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यदि आप वास्तव में लेखक बनना चाहते हैं तब तो आपको मौलिक और उत्तेजक विचारों को उत्पन्न करने के लिए घंटों खर्चने को तैयार रहना होगा। आप अपना “वास्तविक” काम शुरू कर सकें उसके पहले आपको सुबह तड़के ही जागना होगा। घर आते समय ट्रेन की यात्रा के दौरान आपको अपने विचार कहीं नोट कर लेने होंगे। इसमें कुछ घंटे तो तनावपूर्ण होंगे, मगर कुछ अन्य इतने लाभकर होंगे कि आप उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। और एक किताब लिखना और उसको विश्व भर में फैला देना एक ऐसा भाव है जो कि बस सबसे बढ़िया है। क्या आपको लगता है कि आपमें वह सब कुछ है जो एक लेखक में होना चाहिए? इन चरणों का अनुपालन करिए और पता लगाइए।
चरण
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जो भी आप पढ़ सकते हों, उसे पढ़िये: जब आप लेखक बनने के प्रेरणापूर्ण जीवन की कल्पनाओं में डूबे हों तब संभवतः आप यह तो “नहीं” सुनना चाहते होंगे, परंतु पढ़ाई ही आपकी सफलता की कुंजी होगी। यथासंभव पढ़ने से न केवल आप अपने लेखन कौशल को विकसित कर पाएंगे, अपने कार्य को सजाने के लिए नए विचार पायेंगे, और अपनी किताब लिखने के लिए आवश्यक धैर्य विकसित कर पाएंगे बल्कि आपको यह जानकारी भी मिलेगी कि बाज़ार में आजकल क्या बिक रहा है। प्रतिदिन जितनी हो सके उतनी किताबें पढ़ने के लिए कुछ समय निकालिए, और प्रयास करिए कि जितनी विधाओं की संभव हो, उतनी विधाओं की पुस्तकें पढ़ डालिए। [१] X रिसर्च सोर्स
- यदि आप जानते हों कि आपको किस विधा में लिखना है, चाहे वह विज्ञान फंतासी हो या कथेतर साहित्य, आपको उसी विधा की पुस्तकें पढ़ने पर ध्यान लगाना चाहिए। मगर आम तौर पर और पढ़ा लिखा होने के लिए आपको, जितना संभव हो उतने विस्तार से पढ़ना चाहिए।
- आप जितना अधिक पढ़ेंगे उतना ही आप रुढ़ोक्तियों से परिचित होते जाएँगे। आप चाहते हैं कि आपकी पुस्तक कुछ अलग दिखे, तो अगर आपको एक जैसी दस पुस्तकें दिखती हैं, तब आपको कुछ नया दृष्टिकोण अपनाना होगा।
- यदि आपको कोई पुस्तक सचमुच में पसंद आती है, तब स्वयं से पूछिए कि उसमें ऐसा क्या है, जो उसे आपके लिए इतना विशेष बना देता है। क्या वह विचित्र मुख्य पात्र है? क्या वह सुंदर गद्य है? क्या वह जगह विशेष है? जितने निकट से आप यह जान पाएंगे कि कोई पुस्तक आपको क्यों पसंद आई है, उतनी ही सरलता से आप यह जान पाएंगे कि आप कैसे अपने कार्य को अपने पाठकों के लिए प्रभावशाली बना पाएं।
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छोटी शुरुआत करिए: यदि आप लेखक बनना चाहते हैं, तब तो शायद आपको सम्पूर्ण कथेतर कार्य या उपन्यास प्रकाशित करवा कर शुरुआत करनी होगी। प्रथम कार्य के रूप में निबंधों या कथाओं का संग्रह बेचना कठिन होगा। इसके साथ ही यह भी कहना पड़ेगा कि एकदम से उपन्यास या सम्पूर्ण कथेतर कार्य कर देना कठिन होगा। अतः, यदि आपकी रुचि कल्पनात्मक साहित्य में है, तो शैली की समझ के लिए पहले कदम के तौर पर कुछ छोटी छोटी कहानियाँ लिख डालिए। और यदि आपकी अभिरुचि कथेतर साहित्य में है तो सम्पूर्ण कार्य में कूद पड़ने से पहले, कुछ छोटे छोटे निबंध लिखिए।
- इसका अर्थ यह नहीं है कि कहानियाँ किसी भी प्रकार से उपन्यासों से निम्न स्तर की होती हैं। वर्ष 2013 के साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता एलिस मुनरो ने अपने सम्पूर्ण विख्यात जीवनकाल में एक भी उपन्यास प्रकाशित नहीं किया। परंतु तब भी यह कहना ही होगा कि आज कल केवल कहानियाँ लिख कर ख्याति प्राप्त करना कठिन है। [२] X रिसर्च सोर्स
