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अगर आप पब्लिक में बोलने से डरते हैं, तो ऐसे आप अकेले नहीं हैं। स्पीच देते समय, परफ़ोर्मेंस को लेकर चिंता होना नॉर्मल होता है। अच्छी बात ये है कि अपने इस डर के ऊपर काबू पाना मुमकिन है, ताकि आप प्रभावी पब्लिक स्पीच दे सकें। सबसे पहले, अपने टॉपिक के बारे में अच्छी जानकारी रखकर, अपने कॉन्फ़िडेंस को बढ़ा लें। फिर, अपनी परफ़ोर्मेंस एंजाइटी से निपटने में मददगार रिलैक्सेशन टेकनिक्स अपनाकर देखें। इसके अलावा, अपनी चिंताओं का सामना करें, ताकि आप उन्हे आप से दूर जाने दे सकें। अगर आप अभी भी पब्लिक में बोलने को लेकर तकलीफ महसूस करते हैं, तो फिर एक क्लास ले लें या किसी ऐसे इंसान की तलाश करें, जो आपकी मदद कर सके।

विधि 1
विधि 1 का 4:

अपना कॉन्फ़िडेंस बनाना (Building Your Confidence)

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  1. आपके मन में इस बात का डर उठना नॉर्मल है कि आप कुछ भूल जाएंगे या फिर कुछ गलत कह देंगे। पूरी तैयारी रखना, इस डर से निपटने का सबसे सही तरीका होता है। उस टॉपिक के बारे में पढ़ें, ताकि आप उसे अच्छी तरह से समझ पाएँ। अगर आपके पास में समय है, तो फिर अपनी इस समझ को और भी मजबूत करने के लिए डॉक्यूमेंटेशन या ऑनलाइन वीडियोज देखें। [१]
    • जब आप स्पीच टॉपिक चुनें, तब किसी ऐसे सब्जेक्ट को चुनने की कोशिश करें, जिसके बारे में आपको पहले से बहुत कुछ मालूम है।
    • अगर आपके पास में समय की कमी है, तो फिर इन्टरनेट सर्च करें और सामने आने वाले पहले कुछ सोर्स से ही पढ़ लें। हालांकि, पहले इन सोर्सेस के भरोसे के लायक होने की जांच जरूर कर लें।
  2. अपनी स्पीच लिखें , ताकि आपके पास में पहले से ही बोलने लायक बातों का एक प्लान तैयार हो: हालांकि, आपको आपकी स्पीच के एक-एक शब्द को बोलने की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन फिर आप जो कहना चाहते हैं, उसे लिखने से आपको मदद मिलेगी। उसमें अपने बारे में और अपने टॉपिक के बारे में भी एक छोटा सा इंट्रोडक्शन शामिल करें। फिर, अपने मेन पॉइंट के लिए और उसके सपोर्ट के बारे में बताते हुए एक पैराग्राफ लिखें। इसके बाद में आखिर में एक ऐसे कन्क्लूश़न (conclusion) के साथ में खत्म करें, जो आपकी ऑडियन्स को ये बताता हो, कि उन्हें आपकी स्पीच में से किस बात को लेना है। [२]
    • जरूरी नहीं कि आपकी स्पीच को एकदम परफेक्ट ही होना चाहिए। आप उसकी प्रैक्टिस करते समय, उसमें कुछ बदलाव भी कर सकते हैं।

    वेरिएशन: एक आसान विकल्प के लिए, आप जो भी कहना चाहते हैं, उसकी एक आउटलाइन बना लें। उसमें उन मेन पॉइंट्स को लिखे लें, जो आप सामने रखना चाहते हैं, साथ ही उन पॉइंट्स के लिए सबूतों या सपोर्ट के बारे में लिखें। आप चाहें तो स्पीच देते समय आपकी इस आउटलाइन का इस्तेमाल कर सकते हैं।

