 4
विधि 4 का 4:

अभिनय की प्रस्तुति के लिए रंगमंच के भय पर विजय पाना

आर्टिकल डाउनलोड करें
  1. रंगमंच पर जाने से पहले कल्पना में देखिये कि किस प्रकार से आप छा जाते हैं। कल्पना करिए कि लोग खड़े होकर आपका अभिवादन करते हैं, दर्शकों के चहरे पर आई मुस्कान के चित्र की कल्पना करिए और अपने साथी अभिनेताओं और निर्देशक द्वारा आपके काम की प्रशंसा सुनिए। जितना अधिक आप बुरा होने के स्थान पर, सर्वश्रेष्ठ परिणाम की कल्पना करेंगे, उतना ही अधिक उसके वास्तव में होने की संभावना होगी। दर्शकों के दृष्टिकोण से रंगमंच पर अपने चमत्कारी होने की कल्पना करिए।
    • जल्दी शुरू करिए। जिस पल से आपको रोल मिलता है उसी पल से अपनी सफलता की कल्पना शुरू कर दीजिये। यह कल्पना करने की आदत डालिए कि आप कितना बढ़िया काम करेंगे।
    • जैसे जैसे शुरू करने की तिथि निकट आती जाये वैसे-वैसे आप प्रति रात्रि सोने से पहले और हर सुबह जागने के बाद अपने बढ़िया काम का मनःचित्र देखते हुये, सफलता की कल्पना करने का प्रयास बढ़ाते जा सकते हैं।
  2. जब तक आपको याद न हो जाये तब तक इसको करते रहिए। अपने से पिछले वक्ता के भाषण को याद कर लीजिये, ताकि आप अपने संकेत को पहचान सकें। परिवार, मित्रों, रुई भरे जानवरों और हो सके तो खाली कुर्सियों के सामने अभ्यास करिए, ताकि आपको लोगों के सामने प्रस्तुत करने की आदत पड़ सके। [५]
    • प्रस्तुति के भय का एक कारण यह भी है कि आपको लगता है कि आप अपनी पंक्तियाँ भूल जाएँगे और आपको समझ में नहीं आयेगा कि करना क्या है। इस प्रकार के भूल जाने से बचने के लिए सबसे बढ़िया तरीका है उनसे जितना हो सके, उतना परिचित हो जाना।
    • लोगों के सामने अभ्यास करने का लाभ यह है कि आप अपनी पंक्तियाँ अकेले में नहीं दोहरा रहे होंगे। ठीक है कि आप जब कमरे में अकेले अभ्यास कर रहे होंगे तब तो आपको वे पूरी तरह याद होंगी, परंतु दर्शकों के सम्मुख बात ही कुछ अलग होगी।
  3. यदि आप वास्तव में रंगमंच के भय पर विजय पाना चाहते हैं, तब वास्तव में उस चरित्र की गतिविधियों, विचारों और चिंताओं में बस जाने का प्रयास करिए। आप जितना अधिक उस चरित्र के साथ सामंजस्य में होंगे, जिसको आप अभिनीत करना चाहते हैं, आपके द्वारा अपनी चिंताओं को भूलने में उतनी सफलता मिलने की संभावना होगी। कल्पना करिए कि आप वही व्यक्ति हैं, न कि वह परेशान अभिनेता जो उस व्यक्ति का अभिनय करना चाहता है।
  4. दर्पण के सम्मुख अपनी पंक्तियाँ दोहरा कर आत्मविश्वास पैदा करिए। आप यह देखने के लिए अपनी प्रस्तुति को टेप भी कर सकते हैं की आप कितने शानदार हैं, और फिर ढूंढ सकते हैं कि किन क्षेत्रों में आपको सुधार की आवश्यकता है। यदि आप तब तक स्वयं को टेप करते या देखते रहते हैं, जब तक कि आप को यह न लगे कि बस अब तो अति हो गई है, तब आपकी रंगमंच पर सफलता की संभावना काफी बढ़ जाएगी।
    • स्वयं की प्रस्तुति को देख पाने की क्षमता आपके अज्ञात के भय से भी आपको मुक्ति दिला देगा। यदि आपको पता होगा कि आप रंगमंच पर कैसे दिखेंगे, तब आप वहाँ पर अधिक सहज हो पाएंगे।
    • अपनी अदाओं पर ध्यान दीजिये और देखिये कि आप बोलते समय अपने हाथों को कैसे चलाते हैं।
      • ’’ध्यान रखिए’’: यह सबके लिए लागू नहीं होता है। इस तरकीब से कुछ लोगों को संकोच होने लगता है और वे अपने पूरे शरीर के संचालन के संबंध में सावधान हो जाते हैं। यदि स्वयं को देखने से आपको परेशानी होती है तब इस तरकीब से दूर ही रहिए।
  5. इंप्रोवाइज़ेशन एक ऐसा कौशल है जिसकी महारत सभी अभिनेताओं को प्राप्त करनी चाहिए। अनेक अभिनेता अपनी पंक्तियाँ भूल जाने या उनमें गड़बड़ हो जाने की संभावना से इतने चिंतित रहते हैं कि उन्हें यह विचार ही नहीं आता है कि अन्य पात्र भी ऐसी गलतियाँ कर सकते हैं; इंप्रोवाइज़ करने की जानकारी होने से आपको यकायक प्रस्तुति करने में या किसी भी परेशानी का सामना करने में सहजता महसूस करने में सहायता मिलेगी।
    • इंप्रोवाइज़ेशन से आपको यह जान पाने में भी सहायता मिलेगी कि आप प्रस्तुति के हर आयाम को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं। बात सम्पूर्ण होने की नहीं है – बात है कि किसी भी परिस्थिति में उचित प्रतिक्रिया देने की।
    • यदि कुछ अनपेक्षित होता है तब चकित या खोये हुये मत दिखिए। याद रखिए कि दर्शकों के पास पटकथा की प्रति नहीं होती है और वे तभी बता पाएंगे कि कुछ गलत हो रहा है, जब आप इसका संकेत देंगे।
  6. शारीरिक रूप से प्रस्तुति के पहले और उसके दौरान सक्रिय रहने से आपका तनाव कम होगा और दर्शकों की रुचि भी बनी रहेगी। यह ठीक है कि आपको हिलना डुलना तभी चाहिए जबकि चरित्र को इसकी आवश्यकता हो, परंतु अपने हिलने डुलने और मुद्राओं का लाभ ऐसे उठाइये कि आपका शरीर सक्रियता के कारण विश्रामावस्था में आ जाये।
  7. जब आप रंगमंच पर हों, केवल अपने शब्दों, अपने शरीर, तथा अपने चेहरे के भावों पर ध्यान केन्द्रित करिए। उसके बारे में विचार करके और स्वयं से परेशान करने वाले सवाल पूछकर समय नष्ट मत करिए। चाहे आप गा रहे हों, नाच रहे हों, या अपनी पंक्तियाँ दोहरा रहे हों, अपनी प्रस्तुति का आनंद लेना शुरू करिए और उसी पल में रहिए। यदि आपने अपना ध्यान वहाँ से हटाना सीख लिया है और पूरी तरह से अपनी प्रस्तुति में समाविष्ट हो चुके हैं, तब दर्शकों को पता चल जाएगा।