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लेखन में शैक्षिक उपाधि प्राप्त करने के बारे में विचार करिए: यदि आप साहित्यिक कथा या कथेतर साहित्य प्रकाशित करना चाहते हैं तब भाषा में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त करना एक अच्छी बात हो सकती है। यदि आप कुछ अधिक व्यावसायिक लिखना चाहते हैं, जैसे कि विज्ञान फंतासी या रूमानी उपन्यास, तब इस राह से जाने की आवश्यकता नहीं है, हालांकि तब भी इस से मदद मिल सकती है। सृजनात्मक लेखन में डिग्री प्राप्त कर लेना लेखक जीवन का प्रवेशद्वार है, इससे आप अन्य लेखकों के समूह में सम्मिलित हो जाते हैं तथा आपको लाभकारी फीडबैक प्राप्त होने लगता है और साथ ही आपको अपने कौशल को निखारने के लिए दो अथवा तीन वर्ष भी मिल जाते हैं। [३] X रिसर्च सोर्स
- अनेक सफल लेखक जिनकी किताबें प्रकाशित होती रहती हैं या तो स्नातकोत्तर कक्षाओं के या सृजनात्मक लेखन की कक्षाओं के अध्यापन का कार्य करते हैं। यह करने के लिए आपको सृजनात्मक लेखन में डिग्री की आवश्यकता होगी, अतः यदि यही आपकी इच्छा है, तब डिग्री प्राप्त करने के विषय में ध्यान दीजिये।
- सृजनात्मक लेखन में डिग्री प्राप्त करने से आपको जान पहचान बढ़ाने में भी सहायता मिलेगी। आप उन अध्यापकों से मिलने का पाएंगे जो आपके कार्य को प्रकाशित करवाने में या अन्य प्रकार से भी आपकी सहायता कर सकेंगे।
- लेखन में डिग्री मात्र आपके लिए सफलता के द्वार “नहीं” खोल देगी। परंतु उससे आपके कौशल में निश्चय ही सुधार आयेगा।
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फीडबैक प्राप्त करिए: यदि आपने किसी लेखन कार्यक्रम में दाखिला ले लिया है, तब तो आप लेखन कार्यशालाओं में बहुत समय बिताएँगे ही, जहां पर आपको अपने समकक्ष व्यक्तियों से फीडबैक प्राप्त हो ही जाएगा। आपने अध्यापकों के साथ स्वतंत्र रूप से भी कार्य किया होगा और व्यक्तिगत रूप से भी आपको फीडबैक मिलेगा ही। परंतु यदि आपने यह राह नहीं चुनी है, तब आपको किसी लेखकों के समूह में सम्मिलित हो जाना चाहिए, स्थानीय सामुदायिक कॉलेज या प्रौढ़ शिक्षा के विद्यालय में होने वाले लेखन कार्यशाला में जाना चाहिए या कुछ विश्वस्त मित्रों को अपना कार्य दिखाना चाहिए।
- हालांकि फीडबैक सदैव ही संदेह के साथ ही स्वीकार किया जाना चाहिए, परंतु फीडबैक प्राप्त कर लेने से आपको कम से कम यह तो पता चल ही जाता है कि आप हैं कहाँ।
- फीडबैक प्राप्त करने से आपको पता चलेगा कि आपका काम प्रकाशन योग्य हो गया है अथवा अभी उसमें कुछ काम और करना होगा। हाँ, आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आप सही प्रकार के पाठकों से ही संपर्क कर रहे हों – वे लोग जो वास्तव में आपके काम को समझ सकते हों और जिन्हें पता हो कि आप किस संदर्भ में काम कर रहे हैं।
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अपना कार्य छोटे प्रकाशकों को देने से प्रारम्भ करिए: यदि आपके पास कुछ कहानियाँ या कथेतर निबंध आदि इतने तैयार हैं कि उनको प्रदर्शित किया जा सकता है, तब आपको चाहिए कि उन्हें छपने के लिए ऐसी कुछ साहित्यिक पत्रिकाओं में भेजें जिनमें उस विधा का प्रकाशन होता हो, जैसे कि ऐसी पत्रिकाएँ जिनमें विशेष रूप से रूमानी या ऐतिहासिक कथाएँ छपती हों। किसी ऐसी वेबसाइट पर जाइए जहां से आपको सभी पत्रिकाओं में छपने वाली विधाओं की जानकारी एक ही स्थान पर मिल सके। आपको बस इतना ही करना है कि अपनी पाण्डुलिपि तैयार कर लीजिये, उसके साथ में पत्रिका के संपादक के नाम एक पत्र लिखिए और भेज दीजिये, तत्पश्चात आपको बस इंतज़ार करना ही रह जाता है। [४] X रिसर्च सोर्स