  3. स्पीच के दौरान आपको गाइड करने के लिए एक आउटलाइन या नोट कार्ड बनाकर रखें: नोट्स बनाकर रखना, जब आप स्पीच दे रहे होते हैं, उस समय कहने लायक बात को भूल जाने की स्थिति में अपनी याददाश्त को दौड़ाने के लिए मददगार साबित होता है। हालांकि, आपको बहुत बड़े नोट्स भी नहीं बनाकर रखने हैं, क्योंकि ये बड़ी आसानी से आपको उलझा सकते हैं। इसकी बजाय, आउटलाइन या नोट कार्ड पर अपनी स्पीच के केवल बेसिक एलीमेंट्स को ही रखें। इस तरह से, आप आसानी से उसमें देख सकते हैं और उसमें कहने लायक बात याद दिलाने के लिए बस एक मुख्य शब्द को देख सकते हैं। रिसाइकिलिंग के ऊपर बनी स्पीच के लिए एक आउटलाइन कुछ इस तरह से नजर आएगी: [३]
    • I. कचरे को लैंडफिल्स (जलाने के लायक कचरा डालने के लिए बनाई हुई जगह) से दूर रखा जाए
      • A. कम कचरा
      • B. लैंडफिल्स ज्यादा समय तक चलेगा
    • II. रिसोर्सेज सेव हुए
      • A. नए प्रॉडक्ट्स बनाने के लिए इस्तेमाल किया
      • B. कच्चे माल का उपयोग कम हुआ
    • III. कंज्यूमर्स को भी एक आवाज मिलती है
      • A. रिसाइकिल की हुई चीजें चुन सकते हैं
      • B. ब्रांड भी कंज्यूमर्स की मांग को पूरा करते हैं
  4. आपने भी ये तो जरूर सुना होगा, “प्रैक्टिस से इंसान परफेक्ट बनता है,” और ये सच भी है। भले ही आप शायद एक परफेक्ट स्पीच न दे पाएँ, लेकिन उसकी प्रैक्टिस करना आपको उस वक़्त कॉन्फ़िडेंट महसूस करने में मदद करेगा, जब आप ऑडियन्स के सामने जाएंगे। अपनी स्पीच को ज़ोर-ज़ोर से खुद से बोलें, जब आपको लगे, कि आप रेडी हैं, फिर आईने के सामने अपनी स्पीच बोलें। [४]
    • अगर आपको स्पीच के लिए टाइम लिमिट दी गई है, तो फिर प्रैक्टिस करते समय इस बात का भी ख्याल रखें। फिर, अगर आपको उसकी लंबाई बढ़ाने या उसे कम करने की जरूरत महसूस हो, तो ऐसा कर लें।
    • शुरुआत में बस अपनी आवाज की सुनें। अपनी स्पीच के साउंड को महसूस करें और अगर जरूरत लगे, तो उसमें एडजस्टमेंट कर लें।
    • जब आप आईने के सामने हों, तब जेस्चर या फेशियल एक्सप्रेसन की भी प्रैक्टिस करें। देखें, आपको आपके लिए क्या ठीक लगता है।
  5. अपने परफ़ोर्मेंस को सुधारने के लिए, अपना वीडियो बनाएँ: स्पीच देने की प्रैक्टिस करते समय, आपका वीडियो बनाने के लिए एक वीडियो कैमरा या फोन का इस्तेमाल करें। ऐसे एक्ट करें, जैसे कि आपका फोन आपकी ऑडियन्स है, और वैसे ही जेस्चर और फेशियल एक्सप्रेसन का इस्तेमाल करें। फिर, स्पीच को देखें और फिर उन सुधार की जरूरत वाली जगहों की तरफ ध्यान दें। अपना कॉन्फ़िडेंस बनाने के लिए ऐसा कई बार करें। [५]
    • आपके वीडियो की क्वालिटी को लेकर या किसी और के उसे देखने को लेकर चिंता मत करें।ये वीडियो सिर्फ आपके लिए है।
  6. अपनी स्पीच को पब्लिक में देने के पहले, एक बार अपने फ्रेंड्स और फैमिली के सामने दें: ऐसे लोगों को चुनें, जो आपको आपकी स्पीच के अंदर मौजूद सुधार करने लायक जगहों के बारे में ईमानदारी से बता सकें, लेकिन साथ में आपका सपोर्ट भी करें। फिर, स्पीच को ठीक वैसे ही परफ़ोर्म करें, जैसे आप ऑडियन्स के सामने करने वाले हैं। उनसे पूछें कि उन्हें स्पीच के बारे में क्या अच्छा लगा और साथ में, उसमें और क्या सुधार करने की जरूरत है। [६]
    • अगर आप सच में नर्वस हैं, तो फिर पहले सिर्फ एक इंसान के सामने बोलकर शुरुआत करें। फिर, धीरे-धीरे अपनी ऑडियन्स के नंबर को बढ़ाते जाएँ।
विधि 2
विधि 2 का 4:

परफ़ोर्मेंस एंजाइटी पर काबू पाना (Dealing with Performance Anxiety

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  1. फील-गुड एंडोर्फ़िन्स (endorphins) रिलीज करने के लिए, जल्दी-जल्दी मुस्कुराएँ: मुस्कुराना, फिर भले झूठा ही सही, शांत रहने का सबसे आसान तरीका होता है। जब आप मुस्कुराते हैं, तब आपका शरीर नेचुरली एंडोर्फ़िन्स रिलीज करता है, जो आपको बेहतर महसूस कराता है। एक झूठी स्माइल दें या फिर जल्दी से बेहतर महसूस करने में मदद के लिए किसी मजेदार बात के बारे में सोचें। [७]
    • अपनी फेवरिट कॉमेडी से किसी सीन को याद करने की कोशिश करें। एक और दूसरे विकल्प की तरह, ऐसे किस जोक को मन में दोहराएँ, जो आपको बहुत पसंद है।
    • अगर आप कर सकें, तो फिर नेचुरली स्माइल करने में मदद पाने के लिए, अपने फोन पर अपने फेवरिट मीम्स (memes) देखें।
  2. अपने शरीर को रिलैक्स करने में मदद के लिए, गहरी साँसें लें: 5 तक काउंट करते हुए, धीरे-धीरे अपनी नाक से साँस खींचें। फिर, एक बार फिर से 5 काउंट तक अपनी साँसों को रोके रखें। फ़ाइनली, 5 तक काउंट करते हुए, धीरे-धीरे साँस छोड़ें। खुद को शांत करने के लिए ऐसी ही धीमी साँसों के 5 सेट्स करें। [८]
    • अगर आप स्टेज पर बस जाने ही वाले ही हैं, हवा को अपने पेट में अंदर नीचे तक लेकर जाते हुए, बस गहरी साँसें लें। फिर, उसे अपने मुंह से छोड़ दें।
    • गहरी साँसें लेने से आपके शरीर में मौजूद टेंशन कम हो जाती है और ये तुरंत आपको शांत होने में मदद करता है।
  3. अपनी लड़ो या भागो (fight-or-flight) वाली प्रतिक्रिया को शांत करने के लिए अपने माथे पर अपना हाथ रखें: परफ़ोर्मेंस की चिंता लड़ो या भागो वाले रिस्पोंस को जगा देती है, जो खून को नेचुरली आपके हाथों और पैरों में भेजने लगता है। हालांकि, आप अपने हाथ को माथे पर रखकर, अपने खून को वापस सिर तक ले आ सकते हैं। आपका हाथ खून को ऊपर की तरफ भेजने के लिए, आपके शरीर को सिग्नल देगा। ये आपको आपके विचारों को आपकी स्पीच के ऊपर बनाए रखने में मदद करेगा। [९]
    • लड़ो या भागो वाले रिस्पोंस के दौरान, क्योंकि आपका शरीर किसी भी समय फिजिकल होने का अंदाजा लगाए रखता है, इसलिए आपका खून आपके शरीर के अंगों में जाना शुरू कर देता है।