सलाह

  • यदि नृत्य में आप एक स्टेप गलत कर देते हैं, तो जब तक आप रुकेंगे नहीं, तब तक किसी को पता भी नहीं चलेगा। जारी रखिए और उन्हें लगेगा कि यह नृत्य का ही एक भाग है। पटकथा के साथ भी यही बात है, दर्शकों को तो पता नहीं होता है, तो यदि आप “एकाध” पंक्ति भूल भी जाते हैं, तथा आपको तुरत फुरत तैयारी करनी पड़ती है, तब भी चिंता मत करिए, और जारी रखिए।
  • यदि कोई शब्द भूल जाते हैं, तब रुकिए मत, जारी रखिए। उन शब्दों का प्रयोग करने का परीक्षण करिए जो पटकथा में नहीं भी हों। यदि दृश्य पर साथ काम करने वाला साथी कोई भूल करता है, “प्रतिक्रिया मत दीजिये”। उस भूल को या तो अनदेकखा कर दीजिये, या फिर यदि वह इतनी बड़ी हो कि उसको अनदेखा करना संभव नहीं हो, तब उस भूल के आस पास इम्प्रोवाइज़ करिए। इम्प्रोवाइज़ करने की क्षमता सच्चे अभिनेता की पहचान होती है।
  • यदि आपको दर्शकों से आँखें मिलाने में परेशानी होती है, तब प्रस्तुति के समय किसी दीवार अथवा रोशनी की तरफ़ देखिये।
  • हमारे कुछ सबसे बड़े अभिनेताओं को भी रंगमंच का भय हो जाता है। यह मत सोचिए कि आप अकेले हैं। बस काम शुरू करिए और शीघ्र ही आप उसमें इतना व्यस्त हो जाएँगे कि आप भूल जाएँगे कि आप रंगमंच पर हैं।
  • याद रखिए, कि दर्शक आपको खा नहीं जाएँगे! इसलिए तनाव रहित रहिए और आनंद लीजिये। अभिनय गंभीर बात “है”, परंतु आप तब भी मज़े ले सकते हैं।
  • कल्पना करिए कि आप घर पर या किसी और जगह पर अपने मित्रों के साथ अभ्यास कर रहे हैं।
  • पहले परिवार के सम्मुख अभ्यास करिए और फिर मित्रों के, शीघ्र ही आप रंगमंच पर होंगे जिसकी सबलोग तालियाँ बजा कर प्रशंसा कर रहे होंगे।
  • कभी कभी थोड़ा परेशान होना ठीक है। यदि इतना अधिक भय है कि आपसे भूल हो ही जाएगी, तब आप अधिक सावधान हो जाएँगे। अधिकतर भूलें वही लोग करते हैं जो अधिक ही आत्मविश्वासी होते हैं।
  • याद रखिए कि भय और उल्लास एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। यह केवल उनके प्रति आपकी मनोभावना है जो यह निर्धारित करती है कि आप उनसे भयभीत होते हैं अथवा उत्तेजित।
  • पहले छोटे समूहों के साथ अभ्यास करिए फिर बड़े समूहों में जाइए।
  • (यदि संभव हो) तो यह कल्पना करने का प्रयास करिए कि दर्शक आपसे अधिक मूर्ख दिख रहे हैं। दर्शकों को अजीबो-गरीब पोशाकों में देखने की कल्पना करना भी आपको अच्छा लगने में सहायता कर सकता है या पीछे की दीवार पर नजर केन्द्रित कर दर्शकों की ओर देखने से बिलकुल ही बचिए तथा तब तक दीवार से नज़रें मत हटाइए जब तक कि या तो आप सहज न हो जाएँ या रंगमंच से जाने की तैयारी न कर रहे हों।
  • कभी कभी स्वयं को यह विश्वास दिलाने से कि आप शेष सभी से अच्छा काम करेंगे आपके आत्मविश्वास को बढ्ने में सहायता मिल सकती है। ‘कार्यक्रम से पूर्व का अनुष्ठान’ करिए परंतु सावधान रहिए कि आपमें अहंकार न आए, उससे आपकी प्रस्तुति में सहायता नहीं मिलेगी।