- यह आपका उस चीज़ से पहला सामना होगा जो कि लेखकों के लिए आम होती है: बारंबार की अस्वीकृति। इसको बहुत दिल से मत लगा लीजिये और समझ लीजिये कि यह भी खाल मोटी करने की एक विधि है।
- कुछ पत्रिकाओं में कार्य जमा करने के लिए कुछ शुल्क भी देना पड़ सकता है। यह है तो कष्टदायक, मगर इसका अर्थ यह नहीं है कि वे पत्रिकाएँ आपको लूट लेना चाहती हैं, बल्कि सच तो यह है कि अक्सर ऐसी पत्रिकाएँ बहुत ही कम बजट में चलायी जाती हैं।
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मौलिक विचार का सृजन करिए: आपको सबसे पहला काम तो यह करना है कि एक ऐसा विचार सामने लाना है जो लोगों को उत्सुक और उत्तेजित कर सके। शायद आपको उस विचार की प्राप्ति से पहले ही लिखना शुरू कर देना होगा – शायद आप 300 पेज लिखने तक यह जान भी नहीं पाएंगे कि आपकी किताब “असल” में है किस बारे में। तब भी एक सामान्य आधार से शुरुआत करिए – स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान किसी लड़की के बड़े होने की कहानी, या भारत में सरकारी विद्यालयों के संबंध में कथेतर कार्य – और तब देखिये कि आप उसे कहाँ ले जा सकते हैं।
- यह जानने से पहले ही कि आपका विचार कितना विक्रेय है, शायद आप अपनी पुस्तक पूरी कर देना चाहेंगे। परंतु तब भी यदि आप अपने विचार के विषय में बाज़ार में शोध कर लें तब आपको थोड़ी सहायता मिल सकती है। आपको पता चल सकता है कि बिलकुल आपकी पुस्तक जैसी ही एक पुस्तक पहले ही उपलब्ध है, तब तो आपको अपने विचार में कुछ परिवर्तन करना पड़ ही सकता है।
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विधा का चयन करिए: हालांकि विधाओं में परिवर्तन लाने वाली पुस्तकों की लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है – जैसे कि मारग्रेट एटवूड के उपन्यास जिनमें साहित्यिक कल्पना का सम्मिश्रण विज्ञान फंतासी में होता है, इससे आपको अपनी विधा में रहते हुये अपने विचारों का सम्प्रेषण कर पाने में सहायता मिलती है। जब एक बार आपको पता चल जाये कि आपकी विधा क्या है, तब आपको उसकी सभी परम्पराओं को जान लेना चाहिए, और आपको यह भी समझ लेना चाहिए कि कैसे आप उन परम्पराओं को अपने हित के लिए परिवर्तित कर सकते हैं या स्थापित नियमों के अंतर्गत ही रहना चाहते हैं। ये कुछ लोकप्रिय विधाएँ हैं जिनके बारे में आप विचार कर सकते हैं:
- कथेतर
- विज्ञान फंतासी
- फ़्लैश (Flash) फंतासी
- ऐक्शन कथाएँ
- डरावनी
- रहस्यमयी
- रूमानी
- ऐडवेंचर
- फंतासी
- राजनीतिक कथाएँ
- 55 कथाएँ
- युवा वयस्कों के लिए कथाएँ
- माध्यमिक स्तर की कथाएँ
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मूल मुद्दे समझ लीजिये: संभव है कि जैसे जैसे आप आगे बढ़ें, आप यह करते जाएँ या हो सकता है कि कुछ भी लिखने से पहले ही आपने सब कुछ समझ लिया हो। यह कुछ बिन्दु हैं जिन्हें आपको पुस्तक लिखते समय ध्यान में रखना होगा:
- कौन: मुख्य और/या सहायक चरित्र, प्रतिद्वंद्वी
- दृष्टिकोण: आपकी पुस्तक किस प्रकार से लिखी जाएगी, प्रथम पुरुष, द्वितीय पुरुष या अन्य पुरुष में?
- कहाँ: आपके कार्य का स्थान और काल, और उसके दौरान वे लोग कहाँ कहाँ जाएँगे।
- क्या: कथानक या मुख्य विचार।
- क्यों: चरित्र क्या करना चाहते हैं या क्या करेंगे?
- कैसे: वह करने के लिए वे कौन से तरीकों का उपयोग करेंगे?