    • कुछ मिनट के बाद में आपको ज्यादा शांत महसूस करना शुरू हो जाना चाहिए।
  4. इस तरह से कल्पना करके देखना, ऐसा महसूस कराता है, जैसे कि आप जो भी सोच रहे हैं, उसे आप सच में अनुभव कर रहे हैं। अपनी आँखें बंद करें, फिर खुद को स्पीच देते हुए सोचें। ऐसा सोचें, कि आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और हर कोई आपको सुनने के लिए एक्साइटेड है। फिर, खुद को अपनी स्पीच को पूरा करता हुआ और तालियों की गूंज के साथ वहाँ से निकलते हुए महसूस करें। [१०]
    • इससे ऐसा महसूस होता है जैसे कि आप सक्सेसफुल हो सकते हैं, इसलिए ये आपको रिलैक्स होने में मदद कर सकता है।
  5. अपने नेगेटिव ख्यालों को दूर करने के लिए, पॉज़िटिव सेल्फ-टॉक (अपने साथ में पॉज़िटिव बातें करना) इस्तेमाल करें: स्पीच देने के पहले, अपने बारे में मन में नेगेटिव विचार आना नॉर्मल है, लेकिन ये सच नहीं होते हैं। जब भी आप नेगेटिव विचारों को आता हुए पाएँ, रुकें और उनकी पहचान करें। फिर, उनकी सच्चाई को चैलेंज करें। आखिर में, उन्हें पॉज़िटिव विचारों से रिप्लेस कर दें। [११]
    • जैसे किस, मान लेते हैं कि आप खुद को ऐसा सोचते हुए पाते हैं, “मैं वहाँ पर स्टुपिड दिखने वाला हूँ।” फिर अपने इस विचार को चैलेंज करने के लिए खुद से पूछें “मैं ऐसा क्यों सोच रहा हूँ?” और “क्या सही हो सकता है?” फिर, खुद से कहें, “मैं इस स्पीच के लिए अच्छे से तैयार हूँ, इसलिए मुझे मालूम है कि मैं वहाँ पर स्टुपिड नहीं,बल्कि नॉलेज वाला दिखने वाला हूँ।”
  6. कम स्ट्रेस वाली परिस्थितियों में पब्लिक के सामने बोलने के लिए मिले मौकों की तलाश करें: ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस करना ही अपनी चिंता को कम करने का सबसे अच्छा तरीका होता है, लेकिन जब आप डरे होते हैं, तब ऐसा कर पाना बहुत मुश्किल होता है। पहले अपने फ्रेंड्स के सामने बोलकर, लोकल क्लब्स में बोलने के लिए वॉलंटियर करके या फिर क्लास या ऑफिस में छोटे ग्रुप्स में बोलकर, छोटे से शुरुआत करें। [१२]
    • जैसे कि, आप अपने लिए अपोर्चुनिटी पाने के लिए, Meetup.com पर पब्लिक स्पीकिंग ग्रुप्स की तलाश कर सकते हैं।
    • एक लोकल बॉय स्काउट, गर्ल स्काउट या कब स्काउट ट्रूप में शॉर्ट प्रजेंटेशन देने का बोलें।
विधि 3
विधि 3 का 4:

अपनी चिंताओं का सामना करना (Confronting Your Worries)

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  1. उन सभी विशेष चिंताओं की एक लिस्ट बना लें, जो आपके मन में डर पैदा कर रही हैं: अपनी चिंताओं को दूर करने में मदद पाने के लिए, उन्हें लिख लें या ज़ोर से बोलें। जैसे कि, मान लीजिए कि आपको गलत बात कहने का या फिर सिली नजर आने का डर है। जो भी चीज आपको नर्वस कर रही है, उसे सही पहचानने की कोशिश करें। [१३]
    • कुछ आम चिंताओं में लोगों के द्वारा जज किया जाना, कोई गलती कर देना, सही बात नहीं कहना या फिर अपना गलत इम्प्रेसन छोड़ना शामिल है।
  2. संभावित परिणामों की लिस्ट बनाकर, अपनी इन चिंताओं को चैलेंज करें: खुद से पूछें कि आपके इस डर के सच होने की संभावना कितनी है। फिर, सोचकर देखें कि आपकी स्पीच किस तरह से जाने वाली है। ऐसी पॉज़िटिव चीजों के बारे में सोचें, जो हो सकती हैं। ये आपको इस बात का अहसास दिलाने में मदद करेगा कि आपकी चिंताओं के सच होने की उम्मीद बहुत कम है। [१४]
    • उदाहरण के लिए, मान लेते हैं कि आप इस बात को लेकर चिंता में हैं, कि आप कहने वाली बातें भूल जाएंगे। आप खुद को ये याद दिला सकते हैं कि आप आपके टॉपिक को अच्छे से जानते हैं और जरूरत पड़ने पर, अपनी याद को ताजा करने के लिए, आप अपने साथ में अपने नोट कार्ड्स भी लेकर जाएंगे। फिर, स्पीच के दौरान खुद को नोट कार्ड इस्तेमाल करते हुए सोचने की कोशिश करें।
    • अगर आप वहाँ पर सच में डर जाते हैं, तो फिर आपने इस डर को दोबारा होने से रोकने के लिए क्या किया था, उस बारे में सोचकर अपने डर पर काबू पाएँ। जैसे कि, खुद को याद कराएं, कि आपने अपनी स्पीच को पूरी तरह से तैयार किया है और आपने बहुत प्रैक्टिस भी की है।
  3. खुद को याद दिलाएँ कि ऑडियन्स आपको सफल होते देखना चाहती है: इससे ऐसा महसूस होगा जैसे कि आपको ऑडियन्स वहाँ पर आपको जज करने के लिए है, लेकिन ऐसा है नहीं। आपकी ऑडियन्स वहाँ पर आपके द्वारा बोली जाने वाली बातों को सुनने के लिए है और उसमें से कुछ सीख पाना चाहती है। वो चाहती है कि आप अपना काम अच्छा करें, इसलिए वो लोग आपकी तरफ हैं। उन्हें आपके सपोर्टर्स की तरह सोचें। [१५]
    • सोचकर देखें, कि जब आप किसी को स्पीच देने के लिए जाते देखते हैं, तब कैसा महसूस करते हैं।क्या आप उम्मीद में हैं कि वो खराब काम करेंगे? क्या आप उनकी गलतियों की तलाश में हैं या फिर वो कितना नर्वस हैं, पता करना चाहते हैं? शायद नहीं।
  4. अपने डर को कम करने के लिए, स्पीच देने के पहले अपनी ऑडियन्स के साथ में कनैक्शन बना लें: खुद को लोगों के सामने इंट्रोड्यूस करने के लिए कमरे में घूमें। आप जितने ज्यादा लोगों से मिल सकें, मिलें। ये आपको ऐसा महसूस करने में मदद करेगा, जैसे कि आप ग्रुप में से ही एक हैं, जो भी आपकी चिंता को कम करने में मदद करेगा। [१६]
    • आप चाहें तो डोर पर खड़े होकर, आने वाले लोगों को ग्रीट भी कर सकते हैं।
    • अगर आप हर किसी से नहीं भी मिल पाते हैं, तो उसे लेकर परेशान मत हों।
    • अगर आप आप से पहले मिले हुए लोगों के साथ में आइ कांटैक्ट करेंगे, तो आप अपनी स्पीच के दौरान और भी कॉन्फिडेंट महसूस कर सकेंगे। हालांकि, ऐसा करना जरूरी नहीं है।
विधि 4
विधि 4 का 4:

और भी मदद पाना (Getting Additional Help)