  • आमतौर पर, जब आप प्रस्तुति कर रहे होते हैं, तब बड़ी-बड़ी स्पॉट लाइट्स होती हैं, और आपको इनके कारण ऐसा अंधापन आ जाता है कि आपको दर्शक दिखते ही नहीं हैं। यदि आप बहुत भयभीत हों, तब रोशनियों पर दृष्टि केन्द्रित करने का (बिना स्वयं को अंधा किए) प्रयास करिए। परंतु अन्तरिक्ष में मत देखिये और न ही उनको सारे समय देखते ही रहिए। इसके साथ ही यदि आप किसी नाट्यशाला में हो रहा होगा तब, दर्शक दीर्घा में रोशनियाँ कम कर दी जाती हैं जिससे कि भीड़ के स्थान पर एक बड़ा सा खाली स्थान दिखता है।
  • यदि आपकी पहली प्रस्तुति ठीक ठाक होती है तब आपको अगली प्रस्तुति के लिए रंगमंच का भय (यदि होगा तो) कम होगा।
  • यदि आपसे गड़बड़ हो भी जाती है तो परवाह किसे है! आप इसके बारे में बाद में हँसेंगे।
  • यदि आप रंगमंच पर जाने से पहले अपने परिवार के सामने प्रस्तुति कर देते हैं तो इसमें कोई गलत बात नहीं है क्योंकि इससे सहायता ही मिलती है!
  • यदि आप अपने मित्र तथा परिवार के श्रोताओं के सम्मुख गा रहे हैं और आप कोई शब्द या पंक्ति भूल जाते हैं, तब रुकिए मत क्योंकि यदि आप रुक जाएँगे तभी लोगों को आपकी गलती का पता चलेगा।
  • कल्पना करिए कि आप अकेले हैं, कोई और आपको देख नहीं रहा है, इसीसे आपको ध्यान का केंद्र बनने से बचने में मदद मिलेगी।
  • यदि आप किसी विशेष चरित्र का अभिनय कर रहे हों, तब पोशाक को घर ले जाने की अनुमति मांगिए ताकि आपको तुरंत ही उसकी आदत पद जाये। दर्पण के सम्मुख पोशाक को पहन कर, अपनी पंक्तियों का अभ्यास करिए।
  • जान लीजिये कि सब लोग आपका समर्थन कर रहे हैं! यह सोच कर मत डरिए कि लोग आपको परेशान करेंगे। विश्वास रखिए!
  • रंगमंच के भय पर विजय पाने के विभिन्न तरीकों के बार एमें सोचिए जैसे कि उनके सिरों के ऊपर देखना या कल्पना करना कि वे अंतर्वस्त्रों में हैं।
  • अभ्यास और अधिक अभ्यास, घर पर और मित्रों के साथ। और साथ ही लोगों से पूछिए कि क्या आप कुछ गड़बड़ या गलती कर रहे हैं। विश्वास बनाए रखिए और यदि आप अभी भी भयभीत हों तब ऐसे कुछ लोगों से बात करिए, जो आपको प्रभावित करते हों। और स्वयं ही बने रहिए। यदि आप गड़बड़ कर ही बैठें, तो भी चलते रहिए, क्योंकि गड़बड़ी करने के बाद रुक जाना अच्छी बात नहीं है।
  • जब आप व्यग्र हों, तब नाक से सांस लेना और मुंह से निकालना, आपको शांत रहने में सहायता प्रदान करता है। एक और सुझाव, जब आप रंगमंच पर हों तब कमरे में पीछे की ओर किसी चीज़ पर अपनी नज़रें जमाये रखिए। इससे आपको सहायता मिलेगी क्योंकि आपको ऐसा लगेगा कि आप अपने आपे में हैं।
  • सुनिश्चित करिए कि आपको अपनी क्षमता भर, प्रस्तुति के पहले सारे शब्द/नृत्य के क़दम याद हों। स्वयं को बताइये कि आपको पता है कि करना क्या है, तथा इसीसे आपको यह विश्वास करने में सहायता मिलेगी कि आप सब कुछ ठीक ही करेंगे!
  • प्रस्तुति के पहले मित्रों के सम्मुख गाने का प्रयास करिए। इससे आपको रंगमंच के भय पर विजय पाने में सहायता मिलेगी।
  • यदि आपसे भूल हो ही जाये तो बस जारी रखिए और ऐसा ढोंग करिए, जैसे कि यह उस प्रस्तुति का भाग हो।