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अपरिष्कृत प्रारूप तैयार करिए: लेखन पर अपनी क्लासिक पुस्तक Bird by Bird में एन लेमोट ने भयावह प्रथम प्रारूप के महत्व के संबंध में लिखा है। “और आपको बिलकुल यही लिखना होगा: वास्तव में एक बुरा, परेशान करने वाला, उलझा हुआ लेखन जिसमें आपके उस अंतिम प्रारूप के बीज होंगे, जो आप एक दिन लिखेंगे। आपको यह प्रथम प्रारूप किसी को दिखाने की आवश्यकता नहीं है, परंतु महत्वपूर्ण यह जान लेना है कि आपने कुछ प्राप्त कर लिया है। बिना किसी काट छाँट के और बिना यह सोचे कि लोग क्या कहेंगे, लिखते जाइए। यही आपका समय है अपने विचारों को सामने लाने का, उनका परिष्करण तो आप बाद में कर सकते हैं।
- पहला प्रारूप तैयार करने के बाद बस चलते जाइए। यदि आप भाग्य के धनी होंगे तब तो पहले या दूसरे प्रारूप के बाद आपको लगेगा कि आपके पास प्रस्तुत करने को कुछ है अन्यथा यह पता चलने में कि आपने सचमुच कुछ किया है आपको पाँच प्रारूप भी लग सकते हैं। इसमें कुछ महीने लग सकते हैं, एक साल या कई साल और यह इस पर आधारित होता है कि आपके पास समय कितना है और आपको अपनी परियोजना को विकसित करने में कितना समय लगता है।
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जब आप तैयार हों तब फीडबैक प्राप्त करिए: बहुत जल्दी फीडबैक प्राप्त करने से आपकी सृजनशीलता का दम घुट सकता है जिससे आपको ऐसा लग सकता है कि आप अभी तैयार नहीं हैं। मगर जब आप अपनी पुस्तक के समुचित प्रारूप लिख चुके होते हैं और यह विचार कर रहे होते हैं कि अब उसको संसार के सामने ले आया जाये, तब आपके लिए फ़ीडबैक प्राप्त करना इस लिए महत्वपूर्ण है कि आपको पता चल सके कि आप किस दिशा में जा रहे हैं। ऐसे विश्वस्त मित्रों से पूछिये जो आलोचना कर सकते हों और आपकी सहायता कर सकें, अपने कार्य को किसी लेखन कार्यशाला के सुपुर्द कर दीजिये, और यदि आप कथेतर लेखन कर रहे हों तब उस विषय के विशेषज्ञ से कहिए कि आपके कार्य को देख ले।
- यदि आपने उपन्यास लिखा हो तब उसके कुछ अध्यायों को किसी साहित्यिक प्रकाशक को भेज कर फीडबैक प्राप्त करिए।
- जब आपको ऐसा फीडबैक प्राप्त हो जाये जिस पर आप विश्वास कर सकें तब उसके अनुसार काम करिए। संभव है कि बिलकुल सही कृति प्राप्त करने के लिए आपको एक या दो प्रारूप और लिखने पड़ें।
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अपने कार्य की प्रूफ़रीडिंग करिए: यदि पुस्तक के पहले ही पृष्ठ पर टाइपिंग की त्रुटि हो जाती है तब तो आप ज़्यादह आगे नहीं जा पाएंगे। जब आपको लगता हो कि आपका कार्य सम्पूर्ण हो गया है, तब उसको छपवा लीजिये और आगे बढ्ने से पहले टाइपिंग की गलतियों के लिए, व्याकरण संबंधी भूलों के लिए, किसी बात के दोहराव को जाँचने के लिए या अन्य किसी भी ऐसी गलती को दूर करने के लिए जिन्हें आप पुस्तक में स्थान नहीं पाने देना चाहते हैं, पुस्तक की जांच कर लीजिये। यह देखने के लिए कि पुस्तक में कोई हास्यास्पद भूल या गलत स्थान पर अल्पविराम तो नहीं है, शायद आप अपनी पुस्तक को बोल कर भी पढ़ना चाहें।
- उपन्यास के प्रकाशन की तैयारी में प्रूफ़रीडिंग अंतिम चरण है। हालांकि प्रूफ़रीडिंग बीच में करने से भी सहायता ही मिलेगी, मगर अपरिष्कृत प्रारूपों की “महीन” प्रूफ़रीडिंग करने से कोई लाभ नहीं है क्योंकि अनेक वाक्य तो आप यूं भी बदल ही देंगे।