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  1. अच्छी स्पीच देना सीखने के लिए एक पब्लिक स्पीकिंग क्लास लेकर देखें: लोगों के सामने बोलना एक स्किल है, जिसे कई लोगों को सीखना होता है। अपनी लोकल लाइब्रेरी, कम्यूनिटी सेंटर या कम्यूनिटी कॉलेज में ऐसी ही एक क्लास की तलाश करें। आप स्पीच तैयार करना, स्पीच को अच्छे से दे पाना सीखेंगे और साथ ही अपनी ऑडियन्स को इंगेज करके रखने की सलाह भी पाएंगे। [१७]
    • अगर आप ऑफिस के लिए अपनी स्किल्स को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं, तो फिर एक ऐसी क्लास की तलाश करें, जो कि बिजनेस या प्रोफेशनल स्पीकिंग के लिए बनाई गई हों। हो सकता है कि आप शायद आपके एम्पलॉयर के द्वारा आपको प्रोफेशनल वर्कशॉप में भेजे जाएँ।
  2. पब्लिक के सामने बोलने की हद से ज्यादा चिंता पर काबू पाने के लिए एक थेरेपिस्ट से मदद की तलाश करें: एक्सट्रा मदद लेने में कोई बुराई नहीं है और परफ़ोर्मेंस को लेकर होने वाली चिंता का इलाज किया जा सकता है। आपके थेरेपिस्ट आपको आपकी चिंताओं का सामना करने और उनसे निपटने के लिए, आपको कोग्निटिव बिहेवियरल (cognitive-behavioral) स्ट्रेटजीस सिखा सकते हैं। ये आपको आपकी परफ़ोर्मेंस एंजाइटी पैदा करने वाले विचारों और व्यवहार के पैटर्न्स को समझने में मदद करेगा। फिर, आप अपने डर से निपटने में मदद पाने के लिए, चीजों को अलग तरीके से करना सीख जाएंगे। साथ में, वो आपको स्पीच देने से पहले रिलैक्स करने के नए तरीके भी सीखने में मदद करेंगे। [१८]
    • ऑनलाइन किसी थेरेपिस्ट के लिए सर्च करें या फिर अपने डॉक्टर से रेफरल की मांग करें।
    • अपनी इंश्योरेंस कंपनी के साथ में एक बार चेक कर लें, कि वो आपके इलाज के लिए पे करेगी या नहीं।
  3. अगर किसी भी चीज से मदद नहीं मिल रही है, तो अपने डॉक्टर से शांति देने वाली दवाइयों के बारे में पूछें: वैसे तो आपको दवाइयाँ लेने की कोई जरूरत नहीं होना चाहिए, लेकिन कभी-कभी, ये परफ़ोर्मेंस एंजाइटी का सामना करने में मदद कर सकती हैं। अपने डॉक्टर से बात करके पता लगाएँ कि आपके लिए दवाइयाँ लेना सही होगा या नहीं। फिर, रिलैक्स होने में मदद पाने के लिए, स्पीच देने से पहले उसे ले लें। [१९]
    • जब आप घर पर हों और आपका कोई दूसरा प्लान न हो, तब इन दवाइयों को पहली बार लेने का सही समय होता है। ऐसा करने से आपको ये समझने में मदद मिलेगी, कि इन दवाइयों का आप पर कैसा असर पड़ता है।
    • आप उस समय इन दवाइयों का इस्तेमाल करने का फैसला कर सकते हैं, जब आपको अपने जॉब के लिए लोगों के सामने बोलने की जरूरत हो, लेकिन आपको ऐसा करने में मुश्किल हो रही हो।
  4. एक सपोर्टिव माहौल में लोगों के सामने बोलने की प्रैक्टिस करने के लिए टोस्टमास्टर्स (Toastmasters) अटेंड करें: टोस्टमास्टर्स एक नॉन-प्रॉफ़िट ऑर्गनाइजेशन है, जिसकी कई कम्यूनिटीज में कई ब्रांच हैं। ये आपको पब्लिक स्पीकिंग स्किल्स सीखने में मदद करेंगे और आपको प्रैक्टिस करने के लिए एक सुरक्षित जगह भी देंगे। उनकी मीटिंग्स अटेंड करने के लिए आपके एरिया में उनके चैप्टर की तलाश करें। [२०]
    • उनकी सर्विसेज के फायदे उठाने के लिए, आपको आपके लोकल टोस्टमास्टर्स चैप्टर को जॉइन करना होगा। [२१]

सलाह

  • याद रखें, आप जितना नर्वस महसूस करते हैं, उतने नजर नहीं आते।
  • केवल आपको ही पता है, कि आपको क्या कहना चाहिए, इसलिए प्रजेंटेशन के दौरान चीजों को बदलने में जरा भी न घबराएँ। अगर आप किसी चीज को भूल भी जाते हैं, तो उसे लेकर ज्यादा परेशान मत हों, क्योंकि आपके अलावा इस बात के बारे में और कोई नहीं जानता है।

चेतावनी

  • किसी भी चीज को पर्सनली मत लें। जो लोग आपकी बातों पर ध्यान देते नहीं दिखते हैं, हो सकता है कि वो आपकी बोली हुई बातों के बारे में सोच रहे हों।

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