चेतावनी

  • यथासंभव तैयार रहिए। अभ्यास ही कुंजी है, और आप जितना अधिक अभ्यास करेंगे, उतना ही विश्वस्त महसूस करेंगे। यह कहने की तो आवश्यकता ही नहीं है कि आपकी क्रियाओं, भाषा, तथा प्रस्तुति की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
  • सुनिश्चित करिए कि आपके रंगमंच पर जाने से पहले बाथरूम अवश्य जाएँ!
  • रंगमंच पर जाने से पहले अधिक मत खाइये अन्यथा आपको उल्टी आती हुयी लगेगी। इससे आपकी ऊर्जा में भी कमी आएगी। प्रस्तुति के बाद ही भोजन करिए।
  • जब तक आप चरित्र की पोशाक न पहने हुये हों, सुनिश्चित करिए कि आप ऐसी कोई पोशाक पहनें जिसमें आप सहज और आरामदेह महसूस करें। आप नहीं चाहेंगे कि आप अपनी वेषभूषा के कारण रंगमंच पर संकोच में पड़ जाएँ। साथ ही ऐसा कुछ पहनें जिसमें अधिक शरीर प्रदर्शन न हो तथा जो आपकी प्रस्तुति के लिए उपयुक्त हो। आप नहीं चाहेंगे कि प्रस्तुति के दौरान आपके कपड़ों में कुछ गड़बड़ हो जाये! ऐसा कुछ पहनिए जिसमें आप अच्छे दिखें और जिसे पहनने से आप गर्वित हो सकें। इससे आप अपनी दिखावट के प्रति और विश्वस्त हो सकेंगे।
  • अपने संकेतों की याद रखिए! कम अनुभवी अभिनेताओं की सबसे सामान्य भूलों में से एक है कि उन्हें अपनी पंक्तियाँ तो पता होती हैं, परंतु यह नहीं कि वे कब आने वाली हैं। यदि आपको संकेतों की ठीक से याद नहीं है, तब आपके सम्मुख एक अटपटी सी ख़ामोशी ही रह जाएगी।

विकीहाउ के बारे में

सभी लेखकों को यह पृष्ठ बनाने के लिए धन्यवाद दें जो ५,५२६ बार पढ़ा गया है।

यह लेख ने कैसे आपकी मदद की?