===पुस्तक का प्रकाशन===
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निश्चय करिए कि आप कौन सी राह चुनना चाहेंगे: जब आपको लगता है कि आपकी पुस्तक दुनिया के सामने लायी जाने को तैयार है तब आप तीन मुख्य तरीके अपना सकते हैं। ये हैं:
- पारंपरिक विधि: इस विधि के अनुसार आप अपनी पुस्तक किसी एजेंट को सौंप देते हैं और वह आपकी पुस्तक को किसी प्रकाशन गृह में प्रस्तुत करता है। अधिकांश लोग आपको बताएँगे कि किसी प्रकाशन गृह से पुस्तक प्रकाशित करवाने के लिए आपको एजेंट की आवश्यकता होती ही है।
- अपना कार्य सीधे किसी प्रकाशन गृह में प्रस्तुत करिए। आप एजेंट को छोड़ कर सीधे प्रकाशन गृह से संपर्क कर सकते हैं (वे, जो कि बिना मांगी गई पाण्डुलिपियों को देखने के लिए तैयार हों)। परंतु एजेंट के बिना यह कर पाना बहुत ही कठिन है।
- स्वयं-प्रकाशित करना। स्वयं-प्रकाशित पुस्तक विश्व के सम्मुख तो आ ही जाएगी परंतु यदि आप वास्तविक लेखक का जीवन बिताना चाहते हैं, तब यह विधि आपको उतना ध्यान नहीं दिलवा पाएगी, जितना आप चाहते हैं। परंतु यदि आपका उद्देश्य केवल आपनी कृति को विश्व के सम्मुख लाने का ही है, तब यह बढ़िया विकल्प है। आप ऑन लाइन सेवा, वैनिटी प्रेस या सीधे सीधे डी आई वाई (Do It Yourself) के प्रयोग से स्वयं-प्रकाशन कर सकते हैं।
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अपनी पाण्डुलिपि प्रकाशन के लिए तैयार करिए: चाहे आप अपनी पुस्तक किसी प्रकाशन गृह को देना चाहते हों या किसी साहित्यिक एजेंट को, आपको कुछ मूल परम्पराओं का अनुपालन करना होगा। आपकी पाण्डुलिपि दोहरी स्पेसिंग और पढ़े जा सकने योग्य फॉन्ट में, उपयुक्त आवरण पत्र के साथ, सभी पृष्ठों पर नंबरों तथा आपके अंतिम नाम तथा पुस्तक के शीर्षक के साथ प्रस्तुत की जानी चाहिए। [५] X रिसर्च सोर्स
- पाण्डुलिपि की संरचना कैसे की जाये इस संबंध में आप ऑनलाइन भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यदि आप सीधे किसी प्रकाशन गृह को को ही पाण्डुलिपि प्रस्तुत कर रहे हों तब ध्यान रखिए कि प्रत्येक प्रकाशन गृह की आवश्यकताओं में थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है।
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अपनी कृति किसी एजेंट को प्रस्तुत करें: बिना विचार किए किसी भी ऐसे वैसे एजेंट को जो पढ़ने को तैयार हो, अपनी कृति मत भेज दीजिये। या तो लेखकों और कवियों के लिए उपलब्ध किसी गाइड पुस्तिका की मदद लीजिये अथवा इन्टरनेट का सहारा लीजिये और पता करिए कि ऐसे कौन से एजेंट हैं जो सक्रिय रूप से नए ग्राहक स्वीकार कर रहे हैं, आपकी विधा की कृतियों के संबंध में उत्साहित हैं और जो वास्तव में प्रस्तुतियों के संबंध में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। आपके लिए सर्वथा उचित तो यही होगा कि आप ऐसे एजेन्टों का पता करें जो एक साथ प्रस्तुतियाँ स्वीकार करते हों, ताकि आप किसी प्रख्यात एजेंट, जो कभी उत्तर ही नहीं देता है, के उत्तर की प्रतीक्षा करने के स्थान पर, एक बार में पाँच एजेन्टों को अपनी कृति भेज सकें। [६] X रिसर्च सोर्स [७] X रिसर्च सोर्स
- अपनी कृति को एजेंट को सौंपने के लिए आपको एक प्रश्नात्मक परंतु संक्षिप्त पत्र लिखना होगा, जिसमें आपकी पुस्तक का कथानक हो, आपकी पुस्तक लेखक समुदाय में किस स्थान पर है, यह जानकारी हो और आपकी जीवनी से सम्बद्ध कुछ बातें हों।
- प्रत्येक एजेंट के प्रस्तुतीकरण संबन्धित दिशा निर्देशों को जान लीजिये। कुछ तो पहले केवल प्रश्नात्मक पत्र देखना चाहते हैं, जबकि कुछ पहले दो अध्याय देखना चाहते हैं।
- अपनी पाण्डुलिपि एक साथ 20 एजेन्टों को मत भेज दीजिये। आप पाएंगे कि आपको सभी जगहों से एक जैसा ही फीडबैक मिल रहा है, जिससे कि आप अपनी कृति को एजेन्टों के लिए और उत्साहवर्धक बना सकते हैं। यदि आपको किसी एजेंट नें अस्वीकृत कर दिया है तो आप उसी पुस्तक के लिए उसके पास तब तक दोबारा नहीं जा सकते हैं जब तक कि वह आप से उसकी संशोधित प्रति न मांगे, इसलिए अपने मौकों का ध्यान रखिए।
- इस काम में धैर्य की आवश्यकता है। संभव है कि आपको एजेंट से उत्तर पाने में ही महीनों लग जाएँ, इसलिए आपको प्रतीक्षा की कला को सीखना पड़ेगा और अगर आप पगलाना नहीं चाहते हैं तब हर तीन सेकंड पर ई मेल देखना छोड़ दीजिये।
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किसी एजेंट के साथ पंजीकरण कराये: अरे वाह! किसी एजेंट ने लिखा है कि उसे आपकी कृति पसंद आई है और वह चाहती है कि आप उसके साथ करार कर लें। क्या आप तुरंत ही करार पर हस्ताक्षर कर लेंगे? बिलकुल नहीं। आप एजेंट से बात करेंगे, ढेरों सवाल पूछेंगे, पुस्तक के संबंध में उनका दृष्टिकोण पता करेंगे और सुनश्चित करेंगे कि वह विधि संगत है तथा आपकी पुस्तक की बिक्री के प्रति प्रतिबद्ध है। कोई भी वैध एजेंट कभी भी पहले धन की मांग नहीं करता है और केवल लाभ का अंश ही लेता है और वह भी तब “यदि वह आपकी पुस्तक को बिकवा पाता या पाती है।“ [८] X रिसर्च सोर्स
- यदि आपको किसी एजेंट से कोई प्रस्ताव प्राप्त होता है, तो यह बिलकुल उचित होगा यदि आप अन्य एजेन्टों, जिन्हें आपने अपनी पाण्डुलिपि प्रेषित की हो, को इसके बारे में बता दें और पूछ लें कि क्या वे कोई प्रस्ताव देना चाहेंगे। आप चकित हो जाएँगे कि जब उन्हें यह पता चलता है कि कोई और आपके काम को वास्तव में चाहता है तब वे कितनी शीघ्रता से आपको प्रत्युत्तर देते हैं।
- एजेंट से फोन पर बात करिए और यदि भौगोलिक संभावना हो तब जाकर उससे व्यक्तिगत रूप से मिलिये। इससे आपको उसके व्यक्तित्व का अंदाज़ लगेगा और यह पता चल पाएगा कि आपकी जोड़ी जमेगी या नहीं।
- यह आवश्यक नहीं है कि आपकी अपने एजेंट से घनिष्ठ मित्रता हो, परंतु आप दोनों में विचारों को बाँट सकने की क्षमता होनी चाहिए।
- आपके एजेंट को, यथासंभव आक्रामक तो होना ही चाहिए। यही वह गुण है जिसके कारण आपकी पुस्तक बिक सकेगी।
- आपके एजेंट को अच्छी पैठ होनी चाहिए तथा उसका किताबें बिकवाने का प्रभावशाली रिकॉर्ड भी होना चाहिए ताकि उसे पता हो कि आपकी किताब को कहाँ भेजना है।
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प्रकाशक के साथ समझौता करिए: जब एक बार आपने सही एजेंट के साथ करार कर लिया हो तब आप उत्साह से काम करेंगे, कभी कभी तो उपन्यास एक या दो साल तक, पुनरीक्षण भी करेंगे जब तक कि एजेंट को यह नहीं लगता है कि पुस्तक “बिकने के योग्य” हो गई है। तब आप पैकेज तैयार करेंगे और एजेंट उसको विभिन्न प्रकाशन गृहों के संपादकों के पास ले कर जाएगा और “आशा यही है” कि आपको कम से किसी एक से तो प्रस्ताव आ ही जाएगा। बैठ जाइए और इस तनावपूर्ण प्रक्रिया की समाप्ती कि प्रतीक्षा करिए और उम्मेद है कि आप शीघ्र ही बिक्री के संबंध में सुन पाएंगे!
- यदि आपको अनेक प्रस्ताव मिलते हैं तब आप और आपका एजेंट मिल कर यह निर्णय लेंगे कि कौन सा प्रस्ताव सर्वथा उचित है।
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प्रकाशन गृह में संपादक के साथ काम करिए: बहुत बढ़िया, तब आपने प्रकाशन गृह में संपादक के साथ काम करने का करार कर लिया है! तब क्या आप अपनी पुस्तक को अगले सप्ताह ही दुकानों में देख पाएंगे .... “नहीं”। तब अंदाज़ा लगाइए की भविष्य आपके लिए क्या लाएगा? “और सम्पादन।” संपादक के पास आपकी पुस्तक के लिए कुछ विचार होंगे कि वह लगेगी कैसी, और आप भी अपनी पुस्तक के लिए कुछ थोड़ा बहुत सम्पादन का काम कर पाएंगे। इस प्रक्रिया में कुछ समय तो लगेगा, आम तौर पर पुस्तक निकालने और बिक्री होने के बीच एक वर्ष का समय लग ही जाता है।
- पता लगाने के लिए और भी चीज़ें होंगी, जैसे कि आपका मुखपृष्ठ कैसा दिखेगा, किताब के पीछे आप क्या विज्ञापन दे सकते हैं और पुस्तक के प्रारम्भ में आप किन लोगों को धन्यवाद देंगे।
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अपनी छपी हुयी किताब देखना: जब आप संपादक के साथ काम कर चुकें और आपकी पुस्तक तैयार लगने लगे, तब आप अपनी पुस्तक को दुकानों में बिक्री के लिए देखेंगे। आपको प्रदर्शन की तिथि बताई जाएगी और संभावना यह है कि आप किताब को दुकानों पर और एमेज़ोन की आभासी अलमारियों पर दिखने की प्रतीक्षा में, दिन गिन गिन कर ही काट पाएंगे। उसकी एक प्रति अपने हाथों में लीजिये, पन्ने पलटिए और उत्सव मनाइए! मगर आपका काम अभी शुरू ही हो रहा है।
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अपनी नौकरी मत छोड़ दीजिये: जब तक कि आप अतिशय लोकप्रिय पुस्तक लेखक नहीं बन जाते हैं, तब तक आप किताबों की बिक्री से बंगला और गाड़ी तो नहीं ले पाएंगे। संभवतः आपको खर्चे के लिए कुछ पैसा मिल जाएगा, और अपनी वास्तविक नौकरी से कुछ समय निकाल पाने की “क्षमता” भी। तब भी आपको नौकरी ज़ारी रखने के लिए तैयार रहना चाहिए, या अंश कालिक काम ध्होंध लेना चाहिए या यदि आपके पास उचित डिग्री हो तथा आपकी पुस्तक काफ़ी सफल हो चुकी हो तब आपको सृजनात्मक अध्यापन का काम पकड़ लेना चाहिए। [९] X रिसर्च सोर्स
- यदि आप लेखक के जीवन में रुचि रखते हैं, तब सबसे आम रास्ता है सृजनात्मक लेखन के अध्यापन का। मगर यह काम मिलना मुश्किल होता है, और आपको तभी मिल सकता है यदि आपकी पुस्तक वास्तव में खूब बिक चुकी हो।
- आप गर्मी के दौरान होने वाली विभिन्न कार्यशालाओं में भी पढ़ा सकते हैं। यदि आपको ये काम मिल जाते हैं तब आपको कुछ अतिरिक्त धनराशि तो मिल जाएगी और आप कुछ बढ़िया जगहों की यात्रा भी कर पाएंगे।
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अपनी ऑनलाइन उपस्थिती बनाए रखिए: आजकल सचमुच का लेखक बने रहने के लिए आपकी ऑनलाइन उपस्थिती आवश्यक है। चाहे आप तकनीकी रूप से उतने जानकार नहीं भी हों, आपको स्वयं को ऑनलाइन बढ़ावा देने के कौशल को और स्वयं को लेखक की तरह स्थापित करने के कौशल को विकसित करना होगा। अपने लिए एक फेसबुक फ़ैन पृष्ठ बनाइये; अपनी किताब को बढ़ावा देने एक फेसबुक प्रोफ़ाइल भी बनाइये। एक ट्विट्टर अकाउंट बनाइये और अपनी किताब से संबन्धित घटनाओं के संबंध में ट्वीट करिए। सुनिश्चित करिए कि आपकी एक वेबसाइट हो जिसकी भली भांति देखभाल की जाती हो और जो आपके सभी ऑनलाइन प्रोफ़ाइल्स से लिंक भी हो।
- लेखकों की जीवन के संबंध में एक ब्लॉग बनाइये और यथासंभव उसको ताज़ा बनाए रखिए। उसमें ताज़गी रहने से लोगों में उसको पढ़ते रहने की इच्छा बनी रहती है।
- स्वयं को बेशर्मी से बढ़ावा देते रहने में हिचकिचाइए मत। चाहे आपके पास कोई प्रचारक ही क्यों न हो, आपका काम 50% लेखन का होता है और शेष 50% स्वयं का लेखक के रूप में प्रचार करने का। इसकी आदत डाल ही लीजिये।
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पढ़ने वालों के परिपथ में शामिल हो जाइए: यदि आपके पास प्रचारक है और आपकी पुस्तक भी लोकप्रिय हो चुकी है तब शायद आपको अपनी पुस्तक पढ़ने का शिड्यूल भी होगा। आप सम्पूर्ण राज्य में यात्रा करेंगे, या शायद देश भर में, अपनी पुस्तक पर हस्ताक्षर करेंगे तथा अपनी पुस्तक को अपने पाठकों में बढ़ावा देंगे। आप छोटी दुकानों में भी पढ़ सकते हैं और बहुत बड़ी बड़ी किताबों की दुकान में भी। यह लोगों से मेल जोल बढ़ाने का, नए संबंध स्थापित करने का, और लोगों को वास्तव में अपनी किताब बेचने का एक बढ़िया तरीका होगा।
- अपने पाठन शैड्यूल को सोशल मीडिया पर डाल दीजिये ताकि लोगों को पता चल सके कि वे आपको कहाँ पा सकते हैं।
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लेखकों के समुदाय में नेटवर्किंग करिए: लेखक द्वीप नहीं होता है। सुनिश्चित करिए कि आप अन्य लेखकों के पाठन कार्यक्रमों में जाएँ, पैनेल विवादों में जाएँ, या फिर यदि आपको निमंत्रण मिले तो पैनेल में शामिल हो जाइए, अपने क्षेत्र में लेखकों से संपर्क बनाए रखिए, और आम तौर पर आप जहां भी हों वहाँ स्वयं की पहचान बनाए रखिए। लेखकों के मिलन स्थलों पर, उनकी कार्यशालाओं में या यदि आप किसी संस्था में हों तो वहाँ अन्य लेखकों से मुलाक़ात करिए।
- अपनी विधा और क्षेत्र के लेखकों को जानिए। वे आपको आगे बढ्ने में मदद कर सकते हैं।
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’’’अपनी दूसरी पुस्तक पर काम करना शुरू कर दीजिये ... और तब उसके अगली पर’’’: आपने एक पुस्तक प्रकाशित कर ली है और अब यात्रा पर जा रहे हैं – बहुत खूब। परंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि आप आराम कर सकते हैं और महीनों तक अपनी सफलता का जश्न माना सकते हैं। वास्तव में, जब आप अपनी पहली किताब बेच लेते हैं, तब आप अक्सर संपादकों को अपनी उस अगली पुस्तक के बारे में बताने लगते हैं जिस पर आप काम कर रहे हों, या अगर आपने अभी तक नहीं किया है तब अपने एजेंट को अपनी दूसरी पुस्तक के लिए तुरंत प्रेरित करना चाहिए। लेखक का काम कभी समाप्त नहीं होता है, और अगर आप वास्तव में लेखक बनना चाहते हैं तब आपको सदैव अपनी अगली पुस्तक के बारे में सोचते रहना चाहिए।
- चिंता मत करिए यदि अभी आपके पास अपनी दूसरी पुस्तक के लिए कोई विचार नहीं भी है। बस यह लक्ष्य बना लीजिये कि आप प्रतिदिन कुछ लिखेंगे और विचार तो अपने आप ही आ जाएगा।
सलाह
- कहानी को बीच ही में मत छोड़ दीजिये। हो सकता है कि बढ़िया कहानी बन जाये!
- अगर इससे कुछ मदद मिल सकती है तो क्यों न चरित्रों के चित्र बनाए जाएँ ताकि आपको उनका वर्णन करने में मदद मिल सके? और यही सब आप जगहों के बारे में भी कर सकते हैं।
- अगर आपको शुरुआत करने में दिक्कत हो रही हो तब कोई पुस्तक पढ़िये और देखिये कि व्यावसायिक लेखक किस प्रकार के शब्दों का चयन कर रहे हैं। उनके विराम चिन्हन, अनुच्छेद, और विस्तृत वर्णन पर ध्यान दीजिये।
- आप जो पुस्तक लिखने जा रहे हों उसके संबंध में एक छोटी सी कहानी लिख डालिए।
- बेहतर लेखक बनने के लिए केवल पढ़िये मत; जितना हो सके उतना लिखिए। यदि संभव हो तो हर घंटे कुछ लिख डालिए। आपको लिखने के लिए किसी विषय को चुनना आवश्यक नहीं है। जो भी मन में आए बस उसको लिखते जाइए। कलम को कागज पर रखिए और विचार तो आ ही जाएँगे।
रेफरेन्स
- ↑ http://www.missourireview.com/tmr-blog/2013/08/10-things-emerging-writers-need-to-learn/
- ↑ http://www.nytimes.com/2013/10/11/books/alice-munro-wins-nobel-prize-in-literature.html?_r=0
- ↑ http://www.huffingtonpost.com/stephanie-vanderslice/so-you-want-to-get-an-mfa_b_1336168.html
- ↑ http://www.pw.org/literary_magazines
- ↑ http://www.ursulakleguin.com/ManuscriptPrep.html
- ↑ http://agentquery.com/agent.aspx?agentid=204
- ↑ http://www.pw.org/literary_agents?perpage=*
- ↑ http://www.writersdigest.com/editor-blogs/guide-to-literary-agents/10-questions-to-ask-an-agent-before-you-sign
- ↑ http://wrightspeak.com/2012/12/how-much-do-published-authors-make-it-depends/